अब मैं हिंदी में थोडासा आपको बताना चाहती हूँ कि सहजयोग में हम लोग अब ये नही जानते कि हमारे बारे में हजारो वर्षसे ये बताया गया था कि ऐसे महान लोग संसार में आयेंगे और पहाड के पहाड ऐसे बडे बडे वृक्षों के बड़े बडे अरण्य संसार में घुमेंगे | जो बोलते हुए, चलते हुए दुनिया को उनकी इच्छाओं की पूर्ती केकल्पतरू मिलेंगे । जैसे उनको आशिर्वाद देंगे और उनकेएक एक व्यक्ती में जैसे सागर उमडते हो । जिसमें किअमृत बोलता हो ऐसे सागर ऐसे सूरज होएंगे। चमकते हुए सूरज किजिसके अंदर कोई भी दाह नही, अग्नी नही ऐसे चंद्रमा जिसके उप्पर कोई कलंकनही यह आपकेवर्णन हजारो वर्ष पहले उन्होने किए और तीनसो वर्ष पहले ज्ञानेश्वरजी ने किए कि कितना आपका महत्त्व उन्होंने बताया कितना महत्त्व आपको दिया? किकितना जरूरी हैं सारे दुनिया केलिये एक आशा थी । इस तरह से हो रहा और हो गया | लेकिन अभी इसकी प्रगति मेरे विचार से बहोत बहोत धीमी हैं । इसकी प्रगति बहोत धीमी हैं। प्रगति आपकेवजह से धीमी हो जाती हैं । ऐसी जगह तब मन लगता हैं जहाँ हम अपने को गिरा लेते हैं । अपना चित्त इस पेड का जैसा पृथ्वी से पूरी तरह से निगडीत हैं ऐसा आपको अपने माँ केसाथ निगडीत रखना चाहीये । और उसकी जो ऊंचाई हैं उसके ओर दृष्टी रखनी चाहिए । यह ऊंचाई जो भी इन्होंने हासिल की हैं वो इस वातावरण से लढकर, झगडकर बाहर आकर अपना सर ऊंचा उठाकर और जो लोग अपना सर दुनियाई चीजों के लिये, कृत्रिम चीजों केलिये, बाह्य चीजों केलिये झुका लेते हैं वो कैसे उठ सकते हैं? या जो अपना चित्त इस धरती माँ से हटा लेते हैं हटा लेते हैं वो तो मर ही जायेंगे । इसलिये हर सहजयोगियोंका यह कर्तव्य हैं । यह पूरी तरह से कर्तव्य हैं कि वो जाने कि सारी दुनिया आप कि तरफ आँख लगाये बैठी हुई हैं और आप अपने गौरव को पहचानिये । आप लोग यहाँ पर आज मुझे वचन देने आए है इस इंटरनॅशनल सेमिनार में की माँ तुम जितनी मेहनत करती हो उसी तरह से हम भी मेहनत करेंगे । उस शांत में गौरव में आप अपने को उंचा उठाए । अपनें बारे में पुरी आपको कल्पना होनी चाहिए की आप है क्या । आपसे सबसे यह बिनती हैं कि कृपया अपनी ओर नजर रखें । आप सब सिंघासन पर बैठे हैं उस सिंघासन को पाइये | उसकेजैसे हो जाईये | दुनिया केमुकाबले में आप लोग बहोत बडी चीज हैं । ---------------------- 19840213_MARATHI_Puja_in_Bordi_India.pdf-page0.txt अब मैं हिंदी में थोडासा आपको बताना चाहती हूँ कि सहजयोग में हम लोग अब ये नही जानते कि हमारे बारे में हजारो वर्षसे ये बताया गया था कि ऐसे महान लोग संसार में आयेंगे और पहाड के पहाड ऐसे बडे बडे वृक्षों के बड़े बडे अरण्य संसार में घुमेंगे | जो बोलते हुए, चलते हुए दुनिया को उनकी इच्छाओं की पूर्ती केकल्पतरू मिलेंगे । जैसे उनको आशिर्वाद देंगे और उनकेएक एक व्यक्ती में जैसे सागर उमडते हो । जिसमें किअमृत बोलता हो ऐसे सागर ऐसे सूरज होएंगे। चमकते हुए सूरज किजिसके अंदर कोई भी दाह नही, अग्नी नही ऐसे चंद्रमा जिसके उप्पर कोई कलंकनही यह आपकेवर्णन हजारो वर्ष पहले उन्होने किए और तीनसो वर्ष पहले ज्ञानेश्वरजी ने किए कि कितना आपका महत्त्व उन्होंने बताया कितना महत्त्व आपको दिया? किकितना जरूरी हैं सारे दुनिया केलिये एक आशा थी । इस तरह से हो रहा और हो गया | लेकिन अभी इसकी प्रगति मेरे विचार से बहोत बहोत धीमी हैं । इसकी प्रगति बहोत धीमी हैं। प्रगति आपकेवजह से धीमी हो जाती हैं । ऐसी जगह तब मन लगता हैं जहाँ हम अपने को गिरा लेते हैं । अपना चित्त इस पेड का जैसा पृथ्वी से पूरी तरह से निगडीत हैं ऐसा आपको अपने माँ केसाथ निगडीत रखना चाहीये । और उसकी जो ऊंचाई हैं उसके ओर दृष्टी रखनी चाहिए । यह ऊंचाई जो भी इन्होंने हासिल की हैं वो इस वातावरण से लढकर, झगडकर बाहर आकर अपना सर ऊंचा उठाकर और जो लोग अपना सर दुनियाई चीजों के लिये, कृत्रिम चीजों केलिये, बाह्य चीजों केलिये झुका लेते हैं वो कैसे उठ सकते हैं? या जो अपना चित्त इस धरती माँ से हटा लेते हैं हटा लेते हैं वो तो मर ही जायेंगे । इसलिये हर सहजयोगियोंका यह कर्तव्य हैं । यह पूरी तरह से कर्तव्य हैं कि वो जाने कि सारी दुनिया आप कि तरफ आँख लगाये बैठी हुई हैं और आप अपने गौरव को पहचानिये । आप लोग यहाँ पर आज मुझे वचन देने आए है इस इंटरनॅशनल सेमिनार में की माँ तुम जितनी मेहनत करती हो उसी तरह से हम भी मेहनत करेंगे । उस शांत में गौरव में आप अपने को उंचा उठाए । अपनें बारे में पुरी आपको कल्पना होनी चाहिए की आप है क्या । आपसे सबसे यह बिनती हैं कि कृपया अपनी ओर नजर रखें । आप सब सिंघासन पर बैठे हैं उस सिंघासन को पाइये | उसकेजैसे हो जाईये | दुनिया केमुकाबले में आप लोग बहोत बडी चीज हैं ।