चैकन्य लहरी मंड । अंक 6 जंक हिन्दी आवृत्ती े हीम भि ा क परमपूज्य श्री माताजी श्री निर्मला देवी ि MAHN मंड । अंक 6 चैतन्य लहरी श्री माताजी का यरोप का महान दौरा - 1989 इंटली श्री माताजी के इस वर्ष का यूरोप का महान दोरा पूरे संसार के लिए इस अवतार के आने को ध्यान देने की अद्भुत घोषणा के साथ हुआ। यहाँ इटली में सभी जीवन धाराओं के लोग ऐसी अपूर्व अरघटित एवम् बेमिसाल ऐतिहासिक घटना को मान्यता तथा मनाने के लिए उपस्थित थे। यह वास्तव में हार्दिक खुशी की बात थी कि 35 से भी ज्यादा देशेों के करीब एक हज़ार सहजयोगी इस पृथ्वी के सबसे महान अधिक प्रमाणित, जीवित अवतार दवारा सहस्रार खोलने की ।9 वी वर्षगाँठ को मनाने के लिए इकत्रित हुए थे। ऐसे पवित्र स्थान पर अपने बहन-भाइयों के साथ एकत्रित होना वास्तव में सौभाग्य की बात थी। गोष्ठी हसेमिनार का शुभारंभ म मई को दोपहर में अतिपूजनीय श्री माताजी के नेपल्स हवाई अडूडेपर आगमन से शुरू हुआ। गुइडो को मौसम की अधिक चिन्ता थी क्योंकि पिछले दिनसे ही वर्षा श्री माताजी के आगमन के लिए शहर को घोकर स्वच्छ कर रही थी और निश्चित रूप से वह आई ओर उत्तम धूप मधुर मंद पवन भी अपने साध लाई। सभी सहजयोगी छोटे-छोटे बच्चो सहित वायुमान केन्द्र के लॉज में भजन गाते हुए तथा लाल और सुनहरे बैनर, जिसपर लिखा था "महान माँ का स्वागत" को पकड़े हुए प्रतीक्षारत थे। इटली की भूमि पर पुनः श्री माताजी का स्वागत करने के लिए सभी की अँखे प्रसन्नता से भरपूरित थी। जैसे श्री माताजी नेपल्स हवाई अड्डेसे ले जाई जा रही थीं उन्होने कहा कि यह थोड़ा अच्छा ही है कि इस क्षेत्र मे नकली गुरु अभी नहीं फैले हैं और सहस्त्रार पर कोई दबात नही है इससे काम अच्छा होगा। आगे बढ़ने से पहले नैपल्स की सुरक्षा में एक यटना कहना जरूरी है जो कि नैपल्स के चोरो के बारे में कही बात के बिपरीत है हवे आपके पहने जूतै से आपके अनजान में, मोजे चुराने के लिए मशहर है? हमने हवाई अडडेपर चुंगी दे दी थी। परन्तु अपने आगे बाली कार से संबंध न खोने के लिए हम लोग छुटरा (पैसा) नहीं लेना चाहते थे। शीघ्र ही एक पुलिसवाले ने आगे बढ़कर हमारी कार को रोक दिया। हम सोचने लर्गे कि हमने क्या अपराध कर दिया २ है परन्तु उसने हमारा छुट्टा वापस किया, घन्यवाद दिया और लौट गया| सोरन्टो के कैम्प जिनमें हम रुके हुए थे गणपति पुले के उन घरों की याद दिला रहे थे जो समुद्रतट पर हैं। यह महसूस करना विस्मयकरी था कि वहाँ दिल को छूने वाली शॉति ग मई की रात को बिल्कुल नहीं सोंई और नई थी| यह एक खास बात थी कि श्री माताजी सहस्त्रार खुला रखने के लिए अधिक प्रयत्न करती रही जिससे इम लोग पूजा में अधिक से अधिक लाभ उठा सके। 5 मई, शुकवार का दिन कैप्री टापू पर नौका यात्रा के लिए निश्चत था । यह एक सुन्दर और सुहावनी सुबह धी और हम लोग अत्यन्त सुश थे कि श्री माताजी भी अन्य सहयोगियों के साथ कैप्री टापू पर एक बड्डी नौका में आ रही थीं। उन्होंने सारांश सूपसे हम लोगोंको बताया कि उनके पास छोटी-छोटी व्यक्तिगत समस्याये लेकर जाना हम लोगों की अपरिपक्वता हैं। हम व्यक्तिगत समस्यायों से ऊपर उठ कर सामूहिक समस्यायों को हल करने में मदद करें; हमें सभी जो व्यक्तिगत, आर्थिक, भावात्मक सहजयोग पर दायित्व न बनकर घरोहर बना चाहिए। समस्यायों से ग्रस्त हैं सामूहिक से अपने का अलग रक्से जब तक की वे पूर्णा स्वस्थ्य होकर? जम नहीं जाते। उन्होंने कहा कि मानिये आप जलयान पर है और आपको कैंची चाहिए और के आप उसके लिए परेशान है क्योंकि आप इसे नहीं पा रहे है परन्तु अगर जलबाम पर कैंची ा हैं ही नहीं तो इसके तलाश की समस्या क्यों खड़ी करना? कैप्री पर उतरनेके बाद इस टापू के एक तरफ श्री माताजी ने दो मशहूर चट्टाने समुद्रसे निकली हुई देखी जिसमें एक घनुषाकार थी। उन्होने कहा कि इसी तरह जेन गुरू प्रकृति की सहायता दारा इच्छुक सोजी जर्नोका निर्वाच स्थिति में आने का मार्गदर्शन करते थे। वहाँ बैठ और अदितीय द्वश्य का आनन्द लेने के उपरान्त हभूमध्य सागर इस क्षेत्र में अन्यधिक नीला है। हमें अकस्मात ही बैटरी चालित सामान गाडी श्री माताजी को बिठाने और केबल कार तक ले जाने के लिए प्राप्त हुई जो हमे बंदरगाह तक समय से नाव पकड़ने को ले गई इस तरह के अनोखे वाहन के साथ गाते और नाचते हुए हमारा सहज जलूस चला था। यह आश्चर्य है कि किस ढंग से श्री माताजी हमारी इच्छाओं के अनुरूप व्यवस्था करती हैं और उन्हे पूरा करने के लिए मार्ग व वाहन भी पैदा करती हैं । एक सहजयोगी जो मार्ग में फोटो खीचा धा कैप्री में उन्हें कवाया और श्री माताजी को भेट किया। कैमरे ने एक बार फिर से उनके सत्य रूप को चमत्कारित ढंग से दिलाया जिसको कृमश: फोटो दारा, कई फोटो से कोई भी स्पष्ट सू्प से देख सकता हैं। फोटो नं में हम सब उनके पास बैठे भजन गा रहे हैं । फोटो नं 2. में हर चीज थोड़ी घुंदली हो महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती गई है। फोटो नं. 3 में उनके अन्दर तीनों शक्तियों को उठते हुए कोई भी देख सकता है। फोटा नं. 4 में महालक्ष्मी शवती उनके अज्ञाचक को पार करती हुई सहस्त्रार को भेदती है और कोई भी उनके चारों तरफ बिसरती हुए प्रकाश को देख सकता है । यह वास्तव मे चमत्कारिक पोटो था। 5 मई की रात को हम सोरन्टोके पक सभा भवन हहाल? मे गये जहाँ शहर के मेयर ने श्री माताजी और सहजयोगियों के लिए सांस्कृतिक नाच और गाने का इन्तजाम किया था और उन्हें सोरेन्टो के प्रतीक कुछ उपहार दिया। बहुत तेज व समृध्द गान और पारम्परिक वेशभूषा के नृत्य के बाद मंच स्वीटजरलैन्ड के भी जोजे के लिए साली कर दिया गया जिन्होंने सहज ढंग से कुछ जाने माने सहजयोगियों को प्रदर्शित कर हम लोगों का अत्याधिक मनोरंज किया । 6 मई की सुबह, 18 फीट की उँचाई से पीठ के बल सख्त जमीन पर गिरे हुए, एक बच्चे को श्री माताजी ने चमत्कारिक ढंग से बचाया। फिर वह सभी सहजयोगी नेताओं सें मिली और यूरोप के समस्त दारे को निर्धारित किया । जब तक वह पूजा के लिए आई चन्द्रमा की गई। मंच बहुत सुन्दर ढंग से सजाया पूजा का काले पक्ष का दोरा समाप्त हो चुका ा और ड गया था जिसमें श्री चका उनके सिंहासन के ऊपर धा जिसमें सात चक्राकार इवंमे जमीन की ओर थे, उनमे फल और लतायें लिपटी हुई थी। पाश्श्य में एक सहजयोगी ढवारा बनाया एक चिन्न था जो विराट में उत्कान्ति के ढंग को प्रदर्शित करता था। श्री माताजी पिछली रात केवल दो पंटे सोने के पश्चात भी सदा की तरह तरोताजा और दीप्तिमान दिख रही थी। पुजा का शुभारंभ हर बार जैसा हुआ परन्तु उन्होने बीच में हम लोगों के गाने को रोक कर सलाह दिया कि एक हाथ हुृदय पर रख कर तथा यह भावना के साथ कि यह कितने सोभाग्य की बात है कि वे आदिशवितके समक्ष गा रेहे हैं, वे पुनः गानों को गायें। इससे अत्याधिक अन्तर हुआ। उन्होने कहा कि पूजा के समय फोटो ले कर ध्यान को भंग न करे। अगर हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वे क्या कह रही है तो हमे अपने अंतःकरण से उन्हे समझने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने पूजा भाषण में क्या कहा यह बताना यहाँ संभव्ह नहीं हैं परन्तु टैप मिलने पर पाठकगण सुन सकते हैं। परन्तु यह और उपयुक्त था हमें निर्विचार ता कहना होगा कि पूर्ण पूजा और भजन इतना गहन, समयानुकुल के दूसरे संसार में, शांति के ऐसे सागर मे पहँचा दिया जहाँ प्रसन्नता का पारावार न था और हर लहर हम लागों की ज्ञान के उच्चतम सतह पर ले जा रही थी। 3to म श्री माताजी बहुत सुश थी कि उनकी चैतन्य लहीरयाँ सहजयोगी अपने मे समावेश कर पा रहे ती थे । पूजा के पश्चात उन्होने पुरु्षे को सिल्कके कुर्ता और कमीजें और स्त्रियों को सिल्क की साड़ियां बाँटी, जिन्होंने सहजयोग प्रसारण में कठेन प्रयत्न किया था। 9 मई, रविवार को हम लोगोंने सहजयोंग के पोस्टर हर मुख्य दुकान के शी्षों, सड़कों के कोनो पर देसे | सायंकाल के कार्यक्रम में सोरन्टो के इच्छुक व्यक्तियों की अच्छी उपस्थित थी। जिनको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हुआ उनमे डाक्टर इन्जीनियर और आर्कीटेक्ट थे। जब श्री माताजी खोजी लोगोंसे व्यक्तिगत रूप से मिल रही थी और उनकी बाधाको हल कर रही थी, इच्छुक हाल में भजन, गान और नृत्य चल रहा था। सभी जो प्रश्न पूँछे गमे थे वे आत्मसाक्षात पानेके इच्छुक सोजी जनोसे ये। जैसे ही औंतिम इच्छुक को आत्मसाक्षात्कार मिल गया आतिथर्बाजियों की ध्वनि की गई जैसे कि इस सुन्दर शहर सोरन्टी की इस सुन्दर ऐेतिहासिक घटना को शिखर पर पहुँचाया गया है। 8 मई सोमवार नेपल्स जाते हुए मार्ग में श्री माताजी पोम्पई शहर को देखने केलिए स्की, जो कि वे सुवियस की तलहटी में बसा हैं और जो रातभर में ही पत्थर और रक के देर में बदल गया था। श्री माताजी नें कहा कि यह इकदशा रुद्राका एक भाव है जिसने उस स्थान के अत्यधिक अहंकार हुइगो को अंकुश लगाया। इसके बाद योड़े समय के लिए वे टोरेडेल ग्रीसो कस्बे में रुकी जो संसारभर में सस्ते और सुन्दर मूँगो कोरल्स के लिए मशडूर है । नेपल्स के कार्यक्रम में भी को देखकर लगा कि श्री माताजी को ।988 के इस यहर के दौरे के अच्छे लाभ इस वर्ष मिल रहे थे। इस हाल के अन्दरकी सजावट एक अदृभुत किन्पकारी ढंग से की गयी थी। मुरानों शीशे के प्रकाश यंत्र, छत और दिवारों के पेंचीदे कार्य अपने कार्यक्रम के लिए पूर्ण पार्श्व का काम कर रहे थे। उनके आनेपर दूरदर्शन के लोग उनका इंटरव्यू नेपल्स लोगों के पूछने पर साक्षात्कार लैने को प्रतीक्षा कर रहे थे अच्छे प्रश्न किये गये थे। श्री माताजी नै कहा कि यहाँ के लोगों का सुन्दर और खुला दिल है, क्योंकि अपनी माँ के लिए उनके हृदय में बहुत प्यार और श्रद्दा है । हाल के दार पर एक स्त्री जिसको वरटिंगो की शिकायत धी, इंतजार कर रही थी श्री माताजी ने कुछ मिनटतक उसकी कुंडलिनी पर कार्य किया साफ किया और वह काफी राहत महसूस करने लगी। यह बहुत बड़ा हाल था और पूर्णतः भरा था और सभीको सामुहिक रूपसे आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हुआ। उनमेसे ।00 लोगों ने एक दिन के जागृति कोर्स में भाग लेने लिए अपना नाम दर्ज कराया। ३ कार्यक्रम के बाद श्री माताजी सबेरे तीन बजे रोम के निर्मल निवास में वापस आ गयी । रोम ৪. मई शाम रोम में स्टेशन के समीप एक बड़े कॅंद्रीय हाल में श्री माताजी का कार्यक्रम दो दिन के लिए था। यहाँ भी काफी लोग आये और उन्हे आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हुआ। पक महिला जो यकृत के कैन्सर से पीड़ित थी इस दो दिन के दौरान श्री माताजी से दो बार मिली उसे काफी आराम हुआ और साक्षाकार भी पायी। के श्री माताजी इतने सरलता और कस्णा साथ बोली की सभी लोग सहजयोगको सहज में लिया और अनुसरण कार्यक्रम में नियमित आने का वादा किया। रोम के मध्य में अगले दो मने तक सप्ताह के हर दिन कार्यक्रम रखा गया था| रोम के समीप मंगलभवन नाम का पएक दसरा आश्रम है। वहाँ पाँच साल से कम, सोलह िर बच्चे हैं, जिनसे मिलकर बहुत खुशी होती है वे चक और चैतन्य लहरी के ज्ञान में काफी प्रवीण है, वे काफी ज्ञानी, चुरुत और प्यारे हैं। । मई की शाम उन्होनें चार्ली चक्रापर सुन्दर नाटक श्री माताजी के लिय प्रदर्शित किया और सहजयोगके कुछ गीतोसेः नृत्य भी किया। रात्रिभोज कैलिप धयकती भट्टी से अकबरने बहुत स्वादिष्ट पीजा आश्रमके सहजयोगियोंके लिए पकाया। इसके बाद श्री माताजी बोली की बच्चो को कैसे पालना है, सहजयोग का प्रसार कैसे करना है और नये लोगोंसे कैसे पेश आना है उन्होंने कहा कि हमें नये लोगों को बताना चाहिए कि स्वर्ग के साम्राज्य में धोड़ीही जगह है और वह शीघ्र ही भर रही है अतः वे लोग शीघ्र आये और प्रवेश करे। स्पेन स्पैन 18 मई को करीब तीन बजे श्री माताजी स्पेनिस बायुबान आईबेरिया द्वारा यू - के इंग्लैंड से आई। उनका स्वागत व अभिनंदन मेडरिड व जरागोवा के सहज योगीयों ने किया। यू. के. के उंडे मौसम से स्पेन के उमस व गर्म, 33 सेन्टीग्रेड, तापमान में एूहुँचे श्री 1 माताजी शीघ्र दाहिनी तरफ को नीचे लाई कुछ क्षण में ही ठंडी हवा बहनी लगी और नीले आसमान में बादल आ गये। शहरके निचले भाग में एक होटल के सभाभवन मे कार्यक्रम रखा गया था और शहर जाते समय दुहरा इंद्रधनुष दिलाई दिया जो की जनकार्यक्रमवाले स्थान से ही उध्धारित होता प्रतीत हो रहा था। श्री माताजी के पोस्टर रास्ते में सभी मुख्य स्थानों पर लगे थे । श्री माताजी ने सलाह दिया कि यांदि नियमा नुसार पोस्टर लगा सकते है तो पोस्टर पर अपने केन्द्र का 6. पता भी लिखना चाहिए। हम यह भी लिख सकते है कि फौटो की तरफ हाथ की दोनों हथेलियाँ फैलाने से वे ठंडी ठंडी हवा महसूस कर सकते है। इस तरह से राह से गुजरने वालोको उनके श्री माताजी चले जाने बाद भी आत्मसाक्षात्कार मिल सकता है और केन्द्र से संपर्क भी कर सकते हैं। जब श्री माताजी आई तो हाल खचाखच भरा या। चारों तरफ लोग जमिन पर बैठे थे। यह सम्य और पढ़े लिसे जनौकी भीड़ थी और उन्होंने बुध्दीमानी के प्रश्न पूछे। अपने भाषण के बाद उनसे व्यक्तिगत रूपसे भिलकर और उन्हे अशिर्वादीत कर श्री माताजी बहुत सुश धी। से खोजी लोग थे जो गलत गुस्ओं से प्रभावित उनमें बहुत थे फिर भी आत्म साक्षातकार पायें। वही तुरन्त ठीक कर दिये गये। वहाँ कई व्यकि्तयों और स्पान्डाईलिटिस के विमार पोलियो ने भूत बाधा की शिकायत की और उन्छे भी ठीक किया जा रहा है कार्यक्रम रात्री के 12- 30 के करीब समाप्त हुआ लेकिन सभी सहज योगी इतने अध्कि नये लोगो को देख कर खश थे जिन्होने वादा किया कि अगले सप्ताहकेन्द्र पर उपस्थित होंगे । अगले दिन प्रातः श्री माताजीने बससोलोना जाने के लिए वायुमान लिया। वहाँ 200 के करीब सहज योगी गुलदस्ते लिए श्री माताजी के स्वागत के लिए खड़े थे। विना आराम किये. इसके बाद श्री माताजी जन सभाको संबोधित करने गई। हाल पुर्णतः भरा था और करीब सभी को जागृति मिली कुछ सोजी लोग गलत गुरूओं दावारा बास्तव मे बरबाद किये गये थे। एक आदमी जो योमनन्दा का शिष्य था सहस्त्रार के कैन्सर से भुगत रहा था उसे सक्ष्यत्कार प्राप्त हुआ और वह सुघार के मार्य पर है उनमे बहुत से टीपम सिदयोगा, बालयोगी और रजनीश बाले थे जिन्हे भी जागृती मिली। श्री माताजी की करूणा इतनी अधिक है कि इतनी अधिक गलतियों और चक्रो को नष्ट करने के बाबजूद उन्होने उनकी बाधाओं के सोख लिया और उन लोगों को क्षमा कर दिया। 2-2 ।/2 पंटे विश्राम के पक्षयात तडके सबेरे ही श्री माताजी श्री बुद्धपूजा के स्थानपर पहुँचने के निकल गई। यह काव्यमय, मनमोहक हरे भरे पहाडों से घिरा स्थान था। किसी को भी संदेह होगा कि यहाँ अधिक यात्री बसैलोना के इतने सुन्दर स्थान को देखने आते है। श्री माताजी को महसूस हुआ कि उस स्थान पर प्रकृतियु्के अमिनन्दन में नतमस्तक थी जहाँ चोटीपर इलफारेल होटल धा जिसमे पिछले दो रात सभी सहज योगी ठहरे थे। पुजा की व्यवस्था था, खुले स्थान पर की गई थी जहाँ से सारी घाटी दिखती थी। पर्वत के दूसरे और का दृश्य नासिक के नजदीक वरणी के सप्तश्रंगी मीदर के समान था। भूमी का रंग गणपत्ती पुले की मिट्टी जैसा था। यह एक सुअवसर था कि श्री बुद्ध पूजा स्पेन में हो रही थी। जन कार्यक्रम के समय से ही यह बिल्कुल स्पष्ट था कि स्पेन के खोजी लोगों का आज्ञा चक्र पकड़ा था क्यो कि वे आसानी गये मंत्रीं को जार्ज पढ़ने लगा से क्षमा नहीं कर पा रहे थे। जैसे ही सेनडियागो में कहे , अचानक उसे महसूस हुआ कि कुछ पन्ने गायब है और वह सहज में इच्छानुसार कहने लगा और वे ज्यादा असरदार हुए। श्रीमाता जी ने सहज और विनोद से भरा भाषण दिया। बहुत सुन्दर ढंग से उन्होने बुद्ध के जीवन का अभिप्राय और उसका हमारे लिए क्या महत्व है, को समझाया। उन्होने स्वयं को "हॅसमुख बुद्ध" बताया। इस पूजा का उनका संदेश धा कि सभी अहंकार से बचे और किस तरह से वह सबपर, श्री माताजीपर भी, आकरमण करता है। सभी कोई इसे देख सकते हैं केवल उस व्यक्ति के सिवा जिस पर उसका प्रभाव हुआ है। लोगों ने पूँछा कि हममें अहंकार क्यो उनके कारण नहीहै क्यों कि उन्होने हम सब को जागृति दी होता है। उन्होने कहा कि यह है और यह हम लोगो का दायित्य है कि हम इसे बना कर रसे और इसके पकड़ में न आये या इससे बचते रहे परंतु स्वयं का निरीक्षण करते रहें । उन्होने कहा कि हमें अपने प्रति सत्यवादी होना चाहिए। सत्य ही सब की शविति है और अपनी जागृतीसे हमें शर्म नहीं होना चाहिए। जैसे यह देवलोक है और सभी देवता यहाँ आये है पुजा के समय उन्होने कहा कि लगता है और आसन ग्रहण किये हैं। उन्होने आशा व्यक्त की कि कैमरे उसका फोटोग्राफ लीचेंगे । पूजा के पश्चात सभी देशों से आये नेताओं ने श्रीमाता जी को सुम्दर उपहार मेंट किये । स्पैन से माँ के लिए उपहार स्वर्प कुंआरी मेरी की इलग्रीको पेन्टिड्ग थी जिसे आठ नौ सहजयेगियों नै मिलकर बनाया था। यह कितनी ही सुन्दर थी और श्री माताजी उसे देखकर भावतिरेक रो पड़ी। श्री माताजी नै इस पेन्टिग केो पिछले वर्ष परेडो में मेड्ड में देखी थी, और इसे बहुत मसन्द किया था और बोली थी "उन सब की कुंडलियों को देखो" क्योकि सभी संतों के सिंह पर अग्नि शिखा प्रज्वलित थी। पूजा के बाद श्री माताजी ने कुछ विश्राम किया फिर पैशियोंपर आई और सहजयोगियों के साथ बैठी और फिलवार्ड की भलाई के लिए सहज योग के चमत्कार के बारे में उन लोगों से वार्तालाप किया। ৪ दूसरे स्थान के शाम के कार्यक्रम में पहले दिन से भी दुूने लोग थे। यह आश्चर्य की बात थी कि जोजे पार्टी -द्वारा प्रस्तुत किये गये भारतीय संगीत कार्यक्रम को भीडुने बहुत प्रसन्न किया। वे चुन में गा रहे थे औरलय पर थिरक रहे थे बसेलोना के भारतीयों को विश्वास नहीं हो रहा था कि पश्चिमी लोग हिन्दी, मराठी व संस्कृत इतने सुन्दर ढंग से बोल सकते थे। काफी लोगों को संगीत सुनते समय ही जागृति प्राप्त हो गई धी श्री माताजी को सारे चको को खोलने की विधि को नहीं करना पड़ा, उन लोगोंने हथेलियाँ फैलायी और चैतन्य को करने की पूष्टि कर दी। महसूस अदन हएकैनस आरम्भ करते हुए, लंदनके हीथरो हवाई अड्डे पर 25 मई को जाहाज के उान में देर हो गई। अदन में उत्तरने पर बादमे हमे ज्ञात हुआ कि वहाँ के सहजयोगियों को श्री माताजी ा के आने की तैयारी तथा उनके दौरे के प्रत्येक पहलू पर बारी की से विचार करने के लिए उतने समय की जरूरत थी। और उधर श्री माताजी को उनके जीवन और काम पर बनाई जाने वाली फ्ल्मि के बारे में श्री निक ग्रेनबी से संक्षेप में बातचीत की जरूरत वी। मार्ग में श्री माताजी ने ग्रीस के मौसम को सधारा और उनके पहँचने पर सहजयोगाय्यों ने उनको बताया कि चमत्कारिक ढंग से वहाँ के मौसम का तापकम । 0 सेन्टीग्रेड गिर गया है और उसके साथ-साध बेमीसमी बारिस हुई है । उन्मका हवाई अहुडे षर ন्चर्यजनक जोरदार स्वागत किया गया क्योंकि उनका ग्रस का पहला दौरा घा, इसलिए अन्य वैशों के बहतसे प्रतिनिधि दैव्य की सेवा में पुनः उपस्वित थे। ग्रीक नागरिको को मुनित दिलाने की कोशिश देख कर अति प्रसन्नता हुई। गुहडो रोमसे अपनी मरसिडीज कार श्री माताजी के प्रयोग के लिए लाये थे। के छर पर पहँचने के कुछ मिनटों बाद पक बुजुर्ग श्री माताजीके ग्रीक नेता स्टामाइटिस व्यवित द्वारा श्री माताजी के लिए एक आकाशनाणी स्यात्कार का प्रबंव किया गया और उसे भी साक्षात्कार के दौरान ही शीघ्र जागृति मिल गई। उसने श्री माताजी के प्रत अत्यधिक सम्मान व शिष्टाचार दिखाया और उसने श्री माताजी दारा किये जा रहे कार्य की ढूृढतापूर्वक सहमति दी। श्री माताजी को लंदन उनके घर से फोन आया कि वहाँ पानी की बहुत कमी हो गई है। उन्होंने इसे बंधन दिया और दूसरे दिन हम लोगोंने समाचार पदा कि लंदन के उत्तरी भाग में बाढ आगई है और पानी की समस्या से निपटने के लिए पानी भंडार में काफी पानी था श्री अधना की पूजा 25 मई को हुई। अयेना का अर्थ है आदिशवित। अथ माने आदि और येना माने माँ। पूजा सुबह मे होनी थी परन्तु रात के देर तक के कार्यक्रम के कारण की सारी तैयारियाँ करनी थी। श्री माताजी ने यह अगले दिन काफी देर शुरू हुई क्योकि पूजा बताया कि यह दोपहर के पहले की जा सकती थी परन्तु बाद में नही क्यों कि दोपहर से शाम 4 बजे तक देवगण सो जाते हैं, इस तरह पूजा 4 बजे शुरू हुई। पूजा के दौरान श्री माताजी ने अधेना और ग्रीस के आध्यत्मिकता के बारे में विस्तार से बताया इसका सारांश अगले अंक में दिया जायेगा? भापण के बाद श्री माताजी को एक कवच उपहार में दिया गया जो सरपों, एक माले और लाल कलगी सहित हेलमेट जैसे मुकुट से सजा या कर इस पर तीन नाड़ियाँ दर्शाई गई थी। एक सुनहरी रंग की छाती प्लेट धी जिस पर कुंडलिनी दिसाई गाई थी। मैटिस जिसने आदिर्शाविति फिलवार्ड ने सुकरातके क्षमायाचना के कुछ अंश पढे। फिर स्टे मुय के ।08 नाम की सोज पुरातन पुस्तकों से की थी, उन्हे पूजा के समय श्री माताजी के अर्थ सहित सुनाया इस दौरान चैतन्य लहरियाँ बहुत तेन थी श्री माताजीने, उनके पाँव पर डाले गये 5 तत्वोस, जो साधराणतया हाथ पर डाले जाते हैं, वास्तविक "चरणामृत" बताया और चैकन्य लहरियाँ अत्यधिक तीव्र धी। ईसहजयोगी अन्तरराष्ट्रीय समूह की तरफ से श्री माताजी को यूनानका पारम्पीरिक सुनहरा औगुठी और कंगन भेट किया गया युनानी सहजयोगियों की ओर से सभी बिदेशी सहजयोगीमों हवार को गमले में लगा जैतून का वृक्ष अपने साथ ले जाने के लिए दिया गया । उस दिन शाम को गैन्ड बिटाग्ने होटल में एक जन कार्यक्रम हुआ। जिसमें करीब 700 सत्य खोजी हाल मे भरे थे। उन्होने युनान की महान विरासत की चर्चा की। ग्रीक लोगों को बहुत पहले से सेकम हड्डी, कुडलिनी शक्ति और इसके चक्कों का ज्ञान धा। उन्होने कहा कि वै लोग प्रगति से आशिर्वादित थे। उदाहरणीर्य उन्नत जहाज रानी उद्योग फिर उनका पतन हुआ क्योकि वे अध्यत्मिकता को कायम न रख सके। कार्यक्रम के अधिकांश लोगों को जागृति मिल गई और वे अगले दिन आने का वादा किये । श्री माताजी को हर किसी को व्यक्ित गत रूप से मिलने के बाद कार्यक्रम । बजे 8ै सुबह । खतम हुआ। फिर हम सरायं में रात्रि भोज के लिए गये जहाँ हमने युनानी भोज राया और बौजोन किस तथा लोकगीत सुने। उसके बाद सहजयोगी मंच पर गये और संगीत गाये फिर श्री माताजी सुबह 4 बजे सोने के लिप गई। प्रातःकाल कुछ समाचार पत्रों ने रात्रि के कार्यक्रम का वृतान्त बहुत ओটेपन से छापा था। परन्तु फिर भी हाल खरचाखच भरा था 150 लोग अन्दर ये, होटल आधिकारियों ने d ট 10 सोचा कि इससे आधिक व्यवि्तयों को अगर अन्दर जाने दिया गया तो आग का खतरा होगा। करीब 75 व्यक्ति जो श्री माताजी को पिछले दिन नहीं देख पाये थे अधिकारियोंदारा अन्दर जाने पाये और वे मंच के चारों तरफ बैठे। जब श्री माताजी ने बताया कि मर्सडीज कार जिसका जिक्र आजके समाचार पत्र में किया गया हैं, वह उन्होने ही कृछ वर्ष पहले रोम आश्रम को भेट में दिया था। यह सुन कर श्रोताओं ने गडगडाहट से तालियाँ बजाई जो अभी तक उन बहुत ही सफल रहा। झूठे गुरूओं के आदी थे जो शिब्यों से चीजे छीनते डी है । कार्यक्रम त घरपर श्री माताजी ने बताया कि खोज के बहुतसे स्तर हैं। यह परिवार, घन या शव्ति पाने की होती हैं। लेकिन यह प्रवृत्ति सोजी को आनन्द नहीं देती, यह सिर्फ कष्ट ही देती है। ज्ञान से कोई ईश्वर को नहीं जान सकता। भवती ही उन तक पहुँचने का रास्ता है। उन्होंने वहाँ कबीरके गीतों को सहयोगियोंकेो समझाया और बहुत सी चमत्कारिक कहानियाँ सुनाई। वे 3 बजे सुबह सोई। हमे प्रात ःकी इस्तांबूल के लिए चमत्कार हुआ। करीब 20 सहजयोगी उसी उडान से जाना चाहते थे लिससे श्री माताजी जा रही थी और वह भरा था। जब हम '3 को प्रमाणित टिकट मिल गया तो स्टेमाइटिस ने हम लोगों की सहायता के लिए श्रीं माताजी से प्रार्थना किया। जब श्री माताजी ने बंधन दिया तो 12 व्यक्ति , जिनका सामान भी चेक हो चुका था और प्रमाणित टिकट भी था, अचानक न जाने का फैसला किया; और जहाज से उतर गये और सहजयोगी आ सके। इसीबीच, थोड़ी देर होने के कारण श्री माताजी ने याददाश्त स्वरूप यूनान की कुछ चीजे हवाई अड्डे से खरीदली। टर्की । इस्तंबूल में एक इंटैलियन महिला श्रीमती करला मोट्रिटनो हम लौगो की मेजबान थी उन्होने अकेले ही, गुहुडो और अकबर की सहायता से श्री माताजी के दौरे का प्रबंध किया और वे पहले ही सारे प्रबंध को ठीक-ठीक होने के लिए वहाँ जा चुके थे। कर आश्चर्य हो रहा था। युरोप मे ऐेसा पशियाई शहर उसकी मिनारे व मह्जिदें देख शहरे के परिवर्तन उसके विकास और स्क््छता को देख कर आश्चर्य चकित थी। श्री माताजी श्री माताजी नै टिप्पणी की कि त्क लोग बचे रहे क्यों कि उनका धर्म झठे गुरूं को मानने से बचाता है। पुष्प बहुत बड़े और सुगंधित ये। मौसम सबके लिए आश्चर्य का धा, दौरे के पहले, बारिस के बाद, मौसम ठंडा हो गया था। करला का घर बस-फौरस नदी के ठीक किनारे पर था और वहीँ से हम जहाजों को आते जाते, और मछुआरो को कृम में मछलियाँ पकड़ते देख सकते थे । दोपहर बाद श्री माताजीने इस्तंबूल के मध्य में पुराने वाजाराको देसा श्री माताजीने कुछ सामान खरीदा और वहाँ उपस्थित युरोपीय नेता पूजा के लिए चाँदी के ्ीशे के फ्रेम जिसके बार्डर और हैडिल पर काम किया गया धा, लरीदा। पाकिस्तान की बेनजीर भुटूटो भी वहाँ दौरे पर थी। सड़के वास्तवमें भरी हुई थी क्योंकि गुडुडी को कार पार्क करने की जगह न मिल पायी तो सड़क के बायें तरफ एक जगह रोक दिया। लौग वहाँ चिल्लाने लगे परन्तु वह मुड़कर मुस्करा कर कहा "मैं अपनी माँ को साथ लाया हूँ।" इससे सब का कोध शांत हो गया और श्री माताजी ने कहा, "देखो उनमें माँ के प्रति कितनी श्रध्दा है, वे समझते है।" पोस्टर और प्रचार बहुत अच्छी तरह से किया गया था, उन पर नीचे श्री माताजी के अवतार संबंधित कुरान के श्लोक लिखे थे। किसी मुस्लिम देश में महान कार्यक्रम आयोजित करने का यह प्रथम प्रयत्न था। लोगोने कार्यक्रम में बहुत अबोघ प्रश्न मुँछे। खन लोगो का विचार था कि भारतीय गुरू काँटो पर सोते हैं और श्री माताजी उनकी आशा के बिल्कुल विपरीत निकली। छोटे से भाषण के पश्चात "जागृति" दिया गया। 27 मई की प्रातःकाल 50 सहजयोगियोंने श्री बेगम पाशा पूजा देखी । श्री माताजी ने बताया कि हमे अपना हृदय समुद्रके समान विशाल बनाये रखना चाहिए और प्रेम की नदियों को इसमे बहने देना चाहिए। हममें आत्मसम्मान और दूसरसें के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए। हमें अपना विवेक प्रयोग कर मर्यादा की परिधि के अन्दर रहना चाहिए। हरमें अपना हृदय सोल कर श्री माताजी को उसमे विराजवाना चाहिए। वह क्षुद्र हृदय के लोगों में वास नहीं कर सकती इसलिप अपने हुदय को बढ़ा कर व्यापक बनाना चाहिए जिससे वह श्री माताजी के असीमित प्यार का समावेश कर सके। शाम का कार्यक्रम इस्तंबूल के हिल्टन होटल में बहुत सफल रहा जिसमें बहुत व्यवसायिक और कुछ संवाददाता आये। स्विस मंडली दारा संगीत का कार्यक्रम हुआ। जागृति के बाद बहुत लागों ने नियमित आने का वादा किये। अकबर और एनी पक आमोनियम सहजयोगी ग्रीस के? तदान्तर कार्यक्रम में नये सहजयोगिर्यों की सहायता के लिए रूक गये श्री माताजी टर्क्श हवाई जहाज से चली गई और आश्चर्यजनक शिष्टाचार और चैतन्य सेवा से बहुत प्रसन्न थी। उन्होने कहा कि भारत वापस जाते समय वह इस्तंबूल रूकेंगी और टकिश हवाई जहाज से फिर उड़ान करेगी। ---------------------- 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-0.txt चैकन्य लहरी मंड । अंक 6 जंक हिन्दी आवृत्ती े हीम भि ा क परमपूज्य श्री माताजी श्री निर्मला देवी ि MAHN 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-1.txt मंड । अंक 6 चैतन्य लहरी श्री माताजी का यरोप का महान दौरा - 1989 इंटली श्री माताजी के इस वर्ष का यूरोप का महान दोरा पूरे संसार के लिए इस अवतार के आने को ध्यान देने की अद्भुत घोषणा के साथ हुआ। यहाँ इटली में सभी जीवन धाराओं के लोग ऐसी अपूर्व अरघटित एवम् बेमिसाल ऐतिहासिक घटना को मान्यता तथा मनाने के लिए उपस्थित थे। यह वास्तव में हार्दिक खुशी की बात थी कि 35 से भी ज्यादा देशेों के करीब एक हज़ार सहजयोगी इस पृथ्वी के सबसे महान अधिक प्रमाणित, जीवित अवतार दवारा सहस्रार खोलने की ।9 वी वर्षगाँठ को मनाने के लिए इकत्रित हुए थे। ऐसे पवित्र स्थान पर अपने बहन-भाइयों के साथ एकत्रित होना वास्तव में सौभाग्य की बात थी। गोष्ठी हसेमिनार का शुभारंभ म मई को दोपहर में अतिपूजनीय श्री माताजी के नेपल्स हवाई अडूडेपर आगमन से शुरू हुआ। गुइडो को मौसम की अधिक चिन्ता थी क्योंकि पिछले दिनसे ही वर्षा श्री माताजी के आगमन के लिए शहर को घोकर स्वच्छ कर रही थी और निश्चित रूप से वह आई ओर उत्तम धूप मधुर मंद पवन भी अपने साध लाई। सभी सहजयोगी छोटे-छोटे बच्चो सहित वायुमान केन्द्र के लॉज में भजन गाते हुए तथा लाल और सुनहरे बैनर, जिसपर लिखा था "महान माँ का स्वागत" को पकड़े हुए प्रतीक्षारत थे। इटली की भूमि पर पुनः श्री माताजी का स्वागत करने के लिए सभी की अँखे प्रसन्नता से भरपूरित थी। जैसे श्री माताजी नेपल्स हवाई अड्डेसे ले जाई जा रही थीं उन्होने कहा कि यह थोड़ा अच्छा ही है कि इस क्षेत्र मे नकली गुरु अभी नहीं फैले हैं और सहस्त्रार पर कोई दबात नही है इससे काम अच्छा होगा। आगे बढ़ने से पहले नैपल्स की सुरक्षा में एक यटना कहना जरूरी है जो कि नैपल्स के चोरो के बारे में कही बात के बिपरीत है हवे आपके पहने जूतै से आपके अनजान में, मोजे चुराने के लिए मशहर है? हमने हवाई अडडेपर चुंगी दे दी थी। परन्तु अपने आगे बाली कार से संबंध न खोने के लिए हम लोग छुटरा (पैसा) नहीं लेना चाहते थे। शीघ्र ही एक पुलिसवाले ने आगे बढ़कर हमारी कार को रोक दिया। हम सोचने लर्गे कि हमने क्या अपराध कर दिया 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-2.txt २ है परन्तु उसने हमारा छुट्टा वापस किया, घन्यवाद दिया और लौट गया| सोरन्टो के कैम्प जिनमें हम रुके हुए थे गणपति पुले के उन घरों की याद दिला रहे थे जो समुद्रतट पर हैं। यह महसूस करना विस्मयकरी था कि वहाँ दिल को छूने वाली शॉति ग मई की रात को बिल्कुल नहीं सोंई और नई थी| यह एक खास बात थी कि श्री माताजी सहस्त्रार खुला रखने के लिए अधिक प्रयत्न करती रही जिससे इम लोग पूजा में अधिक से अधिक लाभ उठा सके। 5 मई, शुकवार का दिन कैप्री टापू पर नौका यात्रा के लिए निश्चत था । यह एक सुन्दर और सुहावनी सुबह धी और हम लोग अत्यन्त सुश थे कि श्री माताजी भी अन्य सहयोगियों के साथ कैप्री टापू पर एक बड्डी नौका में आ रही थीं। उन्होंने सारांश सूपसे हम लोगोंको बताया कि उनके पास छोटी-छोटी व्यक्तिगत समस्याये लेकर जाना हम लोगों की अपरिपक्वता हैं। हम व्यक्तिगत समस्यायों से ऊपर उठ कर सामूहिक समस्यायों को हल करने में मदद करें; हमें सभी जो व्यक्तिगत, आर्थिक, भावात्मक सहजयोग पर दायित्व न बनकर घरोहर बना चाहिए। समस्यायों से ग्रस्त हैं सामूहिक से अपने का अलग रक्से जब तक की वे पूर्णा स्वस्थ्य होकर? जम नहीं जाते। उन्होंने कहा कि मानिये आप जलयान पर है और आपको कैंची चाहिए और के आप उसके लिए परेशान है क्योंकि आप इसे नहीं पा रहे है परन्तु अगर जलबाम पर कैंची ा हैं ही नहीं तो इसके तलाश की समस्या क्यों खड़ी करना? कैप्री पर उतरनेके बाद इस टापू के एक तरफ श्री माताजी ने दो मशहूर चट्टाने समुद्रसे निकली हुई देखी जिसमें एक घनुषाकार थी। उन्होने कहा कि इसी तरह जेन गुरू प्रकृति की सहायता दारा इच्छुक सोजी जर्नोका निर्वाच स्थिति में आने का मार्गदर्शन करते थे। वहाँ बैठ और अदितीय द्वश्य का आनन्द लेने के उपरान्त हभूमध्य सागर इस क्षेत्र में अन्यधिक नीला है। हमें अकस्मात ही बैटरी चालित सामान गाडी श्री माताजी को बिठाने और केबल कार तक ले जाने के लिए प्राप्त हुई जो हमे बंदरगाह तक समय से नाव पकड़ने को ले गई इस तरह के अनोखे वाहन के साथ गाते और नाचते हुए हमारा सहज जलूस चला था। यह आश्चर्य है कि किस ढंग से श्री माताजी हमारी इच्छाओं के अनुरूप व्यवस्था करती हैं और उन्हे पूरा करने के लिए मार्ग व वाहन भी पैदा करती हैं । एक सहजयोगी जो मार्ग में फोटो खीचा धा कैप्री में उन्हें कवाया और श्री माताजी को भेट किया। कैमरे ने एक बार फिर से उनके सत्य रूप को चमत्कारित ढंग से दिलाया जिसको कृमश: फोटो दारा, कई फोटो से कोई भी स्पष्ट सू्प से देख सकता हैं। फोटो नं 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-3.txt में हम सब उनके पास बैठे भजन गा रहे हैं । फोटो नं 2. में हर चीज थोड़ी घुंदली हो महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती गई है। फोटो नं. 3 में उनके अन्दर तीनों शक्तियों को उठते हुए कोई भी देख सकता है। फोटा नं. 4 में महालक्ष्मी शवती उनके अज्ञाचक को पार करती हुई सहस्त्रार को भेदती है और कोई भी उनके चारों तरफ बिसरती हुए प्रकाश को देख सकता है । यह वास्तव मे चमत्कारिक पोटो था। 5 मई की रात को हम सोरन्टोके पक सभा भवन हहाल? मे गये जहाँ शहर के मेयर ने श्री माताजी और सहजयोगियों के लिए सांस्कृतिक नाच और गाने का इन्तजाम किया था और उन्हें सोरेन्टो के प्रतीक कुछ उपहार दिया। बहुत तेज व समृध्द गान और पारम्परिक वेशभूषा के नृत्य के बाद मंच स्वीटजरलैन्ड के भी जोजे के लिए साली कर दिया गया जिन्होंने सहज ढंग से कुछ जाने माने सहजयोगियों को प्रदर्शित कर हम लोगों का अत्याधिक मनोरंज किया । 6 मई की सुबह, 18 फीट की उँचाई से पीठ के बल सख्त जमीन पर गिरे हुए, एक बच्चे को श्री माताजी ने चमत्कारिक ढंग से बचाया। फिर वह सभी सहजयोगी नेताओं सें मिली और यूरोप के समस्त दारे को निर्धारित किया । जब तक वह पूजा के लिए आई चन्द्रमा की गई। मंच बहुत सुन्दर ढंग से सजाया पूजा का काले पक्ष का दोरा समाप्त हो चुका ा और ड गया था जिसमें श्री चका उनके सिंहासन के ऊपर धा जिसमें सात चक्राकार इवंमे जमीन की ओर थे, उनमे फल और लतायें लिपटी हुई थी। पाश्श्य में एक सहजयोगी ढवारा बनाया एक चिन्न था जो विराट में उत्कान्ति के ढंग को प्रदर्शित करता था। श्री माताजी पिछली रात केवल दो पंटे सोने के पश्चात भी सदा की तरह तरोताजा और दीप्तिमान दिख रही थी। पुजा का शुभारंभ हर बार जैसा हुआ परन्तु उन्होने बीच में हम लोगों के गाने को रोक कर सलाह दिया कि एक हाथ हुृदय पर रख कर तथा यह भावना के साथ कि यह कितने सोभाग्य की बात है कि वे आदिशवितके समक्ष गा रेहे हैं, वे पुनः गानों को गायें। इससे अत्याधिक अन्तर हुआ। उन्होने कहा कि पूजा के समय फोटो ले कर ध्यान को भंग न करे। अगर हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वे क्या कह रही है तो हमे अपने अंतःकरण से उन्हे समझने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने पूजा भाषण में क्या कहा यह बताना यहाँ संभव्ह नहीं हैं परन्तु टैप मिलने पर पाठकगण सुन सकते हैं। परन्तु यह और उपयुक्त था हमें निर्विचार ता कहना होगा कि पूर्ण पूजा और भजन इतना गहन, समयानुकुल के दूसरे संसार में, शांति के ऐसे सागर मे पहँचा दिया जहाँ प्रसन्नता का पारावार न था और हर लहर हम लागों की ज्ञान के उच्चतम सतह पर ले जा रही थी। 3to 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-4.txt म श्री माताजी बहुत सुश थी कि उनकी चैतन्य लहीरयाँ सहजयोगी अपने मे समावेश कर पा रहे ती थे । पूजा के पश्चात उन्होने पुरु्षे को सिल्कके कुर्ता और कमीजें और स्त्रियों को सिल्क की साड़ियां बाँटी, जिन्होंने सहजयोग प्रसारण में कठेन प्रयत्न किया था। 9 मई, रविवार को हम लोगोंने सहजयोंग के पोस्टर हर मुख्य दुकान के शी्षों, सड़कों के कोनो पर देसे | सायंकाल के कार्यक्रम में सोरन्टो के इच्छुक व्यक्तियों की अच्छी उपस्थित थी। जिनको आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हुआ उनमे डाक्टर इन्जीनियर और आर्कीटेक्ट थे। जब श्री माताजी खोजी लोगोंसे व्यक्तिगत रूप से मिल रही थी और उनकी बाधाको हल कर रही थी, इच्छुक हाल में भजन, गान और नृत्य चल रहा था। सभी जो प्रश्न पूँछे गमे थे वे आत्मसाक्षात पानेके इच्छुक सोजी जनोसे ये। जैसे ही औंतिम इच्छुक को आत्मसाक्षात्कार मिल गया आतिथर्बाजियों की ध्वनि की गई जैसे कि इस सुन्दर शहर सोरन्टी की इस सुन्दर ऐेतिहासिक घटना को शिखर पर पहुँचाया गया है। 8 मई सोमवार नेपल्स जाते हुए मार्ग में श्री माताजी पोम्पई शहर को देखने केलिए स्की, जो कि वे सुवियस की तलहटी में बसा हैं और जो रातभर में ही पत्थर और रक के देर में बदल गया था। श्री माताजी नें कहा कि यह इकदशा रुद्राका एक भाव है जिसने उस स्थान के अत्यधिक अहंकार हुइगो को अंकुश लगाया। इसके बाद योड़े समय के लिए वे टोरेडेल ग्रीसो कस्बे में रुकी जो संसारभर में सस्ते और सुन्दर मूँगो कोरल्स के लिए मशडूर है । नेपल्स के कार्यक्रम में भी को देखकर लगा कि श्री माताजी को ।988 के इस यहर के दौरे के अच्छे लाभ इस वर्ष मिल रहे थे। इस हाल के अन्दरकी सजावट एक अदृभुत किन्पकारी ढंग से की गयी थी। मुरानों शीशे के प्रकाश यंत्र, छत और दिवारों के पेंचीदे कार्य अपने कार्यक्रम के लिए पूर्ण पार्श्व का काम कर रहे थे। उनके आनेपर दूरदर्शन के लोग उनका इंटरव्यू नेपल्स लोगों के पूछने पर साक्षात्कार लैने को प्रतीक्षा कर रहे थे अच्छे प्रश्न किये गये थे। श्री माताजी नै कहा कि यहाँ के लोगों का सुन्दर और खुला दिल है, क्योंकि अपनी माँ के लिए उनके हृदय में बहुत प्यार और श्रद्दा है । हाल के दार पर एक स्त्री जिसको वरटिंगो की शिकायत धी, इंतजार कर रही थी श्री माताजी ने कुछ मिनटतक उसकी कुंडलिनी पर कार्य किया साफ किया और वह काफी राहत महसूस करने लगी। यह बहुत बड़ा हाल था और पूर्णतः भरा था और सभीको सामुहिक रूपसे आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हुआ। उनमेसे ।00 लोगों ने एक दिन के जागृति कोर्स में भाग लेने लिए अपना नाम दर्ज कराया। 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-5.txt ३ कार्यक्रम के बाद श्री माताजी सबेरे तीन बजे रोम के निर्मल निवास में वापस आ गयी । रोम ৪. मई शाम रोम में स्टेशन के समीप एक बड़े कॅंद्रीय हाल में श्री माताजी का कार्यक्रम दो दिन के लिए था। यहाँ भी काफी लोग आये और उन्हे आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हुआ। पक महिला जो यकृत के कैन्सर से पीड़ित थी इस दो दिन के दौरान श्री माताजी से दो बार मिली उसे काफी आराम हुआ और साक्षाकार भी पायी। के श्री माताजी इतने सरलता और कस्णा साथ बोली की सभी लोग सहजयोगको सहज में लिया और अनुसरण कार्यक्रम में नियमित आने का वादा किया। रोम के मध्य में अगले दो मने तक सप्ताह के हर दिन कार्यक्रम रखा गया था| रोम के समीप मंगलभवन नाम का पएक दसरा आश्रम है। वहाँ पाँच साल से कम, सोलह िर बच्चे हैं, जिनसे मिलकर बहुत खुशी होती है वे चक और चैतन्य लहरी के ज्ञान में काफी प्रवीण है, वे काफी ज्ञानी, चुरुत और प्यारे हैं। । मई की शाम उन्होनें चार्ली चक्रापर सुन्दर नाटक श्री माताजी के लिय प्रदर्शित किया और सहजयोगके कुछ गीतोसेः नृत्य भी किया। रात्रिभोज कैलिप धयकती भट्टी से अकबरने बहुत स्वादिष्ट पीजा आश्रमके सहजयोगियोंके लिए पकाया। इसके बाद श्री माताजी बोली की बच्चो को कैसे पालना है, सहजयोग का प्रसार कैसे करना है और नये लोगोंसे कैसे पेश आना है उन्होंने कहा कि हमें नये लोगों को बताना चाहिए कि स्वर्ग के साम्राज्य में धोड़ीही जगह है और वह शीघ्र ही भर रही है अतः वे लोग शीघ्र आये और प्रवेश करे। स्पेन स्पैन 18 मई को करीब तीन बजे श्री माताजी स्पेनिस बायुबान आईबेरिया द्वारा यू - के इंग्लैंड से आई। उनका स्वागत व अभिनंदन मेडरिड व जरागोवा के सहज योगीयों ने किया। यू. के. के उंडे मौसम से स्पेन के उमस व गर्म, 33 सेन्टीग्रेड, तापमान में एूहुँचे श्री 1 माताजी शीघ्र दाहिनी तरफ को नीचे लाई कुछ क्षण में ही ठंडी हवा बहनी लगी और नीले आसमान में बादल आ गये। शहरके निचले भाग में एक होटल के सभाभवन मे कार्यक्रम रखा गया था और शहर जाते समय दुहरा इंद्रधनुष दिलाई दिया जो की जनकार्यक्रमवाले स्थान से ही उध्धारित होता प्रतीत हो रहा था। श्री माताजी के पोस्टर रास्ते में सभी मुख्य स्थानों पर लगे थे । श्री माताजी ने सलाह दिया कि यांदि नियमा नुसार पोस्टर लगा सकते है तो पोस्टर पर अपने केन्द्र का 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-6.txt 6. पता भी लिखना चाहिए। हम यह भी लिख सकते है कि फौटो की तरफ हाथ की दोनों हथेलियाँ फैलाने से वे ठंडी ठंडी हवा महसूस कर सकते है। इस तरह से राह से गुजरने वालोको उनके श्री माताजी चले जाने बाद भी आत्मसाक्षात्कार मिल सकता है और केन्द्र से संपर्क भी कर सकते हैं। जब श्री माताजी आई तो हाल खचाखच भरा या। चारों तरफ लोग जमिन पर बैठे थे। यह सम्य और पढ़े लिसे जनौकी भीड़ थी और उन्होंने बुध्दीमानी के प्रश्न पूछे। अपने भाषण के बाद उनसे व्यक्तिगत रूपसे भिलकर और उन्हे अशिर्वादीत कर श्री माताजी बहुत सुश धी। से खोजी लोग थे जो गलत गुस्ओं से प्रभावित उनमें बहुत थे फिर भी आत्म साक्षातकार पायें। वही तुरन्त ठीक कर दिये गये। वहाँ कई व्यकि्तयों और स्पान्डाईलिटिस के विमार पोलियो ने भूत बाधा की शिकायत की और उन्छे भी ठीक किया जा रहा है कार्यक्रम रात्री के 12- 30 के करीब समाप्त हुआ लेकिन सभी सहज योगी इतने अध्कि नये लोगो को देख कर खश थे जिन्होने वादा किया कि अगले सप्ताहकेन्द्र पर उपस्थित होंगे । अगले दिन प्रातः श्री माताजीने बससोलोना जाने के लिए वायुमान लिया। वहाँ 200 के करीब सहज योगी गुलदस्ते लिए श्री माताजी के स्वागत के लिए खड़े थे। विना आराम किये. इसके बाद श्री माताजी जन सभाको संबोधित करने गई। हाल पुर्णतः भरा था और करीब सभी को जागृति मिली कुछ सोजी लोग गलत गुरूओं दावारा बास्तव मे बरबाद किये गये थे। एक आदमी जो योमनन्दा का शिष्य था सहस्त्रार के कैन्सर से भुगत रहा था उसे सक्ष्यत्कार प्राप्त हुआ और वह सुघार के मार्य पर है उनमे बहुत से टीपम सिदयोगा, बालयोगी और रजनीश बाले थे जिन्हे भी जागृती मिली। श्री माताजी की करूणा इतनी अधिक है कि इतनी अधिक गलतियों और चक्रो को नष्ट करने के बाबजूद उन्होने उनकी बाधाओं के सोख लिया और उन लोगों को क्षमा कर दिया। 2-2 ।/2 पंटे विश्राम के पक्षयात तडके सबेरे ही श्री माताजी श्री बुद्धपूजा के स्थानपर पहुँचने के निकल गई। यह काव्यमय, मनमोहक हरे भरे पहाडों से घिरा स्थान था। किसी को भी संदेह होगा कि यहाँ अधिक यात्री बसैलोना के इतने सुन्दर स्थान को देखने आते है। श्री माताजी को महसूस हुआ कि उस स्थान पर प्रकृतियु्के अमिनन्दन में नतमस्तक थी जहाँ चोटीपर इलफारेल होटल धा जिसमे पिछले दो रात सभी सहज योगी ठहरे थे। पुजा की व्यवस्था था, खुले स्थान पर की गई थी जहाँ से सारी घाटी दिखती थी। पर्वत के दूसरे और का दृश्य 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-7.txt नासिक के नजदीक वरणी के सप्तश्रंगी मीदर के समान था। भूमी का रंग गणपत्ती पुले की मिट्टी जैसा था। यह एक सुअवसर था कि श्री बुद्ध पूजा स्पेन में हो रही थी। जन कार्यक्रम के समय से ही यह बिल्कुल स्पष्ट था कि स्पेन के खोजी लोगों का आज्ञा चक्र पकड़ा था क्यो कि वे आसानी गये मंत्रीं को जार्ज पढ़ने लगा से क्षमा नहीं कर पा रहे थे। जैसे ही सेनडियागो में कहे , अचानक उसे महसूस हुआ कि कुछ पन्ने गायब है और वह सहज में इच्छानुसार कहने लगा और वे ज्यादा असरदार हुए। श्रीमाता जी ने सहज और विनोद से भरा भाषण दिया। बहुत सुन्दर ढंग से उन्होने बुद्ध के जीवन का अभिप्राय और उसका हमारे लिए क्या महत्व है, को समझाया। उन्होने स्वयं को "हॅसमुख बुद्ध" बताया। इस पूजा का उनका संदेश धा कि सभी अहंकार से बचे और किस तरह से वह सबपर, श्री माताजीपर भी, आकरमण करता है। सभी कोई इसे देख सकते हैं केवल उस व्यक्ति के सिवा जिस पर उसका प्रभाव हुआ है। लोगों ने पूँछा कि हममें अहंकार क्यो उनके कारण नहीहै क्यों कि उन्होने हम सब को जागृति दी होता है। उन्होने कहा कि यह है और यह हम लोगो का दायित्य है कि हम इसे बना कर रसे और इसके पकड़ में न आये या इससे बचते रहे परंतु स्वयं का निरीक्षण करते रहें । उन्होने कहा कि हमें अपने प्रति सत्यवादी होना चाहिए। सत्य ही सब की शविति है और अपनी जागृतीसे हमें शर्म नहीं होना चाहिए। जैसे यह देवलोक है और सभी देवता यहाँ आये है पुजा के समय उन्होने कहा कि लगता है और आसन ग्रहण किये हैं। उन्होने आशा व्यक्त की कि कैमरे उसका फोटोग्राफ लीचेंगे । पूजा के पश्चात सभी देशों से आये नेताओं ने श्रीमाता जी को सुम्दर उपहार मेंट किये । स्पैन से माँ के लिए उपहार स्वर्प कुंआरी मेरी की इलग्रीको पेन्टिड्ग थी जिसे आठ नौ सहजयेगियों नै मिलकर बनाया था। यह कितनी ही सुन्दर थी और श्री माताजी उसे देखकर भावतिरेक रो पड़ी। श्री माताजी नै इस पेन्टिग केो पिछले वर्ष परेडो में मेड्ड में देखी थी, और इसे बहुत मसन्द किया था और बोली थी "उन सब की कुंडलियों को देखो" क्योकि सभी संतों के सिंह पर अग्नि शिखा प्रज्वलित थी। पूजा के बाद श्री माताजी ने कुछ विश्राम किया फिर पैशियोंपर आई और सहजयोगियों के साथ बैठी और फिलवार्ड की भलाई के लिए सहज योग के चमत्कार के बारे में उन लोगों से वार्तालाप किया। 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-8.txt ৪ दूसरे स्थान के शाम के कार्यक्रम में पहले दिन से भी दुूने लोग थे। यह आश्चर्य की बात थी कि जोजे पार्टी -द्वारा प्रस्तुत किये गये भारतीय संगीत कार्यक्रम को भीडुने बहुत प्रसन्न किया। वे चुन में गा रहे थे औरलय पर थिरक रहे थे बसेलोना के भारतीयों को विश्वास नहीं हो रहा था कि पश्चिमी लोग हिन्दी, मराठी व संस्कृत इतने सुन्दर ढंग से बोल सकते थे। काफी लोगों को संगीत सुनते समय ही जागृति प्राप्त हो गई धी श्री माताजी को सारे चको को खोलने की विधि को नहीं करना पड़ा, उन लोगोंने हथेलियाँ फैलायी और चैतन्य को करने की पूष्टि कर दी। महसूस अदन हएकैनस आरम्भ करते हुए, लंदनके हीथरो हवाई अड्डे पर 25 मई को जाहाज के उान में देर हो गई। अदन में उत्तरने पर बादमे हमे ज्ञात हुआ कि वहाँ के सहजयोगियों को श्री माताजी ा के आने की तैयारी तथा उनके दौरे के प्रत्येक पहलू पर बारी की से विचार करने के लिए उतने समय की जरूरत थी। और उधर श्री माताजी को उनके जीवन और काम पर बनाई जाने वाली फ्ल्मि के बारे में श्री निक ग्रेनबी से संक्षेप में बातचीत की जरूरत वी। मार्ग में श्री माताजी ने ग्रीस के मौसम को सधारा और उनके पहँचने पर सहजयोगाय्यों ने उनको बताया कि चमत्कारिक ढंग से वहाँ के मौसम का तापकम । 0 सेन्टीग्रेड गिर गया है और उसके साथ-साध बेमीसमी बारिस हुई है । उन्मका हवाई अहुडे षर ন्चर्यजनक जोरदार स्वागत किया गया क्योंकि उनका ग्रस का पहला दौरा घा, इसलिए अन्य वैशों के बहतसे प्रतिनिधि दैव्य की सेवा में पुनः उपस्वित थे। ग्रीक नागरिको को मुनित दिलाने की कोशिश देख कर अति प्रसन्नता हुई। गुहडो रोमसे अपनी मरसिडीज कार श्री माताजी के प्रयोग के लिए लाये थे। के छर पर पहँचने के कुछ मिनटों बाद पक बुजुर्ग श्री माताजीके ग्रीक नेता स्टामाइटिस व्यवित द्वारा श्री माताजी के लिए एक आकाशनाणी स्यात्कार का प्रबंव किया गया और उसे भी साक्षात्कार के दौरान ही शीघ्र जागृति मिल गई। उसने श्री माताजी के प्रत अत्यधिक सम्मान व शिष्टाचार दिखाया और उसने श्री माताजी दारा किये जा रहे कार्य की ढूृढतापूर्वक सहमति दी। श्री माताजी को लंदन उनके घर से फोन आया कि वहाँ पानी की बहुत कमी हो गई है। उन्होंने इसे बंधन दिया और दूसरे दिन हम लोगोंने समाचार पदा कि लंदन के उत्तरी भाग में बाढ आगई है और पानी की समस्या से निपटने के लिए पानी भंडार में काफी पानी था श्री अधना की पूजा 25 मई को हुई। अयेना का अर्थ है आदिशवित। अथ माने आदि और येना माने माँ। पूजा सुबह मे होनी थी परन्तु रात के देर तक के कार्यक्रम के कारण 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-9.txt की सारी तैयारियाँ करनी थी। श्री माताजी ने यह अगले दिन काफी देर शुरू हुई क्योकि पूजा बताया कि यह दोपहर के पहले की जा सकती थी परन्तु बाद में नही क्यों कि दोपहर से शाम 4 बजे तक देवगण सो जाते हैं, इस तरह पूजा 4 बजे शुरू हुई। पूजा के दौरान श्री माताजी ने अधेना और ग्रीस के आध्यत्मिकता के बारे में विस्तार से बताया इसका सारांश अगले अंक में दिया जायेगा? भापण के बाद श्री माताजी को एक कवच उपहार में दिया गया जो सरपों, एक माले और लाल कलगी सहित हेलमेट जैसे मुकुट से सजा या कर इस पर तीन नाड़ियाँ दर्शाई गई थी। एक सुनहरी रंग की छाती प्लेट धी जिस पर कुंडलिनी दिसाई गाई थी। मैटिस जिसने आदिर्शाविति फिलवार्ड ने सुकरातके क्षमायाचना के कुछ अंश पढे। फिर स्टे मुय के ।08 नाम की सोज पुरातन पुस्तकों से की थी, उन्हे पूजा के समय श्री माताजी के अर्थ सहित सुनाया इस दौरान चैतन्य लहरियाँ बहुत तेन थी श्री माताजीने, उनके पाँव पर डाले गये 5 तत्वोस, जो साधराणतया हाथ पर डाले जाते हैं, वास्तविक "चरणामृत" बताया और चैकन्य लहरियाँ अत्यधिक तीव्र धी। ईसहजयोगी अन्तरराष्ट्रीय समूह की तरफ से श्री माताजी को यूनानका पारम्पीरिक सुनहरा औगुठी और कंगन भेट किया गया युनानी सहजयोगियों की ओर से सभी बिदेशी सहजयोगीमों हवार को गमले में लगा जैतून का वृक्ष अपने साथ ले जाने के लिए दिया गया । उस दिन शाम को गैन्ड बिटाग्ने होटल में एक जन कार्यक्रम हुआ। जिसमें करीब 700 सत्य खोजी हाल मे भरे थे। उन्होने युनान की महान विरासत की चर्चा की। ग्रीक लोगों को बहुत पहले से सेकम हड्डी, कुडलिनी शक्ति और इसके चक्कों का ज्ञान धा। उन्होने कहा कि वै लोग प्रगति से आशिर्वादित थे। उदाहरणीर्य उन्नत जहाज रानी उद्योग फिर उनका पतन हुआ क्योकि वे अध्यत्मिकता को कायम न रख सके। कार्यक्रम के अधिकांश लोगों को जागृति मिल गई और वे अगले दिन आने का वादा किये । श्री माताजी को हर किसी को व्यक्ित गत रूप से मिलने के बाद कार्यक्रम । बजे 8ै सुबह । खतम हुआ। फिर हम सरायं में रात्रि भोज के लिए गये जहाँ हमने युनानी भोज राया और बौजोन किस तथा लोकगीत सुने। उसके बाद सहजयोगी मंच पर गये और संगीत गाये फिर श्री माताजी सुबह 4 बजे सोने के लिप गई। प्रातःकाल कुछ समाचार पत्रों ने रात्रि के कार्यक्रम का वृतान्त बहुत ओটेपन से छापा था। परन्तु फिर भी हाल खरचाखच भरा था 150 लोग अन्दर ये, होटल आधिकारियों ने d ট 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-10.txt 10 सोचा कि इससे आधिक व्यवि्तयों को अगर अन्दर जाने दिया गया तो आग का खतरा होगा। करीब 75 व्यक्ति जो श्री माताजी को पिछले दिन नहीं देख पाये थे अधिकारियोंदारा अन्दर जाने पाये और वे मंच के चारों तरफ बैठे। जब श्री माताजी ने बताया कि मर्सडीज कार जिसका जिक्र आजके समाचार पत्र में किया गया हैं, वह उन्होने ही कृछ वर्ष पहले रोम आश्रम को भेट में दिया था। यह सुन कर श्रोताओं ने गडगडाहट से तालियाँ बजाई जो अभी तक उन बहुत ही सफल रहा। झूठे गुरूओं के आदी थे जो शिब्यों से चीजे छीनते डी है । कार्यक्रम त घरपर श्री माताजी ने बताया कि खोज के बहुतसे स्तर हैं। यह परिवार, घन या शव्ति पाने की होती हैं। लेकिन यह प्रवृत्ति सोजी को आनन्द नहीं देती, यह सिर्फ कष्ट ही देती है। ज्ञान से कोई ईश्वर को नहीं जान सकता। भवती ही उन तक पहुँचने का रास्ता है। उन्होंने वहाँ कबीरके गीतों को सहयोगियोंकेो समझाया और बहुत सी चमत्कारिक कहानियाँ सुनाई। वे 3 बजे सुबह सोई। हमे प्रात ःकी इस्तांबूल के लिए चमत्कार हुआ। करीब 20 सहजयोगी उसी उडान से जाना चाहते थे लिससे श्री माताजी जा रही थी और वह भरा था। जब हम '3 को प्रमाणित टिकट मिल गया तो स्टेमाइटिस ने हम लोगों की सहायता के लिए श्रीं माताजी से प्रार्थना किया। जब श्री माताजी ने बंधन दिया तो 12 व्यक्ति , जिनका सामान भी चेक हो चुका था और प्रमाणित टिकट भी था, अचानक न जाने का फैसला किया; और जहाज से उतर गये और सहजयोगी आ सके। इसीबीच, थोड़ी देर होने के कारण श्री माताजी ने याददाश्त स्वरूप यूनान की कुछ चीजे हवाई अड्डे से खरीदली। टर्की । इस्तंबूल में एक इंटैलियन महिला श्रीमती करला मोट्रिटनो हम लौगो की मेजबान थी उन्होने अकेले ही, गुहुडो और अकबर की सहायता से श्री माताजी के दौरे का प्रबंध किया और वे पहले ही सारे प्रबंध को ठीक-ठीक होने के लिए वहाँ जा चुके थे। कर आश्चर्य हो रहा था। युरोप मे ऐेसा पशियाई शहर उसकी मिनारे व मह्जिदें देख शहरे के परिवर्तन उसके विकास और स्क््छता को देख कर आश्चर्य चकित थी। श्री माताजी श्री माताजी नै टिप्पणी की कि त्क लोग बचे रहे क्यों कि उनका धर्म झठे गुरूं को मानने से बचाता है। पुष्प बहुत बड़े और सुगंधित ये। मौसम सबके लिए आश्चर्य का धा, दौरे के पहले, बारिस के बाद, मौसम ठंडा हो गया था। करला का घर बस-फौरस नदी के ठीक किनारे पर 1989_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_6.pdf-page-11.txt था और वहीँ से हम जहाजों को आते जाते, और मछुआरो को कृम में मछलियाँ पकड़ते देख सकते थे । दोपहर बाद श्री माताजीने इस्तंबूल के मध्य में पुराने वाजाराको देसा श्री माताजीने कुछ सामान खरीदा और वहाँ उपस्थित युरोपीय नेता पूजा के लिए चाँदी के ्ीशे के फ्रेम जिसके बार्डर और हैडिल पर काम किया गया धा, लरीदा। पाकिस्तान की बेनजीर भुटूटो भी वहाँ दौरे पर थी। सड़के वास्तवमें भरी हुई थी क्योंकि गुडुडी को कार पार्क करने की जगह न मिल पायी तो सड़क के बायें तरफ एक जगह रोक दिया। लौग वहाँ चिल्लाने लगे परन्तु वह मुड़कर मुस्करा कर कहा "मैं अपनी माँ को साथ लाया हूँ।" इससे सब का कोध शांत हो गया और श्री माताजी ने कहा, "देखो उनमें माँ के प्रति कितनी श्रध्दा है, वे समझते है।" पोस्टर और प्रचार बहुत अच्छी तरह से किया गया था, उन पर नीचे श्री माताजी के अवतार संबंधित कुरान के श्लोक लिखे थे। किसी मुस्लिम देश में महान कार्यक्रम आयोजित करने का यह प्रथम प्रयत्न था। लोगोने कार्यक्रम में बहुत अबोघ प्रश्न मुँछे। खन लोगो का विचार था कि भारतीय गुरू काँटो पर सोते हैं और श्री माताजी उनकी आशा के बिल्कुल विपरीत निकली। छोटे से भाषण के पश्चात "जागृति" दिया गया। 27 मई की प्रातःकाल 50 सहजयोगियोंने श्री बेगम पाशा पूजा देखी । श्री माताजी ने बताया कि हमे अपना हृदय समुद्रके समान विशाल बनाये रखना चाहिए और प्रेम की नदियों को इसमे बहने देना चाहिए। हममें आत्मसम्मान और दूसरसें के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए। हमें अपना विवेक प्रयोग कर मर्यादा की परिधि के अन्दर रहना चाहिए। हरमें अपना हृदय सोल कर श्री माताजी को उसमे विराजवाना चाहिए। वह क्षुद्र हृदय के लोगों में वास नहीं कर सकती इसलिप अपने हुदय को बढ़ा कर व्यापक बनाना चाहिए जिससे वह श्री माताजी के असीमित प्यार का समावेश कर सके। शाम का कार्यक्रम इस्तंबूल के हिल्टन होटल में बहुत सफल रहा जिसमें बहुत व्यवसायिक और कुछ संवाददाता आये। स्विस मंडली दारा संगीत का कार्यक्रम हुआ। जागृति के बाद बहुत लागों ने नियमित आने का वादा किये। अकबर और एनी पक आमोनियम सहजयोगी ग्रीस के? तदान्तर कार्यक्रम में नये सहजयोगिर्यों की सहायता के लिए रूक गये श्री माताजी टर्क्श हवाई जहाज से चली गई और आश्चर्यजनक शिष्टाचार और चैतन्य सेवा से बहुत प्रसन्न थी। उन्होने कहा कि भारत वापस जाते समय वह इस्तंबूल रूकेंगी और टकिश हवाई जहाज से फिर उड़ान करेगी।