NIRMALA DRARM खंड : XIV अंक : 11 व 12 नवम्बर - दिसम्बर, 2002 चैतन्य लहरी PURE BELIGIO लब मा जो लोग सहजयोगी नहीं, उनसे आप अवश्य प्रेम करें और उन्हें आल्म साक्षात्कार दें। बिर्स ला देवी मालाी NOIDIIN PAHSIN UNIVERSA दन सहजयोग का अर्थ 11.11.79 पति चिकित्सा सम्मेलन 15 2.04.2002 ईस्टर पूजा 23 21.04.2002 32 सहस्रार पूजा - 5.05.2002 श्रीमाताजी चीन में 16-19 दिसंबर, 2001 43 विराट के अंग-प्रत्यंग, हाँग-काँग, 18 दिसम्बर, 2001 46 मेरा हार्दिक प्रणाम 49 2क। सहजयोग का अर्थ London 11.11.79 परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन सहजयोग आपके अन्दर जीवाणु की तरह आडोलन एक के बाद एक क्रिया आदि एक से विद्यमान है । यह आपके अन्दर जन्मी हुई दूसरी तरह के आड़ोलन के माध्यम से होता चीज़ है। व्यक्ति के अन्दर ये अन्तर्जात होती है जो अवययों में मौजूद है जैसे पेट स्वतः है, स्वतः इसका अंकुरण होता है और खाए हुए पदार्थ को नीचे को धकेलता है। ये अभिव्यक्ति होती है । बिल्कुल वैसे ही जैसे सब आपके मस्तिष्क से आता है । अनुकंपी आप छोटे से बीज को अंकुरित होकर वृक्ष नाडीतन्त्र और पराअनुकम्पी नाड़ी तन्त्र बनते हुए देखते हैं। यही सहजयोग है । अन्य (Sympathetic, सभी योग जो इसके साथ-साथ चलते हैं, वे गतिशील हो उठते हैं और इसे कार्यान्वित सब सहजयोग के ही अंग-प्रत्यंग हैं। इन्हें करते हैं। ये एक बहुत बड़ी प्रणाली है और इससे अलग नहीं किया जा सकता । मुझे एक बहुत बड़ी संस्था है जो ये कार्य कर लगता है कि लोगों में कुछ गलत-फहमी है। रही है आप यदि इसे पृथक करना चाहें तो योग के चार अंग होते हैं। ये सोचना भी पाचन प्रणाली भिन्न है, मस्तिष्क प्रणाली गलतफहमी न होगी कि वे अलग-अलग हैं। भिन्न है, स्नायु प्रणाली भिन्न है। आप इन्हें जब हम कहते हैं कि हमने खाना खाया है इस तरह से अलग नहीं कर सकते कि तो इसका अर्थ ये नहीं होता कि बोल्ट की आपका मस्तिष्क एक तरफ लटका रहे तथा तरह से ये हमारे शरीर में चला गया और पाचन प्रणाली दूसरी ओर। इस जीवन्त Parasympathetic) 1 फिर बोल्ट की तरह से ही शरीर से बाहर संस्था का ये समग्र रूप है। ये संस्था एक निकल गया क्या ऐसा हो सकता है? दूसरे अवयव को समझती है और उनकी इसका अर्थ ये है कि आपने अपने मुह में इस माँगों पर प्रतिक्रिया करती है। इस प्रणाली खाने को चखा, इसका अर्थ ये है कि अपने को आप अलग-अलग नहीं कर सकते। मुँह में आपने लार (Saliva) का उत्सर्जन परन्तु हमारे मस्तिष्क इत ने विधाटित किया और बाद में यह अन्य अवयवों में गया, (Disintegrated) है या ये कहें कि हमारे वाहिका (Trachea) में से गुजरा फिर ग्रास नली (Oesophagus) में से पेट के एक भाग विधटित करने में इतने कुशल हैं कि हम में पहुँचा, फिर छोटी-आत में गया और इस जीवन्त चीज़ - योग (Yoga) को भी तत्पश्चात् बड़ी आँत में पहुँचा। यह सारा विघटित कर देना चाहते हैं। योग संस्था अन्दर की और बाहर की हर चीज़ को ा मृत नवम्बर-दिसम्बर 2002 2 पैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 ये शरीर जीवन्त है ये मृत शरीर नहीं है । नहीं है। यह एक जीवन्त प्रक्रिया है पूर्णतः जीवन्त प्रक्रिया जीवन्त प्रक्रिया होने के जो भी चीज़ जीवन्त है उसकी भली-भाँति कारण आप इसके विषय में कुछ नहीं कर देखभाल होती है, उसका आयोजन किया सकते। अतः यह सहज है। अधिक से जाता है और ये सब कार्य जीवन्त रूप से अधिक आप इसे थोड़ा बहुत इधर-उधर कर किया जाता है। ये बात आप नहीं समझ पाते सकते हैं, थोड़ा बहुत धकेल सकते हैं, बस। क्योंकि हम मृत चीजों पर ही कार्य करते हैं । जैसे एक पेड़ बढ़ रहा है। जापान में लोग मान लो मुझे ये यन्त्र चालू करना है तो मुझे पेड़ को एक विशेष आकार देना चाहते हैं तो इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि इसकी वे पहले एक डाली को काटते हैं, उसे कुछ एक तार है जो मुझे ऊर्जा स्रोत से जोड़नी ज्यादा मोड़ देते हैं, फिर दूसरी डाली को पड़ेगी, तभी ये यंत्र कार्य करेगा मैं सदैव काटकर उसे मोड़ते हैं और इस प्रकार से कहती हैँ कि सहजयोग ऐसा ही है कि आप पेड़ को विशेष आकार देते हैं । परन्तु जो भी अपनी तार को निकालकर ऊर्जा स्रोत से चीज़ जीवन्त है वह हमारे अन्दर बहुत सी जोड़ दें। परन्तु क्या आप सोचते हैं कि ये जटिल संस्थाओं के साथ मिलकर स्वतः ही इतना सुगम है? क्या आपको इस बात पर ये संस्थाएं भी जीवन्त हैं और विश्वास है कि आपने कुण्डलिनी को वहाँ से उठाकर सहजयोग से जोड देना है? बात 1 कार्यरत है । उन्हें इस बात का ज्ञान है कि वे क्या कर रही हैं। उदाहरण के रूप में आपका शरीर ऐसी नहीं है जब कुण्डलिनी का अंकुरण मेरे प्रति आपकी तर्कब्द्धि से कहीं अधिक आरम्भ होता है, जब जागृति आरम्भ होती है चेतन है। मान लो आप भूत-बाधित व्यक्ति तो यह भिन्न चक्रों में से गुजरती है। कैसे? हैं परन्तु आप ये स्वीकार नहीं करेंगे कि आप रीढ़ के अन्तिम छोर पर विद्यमान कृण्डलिनी बाधित हैं। आप इस बात को स्वीकार के ऊपर उठने की व्याख्या आप किस प्रकार म भूत- नहीं करें गे। मैं भी ऐसी कोई बात नहीं करते हैं? अब यदि मैं आपसे बताऊं कि यह कहूंगी क्योंकि इस प्रकार की किसी भी आपकी पाचन प्रणाली से भी कहीं अधिक है अन्दर विद्यमान चीज को मैं नहीं लेना क्योंकि कुण्डलिनी जो कि एक ऊर्जा मात्र है चाहूंगी। मानव प्रकृति का मुझे ज्ञान है । उन्हें यह सोचती है, समझती है, आपको प्रेम यदि इस तरह की कोई चीज बताई जाएगी करती है. आपके इस जीवन के विषय में तो आप निश्चित रूप से अपने लिए कष्ट को और पूर्व जन्मों के विषय में सभी कुछ बुलावा देंगे। इसलिए मैं आपको ये बातें नहीं जानती है। वह यदि इतनी समर्थ है, यदि बताती। परन्तु शरीर मुझे पहचानता है जब वह सब कुछ जानती है. अपने आपमें यदि वह पूर्ण संस्था है और उसे यदि उठकर आप मेरे सम्मुख आते हैं तो यह थर-थर काँपता है। ये बात सत्य है या नहीं आप मुझे आपके सिर तक आना है तो क्या ये सुगम कार्य है? ये कठिनतम कार्य है। कहीं यदि बताएं । প পঁc नवम्बर-दिसम्बर 2002 3 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 आपको कोई पत्थर पड़ा मिले तो इसे द्वारा कल्पना किया जाने वाला आदर्शतम उठाकर आप जहाँ चाहे फेंक सकते हैं। ऐसा व्यक्तित्व है। यह किसी भी प्रकार की करना क्या सुगम नहीं है? एक छोटा सा मूर्खता, झूठ, असत्य आदि किसी भी चीज कीड़ा भी इस बात को जानता है कि अपना को बर्दाश्त नहीं करती। यह निर्मल है, आप जीवन बचाने के लिए उसकी ओर आते हुए इसे निर्मल कह सकते हैं। यह पावन है यह साँड के रास्ते से किस ओर हट जाना है। पावनता का अवतरण है। यह पावनता की साँड यदि कहीं बैठ जाए तो उसे वहाँ से मूर्ति है । किसी भी प्रकार की बेवकूफी को यह स्वीकार नहीं करती और न ही यह उठा पाना असंभव है। अपने स्तर पर आप जो चाहे प्रयत्न करते रहें । भारत में यह किसी भी प्रकार का समझौता करती है। ये कार्य करने के लिए बहुत से उग्र तरीके हैं। आपके अन्दर विद्यमान है आप देखें कि आप लाल मिर्चे जलाकर उनका धुँआ आप बैल कितने सुन्दर हैं? किसी भी चीज़ का इसे की नाक में सुंघा दें केवल तभी साँड वहाँ से भय नहीं है न इसे किसी चक्कर में फॅसाया उठेगा अन्यथा जो चाहे करते रहें साँड वहाँ जा सकता है, न इसे सम्मोहित किया जा से नहीं उठेगा। अत्यन्त आनन्द पूर्वक वो सकता है और न किसी चीज से इसे वहाँ पर बैठा रहेगा कभी-कभी इस तरह प्रलोभित किया जा सकता है। ये प्रेम करती के बैलों से भी आपका वास्ता पड़ता है, है। परन्तु इसका प्रेम इतना पावन है कि कभी-कभी ऐसा भी होता है परन्तु इस अपने प्रेम से अधिक पावन इसके लिए कुछ कुण्डलिनी को जागृत करना, जो कि सोचती भी नहीं है किसी भी मामले में ये समझौता है, समझती है, हर व्यक्ति की व्यक्तिगत माँ नहीं करती और यही आपको आपका है, चाहे जब-जब भी उसने जन्म लिया हो, आत्म साक्षात्कार देती है। अब तक जो जो आपके विषय में सभी कुछ जानती है. मानव इसके विषय में जानते हैं उन्हें उसे आपको सर्वाधिक प्रेम करती है. वही आपको प्रसन्न करने के तरीके खोजने होंगे। कौन आत्म-साक्षात्कार देती है. आपको आपका सी चीज इसे नाराज करती है? क्यों ये पुनर्जन्म देती है। तो ये आपकी माँ है। तो उठना नहीं चाहती? उन्हें तौर-तरीके इस प्रकार की कुण्डलिनी जो हमारे अन्दर खोजने पड़े और इस खोज के परिणाम विद्यमान है उसे उठा पाना तो कठिनतम स्वरूप भिन्न प्रकार के योग सामने आए जैसे होना ही चाहिए। यही कारण है कि लोग 'राजयोग', 'हठयोग' आदि तीसरी प्रकार के कहते हैं कि कुण्डलिनी को उठाना अत्यन्त योग को आप 'क्रियायोग' दुष्कर है ये बात ठीक है। अतः व्यक्ति को विचार से क्रिया और राजयोग एक ही चीज साँड को उठाने के तरीके खोज निकालने है, इनकी एक ही शैली है, तथा भक्तियोग, होंगे क्योंकि कुण्डलिनी पूर्ण धर्मपरायणता ज्ञानयोग और 'कर्मयोग' इन सब विधियों को है, पूर्ण पावनता है आपके मस्तिष्क मानव साँड को उठाने के लिए उपयोग कहते हैं। मेरे পC fuc গc नवम्बर-दिसम्बर 2002 4 यैन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 करना चाहता है कहने से मेरा अभिप्राय है और दृढ़ता से अपने स्थान पर जम जाएगा। कि इन सब तरीकों से व्यक्ति कुण्ठित हो बूडू से यह उठेगा नहीं । अतः लोगों को वह जाता है और स्वयं को समीपतम वृक्ष से फाँसी लगा लेना चाहता है। तो यह एक से भी बैल नहीं उठेगा, नहीं ये नहीं उठेगा, अन्य प्रकार का कुण्ठित रोग है । इनके चाहे आप अपनी गर्दन अतिरिक्त परपीड़नशील योग (Sadistic उठेगा । Yoga) है फिर पीटने वाला योग (Beating उपाय खोजना होगा शीर्षासन में खड़े होने तोड़ लें ये नहीं तो हमें क्या करना चाहिए? हमें इस बात Yoga) है और इस प्रकार से ये चलता रहता है। एक चीज़ से दूसरी बेहतर चीज़ विद्यमान कुण्डलिनी क्या है? ये सभी योग तक जाना फिर धर्मान्धता । क्योंकि मानव के जो प्रचलन में आए हैं ये लोगों के अनुभवों लिए चैन से बैठना अत्यन्त कठिन है। उन्हें से पनपे हैं क्योंकि जब लोगों ने इस चुनौती मिलती है, 'ओह ये का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए कि हमारे अन्दर सॉड नहीं कुण्डलिनी को उठाने का तथाकथित प्रयत्न किया तो वे मेंढक की तरह से उछलने लगे । उठता. मैं इसे उठाऊंगा। जबकि उन्हें इसका अधिकार नहीं होता। जो लोग इसका ये परिणाम निकाला गया कि मेंढक आत्म-साक्षात्कारी भी हैं, उन्हें भी इसका की तरह से उछलने से कुण्डलिनी उठ जाती ज्ञान नहीं है क्योंकि उन्होंने कुण्डलिनी का है फिर कुछ लोगों ने अपने वस्त्र उतारने सृजन नहीं किया, बिल्कुल वैसे ही जैसे ये शुरु कर दिए। इस प्रकार की अटपटी चीजें मशीनरी मुझे मिल भी जाए तो भी मैं इसे शुरु कर दीं । उनमें से गर्मी निकलने लगी चलाना, इसका उपयोग करना नहीं जानती, इसलिए उन्होंने सोचा कि यदि हम वस्त्र चाहे मैं प्रयत्न करती रहूँ। हो सकता है, इस उतार देंगे तो हमें परमात्मा मिल जाएंगे प्रयत्न में मैं अपने हाथ ही जला लूँ। अतः कुछ अन्य लोगों को पेट में एक प्रकार की पकड़ महसूस हुई या कुछ लोगों को अपने के योगों को इस विश्व में जन्म देते हैं और अन्दर ये सब चीजें घटित होती हुई दिखाई हर व्यक्ति इस बात से आश्चर्य-चकित है देने लगती है उन्होंने इसे मूलबन्ध का नाम कि इतने सारे योग किस प्रकार हो सकते दिया। उन्होंने कहा कि बन्ध लग गया है । हैं! हमें यह योग अपनाना चाहिए कि वो किसी चीज ने वहाँ पकड लिया है। तो योग? बुद्ध को मानना चाहिए या महावीर को क्रिया योग ये है कि आप अपनी जिहवा को या ईसा-मसीह को या किसी अन्य को ये यहाँ से लेकर, मेरे कहने से तात्पर्य ये है कि सब है क्या? इसके बाद 'चर्चयोग' और बुडू उसके तन्तु को नीचे से काटकर जिह्वा को इस प्रकार के उल्टे-सीधे प्रयत्न बहुत प्रकार (Budu) है और जादू टोने (Witch Craft) में ऊपर की ओर घुमाएं जहाँ ये गले की जड़ स्थित छोटी जिहवा को दबाए। प्रायः वे भी क्या हानि है, ये बात उस दिन किसी ने में कही। कोई बुराई नहीं परन्तु इनसे साँड हैं अपनी जिह्वा को घुमाने में ही लगे रहते चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 5 और यह चलता रहता है। लोग अपनी ठीक हैं। ये बात समझने का प्रयत्न करें। ये जिह्वा को विशुद्धि चक्र तक ले जाते हैं वे सोचते हैं कि विशुद्धि यही है और उनकी ये करने के पश्चात् वे सब ठीक हो जाते हैं सोच ही बहुत बड़ी समस्या है। तो वे अपनी परन्तु आत्म-साक्षात्कार से पूर्व वे सब गलत जिह्वा को पीछे गले की ओर धकेलते हैं है। बिल्कुल वैसे ही जैसे कार का इंजन और सोचते है कि इसे गुदगुदाने से वे चालू होने से पूर्व यदि आप उसका ब्रेक कुण्डलिनी को उठा लेंगे । हम बिल्कुल दबाएं या उसका स्टीयरिंग धुमाएं तो आप बहुत साधारण है। आत्म-साक्षात्कार प्राप्त इससे भिन्न कर रहे हैं प्रभाव कारण जड़ कार को खराब कर रहे हैं। कार का इंजन जब चालू हो जाए और आपको कार चलानी तक जाना होगा तभी आप प्रभाव तक पहुँचेंगे। क्या आप मेरी बात को समझ पाए भी आती हो, आप कार चलाने में कुशल हों हैं? विशुद्धि चक्र, जो कि यहाँ है और तब सब कुछ ठीक है। अन्यथा जिस कार में अत्यन्त सूक्ष्म है, यदि ये खराब हो जाए तो मुझे मेरे घर से आश्रम तक लाना था वह इसके प्रभाव महसूस होंगे इसके कारण मुझे कहीं भी धोखा दे देगी इसी प्रकार से आपकी जिह्वा प्रभावित हो सकती है, जिन चीजों का आत्म- साक्षात्कार से पूर्व आपकी आँखे प्रभावित हो सकती हैं, आपकी कोई अर्थ न था उन्हें आप आत्म- साक्षात्कार नाक प्रभावित हो सकती है आपके गाल के बाद समझने लगते हैं । प्रभावित हो सकते हैं। कुल मिलाकर ये 16 पंखुड़ियों के प्रभाव हैं ये सभी प्रभावित हो हठयोग भी चक्रों पर आधारित होता है, सकती हैं। अपनी नाक को गुदगुदाने से इसमें कोई सन्देह नहीं। नि:सन्देह ये भी आप विशुद्धि चक्र को नहीं छू सकते । क्या ईश्वरीय प्रावधान पर आधारित है । सारे ऐसा नहीं है? क्या आप मेरी बात को समझ अष्टांग, हठयोग के आठों भाग, इन्हें आप रहे हैं? उदाहरण के रूप में जिस केन्द्र से यहाँ बिजली आ रही है उसे गुदगुदाने से हठयोग क्यों बनाया गया सर्वप्रथम इसलिए आप उसे ठीक नहीं कर सकते। आपको कि वे अपने चित्त को ईश्वर के प्रावधान पर जड़ों तक जाना होगा किसी पेड पर यदि लगाएं अर्थात परमात्मा के अस्तित्व पर लोग आप देखते हैं कि कोई एक फल सड़ रहा है अपने चित्त को लगाएं अन्धविश्वासों पर आइए हठयोग का उदाहरण लेते हैं। मानव के नज़रिये से देखें। मानव के लिए या सारे फल सड़ रहे हैं तो फलों का इलाज नहीं। वे इस बात को समझे कि परमात्मा है करने से क्या आप उस रोग को ठीक कर ताकि व्यक्ति स्वयं को विनम्र बना सके। सकते हैं? आपको जड़ों तक जाना होगा । तो जब इन लोगों ने ये सब मनुष्यों पर घटित होते हुए देखा तो उन्होंने बहुत सी कि वह व्यक्ति कम से कम आत्म- विधियाँ बना लीं । ये सभी गलत हैं और सभी साक्षात्कारी हो, कोई भी ऐरा-गैरा नत्थूखैरा फिर आप किसी साक्षात्कारी व्यक्ति को गुरु मानकर उसके पास जाएं। गुरु का अर्थ हैं नवम्बर -दिसम्बर 2002 6 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 गुरु बन बैठता है! ऐसा व्यक्ति मूर्ख है । गुरु सहजयोगी कुण्डलिनी को वैसे ही उठा लेते को आत्म-साक्षात्कारी होना ही चाहिए। यदि हैं, ये बात भिन्न है। परन्तु अन्य कोई व्यक्ति वह आत्म - साक्षात्कारी है तो वह ऐसा ही इस कार्य को नहीं कर सकता। केवल आप कहेगा। वह अलग होने की बात नहीं करता, ही लोग इस कार्य को कर सकते हैं क्योंकि वह अधिकार की बात करता है क्योंकि वह अधिकारी है। जो लोग अलग होने की बात आप अधिकारी हैं और तुरन्त कुण्डलिनी को उठा लेते हैं। इन हठयोगियों ने क्या किया करते हैं, रोने-बिलबिलाने आदि की बातें कि इसे शारीरिक स्तर पर ही उभारा । अतः करते हैं वो भी अन्य लोगों की तरह से आपको ईश्वरीय प्रावधान (यम, नियम) का अन्धे हैं। उन्हें आपका नेतृत्व करने का कोई ज्ञान होना चाहिए अधिकार नहीं । इस मामले पर विनम्रता की की आयु से पूर्व । पच्चीस वर्ष की आयु से कोई बात नहीं। कहने का अभिप्राय ये है कि पूर्व आपको स्वयं को अनुशासित कर लेना मेरे पास यदि लाल शाल है तो मुझे कहना चाहिए अर्थात आपको ये समझ लेना चाहिए चाहिए मेरे पास लाल शाल है। इसमें कि उचित क्या है और अनुचित क्या है। अब विनम्रता की क्या बात है? मेरा अभिप्राय ये है जिन लोगों ने पन्द्रह वर्ष की आयु तक कि आप जो हैं वही बताने में क्या हानि है। दुनिया के सभी कुकृत्य कर लिए हैं वे अब आप यदि वह नहीं है, जब आपमें वह गुण पच्चीस वर्ष की आयु में यम नियम सीखने नहीं है फिर भी यदि आप अपने को वह । और वो भी पच्चीस वर्ष का प्रयत्न कर रहे हैं! किस प्रकार आप ये बताते हैं तो यह अहंकार है। परन्तु यदि कार्य कर सकते हैं, मुझे बताएं। मान लो कि आप वह हैं तो आपको यह कहना चाहिए कि कार को आपने पूरी तरह से खराब कर 'मैं ही प्रकाश हूँ, मैं ही मार्ग हूँ। कहने से दिया है तो आप अधिक से अधिक इसकी मेरा अभिप्राय ये है कि ऐसा कहते हुए बीमा की रकम के लिए ही तो कह सकते हैं। ईसा-मसीह अहंकार नहीं कर रहे थे इसमें वो भी यदि आपने बीमे की किस्त चुकाई बुरा मानने की क्या बात है? तो हठ योग भी यदि करना हो तो सकते हैं कि कार बिल्कुल नई की नई हो आत्म-साक्षात्कारी व्यक्ति के मार्ग दर्शन में जाए जैसे फैक्ट्री से आई हो, बिल्कुल नई करना चाहिए, केवल आत्म- साक्षात्कारी हो जाए! जिस घोड़े का दुरुपयोग किया व्यक्ति के मार्ग दर्शन में ही नहीं परन्तु उस हो। अब किस प्रकार आप ये आशा कर गया हो क्या वह दौड़ जीत सकता है? यह व्यक्ति के मार्ग दर्शन में जिसने शक्ति पथ बात ठीक नहीं है। अतः यह समझना चाहिए की कला में कुशलता प्राप्त कर ली हो। कि यम-नियम तथा अन्य चीजें हमारे लिए शक्ति-पथ की कला में जो कि कुण्डलिनी नहीं हैं, विशेष रूप से पाश्चात्य लोगों के जागृति है। पथ प्रदर्शक व्यक्ति में कम से लिए तो यह किसी भी प्रकार से नहीं हैं। हमं कम ये योग्यता होनी चाहिए। निःसन्देह यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिए चाहे नवम्बर-दिसम्बर 2002 7 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 प्रयोग करते हुए या जैसे भी। हमने बहुत सी करने का क्या लाभ है? इसका उन पर बहुत गलतियाँ कर ली हैं और अब भी प्रयोग दबाव पड़ेगा क्योंकि उनमें से कोई भी (Experiment) किए चले जा रहे हैं । मैं पुनः आत्मसाक्षात्कारी नहीं है और न ही वो वही शब्द कहूंगी कि हमने जो भी किया है उससे स्वयं को अपने शरीर को बहुत हानि था कि आपको किसी ऐसे गुरु के पास पहुँचाई है क्योंकि हमारा पथ प्रदर्शन करने जाना पड़ेगा जो आत्मसाक्षात्कारी हो। आप वाला कोई भी न था। हम स्वयं को हानि ज़ंगलों में जाएं और पच्चीस साल तक वहाँ पहुँचाना नहीं चाहते थे परन्तु गलती से ऐसा रहें और उस गुरु के पथ प्रदर्शन में अभ्यास हो गया, अब क्या करें? ये बड़ा गस्भीर करें पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। ब्रह्मचर्यमय मामला है लोग बीमार हैं वे हठ योग नहीं वातावरण में रहें। शक्ति पथ में कुशल हैं। इसीलिए कहा गया अब क्रियायोग पर आते हैं। क्रिया योग में कर सकते। सारा वातावरण रोगी है, पूरा स्थान रोगी है! उन्हें प्रेम की आवश्यकता है, जीभ को बाहर निकालना, जीभ के व्यायाम उन्हें स्काउट्स की काटकर उसे पीछे को मोड़कर विशुद्धि चक्र आवश्यकता नहीं है, उन्हें तो ऐसा व्यक्ति को गुदगुदाना मैं नहीं समझ पाती। कभी- चाहिए जो उन्हें प्रेम कर सके. रोगमुक्त कर कभी तो आपकी तर्क बुद्धि बिल्कुल ही चली सके और उन्हें स्थापित कर सके । आजकल हठ योग में प्रेम का एक शब्द सोचते हैं कि आप अपने अन्दर की इस भी नहीं है क्योंकि लोग इसके लिए पैसा महान शक्ति को देते हैं। केवल एक चीज़ है-प्रेम, प्रेम ही शक्ति को जो सदसदविवेक है और जो हर केवल एक चीज है जिसे पैसे से खरीदा नहीं चीज़ को समझती है। इस तरह से आप को तन्तु की नहीं । जाती है। इस प्रकार के कार्यों से आप जागृत कर लेंगे? उस जा सकता। क्या ये बात सच नहीं है? प्रेम उसको बेवकूफ नहीं बना सकते। तो ये सब के लिए किस प्रकार आप धन दे सकते हैं। हथकंडे जो हम अपने पर आजमा रहे हैं. यहीं कारण है कि आज का हठ योग मात्र स्वयं को एक मामले में थोंपना या दूसरे आदि, इससे आप अपने मिथ्या है। परन्तु आत्म-साक्षात्कार के मामले में थोंपना पश्चात् आप हढ़ योग का उपयोग कर यंत्र को खराब करने के अतिरिक्त कुछ भी सकते हैं क्योंकि आप पावन हो जाते हैं. नहीं कर रहे। कुण्डलिनी जब विशुद्धि चक्र स्वच्छ हो जाते हैं, आपके जख्म ठीक हो से उठती है तो चक्र का विस्तरण (Dilation) जाते है, भर जाते हैं। लोग जख्मी हैं, गहन होता है। तब आपकी जिहवा स्वतः ही अन्दर चोट खाए हुए हैं, बहुत दुखी हैं। आपके को खिंच जाती है और आपकी आँखों का स्पर्श मात्र को वो महसूस करेंगे उनमें जब भी विस्तरण हो जाता है । मुझे आशा है कि स्वयं को सम्भालने की शक्ति ही नहीं है तो कुण्डलिनी जागृति के लिए आँखों का उनसे बड़ी-बड़ी चीजों के विषय में बात विस्तरण करने के लिए वे आँखों में चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 8 एप्ट्रोफिन (Aptrophin) नहीं डालते। तो ये सारी चीजें स्वतः घटित होती हैं। ह बन्ध लग जाते हैं। बन्ध के कारण पेट से फूँक मारना शुरु कर दूँ या यहाँ से इसे कुण्डलिनी को पकड़ लेता है, चक्रों को छेड़ने पकड़ लेता है कुण्डलिनी जब ऊपर को विद्युत नहीं प्रवाहित होगी । केवल ये यन्त्र आती हैं तो स्वतः ही चंक्र बन्द हो जाते हैं समाप्त हो जाएगा। क्या आप मेरे स्पष्ट ताकि ये ऊर्जा ऊर्ध्वगति की ओर रहे विचार को समझ गए है? ये बात बहुत स्पष्ट गुजरनी है। अत: विद्युत को इसमें से बहना होगा। मैं यदि निराश होकर इस यंत्र में यहाँ लगू या तोड़ने लगू तो इसमें से अधोगति में न जा सके। ये सारी चीजें हमारे है कि यदि आप अपने यन्त्र को बिगाड़ने का अन्दर स्वतः घटित होती हैं, बन्ध भी लगते प्रयत्न करेंगे तो अपने अन्दर की शक्ति को हैं। हो सकता है कि कुछ परा चेतन व्यक्ति जगा नहीं पाएंगे। गुरु यदि आत्मसाक्षात्कारी अपने अन्दर देख पाते हों और ये सोचने होता तो वो आपको बताता। सर्वप्रथम वह लगते हैं। कि आप यदि पेट को इस प्रकार आपकी कुण्डलिनी उठाता, कम से कम खीचें, अपनी जीभ अन्दर की ओर मोड़ें तो आपकी कुण्डलिनी उठाता और आपसे ये चीजें घटित हो जाएंगी। परन्तु कुण्डलिनी कहता शनैः शनैः कुण्डलिनी को उठने के जागृति द्वारा ही ये सब घटित होता है । इन लिए आप मार्ग बनाए। लोग जब कुण्डलिनी सब चीज़ों द्वारा कुण्डलिनी की जागृति नहीं को उठाने का प्रयत्न करते हैं तो वे इसे होती। अब क्या आप मेरी बात समझ पाए? एक-एक चक्र पर उठाते हैं। निःसन्देह वे क्या आपने मेरी बात समझी? अब ये स्पष्ट मूलाधार को तो छू नहीं सकते। अतः ये | यही कारण है कि ये क्रिया योग आरम्भ लोग कुण्डलिनी को ज्यादा से ज्यादा नाभि हुए। मेंढक की तरह से कूदना आरम्भ हुआ, तक ला पाते हैं। परन्तु अब इसे वहाँ पर यहाँ तक कि निर्वस्त्र रहने का भी आरम्भ रोका किस प्रकार जाए? तब वो कहेंगे खाना हुआ। ये सभी चीजें उन लोगों के कारण है कम खाओ, अपने चित्त को इधर-उधर मत जो अनाधिकार कुण्डलिनी को उठाने का भटकने दो। आप खाना कम खाओ ताकि प्रयत्न कर रहे हैं। केन्द्रों में जब यह उठती आपका चित्त खाने पर ही न बना रहे। स्वयं है तब ये सारी चीजें घटित होती हैं परन्तु को निर्लिप्त बनाए रखो। ये सारे कार्य े यदि आपका स्वास्थ्य ठीक न हो, आप बीमार पच्चीस वर्ष से पूर्व की में करवाते हैं। हो, आपके शरीर की देखभाल करने के लिए बहुत अधिक भूखे भी न रहो, नियमित समय आपका हृदय बहुत परिश्रम कर रहा हो और पर खाओ, चित्त को बहुत अधिक बाहर की ऐसी स्थिति में आप यदि घोर परिश्रअम वाले ओर मत रखो ताकि चित्त वहीं पर रहे और इन कार्यों को करें, इन सभी उपायों को कुण्डलिनी ने पच्चीस वर्षों में जो एक इंच उपयोग करें तो आप अपने शरीर यन्त्र को का थोड़ा सा उत्थान किया है वह कहीं वहाँ खराब करते हैं। इसमें से चिद्युत ऊर्जा से भी नीचे न चली जाए। बार-बार वो जन्म 1 आयु প f नवम्बर दिसम्बर 2002 9 वै।-य लहरी खडXIV अक 11 এ 12 लेते हैं और कीड़ी की चाल से अपने उत्थान विषय में वो सोच नहीं सकते। अत: महा की ओर चलते हैं और इन सब तरीकों से वो काव्य इसी प्रकार से भिन्न होते हैं। जब हम आपकी कुण्डलिनी को वहाँ रोकते हैं और यें चीजें सीखने के लिए जाते हैं तब हम कहते हैं अधार्मिक जीवन मत बिताओ। अपने तथा-कथित गुरुओं को देखते ह आपको अत्यन्त धर्मपरायणतामय जीवन उनके जीवन को देखते हैं और हमारे अन्दर बिताना होगा घोड़े को जब प्रशिक्षित करना वैसी ही छाप रह जाती है । बिना ज्योतिर्मय होता है तो उससे पूर्व कि वो दौड़ में भाग हुए वे आपको कुछ भी सिखा नहीं सकते। ले उसकी आँखों के इर्द -गिर्द दो पर्दे लगा दे ते है ये क्रिया योग भी ऐसा ही है। भारत के है। परन्तु सबसे अधिक महत्वपूर्ण महान सन्तों ने वर्णन किया है कि ये दादा-दादी का प्रेम हुआ करता था जो जलन्धर योग और जलन्धर बन्ध तथा अन्य बच्चों की देखभाल किया करते थे गुरु का सभी पेट में घटित होते हैं अर्थात ये सभी प्रेम उसका प्रशिक्षण तथा आत्मानुशासन भी बन्ध पेट में और हृदय में बनते हैं और ये महत्वपूर्ण है । जो गुरु आपसे पैसा लेते हैं सभी ग्रन्थियाँ टूटती हैं। इसी बात का वर्णन क्या वे आपको व्यापार प्रबन्धन, उल्टे-सीधे किया गया है कुण्डलिनी जब उठती है तो तरीकों और धोखाधड़ी में प्रशिक्षण दे रहे ये सब चीजें आपमें भी घटित होती है। मैं हैं? उनके, सच्चे गुरुओं के, जीवन उनके क्योंकि अत्यन्त कुशल स्वामिनी हूँ इसलिए प्रेम, ज्ञान एवं सूझ-बूझ से इस प्रकार ये सब आपमें भी घटित होता है। जब तक परिपूर्ण हैं कि लोगों के चरित्र एवं व्यक्तित्व मैं कार्य समाप्त नहीं कर लेती मैं इसे आप पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण पर नहीं छोड़ती आपको तो बस इतना के रूप में भारत में अब कोई भी श्रीराम पर करना होता है, आत्म-साक्षात्कार के पथ को महाकाव्य नहीं लिख सकता क्योंकि अब पूर्ण स्वतन्त्रता पूर्वक चुनना होता है । भारत में कोई राम बचे ही नहीं हैं। संभवत: आपको केवल पूर्णतः स्वतन्त्र होना होता है। अब कोई आए भी नहीं । कोई भी इस प्रकार अपनी पूर्ण स्वतन्त्रता में सहजयोग स्वीकार का महाकाव्य नहीं लिखता। लोग अब केवल करना होता है और अगर मुझे लगता है कहानियाँ लिखते हैं। भारत में कविताएं भी कि अपनी पूर्ण स्वतंत्रता में आपने इसे ऐ सी लिखी जा रही हैं जैसे आपके लार्ड बायरन लिखा करते थे। अब श्रीमान बायरन से बाहर चले जाते हैं। आप इसमें रहते ने भारत में जन्म ले लिया है । मेरे विचार से ही नहीं, आप स्वयं ही दौड़ जाते हैं, उन्होंने आपका देश छोड़ दिया है! उसी और यदि ऐसा नहीं होता तो मैं इस प्रकार से साहित्य में सारी गतिशीलता बात का ध्यान रखती हूँ कि आप स्वयं समाप्त हो गई है क्योंकि लेखकों के सम्मुख ही दौड जाएं । कोई आदर्श नहीं है। किसी भी व्यक्तित्व के - नहीं चाहा तो आप बहुत तेजी से सहज काम अतः व्यक्ति को समझना चाहिए कि ये नवम्बर-दिसम्बर 2002 10 चैत-्य लहरी खंड-XIV अंक 11 d 12 सभी मार्ग, चाहे वह भक्ति मार्ग ही क्यों न उनसे दूर हो गए हैं । अतः आप अपनी हो मैंने आपको तीन प्रकार के भक्तों के वंहगियों पर चले जाते हैं और पुनः वैसे ही ह विषय में बताया जो कामार्थ प्राप्ति के लिए असहज बन जाते हैं। यह मात्र अभिनय है, आते हैं। मेरे पास बहुत से लोग रोग मुक्ति थोड़े समय के लिए । परन्तु लम्बे समय तक के लिए आए यह अच्छी बात है. मेरे लिए यदि आप अभिनय किए चले जाएंगे तो ये यह अच्छा अवसर होता है। वे ठीक हो जाते वास्तविकता बन जाएगी। अभी तक आप हैं, उनमें प्रेम जागृत हो जाता है और वे खेल खेलते रहे, अब खेल समाप्त हो गया मुमुक्षु (मुक्ति प्राप्ति के लिए इच्छुक) बन है। अतः आपको स्वीकार करना होगा कि जाते हैं। ऐसे लोग महान सहजयोगी बन 1 अब आप महान हैं और अपने अन्दर आपने जाते हैं। भारत में ऐसे बहुत से सहजयोगी इसे प्राप्त कर लिया है । ये आपके अन्दर है, है जो महान सहजयोगी बन गए। आरम्भ में आप प्रकाश हैं, आपको ये बात स्वीकार वे इलाज के लिए आए और महान करनी होगी कि अब आप प्रकाश हैं, आप सहजयोगी बन गए। इन सभी अवस्थाओं को पहले जैसे नहीं हैं। एक पुष्प के रूप में आप परिवर्तित हो गए हैं । आपको स्वयं पर वो पार कर सकते हैं। अतः व्यक्ति को समझना चाहिए कि यह विश्वास और भरोसा होना चाहिए क्योंकि महायोग का समय है जहाँ ये सब अन्तर्योग अभी तक तो आप सभी प्रकार के लोगों से अर्थात आन्तरिक घटनाएं स्वतः ही घटित एकरूप थे. बेवकूफी भरे उल्टे-सीधे अनुभवों होती हैं । मुझे आपकी कुण्डलिनी के साथ से जुड़े हुए थे इस बात पर आप विश्वास कुछ करना होता है, काफी कुछ करना होता नहीं करना चाहते आप यदि थोड़ा सा भी है और वो इस बात को अच्छी तरह से इस बात को स्वीकार कर लें, ठीक से इस जानती है वह भी मुझे बहुत अच्छी तरह से पर चलें तो आप इसमें भली-भांति स्थापित जानती है इतना अच्छी तरह से कि मुझे हो जाएंगे मैं यहाँ आपको इसका स्वामित्व देखते ही एकदम से उठकर ये सहस्रार परदेने के लिए हूँ इस सब पर पूर्ण स्वामित्व आ जाती है। ये इतनी प्रसन्न होती है कि देने के लिए। ये महायोग जब आपमें घटित त्यक्ति पर इसका पहला प्रभाव बहुत ही हो जाता है तो आपको किसी अन्य चीज की अच्छा पडता है। व्यक्ति को लगता है कि चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं रहती। उसने पा लिया है । पूरे आनन्द के साथ ये सभी योग आपके चरणों में होंगे इस प्रकार ऊपर उठती है। आप पा लेते हैं परन्तु पुनः से आप अपने हाथ उठाएं और कुण्डलिनी वंहगियों पर चले जाते हैं । यद्यपि आपके उठ जाएगी । ये सत्य है । आप इसे 1 सारे कष्ट और सभी समस्याएं दूर हो जाती आजमाएं। कोई यदि बीमार है तो आप इस हैं फिर भी आप अपनी वंहगियों को पकड़े प्रकार से अपना हाथ रखें, वह व्यक्ति रखना चाहते हैं क्योंकि संस्कार वश आप ठीक हो जाएगा आप स्वयं आजमाएं। ये न E. दिसमबर 2002 |d - पैत-य लहरी खड XIV अक 11 व 12 11 महायोग है। सहजयोग का ये सर्वोच्च बिन्दु थी। परन्तु आज कोई भी ऐरा-गैरा नत्थू है। एक बार जब आप इसे प्राप्त कर लेंगे तो खैरा गधे की तरह से आपके कान में रेंकता आपको कुछ अन्य करने की आवश्यकता है और आप सोचते हैं कि ये बहुत बड़ी चीज है, मैं किसी को नहीं बताऊंगा कि मुझे कौन कुण्डलिनी वही बनाने के लिए कार्य करती सा मंत्र मिला है । ये लोग आपको बेवकूफ हैं और जब कोई चीज आपको पूर्णता प्रदान बनाने में लगे हैं, ये नहीं जानते ये स्वयं को करती है तो क्यों आप कुछ अन्य करें? बेवकूफ बना रहे हैं। जो कुकृत्य इन्होंने किए सहजयोग में आने के पश्चात् आपके साथ हैं उसका इन्हें बहुत बड़ा मूल्य चुकाना जो भी घटित हुआ उसकी सूची मैं आपको होगा। अतः मंत्र इस प्रकार से नहीं लिए संस्कृत-भाषा में देने वाली हूँ। जिस अवस्था जाते! व्यक्ति को बहुत सारी चीजें समझनी को प्राप्त करने के लिए लोगों को हजारों होती हैं जैसे आपका कुल-देवता क्या है? नहीं रहेगी। आप वही बन जाते है क्योंकि आपका अपना इष्ट देव कोन है? आपकी में ही प्राप्त हो गई है। ये स्वीकार करना जन्मपत्री क्या है? आप कौन से ग्रहों पर कठिन कार्य है कि इसे आपने सहज ही में पकड़ रहे हैं? इस स्थिति में मंत्र का दिया प्राप्त कर लिया। बिना सिर के भार खड़े हुए जाना, इसका समय, जन्म कुण्डली के समय या कोई अन्य व्यायाम किए हुए। क्या ऐसा विशेष अनुसार निश्चित किया जाता है। नहीं है? परन्तु प्रतीक्षा करें और देखें कि जन्मकुण्डली का कौन सा समय गुरु की आपको क्या प्राप्त हुआ है। नि:सन्देह कुछ जन्म कुण्डली से मिलता है? यही कारण था लोगों को ये अवस्था प्राप्त नहीं होती क्योंकि कि लोगों को मुश्किल से एक दो व्यक्ति प्राप्त होते थे । सन्त ज्ञानेश्वर ने भी अपने नहीं। यह कार्यान्वित हो जाएगा। परन्तु जीवनकाल में केवल एक व्यक्ति को नाम जिन्हें प्राप्त हो गया है, किसी विशेषता के दिया और यहाँ पर ये सभी ऐरे गैरे नत्थू कारण जिन्हें ये उपलब्धि प्राप्त हो गई है खैरे नाम बाँटे चले जा रहे हैं ! मेरी समझ में उन्हें इस विशेषता को खोजना है। अपने नही आता। क्या इन भयानक-भयानक नामों लिए आपने इसे खोजना है इतनी आसानी के अतिरिक्त कुछ भी आसानी से उपलब्ध से आपको प्राप्त हो जाने का एक कारण है । नहीं है? ये नाम यदि में भारतीयों को मुझे किसी ने बताया कि एक गुरु है जो बताऊंगी तो वो सब समझ जाएंगे इन आयु के अनुसार मंत्र देता है. ये मूर्खता है । विदेशी साधकों को इन्होंने ऐसे नाम दिए ठिंगा। सभी नाम आप कर लें। कोई आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति सहजयोगियों के नियंत्रण में हैं, आप अपने आपको ये मंत्र नहीं देगा। यही कारण है कि मंत्र बना सकते हैं क्योंकि आपमें एक विशेष मंत्र देना एक बहुत बड़ी चीज़ समझी जाती प्रकार का गुण है जिसका उपयोग आप कर वर्ष कार्य करना पड़ता था वो आपको सहज उनमें कोई समस्या होती है कोई बात पूर्णतः मूर्खता। आप इस बात को स्वीकार जैसे ईगा, पिंगा, वैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नव4र-दिसम्बर 2002 12 सकते है। जो भी मंत्र आप लें वह जागृत पर नहीं रख सकते हैं। किसी के हाथ पर मंत्र होता है, आप इस बात को जानते हैं । रखने से पूर्व आपको सारे प्रबन्ध करने पड़ते हैं। परन्तु यदि आप सर्वशक्तिशाली बन आत्म-साक्षात्कार के पश्चात ये कहना अत्यन्त सुखद होता है कि यद्यपि अभी तक जाते हैं तब क्या होता है? आप के लिए सभी आप अपनी बाधाओं से मुक्त नहीं हुए होते कुछ बच्चों का खेल बन जाता है. सुगम हो फिर भी आप इसे कार्यान्वित कर सकते हैं । जाता है आप कुण्डलिनी उठाते हैं आप इससे आपकी कुण्डलिनी उठाने की शैली जानते हैं कि भिन्न चक्र हैं, इन चक्रों को आप ठीक कर सकते हैं । इन्हें ठीक करने पर कुछ भी हानि नहीं होती। आप अन्य लोगों की कुण्डलिनी उठा सकते हैं, क्या ये का ज्ञान आपको है। यही कारण है कि यह बात सत्य नहीं है? अभी भी आप अन्य लोगों महायोग है। इसे ऐसा होना पड़ता है। को आत्म-साक्षात्कार दे सकते हैं चाहे आप अन्यथा किस प्रकार हम इस विश्व की रक्षा बाधित ही क्यों न हों। लोग कहते हैं कि मैं करेंगे? किस प्रकार इस सृष्टि को व्यवस्थित से लड़ रहा हूँ। परन्तु यहाँ पर एक हाथ किया जाएगा? इस बात का हमें पता लगाना भूत से आप स्वतः ही कुण्डलिनी उठा लेते हैं। होगा कहने से अभिप्राय ये है कि परमात्मा परन्तु वहाँ बहुत सी आत्माएं आपको पकड़ने को इस बात का पता लगाना पड़ा कि किस का प्रयत्न करती हैं। यहाँ आप एक हाथ से प्रकार आप सब साधकों को आशीर्वादित उन आत्माओं को समाप्त करते हैं और दूसरे किया जा सके. किस प्रकार उनकी से कुण्डलिनी उठाते हैं! इतनी पावनता से (परमात्मा) की अभिव्यक्ति हो सके और जिन लोगों की कुण्डलिनी उठाई जाती है उनका कार्य पूर्ण हो । उन्हें भी कोई हानि नहीं होती अतः मंत्र लेने या देने के लिए व्यक्ति को एक सप्ताह समाहित हैं । मानव अवस्था तक आने के तक निराहार रहना पड़ता है, बिना किसी लिए अब पाषाण युग (Stone Ages) में तो यह महायोग है जिसमें सभी योग पुरुष या महिला की शक्ल देखे, सभी प्रकार जाने की आवश्यकता नहीं है। ये बात इस के कर्मकाण्ड करने के पश्चात् ही व्यक्ति प्रकार से है या आप ये कह सकते हैं कि को नाम प्राप्त होता है। कुछ गुरु तो अपने भारत जाने के लिए अब मुझे कोलम्बस की शिष्यों को कहते हैं कि प्रतिदिन 108 बार तरह से जाने की आवश्यकता नहीं है हाथ धोया करें। मंत्र देने से पूर्व सभी प्रकार जिससे मैं अमरीका की नेति क्रियाएं आदि करवाई जाती हैं । ये जानने वाले व्यक्ति को जो इसके विषय में इतने सारे कर्मकाण्ड हैं, क्यों? क्योंकि आप सभी कुछ जानता है आपके पास आना पहुँच जाऊं। (मार्ग अत्यन्त दुर्बल (Vulnerable) हैं। ये होगा- किसी ऐसे व्यक्ति को जिसने ये सब फास्फोरस (ज्वलनशील पदार्थ) की तरह से किया हो और जो इस कार्य के सभी रहस्यों है और फास्फोरस को आप किसी के हाथ को जानता हो, आपको भली-भांति ho नवम्बर - दिसम्बर 2002 13 चैतनय लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 पहचानता हो।) मैं मानव के विषय में अभी है कोई बात नहीं आपको मुझसे थोड़ा सा तक बहुत कुछ सीख रही हूँ। मैं सोचती हूँ सहयोग करना होगा और आपको आत्म- मुझे अभी भी बहुत कुछ सीखना है-बहुत साक्षात्कार प्राप्त हो जाएगा। आप अवश्य कुछ। क्योंकि मानव अत्यन्त विचित्र भी हो इसे प्राप्त करें ये मेरी इच्छा है। आपमें भी सकता है। ये बात आप नहीं जानते। मैं इस यदि ये इच्छा होगी तो हम एक ही स्थान पर प्रकार से व्यवहार करती हॅँ परन्तु अचानक पहुँच जाएंगे। मुझे लगता है कि हे परमात्मा ये सब क्या है? कभी-कभी तो आप मानवों के व्यवहार करने के लिए कुछ चालाकियाँ अपनाते हैं। को देखकर मुझे लगता है कि यह मेरे लिए सम्मोहन करते हैं तथा सभी प्रकार के बहुत बड़ा रहस्योद्घाटन है! ये बहुत ही उल्टे-सीधे कार्य करते हैं। आपके अन्दर दिलचस्प बात है बहुत ही दिलचस्प। मानव विराजमान कुण्डलिनी आपमें परमात्मा की ही अजीब जीव है। उसका व्यवहार इच्छा है। ये परमात्मा के लिए इच्छा नहीं है। ये गुरु लोग इस शरीर यन्त्र को खराब बहुत कभी भी एक ही तरह का नहीं होता। उसके आपके अन्दर यह परमात्मा की इच्छा विषय में निश्चित रूप से आप कभी भी कुछ केवल उसी इच्छा से इसे जागृत किया जा नहीं कह सकते। आप नहीं जानते कि वो कब कैसा व्यवहार करे। अत्यन्त दिलचस्प जा रहा है । परमात्मा की इच्छा ही शक्ति है लोग हैं। सहजयोग में आने के पश्चात् और परमात्मा का प्रेम ही उनकी इच्छा है। आपको भी बहुत आनन्द आएगा| भिन्न योगों के विषय में मैंने ये सब वैभव और प्रेम करने की सामर्थ्य आपको आपको बताया है फिर भी आपके कोई प्रदान करें इसी इच्छा को आपके अन्दर सकता है। परमात्मा की इच्छा को ही उठाया उनकी इच्छा है कि वे अपनी शक्तियाँ, अपना प्रश्न है तो आप पूछ सकते हैं। परन्तु आपके स्थापित किया गया है और यह सुप्त है। जब प्रश्न विवेकपूर्ण होने चाहिएं। आप अपने ये जागृत होती है तो आपके अन्तस में उनकी प्रश्न पूछे क्योंकि मैंने ये सब आपको बहुत इच्छा पूर्ण होती है और आपकी पूर्ति हो जाती ही संक्षेप में बताया है। बाद में किसी वक्त है। जब तक आप परमात्मा नहीं है, आप मैं विस्तार में बताऊंगी। परमात्मा की इच्छा को नियंत्रित नहीं कर उत्तर-ये लामा आदि सब गलत हैं। अपने सकते। आत्म-साक्षात्कार के बाद परमात्मा बच्चों को मैं ये बात स्पष्ट बताना चाहती हूँ। आपको अपनी शक्तियाँ देता है जिनके द्वारा इन्हों ने आप लोगों के लिए बहुत सी आप उनकी इच्छा का संचालन कर सकते हैं। समस्याएं खड़ी कर दी हैं। आप सब लोगों अन्य लोगों की कुण्डलिनी आप उठा सकते हैं ने आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर लिया है। एक क्योंकि ये परमात्मा की ही इच्छा है। यह साधक से श्रीमाताजी पूछती हैं कि तुम्हें महानतम उपलब्धि है जिसे व्यक्ति प्राप्त कर अभी तक नहीं प्राप्त हुआ, थोड़ी सी समस्या सकता है क्या ऐसा नहीं है? नवम्बर-दिसम्बर 2002 14 चैतन्य लहरी खंड XIV अंक 11 वे 12 प्रश्न: आत्मसाक्षात्कार क्या है? मानव की उच्च कोटि के लोग थे इसीलिए आप परमात्मा को खोज रहे थे, इसीलिए आपने अन्य लोगों की कुण्डलिनी उठाने से और इस देश में जन्म लिया। पूरा विश्व परिवर्तित श्रीमाताजी आपको समझने से ही ये कार्य हो हो जाएगा। एक दीपक पूरे कमरे में उजाला कर सकता है परन्तु इसके लिए आपको रक्षा करने का सर्वोत्तम उपाय क्या है? क्या सकता है? उत्तरः आत्मसाक्षात्कार द्वारा आप प्रकाश बन अपनी बाती हर समय प्रज्जवलित रखनी जाते हैं, ठीक है? अतः आपको अन्य लोगों होगी ताकि इससे प्रकाश निकलता रहे । को ज्योतिर्मय करना होगा यह आपका एक अधिकतर विक्षिप्त लोग भयपीडित हैं, उनमें कार्य है इसे समझ जाने पर आप विराट को जटिलताएं हैं । क्योंकि वे कभी स्वयं को समझ जाएंगे। इसका पूर्ण ज्ञान आपको सुरक्षित नहीं समझते। जो देश युद्ध रत हैं होना चाहिए। आपको अपना और अन्य लोगों का ज्ञान होना चाहिए और अन्य लोगों असुरक्षित महसूस करते हैं । क्योंकि उन्होंने उसका कारण ये है कि वे अन्दर से को शुद्ध करने का आपको प्रयत्न करना स्वयं को नहीं समझा। यदि उन्होंने स्वयं को चाहिए। केवल सभी को स्वच्छ करने से, समझा होता तो वे दुखी न होते। आपमें सर्वत्र प्रकाश फैलाने से आप सभी कुछ विपुल वैभव छिपा हुआ है, क्या ये बात सत्य ज्योतिर्मय कर सकते हैं। क्या ये बात ठीक नहीं है? एक बार जब आप अपने वैभव को नहीं है? हमारे अन्दर जिस चीज की कमी है समझ जाएंगे तो कभी दुखी न होंगे और वह है ज्ञान और चेतना। एक बार जब आप पूरा विश्व अत्यन्त सुखमय होने वाला है। इन्हें प्राप्त कर लेंगे तो पूरा विश्व परिवर्तित आप यही सब खोज रहे थे क्या ऐसा नहीं हो जाएगा। आप इसी को खोज रहे थे पूरे है? आपका अपना वैभव है और अब आपने विश्व को आप परिवर्तित करना चाहते थे, इसी का ज्ञान प्राप्त करना है। उदाहरण के क्या आप इस बात को जानते हैं? आपने ये रूप में चाहे आप इस कमरे में आ जाएं फिर सब क्यों किया? क्या आपको इसका ज्ञान भी इसके विषय में आप सभी कुछ नहीं है? क्योंकि पूर्व जन्मों में आप अत्यन्त महान जानते आप यहाँ हैं। अतः मुझे आपको ये और उच्च कोटि के साधक थे, यही कारण था कि आप खोज रहे थे ठीक है आपसे खोजें, अन्य लोगों में भी खोजें। यही सब कुछ गलतियाँ है। सम्पन्न लोग हैं । अपनी शक्ति को न भूलें । अधोगति की ओर न जाएं। क्योंकि आप सब चीजें बतानी हैं आप अपने अन्दर हुई, परन्तु आप अत्यन्त गुण कुछ कार्यान्वित कर रहा परमात्मा आपको धन्य करें। चिकित्सा सम्मेलन 2 अप्रैल, 2002 जवाहर लाल नेहरु सभागार अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान केन्द्र, नई दिल्ली परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन सभी सत्य साधकों को मेरा प्रणाम | उदाहरण के रूप में किसी व्यक्ति को आप चिकित्सकों के सम्मुख बोलते हुए मुझे अपने शारीरिक रूप से बहुत बीमार देखते हैं, विश्वविद्यालय के दिनों का स्मरण हो आया निःसन्देह, परन्तु आप ये नहीं जानते कि है। मैं भी चिकित्सा विज्ञान पढ़ी थी परन्तु उसे क्या होने वाला है। बिल्कुल भी नहीं भाग्य से या दुर्भाग्य से, लाहौर में हमारा जानते कि वह आपके सम्मुख क्या समस्या विश्वविद्यालय बन्द हो गया ऐसा नहीं था लाने वाला है क्या वह मानसिक रूप से कि मेरा विश्वास पाश्चात्य चिकित्सा शिक्षा ठीक है या बीमार है क्योंकि उसमें कमी में न हो। परन्तु यह दोनों को जोडने का तो है । अब हम कई चीजों के बारे में अच्छी और समझने का सुनहरा अवसर था कि तरह से जानते हैं परन्तु चिकित्सा विज्ञान में पाश्चात्य चिकित्सा शिक्षा में क्या कमी है। इस चिकित्सा पद्धति की मुख्य कमी ये है हैं कि यह मनौदैहिक समस्या है या ये कि चिकित्सा विज्ञान मानव को व्यक्तिगत दैहिक समस्या है । इन दोनों में क्या कुछ उसका कोई इलाज नहीं है और आप कहते रूप से मानता है। पूर्ण से (विराट से) जुड़ा सम्बन्ध है, ये बात हम नहीं जानते। आप हुआ नहीं। आप सभी विराट से जुड़े हुए हैं। हैरान होंगे कि कैंसर जैसी हमारी बहुत सी परन्तु लोगों को किस प्रकार विश्वस्त किया बीमारियाँ मनौदैहिक समस्याओं के कारण जाए कि आप सब पूर्ण से जुड़े हुए हो, आती है जो लाइलाज हैं । विशेष रूप से केवल व्यक्ति (अकेले) नहीं हो। क्योंकि हम कँंसर, या हम कह सकते हैं एड्स। ऐसे सब पूर्ण से जुड़े हुए हैं, हमारी सभी सभी रोग जिन्हें हम पूर्णतः लाइलाज और समस्याएं भी सबसे जुड़ी हुई ह व्यक्ति को आप एक चीज का रोगी और Side) के सम्बन्धों के कारण आती है जिनके दूसरे को दूसरी का नहीं मान सकते । हो बारे में हम विश्वस्त भी नहीं होते (जैसा सकता है कि जिस व्यक्ति में एक समस्या है आपने शरीर तन्त्र के चित्र में देखा है)। उसमें कुछ अन्य समस्याएं भी हों, बहुत सारी अन्य समस्याएं भी जुड़ी हुई हों जिन्हें आप पा१्चात्य चिकित्सा विज्ञान से खोज न सकें। हैं। किसी कठिन मानते हैं. ये हमारे बाईं ओर (Left चिकित्सा विज्ञान को केवल दाईं ओर का ज्ञान है। इसका यह ज्ञान बहुत विस्तृत है यह सूक्ष्म नहीं है। मानव की बाई ओर को चैतनय लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 15 समझने की यह कोई आवश्यकता नहीं अवस्था में हो तो इसका इलाज बहुत समझता और यही कारण है कि बाई और आसान है अन्यथा भी यह ठीक हो सकता का ज्ञान चिकित्सा शास्त्रियों को नहीं है। है विशेष रूप से रक्त कैंसर पूरी तरह से उदाहरण के रूप में एक व्यक्ति जो पागल ठीक हो सकता है। आप हैरान होंगे कि ये है, जिसे पागलखाने भेज दिया गया है उसे हमारे जीवन के इन दो पहलुओं का ऐसा हृदय रोग हो सकता है, क्यों? किस प्रकार सम्मिश्रण है कि हम लाइलाज रोगों में फँस वह पागल हुआ। दूसरी ओर से उसका क्या जाते हैं। लाइलाज रोगों की बहुत बड़ी सूची सम्बन्ध है? उदाहरण के रूप में एक रोगी है जिसे में बताना नहीं चाहती क्योंकि आप कैं सर पीड़ित है। कैंसर के विषय में हम इसके बारे में अच्छी तरह जानते हैं। परन्तु बहुत कुछ जानते हैं, इसमें कोई सन्दे ह नहीं, इस प्रकार के अधिकतर रोगों में बाई ओर कि किस प्रकार इसके विषाणु फैलने लगते की जटिलता होती है । नि:सन्देह आप दाईं हैं आदि-आदि। हम सभी कुछ जानते हैं। ओर के बारे में भली-भांति जानते हैं, अब परन्तु कैंसर किस कारण से होता है बात को कोई नहीं जानता और ये बात भी बाद की चीजों को भी जानते हैं। ये सब कोई नहीं जानता कि कैसे लोगों को कैंसर आप जानते हैं परन्तु आपको इस बात का होता है। जैसा आपने चित्र में देखा है हमारे अन्दर 1 इस शरीर रचना, उसकी चीर-फाड़ और उसके ज्ञान नहीं है कि बाई ओर आपको किस प्रकार प्रभावित करती है। दो मुख्य नाड़ियाँ हैं। एक हमारी दाई ओर की देखभाल करती है और दूसरी बाई ओर के विषय में बताना चाहूँगी, जिसके बारे में की। बाई ओर यदि समस्या है तो यह आपने कभी नहीं सुना, और जिसके विषय में मनौदैहिक हो सकती है। मान लो आपका अतः इस भाषण में मैं आपको बाई ओर आप विश्वास भी नहीं करते। बायां पक्ष हाथ टूट गया है या आपके साथ कोई और हमारे भूतकाल का क्षेत्र है और जो लोग शारीरिक समस्या है, वहाँ तक तो ठीक है । भविष्यवादी हैं वो भूत काल तथा बाएं परन्तु यदि कोई जटिल मनौदैहिक रोग है अनुकम्पी से अधिक प्रभावित नहीं होते। तो चिकित्सक इसका इलाज नहीं कर परन्तु जो लोग बाई ओर (भूतकाल) में रहते सकते। खेद के साथ मुझे कहना पड़ रहा है हैं उसकी चिन्ता करते हैं. अपने बीते हुए क्योंकि आप लोगों को इस पक्ष (Left Side) समय के विषय में जिन्हें खेद है. ऐसे सभी का ज्ञान नहीं है । आप नहीं जानते कि लोग इससे प्रभावित होते हैं। बाई ओर के व्यक्ति को कैंसर का रोगी बनने के लिए लोगों के विषय में यदि मैं आपसे बताऊँगी क्या चीज प्रभावित कर रही है। आपको तो आपको सदमा पहुँ चेगा। क्योंकि वास्तव जानकर हर्ष होगा कि सहजयोग में कैंसर में वे भूत-बाधित होते हैं। किसी मृत आत्मा का इलाज हो सकता है। यदि ये आरंभिक की पकड़ उन पर होती है और वही मृत पैतन्य लहरी खं-XIV अंक 11 वे 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 17 आत्मा उन पर कार्य करती है। आपको इस प्रकार की लाइलाज बीमारियों से पीड़ित हैं। 1 पर विश्वास नहीं होगा परन्तु ये बात सत्य मैं कहती हूँ कि व्यक्ति को सर्व प्रथम है। कोई भी व्यक्ति जो उदासीन है या तामसिक स्वभाव का है उसके साथ ऐसा करना चाहिए। इस स्थिति में जब कुण्डलिनी घटित हो सकता है। इसके अतिरिक्त भी उठती है तो यह आप के बहुत सी चीजें हैं जैसे ये झूठे गुरु। ये गुरु (Fontannel Bone Area) का भेदन करती क्या करते हैं? ये व्यक्ति को सम्मोहित कर है और आप सर्वव्यापी परमेश्वरी शक्ति से लेते हैं। मनुष्य का ये पक्ष चिकित्सा विज्ञान जुड़ जाते हैं। चाहे आप मुझ पर विश्वास न का क्षेत्र नहीं है ये चिकित्सा विज्ञान से परे करें परन्तु अपना आत्मसाक्षात्कार पा लें। आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने का प्रयत्न तालू रन्धर है। फिर भी चिकित्सकों को इसका ज्ञान आपने यदि आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर होना चाहिए अन्यथा आप इन लोगों को लिया तो इस बात को समझ सकेंगे कि ठीक न कर पाएंगे । हो सकता है आप रोग निदान कर लें परन्तु मनौदैहिक रोगों के है। क्या उसका रोग केवल शारीरिक है या शिकार ऐसे रोगियों का इलाज आप न कर उसमें बाईं ओर का सम्मिश्रण भी है । मैं पाएंगे । आपके रोगियों में किन चीज़ों का सम्मिश्रण हैरान थी कि उस दिन एक बच्चा मेरे पास आज की चिकित्सा समस्या ये है कि आया । उसे मस्तिष्क -झि ल्ली-सूजन चिकित्सक मनौदैहिक रोगों का इलाज नहीं (Meningitis) रोग था वह ठीक हो गया। कर सकते। इसके लिए आपको अपनी एम. उसके माता-पिता ये समझ भी न पाए कि बी.बी.एस. की उपाधि की तरह से बहुत से कैसे वह ठीक हो गया है । बच्चा जब ठीक वर्ष खर्च नहीं करने पड़ेंगे । यह अत्यन्त हो गया तो मैंने उससे पूछा तुम्हारा मित्र तीव्रता से होने वाला प्रशिक्षण है, बशर्त है कौन है? उसने एक लड़के का नाम बताया कि आप इसे करें। परन्तु इसमें पारंगत होने के लिए सर्वप्रथम आपको परमेश्वरी शक्ति कि किस प्रकार आप हर समय उस गुरु को जिसका एक गुरु भी था। मैंने उसे बताया (Divine Force) से एकरूप होना पडे गा। ये कार्य बिल्कुल भी कठिन नहीं है। परन्तु कर सकते हैं ? ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस प्राप्त करने के पश्चात् आपको अपनी आध्यात्मिक योग्यता बनाए रखनी होगी। देखे चले जाते हैं? क्या आप इसकी कल्पना प्रकार के गुरुओं के चंगुल में फँस जाते हैं। आपको इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि अबो धिता (Innocence) आध्यात्मिक योग्यता है। पहला चक्र जो आप प्रथाम जब तक आप आत्म-साक्षात्कार प्राप्त नहीं कर लेते, आप जान ही नहीं सकते कि कौन सच्चा है, कौन झूठा है। एक अबोध बच्चा यदि पावन हैं तो आप सुगमता से ऐसे जो मस्तिष्क झिल्ली सूजन (Meningitis) से रोगियों को ठीक कर सकते हैं जो इस पीड़ित था रातों रात ठीक हो गया! महसूस करते है वह पावनता का है। आप पैतन्य लहरी खंड-XIV अक 11 वे 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 18 हैं तो आपको सहजयोग के महान अनुभव पर आप आश्चर्य चकित होंगे कि यह महान आश्चर्य इसका आपरेशन नहीं करना पड़े गा । है और यही कारण है कि लोग इसे स्वीकार रातोंरात आप इसको ठीक कर सकते हैं । नहीं करते। ऐसे बहुत से मामले हैं जिनके रातोंरात आसानी से कैंसर के रोगी को ठीक माध्यम से हमने दर्शाया है कि जिन रोगियों कर सकते हैं । ऐसा करने में वे सामर्थ्य हैं. को लाइलाज माना जाता था वे भी ठीक हो विशेष रूप से भारतीय गए हैं ऐसे बहुत से मामले विशेष रूप से भारतीयों में इसकी विशेष योग्यता है । मैं कैं सर जैसे गम्भीर रोगों के! चिकित्सा कहना चाहूंगी कि उनपर यह विशेष विज्ञान में कैंसर के साथ ऐसा ही होता आशीर्वाद है आप नहीं जानते ये देश रहेगा जब तक आप लोग इसे पूरी तरह से कितना महान है! आप केवल पार्चात्य शिक्षा समझ नहीं लेते। परन्तु सहजयोग में ऐसा नहीं है। एक दम से आप जान जाते हैं कि लोग अपने अनुभवों में कहाँ पहुँचे? वे इस व्यक्ति भूत-बाधित है। चिकित्सा विज्ञान की बात को नहीं समझ पाते। उनके बच्चे नशों दिशा ये बिल्कुल भी नहीं है परन्तु हमारे देश में फंस रहे हैं उनके परिवार टूट रहे हैं हर में हमने सदैव इस पर विश्वास किया है। चीज़ उथल- पुथल हो रही है । ऐसा नहीं है मृत लोगों के विषय में हमारे विशेष नियम हैं कि मैं इस पाश्चात्य शिक्षा की निन्दा कर कि इनके साथ किस प्रकार व्यवहार करना रही हूँ। बिल्कुल भी नहीं। परन्तु ये शिक्षा है? किस प्रकार प्रेत-क्षेत्र में जाना है । सारे पूर्ण नहीं है। आपको इसका दूसरा पक्ष भी शरीरों को समझने के लिए विशेष प्रकार आप यदि सहजयोग में कुशल लोग क्यों कि के आधार पर कार्य कर रहे हैं। पाश्चात्य जानना है अन्यथा कैंसर अस्पताल न बनाएं। मृत की सूझ-बूझ है, वो किस प्रकार का आचरण केवल शारीरिक समस्याओं को ही देखें करते हैं, कहाँ रहते हैं और मैं सोचती हॅू कि जिन्हें आप ठीक कर सकते हैं परन्तु यदि आपके ज्ञान का यह बहुत बड़ा भाग है। बाईं आप सभी प्रकार के रोगियों को ठीक करना ओर से आने वाली अधिकतर बीमारियों का चाहते हैं तो दूसरी तरफ का ज्ञान भी आवश्यक है। घबराने की कोई बात नहीं, परेशान होने की कोई बात नहीं। परन्तु आप इलाज नहीं कर सकते। मैं जानती हूँ कि चिकित्सा विज्ञान दाई ओर को ठीक कर सकता है कैंसर को चिकित्सक होने के नाते आपको यह ज्ञान परन्तु वो टालते चले जाते हैं। कभी एक जगह की अवश्य होना चाहिए । मैं सोचती हूँ कि अभी शल्य चिकित्सा करते है कभी दूसरी जगह को चीरते- फाड़ते चले जाते हैं । परेशान हो अग्रवाल ने भी यही कहा है। इसमें जो कमी जाते हैं। ये करते हैं वो करते हैं। शल्य है चिकित्सा कैंसर को ठीक करने का कोई पास है। तरीका नहीं है। ये इसका उपाय नहीं है। | तक भी चिकित्सा विज्ञान अधूरा है। डा. वह है बाईं ओर के ज्ञान की जो हमारे अब मैं कहूँगी कि यह ज्ञान मैंने पुस्तकों नवम्बर-दिसम्बर 2002 19 चैतन्य लहरी खड-XIV अंक 11 व 12 बना लेता है। दायीं ओर के और भी बहुत से से प्राप्त नहीं किया, केवल सहजयोगियों पर तथा लोगों पर कार्य करते हुए मैंने इसे रोग हैं, बहुत से-परन्तु इनमें से मुख्य जिगर पाया । मैंने देखा कि भारतीयों के मुकाबले रोग ही है जिगर अर्थात जीवन का आधार पश्चिमी लोग इस बाई ओर से अधिक (Live with) पीड़़ित हैं। परन्तु निश्चित रूप से अभी भी है तो अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के पास कोई मैं नहीं समझ पाती कि वे इस तरह बीमार इलाज नहीं। हो सकता है थोड़ा बहुत कुछ । आपका जिगर ही यदि खराब क्यों है! उन्हें क्या हो गया है? मानव हित हो जाए, परन्तु रोग बढ़ जाने की स्थिति में का, रोग मुक्त करने का कोई अत्यन्त व्यक्ति मूर्च्छित हो सकता है, उसकी मृत्यु हो सीमित क्षेत्र भी ले लें तो भी बाईं ओर को सकती है। पश्चिम में जिगर रोग आम बात आपकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। मान है और उनके पास इसका कोई हल भी नहीं लो कोई व्यक्ति हर समय रोता रहता है. है खराब जिगर के साथ ही वे जिए चले उदास रहता है, तो ऐसे व्यक्ति को कैंसर हो जाते हैं, डाक्टर उन्हें बस हस्पतालों में सकता है। दो प्रकार के लोग हैं-एक जो दाखिल कर लेते हैं। दाईं ओर के (आक्रामक) हैं तथा दूसरे जो बाईं ओर के (तामसिक) हैं । मैंने देखा है कि योग्य हैं। आपके पास क्योंकि ज्ञान (सहज जो लोग अत्यन्त आक्रामक प्रवृत्ति हैं, ज्ञान) नहीं है इसलिए आप इन्हें लाइलाज अत्यन्त हावी-होने वाले हैं तथा लोगों पर कहते हैं। नहीं ये लाइलाज नहीं हैं। मैं नियन्त्रण करने वाले हैं, उनके जिगर अन्य रोगों को दोष नहीं देना चाहती, परन्तु (Liver) बहुत खराब होते हैं। मैं अवश्य ऐसे बहुत से रोग हैं जिनका पता भी नहीं कहूँगी कि उनके ज़िगर बहुत खराब होते लगाया जा सकता और न ही चिकित्सा हैं। जब वो बहुत आक्रामक होते हैं तो सारी विज्ञान द्वारा इनका इलाज हो सकता है। सीमाएं पार कर जाते हैं और इस स्थिति में यह बात आपको स्वीकार करनी होगी कि जो पहली बीमारी उन्हें होती है उसे न तो स्थिति ऐसी ही है जो चाहे प्रयत्न आप आप खोज सकते हैं, न ठीक कर सकते हैं। करते रहें परन्तु आप इन्हें ठीक नहीं कर इसमें एक जिगर रोग है। मेरे विचार से सकते। जितनी चाहें दवाइयाँ बन जाएं, इन्हें डाक्टर जिगर को ठीक नहीं कर सकते। ठीक नहीं किया जा सकता। मैं आपको इसके लिए वे प्रयत्न कर सकते हैं परन्तु बताना चाह रही हूँ कि बीमारियों की आधी जिगर को वैसे नहीं ठीक कर सकते जैसे अधूरी बातचीत होती है। उसमें भी बहुत से सहजयोगी कर सकते हैं । किसी व्यक्तिति का पहलू छोड़ दिए जाते हैं । ये रोग लाइलाज नहीं हैं, ये पूर्णतः इलाज उदाहरण के रूप में दमा (Asthma) रोग वह भयानक जिगर रोग का शिकार हो को लें । डाक्टर दमा रोग को ठीक नहीं कर जाता है और सभी प्रकार की जटिलताएं सकते। यह सच्चाई है। परन्तु सहजयोग स्वभाव यदि गर्म है तथा वह आक्रामक है तो d4२-दिसम्बर 2002 20 चैत-्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 इसे पूर्णतः ठीक कर सकता है। सहज योग उनमें से कुछ बहुत ही अच्छे हैं, उनमें से से हम अल्जी के रोग भी ठीक कर सकते कुछ अमरीका कं है, कुछ इटली के हैं कुछ क्योंकि समस्या की जड़ों का यदि रूस के। रूसी डॉक्टर बहुत ही अच्छे हैं। आपको ज्ञान होगा, भेषज सम्बन्धी बातों का मरे विचार स इस शिक्षा (सहजयोग) से परे नहीं, परन्तु वास्तविक जड़ों का यदि आपको कुछ भी नहीं है और ये लोग इसे सीखने के ज्ञान होगा तो आप स्थिति को सम्भाल लिए प्रयत्नशील हैं किसी भी प्रकार की सुविधा यदि आप प्रदान करेंगे. उससे मुझे प्रसन्नता हागी पर-्तु में आपके क्षेत्र में विद्यालय आदि नहीं है। काश! हम ऐसा विशेष रूप से दिल्ली में ग्रेटर नोएडा में, सकते हैं और रोग ठीक कर सकते हैं । सहजयोग का अभी तक को ई महा- कुछ बना पाते। परन्तु सहजयोग हस्पताल एक सहजयोग अरस्पताल शुरु करने का ं निर्णय कर चुकी हूँ। आपमें से कुछ डॉक्टर हमने हस्पताल बनाया है। यहाँ लोगों का यदि हमारा साथ दे गे तो हमारी बहुत इलाज होता है । में एक रहने तथा खाने का खर्च देना पड़ता है और महाविद्यालय या चिकित्सा विद्यालय आरम्भ मेरे विचार से गरीब लोगों के लिए यह 300 करने के विषय में भी मैं सोच रही हूँ। जहाँ रु. प्रतिदिन से अधिक नहीं है परन्तु वहाँ हमारे विद्यार्थी तथा डॉक्टर रोगियों का रोगी को कोई दवाई नहीं चाहिए और न ही इलाज कर सकेंगे वहाँ पर इलाज के लिए किसी अन्य चीज पर उन्हें खर्च करना पड़ता कोई पैसा नहीं लिया जाएगा परन्तु यदि है क्या आप नहीं सोचते कि हमारे जैसे लोग आकर वहाँ ठहरेंगे तो उन्हें अपने भोजन आदि के लिए पैसा देना होगा। मात्र व्यक्ति को एक्सरे तथा भिन्न परीक्षणों के इतना ही अन्यथा मैं इस प्रकार का प्रबन्ध लिए जाना पड़ता है और परिणाम कुछ भी करने वाली हूँ और इस कार्य में जो भी डॉक्टर अपनी सेवाएं अर्पित करना चाहें हम व्यक्ति को केवल यह समझ होनी चाहिए उनकी सेवाओं को स्वीकार करेंगे। मैं नहीं ये हमने बनाया है बेलापुर नवी- मुम्बई में रोगियों को केवल वहाँ सहायता होगी ग्रंटर नोएडा गरीब देश के लिए यह महत्वपूर्ण है? अन्यथा नहीं निकलता। कि इसका उपयोग किस प्रकार करना है जानती कि वेतन कितना होगा? परन्तु मान लो किसी की टाँग गंभीर रूप से बहुत अधिक नहीं होगा। छः सात हजार प्रभावित है तो आप इसे काट कर नकली रुपये प्रतिमाह एक डॉक्टर को दिए जा टाँग लगा देते हैं । ऐसा करने की कोई सकें गे डॉक्टर को सहज यो गी होना आवश्यकता नहीं । मैं आपको विश्वास आवश्यक होगा और सहजयोग की विधियों दिलाती हूँ कि ऐसा करने की को ई का ज्ञान भी उसके लिए अनिवार्य होगा मेरे विचार से ऐसा करना बहुत उदारता होगी सहजयोग में हमारे यहाँ कुछ डाक्टर हैं, क्योंकि हमारे देश में बहुत से लोग इसलिए आवश्यकता नहीं है। चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर दिसम्बर 2002 21 दम तोड़ देते हैं क्योंकि न तो वे अस्पताल में बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है दाखिल हो सकते हैं न इलाज करवा सकते तथा आपमें कार्य करने की इच्छा है तो यह हैं। आप लोग यदि मेरी इस परियोजना के बहुत अच्छा कार्य है वहाँ कार्य करने वालों लिए कुछ समय दे सकें तो मुझे विश्वास है के लिए हम रहने का स्थान तथा भोजन की कि मैं गरीब लोगों के लिए एक अच्छे भी व्यवस्था करते हैं । अस्पताल की व्यवस्था कर सकूगी। वहाँ पर दै हिक और मनौदै हिक (Somatic and प्राप्ति के लिए इसे नहीं किया जा सकता। यह ज्ञान बहुत कठिन नहीं है परन्तु धन Psychosomatic) सभी प्रकार के रोगी जब मैं चिकित्सा विज्ञान पढ़ रही थी तब आएंगे और आप लोग भी बहत कुछ तक यह क्षेत्र धनसंचालित न था। अब सीखेंगे क्योंकि यह अत्यन्त सूक्ष्म ज्ञान है। चिकित्सा क्षेत्र बहुत ही धन-लोलुप हो गया पुस्तकों से इसे नहीं सीखा जा सकता। आपको रोगियों पर प्रयोग करने होंगे और कहना पड़ रहा है। परन्तु चिकित्सक लोग आप हैरान होंगे कि लोग किस प्रकार बहुत ही धन-लोलुप हो गए हैं। आपके कुछ रोगमुक्त होते हैं। यह किताबी ज्ञान नहीं है। डॉक्टर अमेरीका गए और वहाँ पर लोगों को यह तो अत्यन्त व्यवहारिक ज्ञान है और जिन खूब बेवकूफ बनाया। वो इस सीमा तक गए लोगों में दानशील स्वभाव हो वो इस कार्य कि उनके नाम से हमें शर्मि दगी उठानी को बहुत अच्छा कर सकते हैं और बहुत पड़ती है। उनकी तरह से आप पैसा नहीं है। बड़ा ही अजीब समय है। खेद पूर्वक मुझे परन्तु सेवानिवृत्त होकर आप कुछ सीख सकते हैं। एक बात अवश्य में बना सकेंगे आपको बताना चाहूंगी कि सहजयोग में एक हमारा साथ दें, हमारी सहायता करें। आपमें बहुत बड़ी बुराई है। सहजयोग में आप पैसा से कुछ लोग सहजयोग सीखने के लिए नहीं बना सकते, ऐसा आप यहाँ नहीं कर आएं। मुश्किल से एक महीने भर में आप सकते पैसा बनाने का प्रयत्न यदि आपने इसमें कुशल हो जाएंगे। बिना कोई उपाधि किया तो आप असफल हो जाएंगे। जो भी प्राप्त किए आप रोग निदान कर सकेंगे । हो यह धन-व्यापार सहजयोगियों के लिए किसी प्रयोगशाला में जाने की आपको | बहुत दूर की बात है। वे ऐसा नहीं कर सकते। परन्तु आप अपनी सेवाएं दे सकते जाएंगे कि समस्या क्या है और सभी प्रकार हैं। बेला पुर अस्पताल में हमारे यहाँ एक की लाइलाज बीमारियों का आप इलाज कर आवश्यकता न हो गी। तुरन्त आप जान बहुत अच्छे सेवा निवृत डॉक्टर थे उन्होंने सकेंगे । मैं हैरान हूँ कि ये सब कार्य इतने बहुत अच्छा कार्य किया अब वे जीवित नहीं सुन्दर ढंग से कैसे हो रहा है? ये सारे कार्य हैं। परन्तु उन्होंने बहुत परिश्रम किया अब और सभी कुछ ये लोग कर रहे हैं क्योंकि उनकी पुत्रवधु वहाँ कार्य को देख रही हैं। मैंने लोगों को रोगमुक्त किया, उनके लिए आप यदि सेवा निवृत्त और यदि आपको सभी कुछ किया। परन्तु यहाँ पर हमारा कोई हैं नवम्बर दिसम्बर 2002 22 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 वं 12 अस्पताल नहीं है । हम चाहते हैं कि दिल्ली युद्ध होगा न आक्रमण । मैं बहुत से मुस्लिम में पहला अस्पताल बने और मैं इस कार्य को देशों को जानती हू। ऐसे बहुत से मुस्लिम कार्यान्वित करना चाहती हूँ। आइए हम इस देश हैं जहाँ पर लोग आत्मसाक्षात्कारी हैं- कार्य को करें यही धर्मार्थ अस्पताल होगा। जैसे टर्की, बेनिन, आइवरीकोस्ट-ऐसे सात यही विवेकशीलता होगी इसको बनाने के देश हैं। इन क्षेत्रों के मुसलमानों को लिए धन मेरे पास है परन्तु मुझे ऐसे सहजयोगी बना दिया गया है। इनमें सभी चिकित्सकों की आवश्यकता है जो सहायता प्रकार की विचारधाराओं का समन्वय है, कर सकें। सहजयोग ही आश्चर्यचकित मानवीय योग्यताओं की सूझ-बूझ है तथा कर देने वाली चीज है। आप जब आएंगे तो मानव व्यक्तित्व का सम्मान है। कहने से देखकर हैरान होंगे कि ये किस प्रकार कार्य अभिप्राय ये है कि यहाँ का वातावरण करता है। मैं जानती हूँ कि आप उस स्तर बिल्कुल भिन्न है । भिन्न स्तर की चेतना तक कभी नहीं आए। कभी आप परमात्मा से वहाँ है और जैसे आप कह रहे थे वहाँ बहुत एकरूप नहीं हुए, आपने परमात्मा की शक्ति पर व्यक्ति अत्यन्त शान्त हो जाता है का कभी प्रयोग नहीं किया एक बार जब और मौन होते हुए भी अत्यन्त मधुर होता आप इस शक्ति का उपयोग करने लगेंगे तो है। आप अपने कार्य पर हैरान होंगे । कहा गया है कि आप स्वयं को पहचानें । सहजयोग के विषय में आपको कितना कुछ इस छोटे से भाषण में, मैं नहीं जानती, परन्तु आत्म साक्षात्कार प्राप्त किए बिना बताऊँ परन्तु यह अत्यन्त चमत्कारिक चीज ऐसा कर पाना संभव नहीं है। हमारे देश है। कृपया अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त में आज हमें आत्म- साक्षात्कारी लोगों करने का प्रयत्न करें इन्होंने मुझसे आत्म- की आवश्यकता है। सभी प्रकार की साक्षात्कार देने का अनुरोध किया है। मैंने समस्याओं का समाधान हो जाएगा। ये सारे कहा, "अच्छा मैं प्रयत्न करती हैँ और देखती लड़ाई- झगड़े समाप्त हो जाएंगे, क्योंकि हूँ कि मैं ये कार्य कर सकूं । आप सामूहिक व्यक्ति बन जाते हैं, आपका व्यक्तित्व सामूहिक हो जाता है। न कोई साधकों को आत्म-साक्षात्कार प्रदान किया।) (इसके बाद श्रीमाताजी ने सभी उपस्थित পাঁ ईस्टर पूजा ईस्तम्बूल 21.4.2002 परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन आज हम ईसा-मसीह और उनकी माँ की विषय में मेरा बहुत कटु अनुभव है। हमने पूजा करने के लिए यहाँ आए हैं। संयोग की बात हैं कि ईसा-मसीह की माँ के लिए एक संस्था आरम्भ की है । इस टर्की आई और यहाँ रहती रहीं। क्या ये संस्था में जिन महिलाओं के प्रार्थना पत्र आए आश्चर्य की बात नहीं है कि ईसा-मसीह के हैं उनमें से अधिकतर मुस्लिम महिलाएं हैं । क्रूसारोपण के पश्चात् वो यहाँ आईं और अत्यन्त खेद की बात है। मोहम्मद साहब ने यहीं रहीं। हो सकता है कि बाद में वो भी कहा कि 'अपनी माँ की देखभाल करें,. उनके पास आए हों! परन्तु लोग कहते हैं इसके बावजूद भी ये सारी महिलाएं जिनके कि वो कश्मीर गए और उनकी माँ भी उनके आठ-आठ, दस-दस बच्चे हैं। निःसन्देह हम साथ थीं । बिल्कुल संभव है। हो सकता है उन्हें स्थान देंगे । हमें उनकी देखभाल करनी कि जाते हुए मार्ग में वो यहाँ रुके हों । तो हम उनकी पूजा करने के लिए यहाँ कोई विश्वास आए हैं सहजयोग के अनुसार वे महालक्ष्मी मानव धर्म है । निराश्रय महिलाओं को पुनः स्थापित करने है क्योंकि इन तुच्छ धार्मिक विचारों में हमें नहीं। सबसे महत्वपूर्ण तो का अवतरण थीं और उन्होंने धर्म के लिए अपने पुत्र का बलिदान कर दिया। परन्तु बहुत दुष्कर कार्य है क्योंकि मुसलमान- दुर्भाग्य की बात है कि किसी ने उनका (माँ मुसलमानों का सम्मान नहीं करते और मेरी) मूल्य नहीं समझा। इस सत्य को किसी इसाई, हिन्दुओं का सम्मान नहीं करते। ये ने नहीं देखा कि वे इतनी महान आध्यात्मिक बहुत ही अजीबो-गरीब तरीका चल पड़ा है। व्यक्ति हैं। केवल सहजयोग के माध्यम से वे सब परमात्मा के लिए हैं, परमात्मा के आप समझ सकते हैं कि वे अत्यन्त महान कार्य के लिए और उसके प्रेम के लिए हैं। व्यक्तित्व महिला थीं जिन्होंने ईसा-मसीह इसके बावजूद भी कोई सम्मान नहीं है को जन्म दिया| दुर्भाग्य की बात है कि बिल्कुल भी प्रेम नहीं है। इसके विपरीत सभी लोगों ने उनका सम्मान नहीं किया। विशेष लोग लड़ रहे हैं, झगड़ रहे हैं और सर्वत्र हमें इन सभी धर्मों को समीप लाना है। ये रूप से इस्लाम जगत में उनका सम्मान नहीं खून खराबा कर रहे हैं। अत्यन्त खेद की हुआ। इसी कारण से इस्लामिक संस्कृति में बात है कि परमात्मा और धर्म के नाम पर महिला के लिए कोई स्थान नहीं है। उनके लोग इतने क्रूर और हास्यास्पद बन गए हैं । चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 24 समस्या का एकमात्र समाधान है उन्हें आप इस बात को महसूस कर लेते है कि ये आत्मसाक्षात्कार दे देना। इसी आत्म- सभी देवी देवता हमारे मध्य नाडी तन्त्र पर साक्षात्कार को कुरान में मिराज (Miraj) कहा विराजमान हैं । वे हमारे चक्रों पर विराजमान गया है, इसे मिराज नाम दिया गया है । हैं वे इसलिए वहाँ नहीं हैं क्योंकि हमने ये लोग कहते हैं कि कोई भी मिराज शास्त्रों में ऐसा लिखा हुआ पढ़ा है। परन्तु परन्तु नहीं प्राप्त कर सकता। मोहम्मद-साहब ने वास्तव में ये सच्चाई है सभी देवी-देवता इसे प्राप्त किया था उनके अतिरिक्त किसी वहाँ विराजमान हैं और पूरे विश्व के ने भी नहीं । इन लोगों ने लोगों के पुनरुत्थान के लिए कार्यरत हैं । तो ईसा- मसीह का महानतम कार्य ये बात गलत है सभी मनुष्य आत्म पुनरुत्थान है । इस कार्य को करते हुए साक्षात्कार प्राप्त कर सकते है चाहे वो उन्होंने बहुत कष्ट उठाए । बहुत यातनाओं अफ्रीका, इंग्लैण्ड, अमरीका, भारत या किसी में से उन्हें गुजरना पड़ा और उसके पश्चात् अन्य देश के हों सभी मिराज प्राप्त कर शरीर सहित उनका पुनर्ज न्म हुआ। सकते हैं। एक बात हमें अच्छी तरह से सहजयोग भी इसी प्रकार से कार्यान्वित है। समझ लेनी चाहिए कि किसी का भी सृजन आप अपना आत्म-साक्षात्कार अर्थात अपना इस संसार में लड़ने के लिए. परस्पर लड़ने पुनर्जन्म प्राप्त करते हैं आपकी सारी गलत के लिए नहीं किया गया पशु भी आपस में धारणाएं समाप्त हो जाती हैं। आपके अन्दर नहीं लड़ते। तो क्यों मनुष्यों को परस्पर की सारी मूर्खता लुप्त हो जाती है और आप लड़ना चाहिए और वो भी धर्म के नाम पर! केवल प्रेम और सूझबूझ से परिपूर्ण हो जाते आत्म-साक्षात्कार लेने पर रोक लगा दी है। परमात्मा के नाम पर धार्मिक एकता है। स्थापित करने के लिए ईसा-मसीह पृथ्वी पर अवतरित हुए। परन्तु ईसाई लोगों ने भी किसी भी अन्य देश में ये कार्य करना कठिन लड़ना और दूसरों पर प्रभुत्व जमाना शुरू था। सर्वत्र मैंने पाया कि लोगों में ज्ञान का कर दिया। ये विशाल विश्व उथल-पुथल से पूर्ण अभाव है और वे परस्पर घृणा करते हैं । भर गया है यहाँ पर आदमी परमात्मा और किसी न किसी बहाने से, किसी न किसी धर्म के नाम पर लड़ रहा है । हमारा धर्म धारणा के अनुरूप या एतिहासिक विचारों के सार्वभौमिक है। एक धर्म है । हम सभी अनुसार वे परस्पर घृणा करते हैं। भारत में देवी-देवताओं का सम्मान करते हैं- सम्मान तो ये घृणा थी ही, विदेशों में भी इसकी ही नहीं करते उनकी पूजा भी करते हैं। हम कमी न थी। जैसे हिटलर आया। हिटलर इतने मुर्ख नहीं कि इस बात को भी न समझ इसलिए आया कि वो मानव से घृणा करता सकें कि सारे देवी- देवता एक हैं। वैसे ही था वह आसुरी शक्ति थी जो अवतरित हुई मैं जानती हूँ कि आरम्भ में भारत या आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर लेने के पश्चात् और जिसने सभी प्रकार के किए । कुकृत्य य नवम्बर-दिसम्बर 2002 25 चैतन्य लहरी खंड-XIV अक 11 व 12 जिस प्रकार से उसने लोगों की हत्या की पुनरुत्थान करना होगा ये पुनरुत्थान पृथ्वी क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई पर अब सहजयोग के माध्यम से बहुत ही मनुष्य ऐसा कर सकता है! उसने बच्चों की सुगमता से संभव है। मोहम्मद-साहब ने इसे हत्याएं की । बड़े लोगों को गैस कक्षों में बन्द मिराज कहा, उन्होंने इसका वर्णन अत्यन्त करके मार दिया और सभी प्रकार के स्पष्ट रूप से किया परन्तु इसको पाने की भयानक कार्य किए मैं जब जर्मनी गई तो इच्छा किसको हैं? कोई भी मिराज नहीं उन्होंने मुझे ये सब दिखाना चाहा। मैंने पाना चाहता। कोई यदि उन्हें मिराज देने कहा, "मैं नहीं देख सकती, ये सब देखने की का प्रयत्न करें तो वे उसके पीछे पड़ जाते है शक्ति मुझमें नहीं है परन्तु मेरे पति वहाँ पर और कहते हैं ऐ सा करना बहुत ही गए और जब वो वापिस लौटे तो सात दिनों हास्यास्पद है। उन सबका यही नजरिया है। तक बीमार रहे। ये इतना व्यथित कर देने सभी ने मानव के अज्ञान के कारण कष्ट उठाए हैं, सभी ने। वे लोग मेरी भी आलोचना करने में लगे हुए हैं परन्तु में वाला अनुभव है। इस प्रकार का आचरण, इस प्रकार से लोगों की हत्या करना. किन्ही परिस्थितियों में, किन्हीं धारणाओं के आधार बहुत शक्तिशाली हूँ क्योंकि प्रेम अन्य सभी पर किन्हीं गलत विचारों के अनुरूप इस चीज़ों से कहीं अधिक शक्तिशाली है। अब प्रकार हत्याएं करना अत्यन्त अमानवीय है। मैं नहीं जानती कि इस हिटलर को ऐसा इस बात को महसूस कर रहे हैं कि इस कौन सा विचार आया कि वह यहूदियों के प्रकार घृणा, अन्य लोगों के विषय में गलत पीछे पड़ गया और उनकी हत्या करने लगा। धारणाएं, बहुत ही भयानक हैं। एक बार जब पृथ्वी पर बहुत से कुकृत्य हुए और सभी धर्म बड़ी संख्या में लोग इसे जान जाएंगे तो मुझे के नाम पर हुए, ये सबसे बुरी बात है। शुरू विश्वास है कि ये सब चीज़े समाप्त हो से लेकर अब तंक लोग धर्म के नाम पर जाएंगी| हत्याएं करते रहें हैं । धर्म तो व्यक्ति को प्रेम सिखाता है परमात्मा से प्रेम, परस्पर प्रेम। जिनमें से कुछ तो हाल ही में हुई हैं, कि धर्म किस प्रकार घृणा और हत्या सिखा यदि आप किसी धर्म विशेष का अनुसरण सकता है? मेरा कहने का अर्थ ये है कि करते हैं या धर्म विशेष को मानते हैं तो लोग कितने आश्चर्य की बात है कि आज भी ये आपसे घृणा करते हैं । ये बात मेरी समझ में सब मूर्खता हो रही है। केवल सहजयोग ही नहीं आती। आप इस बात की व्याख्या नहीं इस मूर्खता का अन्त कर सकता है? और कर सकते कि ऐसा क्यों किया जाता है? इसे करना भी चाहिए क्योंकि आखिरकार, परन्तु ऐसा होता है। हमारा सृजन करने यह पूरे विश्व में कार्यान्वित है सर्वत्र लोग हमारे सम्मुख ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं, हम सब मानव हैं। जैसे ईसा मसीह ने कहा वाले परमात्मा के नाम पर मानव से घृणा था, ये करने के लिए आपको अपना करना बहुत ही गलत है। ऐसे लोग परमात्मा नवम्बर-दिसम्बर 2002 26 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 और उनके प्रेम को नहीं समझते । उदाहरण जोड़ना। मान लो कोई व्यक्ति दक्षिणी के रूप में ईसामसीह के जीवन पर नजर अफ्रीका में रह रहा है या बैनिन जैसे किसी डालें। जब उनका क्रूसारोपण हुआ तो वे दूर-दराज स्थान पर । वे सहजयोगी बन गए मुश्किल से तैंतीस वर्ष की आयु के थे । ह उनकी माँ को इतना कष्ट उठाना पड़ा. हैं, वे सब आपके भाई-बहन हैं, आपके क्यों? लोगों ने उन्हें क्रूसारोपित क्यों किया? अपने हैं आप यदि वहाँ जाएं तो वो आपसे क्योंकि वे प्रेम की शिक्षा दे रहे थे प्रेम करने अपने बच्चों की तरह से, संबंधियों की तरह का ये विचार किसी को भी अच्छा न लगा। से प्रेम करेंगे वे कभी नहीं सोचेंगे कि आप लोग यदि परस्पर प्रेम ही नहीं करते तो कौन से धर्म से हैं, कौन से पंथ से। कुछ हैं। वहाँ पर हजारों लोग सहजयोगी बन गए किस प्रकार आप उनकी सहायता कर सकते नहीं। जिस प्रकार वो परस्पर प्रेम करते हैं. हैं? किन वायदों के साथ आप अन्य लोगों उससे मैं हैरान हूँ। वास्तव में प्रेम मानव का की सहायता करते हैं? क्योंकि आप प्रेम अन्तर्जात गुण है ये उसका अन्तर्जात गुण करते हैं इसीलिए आप अन्य लोगों का है। सभी मनुष्यों को प्रेम का ये खजाना, प्रेम आनन्द लेना चाहते हैं और उन्हें समझते हैं। की ये सामर्थ्य दी गई है। परन्तु ये सामर्थ्य एक बार जब आप अन्य लोगों को प्रेम करने अब इतनी कम हो गई है, इतनी घट गई लगते हैं तो ये मिथक समाप्त हो जाता है। मान लो कि आप किसी ईसाई, मुसलिम और एक दूसरे की हत्या करते हैं। धर्म के कि इसी सामर्थ्य से लोग परस्पर लड़ते हैं। नाम पर लोगों की हत्या करना घोर पाप है। या हिन्दू परिवार में जन्में या किसी अन्य में। ऐसी कौन सी चीज है जो आपको ये सोचने ये बात मेरी समझ से परे है कि किस प्रकार पर विवश करती है कि आप अन्य लोगों से लोग मान लेते हैं कि दूसरों की हत्या भिन्न हैं । आप सबके जन्म एक ही प्रकार से करने से वे स्वर्ग में जा सकते हैं। ऐसे लोग हुए, एक ही प्रकार से आपकी माताओं ने तो घोर नर्क में जाएंगे। आजकल ये धारणा गर्भ धारण किया देखने में आप सब एक निश्चित रूप से कुछ कम हुई हैं परन्तु ये जैसे प्रतीत होते हैं। आप सबमें कान, नाक अब भी विद्यमान है । लोग प्रतिदिन इस आँखें सभी कुछ समान है । कौन सी चीज़ प्रकार की मूर्खताएं होते हुए देखते हैं फिर आपको भिन्न बनाती है? मुझे लगता है कि भी वे किए चले जा रहे हैं। इस मामले में भी कोई राजनीति है, परमात्मा और धर्म के नाम पर लोगों को एक दूसरे से सकते हैं, हमें सोचना चाहिए। हमें देखना अलग करने की कोई तुच्छ चाल । इसके विपरीत सहजयोंग का कार्य वह क्या है? किसी न किसी धर्म में तो परमात्मा के नाम पर लोगों को एक करना व्यक्ति को जन्म लेना ही है । आप आसमान हम सहजयोगी इसके विषय में क्या कर चाहिए कि जिस धर्म में हमने जन्म लिया है है, परमात्मा के नाम पर लोगों को परस्पर से तो टपक नहीं सकते। तो जिस भी धर्म में चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 27 आप जन्म लेते हैं उससे बंधे हुए होते हैं। बेटे को बलिदान होने की आज्ञा दे दी। क्या आप प्रेम और आनन्द के धर्म से बंधे हुए हैं माँ थी! इस विश्व में क्या आपको कोई फिर भी आप रोते-चिल्लाते रहते हैं और अन्य ऐसी माँ मिल सकती हैं जो अपने बेटे को क्रूसारोपित होने की आज्ञा दे दे । युद्ध तथा नाराज़गी का पाठ पढ़ाए चले जाते हैं। ये कैसे हो सकता है! हम मानव हैं पशु इतनी साहसिक, प्रेममय और सर्वाभौमिक नहीं हैं। इस प्रकार से तो कुत्ते भी नहीं व्यक्तित्व! करते। तो क्यों हम मानव एक -दूसरे की हत्या करें तथा अपने और अन्य लोगों के है कि वे यहाँ पर रहीं। वे यहाँ पर क्यों आई जीवन नारकीय बनाएं। आप यदि अन्य थीं? क्यों वे यहाँ पर आईं। आज हम यहाँ पर हैं, ये संयोग की बात यहाँ रहीं और लोगों से घृणा करते हैं तो आप भी उनका एक घर यहाँ हैं। अब इस घर को लेकर ही ईसाई लोग एक पंथ चला देंगे। वे घृणास्पद हो जाएंगे। क, ख से घृणा करेगा और ख, क से और इस प्रकार पूर्ण मानव मुसलमानो से लडें गे और मुसलमान जाति और संस्कृति के लिए घृणा ही ईसाईयों से । जो चाहे आप करें लोगों ने तो लड़ना है परस्पर लड़ना है। लोगों का स्वभाव है। किसी की सहायता करना, एक एकमात्र कार्य रह जाएगा। सहजयो ग आपके लिए बहुत बड़ा आशीर्वाद है इसने आपके अन्दर सभी देवी दूसरे की सहायता करना नहीं, बिल्कुल भी देवता प्रदान किए हैं जो कि जागृत हैं और नहीं। ये लोग अत्यन्त अजीबोगरीब एवं अब आप जानते हैं कि आपका सम्बन्ध घिनौने बनने का प्रयत्न कर रहे हैं। भारत में ऐसे बहुत से लोग हुए जिन्होंने मूर्खतापूर्ण विचारों से आपका कोई लेना- परस्पर प्रेम करना सिखाया । इसके बावजूद भी भारत के लोग लड़ रहे हैं। भारत में विराट से है । आप ये भी जानते हैं कि देना नहीं । बहुत यहाँ आना मेरे लिए बहुत अच्छा है। मैं से सूफी हुए। यहाँ सर्वत्र बहुत से महान जानती थी कि वे यहाँ रहे । मैं ये भी जानती सन्त हुए उनमें से कुछ मुसलमान थे कुछ हिन्दू थे! लोग उनके गीत गाते हैं। यहाँ मैरी का एक घर है। ये जानकर मुझे बहुत सभी कुछ है परन्तु इन सबकी अलग-अलग प्रसन्नता हुई कि वे यहाँ रहीं । तो मैंने कहा पूजा होती है और उनके नाम पर भी लोग कि हमें अवश्य उनकी पूजा करनी चाहिए। लडते हैं। लड़ने के लिए वो बहाना खोजते आखिरकार वे ईसा-मसीह की माँ हैं और हैं। मैं आपको बताती हूँ कि ये लोग लड़ाके माँ तो माँ हैं। क्या फर्क पड़ता है कि वो मुर्गों की तरह से हैं । मानवीय गुण, प्रेम एवं ईसाई हैं हिन्दू हैं या मुसलमान। उससे कोई स्नेह उनमे नहीं है आप लोग परस्पर प्रेम फर्क नहीं पड़ता। अपने प्रेम के लिए उन्होंने का आनन्द लें। यह गुण इनमें समाप्त हो गया है। प्रेम करने की सामर्थ्य समाप्त हो थी कि माँ मैरी भी यहाँ रहीं । यहाँ पर माँ | विश्व के लिए और ब्रह्माण्ड के लिए अपने नवम्बर-दिसम्बर 2002 28 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 गई है। कोई व्यक्ति चीन में जन्मा है भारत सम्मेलन दस बजे आरम्भ होना था और मैं में या कहीं अन्य इससे क्या फर्क पड़ता है साढ़े-आठ बजे वहाँ पहुँची। उन्होंने मुझे वह मानव है और उसमें भी प्रेम करने का सामर्थ्य है। आपमें भी प्रेम करने की योग्यता और कहा मुझे सीधे सम्मेलन में जाना होगा । होनी चाहिए। कार में बिठाया, मेरा सामान भी उसमें डाला मैंने कहा 'ठीक है। मैं वहाँ गई इस थोड़े मेरा अनुभव भिन्न है। मैं अपने पति के से समय में ही ये लड़के मुझसे वास्तव में साथ चीन गई उन दिनों चीन के लोगों के प्रेम करने लगे थे जब सम्मेलन समाप्त मन में भारतीयों के प्रति अच्छी भावनाएं न हुआ तो ये लोग बाहर मेरी प्रतीक्षा कर रहे थीं। मैं नहीं जानती क्यों? परन्तु मेरे प्रति वो थे, क्या आप इस पर विश्वास करेंगे? चीन इतने करुणामय थे कि आप विश्वास नहीं के वही लोग जो भारत विरोधी हैं! और तब करेंगे। उनका व्यवहार मुझसे इतना अच्छा था कि सभी लोग हैरान थे कि "क्या बात ये लोग आपके प्रति इतने विनम्र क्यों हैं? पहिया कुर्सी (Wheel Chair) के लिए । और चीन में भारतीयों को पसन्द नहीं किया वो मुझे वहाँ के सर्वोत्तम विपणन केन्द्रों पर इसके पश्चात् मैं रुकी नहीं । वे दो कारें लेकर आए एक मेरे लिए और एक मेरी जाता। मैंने कहा यह बात मिथ्या है। चीनी ले गए, परन्तु मैंने कहा, "आप क्या करोगे? लोगों में मैंने कभी ऐसी कोई बात नहीं कहने लगे, "हम आपकी पहिया कुर्सी को ऊपर लेकर चलेंगे " आप इसकी कल्पना कर सकते हैं। वो देखी। मेरे प्रति ये लोग अत्यन्त-अत्यन्त सम्मानमय हैं। मैंने इनके लिए क्या किया है? कुछ भी नहीं। आप लोग हैरान होंगे कि मेरे सम्बन्धी न थे। इससे पूर्व मैंने उन्हें कभी एक हो टल में मे री एक पाय ल गिर न देखा था। उनमें से एक ने कहा, गई-चाँदी की। वहाँ से मैं एक बहुत दूर "श्रीमाताजी मैं कल नहीं आ सकूंगा।" मैंने स्थान पर चली गई थी उन्होंने ये पायल कहा, "क्यों?" कहने लगा, कल मेरा विवाह लिफाफे में डालेकर मुझे भेजी। क्या आप है।" मैंने पूछा, "आज सारा दिन तुम यहाँ इसकी कल्पना कर सकते हैं ! दूर-मेरी आँखों से आँसू झरने लगे और मैंने साथ रहने में बहुत आनन्द आया। मैंने कहा 'चीन के ये लोग भी अत्यन्त प्रेममय कहा, "मैं तो वृद्ध महिला हॅूँ-आप लोग युवा हैं। मैं अपने कार्यक्रम के लिए गई थी। वहाँ लिया। मैं अपनी दुल्हन भी आपसे मिलवाने पर महिलाओं का एक सम्मेलन था मैं नहीं के लिए लाऊंगा ।' मैं आपको बताती हूँ कि जानती क्यों परन्तु हवाई अड्डे पर केवल मेरी आँखों में आँसू आ गए। मैंने कहा इतना चीनी लड़के आए हुए थे उन्होंने मेरा सारा प्रेम और इतनी करुणा! मैंने उनके लिए कुछ सामान उठाया। मुझे आने में देर हो गई थी, भी नहीं किया था, कुछ भी नहीं, कोई पैसा इतनी क्या करते रहे?" कहने लगा, "मुझे आपके है 'नहीं, नहीं, नहीं, नहीं। मैंने आनन्द चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 29 भी मैंने उन्हें नहीं दिया था। हे परमात्मा! पावन प्रेम का विवेक ही नहीं है। लोग नहीं अन्त तक उन्होंने मुझपर बहुत ध्यान दिया जानते कि पावन प्रेम क्या है? प्रेम तो मानव और वो अत्यन्त युवा लोग थे। सभी पच्चीस का अन्तर्जात गुण है. उनकी अन्तर्जात वर्ष से कम आयु के। अपने हाथों से वे मेरी सम्पदा है। परन्तु अब भी वे नहीं जानते कि पहिया कुर्सी को तीन मंजिलों तक ले गए किसी से पावन प्रेम किस प्रकार करना है। मैंने कहा, "ऐसा मत- करो। मैं ये सब नहीं ये सब अत्यन्त कष्टकर है। मानव को ऐसा चाहती। कहने लगे. "नहीं, नहीं, नहीं नहीं बनना शोभा नहीं देता, पशु भी ऐसे नहीं हम चाहते हैं कि आप ये सब देखें, हम होते परन्तु मानव तो अति की सीमा तक चाहते हैं कि आप आएं।" मैंने पूछा, "क्यों ?" जा सकता है। सौन्दर्य का पूरा वैभव, उन्होंने उत्तर दिया कि यह उन सबके हित सृजनात्मकता की पूरी सम्पदा, कला की पूरी में होगा। मैं नहीं जानती कि उन्होंने किस दौलत, कलात्मक स्वभाव, जीवन का आनन्द | प्रकार ये बात सोची? वे इतने उन्नत लोग देने वाली सारी सम्पदा समाप्त हो गई है। | प्रेम से आप ज्योतिर्मय हो उठते हैं। प्रेम से व्यक्ति को सूझ-बूझ प्राप्त होती है। भी नहीं देख सकेंगे किसी चीज में अच्छाई आपके अन्दर इतना गहन प्रेम विद्यमान है। राजनीतिज्ञ आकर आपको एक कहानी नहीं । लोग दूसरे लोगों से लड़ते हैं और सुनाते हैं। कोई अन्य आकर आपको कहेगा फिर आपस में भी लड़ते हैं। ये सच्चाई है। कि आओ युद्ध करो आदि-आदि। जर्मनी में वो कहते हैं, "हमें लड़ना ही चाहिए। ठीक इसी प्रकार हुआ। युवा-वर्ग को भड़काया है, लड़ो। परन्तु वो आपस में भी लड़ते हैं। गया, परन्तु अब वो परिवर्तित हो रहे हैं। इस अपने भाई बहनों को सताते हैं। कहने से पूरे विश्व को परिवर्तित होना होगा क्योंकि मेरा अभिप्राय ये है कि वे किसी से प्रेम नहीं यह बहुत कष्ट उठा चुका है ये धर्म नहीं है, करते उन्हें किसी से प्रेम नहीं है । ये मुख्य यह सन्तों की शिक्षा नहीं है । यह असुरों की चीज़ है । धर्म का नाम क्यों लें? धर्म ने क्या शिक्षा है जो घृणा करना सिखाती है, ये किया है? किस प्रकार वे इसे सीख पाए? निकृष्टतम चीज़ है। कहने से अभिप्राय है और फिर अपनों से ही घृणा करने की शिक्षा कि प्रेम का आनन्द, स्नेह का आनन्द, आप देने लगे ये बात केवल ईसाईयों, हिन्दुओं नहीं समझते । आप अगर लड़ाकू मुर्गे हैं तो आप कुछ आप नहीं देख सकेंगे, किसी भी चीज में मुसलमानों में ही नहीं है परन्तु सर्वत्र मानव आजकल आप देखते हैं कि चर्चों आदि में इतना गन्दा, इतना घिनौना बन गया है। समस्याएं हैं। मैं नहीं समझ पाती, मूर्ख लोग! कहते हैं ये कलियुग है । मेरी समझ में नहीं उन्हों ने बहुत से कानून बनाए हैं, उन आता, अपने प्रेम की शक्ति आप किस प्रकार कानूनों के बावजूद भी या जो भी कारण हो खो सकते हैं? बेचारे बच्चे कष्ट उठा रहे हैं । लोगों में | ईसा-मसीह ने भी इसी के बारे में बात ho नवम्बर - दिसम्बर 2002 30 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 की, उन्होंने स्पष्ट रूप से प्रेम की बात की। साथ जन्में हैं। आपको एक दूसरे की उन्होंने कहा, "अपने पड़ोसी को भी वैसे ही सहायता करनी चाहिए, एक दूसरे से प्रेम प्रेम करो जैसे स्वयं को करते हो। क्या करना चाहिए. यह मुख्य चीज है। यह गुण आपको कभी कोई ऐसा व्यक्ति मिला? नहीं यदि आप अपने अन्दर विकसित कर लें तो ऐसे लोग नहीं मिलते। ईसा-मसीह को आप अत्यन्त शक्तिशाली सहजयोगी बन मानने वाले ईसाईयों ने क्या किया? मोहम्मद जाएंगे और परमात्मा भी आपकी सहायता साहब को मानने वाले मुसलमानों ने क्या करेंगे, आपको आशीर्वादित करेंगे। परमात्मा किया? और श्री राम को मानने वाले हिन्दुओं आपकी सहायता करेंगे यदि आप प्रेममय ने क्या किया? क्या वे किसी तरह से अपने व्यक्ति हैं तो वे आपको सभी प्रकार की अवतरणों के समीप भी आते हैं? क्या वे कठिनाइयों, कष्टों और तूफानों से निकाल किसी प्रकार से इन दैवी अवतरणों के समीप लेंगे कलियुग का यही आशीर्वाद है, इससे भी हैं ? कहीं नहीं -मैं उन्हें दोष नहीं पूर्व कभी ऐसा न हुआ था। आप यदि प्रेममय व्यक्ति हैं तो परमात्मा देती-कारण ये है कि उन्हें आत्म साक्षात्कार प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने अपनी आत्मा का सभी नियमों को तोड़ कर भी आपकी ज्ञान नहीं पाया। बिना आत्म साक्षात्कार सहायता करेंगे. आपकी समस्याओं का प्राप्त किए आप कुछ भी नहीं समझ सकते। समाधान करेंगे और उन लोगों को दण्ड देंगे किसी भी प्रकार का आनन्द आपको समझ जो आपको कष्ट देते हैं। यह मेरा निजी नहीं आ सकता। कहने का अर्थ ये है कि अनुभव है। मैं कुछ नहीं करती, किसी को आप यदि जर्मनी जाएं तो वहाँ जाकर आप दोष नहीं देती, लड़ाई नहीं करती, चिल्लाती बो सारी चीजें नहीं देख सकते जो उन्होंने भी नहीं, स्वतः सभी कुछ होता है। परमात्मा की हैं। आपमें यदि थोड़े से भी मानवीय गुण से भी मैं कुछ करने को नहीं कहती। मैं बाकी हैं तो आप बेहोश हो जाएंगे। जापान कहूँगी कि परमात्मा तो महानतम व्यक्तित्व में जाकर आप देखें कि हिरोशिमा का हैं वे ही सारा न्याय करते हैं। परमात्मा के इन्होंने क्या हाल किया है? हे परमात्मा, मैं प्रेम के पथ- प्रदर्शन में किसी को कष्ट नहीं सहन न कर सकी और थर-थर कॉपने हो सकता, ये मेरा आश्वासन है। कलियुग लगी। मैंने कहा, "मानव इतना क्रूर किस का ये आशीर्वाद है मैं मानती हूँ कि प्रकार हो सकता है? भयानक! अब वह कलियुग भयानक है, लोग भयानक हैं. सभी समय आ गया है कि ये लोग अपने बच्चों कुछ है परन्तु एक बात है कि परमात्मा बहुत सावधान हो गए हैं, इससे पूर्व कभी ऐसा न ने यदि इस समय जन्म है जिसमें आप मानव को इसलिए प्रेम करते लिया होता तो उन्हें क्रूसारोपित न किया जा हैं क्योंकि वो मानव हैं, इस युग में वो आपके सकता। कलियुग में जन्म न लेने के कारण की ही हत्या कर रहे है। यह पराकष्ठा है। दूसरी ओर सहजयोग था। ईसा-मसीह नवम्बर-दिसम्बर 2002 31 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 ही ऐसा हुआ। हमारे लिए यह बहुत बड़ा सहायता करेगा यह ईसा-मसीह का संदेश आशीर्वाद है । किसी को भी सताया नहीं जा है। ईसा-मसीह ने कहा था, "उन्हें क्षमा कर सकता। बस आपको विनम्र व्यक्ति बने रहना दो।" कितने प्रेम पूर्वक उन्होंने यह बात कही होगा। आपका चरित्र अच्छा होना चाहिए परन्तु लोग नहीं जानते कि वो क्या कर रहे और आपका व्यक्तित्व प्रेममय होना चाहिए । हैं । अत्यन्त प्रेमपूर्वक ईसा मसीह ने उन बस। प्रेममय व्यक्तित्व का आप आनन्द लेंगे. लोगों के लिए याचना की जिन्होंने उन्हें अपने प्रेममय व्यक्तित्व के कारण आपको क्रूसारोपित किया। उन्होंने कहा, "हे आशीर्वाद प्राप्त होंगे कहने का अर्थ है कि परमात्मा, कृपा करके उन्हें क्षमा कर दें जिस प्रकार परमेश्वरी आपकी दे खभाल क्योंकि वो नहीं जानते कि वो क्या कर रहे करती है, लोग मुझे बताते हैं कि बहुत से हैं। ईसा मसीह के इस प्रेममय चरित्र की चमत्कार होते हैं। मैं हैरान नहीं हू, क्योंकि क्या आप कल्पना कर सकते हैं? मैं जानती हूँ कि परमात्मा उन मानवों के प्रति बहुत सावधान हो गए है जो अच्छे हैं, और उनकी पूजा कर रहे हैं तो हमें अपने भले हैं। वे उनकी देखभाल करेंगे. उन्हें अन्दर उस चरित्र की पूजा करनी चाहिए कि आश्रय देंगे, उनके लिए सभी कुछ करेंगे। हम प्रेममय लोग हैं हम परस्पर प्रेम करते आश्चर्य की बात है कि वे इतने सावधान हो हैं । विश्व भर में सहजयोगी परस्पर प्रेम आज जब हम उनका उत्सव मना रहे हैं गए है। उठाने पड़े, सभी को बहुत कष्ट उठाने पड़े। हों जो अच्छे न हों परन्तु अधिकतर 90%, परन्तु अब ऐसा नहीं है। अब सहजयोगियों सहजयोगी प्रेम करते हैं । को कष्ट नहीं उठाने पड़ेंगे, मैं इस बात का मोहम्मद साहब को बहुत कष्ट करते हैं। हो सकत्ता है एक दो ऐसे लोग भी ुजर इसके लिए मैं आपको आशीर्वाद देती हूँ। आश्वासन देती हूँ। परमात्मा स्वयं उनकी आज के दिन परमात्मा आप पर और आपके देखभाल कर रहे है । उनकी हर चीज की अन्दर विद्यमान प्रेम शक्ति पर अनन्त देखभाल हो रही हैं। मैं आपको बताती हैं आशीर्वाद की वर्षा करें। प्रेम की यह शक्ति कि विश्व भर से असंख्य पत्र लिखे गए कि आपमें होनी चाहिए। यह आपके जीवन को किस प्रकार उन्हें आश्रय प्रदान किया गया, पूर्णतः परिवर्तित कर देगी और आप इतने किस प्रकार उनकी सहायता की गई जिस शक्तिशाली व्यक्तित्व, अत्यन्त शक्तिशाली प्रकार से उनकी रक्षा की गई वह सहजयोगी बन जाएंगे प्रेम की सूझ-बूझ आश्चर्य-जनक है। अतः हमें स्वयं पर यदि आप अपने अन्दर विकसित कर लेंगे तो विश्वास करना होगा और वास्तव में लोगों आप अनगिनत चमत्कार कर सकेंगे। को प्रेम करना होगा विनम्र होकर हमें प्रेम करना होगा यह प्रेम जीवन पर्यन्त आपकी परमात्मा आपको धन्य करें । सहस्रार पूजा कबैला 5.5.2002 परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन सहस्रार उत्सव मनाने के लिए- सहसार चेतना वास्तव में परमात्मा से समग्रता या की पूजा करने के लिए आज का दिन एकाकारिता की महान चेतना है । अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आज के दिन यह // परमात्मा से एकाकारिता प्राप्त कर लेना अत्यन्त अद्वितीय कार्य हुआ था कि आपके मानव के लिए महानतम आशीर्वाद है अभी सहस्रार खोले गए। विश्व भर में बहुत थोड़े से लोग थे-कुछ सूफी थे, कुछ सन्त थे और चीन में भी कुछ लोग थे, बस। परन्तु से भी बहुत कम लोगों के सहसार खुल समकालीन युग की अन्य सभी समस्याएं पाए। अतः उन्होंने जो कुछ भी कहा या जैसे युद्ध, अन्य लोगों लिखा उसे लोग समझ नहीं सके। उन्हें और प्रेम करने के स्थान पर अन्य लोगों को वास्तव में कष्ट दिए गए. उन्हें क्रूसारोपित कष्ट देना। ये सभी समस्याएं बनी हुई थीं तक वे लोग मानवीय अस्तित्व के निम्न स्तर पर थे। उस निम्न स्तर की सभी समस्याएं उनमें उनके साथ थीं जैसे ईष्ष्या, घृणा आदि तथा को कष्ट पहुँचाना न थे। दिए गए क्यों कि लोग उनके आत्म- साक्षात्कार प्राप्ति को सहन न कर सके। लोगों के सहस्रार को खोलना है। यह कार्य अतः हमारा मुख्य कार्य विश्व भर के अंतः आज का दिन बहुत महान है क्योंकि अत्यन्त सरल है और इसे आप कर सकते हैं इस दिन सामूहिक रूप से सहस्रार खोला तथा सामूहिक रूप से यदि आप इस कार्य गया। आप सबने इसे प्राप्त किया। विश्व भर को करेंगे तो यह और बेहतर कार्यान्वित में भी आपके पास बहुत से लोग हैं जिनके होगा आप यदि सामूहिक हैं तो इसे बहुत सहस्रार खुले हैं। नि:सन्दैह ये समझने के ही अच्छी तरह से कार्यान्वित कर सकते हैं । सहजयोग में इसी प्रकार के बहुत से लोग हैं लिए कि सामूहिक सहस्रार खोलने की ये महान घटना क्या है हमें अभी भी बहुत से आए जिनके सहस्रार पूरी तरह से खुले हुए और लोगों की आवश्यकता है । आत्म और जो अपनी गहनता को महसूस करते हैं। साक्षात्कार प्राप्त करने के पश्चात् इनमें से सर्वप्रथम आपको अपनी गहनता को महसूस कुछ लोग बहुत उन्नत हो गए हैं। बहुत करना है। अपनी गहनता को यदि आप महसूस को नहीं करते, आप यदि अपने व्यक्तित्व से, जो कि भली-भांति समझ लिया है और उनमें बहुत गहन है, एकरूप नहीं हैं, तो आप गहनता बहुत विकसित हुई तथा उनकी आत्मसाक्षात्कार का आनन्द नहीं उठा सकते। अधिक। उनमें से कुछ ने सहजयोग LEA ho नवम्बर-दिस4 2002 33 वै-। लहरी खंड XIV अक 11 वे 12 सर्वप्रथम आप स्वयं को समझें। आप यदि बहुत तीव्रता से सहजयोग अपना लिया। स्वयं को ही नहीं समझ सकते तो किस आश्चर्य की बात है कि अफ्रीका, जिसे प्रकार आप अन्य लोगों को समझ सकते हैं। अन्य लोगों को आप नहीं समझ सकते। अत: बहुत अच्छा चल रहा है। वहाँ पर हजारों सर्वप्रथम सहस्रार का पूरी, तरह से खुलना लोगों ने आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर लिया आवश्यक है। पूरी तरह से मेरा अभिप्राय है, है विकसित देशों के लोग, मेरे विचार से, परमात्मा से पूर्ण एकाकारिता। यह कार्य उत्थान प्राप्ति की स्थिति से परे पहुँच गए कठिन नहीं है। आपको केवल थोड़ी सी हैं। यही बात हो सकती है! उन्हें अपनी ध्यान धारणा करनी है और यह कार्यान्वित विकसित अवस्था से इस अवस्था तक हो जाएगा। मुझे देखकर प्रसन्नता होती है वापिस आना होगा जहाँ वे उन्नत हो सकें। कि बहुत से लोगों में यह कार्यान्वित हो यही कारण है कि जिन लोगों को आल्म चुकी है। सहजयोग में ऐसे लोगों से मिलकर साक्षात्कार प्राप्त हो चुका है वो भी उतनी मुझे बहुत प्रसन्नता होती है जिन्होंने गहन तेजी से उन्नत नहीं हो रहे हैं जितनी तेजी सामूहिकता और आत्मसाक्षात्कारी मानव की से वो लोग उन्नत हो रहे हैं जो अभी इतने चेतना को प्राप्त कर लिया है आत्म-साक्षात्कारी व्यक्ति की चेतना क्या / फिर भी सहजयोग कार्यान्वित हुआ। बहुत है। आज हमें यही बात समझनी है। जैसा से लोगों में यह कार्यान्वित हुआ और उन्होंने मैं ने कहा, आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। भली-भांति अपने उत्थान को प्राप्त किया चेतना इस प्रकार की है कि अब आपको यह है। विकसित देश नहीं माना जाता, वहाँ भी यह 1. अधिक विकसित और आधुनिक नहीं हैं। परन्तु मैं कहूगी कि जब आप ध्यान बात समझ लेनी चाहिए कि विश्व में क्या हो रहा है और इसमें आप किस प्रकार से धारणा करते हैं तो बाह्य में भी आपको साक्षी सहायता कर सकते हैं । चेतना की स्थिति भाव विकसित करने का प्रयत्न करना तक पहुँचने में आप लोगों की कैसे मदद चाहिए। आपको ये पता लगाने का प्रयत्न कर सकते हैं। जब तक आपमें अपने विषय करना चाहिए कि मामला क्या है, क्या कमी में पूर्ण ज्ञान, पूर्ण शक्ति और आत्म विश्वास है। अन्य लोगों में क्या कमी है और किस नहीं है, इसके बिना आप कार्य नहीं कर प्रकार आप इसमें सहायता कर सकते हैं। सकते । केवल अपनी चैतन्य लहरियां द्वारा आप सहस्रार दिवस परमात्मा से आपके अपने सर्वत्र सम्बन्धों को दृढ़ करने के लिए मनाया जाता अपनी कमियों को सुधार सकते हैं । अब जैसे आप देख रहे हैं सहजयोग बढ़ और आप सभी चीजों में सत्य को देख सकें रहा है और आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने की बहुत से देशों में मैंने देखा है कि लोगों ने तीव्र इच्छा भी है और आवश्यकता भी। देश की, अपने परिवार की, है ताकि आपकी चेतना ज्योतिर्मय हो जाए वैतन्य लहरी खंड-XIV अक 11 व 12 नवमबर-दिसम्बर 2002 34 आपके हृदय में लोगों के लिए केवल प्रेम एवं विशाल सम्पदा है या तुम बहुत उच्च पद पर सूझ-बूझ की भावना होनी चाहिए। ये लोग हो' आदि-आदि। किसी भी चोज से अहं आ अज्ञानान्धकार से आ रहे हैं और इन्हें सकता है और अहं का ये भाव आपकी परमेश्वरी तत्वों और प्रकृति में प्रवेश करना चेतना के विरुद्ध है क्योंकि ये सत्य नहीं है। है और यह उनके लिए अत्यन्त शुभकर हो आप कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे बाह्य सकता है। अत: शनैः शनैः यदि आप उनके चीजें बना रही हैं परन्तु अपने अंतःस्थित प्रति प्रेम एवं सुहृदयता की भावना विकसित चेतना द्वारा ही आप बनाए गए है इस कर लें तो मुझे विश्वास है कि आप उनकी चेतना का बढ़ना ही आवश्यक है। कहाँ से? उन्नति के लिए बहुत कुछ कर सकेंगे। ये बात समझी जानी आवश्यक है कि किस उनपर क्रोध करने का कोई लाभ नहीं प्रकार हमें अहं आता है और किस स्रोत से । क्योंकि वे अज्ञानी हैं। नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं । ईसा-मसीह ने कहा था, वो ऐसे थे जिन पर दाई ओर (आक्रामकता) का नहीं जानते कि वो क्या कर रहे है।" आपने उन्हें समझाना है कि जो भी कार्य ये आप के लिए समस्याएं उत्पन्न करेगी, वो कर रहे हैं, जो भी कुछ वो समझ रहे हैं, बीमारियाँ उत्पन्न करेगी और आक्रामक उसमें अभी बहुत कमियाँ है। अभी तक सहजयोगी बनाने का भी कोई लाभ नहीं है। यह पूर्ण विस्तृत नहीं है जितना ये हो सकता था। यदि वे आत्म-साक्षात्कारी होते // समझना है। प्रेम की शक्ति महानतम है और कल मैंने महसूस किया कि बहुत से लोग प्रकोप था। आक्रामकता का कोई लाभ नहीं। अंतः मुख्य चीज़ प्रेम की शक्ति को आत्म-साक्षात्कार के पश्चात् भी में देखती हूँ सर्वांच्च है और यदि किसी तरह से आप कि लोगों के साथ समस्या बनी हुई हैं। बीते अपना क्रोध त्याग सकें, लालच और अहं को हुए, मृत, पूर्वजन्म की समस्याएं अब भी छोड़ सकें. ये कार्य यदि आप कर सकें तो उनके साथ हैं। वो इन्हें बनाए रखते हैं और आप सहस्रार में पहुँच सकते हैं। अब आप चेतना का इतना सारा प्रकाश भी ये नहीं अहं का खेल देखें । ये अआपकी उत्क्रान्ति को दर्शाता कि उनमें क्या कमी है। उदाहरण के रूप में अहम् को ही लें यह जाते हैं क्योंकि अह के बिन्दु पर आकर बहुत अधिक विकसित है। पाश्चात्य देशों में या तो बाएं को चले जाते हैं या दाएं को। या लोग जितने विकसित हुए हैं उतना ही अहम् वे दाई ओर की अति में चले जाते हैं या बाई भी विकसित हुआ है उन्हें ये पता लगाना ओर की। इन दोनों पक्षों में से किसी एक होंगा कि उनमें क्या कमी है? अहंकार का की अति में वे चले जाते हैं । रोक लेता हैं। अहं के कारण ही लोग खो वे उदगम इस धारणा से होता है के, 'तुम कुछ महान हो, तुम ये हो, तुम वो हो, तुम्हारे होगा इसे ठीक करने के लिए हमें क्या माता-पिता भी बहुत महान थे, तुम्हारे पास करना चाहिए? इसके लिए हमें स्वयं को अतः सर्वप्रथम हमें अपना अहं ठीक करना चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 वे 12 नवम्बर - दिसम्बर 2002 35 देखना चाहिए ओर स्वयं पर हँसना चाहिए । वाली, अहं विहीन महिला हूँ। इसलिए लोग हमारे अन्दर कैसा अहं है? किस चीज का? मुझे दबाया करते थे। सभी प्रकार की उल्टी हम मानव हैं, अब हम दिव्य बन गए हैं । सीधी बातें मुझे कहते थे। परन्तु मैंने उन्हें समझ लिया कि उनके साथ अहं की समस्या हमारे अन्दर की इस दिव्यता के साथ, इस प्रकाश के साथ हमें ये समझना है कि हम है। एक बार जब यह अहं विकसित हो जाता परमात्मा के अंग-प्रत्यंग हैं, प्रेम के सागर है और व्यक्ति पर छा जाने का प्रयत्न करता की एक बूँद मात्र हैं। आप यदि अपने अहं है तो इस देश में हम बहुत से हिटलर खड़े को घटा सकें, मानवीय विवेकशीलता के कर सकते हैं और विश्व भर में बहुत से स्तर पर इसे ला सकें तो यह बेहतर भयानक लोग बना सकते हैं। कार्यान्वित होगा। अतः समझने वाली पहली बात ये है कि मैं देखती हैँ कि पश्चिम में ये अहं बहुत जिन लोगों में अहं है उन्हें हमें कभी दबाना शक्तिशाली है. बहुत ही सशक्त है । और जो भी कुछ गलत वो करते हैं, वो समझते हैं कि नहीं शुरु कर देनी चाहिए। आपको स्वयं पर ये ठीक है, क्योंकि अहं इस कार्य में व्यक्ति विश्वास करना चाहिए कि आप ही वो लोग को हर तरह से बढ़ावा देता है। इसके हैं जिन्हें आत्म साक्षात्कार प्राप्त है। आप विपरीत जिन देशों के लोग अब विकसित हो उनसे कहीं अधिक शक्तिशाली हैं। मेरी रहे हैं जो अभी तक विकसित नहीं हो पाए शक्तियाँ केवल तभी कार्य करती हैं जब हैं, वहाँ पर लोगों की समस्या अहं नहीं है, आप लोग आत्म-साक्षात्कारी हों। आप उनकी समस्या प्रति अहं है। वह भी ठीक हो हैरान होंगे कि ये शक्तियाँ ऐसे बहुत से सकता है। परन्तु अहं आपका शत्रु है कार्य करती हैं जो अहंकार ग्रस्त व्यक्ति नहीं जिसका सृजन आपने स्वयं किया है । अतः आपको इससे लड़ना होगा और स्वयं देखना होगा कि इसका स्रोत क्या है। हो अचानक अदृश्य हो जाते हैं। वहाँ पर सैनिक सकता है कि इसका उद्गम, देश से हो, परिवार से हो या कहीं और से। अतः सबसे पहले हमने अहं को देखना है ताकि हम उसे खोज न सका क्योंकि वो लोग अत्यन्त नहीं चाहिए। निःसन्देह आपको उनसे लडाई कर सकते। उस दिन अफ्रीका में मैंने कि लोग सुना विद्रो ह हुआ और वहाँ का राष्ट्र पति सहजयोगी था, वह अदृश्य हो गया। कोई सहस्रार में प्रवेश कर सकें । जब मैं सामूहिक रूप से सहस्रार खोलने उन्हें मेरी शक्तियों का लाभ प्राप्त होता है। के कार्य में लगी हुई थी तो मैने पाया कि आप सबको चाहिए कि मेरी शक्तियों का, लोगों का अहं मुझे नीचे की ओर खींच रहा मेरी सुरक्षा का उपयोग करें। रक्षा करने था। मुझे लोगों के अहं से लड़ना पड़ा वाली शक्ति बहुत दृढ़ है, विशेष रूप से उन क्योंकि मैं अत्यन्त सीधी-सादी आदतों लोगों समर्पित हैं । वे इतने अधिक समर्पित हैं कि के लिए जो पूर्णतः सहजयोग में ता-य लहरी खंड-XIV अंक 11 4 12 न4म4र-दिसम्बर 2002 36 स्थापित हैं। अतः सर्वप्रथम स्वयं पर पूर्ण विवेक हैं आपमें यदि शान्ति है, जीवन की विश्वास करें कि आप सहजयोगी हैं- आप अह नहीं हैं। सहजयोगी का अर्थ है कि आप यदि आपमें है, आपमें यदि सामूहिक स्वभाव अहंकार नहीं कर सकते अहंरूपी यह दुर्गुण है तो यह कार्य करेगा सभी लोग प्रभावित भिन्न स्रोतों से आया है इस बात को आप जानते हैं। परन्तु इसका शुद्धीकरण होना मूर्खता अपना असत्य अपने सभी दुर्गुण देख चाहिए. वैसे ही जैसे जब नदी बहती है तो सकेंगे और महसूस करेंगे कि जो वो सोचते सभी प्रकार की गंदगी, कूडाकरकट इसमें हैं वह ठीक नहीं है यह व्यक्ति मुझसे कहीं वह जाता है। जब यह समुद्र में मिलती है तो गहन है जो इसके पास है वह मेरे पास यह समुद्र बन जाती है। इसी प्रकार से नहीं है हम सबके लिए यह मुख्य चीज है। आपको भी बनना है। सागर बनने के लिए आपको अपने अन्दर पड़ने वाली सभी अगुआ (Leader) हैं। इसका मतलब ये नहीं सरिताओं को भूलना होगा उन सभी कि वो वास्तव में लीडर बन बैठें। इसका गलत धारणाओं को भूलना होगा जो अर्थ ये है कि उनमे गहनता बहुत अधिक आपमें आ रही थीं। किसी भी स्रोत से इन हो। गहनता यदि उनमें नहीं होगी तो वो धारणाओं का आरम्भ हो सकता है मैें नहीं बाहर चलें जाते हैं। उनमें यदि गहनता है जानती कि किस प्रकार इन्हें कोई नाम द् केवल तभी वो लीडर हैं। गहनता अर्थात क्योंकि इन स्रोतों की एक बहुत बड़ी सूची लोग उन्हें देखें और वास्तव में आनन्द है। कई बार तो अहं के कारण लोग पगला लें उनकी उपस्थिति का वास्तव में जाते हैं । हर चीज का आनन्द लेने का विशेष स्वभाव हो जाएंगे। क्योंकि उस प्रकाश में वे अपनी सहजयोग में हमारे यहाँ कुछ लोग हैं जो अतः हर चीज़ आप स्वयं देख आनन्द लें। अतः मुख्य चीज अपने अहं को सकते हैं । अगुआओं के लिए मैं विशेष रूप दे खना और उसका साक्षी होना है कि से ये कहूंगी क्योंकि लोग उनको देखते हैं किस प्रकार यह कार्य करता हैं, किस और अगुआ उनके आदर्श हैं मेरे बारे में तो प्रकार आपके स्वभाव को बिगाड़ ता है लो ग कहते हैं, कि श्रीमाताजी तो किस प्रकार आपको मूर्ख बनाता है? श्रीमाताजी हैं उनसे हम क्या ले सकते हैं?" पहला कार्य जो अहं करता है वह है व्यक्ति परन्तु अगुआओं से लोग सबक लेते हैं और को मूर्ख बनाना। व्यक्ति इस प्रकार से वो समझते हैं कि यह बात गलत है यह ठीक आचरण करने लगता है कि लोग सोचते हैं नहीं है। ओह! तुम पृथ्वी पर जीवित सबसे बड़े मूर्ख हो।" परन्तु इसका कोई लाभ नहीं, क्योंकि सहजयोग के आदर्श। यही बात मैं हमेशा से यदि लोग विश्वस्त हो जाएंगे कि आप मूर्ख बताती चली आ रही हूँ कि "अपने अह से हैं तो क्या होगा। इसके विपरीत आपमें यदि मुक्ति पा लो । ये सबसे बुरी चीज है क्योंकि रा सर्वप्रथम आपको आदर्श होना चाहिए. नवम्बर-दिसम्बर 2002 37 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 यही क्रोध को जन्म देता है। आप सोचते हैं देखने का ज्ञान है तो ये समस्या समाप्त कि आप कुछ महान हैं, आप ये कर सकते हैं हो जाएगी पूरे विश्व में ये समस्या आप वो कर सकते हैं क्यों कि आप सहजयोगी हैं। ये बात सत्य नहीं है । इसके सकती। इन दिनों विश्व उपद्रवों से भरा विपरीत अत्यन्त विनम्र बनें, अत्यन्त विनम्र, हुआ है। आप जैसे देखते हैं संसार में मूर्ख और अच्छे कार्य करें। अब आप अहंकारी और झगड़ालू लोग सब पर प्रभुत्व जमाने समाप्त हो जाएगी। यह रह ही नहीं तथा क्रोधी न बने रहें। क्रोध आपको पूरी वाले लोग उभर कर आ रहे हैं। इस समय तरह से छोड़ देता है। यह (सहजयोग) यदि आप ये सब साक्षी भाव से देखें तो ये आपको सन्तुलन देता है, विवेक देता है समाप्त हो जाएगा क्योंकि आप लोग अत्यन्त जिसके द्वारा आप देख पाते हैं कि आपका शक्तिशाली हैं। परन्तु आपको इस बात का क्या कार्य है, पृथ्वी पर आप क्यों आए हैं, ज्ञान होना चाहिए कि इस शक्ति का उपयोग आपमें ये शक्ति क्यों आई है और आप दिव्य करने के लिए आपके पास साधन हों। आपके व्यक्तित्व क्यों हैं। यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी अन्दर यदि ये साधन हैं तो आप यह कार्य है। आपने अपनी देखभाल नहीं करनी, नहीं । कर सकते परमात्मा आपकी देखभाल करेंगे पूर्णतः वे नहीं कर सकते उत्थान मार्ग में अहं सबसे आपकी रक्षा करेंगे, देखभाल करेंगे और जो बड़ी बाधा है। आप देखें कि अहं उस स्थान भी आपकी आवश्यकता है वह सब करेंगे। पर है जिसे पार करके आपने सहस्रार में परन्तु यदि आपमें अहंकार है, वास्तविकता जाना है, अन्यथा सहस्रार का भेदन अत्यन्त से, सत्य से आप परे हैं और आपमें यदि सुगम है। परन्तु यदि अहं बना हुआ है तो क्रोधी स्वभाव है, अहंकारमय व्यक्तित्व है तो आप पहले से ही इस अहं में खोए हुए हैं। हैं। अपने अहंकार से आप ये कार्य अतः व्यक्ति को समझना है कि "स्वयं को सहजयोगी सन्त हैं। सन्त ही नहीं वे देखे", क्या वो अहंकारी है? अपने बारे में वह सन्तों से भी ऊपर हैं क्योंकि वे अपनी क्या सोचता है। अहं बहुत सीमित है यह अभिव्यक्ति सन्तों से भी बेहतर कर सकते आपको भी सीमित कर देता है और तब आप हैं। उनमें शक्तियाँ हैं जिनका वे उपयोग अपने जीवन के लक्ष्य को नहीं देखते कि कर सकते हैं. जिन्हें वे अन्य लोगों को दिखा क्यों आप आत्मसाक्षात्कारी बने हैं? यह बात सकते हैं कि वे कितने शक्तिशाली हैं कि आप नहीं समझते। आप अपने मामलों में, अन्य लोगों से कहीं बेहतर रूप से वे कार्य अपने परिवार के. बच्चों के तथा अन्य लोगों के मामलों में फँसे हुए हैं। यह बात बहुत ही यह दुर्गुण चले जाने चाहिएं। कर सकते हैं। उदहारण के रूप में, मान लो कोई तुच्छ है। परन्तु आपमें यदि अहंकार विहीन समस्या है जिससे पूरा विश्व परेशान है । स्वभाव है तो आप अत्यन्त प्रभावशाली हैं। आपके पास यदि साक्षी रूप से इसे पूरी शक्ति कार्य करती है। चैत-्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 38 मैने जो देखा है कि सहस्रार की शक्ति समस्याएं होती हैं। तब मैं हैरान होती हूँ कि बहुत महान है, कुछ लोगों में इसने चमत्कार इन समस्याओं से आप परेशान क्यों हैं! आप किए हैं अत्यन्त महानता पूर्वक उन्होंने इसे समझे कि आप शक्तिशाली हैं। अतः सहस्रार कार्यान्वित किया है परन्तु अहंकार के में आपको समझना हैं कि वहाँ कौन सी कारण बहुत से लोग इस स्तर के नहीं हैं कि शक्तियाँ हैं। यहाँ एक हजार शक्तियाँ हैं। हम कह सकें कि वो सहजयोगी हैं । यहाँ पर मैं आपको यही सब बताने के हो रही हैं। इस बात को यदि आप समझ लिए हू। जिन दिनों में ये सब अवतरित हुए सकेंगे तो आप जान जाएंगे कि अहंकार को थे, उन्हें बताने के लिए, उनका पथ-प्रदर्शन बनाए रखने का क्या लाभ है (अर्थात कोई करने के लिए कोई भी न था । इसके विपरीत लाभ नहीं ) क्योंकि आपमें इतनी सारी वातावरण ने उन्हें नष्ट किया लोग ये न शक्तियाँ हैं जिनका आपने उपयोग नहीं समझ सके कि उनमें अहंकार का अभाव क्यों किया। आपको इनका उपयोग करना है। है और क्यों वे इतने विनम्र हैं। अतः लोगों ने परन्तु अहंकार के कारण आप इनका आपमें एक हजार शक्तियाँ है जो ज्योतित 1 उनका दुरुपयोग किया परन्तु अब आप उपयोग नहीं कर सकते। प्रेम से आप इनका लोगों में शक्तियाँ हैं। आपको इस बात का उपयोग कर सकते हैं । केवल प्रेम से ही ज्ञान होना चाहिए कि किस प्रकार अपनी आप इनका उपयोग कर सकते हैं और बहुत शक्तिंयों का उपयोग करना है। परन्तु इस कुछ कर सकते हैं । बात के कारण कि आपमें शक्तियाँ हैं. आपको कतई भी अहंकार नहीं होना चाहिए । इसके कि आप शपथ लें कि "अब हम अपने अहं विपरीत आपको अत्यन्त विनम्र होना चाहिए। को कोई अवसर नहीं देंगे इसे हम त्याग आपमें विनम्र होने की शक्ति है। आप यदि देंगे, अपने अहं को हम त्याग देंगे। हम विनम्र हो सकें और ये समझ सकें कि ये लोग अपना अहं त्याग देंगे । अहं में कोई विवेक अतः आज में आप सबसे प्रार्थना करुंगी अभी तक आत्म साक्षात्कारी नहीं हैं, अत्यन्त नहीं है, ये हमारे मार्ग की बाधा है। सहस्रार निम्न स्तर पर हैं, अभी तक अहंकार में फँसे जब कार्य करना चाहता है तो अहं की बाधा हुए हैं। निम्न स्तर पर हैं और उन्हें उन्नत के कारण ये कार्य नहीं कर पाता। अतः होना है। जब आप ये बात समझ लेंगे तब किसी भी चीज़ का अहं न करें। आप चाहे आप न केवल उन पर दया करेंगे परन्तु उन्हें बहुत अच्छे गायक हों, आप चाहे जो हों, समझेंगे भी सही। तब आपको एक प्रकार की हो सकता है आप कोई बड़े आदमी हों। परमेश्वरी सहायता प्राप्त होगी जो सभी ये सब तथाकथित चीजें अर्थहीन हैं। आज हमें अहं विहीन लोगों की आवश्यकता है समस्याओं का समाधान करेगी। मुझे लगता है कि कभी-कभी आपमें से जिनमें शक्तियाँ पूरी तरह से प्रवाहित हो अधिकतर लोगों को बहुत निम्न-स्तर की रही हों । नवम्बर-दिसम्बर 2002 39 पैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 सहस्रार के खुलने से ये सारी शक्तियाँ बेहतर कार्य कर सकते हैं. भली-भांति लोगों प्रवाहित होनी चाहिएं-यदि सहस्रार पूरी की सहायता ले सकते हैं ऐसा कुछ नहीं तरह से खुला हुआ है तो ये सारी प्रेम की है। आप स्वयं अपनी सहायता कर सकते हैं. शक्तियाँ प्रवाहित होनी चाहिएं। आप हैरान किसी सहायता की आपको आवश्यकता होंगे जहाँ भी मैं जाती हैँ लोग मुझसे प्रेम नहीं। इसके विपरीत आपको अन्य लोगों की करने लगते हैं। मैं नहीं जानती क्यों? मैं सहायता करनी है । कहीं से भी किसी उनके लिए कुछ नहीं करती फिर भी वे मेरे सहायता की आशा न करें। मेरी ओर देखें प्रेम को महसूस करते हैं। यही होना चाहिए मैं एक सर्वसाधारण गृहणी हूँ परन्तु किस कि लोग आपके प्रेम को महसूस करें और प्रकार से सहजयोग पूरे विश्व में कार्यान्वित समझे कि आप अत्यन्त प्रिय व्यक्ति हैं। यही बात है कि आप लोगों को विशेष समस्या केवल इतनी है कि मैं अपने प्रेम की बनाया गया है, अत्यन्त विशेष-इस पूरे विश्व शक्ति को उपयोग कर सकती हूँ परन्तु आप की मुक्ति के लिए। ये आपका कार्य बिना बात के धन एकत्र करते रहना तथा इतनी सी समस्या है। हुआ? किसने किया? प्रेम की शक्ति ने । है । लोग इसे उपयोग नहीं कर सकते। केवल | अन्य सारी बेवकूफी भरे कार्य करना नहीं। आप यहाँ अत्यन्त विवेकशील कार्य करने के करना चाहते हैं तो ध्यान धारणा से इस लिए हैं। यह कार्य लोगों की कुण्डलिनी शक्ति को विकसित कर सकते हैं । इसके उठाना है और उन्हें अपनी महानता के प्रति द्वारा आप लोगों के हृदय पर छा सकते हैं। चेतन करना है। मानव का सृजन केवल युद्ध इससे आप उनके विषय में जान सकते हैं । करने के लिए नहीं किया गया राजनीति उनकी समस्या ये है कि वो सहजयोगी नहीं तथा अन्य अभद्र चालाकियाँ करने के लिए हैं. उन लोगों को परमात्मा का आशीर्वाद नहीं किया गया। पृथ्वी पर गन्दी तथा अभद्र नहीं है और वे परमात्मा से एकरूप नहीं हुए जिन्दगी बिताने के लिए उन्हें नहीं बनाया हैं कल्पना करें कि आप परमात्मा से एक आप यदि अपनी प्रेम शक्ति का उपयोग गया। जिस परमात्मा ने हमारा सृजन किया रूप हैं और परमात्मा ने पूरे ब्रह्माण्ड का है उसके महान कार्य करने के लिए हम इस सृजन किया है, आपका सृजन किया है और विश्व में आए हैं। अतः ये सम्भव है। आप सभी महान कार्य किए हैं। तो आप क्या हैं? यदि इस बात को जानते हैं कि आपके परमात्मा की शक्ति के आप अंग-प्रत्यंग हैं । सहस्रार खोले जा रहे हैं और इसी सहस्रार में पावनता का निवास है, उन सब तुच्छ क्यों न हम पूरे प्रेम और सूझ-बूझ के साथ चीजों का नहीं करें ताकि आपमें यह विवेक चिन्तित हैं। अतः अपने अन्तः स्थित परमेश्वरी शक्ति का जिनके विषय में आप उपयो ग लोग सहजयोग के विचारों विकसित हो जाए। कुछ यही बात आपने स्वयं को बतानी है कि का लाभ उठाने का प्रयत्न करते हैं कि 'वे चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 40 हम आत्म- साक्षात्कारी व्यक्ति हैं, यह परमात्मा ने आपकी रक्षा क्यों की और अत्यन्त विशेष व्यक्तित्व है। इस विश्व में आपको ये सब क्यों प्रदान किया? क्योंकि बहुत ही कम आत्म साक्षात्कारी लोग हैं। विश्व के लिए इतना कुछ होना बाकी है। मैं परन्तु अब हमारी संख्या काफी है। मैं लोगों कहना चाहूँगी कि आप लोग ही सत्य के को देख सकती हूँ परन्तु अब भी यदि हममें सिपाही हैं, अच्छाई के सिपाही हैं और ये इस बात की कमी है, अभी भी यदि कुछ सभी कार्य आपने अत्यन्त उत्साह एवं अपने समस्या बाकी है तो ये हमारे अहं के कारण प्रति सूझ-बूझ के साथ करने है । है। व्यक्ति को किसी भी चीज़ का अहंकार नहीं करना चाहिए। हर चीज़ नश्वर है केवल करना है। आपको अपने विषय में जानना परमात्मा का प्रेम ही शाश्वत है केवल दिव्य होगा आपको आत्म-ज्ञान प्राप्त करना व्यक्तित्व शाश्वत है हर समय आप देखते होगा कि आप क्या हैं? ये ज्ञान यदि आपको हैं कि सन्तों की मृत्यु के पश्चात् भी लोग प्राप्त नहीं हुआ तो सहस्रार खोलने का क्या उन्हें याद रखते हैं. उनकी कविताओं को लाभ है? आत्म-ज्ञान से आपमें अहंकार नहीं 1 अतः आप लोगों ने आत्म ज्ञान प्राप्त याद करते हैं। यद्यपि वे लोग सहस्रार का आता, बिल्कुल भी नहीं। यह तो आपको अधिक कार्य न कर पाए, लोगों को आत्म आपके कर्त्तव्यों का ज्ञान कराता है और साक्षात्कार न दे पाए, फिर भी उनके दिव्य बताता है कि आपने क्या कार्यान्वित करना व्यक्तित्व के कारण अभी भी उनका सम्मान है। होता है। लोग जानते हैं कि ये सन्त बहुत अच्छे कार्य कर रहे हैं, चमत्कारिक चीजें कर विश्व के लिए है कृपा करके इसको समझने रहे हैं । इसी प्रकार से आप भी अपने चमत्कार सहजयोग हमारी बेहतरी के लिए है, हमें देख सकते हैं। आप स्वयं इस बात को देख अच्छा स्वास्थ्य देने के लिए है आदि-आदि। सकते हैं कि आपमें क्या करने की योग्यता वास्तव में ऐसा नहीं है, ये अन्य लोगों की है क्योंकि अब आप परमात्मा से एकरूप हो बेहतरी के लिए है। आपके पास शक्तियाँ हैं गए हैं यह सत्य आपको समझना चाहिए । जिनका आप उपयोग नहीं कर रहे । आप जब भी कभी भय हो, जब भी कोई समस्या हो तो आप कहेंगे, "हमें बचा लिया जाएगा। जिनमें लिखा होता है हमें ये परेशानी है इसमें कोई सन्देह नहीं है। आपके कारण हमें वो परेशानी है। क्यों नहीं आप स्वयं को से लोगों की रक्षा हुई है। परन्तु इतना ठीक कर सकते? आप स्वयं को यदि ठीक सहजयोग केवल आपके लिए नहीं है, पूरे का प्रयत्न करें। कई बार हम सोचते हैं कि अब भी व्यस्त हैं। मुझे ऐसे पत्र मिलते बहुत ही काफी नहीं है आपकी रक्षा किसलिए की नहीं कर सकते तो अन्य लोगों को किस गई है? आपके जीवन का क्या मूल्य है? प्रकार ठीक करेंगे? यही सच्चाई है। आप किसलिए जीवित हैं? मामाला क्या है? मैं कहूंगी कि एक ऐसी सूझ-बूझ है जो नवम्बर - दिसम्बर 2002 41 मैत- लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 आपकी सूझ-बूझ में प्रवेश करके कहती है अहंकार है, कुछ को कि 'आप महान हैं। आप साधारण लोग से मेरा अभिप्राय ये है कि ये पौराणिक है, कुछ अन्य का कहने नहीं हैं। इस बात का अभ्यास किया जाना मिथ्या है। आपका जन्म कहीं और भी तो हो चाहिए और इस प्रकार से इसका उपयोग सकता था। आपका जन्म किसी और देश में होना चाहिए कि उससे पता लगे कि आप भी तो हो सकता था। यद्यपि आपने किसी सहजयोगी हैं, आप किसी भी सूफी या देश विशेष में जन्म लिया परन्तु आपको साक्षात्कारी या सन्त से कम नहीं है, किसी इस बात का अहंकार है। इस अहंकार पर भी प्रकार से कम नहीं है। परन्तु आपके पास आपको लज्जा आनी चाहिए क्योंकि आपका जो शक्तियाँ हैं वो उनके पास न थीं । इन देश चाहे जो भी हो वह बंहुत अच्छा कारय शक्तियों के प्रति वे चेतन भी न थे । अब नहीं कर रहा। आध्यात्मिक रूप से वह काम आपके पास ये शक्तियों हैं अतः समझने का सशक्त नहीं है। तो फिर क्यों आपको गर्व प्रयत्न करें कि आपके पास कौन सी है? जब आप वहाँ पर सहजयोग कार्यान्वित शक्तियाँ हैं। इस बात को समझकर आपमें करेंगे और आध्यात्मिक रूप से वहाँ लोग सशक्त हो जाएंगें केवल तभी आप अपने अहंकार नहीं होना चाहिए। ये तो आपका कार्य है जिसे आपने करना है आप लोग देश पर गर्व कर सकते हैं । परन्तु में देखती इसका आनन्द लेते हैं क्योंकि इसमें अहंकार हूँ कि ऐसा नहीं हो रहा है। अतः आपको ही नहीं है। यह अहंकार विहीन कार्य है। इतना यह सब कार्यान्वित करना है। कुछ यदि आप कर सकें तो बहुत अच्छा होगा। लि /ये देखकर मुझे प्रसन्नता होती है कि सहजयोग अब सर्वत्र फैल गया है। बहुत अब अहंकार काफी नीचे आ गया है । ये तेजी से यह फैल रहा है । जिन देशों में मुझे बात मैं कहना चाहूंगी कि अब अहंकार बहुत आशा भी न थी, ये वहाँ फैल रहा है, वहाँ भी कम हो गया है लोगों से मुझे ये बात सुनने लोग इसे पाना चाहते हैं। लोग आल्म- को मिलती है कि अहंकार का स्तर नीचे आ गया है परन्तु कभी - कभी अब भी वे चाहते हैं कि मानव जीवन से आगे क्या है। अत्यन्त चिन्तित होते हैं और परस्पर झगड़ते मानव के रूप में, अब वे अपना जीवन ब्वाद हैं। इस सबके बावजूद भी मैं अवश्य कहूंगी नहीं करना चाहते है। परन्तु महा- मानव के कि इन वर्षों में जो भी कार्य हुआ है लोगों ने रूप में जिन्हें मैं सहजयोगी कहूंगी, वे उन्नत मिल-जुलकर इसे कार्यान्वित किया है । अतः आपको स्वयं को देखना होगा। साक्षात्कार पाना चाहते है और ये जानना होना चाहते हैं। / अतः हमारे अहं का देखा जाना आवश्यक आपने स्वयं देखना होगा कि मुझमें क्या है। साक्षी अवस्था में ये देखा जाना चाहिए अहंकार है? आपको अहंकारी क्यों होना कि ये किस प्रकार कार्य कस्ता है और किस चाहिए । कुछ लोगो को अपने देश का प्रकार हमें अच्छे मार्ग पर चलने से रोकता नवम्बर-दिम्बर 2002 42 चैतन्य लहरी खड़-XIV अक व 12 41 त ा प्वम हैं। इस मामले में व्यक्ति को अत्यन्त हैं। ये विशेष आशीर्वाद है । आपकी शक्तियाँ सावधान होना चाहिए क्योंकि ये अन्तिम चक्र यदि बढ़ जाएंगी तो ये लोग, जो अपनी है जिसे खोला जाना आवश्यक है । एक बार राजनीतिक गतिविधियों से पूरे समाज पर जब ये चक्र पूरी तरह खुल जाएगा तो आप छा जाने का प्रयत्न कर रहे हैं, ये सब लुप्त परमात्मा से एकरूप हो जाएंगे और आपकी हो जाएंगे। उनमें शाक्तियाँ नहीं हैं। वो सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। ये गायब हो जाएंगे। समस्याएं, क्योंकि इतनी तुच्छ हैं, इतनी अर्थहीन हैं कि सहस्रार के कार्यान्वित होते स्वभाव सहायक होगा-सबकी सहायता अतः सर्वप्रथम आपका अहंकार विहीन करेगा। ही ये स्वतः ही चली जाएंगी। ये बहुत अच्छी बात है कि आज विशेष दिन है। आज ये तीनों सितारे समीप आ रहे परमात्मा आपको धन्य करें। श्रीमाताजी ने हमारी आत्मा को स्वच्छ कर दिया श्रीमाताजी चीन में 16-19, दिसंबर, 2001 दिसंबर में भारत लौटते हुए श्रीमाताजी हाल-चाल पूछा। हमने अपनी परम पावनी अपनी निजी यात्रा पर हाँग-कॉग पधारीं । मुम्बई से उन्हें लेने के लिए सर सी. पी. और उनकी मधुर मुस्कान ने हमारे हृदय को छू कल्पना दीदी भी आए थे। हफ्तों पहले हमने लिया और हमारी आत्मा को पक्त्रि कर सारे प्रबन्ध कर लिए थे पार्कलेन होटल में दिया। उन्होंने बताया कि उड़ान ने आशा से उनके रहने के लिए दो कमरों का एक बहुत कहीं अधिक समय लिया है । अतः हम उन्हें अच्छा सैट (Suite) हमने ये होटल हाँग-कॉग टापू में कॉजवे बे आए। (Causewaybay) आश्रम के बिल्कुल समीप है। माँ के प्रेम एवं करुणा को महसूस किया। ले लिया था। तेजी से कार तक और वहाँ से होटल लेकर होटल के कमरे देखकर श्री माताजी बहुत प्रसन्न हुई तथा उन्होंने ये सारी व्यवस्था हमें धन्यवाद दिया| श्रीमाताजी के आने से पहली रात करने के लिए सहजयोगी महिलाओं ने के श्रीमाताजी ने टी.वी. पर समाचार देखना कमरों को फूलों तथा अन्य चीजों से इतना चाहा क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच सुन्दर परिवर्तित कर दिया कि यह बिल्कुल कुछ घटनाएं घटित हुई थीं जिन्हें वे जानना घर जैसा लगने लगा। परमेश्वरी माँ के आने चाहती थीं उनका चित्त पूरी तरह से इस से पूर्व उनके रहने के स्थान को चैतन्यित क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर था पहले दो करने के लिए वहाँ एक पूजा की गई। सोलह दिसंबर प्रातः श्रीमातार्जी वहाँ पहुँ चीं। तूफानी हवाओं के कारण उनके यान को ताइवान के रास्ते आने में सोलह से भी काफी था। श्रीमाताजी ने बताया उन्होंने कई ज्यादा घण्टे लगे थे। श्रीमाताजी का फूलों अवसरों पर जार्ज डब्ल्यु, बुश को पत्र लिखे से स्वागत करने के लिए थोड़े से लोग एकत्र और बुश ने उनके सुझावों को स्वीकार हुए। मुस्कराहट बिखेरती हुई श्रीमाताजी हमारे सम्मुख प्रकट हुई। वे तरोताजा प्रतीत हो रही थीं। श्री माताजी दिन श्रीमाताजी ने आराम करने और समाचार देखने में बिताए। उनका चित्त अमरीका के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश पर किया। अपने कई प्रवचनों में श्रीमाताजी ने अत्यन्त इन पत्रों के विषय में बताया । वे हमसे कीन इस बात की कल्पना कर सकता है मिलकर बहुत प्रसन्न हुई और हम सबका कि घटनाक्रम क्या होगा और किस प्रकार ये चैत-य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर दिसम्बर 2002 44 व्यक्ति आसूरी शक्तियों को पराजित करने और कहा ये आपकी सुरक्षा के लिए है। फ्लोरेन्स नाम की एक चीनी योगिनी ने 18 दिसंबर मंगलवार प्रातः श्रीमाताजी चीन का एक पारंपरिक तारों वाला वाद्य के लिए चुना जाएगा। वहाँ बाजार में सहजयोगियों तथा अन्य यन्त्र गुजैंग (Guzheng) बजाया । इस यन्त्र लोगों के लिए उपहार खरीद रही थीं। सदैव को आधुनिक रूप दिया हुआ था। उसने वे अन्य लोगों के लिए ही चीजें खरीदती चीन के कुछ प्रसिद्ध लोक गीत बजाए और रहती हैं, अपने लिए कभी कूछ नहीं श्रीमाताजी ने वास्तव में संगीत का आनन्द हाँ ग-काँ ग के इन सभी वर्षों में मैंने उन्हें अपने लिए कभी सहजयोगियों ने कुछ भजन गाए। ये संध्या कुछ खरीदते नहीं देखा। जब श्रीमाताजी अत्यन्त ही सुन्दर थी और श्रीमाताजी के आती हैं तो चीजों की सेल लगी होती साथ इतने आत्मीय वातावरण में समय है और उन्हें वस्तुओं के मूल्य पर बहुत बिताने का सभी योगियों ने आनन्द लिया। श्रीमाताजी सभी के साथ बहुत प्रसन्न की सूक्ष्मता के विषय में उनकी दृष्टि थीं उन्होंने चीन की स्थिति पर बहुत चित्त चमत्कारिक है और दुकान पर बिकने वाली डाला। जोयो (Goyo) नाम की एक महिला चीजों में से सर्वोत्तम चीजें वे निकाल लेती श्रीमाताजी के साथ रहने के लिए विशेष रूप हैं। चैतन्य बहता है और दुकान पर कार्य से गुआनडोंग (Guandong) प्रांत से आई करने वाले सहायक आत्म-साक्षात्कार प्राप्त थी श्रीमाताजी के दर्शन करके उसे खरीदती। जब से वे हॉँग-काँग आ रहीं हैं, लिया। तत्पश्चात् बड़ी छुट प्राप्त हो जाती है । डिजाइनों | बहुत प्रसन्नता हुई। तत्पश्चात् श्रीमाताजी ने मंगलवार शाम को हमने श्रीमाताजी के हॉँग-काँग के दो नए अगुआ नियुक्त किए। अब एडविन हाओ (Edvin Hou) और लिली परन्तु खरीददारी करने के पश्चात वे थक चेन (Lily Chen) हाँग -काँग तथा चीन में गई थी। अतः उन्होंने आराम किया और रात सहजयोग का कार्य संभालेंगे मेरे लिए यह कर लेते हैं। लिए रात्रि भोज का आयोजन किया हुआ था का खाना अपने कमरे में ही खाया । मेरे जीवन के एक अध्याय का अन्त था रात्रि भोज के पश्चात् एक संगीत क्योंकि पिछले दस वर्षो से मैं हाँग-काँग में संगोष्ठी का आयोजन किया हुआ था सहजयोंग के कार्य को संभाल रहा था और श्रीमाताजी ने उसमें आने को सहमति दी वहाँ की सामूहिकता को बढ़ते तथा परिपक्व क्योंकि वे योगियों को निराश नहीं करना होते मैंने देखा था। ये लोग अब चीन में चाहतीं थीं छोटे से समारोह कक्ष में यह सहजयोग कार्यान्वित होने के लिए नीवें अत्यन्त आत्मीय व्यवस्था थी जिसमें केवल (Foundations) मुहैया कराएंगे । पैंतीस योगियों ने भाग लिया। श्रीमाताजी ने साड़ियाँ कोलून बुधवार सवेरे श्रीमाताजी ने सभी योगियों को एक-एक अंगूठी भेंट की खरीदनी चाहीं । अतः हम नवम्बर-दिसम्बर 2002 45 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 (Kowloon) के प्रसिद्ध साड़ी एम्पोरियम में बार हमारी ओर अपना हाथ हिलाया और गए खरीदारी करने के पश्चात् वहाँ के मुम्बई का यान पकड़ने के लिए चली गई। हम सब लोग उदास थे परन्तु चार दिनों प्रबन्धक तथा सहायक को आत्म साक्षात्कार दिया। हमने उनसे दोनों हाथ श्रीमाताजी की तक उनके इतना समीप रहने के लिए स्वयं ओर फैलाने के लिए कहा और उन्होंने शीतल लहरियों का अनुभव किया। श्रीमाताजी बहुत प्रसन्न थीं कि उन्हें उत्सुकता पूर्वक उनके मुम्बई आने की को भाग्यशाली भी मान रहे थे। हम जानते थे कि हमारे बहुत से भारतीय भई-बहन आत्मसाक्षात्कार मिल गया है। उन्होंने उन्हें प्रतीक्षा कर रहे हैं। बहुत उत्साहित किया और उन्हें सहज कार्यक्रमों में आने के लिए कहा। लॉस-एंजलिस और हाँग-काँग के मध्य श्रीमाताजी ने तीन विमान परिचारिकाओं को अन्तिम क्षण में हमने विपणन की एक आशीर्वाद दिया। जिस परिचारिका का हाथ अन्य योजना बनाई परन्तु दुर्भाग्य से समय श्रीमाताजी ने पकड़ा हुआ था वह कहने बहुत कम पड़ गया हम हवाई-अड्डे के लगी "श्रीमाताजी आपके हाथ से आती हुई लिए चल पड़े। सर सी. पी. के साथ उनके बेइन्तहा शक्ति को मैं महसूस कर रही हूँ। पुराने मित्र टोमी चैंग ( Tommy Cheung) मुस्कराते हुए श्रीमाताजी ने उत्तर दिया, 'मेरे भी थे। जब-जब भी श्रीमाताजी हाँग-कॉग पास केवल प्रेम एवं करुणा की शक्ति है । आती हैं ये उनसे मिलने के लिए अवश्य जहाज़ तैपी (Taipei) अड्डे पर अनुसूचित आते हैं। रूप से रुका और श्रीमाताजी का चित्त गया। तीनों विमान सूर्य चमक रहा था और सुखद गर्मी थी। ताइवान हम सब पर उदासी छाई हुई थी कि परिचारिकाओं श्रीमाताजी ने शीघ्र ही चले जाना है। हवाई जापान से और तीसरीं चीन से-ने अड्डे पर उनसे मिलने के लिए थोड़े से श्रीमाताजी का ध्यान इन दे शों के योगी एकत्र हुए और उन्होंने उनसे फूल लेने सहजयोगियों तथा सहजयोग पर दिलवाया। और बातचीत करने में समय बिताया। बाद में श्रीमाताजी का चित्त मलेशिया और श्रीमाताजी ने हम सबका धन्यवाद किया और इंडोनेशिया पर भी गया क्योंकि जब हम अप्रवास नियंत्रण (immigration Control) हाँग-काँग पहुँचे तो यह कुमारी दिवस से निकलीं। दूर खड़े हम प्रतीक्षा करते रहे (Maids' Day) था। और उन्हें देखते रहे और उन्होंने अन्तिम पर एक फिलीपीन से, एक दूर अविनाश निचकावड़े 16 नवम्बर-दिसम्बर 2002 46 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 विराट के अग-प्रत्यग परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन हाँग-काँग, 18 दिसंबर, 2001 आप सब लोगों को भजन गाते हुए कर रहे हैं। मुझे बताया गया कि अब ताओ सुनकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। ये भजन धर्म को चीन में स्वीकार कर लिया गया विश्व भर में गाए जाते हैं। अब आप विराट और अब वो लोग ताओ का अभ्यास कर रहे के अंग-प्रत्यंग हो गए हैं सहजयोगी हैं हम भी ऐसा कर सकते हैं। तो अब हम सर्वत्र हैं। अमरीका में, मैं हैरान थी कि ताओवादी हैं । चीन के प्रधानमंत्री ली.पेंग को मेरा फोटो विश्व व्यापार केन्द्र धटना में तीन सौ सहजयोगियों की रक्षा की गई किसी एक दिखाया गया वह कहने लगा, हाँ "यह भी सहजयोगी को न तो जान गॅँवानी पड़ी महिला मुझे याद हैं, इनका बहुत ही और न ही कोई घायल हुआ। सोचने योग्य प्रशंसनीय व्यक्तित्व है बात है कि कुछ लोगों को तो उस दिन कार्य कहा, "ये हमारी गुरु हैं, ये ऐसी हैं, इन्होंने पर आने में देर हो गई कुछ उस समय से हमारे लिए इतना कुछ किया है। वो बहुत पूर्व ही उस इमारत से चले गए और कुछ प्रभावित हुए और अपने सांस्कृतिक मामलों विपरीत दिशा में दौड़ने लगे! और वो सब के सहायक से कहा कि वो मुझे उन लोगों ने के सब सहजयोगी थे! "आश्चर्य की बात है मिलें-अवश्य उनसे मिलें और उनके विषय कि किस प्रकार परमात्मा ने आपकी में ज्ञान प्राप्त करें-यद्यपि वो लोग साम्यवादी देखभाल की तथा रक्षा की! हैं फिर भी.. "उनका सहायक मुझसे मिलने के लिए आया.... उसने अपनी आँखे बन्द कर लीं और ताओ (Tao) ही सहजयोग है मैं सोचती हूँ कि चीन में हम बहुत कुछ कार्य कर सकते हैं। चीन में पहले से ही ताओं की आनन्द में चला गया। तब मैंने उसे इसके परम्परा है। ताओ सहजयोगी है और वह विषय में सब कुछ बताया।" अपनी मानसिक अवस्था और अपनी सभी चीन के लोगों के विषय में चीन के लोगों की जो बात मुझे अच्छी लगी वो ये है कि वो अत्यन्त विनम्र एवं जो भी हो ताओ मत को नहीं माना गया सम्मान पूर्ण थे। जब मैं संयुक्त राष्ट्र महिला तथा यह सभी विद्वानों के लिए विवाद का संगोष्ठी के लिए बीजिंग गई तो उन्होंने विषय बन कर रह गया । परन्तु अब मैं रहने के लिए हमें होटल की पूरी मंजिल दे सोचती हूँ कि अब ये लोग इस पर विचार दी। उन्होंने हमें दो कारें भेजीं, एक मेरी समस्याओं का वर्णन बड़ी अच्छी तरह से करता है। नवम्बर-दिसम्बर 2002 47 वैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 वं 12 व्हील चेयर के लिए और एक मेरे निजी लोग सहजयोगी बन गए हैं । इन देशों में उपयोग के लिए। मेरी देखभाल करने के अब तक बीस हजार सहजयोगी हो गए हैं लिए उन्होंने बहुत से लोगों का प्रबन्ध किया, और इससे अधिक भी बहुत से लोग होंगे... उनमें से एक ने कहा, "श्रीमाताजी कल मैं आइवरी कोस्ट का अध्यक्ष भी सहजयोगी है। नहीं आ पाऊंगा। मैंने कहा मामला है?" 'कल मेरा विवाह है मैंने कहा, रहा है ये ऐसा समय है जब लोग सत्य को , "क्यों क्या बहुत से देशों में सहजयोग कार्यान्वित हो "आपका विवाह हो रहा है फिर भी हर समय खोजे रहे हैं। वे सत्य प्राप्त करना चाहते हैं। आप मेरे साथ बने रहते हैं।" कहने लगा, ऐसा सभी देशों में हो रहा है और सर्वत्र "आपके साथ रहने का मैंने बहुत आनन्द सहजयोग बहुत तेजी से फैल रहा है। लिया। यद्यपि मैं वहाँ देर से पहुँची थी फिर भी बहुत तेजी से वे मुझे महिला संगोष्ठी में प्रकार चीजें कार्यान्वित हो रही हैं! आप ले गए । बीच में बिल्कुल भी समय न था। जब हवाई अड्डे पर आई तो वो भी वहाँ पर हैं सभी धर्मों में मैंने पाया है, किसी न आए। उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे वे किसी तरह से असत्य की सृष्टि करके लोगों अत्यन्त प्रेममय और अच्छे लोग हैं। उन्होंने ने समूह बना लिए हैं। | मैं हैरान थी कि नाइजीरिया में किस मैं कहीं भी जाएं लोग असत्य से तंग आ चुके बहुत कष्ट उठाए हैं। परन्तु यहाँ हाँग-काँग में आप लोग ठीक-ठाक हैं। आपको स्रोत से फासो कैमरून, चैद, आइवरी कोस्ट और ये सात अफ्रीकन देश-बैनिन, बरकीना जुड़ना है. रहेंगे तो आप उन्नत होंगे मैं जानती हैँ कि कौन क्या है, वो क्या कर रहे हैं, किसमें क्या पुस्तक है (Islam Enlightened) 'ज्योतित कमियाँ हैं। उनके विषय में मैं सब जानती इस्लाम' । लोग कह रहे हैं ये कुरान हूँ। अतः हमें सहजयोग को फैलाना हैं कुछ कुण्डलिनी जागृति है। आप सबको यह मिल लोग जो बहुत महत्वपूर्ण हैं उनमें मुझे चुकी है। पहचानने की योग्यता है। भारत के एक गृहमंत्री मेरा बहुत सम्मान करते है। वे मेरे अमरीका गई और वहाँ युद्ध अत्यन्त शीघ्र मुख्य वृक्ष से यदि आप जुड़े नाइगर एंटोगो हैं। जावेद खान लिखित एक बहुत अच्छी परमात्मा का बहुत धन्यवाद है कि मैं समाप्त हो गया। परन्तु इसने पूरे विश्व को हिला दिया है परमात्मा का बहुत धन्यवाद घर आए और आत्म साक्षात्कार लिया। सहजयोग में मुसलमान अब भारत में सहज में बहुत से मुसलमान है कि अब युद्ध समाप्त हो गया है लोगों भी हैं । ये जानकर आपको प्रसन्नता होगी को युद्ध के बाद के परिणाम भुगतने होंगे । कि अफ्रीका में बैनिन और आइवरी कोस्ट नामक देश फ्रांस शासित सात देशों में धर्मान्ध हो जाते हैं । हम धर्मान्धता के विरूद्ध मुसलमान लोग थे। अब उनमें से बहुत से हैं। हम स्वतन्त्र लोग हैं। हमें आत्म- मैंने देखा है कि सहजयोग में भी लोग चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 48 , "स्वयं को जानो, स्वयं को साक्षात्कार प्राप्त हो गया है जो कि हमारा बात कहीं है आध्यात्मिक जन्म है। आप लोग किसी भी पहचानो, स्वयं को खोजो"। सभी ने एक ही चीज से बंधे हुए नहीं है, आप कुछ भी गलत बात कही है। मैं जो कह रही हू यह कुछ नहीं कर सकते, आप कभी भी गलत कार्य नया नहीं है। नहीं करेंगे। आपकी सभी बुराइयाँ स्वतः चली जाएंगी। आपको कुछ बताना नहीं बातचीत करें और उन्हें बताएं। मैं हैरान थी पड़ेगा कि ऐसा करें, ऐसा न करें। मैंने देखा है कि कुछ समय के पश्चात् आ रहे थे तो अचिनाश विमान परिचारिका सभी सहजयोगी ठीक हो जाते हैं, उनमे तथा अन्य लोगों से बातचीत करने लगे । विवेक आ जाता है। जो लोग चले गए हैं, एक -एक करके वे सभी मेरे पास आने लगे। मुझे विश्वास है. वो भी वापिस आ जाएंगे कहने लगे "आप अत्यन्त शक्तिशाली क्योंकि आखिरकार ये उनमें बैठी हुई है। यह उठेगी और उन्हें साक्षात्कार मिल गया । इसी प्रकार से सुधारेगी। ये दे खकर मुझे प्रसन्नता हुई कि सबको बताना होगा, संकोच नहीं करना हॉग-काँग में भी आप लोगों ने सहजयोग होगा नरव क हमें यही कार्यान्वित करना है। लोगों से कि जब हम कैथे (Pacific Alirways) द्वारा कुण्डलिनी है जो व्यक्ति हैं, आदि - आदि । उन सबको आत्म- सहजयोग फैलेगा। हमें इसके विषय में अन्य गुरुओं के शिष्यों को मैंने देखा को सम्भाला हुआ है। मुझे विश्वास है कि ये है, वो अपने गुरुओं के बारे में बात किए चले बढ़ेगा, विशेष रूप से चीन में.. चीन के जाते हैं। हमें भी बात करनी चाहिए और लिए आपको बहुत कुछ करना होगा और लोगों को बताना चाहिए कि ये सच्चाई है। इसे कार्यान्वित करना होगा क्योंकि यह आपको सत्य का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए । ताओं का संदेश है। यह बिल्कुल नई चीज़ निःसन्देह नहीं हैं। मैंने तो केवल इतना किया है कि आलोचना करते रहते हैं । ठीक है. ये सब इसे सामूहिक बना दिया है, सामू हिक असत्य है और ये चला जाएगा आप सब आन्दोलन। बस बात इतनी सी है। अन्यथा लोगों को यहाँ देखकर मुझे प्रसन्नता हुई। कुछ ऐ से भी लोग हैं जो ये बही पुरानी चीज है। सभी महान सूफियों आप सब लोगों का बारम्बर धन्यवाद । ने, सभी महान सन्तों ने, अवतरणों ने एक ही मेरा हार्दिक प्रणाम यह मेरी इच्छा थी कि परमेश्वरी माँ के सुन्दर एवं हृदय को स्पर्श करने वाली हॉग-कॉग में साक्षात् दर्शन करुं, उनका मुस्कान के साथ वे हमारे सम्मुख प्रकट हुईं। आशीर्वाद लूं और उनके असीम प्रेम का मैं नहीं जानती कि तीव्र भावनाओं के कारण आनन्द उठाऊं । उनसे उस भेंट ने मुझे एक या कृतज्ञता के कारण मेरी आँखों से अविरल सर्व सामान्य महिला से सहजयोगी बना आँसू इस प्रकार टपक रहे थे जैसे माला का दिया। कुछ दिनों तक लगातार मैंने अपने धागा टूट जाने पर उसके मोती गिरते हैं । जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन देखे। बाद में मुझे पता चला कि बहुत से अन्य अचानक मैंने महसूस किया कि मेरा हृदय योगियों को भी ऐसा ही महसूस हुआ और खुल गया है और इस असीम आनन्द एवं अथाह आनन्द का भी अनुभव किया मेरे प्रेम को अन्य लोगों के साथ बाँटने की इर्द-गिर्द की हर चीज़ अत्यन्त सुन्दर हो मुझको उत्कट इच्छा है। श्रीमाताजी ने मुझे गई थी। उससे पूर्व मेरे परिवार के लोग सहजयोग दिया था बल्कि के वल दूसरा जन्म न भली-भांति समझाया था कि परमात्मा ने हमें का थोड़ा सा ज्ञान ले आए थे। मेरा ज्ञान व्यक्तिगत रूप से आशीर्वाद प्राप्त करने के सतही था मुझे मूल तकनीक का भी ज्ञान लिए ही नहीं चुना है उन्होंने अपने इस प्रेम न था। हृदय से समर्पण और सत्य-साधना को अन्य लोगों तक पहुँचाने के लिए भी हमें तथा श्रीमाताजी के प्रेम के अतिरिक्त मैंने कुछ नहीं किया और फिर भी मेरी बाधाएं दूर चुना है। एक उत्तर के साथ जीवन का अर्थ जानने हो गई। इस अनुभव का शब्दों में वर्णन नहीं की लम्बी खोज अचानक समाप्त हो गईं। किया जा सकता। सभी कुछ इतने स्वाभाविक एवं जीवंत ढंग से हो गया है कि उसके लिए मुझे कुछ भी बिना सजा उत्सव कक्ष पावन योगियों तथा न करना पड़ा। ये सब शुद्ध इच्छा से परिपूर्ण कुछ सुन्दर बच्चों से भरा हुआ था। हम सब हृदय के परिणाम स्वरूप था। श्रीमाताजी से मेरी प्रथम भेंट हवाई अड्डे देर बाद अपनी मधुर मुस्कान के साथ तीसरी रात-दस बजे के बाद होटल का बैठ गए और ध्यान में चले गए। थोड़ी ही पर हुई जब मैं उन्हें लेने के लिए गई । सम्मान से परिपूर्ण विचारों के साथ हम प्रति अपना गहन सम्मान दर्शाने के लिए उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। अचानक अत्यन्त हाथ जोड़कर हम सबने उनका स्वागत श्रीमाताजी दरवाजे पर दिखाई दीं। उनके चै री त य ल ह प्रकाशक वी.जे. नलगीरकर 162 - ए. मुनीरका विहार, नई दिल्ली 110067 मुद्रक अमरनाथ प्रैस प्रा. लिमिटेड डब्ल्यू एच एस 2/47 कीर्ति नगर औद्योगिक क्षेत्र, नई दिल्ली-15 फोन 5447291, 5170197 सदस्यता के लिए कृपया इस पते पर लिखें :- श्री ओ.पी. चान्दना एन - 463 (G-11) ऋषि नगर, रानी बाग दिल्ली - 110034 फोन : (011) 7013464 सहज सम्बंधी अपने अनुभव, चमत्कारिक फोटोग्राफ तथा कलाकृतियाँ निम्न पते पर भेजें: चैतन्य लहरी सहजयोग मंदिर सी-17, कुतुब इन्स्टीच्यूशनल एरिया नई दिल्ली - 110016 म ि स सहजयोग में भी यदि समाधान (संतुष्टि) नहीं है तो आपका सहजयोग करना बैंकार है। आप जहाँ भी हैं श्रीमाताजी आपके साथ हैं। योग की उस अवस्था में आप जहाँ भी है 'माँ' भी वहीं हैं । जब आप इस बात को महसूस करेंगे केवल तभी आपको सहजयोगी माना जाएगा। परम पज्य माताजी श्री निर्मला देवी ---------------------- 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-0.txt NIRMALA DRARM खंड : XIV अंक : 11 व 12 नवम्बर - दिसम्बर, 2002 चैतन्य लहरी PURE BELIGIO लब मा जो लोग सहजयोगी नहीं, उनसे आप अवश्य प्रेम करें और उन्हें आल्म साक्षात्कार दें। बिर्स ला देवी मालाी NOIDIIN PAHSIN UNIVERSA 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-1.txt दन सहजयोग का अर्थ 11.11.79 पति चिकित्सा सम्मेलन 15 2.04.2002 ईस्टर पूजा 23 21.04.2002 32 सहस्रार पूजा - 5.05.2002 श्रीमाताजी चीन में 16-19 दिसंबर, 2001 43 विराट के अंग-प्रत्यंग, हाँग-काँग, 18 दिसम्बर, 2001 46 मेरा हार्दिक प्रणाम 49 2क। 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-2.txt सहजयोग का अर्थ London 11.11.79 परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन सहजयोग आपके अन्दर जीवाणु की तरह आडोलन एक के बाद एक क्रिया आदि एक से विद्यमान है । यह आपके अन्दर जन्मी हुई दूसरी तरह के आड़ोलन के माध्यम से होता चीज़ है। व्यक्ति के अन्दर ये अन्तर्जात होती है जो अवययों में मौजूद है जैसे पेट स्वतः है, स्वतः इसका अंकुरण होता है और खाए हुए पदार्थ को नीचे को धकेलता है। ये अभिव्यक्ति होती है । बिल्कुल वैसे ही जैसे सब आपके मस्तिष्क से आता है । अनुकंपी आप छोटे से बीज को अंकुरित होकर वृक्ष नाडीतन्त्र और पराअनुकम्पी नाड़ी तन्त्र बनते हुए देखते हैं। यही सहजयोग है । अन्य (Sympathetic, सभी योग जो इसके साथ-साथ चलते हैं, वे गतिशील हो उठते हैं और इसे कार्यान्वित सब सहजयोग के ही अंग-प्रत्यंग हैं। इन्हें करते हैं। ये एक बहुत बड़ी प्रणाली है और इससे अलग नहीं किया जा सकता । मुझे एक बहुत बड़ी संस्था है जो ये कार्य कर लगता है कि लोगों में कुछ गलत-फहमी है। रही है आप यदि इसे पृथक करना चाहें तो योग के चार अंग होते हैं। ये सोचना भी पाचन प्रणाली भिन्न है, मस्तिष्क प्रणाली गलतफहमी न होगी कि वे अलग-अलग हैं। भिन्न है, स्नायु प्रणाली भिन्न है। आप इन्हें जब हम कहते हैं कि हमने खाना खाया है इस तरह से अलग नहीं कर सकते कि तो इसका अर्थ ये नहीं होता कि बोल्ट की आपका मस्तिष्क एक तरफ लटका रहे तथा तरह से ये हमारे शरीर में चला गया और पाचन प्रणाली दूसरी ओर। इस जीवन्त Parasympathetic) 1 फिर बोल्ट की तरह से ही शरीर से बाहर संस्था का ये समग्र रूप है। ये संस्था एक निकल गया क्या ऐसा हो सकता है? दूसरे अवयव को समझती है और उनकी इसका अर्थ ये है कि आपने अपने मुह में इस माँगों पर प्रतिक्रिया करती है। इस प्रणाली खाने को चखा, इसका अर्थ ये है कि अपने को आप अलग-अलग नहीं कर सकते। मुँह में आपने लार (Saliva) का उत्सर्जन परन्तु हमारे मस्तिष्क इत ने विधाटित किया और बाद में यह अन्य अवयवों में गया, (Disintegrated) है या ये कहें कि हमारे वाहिका (Trachea) में से गुजरा फिर ग्रास नली (Oesophagus) में से पेट के एक भाग विधटित करने में इतने कुशल हैं कि हम में पहुँचा, फिर छोटी-आत में गया और इस जीवन्त चीज़ - योग (Yoga) को भी तत्पश्चात् बड़ी आँत में पहुँचा। यह सारा विघटित कर देना चाहते हैं। योग संस्था अन्दर की और बाहर की हर चीज़ को ा मृत 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-3.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 2 पैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 ये शरीर जीवन्त है ये मृत शरीर नहीं है । नहीं है। यह एक जीवन्त प्रक्रिया है पूर्णतः जीवन्त प्रक्रिया जीवन्त प्रक्रिया होने के जो भी चीज़ जीवन्त है उसकी भली-भाँति कारण आप इसके विषय में कुछ नहीं कर देखभाल होती है, उसका आयोजन किया सकते। अतः यह सहज है। अधिक से जाता है और ये सब कार्य जीवन्त रूप से अधिक आप इसे थोड़ा बहुत इधर-उधर कर किया जाता है। ये बात आप नहीं समझ पाते सकते हैं, थोड़ा बहुत धकेल सकते हैं, बस। क्योंकि हम मृत चीजों पर ही कार्य करते हैं । जैसे एक पेड़ बढ़ रहा है। जापान में लोग मान लो मुझे ये यन्त्र चालू करना है तो मुझे पेड़ को एक विशेष आकार देना चाहते हैं तो इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि इसकी वे पहले एक डाली को काटते हैं, उसे कुछ एक तार है जो मुझे ऊर्जा स्रोत से जोड़नी ज्यादा मोड़ देते हैं, फिर दूसरी डाली को पड़ेगी, तभी ये यंत्र कार्य करेगा मैं सदैव काटकर उसे मोड़ते हैं और इस प्रकार से कहती हैँ कि सहजयोग ऐसा ही है कि आप पेड़ को विशेष आकार देते हैं । परन्तु जो भी अपनी तार को निकालकर ऊर्जा स्रोत से चीज़ जीवन्त है वह हमारे अन्दर बहुत सी जोड़ दें। परन्तु क्या आप सोचते हैं कि ये जटिल संस्थाओं के साथ मिलकर स्वतः ही इतना सुगम है? क्या आपको इस बात पर ये संस्थाएं भी जीवन्त हैं और विश्वास है कि आपने कुण्डलिनी को वहाँ से उठाकर सहजयोग से जोड देना है? बात 1 कार्यरत है । उन्हें इस बात का ज्ञान है कि वे क्या कर रही हैं। उदाहरण के रूप में आपका शरीर ऐसी नहीं है जब कुण्डलिनी का अंकुरण मेरे प्रति आपकी तर्कब्द्धि से कहीं अधिक आरम्भ होता है, जब जागृति आरम्भ होती है चेतन है। मान लो आप भूत-बाधित व्यक्ति तो यह भिन्न चक्रों में से गुजरती है। कैसे? हैं परन्तु आप ये स्वीकार नहीं करेंगे कि आप रीढ़ के अन्तिम छोर पर विद्यमान कृण्डलिनी बाधित हैं। आप इस बात को स्वीकार के ऊपर उठने की व्याख्या आप किस प्रकार म भूत- नहीं करें गे। मैं भी ऐसी कोई बात नहीं करते हैं? अब यदि मैं आपसे बताऊं कि यह कहूंगी क्योंकि इस प्रकार की किसी भी आपकी पाचन प्रणाली से भी कहीं अधिक है अन्दर विद्यमान चीज को मैं नहीं लेना क्योंकि कुण्डलिनी जो कि एक ऊर्जा मात्र है चाहूंगी। मानव प्रकृति का मुझे ज्ञान है । उन्हें यह सोचती है, समझती है, आपको प्रेम यदि इस तरह की कोई चीज बताई जाएगी करती है. आपके इस जीवन के विषय में तो आप निश्चित रूप से अपने लिए कष्ट को और पूर्व जन्मों के विषय में सभी कुछ बुलावा देंगे। इसलिए मैं आपको ये बातें नहीं जानती है। वह यदि इतनी समर्थ है, यदि बताती। परन्तु शरीर मुझे पहचानता है जब वह सब कुछ जानती है. अपने आपमें यदि वह पूर्ण संस्था है और उसे यदि उठकर आप मेरे सम्मुख आते हैं तो यह थर-थर काँपता है। ये बात सत्य है या नहीं आप मुझे आपके सिर तक आना है तो क्या ये सुगम कार्य है? ये कठिनतम कार्य है। कहीं यदि बताएं । প পঁc 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-4.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 3 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 आपको कोई पत्थर पड़ा मिले तो इसे द्वारा कल्पना किया जाने वाला आदर्शतम उठाकर आप जहाँ चाहे फेंक सकते हैं। ऐसा व्यक्तित्व है। यह किसी भी प्रकार की करना क्या सुगम नहीं है? एक छोटा सा मूर्खता, झूठ, असत्य आदि किसी भी चीज कीड़ा भी इस बात को जानता है कि अपना को बर्दाश्त नहीं करती। यह निर्मल है, आप जीवन बचाने के लिए उसकी ओर आते हुए इसे निर्मल कह सकते हैं। यह पावन है यह साँड के रास्ते से किस ओर हट जाना है। पावनता का अवतरण है। यह पावनता की साँड यदि कहीं बैठ जाए तो उसे वहाँ से मूर्ति है । किसी भी प्रकार की बेवकूफी को यह स्वीकार नहीं करती और न ही यह उठा पाना असंभव है। अपने स्तर पर आप जो चाहे प्रयत्न करते रहें । भारत में यह किसी भी प्रकार का समझौता करती है। ये कार्य करने के लिए बहुत से उग्र तरीके हैं। आपके अन्दर विद्यमान है आप देखें कि आप लाल मिर्चे जलाकर उनका धुँआ आप बैल कितने सुन्दर हैं? किसी भी चीज़ का इसे की नाक में सुंघा दें केवल तभी साँड वहाँ से भय नहीं है न इसे किसी चक्कर में फॅसाया उठेगा अन्यथा जो चाहे करते रहें साँड वहाँ जा सकता है, न इसे सम्मोहित किया जा से नहीं उठेगा। अत्यन्त आनन्द पूर्वक वो सकता है और न किसी चीज से इसे वहाँ पर बैठा रहेगा कभी-कभी इस तरह प्रलोभित किया जा सकता है। ये प्रेम करती के बैलों से भी आपका वास्ता पड़ता है, है। परन्तु इसका प्रेम इतना पावन है कि कभी-कभी ऐसा भी होता है परन्तु इस अपने प्रेम से अधिक पावन इसके लिए कुछ कुण्डलिनी को जागृत करना, जो कि सोचती भी नहीं है किसी भी मामले में ये समझौता है, समझती है, हर व्यक्ति की व्यक्तिगत माँ नहीं करती और यही आपको आपका है, चाहे जब-जब भी उसने जन्म लिया हो, आत्म साक्षात्कार देती है। अब तक जो जो आपके विषय में सभी कुछ जानती है. मानव इसके विषय में जानते हैं उन्हें उसे आपको सर्वाधिक प्रेम करती है. वही आपको प्रसन्न करने के तरीके खोजने होंगे। कौन आत्म-साक्षात्कार देती है. आपको आपका सी चीज इसे नाराज करती है? क्यों ये पुनर्जन्म देती है। तो ये आपकी माँ है। तो उठना नहीं चाहती? उन्हें तौर-तरीके इस प्रकार की कुण्डलिनी जो हमारे अन्दर खोजने पड़े और इस खोज के परिणाम विद्यमान है उसे उठा पाना तो कठिनतम स्वरूप भिन्न प्रकार के योग सामने आए जैसे होना ही चाहिए। यही कारण है कि लोग 'राजयोग', 'हठयोग' आदि तीसरी प्रकार के कहते हैं कि कुण्डलिनी को उठाना अत्यन्त योग को आप 'क्रियायोग' दुष्कर है ये बात ठीक है। अतः व्यक्ति को विचार से क्रिया और राजयोग एक ही चीज साँड को उठाने के तरीके खोज निकालने है, इनकी एक ही शैली है, तथा भक्तियोग, होंगे क्योंकि कुण्डलिनी पूर्ण धर्मपरायणता ज्ञानयोग और 'कर्मयोग' इन सब विधियों को है, पूर्ण पावनता है आपके मस्तिष्क मानव साँड को उठाने के लिए उपयोग कहते हैं। मेरे পC fuc গc 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-5.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 4 यैन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 करना चाहता है कहने से मेरा अभिप्राय है और दृढ़ता से अपने स्थान पर जम जाएगा। कि इन सब तरीकों से व्यक्ति कुण्ठित हो बूडू से यह उठेगा नहीं । अतः लोगों को वह जाता है और स्वयं को समीपतम वृक्ष से फाँसी लगा लेना चाहता है। तो यह एक से भी बैल नहीं उठेगा, नहीं ये नहीं उठेगा, अन्य प्रकार का कुण्ठित रोग है । इनके चाहे आप अपनी गर्दन अतिरिक्त परपीड़नशील योग (Sadistic उठेगा । Yoga) है फिर पीटने वाला योग (Beating उपाय खोजना होगा शीर्षासन में खड़े होने तोड़ लें ये नहीं तो हमें क्या करना चाहिए? हमें इस बात Yoga) है और इस प्रकार से ये चलता रहता है। एक चीज़ से दूसरी बेहतर चीज़ विद्यमान कुण्डलिनी क्या है? ये सभी योग तक जाना फिर धर्मान्धता । क्योंकि मानव के जो प्रचलन में आए हैं ये लोगों के अनुभवों लिए चैन से बैठना अत्यन्त कठिन है। उन्हें से पनपे हैं क्योंकि जब लोगों ने इस चुनौती मिलती है, 'ओह ये का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए कि हमारे अन्दर सॉड नहीं कुण्डलिनी को उठाने का तथाकथित प्रयत्न किया तो वे मेंढक की तरह से उछलने लगे । उठता. मैं इसे उठाऊंगा। जबकि उन्हें इसका अधिकार नहीं होता। जो लोग इसका ये परिणाम निकाला गया कि मेंढक आत्म-साक्षात्कारी भी हैं, उन्हें भी इसका की तरह से उछलने से कुण्डलिनी उठ जाती ज्ञान नहीं है क्योंकि उन्होंने कुण्डलिनी का है फिर कुछ लोगों ने अपने वस्त्र उतारने सृजन नहीं किया, बिल्कुल वैसे ही जैसे ये शुरु कर दिए। इस प्रकार की अटपटी चीजें मशीनरी मुझे मिल भी जाए तो भी मैं इसे शुरु कर दीं । उनमें से गर्मी निकलने लगी चलाना, इसका उपयोग करना नहीं जानती, इसलिए उन्होंने सोचा कि यदि हम वस्त्र चाहे मैं प्रयत्न करती रहूँ। हो सकता है, इस उतार देंगे तो हमें परमात्मा मिल जाएंगे प्रयत्न में मैं अपने हाथ ही जला लूँ। अतः कुछ अन्य लोगों को पेट में एक प्रकार की पकड़ महसूस हुई या कुछ लोगों को अपने के योगों को इस विश्व में जन्म देते हैं और अन्दर ये सब चीजें घटित होती हुई दिखाई हर व्यक्ति इस बात से आश्चर्य-चकित है देने लगती है उन्होंने इसे मूलबन्ध का नाम कि इतने सारे योग किस प्रकार हो सकते दिया। उन्होंने कहा कि बन्ध लग गया है । हैं! हमें यह योग अपनाना चाहिए कि वो किसी चीज ने वहाँ पकड लिया है। तो योग? बुद्ध को मानना चाहिए या महावीर को क्रिया योग ये है कि आप अपनी जिहवा को या ईसा-मसीह को या किसी अन्य को ये यहाँ से लेकर, मेरे कहने से तात्पर्य ये है कि सब है क्या? इसके बाद 'चर्चयोग' और बुडू उसके तन्तु को नीचे से काटकर जिह्वा को इस प्रकार के उल्टे-सीधे प्रयत्न बहुत प्रकार (Budu) है और जादू टोने (Witch Craft) में ऊपर की ओर घुमाएं जहाँ ये गले की जड़ स्थित छोटी जिहवा को दबाए। प्रायः वे भी क्या हानि है, ये बात उस दिन किसी ने में कही। कोई बुराई नहीं परन्तु इनसे साँड हैं अपनी जिह्वा को घुमाने में ही लगे रहते 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-6.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 5 और यह चलता रहता है। लोग अपनी ठीक हैं। ये बात समझने का प्रयत्न करें। ये जिह्वा को विशुद्धि चक्र तक ले जाते हैं वे सोचते हैं कि विशुद्धि यही है और उनकी ये करने के पश्चात् वे सब ठीक हो जाते हैं सोच ही बहुत बड़ी समस्या है। तो वे अपनी परन्तु आत्म-साक्षात्कार से पूर्व वे सब गलत जिह्वा को पीछे गले की ओर धकेलते हैं है। बिल्कुल वैसे ही जैसे कार का इंजन और सोचते है कि इसे गुदगुदाने से वे चालू होने से पूर्व यदि आप उसका ब्रेक कुण्डलिनी को उठा लेंगे । हम बिल्कुल दबाएं या उसका स्टीयरिंग धुमाएं तो आप बहुत साधारण है। आत्म-साक्षात्कार प्राप्त इससे भिन्न कर रहे हैं प्रभाव कारण जड़ कार को खराब कर रहे हैं। कार का इंजन जब चालू हो जाए और आपको कार चलानी तक जाना होगा तभी आप प्रभाव तक पहुँचेंगे। क्या आप मेरी बात को समझ पाए भी आती हो, आप कार चलाने में कुशल हों हैं? विशुद्धि चक्र, जो कि यहाँ है और तब सब कुछ ठीक है। अन्यथा जिस कार में अत्यन्त सूक्ष्म है, यदि ये खराब हो जाए तो मुझे मेरे घर से आश्रम तक लाना था वह इसके प्रभाव महसूस होंगे इसके कारण मुझे कहीं भी धोखा दे देगी इसी प्रकार से आपकी जिह्वा प्रभावित हो सकती है, जिन चीजों का आत्म- साक्षात्कार से पूर्व आपकी आँखे प्रभावित हो सकती हैं, आपकी कोई अर्थ न था उन्हें आप आत्म- साक्षात्कार नाक प्रभावित हो सकती है आपके गाल के बाद समझने लगते हैं । प्रभावित हो सकते हैं। कुल मिलाकर ये 16 पंखुड़ियों के प्रभाव हैं ये सभी प्रभावित हो हठयोग भी चक्रों पर आधारित होता है, सकती हैं। अपनी नाक को गुदगुदाने से इसमें कोई सन्देह नहीं। नि:सन्देह ये भी आप विशुद्धि चक्र को नहीं छू सकते । क्या ईश्वरीय प्रावधान पर आधारित है । सारे ऐसा नहीं है? क्या आप मेरी बात को समझ अष्टांग, हठयोग के आठों भाग, इन्हें आप रहे हैं? उदाहरण के रूप में जिस केन्द्र से यहाँ बिजली आ रही है उसे गुदगुदाने से हठयोग क्यों बनाया गया सर्वप्रथम इसलिए आप उसे ठीक नहीं कर सकते। आपको कि वे अपने चित्त को ईश्वर के प्रावधान पर जड़ों तक जाना होगा किसी पेड पर यदि लगाएं अर्थात परमात्मा के अस्तित्व पर लोग आप देखते हैं कि कोई एक फल सड़ रहा है अपने चित्त को लगाएं अन्धविश्वासों पर आइए हठयोग का उदाहरण लेते हैं। मानव के नज़रिये से देखें। मानव के लिए या सारे फल सड़ रहे हैं तो फलों का इलाज नहीं। वे इस बात को समझे कि परमात्मा है करने से क्या आप उस रोग को ठीक कर ताकि व्यक्ति स्वयं को विनम्र बना सके। सकते हैं? आपको जड़ों तक जाना होगा । तो जब इन लोगों ने ये सब मनुष्यों पर घटित होते हुए देखा तो उन्होंने बहुत सी कि वह व्यक्ति कम से कम आत्म- विधियाँ बना लीं । ये सभी गलत हैं और सभी साक्षात्कारी हो, कोई भी ऐरा-गैरा नत्थूखैरा फिर आप किसी साक्षात्कारी व्यक्ति को गुरु मानकर उसके पास जाएं। गुरु का अर्थ हैं 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-7.txt नवम्बर -दिसम्बर 2002 6 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 गुरु बन बैठता है! ऐसा व्यक्ति मूर्ख है । गुरु सहजयोगी कुण्डलिनी को वैसे ही उठा लेते को आत्म-साक्षात्कारी होना ही चाहिए। यदि हैं, ये बात भिन्न है। परन्तु अन्य कोई व्यक्ति वह आत्म - साक्षात्कारी है तो वह ऐसा ही इस कार्य को नहीं कर सकता। केवल आप कहेगा। वह अलग होने की बात नहीं करता, ही लोग इस कार्य को कर सकते हैं क्योंकि वह अधिकार की बात करता है क्योंकि वह अधिकारी है। जो लोग अलग होने की बात आप अधिकारी हैं और तुरन्त कुण्डलिनी को उठा लेते हैं। इन हठयोगियों ने क्या किया करते हैं, रोने-बिलबिलाने आदि की बातें कि इसे शारीरिक स्तर पर ही उभारा । अतः करते हैं वो भी अन्य लोगों की तरह से आपको ईश्वरीय प्रावधान (यम, नियम) का अन्धे हैं। उन्हें आपका नेतृत्व करने का कोई ज्ञान होना चाहिए अधिकार नहीं । इस मामले पर विनम्रता की की आयु से पूर्व । पच्चीस वर्ष की आयु से कोई बात नहीं। कहने का अभिप्राय ये है कि पूर्व आपको स्वयं को अनुशासित कर लेना मेरे पास यदि लाल शाल है तो मुझे कहना चाहिए अर्थात आपको ये समझ लेना चाहिए चाहिए मेरे पास लाल शाल है। इसमें कि उचित क्या है और अनुचित क्या है। अब विनम्रता की क्या बात है? मेरा अभिप्राय ये है जिन लोगों ने पन्द्रह वर्ष की आयु तक कि आप जो हैं वही बताने में क्या हानि है। दुनिया के सभी कुकृत्य कर लिए हैं वे अब आप यदि वह नहीं है, जब आपमें वह गुण पच्चीस वर्ष की आयु में यम नियम सीखने नहीं है फिर भी यदि आप अपने को वह । और वो भी पच्चीस वर्ष का प्रयत्न कर रहे हैं! किस प्रकार आप ये बताते हैं तो यह अहंकार है। परन्तु यदि कार्य कर सकते हैं, मुझे बताएं। मान लो कि आप वह हैं तो आपको यह कहना चाहिए कि कार को आपने पूरी तरह से खराब कर 'मैं ही प्रकाश हूँ, मैं ही मार्ग हूँ। कहने से दिया है तो आप अधिक से अधिक इसकी मेरा अभिप्राय ये है कि ऐसा कहते हुए बीमा की रकम के लिए ही तो कह सकते हैं। ईसा-मसीह अहंकार नहीं कर रहे थे इसमें वो भी यदि आपने बीमे की किस्त चुकाई बुरा मानने की क्या बात है? तो हठ योग भी यदि करना हो तो सकते हैं कि कार बिल्कुल नई की नई हो आत्म-साक्षात्कारी व्यक्ति के मार्ग दर्शन में जाए जैसे फैक्ट्री से आई हो, बिल्कुल नई करना चाहिए, केवल आत्म- साक्षात्कारी हो जाए! जिस घोड़े का दुरुपयोग किया व्यक्ति के मार्ग दर्शन में ही नहीं परन्तु उस हो। अब किस प्रकार आप ये आशा कर गया हो क्या वह दौड़ जीत सकता है? यह व्यक्ति के मार्ग दर्शन में जिसने शक्ति पथ बात ठीक नहीं है। अतः यह समझना चाहिए की कला में कुशलता प्राप्त कर ली हो। कि यम-नियम तथा अन्य चीजें हमारे लिए शक्ति-पथ की कला में जो कि कुण्डलिनी नहीं हैं, विशेष रूप से पाश्चात्य लोगों के जागृति है। पथ प्रदर्शक व्यक्ति में कम से लिए तो यह किसी भी प्रकार से नहीं हैं। हमं कम ये योग्यता होनी चाहिए। निःसन्देह यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिए चाहे 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-8.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 7 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 प्रयोग करते हुए या जैसे भी। हमने बहुत सी करने का क्या लाभ है? इसका उन पर बहुत गलतियाँ कर ली हैं और अब भी प्रयोग दबाव पड़ेगा क्योंकि उनमें से कोई भी (Experiment) किए चले जा रहे हैं । मैं पुनः आत्मसाक्षात्कारी नहीं है और न ही वो वही शब्द कहूंगी कि हमने जो भी किया है उससे स्वयं को अपने शरीर को बहुत हानि था कि आपको किसी ऐसे गुरु के पास पहुँचाई है क्योंकि हमारा पथ प्रदर्शन करने जाना पड़ेगा जो आत्मसाक्षात्कारी हो। आप वाला कोई भी न था। हम स्वयं को हानि ज़ंगलों में जाएं और पच्चीस साल तक वहाँ पहुँचाना नहीं चाहते थे परन्तु गलती से ऐसा रहें और उस गुरु के पथ प्रदर्शन में अभ्यास हो गया, अब क्या करें? ये बड़ा गस्भीर करें पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। ब्रह्मचर्यमय मामला है लोग बीमार हैं वे हठ योग नहीं वातावरण में रहें। शक्ति पथ में कुशल हैं। इसीलिए कहा गया अब क्रियायोग पर आते हैं। क्रिया योग में कर सकते। सारा वातावरण रोगी है, पूरा स्थान रोगी है! उन्हें प्रेम की आवश्यकता है, जीभ को बाहर निकालना, जीभ के व्यायाम उन्हें स्काउट्स की काटकर उसे पीछे को मोड़कर विशुद्धि चक्र आवश्यकता नहीं है, उन्हें तो ऐसा व्यक्ति को गुदगुदाना मैं नहीं समझ पाती। कभी- चाहिए जो उन्हें प्रेम कर सके. रोगमुक्त कर कभी तो आपकी तर्क बुद्धि बिल्कुल ही चली सके और उन्हें स्थापित कर सके । आजकल हठ योग में प्रेम का एक शब्द सोचते हैं कि आप अपने अन्दर की इस भी नहीं है क्योंकि लोग इसके लिए पैसा महान शक्ति को देते हैं। केवल एक चीज़ है-प्रेम, प्रेम ही शक्ति को जो सदसदविवेक है और जो हर केवल एक चीज है जिसे पैसे से खरीदा नहीं चीज़ को समझती है। इस तरह से आप को तन्तु की नहीं । जाती है। इस प्रकार के कार्यों से आप जागृत कर लेंगे? उस जा सकता। क्या ये बात सच नहीं है? प्रेम उसको बेवकूफ नहीं बना सकते। तो ये सब के लिए किस प्रकार आप धन दे सकते हैं। हथकंडे जो हम अपने पर आजमा रहे हैं. यहीं कारण है कि आज का हठ योग मात्र स्वयं को एक मामले में थोंपना या दूसरे आदि, इससे आप अपने मिथ्या है। परन्तु आत्म-साक्षात्कार के मामले में थोंपना पश्चात् आप हढ़ योग का उपयोग कर यंत्र को खराब करने के अतिरिक्त कुछ भी सकते हैं क्योंकि आप पावन हो जाते हैं. नहीं कर रहे। कुण्डलिनी जब विशुद्धि चक्र स्वच्छ हो जाते हैं, आपके जख्म ठीक हो से उठती है तो चक्र का विस्तरण (Dilation) जाते है, भर जाते हैं। लोग जख्मी हैं, गहन होता है। तब आपकी जिहवा स्वतः ही अन्दर चोट खाए हुए हैं, बहुत दुखी हैं। आपके को खिंच जाती है और आपकी आँखों का स्पर्श मात्र को वो महसूस करेंगे उनमें जब भी विस्तरण हो जाता है । मुझे आशा है कि स्वयं को सम्भालने की शक्ति ही नहीं है तो कुण्डलिनी जागृति के लिए आँखों का उनसे बड़ी-बड़ी चीजों के विषय में बात विस्तरण करने के लिए वे आँखों में 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-9.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 8 एप्ट्रोफिन (Aptrophin) नहीं डालते। तो ये सारी चीजें स्वतः घटित होती हैं। ह बन्ध लग जाते हैं। बन्ध के कारण पेट से फूँक मारना शुरु कर दूँ या यहाँ से इसे कुण्डलिनी को पकड़ लेता है, चक्रों को छेड़ने पकड़ लेता है कुण्डलिनी जब ऊपर को विद्युत नहीं प्रवाहित होगी । केवल ये यन्त्र आती हैं तो स्वतः ही चंक्र बन्द हो जाते हैं समाप्त हो जाएगा। क्या आप मेरे स्पष्ट ताकि ये ऊर्जा ऊर्ध्वगति की ओर रहे विचार को समझ गए है? ये बात बहुत स्पष्ट गुजरनी है। अत: विद्युत को इसमें से बहना होगा। मैं यदि निराश होकर इस यंत्र में यहाँ लगू या तोड़ने लगू तो इसमें से अधोगति में न जा सके। ये सारी चीजें हमारे है कि यदि आप अपने यन्त्र को बिगाड़ने का अन्दर स्वतः घटित होती हैं, बन्ध भी लगते प्रयत्न करेंगे तो अपने अन्दर की शक्ति को हैं। हो सकता है कि कुछ परा चेतन व्यक्ति जगा नहीं पाएंगे। गुरु यदि आत्मसाक्षात्कारी अपने अन्दर देख पाते हों और ये सोचने होता तो वो आपको बताता। सर्वप्रथम वह लगते हैं। कि आप यदि पेट को इस प्रकार आपकी कुण्डलिनी उठाता, कम से कम खीचें, अपनी जीभ अन्दर की ओर मोड़ें तो आपकी कुण्डलिनी उठाता और आपसे ये चीजें घटित हो जाएंगी। परन्तु कुण्डलिनी कहता शनैः शनैः कुण्डलिनी को उठने के जागृति द्वारा ही ये सब घटित होता है । इन लिए आप मार्ग बनाए। लोग जब कुण्डलिनी सब चीज़ों द्वारा कुण्डलिनी की जागृति नहीं को उठाने का प्रयत्न करते हैं तो वे इसे होती। अब क्या आप मेरी बात समझ पाए? एक-एक चक्र पर उठाते हैं। निःसन्देह वे क्या आपने मेरी बात समझी? अब ये स्पष्ट मूलाधार को तो छू नहीं सकते। अतः ये | यही कारण है कि ये क्रिया योग आरम्भ लोग कुण्डलिनी को ज्यादा से ज्यादा नाभि हुए। मेंढक की तरह से कूदना आरम्भ हुआ, तक ला पाते हैं। परन्तु अब इसे वहाँ पर यहाँ तक कि निर्वस्त्र रहने का भी आरम्भ रोका किस प्रकार जाए? तब वो कहेंगे खाना हुआ। ये सभी चीजें उन लोगों के कारण है कम खाओ, अपने चित्त को इधर-उधर मत जो अनाधिकार कुण्डलिनी को उठाने का भटकने दो। आप खाना कम खाओ ताकि प्रयत्न कर रहे हैं। केन्द्रों में जब यह उठती आपका चित्त खाने पर ही न बना रहे। स्वयं है तब ये सारी चीजें घटित होती हैं परन्तु को निर्लिप्त बनाए रखो। ये सारे कार्य े यदि आपका स्वास्थ्य ठीक न हो, आप बीमार पच्चीस वर्ष से पूर्व की में करवाते हैं। हो, आपके शरीर की देखभाल करने के लिए बहुत अधिक भूखे भी न रहो, नियमित समय आपका हृदय बहुत परिश्रम कर रहा हो और पर खाओ, चित्त को बहुत अधिक बाहर की ऐसी स्थिति में आप यदि घोर परिश्रअम वाले ओर मत रखो ताकि चित्त वहीं पर रहे और इन कार्यों को करें, इन सभी उपायों को कुण्डलिनी ने पच्चीस वर्षों में जो एक इंच उपयोग करें तो आप अपने शरीर यन्त्र को का थोड़ा सा उत्थान किया है वह कहीं वहाँ खराब करते हैं। इसमें से चिद्युत ऊर्जा से भी नीचे न चली जाए। बार-बार वो जन्म 1 आयु প f 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-10.txt नवम्बर दिसम्बर 2002 9 वै।-य लहरी खडXIV अक 11 এ 12 लेते हैं और कीड़ी की चाल से अपने उत्थान विषय में वो सोच नहीं सकते। अत: महा की ओर चलते हैं और इन सब तरीकों से वो काव्य इसी प्रकार से भिन्न होते हैं। जब हम आपकी कुण्डलिनी को वहाँ रोकते हैं और यें चीजें सीखने के लिए जाते हैं तब हम कहते हैं अधार्मिक जीवन मत बिताओ। अपने तथा-कथित गुरुओं को देखते ह आपको अत्यन्त धर्मपरायणतामय जीवन उनके जीवन को देखते हैं और हमारे अन्दर बिताना होगा घोड़े को जब प्रशिक्षित करना वैसी ही छाप रह जाती है । बिना ज्योतिर्मय होता है तो उससे पूर्व कि वो दौड़ में भाग हुए वे आपको कुछ भी सिखा नहीं सकते। ले उसकी आँखों के इर्द -गिर्द दो पर्दे लगा दे ते है ये क्रिया योग भी ऐसा ही है। भारत के है। परन्तु सबसे अधिक महत्वपूर्ण महान सन्तों ने वर्णन किया है कि ये दादा-दादी का प्रेम हुआ करता था जो जलन्धर योग और जलन्धर बन्ध तथा अन्य बच्चों की देखभाल किया करते थे गुरु का सभी पेट में घटित होते हैं अर्थात ये सभी प्रेम उसका प्रशिक्षण तथा आत्मानुशासन भी बन्ध पेट में और हृदय में बनते हैं और ये महत्वपूर्ण है । जो गुरु आपसे पैसा लेते हैं सभी ग्रन्थियाँ टूटती हैं। इसी बात का वर्णन क्या वे आपको व्यापार प्रबन्धन, उल्टे-सीधे किया गया है कुण्डलिनी जब उठती है तो तरीकों और धोखाधड़ी में प्रशिक्षण दे रहे ये सब चीजें आपमें भी घटित होती है। मैं हैं? उनके, सच्चे गुरुओं के, जीवन उनके क्योंकि अत्यन्त कुशल स्वामिनी हूँ इसलिए प्रेम, ज्ञान एवं सूझ-बूझ से इस प्रकार ये सब आपमें भी घटित होता है। जब तक परिपूर्ण हैं कि लोगों के चरित्र एवं व्यक्तित्व मैं कार्य समाप्त नहीं कर लेती मैं इसे आप पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण पर नहीं छोड़ती आपको तो बस इतना के रूप में भारत में अब कोई भी श्रीराम पर करना होता है, आत्म-साक्षात्कार के पथ को महाकाव्य नहीं लिख सकता क्योंकि अब पूर्ण स्वतन्त्रता पूर्वक चुनना होता है । भारत में कोई राम बचे ही नहीं हैं। संभवत: आपको केवल पूर्णतः स्वतन्त्र होना होता है। अब कोई आए भी नहीं । कोई भी इस प्रकार अपनी पूर्ण स्वतन्त्रता में सहजयोग स्वीकार का महाकाव्य नहीं लिखता। लोग अब केवल करना होता है और अगर मुझे लगता है कहानियाँ लिखते हैं। भारत में कविताएं भी कि अपनी पूर्ण स्वतंत्रता में आपने इसे ऐ सी लिखी जा रही हैं जैसे आपके लार्ड बायरन लिखा करते थे। अब श्रीमान बायरन से बाहर चले जाते हैं। आप इसमें रहते ने भारत में जन्म ले लिया है । मेरे विचार से ही नहीं, आप स्वयं ही दौड़ जाते हैं, उन्होंने आपका देश छोड़ दिया है! उसी और यदि ऐसा नहीं होता तो मैं इस प्रकार से साहित्य में सारी गतिशीलता बात का ध्यान रखती हूँ कि आप स्वयं समाप्त हो गई है क्योंकि लेखकों के सम्मुख ही दौड जाएं । कोई आदर्श नहीं है। किसी भी व्यक्तित्व के - नहीं चाहा तो आप बहुत तेजी से सहज काम अतः व्यक्ति को समझना चाहिए कि ये 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-11.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 10 चैत-्य लहरी खंड-XIV अंक 11 d 12 सभी मार्ग, चाहे वह भक्ति मार्ग ही क्यों न उनसे दूर हो गए हैं । अतः आप अपनी हो मैंने आपको तीन प्रकार के भक्तों के वंहगियों पर चले जाते हैं और पुनः वैसे ही ह विषय में बताया जो कामार्थ प्राप्ति के लिए असहज बन जाते हैं। यह मात्र अभिनय है, आते हैं। मेरे पास बहुत से लोग रोग मुक्ति थोड़े समय के लिए । परन्तु लम्बे समय तक के लिए आए यह अच्छी बात है. मेरे लिए यदि आप अभिनय किए चले जाएंगे तो ये यह अच्छा अवसर होता है। वे ठीक हो जाते वास्तविकता बन जाएगी। अभी तक आप हैं, उनमें प्रेम जागृत हो जाता है और वे खेल खेलते रहे, अब खेल समाप्त हो गया मुमुक्षु (मुक्ति प्राप्ति के लिए इच्छुक) बन है। अतः आपको स्वीकार करना होगा कि जाते हैं। ऐसे लोग महान सहजयोगी बन 1 अब आप महान हैं और अपने अन्दर आपने जाते हैं। भारत में ऐसे बहुत से सहजयोगी इसे प्राप्त कर लिया है । ये आपके अन्दर है, है जो महान सहजयोगी बन गए। आरम्भ में आप प्रकाश हैं, आपको ये बात स्वीकार वे इलाज के लिए आए और महान करनी होगी कि अब आप प्रकाश हैं, आप सहजयोगी बन गए। इन सभी अवस्थाओं को पहले जैसे नहीं हैं। एक पुष्प के रूप में आप परिवर्तित हो गए हैं । आपको स्वयं पर वो पार कर सकते हैं। अतः व्यक्ति को समझना चाहिए कि यह विश्वास और भरोसा होना चाहिए क्योंकि महायोग का समय है जहाँ ये सब अन्तर्योग अभी तक तो आप सभी प्रकार के लोगों से अर्थात आन्तरिक घटनाएं स्वतः ही घटित एकरूप थे. बेवकूफी भरे उल्टे-सीधे अनुभवों होती हैं । मुझे आपकी कुण्डलिनी के साथ से जुड़े हुए थे इस बात पर आप विश्वास कुछ करना होता है, काफी कुछ करना होता नहीं करना चाहते आप यदि थोड़ा सा भी है और वो इस बात को अच्छी तरह से इस बात को स्वीकार कर लें, ठीक से इस जानती है वह भी मुझे बहुत अच्छी तरह से पर चलें तो आप इसमें भली-भांति स्थापित जानती है इतना अच्छी तरह से कि मुझे हो जाएंगे मैं यहाँ आपको इसका स्वामित्व देखते ही एकदम से उठकर ये सहस्रार परदेने के लिए हूँ इस सब पर पूर्ण स्वामित्व आ जाती है। ये इतनी प्रसन्न होती है कि देने के लिए। ये महायोग जब आपमें घटित त्यक्ति पर इसका पहला प्रभाव बहुत ही हो जाता है तो आपको किसी अन्य चीज की अच्छा पडता है। व्यक्ति को लगता है कि चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं रहती। उसने पा लिया है । पूरे आनन्द के साथ ये सभी योग आपके चरणों में होंगे इस प्रकार ऊपर उठती है। आप पा लेते हैं परन्तु पुनः से आप अपने हाथ उठाएं और कुण्डलिनी वंहगियों पर चले जाते हैं । यद्यपि आपके उठ जाएगी । ये सत्य है । आप इसे 1 सारे कष्ट और सभी समस्याएं दूर हो जाती आजमाएं। कोई यदि बीमार है तो आप इस हैं फिर भी आप अपनी वंहगियों को पकड़े प्रकार से अपना हाथ रखें, वह व्यक्ति रखना चाहते हैं क्योंकि संस्कार वश आप ठीक हो जाएगा आप स्वयं आजमाएं। ये न E. 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-12.txt दिसमबर 2002 |d - पैत-य लहरी खड XIV अक 11 व 12 11 महायोग है। सहजयोग का ये सर्वोच्च बिन्दु थी। परन्तु आज कोई भी ऐरा-गैरा नत्थू है। एक बार जब आप इसे प्राप्त कर लेंगे तो खैरा गधे की तरह से आपके कान में रेंकता आपको कुछ अन्य करने की आवश्यकता है और आप सोचते हैं कि ये बहुत बड़ी चीज है, मैं किसी को नहीं बताऊंगा कि मुझे कौन कुण्डलिनी वही बनाने के लिए कार्य करती सा मंत्र मिला है । ये लोग आपको बेवकूफ हैं और जब कोई चीज आपको पूर्णता प्रदान बनाने में लगे हैं, ये नहीं जानते ये स्वयं को करती है तो क्यों आप कुछ अन्य करें? बेवकूफ बना रहे हैं। जो कुकृत्य इन्होंने किए सहजयोग में आने के पश्चात् आपके साथ हैं उसका इन्हें बहुत बड़ा मूल्य चुकाना जो भी घटित हुआ उसकी सूची मैं आपको होगा। अतः मंत्र इस प्रकार से नहीं लिए संस्कृत-भाषा में देने वाली हूँ। जिस अवस्था जाते! व्यक्ति को बहुत सारी चीजें समझनी को प्राप्त करने के लिए लोगों को हजारों होती हैं जैसे आपका कुल-देवता क्या है? नहीं रहेगी। आप वही बन जाते है क्योंकि आपका अपना इष्ट देव कोन है? आपकी में ही प्राप्त हो गई है। ये स्वीकार करना जन्मपत्री क्या है? आप कौन से ग्रहों पर कठिन कार्य है कि इसे आपने सहज ही में पकड़ रहे हैं? इस स्थिति में मंत्र का दिया प्राप्त कर लिया। बिना सिर के भार खड़े हुए जाना, इसका समय, जन्म कुण्डली के समय या कोई अन्य व्यायाम किए हुए। क्या ऐसा विशेष अनुसार निश्चित किया जाता है। नहीं है? परन्तु प्रतीक्षा करें और देखें कि जन्मकुण्डली का कौन सा समय गुरु की आपको क्या प्राप्त हुआ है। नि:सन्देह कुछ जन्म कुण्डली से मिलता है? यही कारण था लोगों को ये अवस्था प्राप्त नहीं होती क्योंकि कि लोगों को मुश्किल से एक दो व्यक्ति प्राप्त होते थे । सन्त ज्ञानेश्वर ने भी अपने नहीं। यह कार्यान्वित हो जाएगा। परन्तु जीवनकाल में केवल एक व्यक्ति को नाम जिन्हें प्राप्त हो गया है, किसी विशेषता के दिया और यहाँ पर ये सभी ऐरे गैरे नत्थू कारण जिन्हें ये उपलब्धि प्राप्त हो गई है खैरे नाम बाँटे चले जा रहे हैं ! मेरी समझ में उन्हें इस विशेषता को खोजना है। अपने नही आता। क्या इन भयानक-भयानक नामों लिए आपने इसे खोजना है इतनी आसानी के अतिरिक्त कुछ भी आसानी से उपलब्ध से आपको प्राप्त हो जाने का एक कारण है । नहीं है? ये नाम यदि में भारतीयों को मुझे किसी ने बताया कि एक गुरु है जो बताऊंगी तो वो सब समझ जाएंगे इन आयु के अनुसार मंत्र देता है. ये मूर्खता है । विदेशी साधकों को इन्होंने ऐसे नाम दिए ठिंगा। सभी नाम आप कर लें। कोई आत्मसाक्षात्कारी व्यक्ति सहजयोगियों के नियंत्रण में हैं, आप अपने आपको ये मंत्र नहीं देगा। यही कारण है कि मंत्र बना सकते हैं क्योंकि आपमें एक विशेष मंत्र देना एक बहुत बड़ी चीज़ समझी जाती प्रकार का गुण है जिसका उपयोग आप कर वर्ष कार्य करना पड़ता था वो आपको सहज उनमें कोई समस्या होती है कोई बात पूर्णतः मूर्खता। आप इस बात को स्वीकार जैसे ईगा, पिंगा, 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-13.txt वैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नव4र-दिसम्बर 2002 12 सकते है। जो भी मंत्र आप लें वह जागृत पर नहीं रख सकते हैं। किसी के हाथ पर मंत्र होता है, आप इस बात को जानते हैं । रखने से पूर्व आपको सारे प्रबन्ध करने पड़ते हैं। परन्तु यदि आप सर्वशक्तिशाली बन आत्म-साक्षात्कार के पश्चात ये कहना अत्यन्त सुखद होता है कि यद्यपि अभी तक जाते हैं तब क्या होता है? आप के लिए सभी आप अपनी बाधाओं से मुक्त नहीं हुए होते कुछ बच्चों का खेल बन जाता है. सुगम हो फिर भी आप इसे कार्यान्वित कर सकते हैं । जाता है आप कुण्डलिनी उठाते हैं आप इससे आपकी कुण्डलिनी उठाने की शैली जानते हैं कि भिन्न चक्र हैं, इन चक्रों को आप ठीक कर सकते हैं । इन्हें ठीक करने पर कुछ भी हानि नहीं होती। आप अन्य लोगों की कुण्डलिनी उठा सकते हैं, क्या ये का ज्ञान आपको है। यही कारण है कि यह बात सत्य नहीं है? अभी भी आप अन्य लोगों महायोग है। इसे ऐसा होना पड़ता है। को आत्म-साक्षात्कार दे सकते हैं चाहे आप अन्यथा किस प्रकार हम इस विश्व की रक्षा बाधित ही क्यों न हों। लोग कहते हैं कि मैं करेंगे? किस प्रकार इस सृष्टि को व्यवस्थित से लड़ रहा हूँ। परन्तु यहाँ पर एक हाथ किया जाएगा? इस बात का हमें पता लगाना भूत से आप स्वतः ही कुण्डलिनी उठा लेते हैं। होगा कहने से अभिप्राय ये है कि परमात्मा परन्तु वहाँ बहुत सी आत्माएं आपको पकड़ने को इस बात का पता लगाना पड़ा कि किस का प्रयत्न करती हैं। यहाँ आप एक हाथ से प्रकार आप सब साधकों को आशीर्वादित उन आत्माओं को समाप्त करते हैं और दूसरे किया जा सके. किस प्रकार उनकी से कुण्डलिनी उठाते हैं! इतनी पावनता से (परमात्मा) की अभिव्यक्ति हो सके और जिन लोगों की कुण्डलिनी उठाई जाती है उनका कार्य पूर्ण हो । उन्हें भी कोई हानि नहीं होती अतः मंत्र लेने या देने के लिए व्यक्ति को एक सप्ताह समाहित हैं । मानव अवस्था तक आने के तक निराहार रहना पड़ता है, बिना किसी लिए अब पाषाण युग (Stone Ages) में तो यह महायोग है जिसमें सभी योग पुरुष या महिला की शक्ल देखे, सभी प्रकार जाने की आवश्यकता नहीं है। ये बात इस के कर्मकाण्ड करने के पश्चात् ही व्यक्ति प्रकार से है या आप ये कह सकते हैं कि को नाम प्राप्त होता है। कुछ गुरु तो अपने भारत जाने के लिए अब मुझे कोलम्बस की शिष्यों को कहते हैं कि प्रतिदिन 108 बार तरह से जाने की आवश्यकता नहीं है हाथ धोया करें। मंत्र देने से पूर्व सभी प्रकार जिससे मैं अमरीका की नेति क्रियाएं आदि करवाई जाती हैं । ये जानने वाले व्यक्ति को जो इसके विषय में इतने सारे कर्मकाण्ड हैं, क्यों? क्योंकि आप सभी कुछ जानता है आपके पास आना पहुँच जाऊं। (मार्ग अत्यन्त दुर्बल (Vulnerable) हैं। ये होगा- किसी ऐसे व्यक्ति को जिसने ये सब फास्फोरस (ज्वलनशील पदार्थ) की तरह से किया हो और जो इस कार्य के सभी रहस्यों है और फास्फोरस को आप किसी के हाथ को जानता हो, आपको भली-भांति ho 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-14.txt नवम्बर - दिसम्बर 2002 13 चैतनय लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 पहचानता हो।) मैं मानव के विषय में अभी है कोई बात नहीं आपको मुझसे थोड़ा सा तक बहुत कुछ सीख रही हूँ। मैं सोचती हूँ सहयोग करना होगा और आपको आत्म- मुझे अभी भी बहुत कुछ सीखना है-बहुत साक्षात्कार प्राप्त हो जाएगा। आप अवश्य कुछ। क्योंकि मानव अत्यन्त विचित्र भी हो इसे प्राप्त करें ये मेरी इच्छा है। आपमें भी सकता है। ये बात आप नहीं जानते। मैं इस यदि ये इच्छा होगी तो हम एक ही स्थान पर प्रकार से व्यवहार करती हॅँ परन्तु अचानक पहुँच जाएंगे। मुझे लगता है कि हे परमात्मा ये सब क्या है? कभी-कभी तो आप मानवों के व्यवहार करने के लिए कुछ चालाकियाँ अपनाते हैं। को देखकर मुझे लगता है कि यह मेरे लिए सम्मोहन करते हैं तथा सभी प्रकार के बहुत बड़ा रहस्योद्घाटन है! ये बहुत ही उल्टे-सीधे कार्य करते हैं। आपके अन्दर दिलचस्प बात है बहुत ही दिलचस्प। मानव विराजमान कुण्डलिनी आपमें परमात्मा की ही अजीब जीव है। उसका व्यवहार इच्छा है। ये परमात्मा के लिए इच्छा नहीं है। ये गुरु लोग इस शरीर यन्त्र को खराब बहुत कभी भी एक ही तरह का नहीं होता। उसके आपके अन्दर यह परमात्मा की इच्छा विषय में निश्चित रूप से आप कभी भी कुछ केवल उसी इच्छा से इसे जागृत किया जा नहीं कह सकते। आप नहीं जानते कि वो कब कैसा व्यवहार करे। अत्यन्त दिलचस्प जा रहा है । परमात्मा की इच्छा ही शक्ति है लोग हैं। सहजयोग में आने के पश्चात् और परमात्मा का प्रेम ही उनकी इच्छा है। आपको भी बहुत आनन्द आएगा| भिन्न योगों के विषय में मैंने ये सब वैभव और प्रेम करने की सामर्थ्य आपको आपको बताया है फिर भी आपके कोई प्रदान करें इसी इच्छा को आपके अन्दर सकता है। परमात्मा की इच्छा को ही उठाया उनकी इच्छा है कि वे अपनी शक्तियाँ, अपना प्रश्न है तो आप पूछ सकते हैं। परन्तु आपके स्थापित किया गया है और यह सुप्त है। जब प्रश्न विवेकपूर्ण होने चाहिएं। आप अपने ये जागृत होती है तो आपके अन्तस में उनकी प्रश्न पूछे क्योंकि मैंने ये सब आपको बहुत इच्छा पूर्ण होती है और आपकी पूर्ति हो जाती ही संक्षेप में बताया है। बाद में किसी वक्त है। जब तक आप परमात्मा नहीं है, आप मैं विस्तार में बताऊंगी। परमात्मा की इच्छा को नियंत्रित नहीं कर उत्तर-ये लामा आदि सब गलत हैं। अपने सकते। आत्म-साक्षात्कार के बाद परमात्मा बच्चों को मैं ये बात स्पष्ट बताना चाहती हूँ। आपको अपनी शक्तियाँ देता है जिनके द्वारा इन्हों ने आप लोगों के लिए बहुत सी आप उनकी इच्छा का संचालन कर सकते हैं। समस्याएं खड़ी कर दी हैं। आप सब लोगों अन्य लोगों की कुण्डलिनी आप उठा सकते हैं ने आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर लिया है। एक क्योंकि ये परमात्मा की ही इच्छा है। यह साधक से श्रीमाताजी पूछती हैं कि तुम्हें महानतम उपलब्धि है जिसे व्यक्ति प्राप्त कर अभी तक नहीं प्राप्त हुआ, थोड़ी सी समस्या सकता है क्या ऐसा नहीं है? 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-15.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 14 चैतन्य लहरी खंड XIV अंक 11 वे 12 प्रश्न: आत्मसाक्षात्कार क्या है? मानव की उच्च कोटि के लोग थे इसीलिए आप परमात्मा को खोज रहे थे, इसीलिए आपने अन्य लोगों की कुण्डलिनी उठाने से और इस देश में जन्म लिया। पूरा विश्व परिवर्तित श्रीमाताजी आपको समझने से ही ये कार्य हो हो जाएगा। एक दीपक पूरे कमरे में उजाला कर सकता है परन्तु इसके लिए आपको रक्षा करने का सर्वोत्तम उपाय क्या है? क्या सकता है? उत्तरः आत्मसाक्षात्कार द्वारा आप प्रकाश बन अपनी बाती हर समय प्रज्जवलित रखनी जाते हैं, ठीक है? अतः आपको अन्य लोगों होगी ताकि इससे प्रकाश निकलता रहे । को ज्योतिर्मय करना होगा यह आपका एक अधिकतर विक्षिप्त लोग भयपीडित हैं, उनमें कार्य है इसे समझ जाने पर आप विराट को जटिलताएं हैं । क्योंकि वे कभी स्वयं को समझ जाएंगे। इसका पूर्ण ज्ञान आपको सुरक्षित नहीं समझते। जो देश युद्ध रत हैं होना चाहिए। आपको अपना और अन्य लोगों का ज्ञान होना चाहिए और अन्य लोगों असुरक्षित महसूस करते हैं । क्योंकि उन्होंने उसका कारण ये है कि वे अन्दर से को शुद्ध करने का आपको प्रयत्न करना स्वयं को नहीं समझा। यदि उन्होंने स्वयं को चाहिए। केवल सभी को स्वच्छ करने से, समझा होता तो वे दुखी न होते। आपमें सर्वत्र प्रकाश फैलाने से आप सभी कुछ विपुल वैभव छिपा हुआ है, क्या ये बात सत्य ज्योतिर्मय कर सकते हैं। क्या ये बात ठीक नहीं है? एक बार जब आप अपने वैभव को नहीं है? हमारे अन्दर जिस चीज की कमी है समझ जाएंगे तो कभी दुखी न होंगे और वह है ज्ञान और चेतना। एक बार जब आप पूरा विश्व अत्यन्त सुखमय होने वाला है। इन्हें प्राप्त कर लेंगे तो पूरा विश्व परिवर्तित आप यही सब खोज रहे थे क्या ऐसा नहीं हो जाएगा। आप इसी को खोज रहे थे पूरे है? आपका अपना वैभव है और अब आपने विश्व को आप परिवर्तित करना चाहते थे, इसी का ज्ञान प्राप्त करना है। उदाहरण के क्या आप इस बात को जानते हैं? आपने ये रूप में चाहे आप इस कमरे में आ जाएं फिर सब क्यों किया? क्या आपको इसका ज्ञान भी इसके विषय में आप सभी कुछ नहीं है? क्योंकि पूर्व जन्मों में आप अत्यन्त महान जानते आप यहाँ हैं। अतः मुझे आपको ये और उच्च कोटि के साधक थे, यही कारण था कि आप खोज रहे थे ठीक है आपसे खोजें, अन्य लोगों में भी खोजें। यही सब कुछ गलतियाँ है। सम्पन्न लोग हैं । अपनी शक्ति को न भूलें । अधोगति की ओर न जाएं। क्योंकि आप सब चीजें बतानी हैं आप अपने अन्दर हुई, परन्तु आप अत्यन्त गुण कुछ कार्यान्वित कर रहा परमात्मा आपको धन्य करें। 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-16.txt चिकित्सा सम्मेलन 2 अप्रैल, 2002 जवाहर लाल नेहरु सभागार अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान केन्द्र, नई दिल्ली परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन सभी सत्य साधकों को मेरा प्रणाम | उदाहरण के रूप में किसी व्यक्ति को आप चिकित्सकों के सम्मुख बोलते हुए मुझे अपने शारीरिक रूप से बहुत बीमार देखते हैं, विश्वविद्यालय के दिनों का स्मरण हो आया निःसन्देह, परन्तु आप ये नहीं जानते कि है। मैं भी चिकित्सा विज्ञान पढ़ी थी परन्तु उसे क्या होने वाला है। बिल्कुल भी नहीं भाग्य से या दुर्भाग्य से, लाहौर में हमारा जानते कि वह आपके सम्मुख क्या समस्या विश्वविद्यालय बन्द हो गया ऐसा नहीं था लाने वाला है क्या वह मानसिक रूप से कि मेरा विश्वास पाश्चात्य चिकित्सा शिक्षा ठीक है या बीमार है क्योंकि उसमें कमी में न हो। परन्तु यह दोनों को जोडने का तो है । अब हम कई चीजों के बारे में अच्छी और समझने का सुनहरा अवसर था कि तरह से जानते हैं परन्तु चिकित्सा विज्ञान में पाश्चात्य चिकित्सा शिक्षा में क्या कमी है। इस चिकित्सा पद्धति की मुख्य कमी ये है हैं कि यह मनौदैहिक समस्या है या ये कि चिकित्सा विज्ञान मानव को व्यक्तिगत दैहिक समस्या है । इन दोनों में क्या कुछ उसका कोई इलाज नहीं है और आप कहते रूप से मानता है। पूर्ण से (विराट से) जुड़ा सम्बन्ध है, ये बात हम नहीं जानते। आप हुआ नहीं। आप सभी विराट से जुड़े हुए हैं। हैरान होंगे कि कैंसर जैसी हमारी बहुत सी परन्तु लोगों को किस प्रकार विश्वस्त किया बीमारियाँ मनौदैहिक समस्याओं के कारण जाए कि आप सब पूर्ण से जुड़े हुए हो, आती है जो लाइलाज हैं । विशेष रूप से केवल व्यक्ति (अकेले) नहीं हो। क्योंकि हम कँंसर, या हम कह सकते हैं एड्स। ऐसे सब पूर्ण से जुड़े हुए हैं, हमारी सभी सभी रोग जिन्हें हम पूर्णतः लाइलाज और समस्याएं भी सबसे जुड़ी हुई ह व्यक्ति को आप एक चीज का रोगी और Side) के सम्बन्धों के कारण आती है जिनके दूसरे को दूसरी का नहीं मान सकते । हो बारे में हम विश्वस्त भी नहीं होते (जैसा सकता है कि जिस व्यक्ति में एक समस्या है आपने शरीर तन्त्र के चित्र में देखा है)। उसमें कुछ अन्य समस्याएं भी हों, बहुत सारी अन्य समस्याएं भी जुड़ी हुई हों जिन्हें आप पा१्चात्य चिकित्सा विज्ञान से खोज न सकें। हैं। किसी कठिन मानते हैं. ये हमारे बाईं ओर (Left चिकित्सा विज्ञान को केवल दाईं ओर का ज्ञान है। इसका यह ज्ञान बहुत विस्तृत है यह सूक्ष्म नहीं है। मानव की बाई ओर को 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-17.txt चैतनय लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 15 समझने की यह कोई आवश्यकता नहीं अवस्था में हो तो इसका इलाज बहुत समझता और यही कारण है कि बाई और आसान है अन्यथा भी यह ठीक हो सकता का ज्ञान चिकित्सा शास्त्रियों को नहीं है। है विशेष रूप से रक्त कैंसर पूरी तरह से उदाहरण के रूप में एक व्यक्ति जो पागल ठीक हो सकता है। आप हैरान होंगे कि ये है, जिसे पागलखाने भेज दिया गया है उसे हमारे जीवन के इन दो पहलुओं का ऐसा हृदय रोग हो सकता है, क्यों? किस प्रकार सम्मिश्रण है कि हम लाइलाज रोगों में फँस वह पागल हुआ। दूसरी ओर से उसका क्या जाते हैं। लाइलाज रोगों की बहुत बड़ी सूची सम्बन्ध है? उदाहरण के रूप में एक रोगी है जिसे में बताना नहीं चाहती क्योंकि आप कैं सर पीड़ित है। कैंसर के विषय में हम इसके बारे में अच्छी तरह जानते हैं। परन्तु बहुत कुछ जानते हैं, इसमें कोई सन्दे ह नहीं, इस प्रकार के अधिकतर रोगों में बाई ओर कि किस प्रकार इसके विषाणु फैलने लगते की जटिलता होती है । नि:सन्देह आप दाईं हैं आदि-आदि। हम सभी कुछ जानते हैं। ओर के बारे में भली-भांति जानते हैं, अब परन्तु कैंसर किस कारण से होता है बात को कोई नहीं जानता और ये बात भी बाद की चीजों को भी जानते हैं। ये सब कोई नहीं जानता कि कैसे लोगों को कैंसर आप जानते हैं परन्तु आपको इस बात का होता है। जैसा आपने चित्र में देखा है हमारे अन्दर 1 इस शरीर रचना, उसकी चीर-फाड़ और उसके ज्ञान नहीं है कि बाई ओर आपको किस प्रकार प्रभावित करती है। दो मुख्य नाड़ियाँ हैं। एक हमारी दाई ओर की देखभाल करती है और दूसरी बाई ओर के विषय में बताना चाहूँगी, जिसके बारे में की। बाई ओर यदि समस्या है तो यह आपने कभी नहीं सुना, और जिसके विषय में मनौदैहिक हो सकती है। मान लो आपका अतः इस भाषण में मैं आपको बाई ओर आप विश्वास भी नहीं करते। बायां पक्ष हाथ टूट गया है या आपके साथ कोई और हमारे भूतकाल का क्षेत्र है और जो लोग शारीरिक समस्या है, वहाँ तक तो ठीक है । भविष्यवादी हैं वो भूत काल तथा बाएं परन्तु यदि कोई जटिल मनौदैहिक रोग है अनुकम्पी से अधिक प्रभावित नहीं होते। तो चिकित्सक इसका इलाज नहीं कर परन्तु जो लोग बाई ओर (भूतकाल) में रहते सकते। खेद के साथ मुझे कहना पड़ रहा है हैं उसकी चिन्ता करते हैं. अपने बीते हुए क्योंकि आप लोगों को इस पक्ष (Left Side) समय के विषय में जिन्हें खेद है. ऐसे सभी का ज्ञान नहीं है । आप नहीं जानते कि लोग इससे प्रभावित होते हैं। बाई ओर के व्यक्ति को कैंसर का रोगी बनने के लिए लोगों के विषय में यदि मैं आपसे बताऊँगी क्या चीज प्रभावित कर रही है। आपको तो आपको सदमा पहुँ चेगा। क्योंकि वास्तव जानकर हर्ष होगा कि सहजयोग में कैंसर में वे भूत-बाधित होते हैं। किसी मृत आत्मा का इलाज हो सकता है। यदि ये आरंभिक की पकड़ उन पर होती है और वही मृत 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-18.txt पैतन्य लहरी खं-XIV अंक 11 वे 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 17 आत्मा उन पर कार्य करती है। आपको इस प्रकार की लाइलाज बीमारियों से पीड़ित हैं। 1 पर विश्वास नहीं होगा परन्तु ये बात सत्य मैं कहती हूँ कि व्यक्ति को सर्व प्रथम है। कोई भी व्यक्ति जो उदासीन है या तामसिक स्वभाव का है उसके साथ ऐसा करना चाहिए। इस स्थिति में जब कुण्डलिनी घटित हो सकता है। इसके अतिरिक्त भी उठती है तो यह आप के बहुत सी चीजें हैं जैसे ये झूठे गुरु। ये गुरु (Fontannel Bone Area) का भेदन करती क्या करते हैं? ये व्यक्ति को सम्मोहित कर है और आप सर्वव्यापी परमेश्वरी शक्ति से लेते हैं। मनुष्य का ये पक्ष चिकित्सा विज्ञान जुड़ जाते हैं। चाहे आप मुझ पर विश्वास न का क्षेत्र नहीं है ये चिकित्सा विज्ञान से परे करें परन्तु अपना आत्मसाक्षात्कार पा लें। आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने का प्रयत्न तालू रन्धर है। फिर भी चिकित्सकों को इसका ज्ञान आपने यदि आत्म साक्षात्कार प्राप्त कर होना चाहिए अन्यथा आप इन लोगों को लिया तो इस बात को समझ सकेंगे कि ठीक न कर पाएंगे । हो सकता है आप रोग निदान कर लें परन्तु मनौदैहिक रोगों के है। क्या उसका रोग केवल शारीरिक है या शिकार ऐसे रोगियों का इलाज आप न कर उसमें बाईं ओर का सम्मिश्रण भी है । मैं पाएंगे । आपके रोगियों में किन चीज़ों का सम्मिश्रण हैरान थी कि उस दिन एक बच्चा मेरे पास आज की चिकित्सा समस्या ये है कि आया । उसे मस्तिष्क -झि ल्ली-सूजन चिकित्सक मनौदैहिक रोगों का इलाज नहीं (Meningitis) रोग था वह ठीक हो गया। कर सकते। इसके लिए आपको अपनी एम. उसके माता-पिता ये समझ भी न पाए कि बी.बी.एस. की उपाधि की तरह से बहुत से कैसे वह ठीक हो गया है । बच्चा जब ठीक वर्ष खर्च नहीं करने पड़ेंगे । यह अत्यन्त हो गया तो मैंने उससे पूछा तुम्हारा मित्र तीव्रता से होने वाला प्रशिक्षण है, बशर्त है कौन है? उसने एक लड़के का नाम बताया कि आप इसे करें। परन्तु इसमें पारंगत होने के लिए सर्वप्रथम आपको परमेश्वरी शक्ति कि किस प्रकार आप हर समय उस गुरु को जिसका एक गुरु भी था। मैंने उसे बताया (Divine Force) से एकरूप होना पडे गा। ये कार्य बिल्कुल भी कठिन नहीं है। परन्तु कर सकते हैं ? ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस प्राप्त करने के पश्चात् आपको अपनी आध्यात्मिक योग्यता बनाए रखनी होगी। देखे चले जाते हैं? क्या आप इसकी कल्पना प्रकार के गुरुओं के चंगुल में फँस जाते हैं। आपको इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि अबो धिता (Innocence) आध्यात्मिक योग्यता है। पहला चक्र जो आप प्रथाम जब तक आप आत्म-साक्षात्कार प्राप्त नहीं कर लेते, आप जान ही नहीं सकते कि कौन सच्चा है, कौन झूठा है। एक अबोध बच्चा यदि पावन हैं तो आप सुगमता से ऐसे जो मस्तिष्क झिल्ली सूजन (Meningitis) से रोगियों को ठीक कर सकते हैं जो इस पीड़ित था रातों रात ठीक हो गया! महसूस करते है वह पावनता का है। आप 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-19.txt पैतन्य लहरी खंड-XIV अक 11 वे 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 18 हैं तो आपको सहजयोग के महान अनुभव पर आप आश्चर्य चकित होंगे कि यह महान आश्चर्य इसका आपरेशन नहीं करना पड़े गा । है और यही कारण है कि लोग इसे स्वीकार रातोंरात आप इसको ठीक कर सकते हैं । नहीं करते। ऐसे बहुत से मामले हैं जिनके रातोंरात आसानी से कैंसर के रोगी को ठीक माध्यम से हमने दर्शाया है कि जिन रोगियों कर सकते हैं । ऐसा करने में वे सामर्थ्य हैं. को लाइलाज माना जाता था वे भी ठीक हो विशेष रूप से भारतीय गए हैं ऐसे बहुत से मामले विशेष रूप से भारतीयों में इसकी विशेष योग्यता है । मैं कैं सर जैसे गम्भीर रोगों के! चिकित्सा कहना चाहूंगी कि उनपर यह विशेष विज्ञान में कैंसर के साथ ऐसा ही होता आशीर्वाद है आप नहीं जानते ये देश रहेगा जब तक आप लोग इसे पूरी तरह से कितना महान है! आप केवल पार्चात्य शिक्षा समझ नहीं लेते। परन्तु सहजयोग में ऐसा नहीं है। एक दम से आप जान जाते हैं कि लोग अपने अनुभवों में कहाँ पहुँचे? वे इस व्यक्ति भूत-बाधित है। चिकित्सा विज्ञान की बात को नहीं समझ पाते। उनके बच्चे नशों दिशा ये बिल्कुल भी नहीं है परन्तु हमारे देश में फंस रहे हैं उनके परिवार टूट रहे हैं हर में हमने सदैव इस पर विश्वास किया है। चीज़ उथल- पुथल हो रही है । ऐसा नहीं है मृत लोगों के विषय में हमारे विशेष नियम हैं कि मैं इस पाश्चात्य शिक्षा की निन्दा कर कि इनके साथ किस प्रकार व्यवहार करना रही हूँ। बिल्कुल भी नहीं। परन्तु ये शिक्षा है? किस प्रकार प्रेत-क्षेत्र में जाना है । सारे पूर्ण नहीं है। आपको इसका दूसरा पक्ष भी शरीरों को समझने के लिए विशेष प्रकार आप यदि सहजयोग में कुशल लोग क्यों कि के आधार पर कार्य कर रहे हैं। पाश्चात्य जानना है अन्यथा कैंसर अस्पताल न बनाएं। मृत की सूझ-बूझ है, वो किस प्रकार का आचरण केवल शारीरिक समस्याओं को ही देखें करते हैं, कहाँ रहते हैं और मैं सोचती हॅू कि जिन्हें आप ठीक कर सकते हैं परन्तु यदि आपके ज्ञान का यह बहुत बड़ा भाग है। बाईं आप सभी प्रकार के रोगियों को ठीक करना ओर से आने वाली अधिकतर बीमारियों का चाहते हैं तो दूसरी तरफ का ज्ञान भी आवश्यक है। घबराने की कोई बात नहीं, परेशान होने की कोई बात नहीं। परन्तु आप इलाज नहीं कर सकते। मैं जानती हूँ कि चिकित्सा विज्ञान दाई ओर को ठीक कर सकता है कैंसर को चिकित्सक होने के नाते आपको यह ज्ञान परन्तु वो टालते चले जाते हैं। कभी एक जगह की अवश्य होना चाहिए । मैं सोचती हूँ कि अभी शल्य चिकित्सा करते है कभी दूसरी जगह को चीरते- फाड़ते चले जाते हैं । परेशान हो अग्रवाल ने भी यही कहा है। इसमें जो कमी जाते हैं। ये करते हैं वो करते हैं। शल्य है चिकित्सा कैंसर को ठीक करने का कोई पास है। तरीका नहीं है। ये इसका उपाय नहीं है। | तक भी चिकित्सा विज्ञान अधूरा है। डा. वह है बाईं ओर के ज्ञान की जो हमारे अब मैं कहूँगी कि यह ज्ञान मैंने पुस्तकों 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-20.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 19 चैतन्य लहरी खड-XIV अंक 11 व 12 बना लेता है। दायीं ओर के और भी बहुत से से प्राप्त नहीं किया, केवल सहजयोगियों पर तथा लोगों पर कार्य करते हुए मैंने इसे रोग हैं, बहुत से-परन्तु इनमें से मुख्य जिगर पाया । मैंने देखा कि भारतीयों के मुकाबले रोग ही है जिगर अर्थात जीवन का आधार पश्चिमी लोग इस बाई ओर से अधिक (Live with) पीड़़ित हैं। परन्तु निश्चित रूप से अभी भी है तो अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के पास कोई मैं नहीं समझ पाती कि वे इस तरह बीमार इलाज नहीं। हो सकता है थोड़ा बहुत कुछ । आपका जिगर ही यदि खराब क्यों है! उन्हें क्या हो गया है? मानव हित हो जाए, परन्तु रोग बढ़ जाने की स्थिति में का, रोग मुक्त करने का कोई अत्यन्त व्यक्ति मूर्च्छित हो सकता है, उसकी मृत्यु हो सीमित क्षेत्र भी ले लें तो भी बाईं ओर को सकती है। पश्चिम में जिगर रोग आम बात आपकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। मान है और उनके पास इसका कोई हल भी नहीं लो कोई व्यक्ति हर समय रोता रहता है. है खराब जिगर के साथ ही वे जिए चले उदास रहता है, तो ऐसे व्यक्ति को कैंसर हो जाते हैं, डाक्टर उन्हें बस हस्पतालों में सकता है। दो प्रकार के लोग हैं-एक जो दाखिल कर लेते हैं। दाईं ओर के (आक्रामक) हैं तथा दूसरे जो बाईं ओर के (तामसिक) हैं । मैंने देखा है कि योग्य हैं। आपके पास क्योंकि ज्ञान (सहज जो लोग अत्यन्त आक्रामक प्रवृत्ति हैं, ज्ञान) नहीं है इसलिए आप इन्हें लाइलाज अत्यन्त हावी-होने वाले हैं तथा लोगों पर कहते हैं। नहीं ये लाइलाज नहीं हैं। मैं नियन्त्रण करने वाले हैं, उनके जिगर अन्य रोगों को दोष नहीं देना चाहती, परन्तु (Liver) बहुत खराब होते हैं। मैं अवश्य ऐसे बहुत से रोग हैं जिनका पता भी नहीं कहूँगी कि उनके ज़िगर बहुत खराब होते लगाया जा सकता और न ही चिकित्सा हैं। जब वो बहुत आक्रामक होते हैं तो सारी विज्ञान द्वारा इनका इलाज हो सकता है। सीमाएं पार कर जाते हैं और इस स्थिति में यह बात आपको स्वीकार करनी होगी कि जो पहली बीमारी उन्हें होती है उसे न तो स्थिति ऐसी ही है जो चाहे प्रयत्न आप आप खोज सकते हैं, न ठीक कर सकते हैं। करते रहें परन्तु आप इन्हें ठीक नहीं कर इसमें एक जिगर रोग है। मेरे विचार से सकते। जितनी चाहें दवाइयाँ बन जाएं, इन्हें डाक्टर जिगर को ठीक नहीं कर सकते। ठीक नहीं किया जा सकता। मैं आपको इसके लिए वे प्रयत्न कर सकते हैं परन्तु बताना चाह रही हूँ कि बीमारियों की आधी जिगर को वैसे नहीं ठीक कर सकते जैसे अधूरी बातचीत होती है। उसमें भी बहुत से सहजयोगी कर सकते हैं । किसी व्यक्तिति का पहलू छोड़ दिए जाते हैं । ये रोग लाइलाज नहीं हैं, ये पूर्णतः इलाज उदाहरण के रूप में दमा (Asthma) रोग वह भयानक जिगर रोग का शिकार हो को लें । डाक्टर दमा रोग को ठीक नहीं कर जाता है और सभी प्रकार की जटिलताएं सकते। यह सच्चाई है। परन्तु सहजयोग स्वभाव यदि गर्म है तथा वह आक्रामक है तो 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-21.txt d4२-दिसम्बर 2002 20 चैत-्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 इसे पूर्णतः ठीक कर सकता है। सहज योग उनमें से कुछ बहुत ही अच्छे हैं, उनमें से से हम अल्जी के रोग भी ठीक कर सकते कुछ अमरीका कं है, कुछ इटली के हैं कुछ क्योंकि समस्या की जड़ों का यदि रूस के। रूसी डॉक्टर बहुत ही अच्छे हैं। आपको ज्ञान होगा, भेषज सम्बन्धी बातों का मरे विचार स इस शिक्षा (सहजयोग) से परे नहीं, परन्तु वास्तविक जड़ों का यदि आपको कुछ भी नहीं है और ये लोग इसे सीखने के ज्ञान होगा तो आप स्थिति को सम्भाल लिए प्रयत्नशील हैं किसी भी प्रकार की सुविधा यदि आप प्रदान करेंगे. उससे मुझे प्रसन्नता हागी पर-्तु में आपके क्षेत्र में विद्यालय आदि नहीं है। काश! हम ऐसा विशेष रूप से दिल्ली में ग्रेटर नोएडा में, सकते हैं और रोग ठीक कर सकते हैं । सहजयोग का अभी तक को ई महा- कुछ बना पाते। परन्तु सहजयोग हस्पताल एक सहजयोग अरस्पताल शुरु करने का ं निर्णय कर चुकी हूँ। आपमें से कुछ डॉक्टर हमने हस्पताल बनाया है। यहाँ लोगों का यदि हमारा साथ दे गे तो हमारी बहुत इलाज होता है । में एक रहने तथा खाने का खर्च देना पड़ता है और महाविद्यालय या चिकित्सा विद्यालय आरम्भ मेरे विचार से गरीब लोगों के लिए यह 300 करने के विषय में भी मैं सोच रही हूँ। जहाँ रु. प्रतिदिन से अधिक नहीं है परन्तु वहाँ हमारे विद्यार्थी तथा डॉक्टर रोगियों का रोगी को कोई दवाई नहीं चाहिए और न ही इलाज कर सकेंगे वहाँ पर इलाज के लिए किसी अन्य चीज पर उन्हें खर्च करना पड़ता कोई पैसा नहीं लिया जाएगा परन्तु यदि है क्या आप नहीं सोचते कि हमारे जैसे लोग आकर वहाँ ठहरेंगे तो उन्हें अपने भोजन आदि के लिए पैसा देना होगा। मात्र व्यक्ति को एक्सरे तथा भिन्न परीक्षणों के इतना ही अन्यथा मैं इस प्रकार का प्रबन्ध लिए जाना पड़ता है और परिणाम कुछ भी करने वाली हूँ और इस कार्य में जो भी डॉक्टर अपनी सेवाएं अर्पित करना चाहें हम व्यक्ति को केवल यह समझ होनी चाहिए उनकी सेवाओं को स्वीकार करेंगे। मैं नहीं ये हमने बनाया है बेलापुर नवी- मुम्बई में रोगियों को केवल वहाँ सहायता होगी ग्रंटर नोएडा गरीब देश के लिए यह महत्वपूर्ण है? अन्यथा नहीं निकलता। कि इसका उपयोग किस प्रकार करना है जानती कि वेतन कितना होगा? परन्तु मान लो किसी की टाँग गंभीर रूप से बहुत अधिक नहीं होगा। छः सात हजार प्रभावित है तो आप इसे काट कर नकली रुपये प्रतिमाह एक डॉक्टर को दिए जा टाँग लगा देते हैं । ऐसा करने की कोई सकें गे डॉक्टर को सहज यो गी होना आवश्यकता नहीं । मैं आपको विश्वास आवश्यक होगा और सहजयोग की विधियों दिलाती हूँ कि ऐसा करने की को ई का ज्ञान भी उसके लिए अनिवार्य होगा मेरे विचार से ऐसा करना बहुत उदारता होगी सहजयोग में हमारे यहाँ कुछ डाक्टर हैं, क्योंकि हमारे देश में बहुत से लोग इसलिए आवश्यकता नहीं है। 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-22.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर दिसम्बर 2002 21 दम तोड़ देते हैं क्योंकि न तो वे अस्पताल में बहुत अधिक धन की आवश्यकता नहीं है दाखिल हो सकते हैं न इलाज करवा सकते तथा आपमें कार्य करने की इच्छा है तो यह हैं। आप लोग यदि मेरी इस परियोजना के बहुत अच्छा कार्य है वहाँ कार्य करने वालों लिए कुछ समय दे सकें तो मुझे विश्वास है के लिए हम रहने का स्थान तथा भोजन की कि मैं गरीब लोगों के लिए एक अच्छे भी व्यवस्था करते हैं । अस्पताल की व्यवस्था कर सकूगी। वहाँ पर दै हिक और मनौदै हिक (Somatic and प्राप्ति के लिए इसे नहीं किया जा सकता। यह ज्ञान बहुत कठिन नहीं है परन्तु धन Psychosomatic) सभी प्रकार के रोगी जब मैं चिकित्सा विज्ञान पढ़ रही थी तब आएंगे और आप लोग भी बहत कुछ तक यह क्षेत्र धनसंचालित न था। अब सीखेंगे क्योंकि यह अत्यन्त सूक्ष्म ज्ञान है। चिकित्सा क्षेत्र बहुत ही धन-लोलुप हो गया पुस्तकों से इसे नहीं सीखा जा सकता। आपको रोगियों पर प्रयोग करने होंगे और कहना पड़ रहा है। परन्तु चिकित्सक लोग आप हैरान होंगे कि लोग किस प्रकार बहुत ही धन-लोलुप हो गए हैं। आपके कुछ रोगमुक्त होते हैं। यह किताबी ज्ञान नहीं है। डॉक्टर अमेरीका गए और वहाँ पर लोगों को यह तो अत्यन्त व्यवहारिक ज्ञान है और जिन खूब बेवकूफ बनाया। वो इस सीमा तक गए लोगों में दानशील स्वभाव हो वो इस कार्य कि उनके नाम से हमें शर्मि दगी उठानी को बहुत अच्छा कर सकते हैं और बहुत पड़ती है। उनकी तरह से आप पैसा नहीं है। बड़ा ही अजीब समय है। खेद पूर्वक मुझे परन्तु सेवानिवृत्त होकर आप कुछ सीख सकते हैं। एक बात अवश्य में बना सकेंगे आपको बताना चाहूंगी कि सहजयोग में एक हमारा साथ दें, हमारी सहायता करें। आपमें बहुत बड़ी बुराई है। सहजयोग में आप पैसा से कुछ लोग सहजयोग सीखने के लिए नहीं बना सकते, ऐसा आप यहाँ नहीं कर आएं। मुश्किल से एक महीने भर में आप सकते पैसा बनाने का प्रयत्न यदि आपने इसमें कुशल हो जाएंगे। बिना कोई उपाधि किया तो आप असफल हो जाएंगे। जो भी प्राप्त किए आप रोग निदान कर सकेंगे । हो यह धन-व्यापार सहजयोगियों के लिए किसी प्रयोगशाला में जाने की आपको | बहुत दूर की बात है। वे ऐसा नहीं कर सकते। परन्तु आप अपनी सेवाएं दे सकते जाएंगे कि समस्या क्या है और सभी प्रकार हैं। बेला पुर अस्पताल में हमारे यहाँ एक की लाइलाज बीमारियों का आप इलाज कर आवश्यकता न हो गी। तुरन्त आप जान बहुत अच्छे सेवा निवृत डॉक्टर थे उन्होंने सकेंगे । मैं हैरान हूँ कि ये सब कार्य इतने बहुत अच्छा कार्य किया अब वे जीवित नहीं सुन्दर ढंग से कैसे हो रहा है? ये सारे कार्य हैं। परन्तु उन्होंने बहुत परिश्रम किया अब और सभी कुछ ये लोग कर रहे हैं क्योंकि उनकी पुत्रवधु वहाँ कार्य को देख रही हैं। मैंने लोगों को रोगमुक्त किया, उनके लिए आप यदि सेवा निवृत्त और यदि आपको सभी कुछ किया। परन्तु यहाँ पर हमारा कोई हैं 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-23.txt नवम्बर दिसम्बर 2002 22 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 वं 12 अस्पताल नहीं है । हम चाहते हैं कि दिल्ली युद्ध होगा न आक्रमण । मैं बहुत से मुस्लिम में पहला अस्पताल बने और मैं इस कार्य को देशों को जानती हू। ऐसे बहुत से मुस्लिम कार्यान्वित करना चाहती हूँ। आइए हम इस देश हैं जहाँ पर लोग आत्मसाक्षात्कारी हैं- कार्य को करें यही धर्मार्थ अस्पताल होगा। जैसे टर्की, बेनिन, आइवरीकोस्ट-ऐसे सात यही विवेकशीलता होगी इसको बनाने के देश हैं। इन क्षेत्रों के मुसलमानों को लिए धन मेरे पास है परन्तु मुझे ऐसे सहजयोगी बना दिया गया है। इनमें सभी चिकित्सकों की आवश्यकता है जो सहायता प्रकार की विचारधाराओं का समन्वय है, कर सकें। सहजयोग ही आश्चर्यचकित मानवीय योग्यताओं की सूझ-बूझ है तथा कर देने वाली चीज है। आप जब आएंगे तो मानव व्यक्तित्व का सम्मान है। कहने से देखकर हैरान होंगे कि ये किस प्रकार कार्य अभिप्राय ये है कि यहाँ का वातावरण करता है। मैं जानती हूँ कि आप उस स्तर बिल्कुल भिन्न है । भिन्न स्तर की चेतना तक कभी नहीं आए। कभी आप परमात्मा से वहाँ है और जैसे आप कह रहे थे वहाँ बहुत एकरूप नहीं हुए, आपने परमात्मा की शक्ति पर व्यक्ति अत्यन्त शान्त हो जाता है का कभी प्रयोग नहीं किया एक बार जब और मौन होते हुए भी अत्यन्त मधुर होता आप इस शक्ति का उपयोग करने लगेंगे तो है। आप अपने कार्य पर हैरान होंगे । कहा गया है कि आप स्वयं को पहचानें । सहजयोग के विषय में आपको कितना कुछ इस छोटे से भाषण में, मैं नहीं जानती, परन्तु आत्म साक्षात्कार प्राप्त किए बिना बताऊँ परन्तु यह अत्यन्त चमत्कारिक चीज ऐसा कर पाना संभव नहीं है। हमारे देश है। कृपया अपना आत्मसाक्षात्कार प्राप्त में आज हमें आत्म- साक्षात्कारी लोगों करने का प्रयत्न करें इन्होंने मुझसे आत्म- की आवश्यकता है। सभी प्रकार की साक्षात्कार देने का अनुरोध किया है। मैंने समस्याओं का समाधान हो जाएगा। ये सारे कहा, "अच्छा मैं प्रयत्न करती हैँ और देखती लड़ाई- झगड़े समाप्त हो जाएंगे, क्योंकि हूँ कि मैं ये कार्य कर सकूं । आप सामूहिक व्यक्ति बन जाते हैं, आपका व्यक्तित्व सामूहिक हो जाता है। न कोई साधकों को आत्म-साक्षात्कार प्रदान किया।) (इसके बाद श्रीमाताजी ने सभी उपस्थित পাঁ 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-24.txt ईस्टर पूजा ईस्तम्बूल 21.4.2002 परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन आज हम ईसा-मसीह और उनकी माँ की विषय में मेरा बहुत कटु अनुभव है। हमने पूजा करने के लिए यहाँ आए हैं। संयोग की बात हैं कि ईसा-मसीह की माँ के लिए एक संस्था आरम्भ की है । इस टर्की आई और यहाँ रहती रहीं। क्या ये संस्था में जिन महिलाओं के प्रार्थना पत्र आए आश्चर्य की बात नहीं है कि ईसा-मसीह के हैं उनमें से अधिकतर मुस्लिम महिलाएं हैं । क्रूसारोपण के पश्चात् वो यहाँ आईं और अत्यन्त खेद की बात है। मोहम्मद साहब ने यहीं रहीं। हो सकता है कि बाद में वो भी कहा कि 'अपनी माँ की देखभाल करें,. उनके पास आए हों! परन्तु लोग कहते हैं इसके बावजूद भी ये सारी महिलाएं जिनके कि वो कश्मीर गए और उनकी माँ भी उनके आठ-आठ, दस-दस बच्चे हैं। निःसन्देह हम साथ थीं । बिल्कुल संभव है। हो सकता है उन्हें स्थान देंगे । हमें उनकी देखभाल करनी कि जाते हुए मार्ग में वो यहाँ रुके हों । तो हम उनकी पूजा करने के लिए यहाँ कोई विश्वास आए हैं सहजयोग के अनुसार वे महालक्ष्मी मानव धर्म है । निराश्रय महिलाओं को पुनः स्थापित करने है क्योंकि इन तुच्छ धार्मिक विचारों में हमें नहीं। सबसे महत्वपूर्ण तो का अवतरण थीं और उन्होंने धर्म के लिए अपने पुत्र का बलिदान कर दिया। परन्तु बहुत दुष्कर कार्य है क्योंकि मुसलमान- दुर्भाग्य की बात है कि किसी ने उनका (माँ मुसलमानों का सम्मान नहीं करते और मेरी) मूल्य नहीं समझा। इस सत्य को किसी इसाई, हिन्दुओं का सम्मान नहीं करते। ये ने नहीं देखा कि वे इतनी महान आध्यात्मिक बहुत ही अजीबो-गरीब तरीका चल पड़ा है। व्यक्ति हैं। केवल सहजयोग के माध्यम से वे सब परमात्मा के लिए हैं, परमात्मा के आप समझ सकते हैं कि वे अत्यन्त महान कार्य के लिए और उसके प्रेम के लिए हैं। व्यक्तित्व महिला थीं जिन्होंने ईसा-मसीह इसके बावजूद भी कोई सम्मान नहीं है को जन्म दिया| दुर्भाग्य की बात है कि बिल्कुल भी प्रेम नहीं है। इसके विपरीत सभी लोगों ने उनका सम्मान नहीं किया। विशेष लोग लड़ रहे हैं, झगड़ रहे हैं और सर्वत्र हमें इन सभी धर्मों को समीप लाना है। ये रूप से इस्लाम जगत में उनका सम्मान नहीं खून खराबा कर रहे हैं। अत्यन्त खेद की हुआ। इसी कारण से इस्लामिक संस्कृति में बात है कि परमात्मा और धर्म के नाम पर महिला के लिए कोई स्थान नहीं है। उनके लोग इतने क्रूर और हास्यास्पद बन गए हैं । 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-25.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 24 समस्या का एकमात्र समाधान है उन्हें आप इस बात को महसूस कर लेते है कि ये आत्मसाक्षात्कार दे देना। इसी आत्म- सभी देवी देवता हमारे मध्य नाडी तन्त्र पर साक्षात्कार को कुरान में मिराज (Miraj) कहा विराजमान हैं । वे हमारे चक्रों पर विराजमान गया है, इसे मिराज नाम दिया गया है । हैं वे इसलिए वहाँ नहीं हैं क्योंकि हमने ये लोग कहते हैं कि कोई भी मिराज शास्त्रों में ऐसा लिखा हुआ पढ़ा है। परन्तु परन्तु नहीं प्राप्त कर सकता। मोहम्मद-साहब ने वास्तव में ये सच्चाई है सभी देवी-देवता इसे प्राप्त किया था उनके अतिरिक्त किसी वहाँ विराजमान हैं और पूरे विश्व के ने भी नहीं । इन लोगों ने लोगों के पुनरुत्थान के लिए कार्यरत हैं । तो ईसा- मसीह का महानतम कार्य ये बात गलत है सभी मनुष्य आत्म पुनरुत्थान है । इस कार्य को करते हुए साक्षात्कार प्राप्त कर सकते है चाहे वो उन्होंने बहुत कष्ट उठाए । बहुत यातनाओं अफ्रीका, इंग्लैण्ड, अमरीका, भारत या किसी में से उन्हें गुजरना पड़ा और उसके पश्चात् अन्य देश के हों सभी मिराज प्राप्त कर शरीर सहित उनका पुनर्ज न्म हुआ। सकते हैं। एक बात हमें अच्छी तरह से सहजयोग भी इसी प्रकार से कार्यान्वित है। समझ लेनी चाहिए कि किसी का भी सृजन आप अपना आत्म-साक्षात्कार अर्थात अपना इस संसार में लड़ने के लिए. परस्पर लड़ने पुनर्जन्म प्राप्त करते हैं आपकी सारी गलत के लिए नहीं किया गया पशु भी आपस में धारणाएं समाप्त हो जाती हैं। आपके अन्दर नहीं लड़ते। तो क्यों मनुष्यों को परस्पर की सारी मूर्खता लुप्त हो जाती है और आप लड़ना चाहिए और वो भी धर्म के नाम पर! केवल प्रेम और सूझबूझ से परिपूर्ण हो जाते आत्म-साक्षात्कार लेने पर रोक लगा दी है। परमात्मा के नाम पर धार्मिक एकता है। स्थापित करने के लिए ईसा-मसीह पृथ्वी पर अवतरित हुए। परन्तु ईसाई लोगों ने भी किसी भी अन्य देश में ये कार्य करना कठिन लड़ना और दूसरों पर प्रभुत्व जमाना शुरू था। सर्वत्र मैंने पाया कि लोगों में ज्ञान का कर दिया। ये विशाल विश्व उथल-पुथल से पूर्ण अभाव है और वे परस्पर घृणा करते हैं । भर गया है यहाँ पर आदमी परमात्मा और किसी न किसी बहाने से, किसी न किसी धर्म के नाम पर लड़ रहा है । हमारा धर्म धारणा के अनुरूप या एतिहासिक विचारों के सार्वभौमिक है। एक धर्म है । हम सभी अनुसार वे परस्पर घृणा करते हैं। भारत में देवी-देवताओं का सम्मान करते हैं- सम्मान तो ये घृणा थी ही, विदेशों में भी इसकी ही नहीं करते उनकी पूजा भी करते हैं। हम कमी न थी। जैसे हिटलर आया। हिटलर इतने मुर्ख नहीं कि इस बात को भी न समझ इसलिए आया कि वो मानव से घृणा करता सकें कि सारे देवी- देवता एक हैं। वैसे ही था वह आसुरी शक्ति थी जो अवतरित हुई मैं जानती हूँ कि आरम्भ में भारत या आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर लेने के पश्चात् और जिसने सभी प्रकार के किए । कुकृत्य य 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-26.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 25 चैतन्य लहरी खंड-XIV अक 11 व 12 जिस प्रकार से उसने लोगों की हत्या की पुनरुत्थान करना होगा ये पुनरुत्थान पृथ्वी क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई पर अब सहजयोग के माध्यम से बहुत ही मनुष्य ऐसा कर सकता है! उसने बच्चों की सुगमता से संभव है। मोहम्मद-साहब ने इसे हत्याएं की । बड़े लोगों को गैस कक्षों में बन्द मिराज कहा, उन्होंने इसका वर्णन अत्यन्त करके मार दिया और सभी प्रकार के स्पष्ट रूप से किया परन्तु इसको पाने की भयानक कार्य किए मैं जब जर्मनी गई तो इच्छा किसको हैं? कोई भी मिराज नहीं उन्होंने मुझे ये सब दिखाना चाहा। मैंने पाना चाहता। कोई यदि उन्हें मिराज देने कहा, "मैं नहीं देख सकती, ये सब देखने की का प्रयत्न करें तो वे उसके पीछे पड़ जाते है शक्ति मुझमें नहीं है परन्तु मेरे पति वहाँ पर और कहते हैं ऐ सा करना बहुत ही गए और जब वो वापिस लौटे तो सात दिनों हास्यास्पद है। उन सबका यही नजरिया है। तक बीमार रहे। ये इतना व्यथित कर देने सभी ने मानव के अज्ञान के कारण कष्ट उठाए हैं, सभी ने। वे लोग मेरी भी आलोचना करने में लगे हुए हैं परन्तु में वाला अनुभव है। इस प्रकार का आचरण, इस प्रकार से लोगों की हत्या करना. किन्ही परिस्थितियों में, किन्हीं धारणाओं के आधार बहुत शक्तिशाली हूँ क्योंकि प्रेम अन्य सभी पर किन्हीं गलत विचारों के अनुरूप इस चीज़ों से कहीं अधिक शक्तिशाली है। अब प्रकार हत्याएं करना अत्यन्त अमानवीय है। मैं नहीं जानती कि इस हिटलर को ऐसा इस बात को महसूस कर रहे हैं कि इस कौन सा विचार आया कि वह यहूदियों के प्रकार घृणा, अन्य लोगों के विषय में गलत पीछे पड़ गया और उनकी हत्या करने लगा। धारणाएं, बहुत ही भयानक हैं। एक बार जब पृथ्वी पर बहुत से कुकृत्य हुए और सभी धर्म बड़ी संख्या में लोग इसे जान जाएंगे तो मुझे के नाम पर हुए, ये सबसे बुरी बात है। शुरू विश्वास है कि ये सब चीज़े समाप्त हो से लेकर अब तंक लोग धर्म के नाम पर जाएंगी| हत्याएं करते रहें हैं । धर्म तो व्यक्ति को प्रेम सिखाता है परमात्मा से प्रेम, परस्पर प्रेम। जिनमें से कुछ तो हाल ही में हुई हैं, कि धर्म किस प्रकार घृणा और हत्या सिखा यदि आप किसी धर्म विशेष का अनुसरण सकता है? मेरा कहने का अर्थ ये है कि करते हैं या धर्म विशेष को मानते हैं तो लोग कितने आश्चर्य की बात है कि आज भी ये आपसे घृणा करते हैं । ये बात मेरी समझ में सब मूर्खता हो रही है। केवल सहजयोग ही नहीं आती। आप इस बात की व्याख्या नहीं इस मूर्खता का अन्त कर सकता है? और कर सकते कि ऐसा क्यों किया जाता है? इसे करना भी चाहिए क्योंकि आखिरकार, परन्तु ऐसा होता है। हमारा सृजन करने यह पूरे विश्व में कार्यान्वित है सर्वत्र लोग हमारे सम्मुख ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं, हम सब मानव हैं। जैसे ईसा मसीह ने कहा वाले परमात्मा के नाम पर मानव से घृणा था, ये करने के लिए आपको अपना करना बहुत ही गलत है। ऐसे लोग परमात्मा 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-27.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 26 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 और उनके प्रेम को नहीं समझते । उदाहरण जोड़ना। मान लो कोई व्यक्ति दक्षिणी के रूप में ईसामसीह के जीवन पर नजर अफ्रीका में रह रहा है या बैनिन जैसे किसी डालें। जब उनका क्रूसारोपण हुआ तो वे दूर-दराज स्थान पर । वे सहजयोगी बन गए मुश्किल से तैंतीस वर्ष की आयु के थे । ह उनकी माँ को इतना कष्ट उठाना पड़ा. हैं, वे सब आपके भाई-बहन हैं, आपके क्यों? लोगों ने उन्हें क्रूसारोपित क्यों किया? अपने हैं आप यदि वहाँ जाएं तो वो आपसे क्योंकि वे प्रेम की शिक्षा दे रहे थे प्रेम करने अपने बच्चों की तरह से, संबंधियों की तरह का ये विचार किसी को भी अच्छा न लगा। से प्रेम करेंगे वे कभी नहीं सोचेंगे कि आप लोग यदि परस्पर प्रेम ही नहीं करते तो कौन से धर्म से हैं, कौन से पंथ से। कुछ हैं। वहाँ पर हजारों लोग सहजयोगी बन गए किस प्रकार आप उनकी सहायता कर सकते नहीं। जिस प्रकार वो परस्पर प्रेम करते हैं. हैं? किन वायदों के साथ आप अन्य लोगों उससे मैं हैरान हूँ। वास्तव में प्रेम मानव का की सहायता करते हैं? क्योंकि आप प्रेम अन्तर्जात गुण है ये उसका अन्तर्जात गुण करते हैं इसीलिए आप अन्य लोगों का है। सभी मनुष्यों को प्रेम का ये खजाना, प्रेम आनन्द लेना चाहते हैं और उन्हें समझते हैं। की ये सामर्थ्य दी गई है। परन्तु ये सामर्थ्य एक बार जब आप अन्य लोगों को प्रेम करने अब इतनी कम हो गई है, इतनी घट गई लगते हैं तो ये मिथक समाप्त हो जाता है। मान लो कि आप किसी ईसाई, मुसलिम और एक दूसरे की हत्या करते हैं। धर्म के कि इसी सामर्थ्य से लोग परस्पर लड़ते हैं। नाम पर लोगों की हत्या करना घोर पाप है। या हिन्दू परिवार में जन्में या किसी अन्य में। ऐसी कौन सी चीज है जो आपको ये सोचने ये बात मेरी समझ से परे है कि किस प्रकार पर विवश करती है कि आप अन्य लोगों से लोग मान लेते हैं कि दूसरों की हत्या भिन्न हैं । आप सबके जन्म एक ही प्रकार से करने से वे स्वर्ग में जा सकते हैं। ऐसे लोग हुए, एक ही प्रकार से आपकी माताओं ने तो घोर नर्क में जाएंगे। आजकल ये धारणा गर्भ धारण किया देखने में आप सब एक निश्चित रूप से कुछ कम हुई हैं परन्तु ये जैसे प्रतीत होते हैं। आप सबमें कान, नाक अब भी विद्यमान है । लोग प्रतिदिन इस आँखें सभी कुछ समान है । कौन सी चीज़ प्रकार की मूर्खताएं होते हुए देखते हैं फिर आपको भिन्न बनाती है? मुझे लगता है कि भी वे किए चले जा रहे हैं। इस मामले में भी कोई राजनीति है, परमात्मा और धर्म के नाम पर लोगों को एक दूसरे से सकते हैं, हमें सोचना चाहिए। हमें देखना अलग करने की कोई तुच्छ चाल । इसके विपरीत सहजयोंग का कार्य वह क्या है? किसी न किसी धर्म में तो परमात्मा के नाम पर लोगों को एक करना व्यक्ति को जन्म लेना ही है । आप आसमान हम सहजयोगी इसके विषय में क्या कर चाहिए कि जिस धर्म में हमने जन्म लिया है है, परमात्मा के नाम पर लोगों को परस्पर से तो टपक नहीं सकते। तो जिस भी धर्म में 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-28.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 27 आप जन्म लेते हैं उससे बंधे हुए होते हैं। बेटे को बलिदान होने की आज्ञा दे दी। क्या आप प्रेम और आनन्द के धर्म से बंधे हुए हैं माँ थी! इस विश्व में क्या आपको कोई फिर भी आप रोते-चिल्लाते रहते हैं और अन्य ऐसी माँ मिल सकती हैं जो अपने बेटे को क्रूसारोपित होने की आज्ञा दे दे । युद्ध तथा नाराज़गी का पाठ पढ़ाए चले जाते हैं। ये कैसे हो सकता है! हम मानव हैं पशु इतनी साहसिक, प्रेममय और सर्वाभौमिक नहीं हैं। इस प्रकार से तो कुत्ते भी नहीं व्यक्तित्व! करते। तो क्यों हम मानव एक -दूसरे की हत्या करें तथा अपने और अन्य लोगों के है कि वे यहाँ पर रहीं। वे यहाँ पर क्यों आई जीवन नारकीय बनाएं। आप यदि अन्य थीं? क्यों वे यहाँ पर आईं। आज हम यहाँ पर हैं, ये संयोग की बात यहाँ रहीं और लोगों से घृणा करते हैं तो आप भी उनका एक घर यहाँ हैं। अब इस घर को लेकर ही ईसाई लोग एक पंथ चला देंगे। वे घृणास्पद हो जाएंगे। क, ख से घृणा करेगा और ख, क से और इस प्रकार पूर्ण मानव मुसलमानो से लडें गे और मुसलमान जाति और संस्कृति के लिए घृणा ही ईसाईयों से । जो चाहे आप करें लोगों ने तो लड़ना है परस्पर लड़ना है। लोगों का स्वभाव है। किसी की सहायता करना, एक एकमात्र कार्य रह जाएगा। सहजयो ग आपके लिए बहुत बड़ा आशीर्वाद है इसने आपके अन्दर सभी देवी दूसरे की सहायता करना नहीं, बिल्कुल भी देवता प्रदान किए हैं जो कि जागृत हैं और नहीं। ये लोग अत्यन्त अजीबोगरीब एवं अब आप जानते हैं कि आपका सम्बन्ध घिनौने बनने का प्रयत्न कर रहे हैं। भारत में ऐसे बहुत से लोग हुए जिन्होंने मूर्खतापूर्ण विचारों से आपका कोई लेना- परस्पर प्रेम करना सिखाया । इसके बावजूद भी भारत के लोग लड़ रहे हैं। भारत में विराट से है । आप ये भी जानते हैं कि देना नहीं । बहुत यहाँ आना मेरे लिए बहुत अच्छा है। मैं से सूफी हुए। यहाँ सर्वत्र बहुत से महान जानती थी कि वे यहाँ रहे । मैं ये भी जानती सन्त हुए उनमें से कुछ मुसलमान थे कुछ हिन्दू थे! लोग उनके गीत गाते हैं। यहाँ मैरी का एक घर है। ये जानकर मुझे बहुत सभी कुछ है परन्तु इन सबकी अलग-अलग प्रसन्नता हुई कि वे यहाँ रहीं । तो मैंने कहा पूजा होती है और उनके नाम पर भी लोग कि हमें अवश्य उनकी पूजा करनी चाहिए। लडते हैं। लड़ने के लिए वो बहाना खोजते आखिरकार वे ईसा-मसीह की माँ हैं और हैं। मैं आपको बताती हूँ कि ये लोग लड़ाके माँ तो माँ हैं। क्या फर्क पड़ता है कि वो मुर्गों की तरह से हैं । मानवीय गुण, प्रेम एवं ईसाई हैं हिन्दू हैं या मुसलमान। उससे कोई स्नेह उनमे नहीं है आप लोग परस्पर प्रेम फर्क नहीं पड़ता। अपने प्रेम के लिए उन्होंने का आनन्द लें। यह गुण इनमें समाप्त हो गया है। प्रेम करने की सामर्थ्य समाप्त हो थी कि माँ मैरी भी यहाँ रहीं । यहाँ पर माँ | विश्व के लिए और ब्रह्माण्ड के लिए अपने 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-29.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 28 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 गई है। कोई व्यक्ति चीन में जन्मा है भारत सम्मेलन दस बजे आरम्भ होना था और मैं में या कहीं अन्य इससे क्या फर्क पड़ता है साढ़े-आठ बजे वहाँ पहुँची। उन्होंने मुझे वह मानव है और उसमें भी प्रेम करने का सामर्थ्य है। आपमें भी प्रेम करने की योग्यता और कहा मुझे सीधे सम्मेलन में जाना होगा । होनी चाहिए। कार में बिठाया, मेरा सामान भी उसमें डाला मैंने कहा 'ठीक है। मैं वहाँ गई इस थोड़े मेरा अनुभव भिन्न है। मैं अपने पति के से समय में ही ये लड़के मुझसे वास्तव में साथ चीन गई उन दिनों चीन के लोगों के प्रेम करने लगे थे जब सम्मेलन समाप्त मन में भारतीयों के प्रति अच्छी भावनाएं न हुआ तो ये लोग बाहर मेरी प्रतीक्षा कर रहे थीं। मैं नहीं जानती क्यों? परन्तु मेरे प्रति वो थे, क्या आप इस पर विश्वास करेंगे? चीन इतने करुणामय थे कि आप विश्वास नहीं के वही लोग जो भारत विरोधी हैं! और तब करेंगे। उनका व्यवहार मुझसे इतना अच्छा था कि सभी लोग हैरान थे कि "क्या बात ये लोग आपके प्रति इतने विनम्र क्यों हैं? पहिया कुर्सी (Wheel Chair) के लिए । और चीन में भारतीयों को पसन्द नहीं किया वो मुझे वहाँ के सर्वोत्तम विपणन केन्द्रों पर इसके पश्चात् मैं रुकी नहीं । वे दो कारें लेकर आए एक मेरे लिए और एक मेरी जाता। मैंने कहा यह बात मिथ्या है। चीनी ले गए, परन्तु मैंने कहा, "आप क्या करोगे? लोगों में मैंने कभी ऐसी कोई बात नहीं कहने लगे, "हम आपकी पहिया कुर्सी को ऊपर लेकर चलेंगे " आप इसकी कल्पना कर सकते हैं। वो देखी। मेरे प्रति ये लोग अत्यन्त-अत्यन्त सम्मानमय हैं। मैंने इनके लिए क्या किया है? कुछ भी नहीं। आप लोग हैरान होंगे कि मेरे सम्बन्धी न थे। इससे पूर्व मैंने उन्हें कभी एक हो टल में मे री एक पाय ल गिर न देखा था। उनमें से एक ने कहा, गई-चाँदी की। वहाँ से मैं एक बहुत दूर "श्रीमाताजी मैं कल नहीं आ सकूंगा।" मैंने स्थान पर चली गई थी उन्होंने ये पायल कहा, "क्यों?" कहने लगा, कल मेरा विवाह लिफाफे में डालेकर मुझे भेजी। क्या आप है।" मैंने पूछा, "आज सारा दिन तुम यहाँ इसकी कल्पना कर सकते हैं ! दूर-मेरी आँखों से आँसू झरने लगे और मैंने साथ रहने में बहुत आनन्द आया। मैंने कहा 'चीन के ये लोग भी अत्यन्त प्रेममय कहा, "मैं तो वृद्ध महिला हॅूँ-आप लोग युवा हैं। मैं अपने कार्यक्रम के लिए गई थी। वहाँ लिया। मैं अपनी दुल्हन भी आपसे मिलवाने पर महिलाओं का एक सम्मेलन था मैं नहीं के लिए लाऊंगा ।' मैं आपको बताती हूँ कि जानती क्यों परन्तु हवाई अड्डे पर केवल मेरी आँखों में आँसू आ गए। मैंने कहा इतना चीनी लड़के आए हुए थे उन्होंने मेरा सारा प्रेम और इतनी करुणा! मैंने उनके लिए कुछ सामान उठाया। मुझे आने में देर हो गई थी, भी नहीं किया था, कुछ भी नहीं, कोई पैसा इतनी क्या करते रहे?" कहने लगा, "मुझे आपके है 'नहीं, नहीं, नहीं, नहीं। मैंने आनन्द 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-30.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 29 भी मैंने उन्हें नहीं दिया था। हे परमात्मा! पावन प्रेम का विवेक ही नहीं है। लोग नहीं अन्त तक उन्होंने मुझपर बहुत ध्यान दिया जानते कि पावन प्रेम क्या है? प्रेम तो मानव और वो अत्यन्त युवा लोग थे। सभी पच्चीस का अन्तर्जात गुण है. उनकी अन्तर्जात वर्ष से कम आयु के। अपने हाथों से वे मेरी सम्पदा है। परन्तु अब भी वे नहीं जानते कि पहिया कुर्सी को तीन मंजिलों तक ले गए किसी से पावन प्रेम किस प्रकार करना है। मैंने कहा, "ऐसा मत- करो। मैं ये सब नहीं ये सब अत्यन्त कष्टकर है। मानव को ऐसा चाहती। कहने लगे. "नहीं, नहीं, नहीं नहीं बनना शोभा नहीं देता, पशु भी ऐसे नहीं हम चाहते हैं कि आप ये सब देखें, हम होते परन्तु मानव तो अति की सीमा तक चाहते हैं कि आप आएं।" मैंने पूछा, "क्यों ?" जा सकता है। सौन्दर्य का पूरा वैभव, उन्होंने उत्तर दिया कि यह उन सबके हित सृजनात्मकता की पूरी सम्पदा, कला की पूरी में होगा। मैं नहीं जानती कि उन्होंने किस दौलत, कलात्मक स्वभाव, जीवन का आनन्द | प्रकार ये बात सोची? वे इतने उन्नत लोग देने वाली सारी सम्पदा समाप्त हो गई है। | प्रेम से आप ज्योतिर्मय हो उठते हैं। प्रेम से व्यक्ति को सूझ-बूझ प्राप्त होती है। भी नहीं देख सकेंगे किसी चीज में अच्छाई आपके अन्दर इतना गहन प्रेम विद्यमान है। राजनीतिज्ञ आकर आपको एक कहानी नहीं । लोग दूसरे लोगों से लड़ते हैं और सुनाते हैं। कोई अन्य आकर आपको कहेगा फिर आपस में भी लड़ते हैं। ये सच्चाई है। कि आओ युद्ध करो आदि-आदि। जर्मनी में वो कहते हैं, "हमें लड़ना ही चाहिए। ठीक इसी प्रकार हुआ। युवा-वर्ग को भड़काया है, लड़ो। परन्तु वो आपस में भी लड़ते हैं। गया, परन्तु अब वो परिवर्तित हो रहे हैं। इस अपने भाई बहनों को सताते हैं। कहने से पूरे विश्व को परिवर्तित होना होगा क्योंकि मेरा अभिप्राय ये है कि वे किसी से प्रेम नहीं यह बहुत कष्ट उठा चुका है ये धर्म नहीं है, करते उन्हें किसी से प्रेम नहीं है । ये मुख्य यह सन्तों की शिक्षा नहीं है । यह असुरों की चीज़ है । धर्म का नाम क्यों लें? धर्म ने क्या शिक्षा है जो घृणा करना सिखाती है, ये किया है? किस प्रकार वे इसे सीख पाए? निकृष्टतम चीज़ है। कहने से अभिप्राय है और फिर अपनों से ही घृणा करने की शिक्षा कि प्रेम का आनन्द, स्नेह का आनन्द, आप देने लगे ये बात केवल ईसाईयों, हिन्दुओं नहीं समझते । आप अगर लड़ाकू मुर्गे हैं तो आप कुछ आप नहीं देख सकेंगे, किसी भी चीज में मुसलमानों में ही नहीं है परन्तु सर्वत्र मानव आजकल आप देखते हैं कि चर्चों आदि में इतना गन्दा, इतना घिनौना बन गया है। समस्याएं हैं। मैं नहीं समझ पाती, मूर्ख लोग! कहते हैं ये कलियुग है । मेरी समझ में नहीं उन्हों ने बहुत से कानून बनाए हैं, उन आता, अपने प्रेम की शक्ति आप किस प्रकार कानूनों के बावजूद भी या जो भी कारण हो खो सकते हैं? बेचारे बच्चे कष्ट उठा रहे हैं । लोगों में | ईसा-मसीह ने भी इसी के बारे में बात ho 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-31.txt नवम्बर - दिसम्बर 2002 30 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 की, उन्होंने स्पष्ट रूप से प्रेम की बात की। साथ जन्में हैं। आपको एक दूसरे की उन्होंने कहा, "अपने पड़ोसी को भी वैसे ही सहायता करनी चाहिए, एक दूसरे से प्रेम प्रेम करो जैसे स्वयं को करते हो। क्या करना चाहिए. यह मुख्य चीज है। यह गुण आपको कभी कोई ऐसा व्यक्ति मिला? नहीं यदि आप अपने अन्दर विकसित कर लें तो ऐसे लोग नहीं मिलते। ईसा-मसीह को आप अत्यन्त शक्तिशाली सहजयोगी बन मानने वाले ईसाईयों ने क्या किया? मोहम्मद जाएंगे और परमात्मा भी आपकी सहायता साहब को मानने वाले मुसलमानों ने क्या करेंगे, आपको आशीर्वादित करेंगे। परमात्मा किया? और श्री राम को मानने वाले हिन्दुओं आपकी सहायता करेंगे यदि आप प्रेममय ने क्या किया? क्या वे किसी तरह से अपने व्यक्ति हैं तो वे आपको सभी प्रकार की अवतरणों के समीप भी आते हैं? क्या वे कठिनाइयों, कष्टों और तूफानों से निकाल किसी प्रकार से इन दैवी अवतरणों के समीप लेंगे कलियुग का यही आशीर्वाद है, इससे भी हैं ? कहीं नहीं -मैं उन्हें दोष नहीं पूर्व कभी ऐसा न हुआ था। आप यदि प्रेममय व्यक्ति हैं तो परमात्मा देती-कारण ये है कि उन्हें आत्म साक्षात्कार प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने अपनी आत्मा का सभी नियमों को तोड़ कर भी आपकी ज्ञान नहीं पाया। बिना आत्म साक्षात्कार सहायता करेंगे. आपकी समस्याओं का प्राप्त किए आप कुछ भी नहीं समझ सकते। समाधान करेंगे और उन लोगों को दण्ड देंगे किसी भी प्रकार का आनन्द आपको समझ जो आपको कष्ट देते हैं। यह मेरा निजी नहीं आ सकता। कहने का अर्थ ये है कि अनुभव है। मैं कुछ नहीं करती, किसी को आप यदि जर्मनी जाएं तो वहाँ जाकर आप दोष नहीं देती, लड़ाई नहीं करती, चिल्लाती बो सारी चीजें नहीं देख सकते जो उन्होंने भी नहीं, स्वतः सभी कुछ होता है। परमात्मा की हैं। आपमें यदि थोड़े से भी मानवीय गुण से भी मैं कुछ करने को नहीं कहती। मैं बाकी हैं तो आप बेहोश हो जाएंगे। जापान कहूँगी कि परमात्मा तो महानतम व्यक्तित्व में जाकर आप देखें कि हिरोशिमा का हैं वे ही सारा न्याय करते हैं। परमात्मा के इन्होंने क्या हाल किया है? हे परमात्मा, मैं प्रेम के पथ- प्रदर्शन में किसी को कष्ट नहीं सहन न कर सकी और थर-थर कॉपने हो सकता, ये मेरा आश्वासन है। कलियुग लगी। मैंने कहा, "मानव इतना क्रूर किस का ये आशीर्वाद है मैं मानती हूँ कि प्रकार हो सकता है? भयानक! अब वह कलियुग भयानक है, लोग भयानक हैं. सभी समय आ गया है कि ये लोग अपने बच्चों कुछ है परन्तु एक बात है कि परमात्मा बहुत सावधान हो गए हैं, इससे पूर्व कभी ऐसा न ने यदि इस समय जन्म है जिसमें आप मानव को इसलिए प्रेम करते लिया होता तो उन्हें क्रूसारोपित न किया जा हैं क्योंकि वो मानव हैं, इस युग में वो आपके सकता। कलियुग में जन्म न लेने के कारण की ही हत्या कर रहे है। यह पराकष्ठा है। दूसरी ओर सहजयोग था। ईसा-मसीह 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-32.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 31 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 ही ऐसा हुआ। हमारे लिए यह बहुत बड़ा सहायता करेगा यह ईसा-मसीह का संदेश आशीर्वाद है । किसी को भी सताया नहीं जा है। ईसा-मसीह ने कहा था, "उन्हें क्षमा कर सकता। बस आपको विनम्र व्यक्ति बने रहना दो।" कितने प्रेम पूर्वक उन्होंने यह बात कही होगा। आपका चरित्र अच्छा होना चाहिए परन्तु लोग नहीं जानते कि वो क्या कर रहे और आपका व्यक्तित्व प्रेममय होना चाहिए । हैं । अत्यन्त प्रेमपूर्वक ईसा मसीह ने उन बस। प्रेममय व्यक्तित्व का आप आनन्द लेंगे. लोगों के लिए याचना की जिन्होंने उन्हें अपने प्रेममय व्यक्तित्व के कारण आपको क्रूसारोपित किया। उन्होंने कहा, "हे आशीर्वाद प्राप्त होंगे कहने का अर्थ है कि परमात्मा, कृपा करके उन्हें क्षमा कर दें जिस प्रकार परमेश्वरी आपकी दे खभाल क्योंकि वो नहीं जानते कि वो क्या कर रहे करती है, लोग मुझे बताते हैं कि बहुत से हैं। ईसा मसीह के इस प्रेममय चरित्र की चमत्कार होते हैं। मैं हैरान नहीं हू, क्योंकि क्या आप कल्पना कर सकते हैं? मैं जानती हूँ कि परमात्मा उन मानवों के प्रति बहुत सावधान हो गए है जो अच्छे हैं, और उनकी पूजा कर रहे हैं तो हमें अपने भले हैं। वे उनकी देखभाल करेंगे. उन्हें अन्दर उस चरित्र की पूजा करनी चाहिए कि आश्रय देंगे, उनके लिए सभी कुछ करेंगे। हम प्रेममय लोग हैं हम परस्पर प्रेम करते आश्चर्य की बात है कि वे इतने सावधान हो हैं । विश्व भर में सहजयोगी परस्पर प्रेम आज जब हम उनका उत्सव मना रहे हैं गए है। उठाने पड़े, सभी को बहुत कष्ट उठाने पड़े। हों जो अच्छे न हों परन्तु अधिकतर 90%, परन्तु अब ऐसा नहीं है। अब सहजयोगियों सहजयोगी प्रेम करते हैं । को कष्ट नहीं उठाने पड़ेंगे, मैं इस बात का मोहम्मद साहब को बहुत कष्ट करते हैं। हो सकत्ता है एक दो ऐसे लोग भी ुजर इसके लिए मैं आपको आशीर्वाद देती हूँ। आश्वासन देती हूँ। परमात्मा स्वयं उनकी आज के दिन परमात्मा आप पर और आपके देखभाल कर रहे है । उनकी हर चीज की अन्दर विद्यमान प्रेम शक्ति पर अनन्त देखभाल हो रही हैं। मैं आपको बताती हैं आशीर्वाद की वर्षा करें। प्रेम की यह शक्ति कि विश्व भर से असंख्य पत्र लिखे गए कि आपमें होनी चाहिए। यह आपके जीवन को किस प्रकार उन्हें आश्रय प्रदान किया गया, पूर्णतः परिवर्तित कर देगी और आप इतने किस प्रकार उनकी सहायता की गई जिस शक्तिशाली व्यक्तित्व, अत्यन्त शक्तिशाली प्रकार से उनकी रक्षा की गई वह सहजयोगी बन जाएंगे प्रेम की सूझ-बूझ आश्चर्य-जनक है। अतः हमें स्वयं पर यदि आप अपने अन्दर विकसित कर लेंगे तो विश्वास करना होगा और वास्तव में लोगों आप अनगिनत चमत्कार कर सकेंगे। को प्रेम करना होगा विनम्र होकर हमें प्रेम करना होगा यह प्रेम जीवन पर्यन्त आपकी परमात्मा आपको धन्य करें । 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-33.txt सहस्रार पूजा कबैला 5.5.2002 परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन सहस्रार उत्सव मनाने के लिए- सहसार चेतना वास्तव में परमात्मा से समग्रता या की पूजा करने के लिए आज का दिन एकाकारिता की महान चेतना है । अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आज के दिन यह // परमात्मा से एकाकारिता प्राप्त कर लेना अत्यन्त अद्वितीय कार्य हुआ था कि आपके मानव के लिए महानतम आशीर्वाद है अभी सहस्रार खोले गए। विश्व भर में बहुत थोड़े से लोग थे-कुछ सूफी थे, कुछ सन्त थे और चीन में भी कुछ लोग थे, बस। परन्तु से भी बहुत कम लोगों के सहसार खुल समकालीन युग की अन्य सभी समस्याएं पाए। अतः उन्होंने जो कुछ भी कहा या जैसे युद्ध, अन्य लोगों लिखा उसे लोग समझ नहीं सके। उन्हें और प्रेम करने के स्थान पर अन्य लोगों को वास्तव में कष्ट दिए गए. उन्हें क्रूसारोपित कष्ट देना। ये सभी समस्याएं बनी हुई थीं तक वे लोग मानवीय अस्तित्व के निम्न स्तर पर थे। उस निम्न स्तर की सभी समस्याएं उनमें उनके साथ थीं जैसे ईष्ष्या, घृणा आदि तथा को कष्ट पहुँचाना न थे। दिए गए क्यों कि लोग उनके आत्म- साक्षात्कार प्राप्ति को सहन न कर सके। लोगों के सहस्रार को खोलना है। यह कार्य अतः हमारा मुख्य कार्य विश्व भर के अंतः आज का दिन बहुत महान है क्योंकि अत्यन्त सरल है और इसे आप कर सकते हैं इस दिन सामूहिक रूप से सहस्रार खोला तथा सामूहिक रूप से यदि आप इस कार्य गया। आप सबने इसे प्राप्त किया। विश्व भर को करेंगे तो यह और बेहतर कार्यान्वित में भी आपके पास बहुत से लोग हैं जिनके होगा आप यदि सामूहिक हैं तो इसे बहुत सहस्रार खुले हैं। नि:सन्दैह ये समझने के ही अच्छी तरह से कार्यान्वित कर सकते हैं । सहजयोग में इसी प्रकार के बहुत से लोग हैं लिए कि सामूहिक सहस्रार खोलने की ये महान घटना क्या है हमें अभी भी बहुत से आए जिनके सहस्रार पूरी तरह से खुले हुए और लोगों की आवश्यकता है । आत्म और जो अपनी गहनता को महसूस करते हैं। साक्षात्कार प्राप्त करने के पश्चात् इनमें से सर्वप्रथम आपको अपनी गहनता को महसूस कुछ लोग बहुत उन्नत हो गए हैं। बहुत करना है। अपनी गहनता को यदि आप महसूस को नहीं करते, आप यदि अपने व्यक्तित्व से, जो कि भली-भांति समझ लिया है और उनमें बहुत गहन है, एकरूप नहीं हैं, तो आप गहनता बहुत विकसित हुई तथा उनकी आत्मसाक्षात्कार का आनन्द नहीं उठा सकते। अधिक। उनमें से कुछ ने सहजयोग LEA ho 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-34.txt नवम्बर-दिस4 2002 33 वै-। लहरी खंड XIV अक 11 वे 12 सर्वप्रथम आप स्वयं को समझें। आप यदि बहुत तीव्रता से सहजयोग अपना लिया। स्वयं को ही नहीं समझ सकते तो किस आश्चर्य की बात है कि अफ्रीका, जिसे प्रकार आप अन्य लोगों को समझ सकते हैं। अन्य लोगों को आप नहीं समझ सकते। अत: बहुत अच्छा चल रहा है। वहाँ पर हजारों सर्वप्रथम सहस्रार का पूरी, तरह से खुलना लोगों ने आत्म-साक्षात्कार प्राप्त कर लिया आवश्यक है। पूरी तरह से मेरा अभिप्राय है, है विकसित देशों के लोग, मेरे विचार से, परमात्मा से पूर्ण एकाकारिता। यह कार्य उत्थान प्राप्ति की स्थिति से परे पहुँच गए कठिन नहीं है। आपको केवल थोड़ी सी हैं। यही बात हो सकती है! उन्हें अपनी ध्यान धारणा करनी है और यह कार्यान्वित विकसित अवस्था से इस अवस्था तक हो जाएगा। मुझे देखकर प्रसन्नता होती है वापिस आना होगा जहाँ वे उन्नत हो सकें। कि बहुत से लोगों में यह कार्यान्वित हो यही कारण है कि जिन लोगों को आल्म चुकी है। सहजयोग में ऐसे लोगों से मिलकर साक्षात्कार प्राप्त हो चुका है वो भी उतनी मुझे बहुत प्रसन्नता होती है जिन्होंने गहन तेजी से उन्नत नहीं हो रहे हैं जितनी तेजी सामूहिकता और आत्मसाक्षात्कारी मानव की से वो लोग उन्नत हो रहे हैं जो अभी इतने चेतना को प्राप्त कर लिया है आत्म-साक्षात्कारी व्यक्ति की चेतना क्या / फिर भी सहजयोग कार्यान्वित हुआ। बहुत है। आज हमें यही बात समझनी है। जैसा से लोगों में यह कार्यान्वित हुआ और उन्होंने मैं ने कहा, आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। भली-भांति अपने उत्थान को प्राप्त किया चेतना इस प्रकार की है कि अब आपको यह है। विकसित देश नहीं माना जाता, वहाँ भी यह 1. अधिक विकसित और आधुनिक नहीं हैं। परन्तु मैं कहूगी कि जब आप ध्यान बात समझ लेनी चाहिए कि विश्व में क्या हो रहा है और इसमें आप किस प्रकार से धारणा करते हैं तो बाह्य में भी आपको साक्षी सहायता कर सकते हैं । चेतना की स्थिति भाव विकसित करने का प्रयत्न करना तक पहुँचने में आप लोगों की कैसे मदद चाहिए। आपको ये पता लगाने का प्रयत्न कर सकते हैं। जब तक आपमें अपने विषय करना चाहिए कि मामला क्या है, क्या कमी में पूर्ण ज्ञान, पूर्ण शक्ति और आत्म विश्वास है। अन्य लोगों में क्या कमी है और किस नहीं है, इसके बिना आप कार्य नहीं कर प्रकार आप इसमें सहायता कर सकते हैं। सकते । केवल अपनी चैतन्य लहरियां द्वारा आप सहस्रार दिवस परमात्मा से आपके अपने सर्वत्र सम्बन्धों को दृढ़ करने के लिए मनाया जाता अपनी कमियों को सुधार सकते हैं । अब जैसे आप देख रहे हैं सहजयोग बढ़ और आप सभी चीजों में सत्य को देख सकें रहा है और आत्म साक्षात्कार प्राप्त करने की बहुत से देशों में मैंने देखा है कि लोगों ने तीव्र इच्छा भी है और आवश्यकता भी। देश की, अपने परिवार की, है ताकि आपकी चेतना ज्योतिर्मय हो जाए 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-35.txt वैतन्य लहरी खंड-XIV अक 11 व 12 नवमबर-दिसम्बर 2002 34 आपके हृदय में लोगों के लिए केवल प्रेम एवं विशाल सम्पदा है या तुम बहुत उच्च पद पर सूझ-बूझ की भावना होनी चाहिए। ये लोग हो' आदि-आदि। किसी भी चोज से अहं आ अज्ञानान्धकार से आ रहे हैं और इन्हें सकता है और अहं का ये भाव आपकी परमेश्वरी तत्वों और प्रकृति में प्रवेश करना चेतना के विरुद्ध है क्योंकि ये सत्य नहीं है। है और यह उनके लिए अत्यन्त शुभकर हो आप कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे बाह्य सकता है। अत: शनैः शनैः यदि आप उनके चीजें बना रही हैं परन्तु अपने अंतःस्थित प्रति प्रेम एवं सुहृदयता की भावना विकसित चेतना द्वारा ही आप बनाए गए है इस कर लें तो मुझे विश्वास है कि आप उनकी चेतना का बढ़ना ही आवश्यक है। कहाँ से? उन्नति के लिए बहुत कुछ कर सकेंगे। ये बात समझी जानी आवश्यक है कि किस उनपर क्रोध करने का कोई लाभ नहीं प्रकार हमें अहं आता है और किस स्रोत से । क्योंकि वे अज्ञानी हैं। नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं । ईसा-मसीह ने कहा था, वो ऐसे थे जिन पर दाई ओर (आक्रामकता) का नहीं जानते कि वो क्या कर रहे है।" आपने उन्हें समझाना है कि जो भी कार्य ये आप के लिए समस्याएं उत्पन्न करेगी, वो कर रहे हैं, जो भी कुछ वो समझ रहे हैं, बीमारियाँ उत्पन्न करेगी और आक्रामक उसमें अभी बहुत कमियाँ है। अभी तक सहजयोगी बनाने का भी कोई लाभ नहीं है। यह पूर्ण विस्तृत नहीं है जितना ये हो सकता था। यदि वे आत्म-साक्षात्कारी होते // समझना है। प्रेम की शक्ति महानतम है और कल मैंने महसूस किया कि बहुत से लोग प्रकोप था। आक्रामकता का कोई लाभ नहीं। अंतः मुख्य चीज़ प्रेम की शक्ति को आत्म-साक्षात्कार के पश्चात् भी में देखती हूँ सर्वांच्च है और यदि किसी तरह से आप कि लोगों के साथ समस्या बनी हुई हैं। बीते अपना क्रोध त्याग सकें, लालच और अहं को हुए, मृत, पूर्वजन्म की समस्याएं अब भी छोड़ सकें. ये कार्य यदि आप कर सकें तो उनके साथ हैं। वो इन्हें बनाए रखते हैं और आप सहस्रार में पहुँच सकते हैं। अब आप चेतना का इतना सारा प्रकाश भी ये नहीं अहं का खेल देखें । ये अआपकी उत्क्रान्ति को दर्शाता कि उनमें क्या कमी है। उदाहरण के रूप में अहम् को ही लें यह जाते हैं क्योंकि अह के बिन्दु पर आकर बहुत अधिक विकसित है। पाश्चात्य देशों में या तो बाएं को चले जाते हैं या दाएं को। या लोग जितने विकसित हुए हैं उतना ही अहम् वे दाई ओर की अति में चले जाते हैं या बाई भी विकसित हुआ है उन्हें ये पता लगाना ओर की। इन दोनों पक्षों में से किसी एक होंगा कि उनमें क्या कमी है? अहंकार का की अति में वे चले जाते हैं । रोक लेता हैं। अहं के कारण ही लोग खो वे उदगम इस धारणा से होता है के, 'तुम कुछ महान हो, तुम ये हो, तुम वो हो, तुम्हारे होगा इसे ठीक करने के लिए हमें क्या माता-पिता भी बहुत महान थे, तुम्हारे पास करना चाहिए? इसके लिए हमें स्वयं को अतः सर्वप्रथम हमें अपना अहं ठीक करना 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-36.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 वे 12 नवम्बर - दिसम्बर 2002 35 देखना चाहिए ओर स्वयं पर हँसना चाहिए । वाली, अहं विहीन महिला हूँ। इसलिए लोग हमारे अन्दर कैसा अहं है? किस चीज का? मुझे दबाया करते थे। सभी प्रकार की उल्टी हम मानव हैं, अब हम दिव्य बन गए हैं । सीधी बातें मुझे कहते थे। परन्तु मैंने उन्हें समझ लिया कि उनके साथ अहं की समस्या हमारे अन्दर की इस दिव्यता के साथ, इस प्रकाश के साथ हमें ये समझना है कि हम है। एक बार जब यह अहं विकसित हो जाता परमात्मा के अंग-प्रत्यंग हैं, प्रेम के सागर है और व्यक्ति पर छा जाने का प्रयत्न करता की एक बूँद मात्र हैं। आप यदि अपने अहं है तो इस देश में हम बहुत से हिटलर खड़े को घटा सकें, मानवीय विवेकशीलता के कर सकते हैं और विश्व भर में बहुत से स्तर पर इसे ला सकें तो यह बेहतर भयानक लोग बना सकते हैं। कार्यान्वित होगा। अतः समझने वाली पहली बात ये है कि मैं देखती हैँ कि पश्चिम में ये अहं बहुत जिन लोगों में अहं है उन्हें हमें कभी दबाना शक्तिशाली है. बहुत ही सशक्त है । और जो भी कुछ गलत वो करते हैं, वो समझते हैं कि नहीं शुरु कर देनी चाहिए। आपको स्वयं पर ये ठीक है, क्योंकि अहं इस कार्य में व्यक्ति विश्वास करना चाहिए कि आप ही वो लोग को हर तरह से बढ़ावा देता है। इसके हैं जिन्हें आत्म साक्षात्कार प्राप्त है। आप विपरीत जिन देशों के लोग अब विकसित हो उनसे कहीं अधिक शक्तिशाली हैं। मेरी रहे हैं जो अभी तक विकसित नहीं हो पाए शक्तियाँ केवल तभी कार्य करती हैं जब हैं, वहाँ पर लोगों की समस्या अहं नहीं है, आप लोग आत्म-साक्षात्कारी हों। आप उनकी समस्या प्रति अहं है। वह भी ठीक हो हैरान होंगे कि ये शक्तियाँ ऐसे बहुत से सकता है। परन्तु अहं आपका शत्रु है कार्य करती हैं जो अहंकार ग्रस्त व्यक्ति नहीं जिसका सृजन आपने स्वयं किया है । अतः आपको इससे लड़ना होगा और स्वयं देखना होगा कि इसका स्रोत क्या है। हो अचानक अदृश्य हो जाते हैं। वहाँ पर सैनिक सकता है कि इसका उद्गम, देश से हो, परिवार से हो या कहीं और से। अतः सबसे पहले हमने अहं को देखना है ताकि हम उसे खोज न सका क्योंकि वो लोग अत्यन्त नहीं चाहिए। निःसन्देह आपको उनसे लडाई कर सकते। उस दिन अफ्रीका में मैंने कि लोग सुना विद्रो ह हुआ और वहाँ का राष्ट्र पति सहजयोगी था, वह अदृश्य हो गया। कोई सहस्रार में प्रवेश कर सकें । जब मैं सामूहिक रूप से सहस्रार खोलने उन्हें मेरी शक्तियों का लाभ प्राप्त होता है। के कार्य में लगी हुई थी तो मैने पाया कि आप सबको चाहिए कि मेरी शक्तियों का, लोगों का अहं मुझे नीचे की ओर खींच रहा मेरी सुरक्षा का उपयोग करें। रक्षा करने था। मुझे लोगों के अहं से लड़ना पड़ा वाली शक्ति बहुत दृढ़ है, विशेष रूप से उन क्योंकि मैं अत्यन्त सीधी-सादी आदतों लोगों समर्पित हैं । वे इतने अधिक समर्पित हैं कि के लिए जो पूर्णतः सहजयोग में 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-37.txt ता-य लहरी खंड-XIV अंक 11 4 12 न4म4र-दिसम्बर 2002 36 स्थापित हैं। अतः सर्वप्रथम स्वयं पर पूर्ण विवेक हैं आपमें यदि शान्ति है, जीवन की विश्वास करें कि आप सहजयोगी हैं- आप अह नहीं हैं। सहजयोगी का अर्थ है कि आप यदि आपमें है, आपमें यदि सामूहिक स्वभाव अहंकार नहीं कर सकते अहंरूपी यह दुर्गुण है तो यह कार्य करेगा सभी लोग प्रभावित भिन्न स्रोतों से आया है इस बात को आप जानते हैं। परन्तु इसका शुद्धीकरण होना मूर्खता अपना असत्य अपने सभी दुर्गुण देख चाहिए. वैसे ही जैसे जब नदी बहती है तो सकेंगे और महसूस करेंगे कि जो वो सोचते सभी प्रकार की गंदगी, कूडाकरकट इसमें हैं वह ठीक नहीं है यह व्यक्ति मुझसे कहीं वह जाता है। जब यह समुद्र में मिलती है तो गहन है जो इसके पास है वह मेरे पास यह समुद्र बन जाती है। इसी प्रकार से नहीं है हम सबके लिए यह मुख्य चीज है। आपको भी बनना है। सागर बनने के लिए आपको अपने अन्दर पड़ने वाली सभी अगुआ (Leader) हैं। इसका मतलब ये नहीं सरिताओं को भूलना होगा उन सभी कि वो वास्तव में लीडर बन बैठें। इसका गलत धारणाओं को भूलना होगा जो अर्थ ये है कि उनमे गहनता बहुत अधिक आपमें आ रही थीं। किसी भी स्रोत से इन हो। गहनता यदि उनमें नहीं होगी तो वो धारणाओं का आरम्भ हो सकता है मैें नहीं बाहर चलें जाते हैं। उनमें यदि गहनता है जानती कि किस प्रकार इन्हें कोई नाम द् केवल तभी वो लीडर हैं। गहनता अर्थात क्योंकि इन स्रोतों की एक बहुत बड़ी सूची लोग उन्हें देखें और वास्तव में आनन्द है। कई बार तो अहं के कारण लोग पगला लें उनकी उपस्थिति का वास्तव में जाते हैं । हर चीज का आनन्द लेने का विशेष स्वभाव हो जाएंगे। क्योंकि उस प्रकाश में वे अपनी सहजयोग में हमारे यहाँ कुछ लोग हैं जो अतः हर चीज़ आप स्वयं देख आनन्द लें। अतः मुख्य चीज अपने अहं को सकते हैं । अगुआओं के लिए मैं विशेष रूप दे खना और उसका साक्षी होना है कि से ये कहूंगी क्योंकि लोग उनको देखते हैं किस प्रकार यह कार्य करता हैं, किस और अगुआ उनके आदर्श हैं मेरे बारे में तो प्रकार आपके स्वभाव को बिगाड़ ता है लो ग कहते हैं, कि श्रीमाताजी तो किस प्रकार आपको मूर्ख बनाता है? श्रीमाताजी हैं उनसे हम क्या ले सकते हैं?" पहला कार्य जो अहं करता है वह है व्यक्ति परन्तु अगुआओं से लोग सबक लेते हैं और को मूर्ख बनाना। व्यक्ति इस प्रकार से वो समझते हैं कि यह बात गलत है यह ठीक आचरण करने लगता है कि लोग सोचते हैं नहीं है। ओह! तुम पृथ्वी पर जीवित सबसे बड़े मूर्ख हो।" परन्तु इसका कोई लाभ नहीं, क्योंकि सहजयोग के आदर्श। यही बात मैं हमेशा से यदि लोग विश्वस्त हो जाएंगे कि आप मूर्ख बताती चली आ रही हूँ कि "अपने अह से हैं तो क्या होगा। इसके विपरीत आपमें यदि मुक्ति पा लो । ये सबसे बुरी चीज है क्योंकि रा सर्वप्रथम आपको आदर्श होना चाहिए. 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-38.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 37 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 यही क्रोध को जन्म देता है। आप सोचते हैं देखने का ज्ञान है तो ये समस्या समाप्त कि आप कुछ महान हैं, आप ये कर सकते हैं हो जाएगी पूरे विश्व में ये समस्या आप वो कर सकते हैं क्यों कि आप सहजयोगी हैं। ये बात सत्य नहीं है । इसके सकती। इन दिनों विश्व उपद्रवों से भरा विपरीत अत्यन्त विनम्र बनें, अत्यन्त विनम्र, हुआ है। आप जैसे देखते हैं संसार में मूर्ख और अच्छे कार्य करें। अब आप अहंकारी और झगड़ालू लोग सब पर प्रभुत्व जमाने समाप्त हो जाएगी। यह रह ही नहीं तथा क्रोधी न बने रहें। क्रोध आपको पूरी वाले लोग उभर कर आ रहे हैं। इस समय तरह से छोड़ देता है। यह (सहजयोग) यदि आप ये सब साक्षी भाव से देखें तो ये आपको सन्तुलन देता है, विवेक देता है समाप्त हो जाएगा क्योंकि आप लोग अत्यन्त जिसके द्वारा आप देख पाते हैं कि आपका शक्तिशाली हैं। परन्तु आपको इस बात का क्या कार्य है, पृथ्वी पर आप क्यों आए हैं, ज्ञान होना चाहिए कि इस शक्ति का उपयोग आपमें ये शक्ति क्यों आई है और आप दिव्य करने के लिए आपके पास साधन हों। आपके व्यक्तित्व क्यों हैं। यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी अन्दर यदि ये साधन हैं तो आप यह कार्य है। आपने अपनी देखभाल नहीं करनी, नहीं । कर सकते परमात्मा आपकी देखभाल करेंगे पूर्णतः वे नहीं कर सकते उत्थान मार्ग में अहं सबसे आपकी रक्षा करेंगे, देखभाल करेंगे और जो बड़ी बाधा है। आप देखें कि अहं उस स्थान भी आपकी आवश्यकता है वह सब करेंगे। पर है जिसे पार करके आपने सहस्रार में परन्तु यदि आपमें अहंकार है, वास्तविकता जाना है, अन्यथा सहस्रार का भेदन अत्यन्त से, सत्य से आप परे हैं और आपमें यदि सुगम है। परन्तु यदि अहं बना हुआ है तो क्रोधी स्वभाव है, अहंकारमय व्यक्तित्व है तो आप पहले से ही इस अहं में खोए हुए हैं। हैं। अपने अहंकार से आप ये कार्य अतः व्यक्ति को समझना है कि "स्वयं को सहजयोगी सन्त हैं। सन्त ही नहीं वे देखे", क्या वो अहंकारी है? अपने बारे में वह सन्तों से भी ऊपर हैं क्योंकि वे अपनी क्या सोचता है। अहं बहुत सीमित है यह अभिव्यक्ति सन्तों से भी बेहतर कर सकते आपको भी सीमित कर देता है और तब आप हैं। उनमें शक्तियाँ हैं जिनका वे उपयोग अपने जीवन के लक्ष्य को नहीं देखते कि कर सकते हैं. जिन्हें वे अन्य लोगों को दिखा क्यों आप आत्मसाक्षात्कारी बने हैं? यह बात सकते हैं कि वे कितने शक्तिशाली हैं कि आप नहीं समझते। आप अपने मामलों में, अन्य लोगों से कहीं बेहतर रूप से वे कार्य अपने परिवार के. बच्चों के तथा अन्य लोगों के मामलों में फँसे हुए हैं। यह बात बहुत ही यह दुर्गुण चले जाने चाहिएं। कर सकते हैं। उदहारण के रूप में, मान लो कोई तुच्छ है। परन्तु आपमें यदि अहंकार विहीन समस्या है जिससे पूरा विश्व परेशान है । स्वभाव है तो आप अत्यन्त प्रभावशाली हैं। आपके पास यदि साक्षी रूप से इसे पूरी शक्ति कार्य करती है। 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-39.txt चैत-्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 38 मैने जो देखा है कि सहस्रार की शक्ति समस्याएं होती हैं। तब मैं हैरान होती हूँ कि बहुत महान है, कुछ लोगों में इसने चमत्कार इन समस्याओं से आप परेशान क्यों हैं! आप किए हैं अत्यन्त महानता पूर्वक उन्होंने इसे समझे कि आप शक्तिशाली हैं। अतः सहस्रार कार्यान्वित किया है परन्तु अहंकार के में आपको समझना हैं कि वहाँ कौन सी कारण बहुत से लोग इस स्तर के नहीं हैं कि शक्तियाँ हैं। यहाँ एक हजार शक्तियाँ हैं। हम कह सकें कि वो सहजयोगी हैं । यहाँ पर मैं आपको यही सब बताने के हो रही हैं। इस बात को यदि आप समझ लिए हू। जिन दिनों में ये सब अवतरित हुए सकेंगे तो आप जान जाएंगे कि अहंकार को थे, उन्हें बताने के लिए, उनका पथ-प्रदर्शन बनाए रखने का क्या लाभ है (अर्थात कोई करने के लिए कोई भी न था । इसके विपरीत लाभ नहीं ) क्योंकि आपमें इतनी सारी वातावरण ने उन्हें नष्ट किया लोग ये न शक्तियाँ हैं जिनका आपने उपयोग नहीं समझ सके कि उनमें अहंकार का अभाव क्यों किया। आपको इनका उपयोग करना है। है और क्यों वे इतने विनम्र हैं। अतः लोगों ने परन्तु अहंकार के कारण आप इनका आपमें एक हजार शक्तियाँ है जो ज्योतित 1 उनका दुरुपयोग किया परन्तु अब आप उपयोग नहीं कर सकते। प्रेम से आप इनका लोगों में शक्तियाँ हैं। आपको इस बात का उपयोग कर सकते हैं । केवल प्रेम से ही ज्ञान होना चाहिए कि किस प्रकार अपनी आप इनका उपयोग कर सकते हैं और बहुत शक्तिंयों का उपयोग करना है। परन्तु इस कुछ कर सकते हैं । बात के कारण कि आपमें शक्तियाँ हैं. आपको कतई भी अहंकार नहीं होना चाहिए । इसके कि आप शपथ लें कि "अब हम अपने अहं विपरीत आपको अत्यन्त विनम्र होना चाहिए। को कोई अवसर नहीं देंगे इसे हम त्याग आपमें विनम्र होने की शक्ति है। आप यदि देंगे, अपने अहं को हम त्याग देंगे। हम विनम्र हो सकें और ये समझ सकें कि ये लोग अपना अहं त्याग देंगे । अहं में कोई विवेक अतः आज में आप सबसे प्रार्थना करुंगी अभी तक आत्म साक्षात्कारी नहीं हैं, अत्यन्त नहीं है, ये हमारे मार्ग की बाधा है। सहस्रार निम्न स्तर पर हैं, अभी तक अहंकार में फँसे जब कार्य करना चाहता है तो अहं की बाधा हुए हैं। निम्न स्तर पर हैं और उन्हें उन्नत के कारण ये कार्य नहीं कर पाता। अतः होना है। जब आप ये बात समझ लेंगे तब किसी भी चीज़ का अहं न करें। आप चाहे आप न केवल उन पर दया करेंगे परन्तु उन्हें बहुत अच्छे गायक हों, आप चाहे जो हों, समझेंगे भी सही। तब आपको एक प्रकार की हो सकता है आप कोई बड़े आदमी हों। परमेश्वरी सहायता प्राप्त होगी जो सभी ये सब तथाकथित चीजें अर्थहीन हैं। आज हमें अहं विहीन लोगों की आवश्यकता है समस्याओं का समाधान करेगी। मुझे लगता है कि कभी-कभी आपमें से जिनमें शक्तियाँ पूरी तरह से प्रवाहित हो अधिकतर लोगों को बहुत निम्न-स्तर की रही हों । 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-40.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 39 पैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 सहस्रार के खुलने से ये सारी शक्तियाँ बेहतर कार्य कर सकते हैं. भली-भांति लोगों प्रवाहित होनी चाहिएं-यदि सहस्रार पूरी की सहायता ले सकते हैं ऐसा कुछ नहीं तरह से खुला हुआ है तो ये सारी प्रेम की है। आप स्वयं अपनी सहायता कर सकते हैं. शक्तियाँ प्रवाहित होनी चाहिएं। आप हैरान किसी सहायता की आपको आवश्यकता होंगे जहाँ भी मैं जाती हैँ लोग मुझसे प्रेम नहीं। इसके विपरीत आपको अन्य लोगों की करने लगते हैं। मैं नहीं जानती क्यों? मैं सहायता करनी है । कहीं से भी किसी उनके लिए कुछ नहीं करती फिर भी वे मेरे सहायता की आशा न करें। मेरी ओर देखें प्रेम को महसूस करते हैं। यही होना चाहिए मैं एक सर्वसाधारण गृहणी हूँ परन्तु किस कि लोग आपके प्रेम को महसूस करें और प्रकार से सहजयोग पूरे विश्व में कार्यान्वित समझे कि आप अत्यन्त प्रिय व्यक्ति हैं। यही बात है कि आप लोगों को विशेष समस्या केवल इतनी है कि मैं अपने प्रेम की बनाया गया है, अत्यन्त विशेष-इस पूरे विश्व शक्ति को उपयोग कर सकती हूँ परन्तु आप की मुक्ति के लिए। ये आपका कार्य बिना बात के धन एकत्र करते रहना तथा इतनी सी समस्या है। हुआ? किसने किया? प्रेम की शक्ति ने । है । लोग इसे उपयोग नहीं कर सकते। केवल | अन्य सारी बेवकूफी भरे कार्य करना नहीं। आप यहाँ अत्यन्त विवेकशील कार्य करने के करना चाहते हैं तो ध्यान धारणा से इस लिए हैं। यह कार्य लोगों की कुण्डलिनी शक्ति को विकसित कर सकते हैं । इसके उठाना है और उन्हें अपनी महानता के प्रति द्वारा आप लोगों के हृदय पर छा सकते हैं। चेतन करना है। मानव का सृजन केवल युद्ध इससे आप उनके विषय में जान सकते हैं । करने के लिए नहीं किया गया राजनीति उनकी समस्या ये है कि वो सहजयोगी नहीं तथा अन्य अभद्र चालाकियाँ करने के लिए हैं. उन लोगों को परमात्मा का आशीर्वाद नहीं किया गया। पृथ्वी पर गन्दी तथा अभद्र नहीं है और वे परमात्मा से एकरूप नहीं हुए जिन्दगी बिताने के लिए उन्हें नहीं बनाया हैं कल्पना करें कि आप परमात्मा से एक आप यदि अपनी प्रेम शक्ति का उपयोग गया। जिस परमात्मा ने हमारा सृजन किया रूप हैं और परमात्मा ने पूरे ब्रह्माण्ड का है उसके महान कार्य करने के लिए हम इस सृजन किया है, आपका सृजन किया है और विश्व में आए हैं। अतः ये सम्भव है। आप सभी महान कार्य किए हैं। तो आप क्या हैं? यदि इस बात को जानते हैं कि आपके परमात्मा की शक्ति के आप अंग-प्रत्यंग हैं । सहस्रार खोले जा रहे हैं और इसी सहस्रार में पावनता का निवास है, उन सब तुच्छ क्यों न हम पूरे प्रेम और सूझ-बूझ के साथ चीजों का नहीं करें ताकि आपमें यह विवेक चिन्तित हैं। अतः अपने अन्तः स्थित परमेश्वरी शक्ति का जिनके विषय में आप उपयो ग लोग सहजयोग के विचारों विकसित हो जाए। कुछ यही बात आपने स्वयं को बतानी है कि का लाभ उठाने का प्रयत्न करते हैं कि 'वे 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-41.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 40 हम आत्म- साक्षात्कारी व्यक्ति हैं, यह परमात्मा ने आपकी रक्षा क्यों की और अत्यन्त विशेष व्यक्तित्व है। इस विश्व में आपको ये सब क्यों प्रदान किया? क्योंकि बहुत ही कम आत्म साक्षात्कारी लोग हैं। विश्व के लिए इतना कुछ होना बाकी है। मैं परन्तु अब हमारी संख्या काफी है। मैं लोगों कहना चाहूँगी कि आप लोग ही सत्य के को देख सकती हूँ परन्तु अब भी यदि हममें सिपाही हैं, अच्छाई के सिपाही हैं और ये इस बात की कमी है, अभी भी यदि कुछ सभी कार्य आपने अत्यन्त उत्साह एवं अपने समस्या बाकी है तो ये हमारे अहं के कारण प्रति सूझ-बूझ के साथ करने है । है। व्यक्ति को किसी भी चीज़ का अहंकार नहीं करना चाहिए। हर चीज़ नश्वर है केवल करना है। आपको अपने विषय में जानना परमात्मा का प्रेम ही शाश्वत है केवल दिव्य होगा आपको आत्म-ज्ञान प्राप्त करना व्यक्तित्व शाश्वत है हर समय आप देखते होगा कि आप क्या हैं? ये ज्ञान यदि आपको हैं कि सन्तों की मृत्यु के पश्चात् भी लोग प्राप्त नहीं हुआ तो सहस्रार खोलने का क्या उन्हें याद रखते हैं. उनकी कविताओं को लाभ है? आत्म-ज्ञान से आपमें अहंकार नहीं 1 अतः आप लोगों ने आत्म ज्ञान प्राप्त याद करते हैं। यद्यपि वे लोग सहस्रार का आता, बिल्कुल भी नहीं। यह तो आपको अधिक कार्य न कर पाए, लोगों को आत्म आपके कर्त्तव्यों का ज्ञान कराता है और साक्षात्कार न दे पाए, फिर भी उनके दिव्य बताता है कि आपने क्या कार्यान्वित करना व्यक्तित्व के कारण अभी भी उनका सम्मान है। होता है। लोग जानते हैं कि ये सन्त बहुत अच्छे कार्य कर रहे हैं, चमत्कारिक चीजें कर विश्व के लिए है कृपा करके इसको समझने रहे हैं । इसी प्रकार से आप भी अपने चमत्कार सहजयोग हमारी बेहतरी के लिए है, हमें देख सकते हैं। आप स्वयं इस बात को देख अच्छा स्वास्थ्य देने के लिए है आदि-आदि। सकते हैं कि आपमें क्या करने की योग्यता वास्तव में ऐसा नहीं है, ये अन्य लोगों की है क्योंकि अब आप परमात्मा से एकरूप हो बेहतरी के लिए है। आपके पास शक्तियाँ हैं गए हैं यह सत्य आपको समझना चाहिए । जिनका आप उपयोग नहीं कर रहे । आप जब भी कभी भय हो, जब भी कोई समस्या हो तो आप कहेंगे, "हमें बचा लिया जाएगा। जिनमें लिखा होता है हमें ये परेशानी है इसमें कोई सन्देह नहीं है। आपके कारण हमें वो परेशानी है। क्यों नहीं आप स्वयं को से लोगों की रक्षा हुई है। परन्तु इतना ठीक कर सकते? आप स्वयं को यदि ठीक सहजयोग केवल आपके लिए नहीं है, पूरे का प्रयत्न करें। कई बार हम सोचते हैं कि अब भी व्यस्त हैं। मुझे ऐसे पत्र मिलते बहुत ही काफी नहीं है आपकी रक्षा किसलिए की नहीं कर सकते तो अन्य लोगों को किस गई है? आपके जीवन का क्या मूल्य है? प्रकार ठीक करेंगे? यही सच्चाई है। आप किसलिए जीवित हैं? मामाला क्या है? मैं कहूंगी कि एक ऐसी सूझ-बूझ है जो 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-42.txt नवम्बर - दिसम्बर 2002 41 मैत- लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 आपकी सूझ-बूझ में प्रवेश करके कहती है अहंकार है, कुछ को कि 'आप महान हैं। आप साधारण लोग से मेरा अभिप्राय ये है कि ये पौराणिक है, कुछ अन्य का कहने नहीं हैं। इस बात का अभ्यास किया जाना मिथ्या है। आपका जन्म कहीं और भी तो हो चाहिए और इस प्रकार से इसका उपयोग सकता था। आपका जन्म किसी और देश में होना चाहिए कि उससे पता लगे कि आप भी तो हो सकता था। यद्यपि आपने किसी सहजयोगी हैं, आप किसी भी सूफी या देश विशेष में जन्म लिया परन्तु आपको साक्षात्कारी या सन्त से कम नहीं है, किसी इस बात का अहंकार है। इस अहंकार पर भी प्रकार से कम नहीं है। परन्तु आपके पास आपको लज्जा आनी चाहिए क्योंकि आपका जो शक्तियाँ हैं वो उनके पास न थीं । इन देश चाहे जो भी हो वह बंहुत अच्छा कारय शक्तियों के प्रति वे चेतन भी न थे । अब नहीं कर रहा। आध्यात्मिक रूप से वह काम आपके पास ये शक्तियों हैं अतः समझने का सशक्त नहीं है। तो फिर क्यों आपको गर्व प्रयत्न करें कि आपके पास कौन सी है? जब आप वहाँ पर सहजयोग कार्यान्वित शक्तियाँ हैं। इस बात को समझकर आपमें करेंगे और आध्यात्मिक रूप से वहाँ लोग सशक्त हो जाएंगें केवल तभी आप अपने अहंकार नहीं होना चाहिए। ये तो आपका कार्य है जिसे आपने करना है आप लोग देश पर गर्व कर सकते हैं । परन्तु में देखती इसका आनन्द लेते हैं क्योंकि इसमें अहंकार हूँ कि ऐसा नहीं हो रहा है। अतः आपको ही नहीं है। यह अहंकार विहीन कार्य है। इतना यह सब कार्यान्वित करना है। कुछ यदि आप कर सकें तो बहुत अच्छा होगा। लि /ये देखकर मुझे प्रसन्नता होती है कि सहजयोग अब सर्वत्र फैल गया है। बहुत अब अहंकार काफी नीचे आ गया है । ये तेजी से यह फैल रहा है । जिन देशों में मुझे बात मैं कहना चाहूंगी कि अब अहंकार बहुत आशा भी न थी, ये वहाँ फैल रहा है, वहाँ भी कम हो गया है लोगों से मुझे ये बात सुनने लोग इसे पाना चाहते हैं। लोग आल्म- को मिलती है कि अहंकार का स्तर नीचे आ गया है परन्तु कभी - कभी अब भी वे चाहते हैं कि मानव जीवन से आगे क्या है। अत्यन्त चिन्तित होते हैं और परस्पर झगड़ते मानव के रूप में, अब वे अपना जीवन ब्वाद हैं। इस सबके बावजूद भी मैं अवश्य कहूंगी नहीं करना चाहते है। परन्तु महा- मानव के कि इन वर्षों में जो भी कार्य हुआ है लोगों ने रूप में जिन्हें मैं सहजयोगी कहूंगी, वे उन्नत मिल-जुलकर इसे कार्यान्वित किया है । अतः आपको स्वयं को देखना होगा। साक्षात्कार पाना चाहते है और ये जानना होना चाहते हैं। / अतः हमारे अहं का देखा जाना आवश्यक आपने स्वयं देखना होगा कि मुझमें क्या है। साक्षी अवस्था में ये देखा जाना चाहिए अहंकार है? आपको अहंकारी क्यों होना कि ये किस प्रकार कार्य कस्ता है और किस चाहिए । कुछ लोगो को अपने देश का प्रकार हमें अच्छे मार्ग पर चलने से रोकता 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-43.txt नवम्बर-दिम्बर 2002 42 चैतन्य लहरी खड़-XIV अक व 12 41 त ा प्वम हैं। इस मामले में व्यक्ति को अत्यन्त हैं। ये विशेष आशीर्वाद है । आपकी शक्तियाँ सावधान होना चाहिए क्योंकि ये अन्तिम चक्र यदि बढ़ जाएंगी तो ये लोग, जो अपनी है जिसे खोला जाना आवश्यक है । एक बार राजनीतिक गतिविधियों से पूरे समाज पर जब ये चक्र पूरी तरह खुल जाएगा तो आप छा जाने का प्रयत्न कर रहे हैं, ये सब लुप्त परमात्मा से एकरूप हो जाएंगे और आपकी हो जाएंगे। उनमें शाक्तियाँ नहीं हैं। वो सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। ये गायब हो जाएंगे। समस्याएं, क्योंकि इतनी तुच्छ हैं, इतनी अर्थहीन हैं कि सहस्रार के कार्यान्वित होते स्वभाव सहायक होगा-सबकी सहायता अतः सर्वप्रथम आपका अहंकार विहीन करेगा। ही ये स्वतः ही चली जाएंगी। ये बहुत अच्छी बात है कि आज विशेष दिन है। आज ये तीनों सितारे समीप आ रहे परमात्मा आपको धन्य करें। 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-44.txt श्रीमाताजी ने हमारी आत्मा को स्वच्छ कर दिया श्रीमाताजी चीन में 16-19, दिसंबर, 2001 दिसंबर में भारत लौटते हुए श्रीमाताजी हाल-चाल पूछा। हमने अपनी परम पावनी अपनी निजी यात्रा पर हाँग-कॉग पधारीं । मुम्बई से उन्हें लेने के लिए सर सी. पी. और उनकी मधुर मुस्कान ने हमारे हृदय को छू कल्पना दीदी भी आए थे। हफ्तों पहले हमने लिया और हमारी आत्मा को पक्त्रि कर सारे प्रबन्ध कर लिए थे पार्कलेन होटल में दिया। उन्होंने बताया कि उड़ान ने आशा से उनके रहने के लिए दो कमरों का एक बहुत कहीं अधिक समय लिया है । अतः हम उन्हें अच्छा सैट (Suite) हमने ये होटल हाँग-कॉग टापू में कॉजवे बे आए। (Causewaybay) आश्रम के बिल्कुल समीप है। माँ के प्रेम एवं करुणा को महसूस किया। ले लिया था। तेजी से कार तक और वहाँ से होटल लेकर होटल के कमरे देखकर श्री माताजी बहुत प्रसन्न हुई तथा उन्होंने ये सारी व्यवस्था हमें धन्यवाद दिया| श्रीमाताजी के आने से पहली रात करने के लिए सहजयोगी महिलाओं ने के श्रीमाताजी ने टी.वी. पर समाचार देखना कमरों को फूलों तथा अन्य चीजों से इतना चाहा क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच सुन्दर परिवर्तित कर दिया कि यह बिल्कुल कुछ घटनाएं घटित हुई थीं जिन्हें वे जानना घर जैसा लगने लगा। परमेश्वरी माँ के आने चाहती थीं उनका चित्त पूरी तरह से इस से पूर्व उनके रहने के स्थान को चैतन्यित क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर था पहले दो करने के लिए वहाँ एक पूजा की गई। सोलह दिसंबर प्रातः श्रीमातार्जी वहाँ पहुँ चीं। तूफानी हवाओं के कारण उनके यान को ताइवान के रास्ते आने में सोलह से भी काफी था। श्रीमाताजी ने बताया उन्होंने कई ज्यादा घण्टे लगे थे। श्रीमाताजी का फूलों अवसरों पर जार्ज डब्ल्यु, बुश को पत्र लिखे से स्वागत करने के लिए थोड़े से लोग एकत्र और बुश ने उनके सुझावों को स्वीकार हुए। मुस्कराहट बिखेरती हुई श्रीमाताजी हमारे सम्मुख प्रकट हुई। वे तरोताजा प्रतीत हो रही थीं। श्री माताजी दिन श्रीमाताजी ने आराम करने और समाचार देखने में बिताए। उनका चित्त अमरीका के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश पर किया। अपने कई प्रवचनों में श्रीमाताजी ने अत्यन्त इन पत्रों के विषय में बताया । वे हमसे कीन इस बात की कल्पना कर सकता है मिलकर बहुत प्रसन्न हुई और हम सबका कि घटनाक्रम क्या होगा और किस प्रकार ये 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-45.txt चैत-य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर दिसम्बर 2002 44 व्यक्ति आसूरी शक्तियों को पराजित करने और कहा ये आपकी सुरक्षा के लिए है। फ्लोरेन्स नाम की एक चीनी योगिनी ने 18 दिसंबर मंगलवार प्रातः श्रीमाताजी चीन का एक पारंपरिक तारों वाला वाद्य के लिए चुना जाएगा। वहाँ बाजार में सहजयोगियों तथा अन्य यन्त्र गुजैंग (Guzheng) बजाया । इस यन्त्र लोगों के लिए उपहार खरीद रही थीं। सदैव को आधुनिक रूप दिया हुआ था। उसने वे अन्य लोगों के लिए ही चीजें खरीदती चीन के कुछ प्रसिद्ध लोक गीत बजाए और रहती हैं, अपने लिए कभी कूछ नहीं श्रीमाताजी ने वास्तव में संगीत का आनन्द हाँ ग-काँ ग के इन सभी वर्षों में मैंने उन्हें अपने लिए कभी सहजयोगियों ने कुछ भजन गाए। ये संध्या कुछ खरीदते नहीं देखा। जब श्रीमाताजी अत्यन्त ही सुन्दर थी और श्रीमाताजी के आती हैं तो चीजों की सेल लगी होती साथ इतने आत्मीय वातावरण में समय है और उन्हें वस्तुओं के मूल्य पर बहुत बिताने का सभी योगियों ने आनन्द लिया। श्रीमाताजी सभी के साथ बहुत प्रसन्न की सूक्ष्मता के विषय में उनकी दृष्टि थीं उन्होंने चीन की स्थिति पर बहुत चित्त चमत्कारिक है और दुकान पर बिकने वाली डाला। जोयो (Goyo) नाम की एक महिला चीजों में से सर्वोत्तम चीजें वे निकाल लेती श्रीमाताजी के साथ रहने के लिए विशेष रूप हैं। चैतन्य बहता है और दुकान पर कार्य से गुआनडोंग (Guandong) प्रांत से आई करने वाले सहायक आत्म-साक्षात्कार प्राप्त थी श्रीमाताजी के दर्शन करके उसे खरीदती। जब से वे हॉँग-काँग आ रहीं हैं, लिया। तत्पश्चात् बड़ी छुट प्राप्त हो जाती है । डिजाइनों | बहुत प्रसन्नता हुई। तत्पश्चात् श्रीमाताजी ने मंगलवार शाम को हमने श्रीमाताजी के हॉँग-काँग के दो नए अगुआ नियुक्त किए। अब एडविन हाओ (Edvin Hou) और लिली परन्तु खरीददारी करने के पश्चात वे थक चेन (Lily Chen) हाँग -काँग तथा चीन में गई थी। अतः उन्होंने आराम किया और रात सहजयोग का कार्य संभालेंगे मेरे लिए यह कर लेते हैं। लिए रात्रि भोज का आयोजन किया हुआ था का खाना अपने कमरे में ही खाया । मेरे जीवन के एक अध्याय का अन्त था रात्रि भोज के पश्चात् एक संगीत क्योंकि पिछले दस वर्षो से मैं हाँग-काँग में संगोष्ठी का आयोजन किया हुआ था सहजयोंग के कार्य को संभाल रहा था और श्रीमाताजी ने उसमें आने को सहमति दी वहाँ की सामूहिकता को बढ़ते तथा परिपक्व क्योंकि वे योगियों को निराश नहीं करना होते मैंने देखा था। ये लोग अब चीन में चाहतीं थीं छोटे से समारोह कक्ष में यह सहजयोग कार्यान्वित होने के लिए नीवें अत्यन्त आत्मीय व्यवस्था थी जिसमें केवल (Foundations) मुहैया कराएंगे । पैंतीस योगियों ने भाग लिया। श्रीमाताजी ने साड़ियाँ कोलून बुधवार सवेरे श्रीमाताजी ने सभी योगियों को एक-एक अंगूठी भेंट की खरीदनी चाहीं । अतः हम 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-46.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 45 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 (Kowloon) के प्रसिद्ध साड़ी एम्पोरियम में बार हमारी ओर अपना हाथ हिलाया और गए खरीदारी करने के पश्चात् वहाँ के मुम्बई का यान पकड़ने के लिए चली गई। हम सब लोग उदास थे परन्तु चार दिनों प्रबन्धक तथा सहायक को आत्म साक्षात्कार दिया। हमने उनसे दोनों हाथ श्रीमाताजी की तक उनके इतना समीप रहने के लिए स्वयं ओर फैलाने के लिए कहा और उन्होंने शीतल लहरियों का अनुभव किया। श्रीमाताजी बहुत प्रसन्न थीं कि उन्हें उत्सुकता पूर्वक उनके मुम्बई आने की को भाग्यशाली भी मान रहे थे। हम जानते थे कि हमारे बहुत से भारतीय भई-बहन आत्मसाक्षात्कार मिल गया है। उन्होंने उन्हें प्रतीक्षा कर रहे हैं। बहुत उत्साहित किया और उन्हें सहज कार्यक्रमों में आने के लिए कहा। लॉस-एंजलिस और हाँग-काँग के मध्य श्रीमाताजी ने तीन विमान परिचारिकाओं को अन्तिम क्षण में हमने विपणन की एक आशीर्वाद दिया। जिस परिचारिका का हाथ अन्य योजना बनाई परन्तु दुर्भाग्य से समय श्रीमाताजी ने पकड़ा हुआ था वह कहने बहुत कम पड़ गया हम हवाई-अड्डे के लगी "श्रीमाताजी आपके हाथ से आती हुई लिए चल पड़े। सर सी. पी. के साथ उनके बेइन्तहा शक्ति को मैं महसूस कर रही हूँ। पुराने मित्र टोमी चैंग ( Tommy Cheung) मुस्कराते हुए श्रीमाताजी ने उत्तर दिया, 'मेरे भी थे। जब-जब भी श्रीमाताजी हाँग-कॉग पास केवल प्रेम एवं करुणा की शक्ति है । आती हैं ये उनसे मिलने के लिए अवश्य जहाज़ तैपी (Taipei) अड्डे पर अनुसूचित आते हैं। रूप से रुका और श्रीमाताजी का चित्त गया। तीनों विमान सूर्य चमक रहा था और सुखद गर्मी थी। ताइवान हम सब पर उदासी छाई हुई थी कि परिचारिकाओं श्रीमाताजी ने शीघ्र ही चले जाना है। हवाई जापान से और तीसरीं चीन से-ने अड्डे पर उनसे मिलने के लिए थोड़े से श्रीमाताजी का ध्यान इन दे शों के योगी एकत्र हुए और उन्होंने उनसे फूल लेने सहजयोगियों तथा सहजयोग पर दिलवाया। और बातचीत करने में समय बिताया। बाद में श्रीमाताजी का चित्त मलेशिया और श्रीमाताजी ने हम सबका धन्यवाद किया और इंडोनेशिया पर भी गया क्योंकि जब हम अप्रवास नियंत्रण (immigration Control) हाँग-काँग पहुँचे तो यह कुमारी दिवस से निकलीं। दूर खड़े हम प्रतीक्षा करते रहे (Maids' Day) था। और उन्हें देखते रहे और उन्होंने अन्तिम पर एक फिलीपीन से, एक दूर अविनाश निचकावड़े 16 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-47.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 46 चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 विराट के अग-प्रत्यग परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी का प्रवचन हाँग-काँग, 18 दिसंबर, 2001 आप सब लोगों को भजन गाते हुए कर रहे हैं। मुझे बताया गया कि अब ताओ सुनकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। ये भजन धर्म को चीन में स्वीकार कर लिया गया विश्व भर में गाए जाते हैं। अब आप विराट और अब वो लोग ताओ का अभ्यास कर रहे के अंग-प्रत्यंग हो गए हैं सहजयोगी हैं हम भी ऐसा कर सकते हैं। तो अब हम सर्वत्र हैं। अमरीका में, मैं हैरान थी कि ताओवादी हैं । चीन के प्रधानमंत्री ली.पेंग को मेरा फोटो विश्व व्यापार केन्द्र धटना में तीन सौ सहजयोगियों की रक्षा की गई किसी एक दिखाया गया वह कहने लगा, हाँ "यह भी सहजयोगी को न तो जान गॅँवानी पड़ी महिला मुझे याद हैं, इनका बहुत ही और न ही कोई घायल हुआ। सोचने योग्य प्रशंसनीय व्यक्तित्व है बात है कि कुछ लोगों को तो उस दिन कार्य कहा, "ये हमारी गुरु हैं, ये ऐसी हैं, इन्होंने पर आने में देर हो गई कुछ उस समय से हमारे लिए इतना कुछ किया है। वो बहुत पूर्व ही उस इमारत से चले गए और कुछ प्रभावित हुए और अपने सांस्कृतिक मामलों विपरीत दिशा में दौड़ने लगे! और वो सब के सहायक से कहा कि वो मुझे उन लोगों ने के सब सहजयोगी थे! "आश्चर्य की बात है मिलें-अवश्य उनसे मिलें और उनके विषय कि किस प्रकार परमात्मा ने आपकी में ज्ञान प्राप्त करें-यद्यपि वो लोग साम्यवादी देखभाल की तथा रक्षा की! हैं फिर भी.. "उनका सहायक मुझसे मिलने के लिए आया.... उसने अपनी आँखे बन्द कर लीं और ताओ (Tao) ही सहजयोग है मैं सोचती हूँ कि चीन में हम बहुत कुछ कार्य कर सकते हैं। चीन में पहले से ही ताओं की आनन्द में चला गया। तब मैंने उसे इसके परम्परा है। ताओ सहजयोगी है और वह विषय में सब कुछ बताया।" अपनी मानसिक अवस्था और अपनी सभी चीन के लोगों के विषय में चीन के लोगों की जो बात मुझे अच्छी लगी वो ये है कि वो अत्यन्त विनम्र एवं जो भी हो ताओ मत को नहीं माना गया सम्मान पूर्ण थे। जब मैं संयुक्त राष्ट्र महिला तथा यह सभी विद्वानों के लिए विवाद का संगोष्ठी के लिए बीजिंग गई तो उन्होंने विषय बन कर रह गया । परन्तु अब मैं रहने के लिए हमें होटल की पूरी मंजिल दे सोचती हूँ कि अब ये लोग इस पर विचार दी। उन्होंने हमें दो कारें भेजीं, एक मेरी समस्याओं का वर्णन बड़ी अच्छी तरह से करता है। 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-48.txt नवम्बर-दिसम्बर 2002 47 वैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 वं 12 व्हील चेयर के लिए और एक मेरे निजी लोग सहजयोगी बन गए हैं । इन देशों में उपयोग के लिए। मेरी देखभाल करने के अब तक बीस हजार सहजयोगी हो गए हैं लिए उन्होंने बहुत से लोगों का प्रबन्ध किया, और इससे अधिक भी बहुत से लोग होंगे... उनमें से एक ने कहा, "श्रीमाताजी कल मैं आइवरी कोस्ट का अध्यक्ष भी सहजयोगी है। नहीं आ पाऊंगा। मैंने कहा मामला है?" 'कल मेरा विवाह है मैंने कहा, रहा है ये ऐसा समय है जब लोग सत्य को , "क्यों क्या बहुत से देशों में सहजयोग कार्यान्वित हो "आपका विवाह हो रहा है फिर भी हर समय खोजे रहे हैं। वे सत्य प्राप्त करना चाहते हैं। आप मेरे साथ बने रहते हैं।" कहने लगा, ऐसा सभी देशों में हो रहा है और सर्वत्र "आपके साथ रहने का मैंने बहुत आनन्द सहजयोग बहुत तेजी से फैल रहा है। लिया। यद्यपि मैं वहाँ देर से पहुँची थी फिर भी बहुत तेजी से वे मुझे महिला संगोष्ठी में प्रकार चीजें कार्यान्वित हो रही हैं! आप ले गए । बीच में बिल्कुल भी समय न था। जब हवाई अड्डे पर आई तो वो भी वहाँ पर हैं सभी धर्मों में मैंने पाया है, किसी न आए। उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे वे किसी तरह से असत्य की सृष्टि करके लोगों अत्यन्त प्रेममय और अच्छे लोग हैं। उन्होंने ने समूह बना लिए हैं। | मैं हैरान थी कि नाइजीरिया में किस मैं कहीं भी जाएं लोग असत्य से तंग आ चुके बहुत कष्ट उठाए हैं। परन्तु यहाँ हाँग-काँग में आप लोग ठीक-ठाक हैं। आपको स्रोत से फासो कैमरून, चैद, आइवरी कोस्ट और ये सात अफ्रीकन देश-बैनिन, बरकीना जुड़ना है. रहेंगे तो आप उन्नत होंगे मैं जानती हैँ कि कौन क्या है, वो क्या कर रहे हैं, किसमें क्या पुस्तक है (Islam Enlightened) 'ज्योतित कमियाँ हैं। उनके विषय में मैं सब जानती इस्लाम' । लोग कह रहे हैं ये कुरान हूँ। अतः हमें सहजयोग को फैलाना हैं कुछ कुण्डलिनी जागृति है। आप सबको यह मिल लोग जो बहुत महत्वपूर्ण हैं उनमें मुझे चुकी है। पहचानने की योग्यता है। भारत के एक गृहमंत्री मेरा बहुत सम्मान करते है। वे मेरे अमरीका गई और वहाँ युद्ध अत्यन्त शीघ्र मुख्य वृक्ष से यदि आप जुड़े नाइगर एंटोगो हैं। जावेद खान लिखित एक बहुत अच्छी परमात्मा का बहुत धन्यवाद है कि मैं समाप्त हो गया। परन्तु इसने पूरे विश्व को हिला दिया है परमात्मा का बहुत धन्यवाद घर आए और आत्म साक्षात्कार लिया। सहजयोग में मुसलमान अब भारत में सहज में बहुत से मुसलमान है कि अब युद्ध समाप्त हो गया है लोगों भी हैं । ये जानकर आपको प्रसन्नता होगी को युद्ध के बाद के परिणाम भुगतने होंगे । कि अफ्रीका में बैनिन और आइवरी कोस्ट नामक देश फ्रांस शासित सात देशों में धर्मान्ध हो जाते हैं । हम धर्मान्धता के विरूद्ध मुसलमान लोग थे। अब उनमें से बहुत से हैं। हम स्वतन्त्र लोग हैं। हमें आत्म- मैंने देखा है कि सहजयोग में भी लोग 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-49.txt चैतन्य लहरी खंड-XIV अंक 11 व 12 नवम्बर-दिसम्बर 2002 48 , "स्वयं को जानो, स्वयं को साक्षात्कार प्राप्त हो गया है जो कि हमारा बात कहीं है आध्यात्मिक जन्म है। आप लोग किसी भी पहचानो, स्वयं को खोजो"। सभी ने एक ही चीज से बंधे हुए नहीं है, आप कुछ भी गलत बात कही है। मैं जो कह रही हू यह कुछ नहीं कर सकते, आप कभी भी गलत कार्य नया नहीं है। नहीं करेंगे। आपकी सभी बुराइयाँ स्वतः चली जाएंगी। आपको कुछ बताना नहीं बातचीत करें और उन्हें बताएं। मैं हैरान थी पड़ेगा कि ऐसा करें, ऐसा न करें। मैंने देखा है कि कुछ समय के पश्चात् आ रहे थे तो अचिनाश विमान परिचारिका सभी सहजयोगी ठीक हो जाते हैं, उनमे तथा अन्य लोगों से बातचीत करने लगे । विवेक आ जाता है। जो लोग चले गए हैं, एक -एक करके वे सभी मेरे पास आने लगे। मुझे विश्वास है. वो भी वापिस आ जाएंगे कहने लगे "आप अत्यन्त शक्तिशाली क्योंकि आखिरकार ये उनमें बैठी हुई है। यह उठेगी और उन्हें साक्षात्कार मिल गया । इसी प्रकार से सुधारेगी। ये दे खकर मुझे प्रसन्नता हुई कि सबको बताना होगा, संकोच नहीं करना हॉग-काँग में भी आप लोगों ने सहजयोग होगा नरव क हमें यही कार्यान्वित करना है। लोगों से कि जब हम कैथे (Pacific Alirways) द्वारा कुण्डलिनी है जो व्यक्ति हैं, आदि - आदि । उन सबको आत्म- सहजयोग फैलेगा। हमें इसके विषय में अन्य गुरुओं के शिष्यों को मैंने देखा को सम्भाला हुआ है। मुझे विश्वास है कि ये है, वो अपने गुरुओं के बारे में बात किए चले बढ़ेगा, विशेष रूप से चीन में.. चीन के जाते हैं। हमें भी बात करनी चाहिए और लिए आपको बहुत कुछ करना होगा और लोगों को बताना चाहिए कि ये सच्चाई है। इसे कार्यान्वित करना होगा क्योंकि यह आपको सत्य का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए । ताओं का संदेश है। यह बिल्कुल नई चीज़ निःसन्देह नहीं हैं। मैंने तो केवल इतना किया है कि आलोचना करते रहते हैं । ठीक है. ये सब इसे सामूहिक बना दिया है, सामू हिक असत्य है और ये चला जाएगा आप सब आन्दोलन। बस बात इतनी सी है। अन्यथा लोगों को यहाँ देखकर मुझे प्रसन्नता हुई। कुछ ऐ से भी लोग हैं जो ये बही पुरानी चीज है। सभी महान सूफियों आप सब लोगों का बारम्बर धन्यवाद । ने, सभी महान सन्तों ने, अवतरणों ने एक ही 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-50.txt मेरा हार्दिक प्रणाम यह मेरी इच्छा थी कि परमेश्वरी माँ के सुन्दर एवं हृदय को स्पर्श करने वाली हॉग-कॉग में साक्षात् दर्शन करुं, उनका मुस्कान के साथ वे हमारे सम्मुख प्रकट हुईं। आशीर्वाद लूं और उनके असीम प्रेम का मैं नहीं जानती कि तीव्र भावनाओं के कारण आनन्द उठाऊं । उनसे उस भेंट ने मुझे एक या कृतज्ञता के कारण मेरी आँखों से अविरल सर्व सामान्य महिला से सहजयोगी बना आँसू इस प्रकार टपक रहे थे जैसे माला का दिया। कुछ दिनों तक लगातार मैंने अपने धागा टूट जाने पर उसके मोती गिरते हैं । जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन देखे। बाद में मुझे पता चला कि बहुत से अन्य अचानक मैंने महसूस किया कि मेरा हृदय योगियों को भी ऐसा ही महसूस हुआ और खुल गया है और इस असीम आनन्द एवं अथाह आनन्द का भी अनुभव किया मेरे प्रेम को अन्य लोगों के साथ बाँटने की इर्द-गिर्द की हर चीज़ अत्यन्त सुन्दर हो मुझको उत्कट इच्छा है। श्रीमाताजी ने मुझे गई थी। उससे पूर्व मेरे परिवार के लोग सहजयोग दिया था बल्कि के वल दूसरा जन्म न भली-भांति समझाया था कि परमात्मा ने हमें का थोड़ा सा ज्ञान ले आए थे। मेरा ज्ञान व्यक्तिगत रूप से आशीर्वाद प्राप्त करने के सतही था मुझे मूल तकनीक का भी ज्ञान लिए ही नहीं चुना है उन्होंने अपने इस प्रेम न था। हृदय से समर्पण और सत्य-साधना को अन्य लोगों तक पहुँचाने के लिए भी हमें तथा श्रीमाताजी के प्रेम के अतिरिक्त मैंने कुछ नहीं किया और फिर भी मेरी बाधाएं दूर चुना है। एक उत्तर के साथ जीवन का अर्थ जानने हो गई। इस अनुभव का शब्दों में वर्णन नहीं की लम्बी खोज अचानक समाप्त हो गईं। किया जा सकता। सभी कुछ इतने स्वाभाविक एवं जीवंत ढंग से हो गया है कि उसके लिए मुझे कुछ भी बिना सजा उत्सव कक्ष पावन योगियों तथा न करना पड़ा। ये सब शुद्ध इच्छा से परिपूर्ण कुछ सुन्दर बच्चों से भरा हुआ था। हम सब हृदय के परिणाम स्वरूप था। श्रीमाताजी से मेरी प्रथम भेंट हवाई अड्डे देर बाद अपनी मधुर मुस्कान के साथ तीसरी रात-दस बजे के बाद होटल का बैठ गए और ध्यान में चले गए। थोड़ी ही पर हुई जब मैं उन्हें लेने के लिए गई । सम्मान से परिपूर्ण विचारों के साथ हम प्रति अपना गहन सम्मान दर्शाने के लिए उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। अचानक अत्यन्त हाथ जोड़कर हम सबने उनका स्वागत श्रीमाताजी दरवाजे पर दिखाई दीं। उनके 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-51.txt चै री त य ल ह प्रकाशक वी.जे. नलगीरकर 162 - ए. मुनीरका विहार, नई दिल्ली 110067 मुद्रक अमरनाथ प्रैस प्रा. लिमिटेड डब्ल्यू एच एस 2/47 कीर्ति नगर औद्योगिक क्षेत्र, नई दिल्ली-15 फोन 5447291, 5170197 सदस्यता के लिए कृपया इस पते पर लिखें :- श्री ओ.पी. चान्दना एन - 463 (G-11) ऋषि नगर, रानी बाग दिल्ली - 110034 फोन : (011) 7013464 सहज सम्बंधी अपने अनुभव, चमत्कारिक फोटोग्राफ तथा कलाकृतियाँ निम्न पते पर भेजें: चैतन्य लहरी सहजयोग मंदिर सी-17, कुतुब इन्स्टीच्यूशनल एरिया नई दिल्ली - 110016 2002_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_VI.pdf-page-52.txt म ि स सहजयोग में भी यदि समाधान (संतुष्टि) नहीं है तो आपका सहजयोग करना बैंकार है। आप जहाँ भी हैं श्रीमाताजी आपके साथ हैं। योग की उस अवस्था में आप जहाँ भी है 'माँ' भी वहीं हैं । जब आप इस बात को महसूस करेंगे केवल तभी आपको सहजयोगी माना जाएगा। परम पज्य माताजी श्री निर्मला देवी