क रा चैतन्य लहरी जनवरी-फरवरी, 2005 रार सहजयोग में जब तक आप लोगों को देंगे नहीं तब तक आपकी प्रगति नहीं होगी। देना पड़ेगा, जैसे-जैसे आप देते रहेंगे., वैसे-वैसे आप आगे बढ़ेंगे।" (परम पूज्य श्री माता जी) NERMALA OHARMA NIVERSAL PURE RELIGIO इस अंक में 26.12.1975 विज्ञान के आगे का ज्ञान 3 (1) फरवरी -1981 तत्व की बात 11 (2) फरवरी -1981 तत्व की बात 28 (3) 16 फरवरी- 1981 45 तत्व की बात- MHSIA चै त नय ल ह री प्रकाशक निर्मल इन्पफोसिस एवं टेकनोलोजीज़ प्रा. लि. कार्यालय : इन्पफोसिस हाऊस, प्लाट न. 8, मुख्य चन्द्रगुप्त हाउसिंग सोसाइटी, पॉड रोड, कोठरुड पुणे - 411 029 मुद्रक अमरनाथ प्रेस प्रा. लि. WH.S 2/47 कीर्ति नगर, औद्योगिक क्षेत्र, नई दिल्ली -110015 मोबाइल : 9810452981, 25268673 सदस्यता के लिए कृपया निम्न पते पर लिखें: द्वारा, श्री जी.एल. अग्रवाल निर्मल इन्पफोसिस एवं टेकनोलोजीज़ प्रा. लि. 222, देशबन्धु अपार्टमैट, कालका जी नई दिल्ली-110 019 फोन : 26216654, 26422054 आप अपने अनुभव, सुझाव, सहज सम्बन्धी लेख आदि निम्नलिखित पते पर भेजें : श्री ओ. पी. चान्दना जी-11-(463), ऋषि नगर, रानी बाग दिल्ली - 110 034 दूरभाष : 011-55356811 प्रातः 08.00 बजे से 09.30 बजे सायंः 08.30 बजे ये 10.30 बजे परमात्मा के प्रेम के अनुभव विज्ञान के आगे का ज्ञान मुंबई (26.12.75) परम पूज्य माताजी श्री लि्मला देवी का प्रवचन सत्य के खोजने वाले आप सबको मेरा वन्दन है। काम कर रहा है ? ये हम बता सकते हैं कि ये कल आप बड़ी मात्रा में भारतीय विद्या भवन में काम कर रही है लेकिन वो किस तरह से कर रही उपस्थित हुए थे और उसी क्षण के उपरान्त जो है इस मामले में Science कुछ भी नहीं जानता। कुछ भी कहना है, आज आपसे आगे की बात मैं आइंस्टीन जैसे बड़े बड़े Scientist ने बार-बार करने वाली हूँ। विषय था " Experiences of दोहरा कर कहा कि कोई तो भी ऐसा अज्ञात Divine Love"परमात्मा के प्रेम के अनुभव। इस Unknown land है जहाँ से ये सारा ज्ञान हमारे आज के Science के युग में पहले तो परमात्मा की पास आता है । और जो देश विज्ञान की परिसीमा बात करना ही कुछ हँसी सी लगती है और उसके में पहुँच गए हैं वहाँ पर हर तरह की सुविधाएं हो बाद उसके प्रेम की बात तो और भी हँसी की गई, खाने पीने को सबके पास व्यवस्थित हो गया, लगती है विशेष कर हिन्दुस्तान में जैसे मैने कहा समृद्धि आ गईं। लोग कहते हैं ये affuence आ था कि यहाँ के Scientist अभी उस हद तक नहीं गया है Country में affiuence हैं बहुत ज्यादा पैसा है। तो उनके बच्चे घर द्वार छोड़कर के घर से पहुँचे हैं जहाँ जाकर वो परमात्मा की बात सोचें। ये दुख की बात है लेकिन और विदेशों में भागे हुए हैं, सब सन्यासी जैसे घूम रहे हैं । कुछ तो Scientist वहाँ तक पहुँच गए हैं जहाँ पर हार कर हिन्दुस्तान भाग रहे हैं, कुछ नेपाल जा रहे हैं। वो कहते हैं कि इससे आगे न जाने क्या है! और वो कह रहे हैं ये सब छोड़ दो। ये माँ बाप ने हमारे ये भी कहते हैं कि ये सारा जो कुछ हम जान रहे पता नहीं क्या पत्थर ईटें इक्ट्टठी कर ली, हम इनके हैं ये Science के माध्यम में बैठ रहा है ये बात पीछे बैठने वाले नहीं। लेकिन वो छोड़कर भी आज सही है लेकिन ये कुछ भी नहीं है ये जहाँ से आ वो लोग हिप्पी हो गए हैं, चरस पी रहें हैं, गांजा पी रहा है वो एक अजीब सी चीज़ है जिसे हम समझ रहें हैं ! लेकिन इन सब बातों से परमात्मा की ही नहीं पाते। जैसे कि Chemistry के बड़े -बड़े सिद्धता नहीं होती ये तो सब तर्क-वितर्क से, से, इसको कहते हैं ।rationalize Scientist है वो कहते हैं कि ये Periodic Laws Intelligence जो बनाए गए हैं ये समझ ही में नहीं आते कि ये करने से कहीं आदमी जाकर पहुँचता है और कहता किस तरह से बनाए गए हैं। एक विचित्र तरह की है कि इससे परे कोई शक्ति जरूर है नहीं मैं यह रचना करके, इतनी सुन्दरता से, एक-एक अणु रेणू बात नहीं कहने वाली आपसे। मैं आपको तो साक्षात् को जिस तरह से रचा गया है, एक-एक अणु में की बात कहने वाली हूँActualization of the ex- एक ब्रह्माण्ड जिस तरह से समाया गया है, ये कुछ perience । वो अनेक वर्षों से , अपने योग शास्त्र समझ में नहीं आता! वे कहते हैं कि इनकी रचना आदि छोड़ दीजिए, विदेशो के भी बड़े-बड़े का कार्य तो हम कर ही नहीं सकते। रही बात ये मनोवैज्ञानिक और Philosophers, उन लोगों ने कि ये रचना कैसे हुई ये भी हम नहीं बता सकते। जो बात कही है कि इस जड़-स्थिति से उस सूक्ष्म ये पृथ्वी इतनी गति से रही है, ये कैसे स्थिति में कैसे उतारा जाए ? मन भी तो जड़ है, रही है और इस पर ये गुरुत्वाकर्षण किस तरह से विचार भी जड़ है। इस विचार के सहारे किस तरह घूम घूम नवम्बर - दिसम्बर, 2004 चैतन्य लहरी से उस निर्विचार, इस सीमित के सहारे किस तरह किसलिए हैं संसार में । जैसे कि कोई एक बन्द उस असीम में उतारा जाए ? इस finite से किस कमरे में अपने को पाते हैं और इधर-उधर टक्कर तरह उस infinite में उतारा जाए? ये जो आदिकाल मार रहें हैं। आप लोग भी प्रगति के मार्ग पर जा से मानव के सामने बहुत बड़ा प्रश्न रहा उसका रहें हैं, जिसे आप प्रगति कहते हैं, और आप भी आज मैं आपके सामने उत्तर लाई हूँ। वो उत्तर उसी रास्ते से गुज़र रहें हैं जिस रास्ते से वो गुजरे सिर्फ शब्दों में नहीं है, कृति में है ये आप को भी रहे हैं। अन्तर इतना है कि जिन चीजों का उनको हो सकता है, क्योंकि उसके होने का समय आ महत्व है उनका आपको उतना नहीं। लेकिन क्या गया है, उसका मौका आ गया है, कलियुग में ही आप भी उसी रास्ते से गुजरना चाहेंगे ? या गर ये होना है जब तक पूरी तरह से कलियुग कोई शार्टकट मिल जाए तो उस शार्टकट को परिपक्व नहीं हुआ था, मानव पूरी तरह से उस अपना लेंगे? आपको पता होना चाहिए कि ये भारत संतुलन में नहीं पहुँच गया था जहाँ उसे पहुँचना है भूमि एक योग भूमि है। अधिकतर अवतार इसी भूमि जब तक परमात्मा की कृति मानव मनुष्य, पूरी पर पैदा हुए हैं। एक बड़ी महान भूमि पर आप पैदा तरह से तैयार नहीं हो गया था ये कार्य होने वाला हुए हैं, यही आपका Choice, यही आपका चुनाव भी नहीं था। जिस प्रकार आप देख रहें हैं कि ये 1. बहुत बढ़िया है। हालांकि खाने पीने की थोड़ी माइक जब तक पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ तब बहुत तकलीफ है, थोड़े बहुत इन्सान ज़रा जरूरत तक mains में लगाया नहीं गया। कलियुग में ही से ज्यादा धूर्त हैं, तो भी इस देश के चैतन्य के जो कि दिखने में अत्यन्त घोर और दर्दनाक है, प्रांगण में आप आए हैं, यही एक बड़ा भारी चुनाव अत्यन्त भीषण और भयंकर सा नज़र आ रहा है, आपने किया है और आप नहीं जानते कि कितनी इसी कलियुग की आग में तपकर ही आप वो होने बड़ी आप पर परमात्मा की कृपा है! आज आपके वाले हैं जो आपको होना है। सिर्फ एक ही प्रश्न है, बच्चे आपके साथ बैठे हैं , आपके माँ बाप आपके एक ही आपके सामने विनती है कि आप स्वीकार्य साथ खड़े हैं, इसीलिए सहजयोग भी जो पनपा है किसे करते हैं आप किसका सत्कार करते हैं ? वो हिन्दुस्तान में , भारतवर्ष में ही पनपेगा पहले। आप किसे चाहते हैं ? क्या आप सत्य चाहते हैं या और इसीलिए भारतवर्ष भी सारे संसार का अगुआ असत्य चाहते हैं ? मनुष्य बेकल है आपसे कहीं होगा। अधिक उन देशों में जहाँ लोगों के पास खाने पीने अब परमात्मा का प्रेम है या नहीं , परमात्मा है या के बेतहाशा है, लोग पागल हो रहे हैं आफत मच नहीं, यह तर्क वितर्क की बात है ही नहीं। एक तो रही है। आपको पता नहीं है कि कितने दुखी वो इस देश में ऐसे महान लोग हो गए हैं जैसे आप लोग हैं जिनके पास खाने पीने के लिए आपसे आदिशंकराचार्य को ही ले लीजिए जिन्होंने पहले कहीं अधिक है! कितनी आत्महत्याएं वहाँ हो रही से ही चैतन्य लहरियोाँ आदि कितनी ही बातों पर हैं! आप लोगों को तो अब भी यह है कि पैसा हम लोगों को समझा रखा है। हमारे पास ऐसे कमाना है उनको तो वो कुछ करने का नहीं। तो अनेक ग्रंथ हैं जिसके अन्दर परमात्मा के स्वरूप के अब वो आगे क्या करेंगे? वो तो एकदम पागल हो बारे में ही अनेक चर्चाएं हैं. लेकिन उन पर विश्वास गए हैं, उनकी समझ में नहीं आता है कि हम आए क्यों किया जाए ? आखिर उसे क्यों मान लिया नवम्बर - दिसम्बर 2004 वैतन्य लहरी जाए क्योंकि आदिशंकराचार्य कह गए ? एक हटाया गया, मानो कि सागर से बूँद को अलग कर साहब बता रहे थे कल मुझे , कि ज्ञानेश्वर जैसे दिया गया । एक विशेष तरीके से किया गया, पण्डित आदमी को क्या बेवकूफी सूझी कि श्री इसके बारे में मैने अनेक बार बताया है कि किस गणेश की स्तुति करते हैं ! ज्ञानेश्वर जी को आप तरह कुण्डलिनी मनुष्य के अन्दर प्रवेश करती है पण्डित मानते है यही बड़ा आश्चर्य है! उनके और किस तरह से उसके अन्दर Ego और Super शब्दचातुर्य के लिए क्या आप उनको पण्डित मानते Ego. अहंकार और प्रतिअहंकार सिर में इकट्ठे हैं ? इन ग्रन्थों में जो चीजें लिखी गई हैं. वो उन होकर के और उसके सिर में एक तरह का पिंजरा लोगो ने लिखी है जो बहुत ऊँचे स्तर पर पैदा हुए. बना देते हैं जिसके कारण वो सर्वव्यापी परमात्मा के उनकी चेतना बड़ी ऊँची थी. उनके चक्षु कुछ और प्रकाश से अलग होकर के अपना व्यक्तित्व बनाता थे समझ लीजिए कि कोई बड़े ऊँचे ,दसवें मंजिल है। हम अलग हैं, आप अलग हैं, आप अलग हैं, पर पैदा हुए व्यक्ति और सर्व साधारण समाज, आप अलग हैं । एक उसकी एक विशेष तरह की बिल्कुल ही निम्न स्तर पर पहले स्तर पर पैदा हुआ, रचना मनुष्य के त्रिकोणाकार सर में है उसके दोनों के बीच में जोड़ने वाली कोई चीज ही नहीं अन्दर तीन शक्तियों का प्रवेश है, इन तीन शक्तियों ी सिवाए इसके कि नीचे का समाज उनको जब को हम शास्त्र के अनुसार महासरस्वती, महाकाली तक वे जीवित रहे उनको सताता रहा पूरी तरह से और महालक्ष्मी के नाम से जानते हैं लेकिन इन और जब मर गए तब उनके मन्दिर और ये और शक्तियों में से एक शक्ति सृजन करती है. जिसे वो बनाकर के और उनके नाम पर पैसा कमाता महासरस्वती कहते हैं, महाकाली हमारी स्थिति रहा। ये सीधा हिसाब है। क्योंकि वे भी प्रयत्न बनाती है जिसमे हम स्थित हैं और महालक्ष्मी की म शील रहे कि बात समझाएं, लेकिन कहीं तक पहुँच शक्ति से हम आज पत्थर से मानव हो गए है। नहीं पाए। जब तक इस स्तर के लोगों को थोड़ा हमारी उत्क्रान्ति हुई, हमारा Evolution हुआ एक सा ऊँचा न उठाया जाए, जब तक इनकी सीमित सोने में भी धर्म है, सोने का धर्म है, आप जानते हैं चेतना जो कि की चेतना है, ऊँची न उठाई कि वो कभी भी खराब नहीं होता, उसका पीलापन जाए, उनका भी कोई दोष नहीं है क्योंकि वो भी उसका धर्म नहीं लेकिन धर्म उसका है कि वो कभी कैसे समझ पाएंगे कि इससे भी ऊपर स्थित कोई भी खराब नहीं होता। ।t does not get tarnished I चीज़ है. कोई चेतना है। गर उनका विश्वास नहीं इसी तरह से मानव का भी धर्म है । ये धर्म बदलने है, उसमें भी उनका कोई दोष देने की बात नहीं , का काम महालक्ष्मी जी का है और श्री विष्णु का है गर उनका परमात्मा पर विश्वास नहीं, उसमे भी जो अन्त में विराट के रूप में प्रगटित होते हैं । अब मनुष्य को दोष देने की कोई बात नहीं। क्योंकि मानव में आपको आश्चर्य होगा, परमात्मा ने कितनी मानव बनाया ही ऐसा गया है, मानव की रचना ही सुन्दर व्यवस्था की है। आप इससे अज्ञात हैं, कुछ ऐसी हो गई है कि थोड़े समय के लिए वो परमात्मा डॉक्टर लोग तो जानते ही है लेकिन वो सिर्फ यही के प्रेम से वंचित किया गया, हटाया गया, जो कहते हैं we can not explain the mode of मनुष्य सर्वव्यापी प्रेम परमात्मा का है, जिजिसे सकता है, जिसमें चो रह सकता है उससे वो अलग वो जान action | मनुष्य के अन्दर परमात्मा ने बड़ी सुन्दर रचना उसके Brain से लेकर नीचे मज्जातन्तु तक पा तर चैतन्य लहरी दिसम्बर, 2004 नवम्बर एक office सा खोल दिया है। अब आप कहेंगे कि श्री गणेश कौन होते हैं ? श्री गणेश हैं या नहीं हम कैसे माने ? ठीक बात है, आपने श्री गणेश को creation. देखा नहीं, आपने उनको जाना नहीं, आपको नहीं श्री गणेश उनको इसलिए सबसे पहले बनाया मानना चाहिए। लेकिन कुछ ऐसी अजीब सी चीज गया क्योंकि सारा संसार पवित्रता से लिपट जाए। पण्डित हैं, मूल माने Root और आधार माने Support । Support of the root । Root of this उसके support हैं पर दैठे है कि जब तक आप अन्दर आते नहीं आप उसकी पवित्रता में और innocence में और भोलेपन में देख सकते नहीं, जब तक आप बाहर खड़े हैं डुबा रहे। बहुत से लोग ये भी कहते हैं कि माताजी उसको मानते नहीं। जैसे कि समझ लीजिए आप इतना भोला होना ठीक नहीं, आपको कोई Prac- बाहर खड़े हैं और आपने हमें देखा नहीं और आप tical Sense नहीं है। आपमे Practical Sense कहें कि माताजी को कैसे माने कि वे हैं। तो हम होना चाहिए। भगवान से बढ़कर कोई और अधिक कहेंगे कि आप अन्दर आइए तब आप देखिएगा। Practical है ही नहीं । आपमें जितनी भी अक्ल आप कहेंगे कि नहीं आप हमें बाहर ही लाकर आई है उसका स्ोत वही हैं।अन्तर इतना ही हैं कि दिखाइए। जब उनकी सत्ता अन्दर ही है तो वो सुबुद्धि का, wisdom का स्रोत हैं, मूर्खता का आपको ही तो अन्दर आना होगा न। जब तक आप नहीं । जिसको आप बहुत Practical बात कहते हैं अन्दर जाकर के देखिएगा नहीं तथ तक आपको ये चीज दिखाई नहीं देगी। तो सबसे पहले, सारी साबित हो जाते हैं, लेकिन वो उस वक्त आप सृष्टि बनाने से पहले, आदि कुण्डलिनी बनाने से पहले, सारा संसार वनाने से पहले, श्री गणेश जी की स्थापना की गई। आज मंगलवार का कितना शुभ दिन है ! ये स्वयं साक्षात् पवित्रता के पूर्ण हिल जाते ही सारी आपकी चारसौबीसी ऐसी उल्टी अवतार हैं। वे अपने अन्दर स्थित है. उनको देखने घूमती है कि सीधे आप नक में जाकर पहुँचते हैं। के लिए आपके पास चक्षु नहीं हैं। वो अपने अन्दर मूलाधार नाम के centre पर जहाँ कि Prostat बार, आप मुझसे इझूठ बोले, मैं तो माँ हूँ, माफ कर Gland surround करती है जिसे हम Pelvic होशियार Plexus के नाम से जानते हैं उसके अन्दर हरेक आदमी हैं। हैं तो बिल्कुल बच्चों जैसे Eternal इन्सान में प्रतिबिम्बित है जागृत नहीं है, चाहे सुप्त Childhood, Eternal Childhood के वो प्रतीक हैं। ही हों लेकिन वो बहाँ पर हैं। ये देवता ऐसे हैं कभी भी पूर्णतया सुप्त होते ही नहीं। जब तक मानव राक्षस न हो जाए , बिल्कुल ही राक्षस हो जाए तब एक छोटे बच्चे जैसे हो जाएं। विशेषकर Sex के तो वहाँ से लुप्त ही हो जाते हैं. नहीं तो हरेक वो महा-मूर्खता की बात है। अन्त में आप महामूर्ख महामूर्ख साबित होते हैं जबकि आप बापिस नहीं आ सकतें। आप अपने को बहुत अक्लमन्द समझ कर के संसार में चलते हैं एक गणेश जी की सूँड भगवान से चालाकी नहीं, चलती। एक बार, अनेक ही देती हूँ,लेकिन श्री गणेश वो बहुत इसका मतलब ये है कि जिस वक्त आप अपने उत्थान की बात सोंचे, परमात्मा की बात सोचे तब मामले में। गण्श जी का प्रतीक Pelvic Plexus में मानव के अन्दर श्री गणेश विराजते हैं। ये पहला आने का मतलब ही ये होता है कि Sex का और हमारे अन्दर का Centre है जिसे के मूलाधार चक्र परमात्मा का कोई भी सम्बन्ध होता ही नहीं । जो लोग आपको इस तरह की गलत उल्टी सीधी बातें कहा जाता है । मूलाधार । आप तो सब संस्कृत के दिसम्बर, 2004 चैतन्य लहरी नवम्बर 7. सिखा रहें हैं उनके चक्कर में आने की बिल्कुल हैं और वो कार्य सफलीभूत इसलिए नहीं हो रहा है जरूरत नहीं। ये सब राक्षसों के अवतार हैं सोलह राक्षसों ने संसार में जन्म लिया है और अपने को कि आप लोग भी इसमें अपनी weaknessess को अच्छे से संभाल सकते हैं। भगवान के नाम पर Sex महागुरु बन करके घूम रहे हैं। सब पैसे कमाने के हो तो और क्या चाहिए ? बहुत अच्छी बात है। धन्धे हैं उनके अपने अपने चक्कर हैं। इन चक्करों गांजा पी रहे हैं भगवान के नाम पर, क्या कहने! फॅसेंगे लेकिन अपना आखिरी हाथ, आखिरी confusion, इस तरह का गोल-माल, यही कलियुग दांव लगाना चाहते हैं, कि कितने महामूर्ख उनकी का नाम है। थोडी सी गलती जरूर हो गई बातों में फँसने वाले हैं। Sex का और परमात्मा का थी,आदिकाल में, कुछ लोगों ने मूलाधार चक्र में श्री कहीं भी, कहीं भी सम्बन्ध नहीं हैं। ये जताने के गणेश की सूंड को ही कुण्डलिनी समझा था, हो गई लिए श्री गणेश वहाँ पर बैठे हुए हैं, अपनी माँ की थी गलती उनसे । लेकिन उस गलती को कहाँ रक्षा करने के लिए जो अपने घर में आपके हरेक तक खींचा लोगों ने क्योंकि Pelvic Plexus का इन्सान के त्रिकोणाकार अस्थि ,जो कि रीढ़ की संबंध, Sex से है, उन्होंने का सम्बन्ध कुण्डलिनी से हड्डी के नीचे में है, उस घर के सामने बैठे हुए हैं, लगा दिया।उसी से तांत्रिक बन गए, मांत्रिक बन वो घर आपकी माँ का है। उसका नाम कुण्डलिनी गए। ये सब राक्षस हैं,मानव के अवतार नहीं है, ये है जो गौरी स्वरूप है। जो इन्सान गणेश जी की सारे के सारे राक्षस हैं, इनसे बचकर रहिए, अपने | में खुद वन्दना करता है वो इस बात को समझता है कि माँ बच्चों को बचाइए। दादर में भी ऐसे लोग हैं, मैं का स्थान कितना ऊँचा है और Sex से बिल्कुल जानती हूँ, मैने दादर में बहुत काम किया है। ये सम्बन्धित नहीं है हिन्दुस्तान का आदमी इस बात लोग पैसा लेते हैं दूसरों पर तंत्र विद्या करते हैं और को खूब समझता है और जो आदमी इस तरह की मंत्र विद्या करते हैं। वास्तविकता जब तक मनुष्य हरकत करता है उसे श्री गणेश इस तरह से अत्यन्त पवित्र न हो वो श्री गणेश के चरणों तक ताड़ना देते हैं कि ऐसे लोगों की जब कुण्डलिनी नहीं जा सकता। ये लोग गणेश को सामने रखते हैं उठती है तो सारे के सारे जल जाते हैं। कुण्डलिनी और गणेश की पूजा करते हैं, आपको आश्चर्य तो नहीं उठती उनकी, कुण्डलिनी क्या बेवकूफ है होगा, और भूतों को बुलाते हैं। ये किस तरह से ? उठने के लिए, लेकिन गणेश जी की जो heat चलती है, जो गर्मी चलती है वो सारे के सारे उन्हें इस तरह से छलना करता है और बार बार उसे जब अनाधिकार चेष्टा होती है, जब अपवित्र मनुष्य जला देती है। आदमी मेंढक जैसे कूदने लगता है, याद करता है तो गणेश स्वयं ही वहाँ सुप्त हो जाते चिल्लाने लगता है, कपड़े उतार देता है, चीखने हैं। ये लोग बहुत Sensitive हैं सब देवता जितने | लगता है। ये सब लक्षण अत्यन्त घृणित तरह के हैं, वो सुप्त होत ही साथ वहाँ सब राक्षस गण आ लोगों के होते हैं। ये लोग स्वंय भूत पिशाच हैं। जाते हैं और वो राक्षस-गण आकर के हूँ हूँ करते संसार में आकर के पाप फैला रहे हैं। जो पाप है हैं। कुछ चमत्कार भी दिखाते हैं ऊपर से अंगूठी वो पाप ही है और जो धर्म है वो धर्म है। दोनों का निकाल दी.कुछ पत्थर निकाल दिया, ये निकाल Mixture नहीं हो सकता। धर्म को अधर्म बनाना, दिया, वो दिखा दिया, वहाँ गणेश सो गए। गणेश को पाप बनाना, यही कार्य ये लोग कर रहे को सुला दिया, पहले उनको पूरी तरह अपनी पुण्य नदम्बर - दिसम्बर 2004 चैतन्य लहरी नास्तिकता से, अपनी गन्दी चीजों से, उनको पहले D.I.G साहब से कहने लगा ऐसे कैसे हो सकता सुप्तावस्था में डाल दिया। पूर्णतया सुप्तावस्था में है कि मेरे सारे माताजी कह रहे हैं कि तुम्हारी सारी डालकर के और वहाँ पर राक्षसों को बुला लिया गई विद्या। मैने तो 25 साल तपस्या की, मशान में और अपना कार्य वो पूरी तरह से कर दिया इस जाकर के। उन्होंने कहा, बोलो तुम्हारे मंत्र देखें तरह के तांत्रिक, मांत्रिको को भी पता होना चाहिए तुम्हारे कोई आते हैं? वो मंत्र बोलता गया आधा कि आप पैसा कमा लेंगे इस देश में , लेकिन आप घण्टा, कुछ नहीं हुआ। आकर पैरों पर लोट गया उसके पाप का नर्क का टिकट भी कटा रहें हैं और कहने लगा माँ वो सब खत्म हो गया! मैने कहा Permanently नर्क में जाकर के आप वहीं रहेंगे, कि जिसके कारण बो शक्ति तुम्हारे अन्दर थी वे ही वहाँ से लौटने वाले नहीं आप। इस पैसे से बचकर चले गए तो अब कहाँ से हो। अब वो जागृत हो गए रहिए। इसको साक्षात आपको चाहिए, मैं आपसे हैँ जो तुम्हारी शक्तियाँ हैं। जब उनके जागृत होते बताती हूँ कि इतना मनुष्य अधम भी हो जाए तो जैसे ही वो मनुष्य में जागृत हो जाते हैं तो ये सब भी परमात्मा कितने कृपालु हैं! मैं पूना में गई थी दुष्ट वृत्तियाँ गिर जाती हैं ये सारे ही दुष्ट जो वहाँ पर एक बहुत बड़े मांत्रिक थे और वो मेरे पास तुम्हारे सर में घूसे हुए थे, जो तुमसे काम ले रहे थे, आए वहाँ मैं D.I.G साहब के यहाँ ठहरी थी,D. I.G ये सारे ही के सारे नष्ट हो जाते हैं। इन देवताओं साहय ने कहा इन मात्रिक साहब मदद की है, बहुत से चोरों को पकड़वा दिया और जाते हैं। इसीलिए कहते हैं कि नर जैसे करनी करे, हमारी बहुत मदद की है आप जरा इसकी थोड़ी नर का नारायण होए। करनी का मतलब ये है कि मदद कीजिए, तो वो आकर के मेरे पैर पर बिलबिला जिस तरह से मनुष्य पार हो जाता है जब उसके कर रोने लगा कि माँ मुझे छुड़ाओ, ये मुझे खाए जा रहें हैं, तुम तो समझ रही हो मेरी बात। मैने कहा अन्दर हमेशा सन्तुलन लाते हैं अब Psycnology तुमने इन भूतो की क्यों मदद ली ? क्यों इन मे मैं इसे बताऊ क्योंकि Science वाले हमेशा राक्षसों की मदद लेकर के तुमने इतनी दुष्टता Psycnology पर जाते हैं। Science में जिसे करी ? कहने लगे मैंने कोई दुष्टता नहीं की, मैने ।V.E कहते हैं । V.E वही श्री गणेश हैं। वे कहते अच्छे काम किए। मैने कहा अच्छा हो या बुरा काम हैं कि अचेतन ऐसा है, Unconscious ऐसा है कि हो तुमने अनाधिकार चेष्टा क्यों की ? कहने लगा उसके अन्दर से स्वप्न में ही कुछ इस तरह के ने हमारी बहुत को जागृत करते ही आप स्वयं देवता स्वरूप हो अन्दर के देवता जागृत हो जाते हैं श्री गणेश हमारे अच्छा मुझे माफ कर दो। मैं एक बार तुमसे इतना प्रतीक Symbols आते हैं, उससे जान पड़ता है कि माँगता हूँ कि मुझे परम दे दो। मैने कहा तीन बार हमारे अन्दर कुछ सन्तुलन लाने की कोशिश की कहो कि मुझे परम दे दो, तब मैने परमात्मा से जा रही है। हमारे अन्दर कुछ Corection लाने प्रार्थना की फौरन वो पार हो गए। है! उनके प्रेम की कोई व्याख्या नहीं। हालांकि रहा। इस तरह के से, प्रायड ने तक, हालांकि जन्म भर उसने जड़ वस्तुओं की प्रार्थना की, अन्त वो भी एक राक्षस ही था, लेकिन फॉयड ने भी में उसने सिर्फ मुझसे कहा, परमात्मा उसके घर इधर इशारा किया लेकिन उनके अनेक शिष्यों ने, आए वो पार हो गए और जब बाहर गया तो आज जहाँ Science Psycnology कितना अजीब की कोशिश की जा रही है। हमें कुछ समझाया जा बहुत पहुँची है, चैतन्य लहरी दिसम्बर, 2004 नबम्बर पहुँची है उन लोगों ने सबने इस बात का निदान एक और तरह की चीज़ होती है जिसे पेंड कहते लगाया है और कहा है कि Unconscious जो है, हैं, बो दूसरी किसी जगह का था वो सारा वो खा जो अचेतन है वो कोई बड़ी भारी सोच समझ वाली गए। जो चूहे कभी नहीं खाते और गेहूँ उन्होंने छुए चीज़ हैं। वो हमे सही रास्ते पर लाते हैं, वो श्री नहीं गणेश Psyhologist अभी श्री गणेश तक नहीं कैसे हो सकता है ? Scientist इसको मानने को पहुँच पाए क्योंकि वे ये नहीं जानते कि श्री गणेश तैयार नहीं ये तो हो ही नहीं सकता, ऐसे कैसे हो जी तक पहुँचने के लिए पहले अपने जीवन को सकता है ? लेकिन साक्षात सामने है देख लीजिए। । पवित्र बनाना चाहिए। रात-दिन शराब पीने वाले ये बात अब ये एक Scientist आदमी श्री गणेश के पास कैसे पहुँचेंगे ? अपने उन्होंने मुझे बताया। राहुरी के Professor हैं जीवन को जिसने पवित्र नहीं बनाया है , जिसके चौहान, उन्होंने मुझे बताया कि माँ हम लोग दंग हो जीवन में संतुलन नहीं है, जो अपनी पत्नी छोड़कर गए देखकर । अब हम University में इस बात को और अनेक औरतों में रमता है, ऐसे महापापी लोगों कहते हैं तो हमारे Scientist कहते हैं कि नहीं के लिए क्या श्री गणेश जी दर्शन देंगे । जो कि इत्तफाक होगा उन्होंने कही कि भाई इत्तफाक , जैसे के तैसे रखे रहे । अब आप कहेंगे ये ही है वहाँ के स्वंय साक्षात् पवित्रता के अवतार हैं ? लेकिन ऐसे कैसे हो सकता है कि कोई चूहे ने पवित्रता के चमत्कार इतने हैं कि अभी मैं , एक नहीं! जब परमात्मा की बात हुई तो इत्तफाक हुआ University में, कृषि University में गई थी, राहुरी और Science की बात हुई तो में वहाँ के कुछ Professors हमारे शिष्य हैं, हुआ! क्योंकि परमात्मा को मानना मनुष्य के अहंकार उन्होंने मुझसे कहा कि माँ हमें ऐसा कुछ Viberated के लिए बड़ी कठिन बात है अहंकार ने इस तरह पानी दो जिससे हमारी उपज बढ़े। तो मैने कहा से सिर ढक दिया है, थोड़ा सा अहंकार जरा इधर ही छुआ Sure shot मैने ऐसे ही हाथ घुमाकर के उन्हें पानी खींच लीजिए तो बराबर बीचों बीच जगह हो जाती लो, दिया।कल ही वो आए थे बता रहे थे अपने -अपने है मेरे सहजयोग के लिए । इस अहंकार के बारे में किस्से । तो कहते हैं कि उस पानी से जिसे वो ये नहीं सोचना चाहते कि कैसे हो सकता हैं। उन्होंने ने कुएं में डाल दिया और उस कुएं के पानी कैंसर की बीमारी हमारे सहजयोग से आप जानते से जितना भी धान हुआ वो सौ गुना ज्यादा हुआ। हैं बहुत लोगों की ठीक हो गई दिल्ली में भी बहुत कहने लगे ये तो माँ हमे मालूम ही था कि सी कैंसर की बीमारी ठीक हो गई । यहाँ तक कि Viberations से होगा ही क्योंकि वो तो पहले भी वहाँ सरकार ने ये कहा कि हम जानना चाहते हैं हो चुका था, लेकिन सबसे आश्चर्य ये हुआ कि कि कैंसर की बीमारी किस तरह से सहजयोग से बहुत सा अनाज ढाई- ढाई सौ पोथियों का अनाज ठीक हो गई । तो मैने एक डॉक्टर साहब हमारे चूहे खा जाते थे, सड़ जाता था, विशेषकर चूहे शिष्य हैं उनको भेजा कि आप जाकर वहाँ बताइए । खा जाते थे। और जिस गोदाम में ये अनाज रखा वहाँ के Secretary ने हमें चिट्ठी लिखी कि ये गया , हमको आश्चर्य हुआ, कि उनमें छेद भी थे हमारी समझ में नहीं आ रहा है । एक आदमी का इन बोरों में लेकिन चूहों ने उसमें दाँत तक नहीं Colour Blindness है, मै लंदन में थी, उसकी मेरे लगाए! और उसी के पास एक पेंड रखा हुआ था, पास चिट्ठी आई और दूसरे दिन मैं ध्यान में गई 1 नवम्बर - दिसम्बर 2004 वैतन्य लहरी 10 और उसी दिन उसकी Colour Blindness ठीक रखेंगे कि हमने सारा Sympathetic Nervous हों गयी। वो सरकारी नौकर था, director था System को Control कर लिया है।अब उसकी नौकरी चली गई थीं। लेकिन उसकी आपके सामने में कह रही हूँ। यहाँ के जो डॉक्टर Colour Blindness पर किसी को विश्वास ही हैं अगर वो इसको accept नहीं करना चाहते हैं नहीं हो रहा था। अन्त में बड़ी मुश्किल से मैंने वहाँ तो ये आने दीजिए अमेरिका से, फिर क्या कहें। एक सेक्रेट्री साहब को चिट्टी लिखी कि उसका examination तो करवा लो। जब examination तो मैं इसे क्या कर सकती हैं। इस प्रकार अनेक हुआ तो वो लोग आश्चर्य में हो गए कि इसका बीमारियों सहजयोग से ठीक हो गई है। सहजयोग Colour Blindness कैसे ठीक हो गया! यहाँ भी से आपके अन्दर जो सात सेंटर हैं, आपके अन्दर ऐसे लोग बैठे हैं जिनका पुनर्जन्म हुआ है. बहुत से जो सुन्दर व्यवस्था परमात्मा ने की हुई है वो लोग है गवाही देंगे वो आपको सुन लीजिए आप जब हम सभी चीजे अमेरिका की ही लेना चाहते हैं कुण्डलिनी के प्रकाश से जागृत हो जाती है और ये उन लोगों से । तब उन्होंने खबर की कि आप देवता जागृत होकर के उसका पूरा संतुलन करते किसी डॉक्टर को भेजिए। हम चाहते हैं Medical है और शरीर का पूरा संचालन करते हैं और सारे College में इसका पता लगाएं। उन डोंक्टर शरीर में वो शवित्त प्रदान करते हैं जो ऊपर से साहब ने मुझको चिट्ठी लिखी कि पहले तो इन हमारी ओर पूरी बहती है। ऐसे ही समझ लीजिए Scientist से मेरी लड़ते- लड़ते हालत खराब हो कि गर हम मोटर का पेट्रोल खर्च कर रहें हैं और गई, उसमे फिर वो खत्म हो रहा हो तो हमें एक तरह का Ten- sion आ जाता है। पर गर आपके पास ऐसी कोई Emergency हो गई और इस वजह से वो बात स्थगित है। पर वो कहते हैं ये यहाँ पर होने वाला नहीं। मैंने सबसे कहा कि व्यवस्था हो कि पूरी समय आपके अन्दर पेट्रोल सहजयोग एक हिन्दुस्तान की देन हैं । कैँसर का मैने खोज लगा लिया है क्यों नहीं इसे देखते हो होने की कोई बात ही नहीं। इसी तरह की व्यवस्था ? कोई डॉक्टर देखने के लिए तैयार ही नहीं। अब देखिए आप कि अमेरिका में डोंक्टर लाजेवार करके बड़े अच्छे डॉक्टर हैं, वो मेरे शिष्य हैं और Parasym pathetic का पकड़ना बहुत मुश्किल है। भरता रहे तो थकने की कोई बात ही नहीं, खर्च हैं। हो जाती हैं । इसी को Parasympathetic Ner- vOus System कहते है। अब आपको ये भी सुनकर आश्चर्य होगा कि से सब कह रहें हैं डॉक्टर लोग कि उन्होंने एक दिन मुझसे कहा था कि माँ मुझे कोई विशेष ऐसा आशीर्वाद दो कि मैं सहजयोग को ही संसार में फैला सक। अभी London से आने के कुछ दिन पहले ही मेरे पास उनका फोन आया कि मैं सारे न्यूयार्क के जितने भी डॉक्टर हैं उनका उसको हम नहीं Control कर सकते दूसरा ये भी कहते हैं कि गर Psycosynthesis करना है. गर सब शरीर की जितनी भी ग्रंथियां हैं और मन, बुद्धि अहंकार आदि सबको गर एकत्रित करना है तो उसके लिए Parasympa- thetic से ही चढ़ना होगा। ये सब उन्होंने पूरा stage बना दिया है हमारे अन्दर में वो वही बता रहे हैं लेकिन हम गर कहें कि तुम कूद करके stage पर आ हैं जो हम कर रहे एक Association है उसका मैं Chairman हो गया हैं, और कह रहे हैं कि आप वहाँ आइए जाओं तो उसके लिए कोई भी बुद्धिमान तैयार नहीं क्योंकि सबकी हम Conference करा करके उसके बुद्धि. सामने हम कैंसर का और सब चीज का सामने (Recording is incomplete) तत्व की बात-1 गांधी भवन, दिल्ली विश्वविद्यालय परम पूज्य माता जी श्री निर्मला देवी का प्रवचन फरवरी-1981, दिल्ली विश्वविद्यालय के इस सुन्दर प्रांगण चाहे मन्दिर जायें, चाहे चर्च जायें, चाहे कुछ भी में अनेक बार आना हुआ। कोई न कोई नई बात करें। उनमें इस तरह की श्रेणियां हैं, उनमें से यहाँ कह दी जाती है और अनेक बार लोगों को तो पत्थरों से और चट्टानों से टकरा रहे हैं, जानते यहाँ कुछ जागृति भी दी और जागृति के बाद क्या हुए भी कि बेकार की चीज़ है, उसी से अपना सर करना चाहिए, ये भी अनेक बार मैंने समझाया। रगड़ रहे हैं। आप कितना भी सिर रगडें तो भी क्योंकि अंकुर का प्रादुर्भाव होना, अंकुर का जागृत चट्टान तो चट्टान है, चट्टान से आपका अंकुर कभी होना, ये तो हर एक के लिए मनोनीत है, लिखा प्रस्फुटित नहीं हो सकता। हुआ है और वो अगर उसमें से अंकुर निकलता है, तो वो उसका स्वाभाविक धर्म ही है, सहज है, धर्म को लेकर करता है उनसे धर्मान्धता में स्वैच्छिक (Spontaneous) है, वो तो होना ही घुसता चला जाता है। वो सोचता है कि बहुत ही हुआ। आपके अन्दर यदि यह अंकर है ही .तो ज्यादा Sacrifice (बलिदान) किया है, त्याग किया उसका अंकुरित होना तो कुछ विशेष चीज तो है. है, परमात्मा के लिए। ऐसे लोगों से आप कह भी नहीं। जब मनुष्य जितनी भी दकियानूसी बातें है मनुष्य दीजिये कि ऐसी चीज़ से फायदा नहीं, आप ऊर्वरा भूमि में आईये जहां आप पूरी तरह पनप जायें, पूरी तरह से शीतलता हो और पूरी तरह उसकी हिफाजत हम लोग हर वक्त देखते हैं, हर समय देखते हैं कि हजारों, करोड़ों बीज इस पृथ्वी माता के पेट में पनपते हैं, हर समय । कोई से भी बीज हो आपको देखा जाय और जहाँ आपको संजोया को आप बो दीजिये, वो अंकुरित हो ही जायेगा| वो जाय, ऐसी जगह आप आईये, तब आपका जो अपने प्रेम से, वो अंकुर को किस तरह जागृत प्रसाद है जोकि आप अंकुरित होना कहते हैं, तो वो करती है ? वो किस प्रकार करती है, कैसे करती हो सकता है। है, यह हम लोग नहीं जानते, क्योंकि यह उनका तो इस बात को मानने के लिए भी बहुत स्वभाव है। उस स्वभाव के अनुसार वो अंकुरित कम लोग तैयार हैं। बड़ा आश्चर्य है। मानव तो करना उनके लिए एक बहुत ही साधारण लीला सी मेरी समझ में नहीं आता। मानव जैसा जिद्दी प्राणी चीज़ है, कोई विशेष बात नहीं है । लेकिन जैसा कि संसार में नहीं है। कोई सा भी प्राणी मात्र इतना कहा गया है, ईसा मसीह ने कहा था, 'बहुत से जिद्दी और हठी नहीं है। और जब कि पूरी तरह बीज थे, कुछ बीज तो पत्थर पर पड़ गए और कुछ अज्ञान में हम हैं और जब कि हमारे ऊपर इतने बीज थे, वो पहाड़ी रास्ते पर पड़ गए और कोई आवरण हमने अपने दिमागी जमा-खर्च से लपेट बीज थे जो ऊर्वरा भूमि में पड़ गए लेकिन उनमें से रखे हैं, तो फिर हम सोचते हैं कि हमसे अकलमन्द कोई बीज ऐसे भी थे जो बहुत ही अच्छी ऐसी भूमि और कोई नहीं है तो फिर ऐसे लोगों का इलाज में पड़ गए, जहां वो पनप गए। वो उनके जमाने किया क्या जाये ? मेरी तो समझ में नहीं आता। की बात है जो दो हजार वर्ष पहले उन्होंने कही जैसे कि आप धर्मान्ध लोगों को देखते हैं। मैं अभी थी। उसका अर्थ यह है कि, बहुत से लोग जो एक मन्दिर में गई थी। पहली मर्तबा मन्दिर में गई साधक हैं, संसार में, जो परमात्मा को खोज रहे तो बहुत भीड़ और दूसरी मर्तबा गई, तो बहुत कम हैं, जो परमात्मा के नाम पर कुछ भी करते रहते हैं, लोग आये। मैंने पूछा कि भई क्या हो गया, क्यों जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 12 नहीं आये ? कहने लगे कि माताजी आप से सब लोग नाराज हो गए । मैंने पूछा किस बात पर ? रहे हैं? मेरी आज तक समझ में नहीं आया कि कहने लगे कि इसलिए नाराज़ हैं कि आपने कहा इन्सान को किसने समझाया ? आप जिस दिन का कि भगवान के नाम पर उपवास नहीं किया करो। उपवास कर रहे हैं जिस दिन Deity (देवता) का किसने बताया कि उपवास करने से भगवान मिलते दिन है, उस चक्र का दिन है उस रोज तो उत्सव हैं ? क्या सारे लोग जो उपवास कर रहे थे उनको होना चाहिए, आनन्द से उनको स्वीकार करना क्या भगवान मिलने वाला है ? उसको भगवान का चाहिए। जिस दिन गणेश जी का जन्म होयेगा, फिर आप किस सिलसिले में उपवास कर उस दिन आप उपवास करेंगे ? और ये भी एक नाम लगा देने से क्या फायदा है ? क्यों आप उपवास करते हैं ? आप जब सहजयोग में आयेंगे, छोटी सी बात लोग सुनने को तैयार नहीं हैं गणेश तो आपको आश्चर्य होगा कि जिस दिन का आप जी जिस दिन पैदा हुए उस दिन उपवास मत उपवास करते हैं उसी दिन के देवता आप से कीजिये। श्रीराम जिस दिन पैदा हुए उस रोज नाराज हो जाते हैं। जैसे कि आप गुरुवार का उपवास मत कीजिये, श्रीकृष्ण पैदा हुए, उस रोज़ उपवास करते हैं, जैसे कि उदाहरण के लिए किसी भी मत कीजिये, मेहरबानी से उस दिन उत्सव आदमी का पेट खराब है उससे पूछ लीजिये कि मनाईये अब इससे समझदारी की बात क्या हो क्या आप गुरुवार का उपवास करते हैं या आप सकती है, ज़रा बताईये ? लेकिन इस कदर दत्ता गुरु को मानते हैं ? आप देखियेगा कि उनका दकियानूसी पना अपने देश में इस कदर अन्धापन पेट खराब पाइयेगा या किसी भी गुरु को मानते है, इस मामले में कि हैं, उनका पेट खराब होगा लेकिन यदि मैं कहूँ स्त्रियाचार " कहते हैं कि इस तरह इससे हम लोग कि भई गुरुवार के दिन उपवास न करो, न सोमवार ढक गए हैं कि छोटी छोटी बात पर नाराज हो जाते के दिन करो, कोई भी दिन न करो क्योंकि ये सब हैं | दिन जो हैं, उनमें एक एक देवता के लिए रक्खे गए हैं और उस दिन वो Specially (विशेष रूप से) देशों) में बात यह है कि वहां के लोगों को बात जागृत होते हैं, तो उनको जागृत रखो बजाय समझायें तो उनको यह बात समझ में नहीं आयेगी इसके कि उनको नाराज़ करो। किसी को नाराज़ क्योंकि वो विवाद से जूझ रहे हैं या आपसे बहस करना हो तब आप उपवास करते हैं न, या कोई करेंगे। उसकी वजह है, वो भयंकर अहंकारी हैं । सूतक हो ? जब कोई आदमी आपसे नाराज़ हो उनमें इतना अहंकार ज़बरदस्त है कि अगर कोई जायेगा तो वो आपके घर में बैठा होगा तो परसे आदमी उनके ऊपर ऐसा जाल चलाये जिससे वो थाल से उठ जायेगा या अगर आप उसको खाने पूरी तरह mesmerise (मेसमेराइज़) हो जायें या पर बुलायेंगे तो कहेगा कि साहब मैं तो खाने के मन्त्रमुग्ध हो जायें या कोई न कोई बेवकूफी की लिए नहीं आऊँगा, मैं आपसे बहुत नाराज हूँ। बात उन्हें सुझा दें, जैसे कहे कि हम आपको उड़ना मतलब, हम लोग नाराजगी जाहिर तब करते हैं, सिखायेंगे हवा में, अपने हाथ ऐसे रखें और हवा में या उपवास कि जब हम किसी तरह उनको दिखा उड़ने लग जायेंगे तो लोग उनको तीन हजार पौंड दें कि हम नहीं खायेंगे यानि रोटी बन्द करना। ब्रह्यणाचार और है। Western Countries (yfa अब | (23,000) देने को तैयार हो जायेंगे। ऐसी कोई जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 13 बारीक बेवकूफी की बात उनको सिखाई जाये तो बड़े लोग खुश हो जायेंगे मतलब यह है कि उन ही बुरी तरह फैली हुई है वो ये है कि धर्म हमारे लोगों को कोई न कोई बेवकूफी की तरफ बढ़ाने के यहाँ बिकता रहता है, सुबह से शाम तक। आप लिए गति उनके अन्दर है लेकिन जब कभी समझाया गंगाजी पर जाईये जितनी श्रद्धा हो उतने पानी में जाये कि भई यह अक्ल की बात करनी चाहिए, उनको उतारिये आप मन्दिर में जाईये, जितनी बस एक छोटी सी बात पर नाराज़ हो जायेंगे। अंब दूसरी बात अपने देश में है जो बहुत श्रद्धा हो उतना रुपया दीजिये। यहां भगवान के मैं यहाँ लोगों को खुश करने तो आई नाम पर हर एक चीज़ बेची जाती है। मैंने सुना है नहीं हूँ क्योंकि किसी को खुश करने की कोई बात भगवान का तिलक बेचा जाता है। कोई चंबर घुमाने नहीं है न ही नाराज करने की बात है न तो वाले हैं, अगर वह 5 लाख रुपया दें तो वो चैवर दें नाराज करने आई हूँ न खुश करने, मैं तो इसलिएघुमा । इस तरह की इतने पागलपन की बातें हम आई हैं कि आपकी अपनी जो शक्ति है, जो आपके लोग परमात्मा के नाम पर करते चले आ रहे हैं. अन्दर आपका अपना आत्मा बसा हुआ है, उसे मैं उनकी तरफ मद्देनजर करना चाहिए, देखना चाहिए देख पा रही हूँ उससे आपका मिलन करा दूं । कि क्या कर रहे हैं, किस चीज से हम जूुझ रहे उसमें जो कुछ आपने अडचने डाल रखी हैं अपनी हैं| यह तो अहंकार की पुष्टि के लिए मनुष्य करता अक्ल से या आपकी अपनी समझ से। कोई मैं है, कि मैंने इतना रुपया दे दिया और मुझे चँवर आपको बेवकूफ नहीं कह रहीं। लेकिन अगर कोई घुमाने के लिए उस पर खड़ा कर दिया और मैं गलतियाँ हो गई हैं तो उस चीज को आपको ठीक चैवर घुमा रहा हूँ और बड़े अपने को अक्लमन्द समझे चले जा रहे हैं। यह एक अजीब बेवकूफी है कर लेना चाहिए। जैसे कि आप हिन्दुस्तान में पैदा हुए या नहीं आप बताईये ? क्या ये पांच लाख खर्च है ठीक है। हिन्दुस्तान की अपनी कुछ है, चली करने से क्या परमात्मा आपसे संतोष करेंगे ? हुई गलत परम्परायें हैं। सही भी बहुत हैं, गलत भी उनको रुपया-पैसों की जरूरत नहीं है। परमात्मा बहुत हैं और उनमें से जो गलत परम्परायें हैं को रुपयों पैसों की जरूरत नहीं हैं वो कोई गरीब उनको हमने ज्यादा जकड़ लिया है बनिस्बत आदमी नहीं हैं, गरीब इन्सान नहीं है सारी सृष्टि उनके जो कि सही परम्परायें है। अगर कोई साहब उनकी अपनी है। उनको रुपये-पैसों से मतलब कहें कि आप हिन्दुस्तान में पैदा नहीं होते और क्या ? उनको तो मालूम ही नहीं कि रुपया पैसा आप लंदन में पैदा होते तो आपकी परम्परा अलग क्या होता है। उनको तो जन्म लेना पड़ता है हो जाती। आप तो पहली बात इन्सान हैं। इस सीखने के लिए कि रुपया चीज़ क्या होता है। कोई बात को अगर मनुष्य समझ ले कि मैं एक आसान चीज़ थोड़ी है मनुष्यों का पागलपन बीज-स्वरुप हूँ और बीज होने के स्वरूप मुझे सीखना ! बहुत ही मुश्किल काम है इतने पागल अंकुरित होना है यही मेरा परम् कर्तव्य है और होते हैं मनुष्य कि उनकी बातों को सीखने के लिए कोई मेरा कर्तव्य नहीं है, और कोई चीज़ मेरे परमात्मा को बहुत मेहनत करनी पडती है। कोई लिए महत्वपूर्ण नहीं है बनिस्वत इसके कि मैं सीधा-सरल काम नहीं है जैसे कि कोई मनुष्य अंकुरित हो जाऊँ । धर्म में खड़ा है, उसको यह समझ में ही नहीं आता जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 14 कि यह बातें पाप-पुण्य की लोग क्यों करते हैं । जो भोले होते है, जिनको पता है ही नहीं ये चीज यह नहीं करो चो नहीं करो, ऐसा नहीं करना क्या है, मतलब ये कि बहुत मुश्किल हो जाती है चाहिए, अरे भाई यह करता कौन है? जैसे हमारी Grand Daughter (धेवती) है, वो पार है, पैदाइश से। हमसे कहने लगी, 'हमारे में ही नहीं आता कि इनको समझाये कैसे ? और स्कूल में बहुत stupid subject (बेहूदा विषय) है, कोई आप बात समझाईए तो वो नाराज हो जाते हैं । नानी। मैंने कहा, 'कॉन सा ?" कहने लगी यहाँ पर क्या कोई election (चुनाव) है कि आपके 'Moral Science (नैतिक विज्ञान) बड़ा ही stupid कोई पीछे है या कोई हार-जीत है ? आप अगर subject है तो मैंने कहा, क्यों ?" कहने लगी जहर खाते हो तो भाई खाओं नहीं तो नाराज हो "मालूम है, उसमें क्या सिखाते हैं ? झूठ मत बोलो, जाओगे, ऐसा तो नहीं न कोई बोलने वाला। चोरी मत करो। हम कोई नौकर हैं, जो हमको ऐसा सिखा रहे हैं ? गंदी गंदी बातें सिखाते रहते हैं। के अन्दर कि हम इस संसार में आए.क्यों हैं. पहला ऐसी कोई सिखाने की बात होती है कि झूठ मत सवाल ? क्या हम इसलिए आए हैं कि आकर बोलो। वो कहने लगी कि मुझसे कहा कि दस मन्दिरों में लोगों को पैसा चढ़ाएं ? या इसलिए आए sentence लिखो share करने पर । तो कहने हैं कि धर्मान्धता करके उसके नाम पर लड़ते रहें ? लगी ,क्या share करे ' मैंने कहा कि उनका या इसलिए आए हैं कि परमात्मा को गालियां बकते मतलब है, कि उन्होंने कहा होगा कि तुम ऐसा करो रहें और कहते रहें कि परमात्मा है ही नहीं ? हम कि खाना share करो। तो कहने लगी 'खाना तो आए किसलिए हैं संसार में, पहला प्रश्न अपने आप हम share करके ही खाते हैं या इकट्टा साथ ही से पूछना चाहिए कि क्या हम अमीबा (Amoeba) खाते हैं। उनकी यही समझ में नहीं आता यह से इन्सान बनाये गए तो किस वजह से ? बच्चे जो पार बच्चे हैं कि गलत काम करना ही मनुष्य के बारे में सीखने के लिए | मनुष्य इतना पागलपन करते हैं कुछ समझ एक सूझ - बूझ की बात होनी चाहिए मनुष्य इसका जवाब कोई scientist (वैज्ञानिक) नहीं दे सकता क्योंकि उनसे परे की बात है। कोई काहे को ? गलत रास्ते पर जाते ही क्यों हो ? जब हम जाते ही नहीं तो हमें बताते ही क्यों हो ? scientist नहीं बता सकता कि आपको इन्सान एक किस्सा है कि एक पादरी साहब क्यों बनाया गया ? यह सब मानते हैं कि हम एक गाँव में में गए, जहां बेचारे देहात के लोग बहुत Amoeba (अमीबा) से. एक छोटे से अमीबा से सीधे सादे थे। उन्होंने उनको काफी कुछ सिखाया । मेहनत करके आपको बनाया गया-ये Special यह हुआ तो हुआ, जब जाने लगे तो उनका (विशेष) चीज़ जो इन्सान है, है बड़ा मजेदार। Farewell (विदाई-समारोह) हो गया। उसमें लेकिन कभी कभी सोचती हैं कि इनके सींग नहीं बेचारे देहाती लोगों ने कहा, कि पादरी साहब हम हैं, दुम नहीं है, ऐसे तो ठीक है लेकिन इतने ज्यादा आपके बहुत शुक्रगुजार हैं, बड़ा धन्यावाद है क्योंकि हटी क्यों हैं? यह मेरी समझ में नहीं आया। इतनी हठ तो कभी- कभी बैल या घोड़ा कभी-कभी आपने हमें सिखाया कि पाप चीज़ क्या होती है, क्षणिक करते हैं। यह तो Permanently (स्थाई धन्यवाद। तो जो निष्पाप होते हैं, रूप से) हठी लोग बैठे हुए हैं और इनसे हमको तो मालूम ही नहीं था कि पाप क्या है ? बहुत बहुत फरवरी 2005 चैतन्य लहरी जनवरी - 1६ जूझते-जूझते मेरी समझ में नहीं आता कि इनको (कनेक्ट) किया तो इसका क्या करियेगा ? अचार पार करा कर भी क्या होगा? अब आप पूछ सकते डालियेगा? अधिकतर इन्सान इसी हालत में है हैं। आपसे पंतजी बतायेंगे कि न जाने कितने लोगों कि उनका अचार डालिये किसी काम के नहीं, को हमने यहां पार किया, उनको Vibrations आने एकदम बेकार लोग हैं। बिल्कुल बेकार हैं परमाल्मा लग गए, पार भी हो गए, कुण्डलिनी के बारे में के लिए। वे अपनी दृष्टि से अपने को तो बड़ा उनको बताया; कैसे कुण्डलिनी जागती है, उन्होंने अफलातून समझते हैं उन्हें सब सैलूट (salute) यहाँ तक देखा कि हमारे सामने जब लोग आते हैं करें, ये करें, वो करें पर वो बिल्कुल बेकार हैं। तो उनकी कुण्डलिनी उठती है, उसका स्पंदन होता है । Triangular Bone (त्रिकोणाकार हड्डी) (यन्त्र) तो बनिये, जिसके लिए आप संसार में आए में कुण्डलिनी है, ऊपर चढ़ती है और ब्रह्मरंध्र को हैं और इसलिए आप विश्व में बने हैं उनके आप छेदती है। यह सब उन्होंने देखा है और हुआ और instrument बने, उन्हें समझें, गहनता ग्रहण करें उसके बाद Vibrations आये और ये सब कुछ और उनके साम्राज्य में आप जायें। लेकिन अगर असल में आप परमात्मा के instruments करने के बाद, बावजूद इसके कि हर तरह का उन्हें अनुभव हो चुका, उसके बाद साहब पफिर वो घर में मेरा फोटो ले गए और आरती-वारती करके और परमात्मा ने अपना साम्राज्य फैला रखा है कि आप आईये आपके लिए सुस्वागत् रखा हुआ है, सब इन्तजामात हैं आपके लिए कि आप कुण्डलिनी के फिर एक साल बाद बता दिया कि माता जी हमारे सहारे आप अन्दर आईए लेकिन आप जो हैं, हढ से Vibrations अब गायब हो गए| और क्या होगा? दरवाजे पर खड़े हैं कि नहीं साहब हम तो उसका पूरा इन्तजाम आपने कर लिया। जब कि आयेंगे ही नहीं । क्यों साहब चौखट से ही हमको आपके अन्दर कोई बीज पनपा है, तो उस को आप प्यार है तो हम क्या करे? इस प्रकार मनुष्य के किस तरह रखेंगे ? उस वक्त आप अगर उसको अन्दर इतना अज्ञान है, इतना ज्यादा अज्ञान है कि उठाकर फैक दीजिएगा तो बो गल जाएगा, खत्म कभी कभी मुझे लगता है कि दी हुई चीज़ का जो हो जाएगा। सीधा हिसाब है। प्रकाश है उसे वह देख नहीं पाएगा और समझ नहीं ना इस बात को लोग समझते नहीं हैं कि कितना बहुमूल्य हमें यह माँ ने दिया हैं । मेरे लिए पाएगा। अब यहां पर न जाने कितने सालों से तो इतना बहुमूल्य नहीं होगा शायद क्योंकि मुझे हम आ रहें हैं । कितने ही लोग पार हो रहे हैं कोई इसमें ऐसी विशेष बात नहीं लगती। लेकिन लेकिन गति जो है यहां सहजयोग की वह बहुत आपके लिए मूल्यवान ज़रूर है। क्योंकि अगर धीमी है, विशेष कर विश्वविद्यालय में क्योंकि विश्व आपको ये न मिले तो आप करियेगा क्या ? है का विद्यालय है न ! मुझे तो हॅँसी इस पर आती कि जहाँ मुझे उम्मीद भी नहीं होती, जहाँ मैं सोचती भी नहीं कि इतना काम पनप जाएगा वहाँ तो बहुत आसानी से हो जाता है और लेकिन जो ज़रूरत से ज्यादा अक्लमन्द होते हैं- जैसे कबीर दास जी ने कहा है कि 'पढ़ि पढ़ि पंडित मूरख भए' और हमारी आप लोगों को क्या होने वाला है ? इसके बगैर आप लोगों का चलेगा कैसे ? पाने का तो यही है समझ लीजिये आपने microphone यह बनाया है और इसको ऐसा ही रखा, इसे mains से नहीं connect जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 16 कि जो अति अक्लमन्द कि हमारे दो हाथ है, हाँ हमारे दो हाथ हैं और फिर बनते हैं उनके पैर जो हैं रास्ते में घूमा करते हैं वो कह दिया कि इस हाथ के अन्दर पांच उगलियाँ हैं. ठीक हैं. हैं पाँच उंगलियाँ। ये हमने देख लिया और इसलिये पहले यह सोचना है कि हम फिर Science से आप ज्यादा से ज्यादा यह बता क्या है ? । देंगे कि यह किस चीज का बना है इसको और बाकी? बाकी कृुछ भी नहीं, बाकी सब बेकार। खोज-खाज के खोज-खाज के ही इन चीजों का और इस आत्मा का जो प्रकाश है, जो ब्रह्म तत्व है पता लगा सकते हैं। बता सकते हैं कि इसके अन्दर क्या है उसके अन्दर क्या है वगैरा वरगैरा। लेकिन जो शीतल होते हैं ये ही आपका कार्य है और कुछ क्यों है और कैसे है इसका जबाव नहीं है। जैसे नहीं, बाकी सब मिथ्या है। शरीर तो आप जानते हैं हमारे अन्दर श्री गणेश हैं, और श्री गणेश की शक्ति आप रोज ही देखते हमारे अन्दर है। यह जो आपको पहला चक्र हैं। इधर से मैं आ रही थी तो मैंने देखा कितने ही दिखाई दे रहा है, मूलाधार चक्र पर ही श्री गणेश बड़े बड़े लोग जो आये . अब नहीं हैं। फिर आप हैं अच्छा हम यह बात कर रहे हैं कि श्री गणेश यह भी जानते हैं, अहकार मिथ्या है। बड़े बड़े लोग हमारे मूलाधार चक्र पर विराजमान है। अब आप मराठी में कहा जाता है.. कुछ नहीं होती। ऐसा कुछ हाल हो जाता है। आप आत्मा हैं। आप सि्फ आत्मा हैं जिसे कि हम Vibrations के नाम से जानते हैं, मिथ्या है। शरीर मिथ्या है Position (ओहदों) में बैठते हैं जैसे ही उनकी कुर्सी खिसक गई, उनको पताल दिखाई देने लग कोई दे सकता है कि हमारे अन्दर श्री गणेश की गया। मन भी जो है, वो भी मिथ्या है आप किसी शक्ति कहाँ है ? इसका आप कोई भी Proof दे दें, के पीछे बहुत मनःपूर्वक काम करते है मनः पूर्वक कोई भी नहीं दे सकता। क्या वजह है ? इसका ये करते हैं, मनःपूर्वक वो करते हैं और आप को जबाव आप इस अल्प बुद्धि से नहीं दे सकते बुद्धि कुछ हो जाता है, कोई आपको पूछने वाला नहीं रह जाता है। बुद्धि भी मिथ्या है क्योंकि बुद्धि से जो Unlimited (असीम ) की बात कर रही हैं। जानते हैं, आप उसी को contradict (विरोध) करने लग जाते हैं। बुद्धि की पहुँच ही कहाँ तक जायेंगे, जब तक आप असीम में नहीं उतरेंगे, आप है, जो सामने दिखाई देता है। जैसे कि ज्यादा से इस चीज का जबाव नहीं दे सकते हैं कि माँ आप ज्यादा बुद्धि से आपने Science (विज्ञान) खोजा। सच कह रही हो या झूठ कह रही हो। अब मैं आप और Science ने यह बता दिया कि पृथ्वी के से एक-दो सवाल पूछँ कि ये बताइये कि पक्षी आते अन्दर Gravity (गुरुत्व) नाम की शक्ति है। वो तो हैं, साईबेरिया से आते हैं, हमारे यहां मध्य-प्रदेश जाहिर है उसमें कौन सी बताने की बात है। वो तो में जगदलपुर में आप पाइयेगा साईबेरिया के पक्षी, किताबों में हैं. सब कुछ है। और जो कुछ भी आप सीधे । और हर बार वही पक्षी वहाँ चले आते हैं। पता लगा रहे हैं, उसके अन्दर है वो सब कुछ। बो कंसे आते हैं ? इसका जबाव दे सकते हैं। लेकिन वो आई कैसे वहाँ? वो है क्या चीज ? वो उनके अन्दर कौन सी शक्ति है जिसकी वजह से वो शक्ति क्या है, जो पृथ्वी के अन्दर समाई है ? बराबर साईबेरिया से उड़कर वहाँ चले आते हैं ? इसका तो उत्तर आपने दिया नहीं। बस कह दिया वही गणेश शक्ति। और वही गणेश शक्ति पृथ्वी के इसका Proof (प्रमाण) दे सकते हैं science से ? जो है हमेशा ही Limited (सीमित) है। मैं अब Unlimited में जब तक आप नहीं 1 चैतन्य लहरी फरवरी, 2005 जनवरी 17 अन्दर गुरुत्वाकर्षण शक्ति है जिसे कि आप कहते कोई भी बाहर का चीज़ आए तो आपका शरीर हैं Gravity और जो इन्सान के अन्दर gravity है, उसको फैंक देता है पर जब माँ के पेट में बच्चा जब वह खराब हो जाती है, उसका वज़न खराब हो जाता है, उसकी जब gravity खराब हो जाती जाता बल्कि उसको संजोया जाता है, सम्भाला है, जब उसका Self-esteem ( जाता है, तब तक जब तक वह उस दशा में न जब वो Frivolous (कमज़ोर) हो जाता है, जब पहुँच जाये और जब वह उस दशा में पहुँच जाता उस की आँखें इधर-उधर दौड़ने लग जाती हैं, है तो उसको बराबर बाहर निकाला जाता है करीने उसका मन खराब हो जाता है और उसका चित्त से। ये काम कौन करता है ? आप तो नहीं क्या बिखर जाता है तब उसकी gravity खत्म हो जाती आप सम्भालते हैं इसे ? आप ही क्यों पैदा हुए है। जब वह gravity खत्म हो जाती है तो क्या हो हैं ? आपके अन्दर जो कुछ सूरत-शक्ल है वो भी रहता है, foetus होता है तो वह फैंका तो नहीं (आत्म-सम्मान) जाता है ? आपका गणेश चक्र पकड़ जाता है। श्री गणेश शक्ति की देन है। अब जब आप अज्ञान और जब ये गणेश चक्र पकड़ जाता है तो आपका में बैठे हुए हैं तो आप इस गणेश शक्ति को नष्ट कर innocence जो है, वो खत्म हो जाता है। आप रहे हैं। सुबह से शाम तक आप इस शक्ति को नष्ट चालाक हो जाते हैं। अब, चालाकी से बढ़कर कर रहे हैं और इसको आप जितना नष्ट करते महाबेवकूफी संसार में कोई नहीं है। जो महाबेवकूफ जायेंगे-जहाँ जहाँ से गणेश शक्ति नष्ट हो गई, होता है, वही चालाकी करता है और अकलमन्द वहाँ वहाँ बच्चे पैदा नहीं होंगे। अब आप जर्मनी में जो होते हैं कभी नहीं। क्योंकि चालाकी से आप पा जाइये, इंग्लैण्ड में जाइये - सब Minus भी क्या सकते हैं। चालाकी से आप अपने Population ही है अभी तो वह कह रहे हैं कि innocence को तो पा नहीं सकते जो आपकी Emigration (स्थाानान्तरण) नहीं हो गा गणेश शक्ति जो आपके अन्दर Present है, बसी Emigration उन्हें करना पड़ेंगा क्योंकि सब बुड़्ढ़े है। इस गणेश शक्ति से ही आप पैदा हुए हैं। हो जायेंगे 90 साल के, बच्चे कोई होंगे नहीं तो आपके अन्दर समझ लीजिये कि आपके तन की होगा क्या ? जहां ये गणेश शक्ति नष्ट होती जाती शक्ल है। आपकी बीवी की दूसरी तरह की शक्ल है स्त्री में, विशेष कर पुरुष में भी, वहां पर बच्चे पैदा है, और आपका जो बच्चा होगा, वो दोनों की शक्ल नहीं होते क्योंकि गणेश शक्ति से ही संसार में... से किस तरह मिलकर बनता है। ये कैसे बनता और ये गणेश शक्ति हमारे अन्दर इस Centre है ? कोई Scientist बनाकर दिखाये । कोई (चक्र) में बैठी हुई है। और इस Centre के बारे में Scientist अगर जमीन से पत्थर उठाकर के उसमें कहीं science में लिखा नहीं। अब लोग मुझसे भी से बच्चा पैदा करके दिखाये। या छोड़िये फूल कहते हैं कि माँ आप जो कह रही हैं, वो किसी निकाल कर दिखाये । या छोड़िये कुछ चीज किताब में नहीं लिखा । अरे भई जो किताब में बनाकर दिखाये। तो किस चीज़ का इतना अहंकार है मनुष्य लोग पहले से ही लिख देते तो आप किस दिन के को ? ये कहा जाता है कि कोई भी अपने अन्दर लिए आए हैं ? कुछ बात बताने के लिए भी रखनी शरीर के अन्दर कोई सी भी Foreign चीज़ आए, पड़ती है। और पहले बताने से भी फायदा क्या ? लिखा है वो तो उद्धृत है ही और अगर सब बातें जनवरी फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 18 उससे तो नुकसान ही होगा जो चीज़ पहले बताई और दूसरी हद यह है कि शराब नहीं पीने का है, गई, उससे बड़ा नुकसान हो गया लोगों को। अब तो ये हद हो गई, दूसरी हद हो गई कि शराब जो जैसे पहले बताया गया था कि भई शराब मत पियो पीयेगा उसके हाथ काट डालो, पैर काट दो, सर क्योंकि वह चेतना के विरोध में पड़ती है। अगर काट डालो। ये भी कोई नमूना है ? एक तो आपने शराब पीना शुरु कर दिया तो आपका जो extreme (अति) यह है कि शराब पीना क्या है. है नाभि चक्र खराब हो जायेगा सीधा हिसाब। क्योंकि आपकी चेतना जो है- जिस चेतना मतलब तो बहुत बड़ी चीज़ हो गई। शराब क्या है, से उसके ऊपर गजलें हों फसाना हो गया ,ठिकाना आपको परमात्मा को खोजना है वो आपकी दब हो गया, सब चलता है। और दूसरी हद ये कि जब जाती है। वो आपके नाभि चक्र में जो चेतना है, पहुँचे कि आपने शराब पी तो गर्दन आपकी कट जिससे आप भगवान को खोजते हैं, जिससे आप गई भई एक बार किसी ने शराब पी, ठीक है एक हूँ evolve (उत्कृत) हुए हैं जिससे आप अमीबा से बार पी तो उसका नशा तो उतार सकती हैूँ लेकिन इस stage (स्तर) में आए हैं आपका evolution गर्दन निकाल दी तो उसका क्या करूं ? Out of (उत्क्रांति) रुक जाती है अगर आपने शराब पीना proportion जा रहे हैं अब इसी तरह अनेक चक्र शुरु कर दिया । सीधा हिसाब । आप evolve नहीं अपने अन्दर इस तरह से हैं, जिनके बारे में होते, आप पार नहीं हो सकते। इसीलिए कहा कि बतायेंगे। मेरे ख्याल से हम किसी भी चक्र के बारे शराब मत पियो। अब अगर किसी से कहो कि में खास जानते नहीं। अगर जानते होते तो हम शराब मत पियो तो उसकी हद इतनी कर डाली लोग उसके साथ ऐसे खेल-खिलवाड़ नहीं करते। उन्होंने। एक हद तो ये हो गई कि कहा कि शराब मत पियो तो भगवान के ऊपर में उमर खयूयाम महत्वपूर्ण है जो कि दिल्ली शहर के अन्दर बहुत ही साहब हो गए, अपने बच्चन जी हैं, बड़े भारी कवि ज्यादा पकड़ रहा है, नई दिल्ली में ज्यादा Old घूमते हैं। उन लोगों ने निकाला कि भई क्या रखा खुलकर तीसरा चक्र हमारे अन्दर जो है बहुत Delhi में कम-स्वाधिष्ठान चक्र। स्वाधिष्ठान चक्र (इसमें) बुरा ? What's wrong? What's wrong? वो चक्र है जिससे हम सोचते हैं। जब हम सोचने Nothing is wrong. If you want to become stones- तो क्या है ? There is nothing ज्यादा चलता है और इसके अन्दर एक शक्ति लग जाते हैं बहुत ज्यादा , तो यह चक्र बहुत wrong. (बुरा क्या है ? बुरा क्या ? बुरा कुछ नहीं होती है जिससे हमारे पेट का जो मेद है, जो Fat है । अगर आप पत्थर बनना चाहें- इसमें कुछ बुरा नहीं।) आप जाकर कुछ भी खाइये, brain (मस्तिष्क) के लिए । अब सोचने की लोगों पीजिये,हर्ज क्या है ? wrong कुछ नहीं है। Right को इतनी बीमारी है, कभी कभी मेरी समझ ही नहीं (अच्छा) wrong और (बुरा) की तो बात क्या है, आता कि सोचने की जरूरत क्या है। जैसे समझ आपकी तो evolution की शक्ति खत्म हो गई। सीधा हिसाब। लेकिन एक हद तो यह हो गई कि भई उठाओ झोला, जाओ बाजार। देखो क्या सब्जी भगवान के नाम पर पचासों गालियाँ, और सारे है, लेकर आ जाओ। सबसे पहले घर में discus- जितने साधु-सन्त हैं उनके नाम पर गालियाँ । sion शुरु हो रहा है कि आज भिंडी बनायें या तो क्या है cells हैं उनको हम Convert (बदलते) करते हैं, लीजिए कि अब किसी आदमी को बाजार जाना है । जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 19 लौकी बनायें। बाजार गए तो दोनों सब्जियां की| क्या Basic Problem है हमारी ? क्या Basic नहीं। पहले एक घन्टा वहाँ discussion (बहस) Problem है ? Basic Problem एक ही है कि हमने हुआ, Planning (योजना) हो गया, बाजार गए तो वहाँ दोनों सब्जियां नहीं। तीसरी लेकर आ गए अपने को जाना नहीं। हम जानते ही नहीं कि हम जिसका कोई इन्तजाम नहीं । हर चीज में इतना संसार में क्यों आये हैं- पहला। और दूसरा यह सोचकर के हम लोगों ने कौन सा तमाशा करके कि उस को हमें जानना चाहिए। उसे किस तरह से रक्खा हुआ है, बोलिये। यही तो लपेटना, मैं कहती जाना ज़ाए- ये ही तो हमारी Basic Problem है । हूँ। आधे तो पहले, तो आधे को ऊपर से लपेट और इसके लिए हमने क्या किया ? सूर्य पर गए, 1. लिया।. वो आये, बड़ा सलाह मशवरा दिया चन्द्रमा पर गए, इधर गए, उधर गए। और पाया उन्होंने जैसे कहते हैं न ऊँट पर बड़े अक्लमन्द क्या ? ये ही जाना कि आप चीज़ क्या हैं ? आप आए बैठकर। तो उन्होंने कहा कि हम आप से हैं क्या? इसी को नहीं जाना बाकी दुनिया भर की सलाह मशवरा करते पर हम ऊँट पर आये हैं। चीज़ आप जानते रहिये। जैसे कि वो जो आदमी उन्होंने कहा कि भई ऊँट से उतरो। कहने लगे, को बुलाया था सलाह मशवरा करने वाला उसने नहीं साहब हम तो ऊँट पर से ही सलाह मशवरा आकर सब तहस-नहस कर दिया। उसी तरह से हमारा सारा विचार हमें तहस-नहस सुबह से शाम करेंगे। तो दूसरा प्रश्न शुरु हो गया, सलाह मशवरा तो गया एक तरफ , अब ये हुआ कि ऊँट के साथ इन्हें अन्दर कैसे ले जायें। दूसरी ही Problem इन्सान आ गया है कि जब जब उसकी ओर मेरी (समस्या) General जो थे वो ऊँट पर ही जा रहे हैं। अब इन इतने ज़्यादा सोच विचार का धंधा नहीं चलता था। ऊँट वालों का क्या किया जाए ? अब दूसरी पहले लोग शान्त थे, हर चीज़ सोचते नहीं थे। तक करवा रहा है और आज अब इस दशा में Advisor नजर उठती है तो मैं देखती हैं, पहले जमाने में शुरु हो गई। याने जो लपेटन शुरु हुई। कहा कि अच्छा अगर ऊँट वाले बहुत सी चीज़े accept (मान लेना) कर लेते थे। आ रहे हैं, तो ठीक है, ऐसा करो- कि प्रश्न तो ये बहुत सी चीज़ों के साथ-जैसे सामने आ जाये, था कि इनको अन्दर कैसे लाया जाये तब ये हुआ चलो भई ठीक है ऐसे ही आजकल ये है. सोचना कि अच्छा यह है कि इतना बड़ा भारी जो दरवाजा विचारना। तो क्या वो ऐसे जुट गए हैं सोचने बना हुआ है उसको गिरा दें। इसके अन्दर से वो विचारने में कि एक मिनट भी अपना विचार नहीं अन्दर आयेंगे। जब तक महाशय अन्दर गए तो जो रोक पाते। उनका विचार एक क्षण भी नहीं रुक प्रश्न थे वो तो एक तरफ रह गए, इतना ही एक पाता। ऐसा लगता है जैसे कि उनके अन्दर से प्रश्न खड़ा हो गया कि इन्होंने ही सब चीज गिरा विचार के दो सींघ निकलते चले आ रहे हैं बाहर फिराकर रख दी। (मुझको दिखाई देते है)... अब एक मिनट भी इस तर हमारा Planning (योजना बनाना) उनसे कहें कि विचार रोकें तो विचार रोक नहीं होता है, इस तरह का हमारा सोच विचार है। तो पाते, ये उनकी दशा है। माने ये कि ये बह गए जो Basic Problem (बुनियादी समस्या) है उस विचारों के अन्दर, विचारों ने इनको हावी कर Problem की ओर तो चित्त नहीं बाकी दुनिया भर दिया। जितने बाहर के लोग हैं जितना पढ़ा-लिखा, जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 20 समझते हैं, वो भगवान का मतलब ये होता है और कुण्डलिनी का आपके अन्दर हो गए हैं और आप हो गए हैं बाहर मतलब यह होता है और कुण्डलिनी का मतलब यह होता है। बहुत से लोग तो यह कहते हैं कि कुण्डलिनी पेट में होती है मैंने कहा मैंने तो नहीं हो जाता है । अब आपको कोई कहेगा कि मां ये देखी। अगर कोई आकर मेरा माथा खाये कि कैसे हो सकता है, बगैर सोचे कैसे हो सकता है आपका हृदय जो है यहाँ पर होता है तो उसे क्या भई पहले से क्या सोचते हैं ये ही आज तक समझ कहा जाये होता नहीं है, होता जहाँ है वहीं है। कम से कम आप देखिये तो सही वहाँ है या कहाँ है। इस तरह से जिद आदमी बना लेता है और जो कुछ किताबों में लिखी हुई चीजें हैं वो कोई last समझ लीजिए हमें गांधी-भवन जाना है word (आखिरी शब्द) तो है नहीं, कि भई आखिरी तत्व तो है नहीं जिसके आगे कोई तत्व नहीं । दिये। रास्ते में पूछ लिया भई कहां जाना हैं, और अगर ये होता तो आप संशोधन किस चीज़ का सोचा-समझा जिनको आप आपको खोजने से मिलते ही नहीं। अति सोचने से भी स्वाधिष्ठान चक्र खराब में नहीं आया कि आप पहले ही से क्या सोचते हैं। अगर पहले ही सोचकर काम होता तो उस तरफ जाने की जरूरत ही क्या है ? अगर हमें गांधी-भवन आने का है तो हम चल यहाँ (गांधी-भवन) आ गए। अब पहले से हम करोगे। सोचने लग गए कि हो सकता है अगर गांधी -भवन तो मनुष्य की बुद्धि में संशोधन होना चाहिए. जाना है तो इधर से जाएं क्या करें ? फिर ऐसा थोड़ा दिमाग होना चाहिए। Preconceived idea करते हैं इस तरफ से चलेंगे तो कहते कहते किसी नहीं होना चाहिए । वो Open minded ने कहा कि तुम उस तरफ से उतरो, तो अच्छा (खुले-दिमाग वाला) होना चाहिए। और खुले-दिमाग रहेगा। भई आप चल पड़ो, चार आदमियों से पूछ से जब आप देखेंगे तो आप जो सत्य है उसको लो रास्ते में और पहुँच जायेंगे पहले ही आपने फौरन पकड़ लेंगे बजाय इसके कि हाँ, किसी ने एक घन्टा देर लगा दी पता लगाने में कि कहा भई कि हमने किसी से कहा कि आप वहाँ गांधी-भवन कैसे पहुँचना है । अब पता हुआ कि जाइयेगा तो वहाँ आपको घंटाघर दिखेगा। ठीक आप वापस आपनी मंजिल पर आ गए, पहुँचे नहीं। इसी एक चक्कर में आप घूम गए और फिर वापस। और अगर आप जानते भी नहीं जानना हैं अभी पहुँचें। Preconceived idea जो है, उससे आदमी हमें हमें अभी देखना है, इस चीज पर आदमी इतना conditioned हो जाता है कि उसको विचार करता है पर अभी हमने जाना नहीं है वह सोचता क्या है, अभी तो हमें देखना है देखें आगे सत्य है वो सामने प्रकाशित होने वाला है, उसे होता क्या है आगे चलें देखें क्या होता है ? जब आप स्वीकारें। क्योंकि उसकी बुद्धि इतनी high- आदमी अपनी बुद्धि में इस तरह खुला दिमाग class (उच्च श्रेणी) की हो जाती है कि लोग उनसे रखता है वो सही मंजिल पर पहुँच सकता है। और बात करने में भी जब तक आप 5Year plan (पंच जो आदमी पहले से ही Preconditioned mind है वर्षीय योजना) की बात न करे तब तक आप किसी उसका, पहले से ही उसने सब सोच लिया कि चीज़ पर बात नहीं कर सकते। इसलिये मनुष्य को है। हमने घंटाघर देखा था, वही घंटाघर तो उन्होंने कहा हो सकता है कि आप किसी और घंटाघर समझाना मुश्किल हो जाता है कि भई आगे जो जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 21 उसकी जितनी भी चेतना है, जो भी उसकी awareness (अवेअरनेस) है वो सारी इसमें लगी रहती है कि वो किसी तरह जल्दी-जल्दी brain cells बनाए और brain (मस्तिष्क) को काबू में रखे, brain को तो सप्लाई (Supply) करे तो सारी emergency (आपात स्थिति) brain में आ जाती है और उसके लिवर (iver) जो है बेकार है liver की तरफ चित्त नहीं जाता है और liver खराब हो जाता है। liver खराब होने के बाद जब उस आदमी को अपना विचार जो है ऐसा रखे-कि देखा जाएगा। जो सामने होगा, वही होगा, वही होना है, चलिए जैसा हो, देखेंगे। कम से कम सहजयोग के लिए ऐसा ही विचार रखना चाहिए। आप अगर पहले ही से बहुत पढ़ लिखकर आए हैं तो आप मुझसे ऐसे सवाल पूछियेगा जिसका कि कोई उत्तर नहीं पायेंगे मुझसे लोगों ने ऐसे ऐसे सवाल पूछे हैं कि मुझे कभी बड़ा आश्चर्य लगता है। इसलिए मुझे आपसे यह कहना है कि पहले आप अपने मन से कहें या बुद्धि से कहें, कि इस वक्त आप जरा शान्त हो जाइये और अब जरा आप इस चीज़ को लोगों को पता होता है और वो इतना बता सकते पा लीजिए। क्योंकि चक्रों का खराब करना बहुत है scientifically (वैज्ञानिक रूप से) कि आप इतने आसान है, उनका ठीक करना बहुत मुश्किल। स्वाधिष्ठान चक्र के खराब हो जाने से अनेक हैं जो certificate (प्रमाण-पत्र) लेकर आते हैं कि बीमारियाँ होती हैं। एक बात अच्छी है कि बीमारी माँ हमको तो बता दिया है कि आप एक महीने में हो जाती है। अगर बीमारी न हो तो आदमी अपने को कभी न ठीक करे। क्योंकि बीमारी के सिवा गए हमारे पास आने पर। दरअसल अब यह लोग समझ ही नहीं पाते हैं कि और भी कोई चीज अन्दर खराब है। वो तो सिर्फ बीमारी समझता है। अधिकतर लोग तो सिर्फ बीमारियाँ ठीक करने cirrhosis हो जाये या liver cancer हो तभी डाक्टर दिन में मर जायेंगे। मेरे पास तो ऐसे ही लोग आते चल बसेंगे। बहरहाल यह हो गया कि वो ठीक हो आपका स्वाधिष्ठान चक्र खराब है और वो ठीक होने पर आपकी बीमारी ठीक हो जायेगी। उससे दूसरी जो खराब बीमारी होती है वो है Diabetes ( मधुमेह) क्यॉंकि यह ही एक चक्र है जो सबको Supply करता है। तो आपके Pan- आते थे अब उनको समझ में आया है कि और भी अशुद्धियां, खराबी हो गई हैं जिन्हें ठीक करना है। लेकिन पहले तो सिर्फ बीमारी ठीक कराने आते थे। अब सबसे पहले बीमारी, जो आदमी बहुत Planning करता है, उसे कौन कौन-सी होती uncurable नहीं है क्योंकि आपने ही बीमारी ली है ? उसको सारी पेट की बीमारियां-जैसे liver और आप ही इसे ठीक कर सकते हैं। अब (जिगर) खराब, liver जरूर खराब होता है। क्योंकि diabetes की बीमारी आपको अगर हो जाये तो liver जो है वो सारे poisons (विषो) को अपने लोग कहते हैं कि साहब इसमें Sugar जायेगा, शरीर से बाहर निकालता है। लेकिन जो आदमी ऐसा होता है वैसा होता है। पर क्या आपने कभी जरूरत से ज्यादा सोचता है वो बेचारे स्वाधिष्ठान सोचा है कि ऐसा भी हो सकता है कि हमारे Iliver creas out of gear (खराब) हो गए और आपको diabetes हो गई और लोग कहते हैं कि diabetes uncurable (लाइलाज) है । बिल्कुल ही चक्र को इतना थका देता है कि वो liver को (जिगर) ने देखता ही नहीं और liver पनप सकता ही नहीं। extreme line (पराकाष्ठा) ली है तो balance देने के लिए हमें यह बीमारी शुरु हुई है। चैतन्य लहरी फरवरी, 2005 जनवरी - 22 यह balancing बीमारी है जिससे आदमी समझ ले और अब बड़ी बड़ी किताबें निकल रही हैं कि अब कि हमने बड़े imbalance से काम किया है। बहुत तो थोड़े दिन में दुनिया खत्म हो जाने वाली है। ज्यादा जब आदमी सोचता है, तो diabetes की पूरा इन्तजाम इन्होंने कर लिया । सब Anti God बीमारी होती है जो लोग सोचते ज्यादा नहीं हैं जैसे villagers (गाँव वाले) वगैरह हैं, उनको कभी समझ कर जो चीज़ की कौन-सा आपने विशेष diabetes नहीं होती। वो हर समय नाम किया मेरी तो आज तक समझ में नहीं carbohydrates खाते रहते हैं। वो तो एक cup में आया। अपना सोच जरा सा कम करिये। और एक मन चीनी भी डालें तो कहेंगे, फीका है। बहुत विचार भी थोड़ा कम करिये लेकिन कहने से भी तो मीठा खाते हैं तो उनको तो हमेशा फीकी ही लगती होगा नही अगर कहूँ कि विचार नहीं करो, विचार हैं खासकर मेरठ में अगर आप जायें तो आप लोगों नहीं करो, तो नहीं होगा। को अगर चाय चाहिए तो ऐसा लगेगा कि उन्होंने चीनी घोलकर पहले, फिर चाय बनाई है। ऐसा कम करो। Speedometer के बारे में मैंने लोगों से नहीं लगेगा कि चाय बनाई है वो तो चीनी ही बताया और मैं आपसे भी बताती हूँ। हमारा Spleen बनाते हैं। तो इस तरह के लोगों को तो कभी (तिल्ली) जो है वो Speedometer है। और जब diabetes नहीं होती। कभी आप देखियेगा, देहात खाना खाते हैं तो कोई न कोई ऐसी बात सोचने के लोगों को diabetes नहीं होती, शहर के लोगों लग जायें, मतलब बड़े विचारक लोग हैं न ! बड़े को ही होती है क्योंकि बहुत सोचते हैं और सोच सोच के क्या बनाया ? एटम बम (Atom bomb) खाना खाते हैं तभी उसी समय नौ बजे आयेगी और क्या बनाया? और यह बनाकर भूत ऊपर रख news (समाचार), जब आप खाना खा रहे हैं। तब दिया और नीचे सब डर रहे हैं। अब एटम बम आपको इत्मीनान से खाना खाना चाहिए। आपकी बनाने से इतना जरूर फायदा हो गया है कि सब बीवी आपको पंखा झल रही है, आराम से बैठकर सहम गए। इतनी बैवकूफी की, उसका यह फल आप खाना खा रहे हैं। उस समय news (समाचार) निकल आया अब इससे ये जो भूत ऊपर बैठ गए आयेगी कि फलानी जगह दुर्घटना हो गई। आपका Activities (भगवान के खिलाफ काम) हैं। सोच मैं कहूँ कि अपना जरा Speedometer काबिल, तो काबलियत अपनी झाड़ने के लिए जब हैं तो कहीं बटन दबा देंगे तो हम सब खत्म हो खाना गया काम से। लगे आप सोचने उसी बात के जायेंगे। तो यह बहुत अक्लमन्दी करके निकाला है जो भी उन्होंने अन्वेषण किया उस अन्वेषण में नौ बजे पहुँचना ही चाहिए । तो एक हाथ में आपका उन्होंने ऐसा इन्तजाम कर दिया है कि एक क्षण में बक्सा, एक हाथ में आपकी छतरी, और आपके मुँह सारी दुनिया साफ की जा सकती है। अब सब में कुछ ढूँसा जा रहा है। आप इस हालत में भागे सहम करके बैठे हैं कि साहब ये क्या हम कर गए। जा रहे हैं बाहर। पीछे दूध लेकर के कोई और दौड़ यह तो पता नहीं था हमें कि खोज खोज के अपने रहे हैं । ये तो आपके खाने की व्यवस्था है । लिए सवेरे जल्दी भागना है क्योंकि Office (दफ्तर) ऊपर बारूद लगा दी हमने। अपने ही सर पर इसमें आपका जो Speedometer बारूद रख करके अब इतना जीना मुश्किल हो (गतिमापक) है, जो आपका spleen है, वो Crazy गया है अब सब Shocked (घबराई) हालत में हैं हो जाता है, पागल हो जाता है और इसी से चैतन्य लहरी फरवरी, 2005 जनवरी 23 आपको Blood Cancer (रक्त का कैंसर) की बीमारी नहीं पड़ती। मतलब है कि जो लोग धर्म में खड़े हैं हो जाती है । अब हम लोगों ने कितने ही Blood जरूरत ही नहीं उनको धर्म सिखाने की, कि आप Cancer ठीक किए हैं जिनको कि Doctors अधर्म मत (डॉक्टरों) ने certificate (सर्टीफिकेट) दे दिये थे क्या जरूरत है ? करो। जो धर्म में ही खड़े हैं उनको कि आप एक महीने में मर जायेंगे। इसका मतलब नहीं है कि आप दुनिया भर के Blood Cancer के बताता है हमारा धर्म मानव धर्म है। और मानव केस मेरे पास ले आएं। मतलब ये है कि आप लोग धर्म में दस हमारे अन्दर गुण होना जरूरी है। यदि तो यहाँ आए हैं अपने speedometer लेकर लेकिन हम में ये गुण नहीं हैं तो हम मानव नहीं हैं, या तो हम क्यों इससे ही बँध जायें। इसका मतलब ये हम जानवर हैं या शैतान है। ये दस गुण हमारे नहीं कि आप लेट लतीफ हों, ये भी नहीं है। इसका सबसे बड़ा मतलब ये है कि आप बँधे हुए हैं और बीच में जो हमारे नाभि चक्र हैं उतना ही करिये जितना आपके बस का है। आप उसमें ये हमारे दस धर्मों की पंखुड़ियां हैं इन धर्मों इन्सान हैं। मशीन भी जितना नहीं कर सकती की ओर हमारा विशेष ध्यान है । यह चक्र (भवसागर या Void) हमारा धर्म अन्दर जो हैं बो हमारे इस चक्र के चारों तरफ से उससे ज्यादा आप क्यों करना चाहते हैं और करके भी आपने क्या किया-वही Atom bomb हिन्दू या आपस में सर फोड़ना नहीं है। हमको तो अब धर्मों का मतलब ईसाई, मुसलमान, (परमाणु बम या एटम बम)। क्या किया है आपने ? मैं तो इन्सान से निकला, उधर से दूसरा निकला और लड़ाई हो रही यह पूछना चाहती हैँ कि उन्होंने सीखा है : आपस ह में लड़ना कैसे चाहिए, झगड़ा कैसे करना चाहिए, गया। ग्रुप बाजी कैसी करनी चाहिए, किस तरह से भी हमारे जैसे बेअक्ल लोगों की समझ में नहीं आ धर्म का मतलब यह मालूम है के इधर ये एक है । अरे भाई क्या हो गया ? धार्मिक झगड़ा हो धार्मिक झगड़ा भी क्या हो सकता है, ये दूसरे देश के सकता। जो कि धर्म जो है जिसकी धारणा होती है Murder (कत्ल) करना चाहिए । लोगों को War (युद्ध) के नाम पर किस तरह खत्म तो मनुष्य जो है तो ऐसी कोई चीज़ बन जाता है करना चाहिए। ये सब इन्तजाम आपने कर लिया ऐसा उसका व्यक्तित्व कुछ ऐसा हो जाता है है। और क्या किया है? कौन सा अच्छा काम आप जिससे वो अपनी सार्वजनिकता कहिये या जिसको लोगों ने आज तक किया है ? कहने लगे कि कि Collectivity (सामूहिकता) कहते हैं उसको साहब हमने social work (समाज कार्य) किया प्राप्त हो जाता है, वो "वह हो जाता है। वो है यह social work तो आपके लिए इसलिए तैयार हो गया क्योंकि आप बेवकूफ पहले से आपने बेवकूफी नहीं की होती और आपने होता है, क्या ये एक दूसरे को मारती हैं? आप उस लोगों को इतना सताया नहीं होता, ऐसे-ऐसे तरह हो जाते हैं, आप में Collectivity आ जाती है। Customs (रीति-रिवाज़) नहीं बनाते जिनसे सब को तकलीफ हो रही है, तो कभी न होता ऐसा, जानवर में नहीं होती। यह धारणा जब मनुष्य में हो Collective हो जाता है। वो झगड़ा कैसे करेगा? हैं। अगर क्या आपकी अपनी उँगलियों में उँगलियों से झगड़ा जब यह धारणा मनुष्य में हो जाती है-यह धारणा यानि कभी आपको social work की जरूरत ही जाती है, जब धर्म की धारणा होने के बाद यह धर्म फरवरी 2005 जनवरी घैतन्य लहरी 24 हम में जागृत हो जाते हैं, उस समय कण्डलिनी आप स्वयं डाक्टर हो जाते हैं, आप ही दवा हो जाते होकर के चक्रों को भेदती हुई ऊपर चलीं हैं और आप ही diagnosis (निदान) करते हैं । जागृत जाती है, तब मनुष्य के अन्दर में सामूहिक चेतना मनुष्य ही सब कुछ हो जाता है, मनुष्य में ही सब जागृत होती है, जागरूक हो जाती है। इसलिए में कह रही हूँ-यह lecture देने सभी भीतर है। जैसे आप यहों बैठे हैं और आपको की बात नहीं है, यह अपने आप ही घटना हो पता लगाना है कि आपके किसी सम्बधी की तबीयत जाती है। खुद ही महसूस करने लग जाते हैं कि कैसी है आप टेलीफोन कीजिए, पैसा खर्च करिये, आपके अन्दर क्या दोष हैं और दूसरे के अन्दर ऐसी कोई जरूरत नहीं। आप खुद ही देखिये, कैसी क्या दोष है। दोष बाहय दोष-नहीं कि साहब वो तबीयत है आपको स्वयं पता चल जाएगा कि कौन साहय थे और बो लाल रंग का कपड़ा ही पहनते से चक्र में पकड आ रही है। अगर left (बायीं थे या वे साहब थे उन्होंने ऐसा कर दिया या वो तरफ) में पकड़ आ रही है, तो इसका मतलब है कि उस Political लीडर (राजनीतिक नेता) के साथ थे उनके मन पर pressure (दबाव) है और अगर और उन्होंने दल बदल दिया, यह चक्रों में, सूक्ष्म में Right (दायीं तरफ) में आ रही है तो कुछ शारीरिक आपके तत्व में कौन सा दोष है यह आप समझ है और उसके बाद चक्रों पर पता लगा लीजिये जाते हैं और आपके दोष, तत्व में खराबी का पता कि कौन से चक्र में बाधा है । जो Code है उनका कुछ है। जो कुछ भी बाह्य में आप देखते हैं वो पार होने के बाद, आपको चल जाता है इतना ही Decoding हो गया है और अगर आप समझ लें तो नहीं, सहज़योग में गहरे उतरकर के जब आप आप फीरन बता सकते है कि इस वक्त उनकी क्या इसकी पूरी विद्या को सीख लेते हैं--इस 'निर्मल हालत है। यहां बैठे बैठे आप उनको बंधन दें और विद्या" को सीख लेते हैं, या इसको कहना चाहिए उनको Vibrations दें तो वहां वो ठीक हो जायेंगे। कि अपने Master हो जाते हैं, अतिमानव संत हो यह सब आप कर सकते हैं। कब, जब आप इस जाते हैं आप में धर्म जागृत हो जाता है, आप धर्मातीत हो जाते हैं। आपकी चेतना में नया शास्त्र को सीख लेते हैं खे नहीं कि आप पार हो गए कहने लगे, आयाम (New dimension) आ जाता है, आप माताजी चैतन्य लहरियों (Vibrations) महसूस करने लगते हैं क्योंकि हम पार हो गए।" इसके बाद एक साल हैं, आपकी शारीरिक, मानसिक, समस्याएं आपसे बाद मिले, कहने लगे 'माता जी क्या बताएं हमारे दूर हो जाती हैं। लेना चाहिए कि कम से कम हमारी तन्दरुस्ती जो गुरु न ठीक रख सके, तन्दरुस्ती को जो सम्भाल बात है। लोग यहाँ आते हैं, पार हो जाते हैं फिर न सके ऐसे गुरु के पास जाने की जरूरत नहीं है। खो जाते है। चलती का नाम गाडी। माताजी आये, सहजयोग में इस दृष्टि से आप पारंगत पार हो गये, काम खत्म। फिर आए, जैसे थे फिर हो जाते हैं किस तरह हमारी तन्दरुस्ती ठीक वही शुरु हो गया माता जी हमने पकड़ लिया, रहनी चाहिए। किस तरह से हमारे चक्रों में दोष है, ऐसा हो गया वैसा हो गया।" उसे ठीक करना चाहिए, कम से कम । क्योंकि ने हमें पार कर दिया। फोटो ले जा रहे इसलिए हमें समझ तो Vibrations अच्छे नहीं हैं।" आज जो पंत जी ने कहा, वो बिल्कुल सही यह गहन गम्भीर बात है, यह frivolous: फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 25 (हंसी-मजाक) बात नहीं है। इसलिए मैं आपसे पास time (समय) नहीं। कहूँगी कि भारतवर्ष में हर चीज़ आसान है, हर कि ध्यान के बाद, आप थोड़ी देर अपने पैर पानी में चीज़ मिल सकती है। यह ऐसी योग-भूमि है यहाँ इतने बड़े बड़े अवतार हो गए, इतनी बड़ी बड़ी है, उनको निकाल दें। सफाई जैसे हो जाये जैसे यहाँ चीजें हो गई हैं। यहाँ का सारा प्रान्त जो है आप नहाते हैं, इस तरह से रोज आप नहाईये। हम vibrated है यह विशेष ही भूमि है, इसलिए यहाँ लोग अगर कोई एक दिन आदमी न नहाये तो पार भी लोग खट से हो जाते हैं। बड़े ही जल्दी सोचते हैं, बड़े ही गन्दे लोग हैं, नहाते नहीं। आप पार हो जाते हैं। जैसे कि जितने भी हिन्दुस्तानियों का तो यह हाल है कि उनको कोई Foreigners (विदेशी) आए हैं यहाँ बैठे हैं, एक एक कह दे कि नहीं नहायेंगे तो जैसे उनको तो जेल हो आदमी पर तीन तीन महीने हाथ तोड़े हैं मैंने और जाये लंदन में अगर आप सवेरे नहायें और इसके आप यहाँ बैठे हैं थोड़ी देर में देखियेगा Vibrations आ जायेंगे, हाथों में। वैसे लेकिन कल की मीटिंग हो सकती है। खास करके कैंसर हो जाता है में आप नहीं आयेंगे, वो भी बड़ा मुश्किल हो Lungs (फेफड़ो) का। और मैंने इतने हिन्दुस्तानियों जाएगा। "क्या बात थी ?" "माताजी वो ऐसा था कि से कहा तो उन्होंने छोड़ दिया सहजयोग और फिर मैंने कहीं जाना था, "वो तो Religious duty कैंसर से मर गए। एक छोटी सी चीज़ है । रखें और अपने vibrations पायें। जो कुछ खराब बाद बाहर निकल जायें तो आप को बहुत बीमारियाँ (धार्मिक कर्तव्य) हो गई न। "कैसे मना करता, मैं लेकिन अगर उनसे कहा जाये कि हमारी आत्मा का भी स्नान होना चाहिए, हमारा जो भी चला गया।" उसकी गहराई, उसकी गम्भीरता, उसकी आत्मजीवन है, उसका भी स्नान होना चाहिए, उधर विशेषता, उसकी महानता, कुछ हमारी समझ में किसी का चित्त नहीं रहता, उसकी महानता, उसकी नहीं आती है। ये लोग जो तीन तीन महीने मेरे गम्भीरता में । हाथ तुड़वाते हैं, ये लोग समझते हैं। तो बजाय इसके कि आप लोग जमें ये लोग जम रहे हैं और होगा। एक इम्तहान में ज्यादातर Mathematics आप उखड़े-उखड़े घूम रहे हैं। हिन्दुस्तानी सहज (गणित) में सवाल आते थे जो मुझे अब समझ में आ योगियों का वाकई ये हाल है कि उखड़े उखड़े रहे हैं। तब तो समझ में नहीं आते थे। जैसे कहते घूमते हैं। उनमें तो गहनता नहीं आती। ज्यादा से थे कि एक A आया, उसने काम किया 1/4 वां दूसरा ज्यादा यह होगा कि चलिए मेरे पेट में दर्द है, वो आया उसने 1/16 वां किया, फिर तीसरा आया ठीक कर दीजिये मेरे लड़के की शादी करा उसने इतना किया, फिर चले गए, काम कब खत्म दीजिये या और कुछ नहीं तो जरा बढ़कर के कान होगा? होगा ही नहीं जब इतने भगोड़ों को आप में यह कह देंगे कि माँ मेरा आज्ञा चक्र पकड़ा हुआ लगाइयेगा। इसलिए, जो कि आपने एक किस्सा सुना ... लेकिन मेरी नसीब में भी है फूल लेकर चले आए और कान में कह दिया, ऐसे बहुत आए हैं। मेरी यह समझ में नहीं आया कि मेरा आज्ञा चक्र पकड़ा हुआ है, उसे ठीक कर सहजयोग का काम पूरा क्यों नहीं हो रहा है। दीजिये । अरे भई क्यों पकड़ा हुआ है, कैसे हुआ ? होगा कैसे, जब भगोड़ों से पाला पड़ा है तो होगा कुछ उस पर study (अध्ययन) नहीं। मैं तो नहीं-मेरे कैसे ? अब जमने वाले ढुँढे जायें, जो जमें। हम देने ... 1 फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 26 को तैयार है, सब शक्ति देने को तैयार हैं, सब आप किसी को बेवकूफ़ बनायेंगे तो लाखों मिल बताने को तैयार हैं, तब हो ठीक मामला लेकिन जाएंगे जमने वाला ही मुश्किल है, ऐसे सवालात जहाँ पूछे नहीं गालिब, बिन ढूँढे हजार मिलते हैं । उधार जाते हैं। यही समझ लीजिये कि हमारे हित में जो मिलते हैं, यह हालत है और अगर आप देखिये जो है, उसे गम्भीरता से पकड़ना है। जिसको पकड़ना गुरु लोग हैं, जो रुपया पैसा ले रहे हैं और जो चाहिए उसको नहीं पकड़ा। पहले तो समझ में आज बढ़े हैं. उन्होंने कैसी-कैसी बेवकूफियों आता नहीं था कि कोई चीज़ ऐसी हैं ही नहीं फैलाई हैं और उन बेवकूफियों में कैसे लोग आ रहे पकड़ने लायक कि जिसको पकड़ा जाये। लेकिन जो चीज़ जीवन के लिए सबसे दिल्ली बन्द हो गई थी। लोग पागल हो गए थे। । गालिब ने कहा था, "बेवकूफों की कमी हुए हैं। एक गुरु सा0 यहां दिल्ली आये थे तो सारी है जो आपको समर्थ बनाती है यानि अब उनके बारे में किताबों में निकल रहा है, महत्वपूर्ण आपके अर्थ के बराबर आपको बना देती है। जिसके अखबारों में निकल रहा है, ये निकल रहा है, वो बगैर आपका जीवन पूरी तरह से व्यर्थ और निरर्थक निकल रहा है, अब धीरे धीरे उनका सब निकल है, उस चीज को भी नहीं पकड़ते हैं तो मैंने कहा रहा है। लेकिन ये जमाना था कि दिल्ली में रात को कमाल हो गया, बिल्कुल बेकार लोग हैं। इतनी ज्यादा समस्या है, इतना उथलापन है और एक तरह से कोई भी चीज़ का महत्व नहीं बताऊँ। करते, हर चीज़ का मजाक मजाक बना लेना। अपना भी तो मजाक बन रहा है। जो आप सौचते इनको कैसे बताया जाय इसका महात्म। इतना कोई चल फिर नहीं सकता था, ऐसे थे ये गुरू महाराज। अजीब अजीब तमाशे हैं, मै आपको क्या मेरे जैसे अजनबी के लिए तो यह हैं कि हैं कि सबका मजाक बना रहे हैं, आपका भी महान् है ये, चीज़ बहुत भारी है। जैसे कि किसी मजाक बन रहा है और अपने को भी ऐसी गड़बड़ इन्सान ने कभी हीरा देखा नहीं, उसकी कीमत आप फँसा रहे हैं कि उससे निकलना बहुत कभी ऑकी नहीं, ऐसे बिल्कुल देहाती लोगों को मुश्किल है बहुत ही मुश्किल। (नहीं देहाती तो बहुत समझदार होते हैं, मैं किस सहजयोग ऐसी चीज है जो आपको पाना को कहूँ) उनके पास आप ले जाकर उसे दिखायें। है यहाँ देने का कुछ नहीं सिर्फ पाने का है। लेकिन लोगों को यह समझ में नहीं आता कि अगर आप हीरा रख दीजिए वो एक चपेड़ मारेगा कि कोई देता है तो उसका महत्व समझाना चाहिए। आप देखते ही रह जाइये । उसी तरह की हालत हाँ, अगर मैं आपसे कहूँ कि साहब कल से आप कभी कभी हो जाती है । यहाँ आयेंगे तो सौ रुपये का टिकट लगायेंगे तो देखिये यह सब भर जाएगा। यहाँ बड़ी पेटी लगाइये "सेवा के लिए"-लम्बी पेटी तो भर जायेगी और कुछ भी नहीं है। यह बात जरूर हैं कि जो मैं और लोग बढ जायेंगे यहाँ आयेंगे तों में कहूँगी बातें कहती हैं, हो सकता है 60 फीसदी बातें कि कुछ नहीं, आपको नाम दूँगी-कहेंगे, 'वाह ! किताबों में नहीं मिलतीं। उसका आपको साक्षात्कार समझ लीजिए कि उरंग-उटान है, उसके सामने यही हीरा ही नहीं, यही पाने का है, यही सब कुछ है, इसी को पाइये, यही कुछ लेने का है हमें तो नाम मिल गया-नाम मिल गया। अगर करना है। आपको आत्म-साक्षात्कार करना है। जनवरी - फरवरी, 2005 वैतन्य लहरी 27 है? गंगाजी बह रही है आप अपनी गगरी ले जाइये | गंगाजी, जितनी बड़ी गगरी होगी, उतना ही उसमें पानी उसको लेकर के कोई साहब झगड़ा खड़ा कर दिया। कहने लगे कि आपने कहा कि यह बूद्ध का स्थान है, यह महावीर का है, यह हम कैसे भर देंगी। उस वक्त क्या आप जाकर गंगाजी से प्रश्न जानेंगे? मैंने कहा, है या नहीं आप जान जायेंगे, पूछते हैं ? उसी प्रकार यह गंगा बह रही है, समय आ पहले आप पार हो जाईये। अगर आप जान नहीं सकते तो यह आपका दुर्भाग्य है ये तो मुझसे ऐसे हैं कि जैसे मैं पार्लियामेंट की मेम्बर ही हूँ। गया है, वक्त आ गया है इस वक्त आपका साक्षात्कार होने का समय है। और इस देश में यह बहुत जोरों में हैं शहरों में जरा देर से होता है पर गाँवों में बहुत जोरों पूछते मैंने कहा कि जो मैं कह रही हैं उसकी सत्यता मैं में हो रहा है। बहुत जोरों में। आपको तब दूँगी जब आप इसके काबिल हो जायेंगे। पहले आप पा लीजिये जहाँ बुद्ध और महावीर हैं, वो आये थे. 6000 लोग और वहाँ हम खड़े हो गए, तो है या नहीं ये देखने की पहले आँखें तो आपके अन्दर कोई हमारे सामने कोई वहाँ ऐसा बहुत सुन्दर कुछ आ जायें पहले ही क्या मुझसे सवाल पूछ रहे हैं? (हॉल) नहीं था। कुछ मन्दिर पर चढ़े थे, कुछ इधर क्या आप University (विश्व-विद्यालय) में जाकर Vice Chancellor (उप-कुलपति) साहब से पहले ही गुए वो। और वहां Centre (सहजयोग केन्द्र) भी बन पुछते हैं कि क्या कार्बन डाई ऑक्साइड में कार्बन व गया और चलने लगी बात आगे। ऑक्सीजन है साबित कीजिए वह कहेंगे, आप हम अभी एक गाँव में गए थे वहां 6,000 लोग उधर खड़े थे और सारे के सारे पार हो गए और जम कहीं ऐसा न हो जाये कि सारे बाहर जो हैं वो चलिए, आप का Admission (दाखिला) खारिज। দি । भगवान की छलनी में से छन कर नीचे गिर जायें और यह सीखने की जगह है, यह जानने की बाकी लोग रह जायें इसलिए अपने अपने अस्तित्व जगह है, यह पाने की जगह है, यहां नम्रता पूर्वक को, अपने अपने गरिमापन को पाइये। उसको जानिये आया जाता है। सब लोग पाते हैं और गहरे उतरते हैं। और उसमें समाइये। यह समझने की बात है। आज और समझते हैं और तभी वो पनप कर बड़े हो सकते हैं जबकि वह उसको पायें इस चीज को हम रोज-मर्रा के जीवन में किस तरह, किस तरह समझते समझाकर आपको बताऊँगी । थोड़ा सा Introduction (परिचय) आपको बताया है, कल मैं इसको विशेष रूप से और पूरी तरह से परमात्मा आपको धन्य करें (निर्मला योग) ास तत्व की बात-२ कल मैंने आपसे कहा था कि... है? अगर धरती माता की वजह से ही सारा कार्य आज आपको तत्व की बात बतायेंगे। जब हो रहा है तो घरती माता की वजह से यह जो हम एक पेड़ की ओर देखें और उसका उन्नतिगत पत्थर है वो क्यों नहीं पनपता? इसका मतलब यह होना, उसका बढ़ना देखें, तो यह समझ में आता है कि अनेक तत्वों में एक तत्व है, लेकिन तत्व है कि उसके अन्दर कोई न कोई प्रवाहित है या प्रभावित है जिसके कारण वो पेड़ बढ़ रहा है और अपनी पूरी स्थिति को पहुँच रहा समाये हैं और यह जो अनेक तत्व हैं यह हमारे है। यह शक्ति उसके अन्दर है नहीं तो यह कार्य अन्दर भी स्थित हैं, अलग अलग चक्रों पर इनका नहीं हो सकता। लेकिन यह शक्ति उसने कहां से वास है, लेकिन एक ही शरीर में समाये हैं और पाई ? इसका तत्व मर्म क्या है ? जो चीज बाह्य एक ही ओर इनका कार्य चल रहा है, और एक ही में दिखाई देती है, जैसे कि पेड़ दिखाई देता है, इनका लक्ष्य है और एक ही चीज़ को इनको पाना उसके फल,फूल, पत्ते सब दिखाई देते हैं, ये तो है । जैसे कि मूलाधार चक्र पर गणेश तत्व है, गणेश कोई तत्व नहीं। इस तत्व पर तो यह चीज जी का तत्व है। गणेश जी के तत्व के कारण हम आधारित नहीं। वो चीज कोई न कोई इससे सूक्ष्म । है उस सूक्ष्म को तो हम देख नहीं पाये, उसकी अगर हमारे अन्दर गणेश जी का तत्व नहीं होता तो यदि साकार स्थिति होती तो दिख जाता लेकिन इस पृथ्वी पर टिक नहीं सकते थे। इतने जोर से वो निराकार स्थिति में है, माने कि उसके अन्दर यह पृथ्वी घूम रही है, इस पर हम चिपके नहीं चलता हुआ पानी है, वो भी उसका तत्व नहीं हुआ, रहते। कोई कहेगा कि 'पृथ्वी के अन्दर ही यह हालांकि वहन कर रहा है। पानी ही उस शक्ति गणेश तत्व है माँ यह बात भी सही है। पृथ्वी के को अपने अन्दर से वहन कर रहा है। याने अगर गणेश तत्व की वजह से ही हम पृथ्वी पर जमे हुए पानी ही तत्व है तो पत्थर में पानी डालने से, वहां हैं। लेकिन जो पृथ्वी के अन्दर है उसको उसका कोई पेड़ तो नहीं निकल आते। तब तत्व में जानना ऐसी शक्ति अनेक हैं। ये सब अनेक तत्व जो हैं वो एक में आप पृथ्वी पर बैठे हुए हैं, ऐसे फैके नहीं जा रहे axis कहते हैं, याने इस लाइन में वो तत्व बसा चाहिए कि हर चीज़ का अपना-अपना तत्व है। हुआ है उसको कहते हैं। हालांकि axis कोई है पानी का अपना तत्व है, पेड़ का अपना तत्व है नहीं, कोई ऐसी सलाख axis नहीं है पर मानते हैं और पत्थर का भी अपना तत्व है। उसी तरह कि जो शक्ति है इसके तत्व की वो इस लाइन पर मानव का भी अपना एक तत्व है, principle (सिद्धांत) चलती है, उसी के ऊपर होती है उसके बीचोंबीच सो है, जिसके बूते पर वो चल रहा है, बड़ा हो रहा वो तत्व हमारे अन्दर क्या बनकर रहता है इससे है, उससे उसकी उद्देश्य प्राप्ति होती है। हमें दिशा का भान हो जाता है। ये तत्व एक हो नहीं सकते। जैसे कि जानवरों में यह तत्व ज्यादा होता है पक्षियों मैंने बताया कि पानी के तत्व से ही अगर, पौधा में यह ज्यादा होता है क्योंकि भोले भाले जीव हैं। निकल रहा है तो एक पत्थर से पौधा क्यों नहीं उनमें छल, कपट, वैराग्य कुछ नहीं, वह विचार नहीं कर सकते। उनमें विचार करने की शक्ति नहीं है रहा है तो वो धरती माता की शरण क्यों जाता और न ही वो आगे का सोच सकते हैं ना ही वो 1 निकलता। अगर बीज/पानी के तत्व से बीज पनप वैतन्य लहरी फरवरी, 2005 जनवरी 29 पीछे का सोचते हैं। जो चीज़ सामने आती है उसी या पूरब जा रहे हैं या पश्चिम में जा रहे हैं। पर से वो काम लेते हैं पीछे का बिल्कुल नहीं सोचते। जैसे-2 गणेश तत्व कम होता जाता है वैसे-2 आपको आश्चर्य होगा जब कोई बन्दर, आप देखिये, दिशा का ज्ञान समाप्त होता जाता है। दूसरी तरफ मर जाये, जब तक वो मरता नहीं तब तक वो हाय मनुष्य प्राणी में जो आदमी बहुत ज्यादा सोच-विचार तोबा मचायेंगे, जैसे ही वो मर जायेगा वो उसको के चलता है, कि मैं ये करू या न करूँ, इसमें छोड़ देंगे, भाग जायेंगे, मतलब यहीं खत्म। अब कितना लाभ होगा, इसमें कितना नुकसान होगा. इससे मर गया न, यह तो ऐसा हो गया जैसे, कोई इसमें रुपया लगाऊँ कि इसमें रुपया लगाऊँ, इस दूसरे पत्थर , अब इससे कोई मतलब नहीं, बिल्कुल तरह की फालतू बातों में जब अपना चित्त बरबाद बेकार चीज है। लेकिन धीरे धीरे उसके अन्दर यह कर देता है. उसको दिशा का भान कम हो जाता जरूर है कि अनुभव, जैसे आपने शेर को पकडने है उसको आप एक दिशा में खड़ा कर दीजिए कि की कोशिश की दो तीन बार उसको जाल में फंसा आपको उत्तर में जाना है । थोड़ी देर में देखियेगा, लिया, तो फिर वो ताड़ जाता है कि इसमें कोई वो दक्षिण की ओर चले जा रहे हैं । सस्ते का गडबड़ है। बहुत कुछ तो भगवान की दी हुई चीज़ उसको ज्ञान नहीं रहता । अगर आप उसको कही है लेकिन कुछ कुछ फिर वो सीख जाता है। खड़ा कर दीजिये आप उससे पूछिये रात में पूरब, आदमियों से भी तो बहुत कुछ सीख लेता है लेकिन पश्चिम, उत्तर, दक्षिण कैसे पता लगायें, सूरज तो है उसमें परमात्मा की दी हुई चीज बहुत ज्यादा है। नहीं। जब आप का चित्त इसी तरह बाहर की ओर जिससे उसमें स्फूर्ति आती है। जैसे जापान में ऐसे ज्यादा हो जाता है, और या तो आप किसी की पक्षी हैं, जब वो उड़ने लगते हैं ज्यादा और भागने चालाकी से पस्त होते हैं या आप किसी की लग जाते हैं, तब लोग समझ जाते हैं कि अब चालाकी से डुबाना चाहते हैं, दोनों ही चीज़ हो जलजला आने वाला है, भूकम्प आने वाला है। सकती हैं। आप या तो भयग्रस्त हैं कि दूसरा क्योंकि इन पक्षियों को गड़गडाहट बहुत पहले आपको चालाकी से खा न डाले और या तो आप सुनाई दे जाने लगती है। जानवरों को भी आवाज किसी के पीछे लगे हैं कि उसे चालाकी से कैसे - दोनों हालात में आपकी जो यहुत सुनने की शक्ति, देखने की शक्तक। अगर कोई अबोधिता है आपकी जो innocence है वो घटती चील ऊँचाई से देखे तो वो समझ जाती है कि यह जाती है। और जब ऐसी गति आ जाती है तो आदमी मरा है या जिन्दा। यह सारी जो आठ आपको दिशा का आभास नहीं रहता। एक छोटी इन्द्रियों की शक्तियों हैं ये जानवरों में इन्सान से सी बात बताएं आप बुरा मत मानिये मैं आजकल ज्यादा हैं और उसमें से सबसे बड़ी शक्ति जो देखती हैं पहले लड़कियों में ये बात थी लेकिन उसके पास होती है, जो गणेश तत्व से पाई जाती उनमें भी यह बात नहीं दिल्ली शहर में ज्यादा है, है वो है दिशा का अनुभव, कौन सी दिशा में जाना कि हर आदमी की ओर नज़र उठाकर देखने लगी चाहिए । मैंने कल आपसे बताया था कि जब पक्षी हैं। पहले तो मर्द ही देखते थे, अब औरतों ने भी साईबेरिया से आते हैं तो वो उसी वजह से जानते शुरु कर दिया है। अब इसको आप सोचते हैं ये हैं कि वी उत्तर जा रहे हैं या दक्षिण जा रहे हैं, बहुत ही सीधी बात है, इसमें कौन सी ऐसी बात है। मनुष्य से बहुत ज्यादा पहले सुनाई दे जाती है। ुबाया जाए. फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी जनवरी 30 हर आदमी को और जरुरी है ऐसे देखना। लोग भटक नहीं सकते। अगर आप किसी बिल्ली को कहेंगे इसमें शिष्टाचार की बात माँ कह रही हैं। घर से निकालना चाहें तो सात मील की दूरी पर ये बहुत गहरी बात है। जितना आप देखते हैं, उसको ले जाकर छोड़ दें, तो भी शायद वापस उतना ही चित्त आपका बाहर की ओर जाता है, चली आएगी। कुत्ते के तो क्या कहने, कुत्ता तो ऐसे जितनी आपकी दृष्टि बाहर की ओर जाएगी उतना सुँघ कर घूमता है कि उसे फौरन पता चल जाता आपका मूलाधार चक्र खराब होगा। विशेष करके है कि चोर कहाँ गया और कहाँ की चीज कहाँ इस तरह की चीजों की ओर या बहुत से लोगों की गई लेकिन मनुष्य के अन्दर तो सूँघने की शक्ति ये आदत होती है कि हर रास्ते में जो चीज़ पडती भी बड़ी नष्ट हो जाती है। उसे गंदगी की तो बदबू है। है, हर advertisement पढ़ना चाहिए अगर एक आने लगती है लेकिन पाप की गंदगी की नहीं दो चीज़ छूट गई तो पीछे मुड़कर आएगी। वो उसे नहीं सूघ पाता है जो हमारे अन्दर है। या हर चीज बाजार में दिख रही है, हर चीज पाप बन कर जी रहा है और जो आदमी है उनको देखना ही है। ये कौन सी चीज है, कौन महापापी। उसके साथ हम खड़े हैं। उसको उस सी चीज़ है, कौन सी चीज़ है ऑँख का सम्बन्ध की बदबू जरूर आ जाएगी कि यहाँ गन्दा पड़ा है, हमारे मूलाधार चक्र से बहुत नजदीक का है । यहाँ सफाई नहीं है, यह नहीं है, वो नहीं है, पीछे की तरफ में यहाँ पर भी हमारा मूलाघार चक्र महापापी जो उसके मास खड़ा है उसकी बदबू देखेंगे, बो पढ़ना है। इसका सम्बन्ध हमारी ऑँख से बहुत जबरदस्त उसको नहीं आयेगी । और वो महापापी कोई हो, होता है। इसलिए जो लोग अपनी आँखे बहुत मिनिस्टर हो कोई हो तो उसके तलुए चाटने में इधर उधर चलाते हैं उन को मैं आगाह कर देना इनको फरक नहीं पड़ेगा चाहती हैं कि उनका मूलाधार चक्र बहुत खराब हो जाता है और अजीब-2 तरह की परेशानियाँ उनको का सारा, यों कहना चाहिए कि, अस्तित्व खराब हो उठानी पड़ती हैं। सब से पहले तो बात यह हो जाता है और गणेश तत्व जो है उस पर चन्द्रमा का जाती है कि ऐसे आदमी का चित्त स्थिर नहीं रह वर्षाव है। चन्द्रमा जब बिगड़ जाते हैं तो आदमी को पाता। क्योंकि वो अपनी दिशा भूल गया। Lunacy की बीमारी हो जाती है, आदमी पागल हो इधर-उधर धीरे-धीरे देखना भी दिशा भूल का जाता है। और पागल तो क्या हो जाता है असल एक नमूना है। जिस आदमी को अपनी दिशा में बात यह होती है कि जब आदमी इधर उधर मालूम है, वो सीधे चला जाता है। दिशा का भूल अपनी आँखें घुमाने लग जाता है, तो उस का चित्त जाना मनुष्य ही कर सकता है, जानवर नही कर अपने आप अपने काबू में नहीं रहता और कोई सी सकता। क्योंकि उसको कोई बजह ही नहीं, वो भी दुष्ट आत्मा उस पर आधात कर सकती है। जब दिशा क्यों भूले ! समझ लीजिये किसी एक जानवर विदेश के लोगों को मैंने बताया कि तुम लोग क्या गणेश तत्व के खराब हो जाने से मनुष्य को मार कर कहीं डाल कर रहे हो अपनी आँख के साथ। ईसा मसीह ने किसी दूसरे जानवर दिया, उसे मालूम है उसने उसे कहाँ डाला है, साफ शब्दों में कहा यह लिखा गया है कि Thou उसको उसकी सूँघ आएगी उस की समझ में shall not commit adultery' लेकिन ।would आएगा, वो बराबर अपने मौके पर पहुँच जाएगा। yunto' Thou shall not have adultrous eyes. ' say फरवरी, 2005 घैतन्य लहरी । जनवरी 31 हम इस तरह से अपना गणेश तत्व खराब करते लोग पंजाबी आये हैं। मजाल नहीं सरदार जी लोग किसी औरत को कभी बुरी निगाह से किसी ने उसकी कुण्डलिनी टिक नहीं सकती, फिर खिंचकर देख लिया तो खून-खराबी हो जाती थी और वापस चली आती है कितनी भी मुश्किल से ऊपर आज यह अपनी हालत हो गई है कि किसी को उठ कर कुण्डलिनी जैसे कि कोई चरखी हो इस किसी का पता नहीं। और अगर आप कहें कि यह कैसे हो सकता है हमारा तो चित्त ही नहीं बच सकता। अरे भई, पचास साल पहले यह नहीं था, चालीस साल पहले भी नहीं था तो आज क्या हो रहते है और जिसका गणेश तत्व खराब हुआ, तरह से गणेश जी उसे खींच लेते हैं । कुण्डलिनी उठती नहीं और उठती भी है तो फिर जाकर दब जाती है। इसमें, अगर समझ लीजिये कोई आदमी चोर हो, चकार हो चोरी गया है कि हम लोगों की सभी आँखों की शर्म और हया कहाँ चली गई ? अरे कोई बत्ताता थोड़ी था करता हो तो परमात्मा की नजर में इतना बड़ा कि शर्म, हया करो, वह तो सब अन्दाज हो ही गुनाह नहीं है। Govt. से चोरी करती है तो समझ लो कि Income है अपना ही Income है उसमें जाता था। इन्सान को पता रहता ही था। इसी तरह से पहले लोग रहते थे। आजकल बहुत पता नहीं कौन चोर है। Govt, चोर है या जिसका Income tax खाया जा रहा है वो चोर है। उसका लायक हो गए ना ? तो जैसे-2 चलते हैं अगर हमने इसमें अपना गणेश तत्व खो दिया, बहुत कुछ मतलब यह नहीं कि आप Income tax न दें लेकिन परमात्मा की नज़र में वो आदमी बहुतमें कहती नहीं कि लोग बुरा मान जायेंगे। लेकिन खो दिया। कल आपने पूछा तो मैं बता रही हैँ वरना दृषित है जिसकी नज़र स्त्री के ऊपर शुद्ध नहीं है। सिवाय अपनी पत्नी को छोड़कर बाकी सब औरते शुद्ध स्वरूप में देखनी चाहिए। लेकिन आज के लोग ऐसा मानते नहीं कि ऐसा होता था। जौसे हमारी उम्र में हम तो अधिकतर लोगों को ऐसा ही देखते थे। अब इस उम्र में देखते हैं तो हमारी उम्र की औरतें, जो लोग बुड्ढे लोग हैं वो भी सत्यानाश हो गए। अपनी उम्र में उन्होंने अपने जवानों से ये बातें सीखी है और बुड्ढे ज्यादा ही बरबाद हो गए जवानों से। कुछ समझ में नहीं आता कि इन लोगों को अक्ल कब आयेगी । जब जवान थे. कोई मजाल नहीं जब हम लोग छोटे थे तो कभी भी ऐसा सवाल नहीं उठता था। हम तो अकेले चले जाते थे कहीं भी पंजाब में भी हम पढ़े हुए हैं। पंजाब में मजाल नहीं कोई बदतमीजी कर ले सब लोग फाड़ खायेंगे। और अब वहीं के ये आजकल जो हवा है वो बहुत खराब है, बहुत नुकसानदेय है इसी से हमारे यहाँ सब तरह के indiscipine (अनुशासन हीनता), खराबी और बदतमीजियों और दुष्टता आ रही है। जब आप इस तरह के काम शुरु कर देते हैं। अब तो जब औरतें भी इस ढंग की हो गई, तो आदमियों का क्या हाल होगा? इस तरह आजकल औरतों का हाल है आदमी तो आदमी औरतें भी इस तरह की होने लग गई इस संसार में। परमात्मा का राज्य आना मुश्किल है। आजकल इस तरह के गुरु भी हो गए हैं जो सिखाते है कि ऐसे धन्धे करो तो भगवान मिल जायेगा तो और भी अच्छे ऐसे गुरुओं के इलाकों में लोग आ गए ऐसे गुरुओं के हाथ पड़ते दान े हैं। यहाँ अब इतने बैठे हैं, ऐसे गुरुओं के पास दस गुने बैठ जायेंगे। ये बातें किसी को अच्छी थोडी लगती हैं। अरे भाई आराम से जैसा करना है करो 1 बैतम्य लहरी जनवरी फरवरी, 2005 32 अपने गणेश तत्व को कुचल मारो, गणेश जी को जाता है बो भी मना है देखिये, मंगलमय सहज-योग में आशीर्वादित होता है। यहाँ तक कि सहज-योग के विवाह भी होते हैं जो बहुत ज्यादा हमने देखे हैं, लाभदायक होते हैं । सहज-योग की तरफ से हम लोग विवाह बैवाहिक जीवन सुला दो। कुण्डलिनी तत्व जो है। ये कोई साइन्स-वाइन्स (विज्ञान) की बात नहीं है ये तो पवित्रता की बात है। पवित्र आदमी की-Holiness. लोग मुझे Her Holiness तो कहते हैं पर Holi- ness (पवित्रता) की जब बात करती है तो उनको समझ में नहीं आता कि आजकल तो कोई गुरु ऐसा नहीं करता कि आपको पवित्र होना चाहिए। है। अगर आपमे पवित्रता नहीं है तो आप परमात्मा माताजी तो एक अजीब गुरु हैं जो पहले ही शुरु कर देती हैं कि आपको पवित्रता रखनी चाहिए । बाह, अधिकतर तो गुरु यही कहते हैं कि भाई जो हैं करना है वो करो पर पैसा जमा कर दी, बसे कान की क्योंकि गाँ के लिये ये सब कुछ मुश्किल काम करते हैं, उससे लाभ होता है। बहुत विवाह एक मंगलमय कार्य है और उसमें आप जानते हैं हम हमेशा गणेश की स्तुति करते की बात नहीं कर सकते, सच बात मैं आप से कहूँ। इसलिए बहुत लोग कहते हैं, कि माँ हमारे कर्मों के फलों का क्या होगा ? और हमारे कर्म अच्छे नहीं । बहरहाल मेरे सामने यह बातें नहीं करने खतम। पैसा तुमने जमा किया कि नहीं ? कुण्डलिनी - जागरण जो है, यह असलियत नहीं। उनका नाम ही बनाया है पाप-नाशिनी वगैरह, तो क्या है? लेकिन पार होने के बाद याद लिए रखना कि आप पार नहीं थे अन्धेरे में थे चलो जैसे भी हो लेकिन उसके बाद यह बात जाननी हैं, reality है, actualisation है। इसके मनुष्य का पवित्र होना जरूरी है। अगर आप पवित्र नहीं हैं तो आपको कुण्डलिनी जागरण का अधिकार मिलना नहीं चाहिए। फिर भी माँ का रिश्ता है, मां मानने को तैयार कभी नहीं होती कि मेरा बेटा जो है वो गिर गया है। उसके लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि उसको ही लाछन लोगों ने सीख लिया है कि पवित्रता क्या है तो लगता है। इसी से तो सारी अपनी पुन्याई लगा के कहती हैं कि पूजा-पाठ तो करा दो। पहले यह ऐसा हिन्दुस्तानी अभी तक मुझे नहीं मिला जो बात जानना चाहिए कि चाहे आप बरा माने या भला अपने जीवन में पार होने के बाद आपको जरूर पवित्र बनाना होगा पवित्रता आप में बहुत चाहिये कि अपने गणेश तत्व को आप बहुत आसानी से जगा सकते हैं। जब यह परदेसियों में जम गया तो फिर आप लोगों में क्यों न जमे ? जब इन क्या आप लोग नहीं जमा सकते ह? कम से कम अपवित्रता को अच्छी समझता हो। करता है, पर जानतता है कि गुनाह है, गलती है, यह समझता है। कोई हिन्दुस्तानी चाहे विदेश में रहा हो, करता जरूरी आनी चाहिए। इसका यह मतलब नहीं कि है पर जानता है गलत काम है। लेकिन यह तो आप सन्यासी बनकर घूमें, सन्यासियों को भी बेचारे यह भी नहीं जानते कि यह गलत काम है। सहज-योग नहीं मिल सकता। यह मतलब मेरा अह ती सोचते हैं अच्छा काम है। वो तो कहते हैं बिल्कुल नहीं कि आप किसी unnatural (अप्राकृतिक) तरीके से रहिये, बिल्कुल नहीं। इससे कल्याण नहीं, ऐसा भी ये लोग सोचते हैं। इतने आदमी बड़ा ही शुष्क हो जाता है, ववकूफ है इस मामले में, यानि सरल है बेचारे। तब कि करना ही चाहिए ऐसा। इसके बिना आपका सूखा इन्सान हो जनवरी - फरपरी, 2005 घैतम्य लहरी भी वो बच गए, आप भी बच सकते हैं। लेकिन bathroom के पास रख दिया था। यह बात सही जिम्मेदारी आप पर है। इस गणेश तत्व को बनाये है, एक दूसरे माने में या एक दूसरे आयाम (di- रक्खें जैसे गणेश हैं देखिये मूलाधार चक्र जो है mension) में । यह बात है कि बो अपनी माँ की वो कहाँ पर है ? जो कुछ भी विसर्जित किया है रक्षा करें, कि उन की प्रतिष्ठा की रक्षा करें, उनके उसको कहना चाहिए कि excretion जितना protocol की, उनकी पवित्रता की रक्षा करें क्यॉंकि होता है उस पर श्री गणेश बैठा दिये गए हैं वो वो virgin (कुमारी) हैं, वो कन्या हैं, इसी प्रकार सारा कार्य श्री गणेश करते हैं। क्योंकि श्री गणेश हमारे अन्दर जो कुण्डलिनी है गौरी स्वरूपा हैं, जैसे कीचड़ में कमल होता है उस प्रकार हैं । अभी है, उनका उनके पति से मेल नहीं हुआ। पति अपनी सुगन्ध से सारा सौरभ इतना लुटाते हैं कि उनके आत्मा-स्वरूप शिवजी हैं और गणेश वहाँ वो कीचड़ भी सुगन्धमय हो जाता है आपको बैठे हुए हैं और उस दरवाजे पर श्री गणेश बैठे हुए आश्चर्य होगा कि जैसे ही आपका गणेश तत्व हैं और उस दरवाजे से शिवजी भी नहीं जा सकते। जमना शुरु हो जायेगा आपने सोचा भी नहीं होगा, इतना पवित्र वो दरवाजा है और यह दुष्ट लोग, आप जानते भी नहीं होंगे कि कितना आनन्द अन्दर इनको तो तान्त्रिक कहना चाहिए, उस तरह से से आने लगता है क्योंकि तत्व निर्मल है इसका। कोशिश करते हैं कुण्डलिनी मों की ओर जाने की तत्व का मतलब ही निर्मलता है। जो चीज़ निर्मल और इसी वजह से उनको हर तरह की तकलीफ है, माने तत्व पर आ गई उसका मल ही सारा हट हो जाती है। जिस आदमी में पवित्रता नहीं है गया और वो ही निर्भल होता है जो किसी मल को उसको कोई अधिकार नहीं है कि वो कुण्डलिनी अपने अन्दर जमने न दे। कोई भी चीज जो निर्मल जागृत करे। अगर ऐसा आदमी कोशिश करेगा तो करती है वो तत्व ही हो सकती है क्योंकि तत्व से जरूरी है कि श्री गणेश उस पर नाराज हो जायेगे कोई चीज़ लिपट नहीं सकती हमेशा तत्व बनी और फलस्वरूप उसके अन्दर अनेक तरह की रहता है। इसलिए सबसे पहले हम लोग गणेश का विकृतियाँ आ जायेंगी। कई लोग तो, मैंने सुना है, आहान करते हैं और उनकी आराधना करते हैं और नाचने लग जाते हैं, कई लोग हैं चिल्लाने लग उनको हम मानते हैं लेकिन आजकल लोग कुछ जाते हैं, कई लोग भ्रमित हो जाते हैं, और कई ऐसे निकल गए हैं कि कुण्डलिनी के नाम पर जानवर जैसी बोलियाँ निकालने लगते हैं। किसी गणेश जी का अपमान कर रहे हैं सुबह से शाम किसी लोगों को मैंने देखा है कि उनके अन्दर तक। इतना अपमान कर रहे हैं कि मैं आपसे बता blisters (फफोरड़े) आ जाते है क्योंकि ऐसे लोगों के पास वो जाते हैं जो अपवित्र हैं, जिनको कुण्डलिनी कुण्डलिनी उनकी माँ है और वो भी के लिए कोई मालूमात नहीं और जब वो कुण्डलिनी कन्या । कन्या स्थिति में वो भी जब पति के विवाह की ओर अग्रसर होते है, गलत रास्तों से और से पहले उनका स्वागत करने से पहले जब नहाने गलत तरीकों से तब उन पर स्वयं साक्षात् गणेश गईं, विवाह उनका हो चुका था, लेकिन अभी पति गरजते हैं साधक के श्री गणेश, और साधक को से मुलाकात नहीं हुई थी। तो जब नहाने गई थी बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है। सारा तान्त्रिक गणेश जी को बनाकर शास्त्र गणेश जी को नाराज करके पाया जाता नहीं सकती। तब उन्होंने श्री जनवरी - फरवरी, 2005 वैत्न्य लहरी 34 हैं। जिनको लोग तान्त्रिक कहते हैं वो असल में आ जाती है। इसलिये गणेशजी से हम कहते हैं तान्त्रिक नहीं हैं। जो वास्तविक निर्मल तन्त्र है वो कि हमारें अन्दर विवेक, सुबुद्धि हमारे अन्दर Wis- यह है, जो सहज-योग है। क्योंकि तन्त्र माने dom दीजिये मनुष्य के अन्दर यदि दिशा का कुण्डलिनी है, यन्त्र माने कुण्डलिनी हैं तो यह ज्ञान नहीं भी हो तो कुछ फरक नहीं पड़ता लेकिन शास्त्र केवल सहज-योग में ही जाना जा सकता अच्छे बुरे का उसको ज्ञान होना जरूरी है। इसीलिये है। और बाकी जो तान्त्रिक हैं ये परमात्मा विरोध में हैं, ये दुष्ट लोग हैं, ये देवी जी को नाराज इसीलिये वो विवेक देने वाले माने जाते हैं। यह करके, ये गणेश जी को नाराज करके उनके गणेश तत्व है। सामने व्यभिचार करके ऐसी सृष्टि तैयार करते हैं के हम उनसे मॉँगते हैं कि हमें आप विवेक दीजिये। अब हमारे अन्दर जो दूसरा बहुत महत्वपूर्ण जहाँ वो दुष्ट कारनामें कर सकते हैं, जहां वो भूत तत्व है वो है विष्णु तत्त्व। विष्णु तत्व से हमारा धर्म धारण होता है अन्दर, जो कि हमारे नाभि चक्र से सकते हैं। यह बहुत समझने की बात है, कि प्रवाहित होता है, जो हमारे नाभि में है। नाभि में जिसका गणेश तत्व ठीक होगा उस पर कभी हमारे अन्दर धर्मधारण है। जैसे कि आप amoeba विद्या. मशान विद्या आदि करके लोगों को भ्रमा तान्त्रिक हाथ नहीं मार सकते, कभी नहीं, चाहे में थे तो आप अपना खाना पीना खोजते थे। जब कितनी भी कोशिश कर ले। जिस आदमी का गणेश तत्व ठीक है, उस आदमी का कोई बाल बॉका नहीं कर सकता। इसलिये गणेश तत्व जो और उससे आगे जब आप जाते हैं तो आप 'परमात्मा आप amoeba से और ऊँचे हो गए. इंसान की दशा में आ गए तब आप अपनी सत्ता खोजते है को खोजते हैं। आप के अन्दर यह धर्म है कि आप कुछ है वो सुरक्षा का तत्व है। सबसे बड़ी सुरक्षा गणेश तत्व से होती है । इसलिये अपने गणेश तत्व को आपको बहुत ही नहीं खोज सकते। कोई भी प्राणी परमात्मा को नहीं ज्यादा सुचारू रूप से संवारना चाहिये। सबसे खोज सकता, केवल मनुष्य ही परमात्मा को खोज पहले तो अपनी नजर नीचे रखिये। लक्ष्मण जैसे सकता है । ये मनुष्य का धर्म है। और इसके दस आप बनें और अपनी आँख सीताजी के चरणों में धर्म हैं और ये धर्म का तत्व विष्णुू जी से हमें मिलता ही रखिये। क्या उनके अन्दर कोई पाप नहीं था है। अब बहुत से लोग सोचते हैं कि विष्णु जी से लेकिन सीताजी के ही क्या, इसका मतलब यह है हमें पैसा मिलता है, और विष्णु जी से हमें और लाभ कि उन्होंने चरण को ही देखा क्योंकि उन्हें ज्ञात होते हैं लेकिन ये बात नहीं है कि सिर्फ उनसे हमें था कि ऊपर देखना, किसी की ओर दौड़ना अपना पैसा ही मिलता है। ऐसी ऐसी गलत भावनाएं चित्त ही बिगाड़ना है गणेश तत्व हमें पृथ्वी माँ से हमारे मन में बसी हुई हैं कि विष्णु जी से सारा क्षेम मिला मिला है, धरती माँ ने हमें गणेश तत्व दिया जो है हमें मिलता है और बाकी कोई मतलब नहीं। हैं। अब हम इसलिये पृथ्वी माँ का अनेक बार सारे क्षेम से क्या लाभ होता है आप सोचिये ? जब धन्यवाद मानते हैं कि आपने हमें यह तत्व देकर के मनुष्य क्षेम को पाता है, समझ लीजिए, आप एक दिशा का ज्ञान दिया। जब मनुष्य के अन्दर गणेश दशा लीजिए। एक मछली है उसने यह जान लिया तत्व जागृत हो जाता है, उसके अन्दर विवेक-बुद्धि कि अब हम इस समुद्र से पूरी तरह से संतुष्ट हैं, परमात्मा को खोजें, यह मनुष्य का धर्म है। जानवर चैतन्य लहरी जनवरी फरवरी, 2005 35 तो संतोष को पा लेती है तब उसे विचार आते हैं पर खड़ा है और उसकी गर्दन सीधी है-ये तो बाह्य कि समुद्र को तो सब देख लिया, उसका तो धर्म में हुआ बहुत ही ज़्यादा जड़ तरीके से, आप हमने जान लिया समुद्र का, अब हमें जानना है कि समझे? लेकिन तत्व में क्या मनुष्य के पास जो कि जमीन का धर्म क्या है। तो वो अग्रसर होती है। हर बार जब भी आप कोई-सा भी काम करते हैं तो मछली का अवतरण जो हुआ है तो सिर्फ इसलिए तत्व अपने कार्य में भी उसी तरह से प्रभावित होना हुआ है, कि एक मछली उसमें से बाहर आ गई चाहिए । समझ लीजिए आज हम इसमें से बातचीत अब जब वो मछली बाहर आ गई-एक ही कर रहे हैं और हम समझ रहे हैं। लेकिन इससे भी मछली-वही अवतार हम मानते हैं जो पहले बाहर बढ़िया कोई चीज़ आ जाए तो ये मशीनरी जो काम आई और उसने बहुत सारी मछलियों को अपने करेगी वो भी नई होगी या नहीं । इसी प्रकार मनुष्य साथ खींच लिया क्या सीखने के लिये ? कि धर्म के अंदर का भी जो तत्व है वो एक नया विकसित क्या है। कौन सा धर्म ? जमीन का धर्म क्या है ? तत्व है, और वो तत्व जो कि परमात्मा को खोजे, इसलिये नहीं कि वो मछलियों बाहर आ गई अब उसका जो तत्व है तो परमात्मा को खोजता है। उनमें दूसरा धर्म सीखने की बात आ गई पहले इसलिए मनुष्य का प्रथम तत्व है परमात्मा को पानी का धर्म सीखा फिर अब जमीन का धर्म खोजना। जो मनुष्य परमात्मा को खोजता नहीं वो सीखने लगे जब जमीन का धर्म सीखने लगे तो पशु से भी बदतर है। अब जब वो परमात्मा को रेंगते रेगते उन्होंने देखा कि पेड़ भी है । पेड़ के भी खोजने निकला तब उसका तत्व जो है, नाभि चक्र आप पत्ते खा सकते हैं। क्षुधा पहली चीज़ होती है का पूर्ण हुआ। अब वो अगले तत्व पर आया। कि जिससे कि आदमी खोजता है। खोजने की शक्ति जब परमात्मा को खोजने लगा तो उसने देखा कि नाभि में ही पहले इसलिए होती है कि उसमें क्षुधा संसार की सारी सृष्टि बनी हुई है। हो सकता है होती है आपको इच्छा होती है कि किसी तरह से इन तारों में, ग्रहों में और इन सब में ही परमात्मा अपने..और जानवर हो जाने के बाद उसने सोचा हो। उसके तरफ उसकी दृष्टि गई। तब उसे कि अब गर्दन उठाकर रहें। बहुत झुक-झुक कर हिरण्यगर्भ याद आए। उन्होंने वेद लिखे। उनका रहे अब गर्दन उठाकर रहें । जब उसने गर्दन अग्नि आदि जो पाँच तत्व की ओर चित्त गया । उठाई तब वो मनुष्य बना। धीरे-धीरे फिर वो मनुष्य उसको जानने की उन्होंने कोशिश करी । उनको बना। गर हमारे अन्दर ये जो धर्म है कि हम धर्म जानते हुए उनको जो हवन वरगैरा करते थे, वो को धारण करते हैं. जैसे कि पहले मछली का धर्म किये और ब्रह्मदेव और सरस्वती की अर्चना की था कि वो पानी में तैरती थी, उसके बाद कछुए का और सब कुछ करने के बाद भी उन्होंने देखा कि धर्म था कि वो रेंगता था जमीन पर, उसके बाद जो इस सबको तो हम जान गए, बहुत कुछ जान गए। 1 जानवर थे उनका ये धर्म था कि वो चार पैर से जैसे कि Science में लोग सब कुछ जान गए, चलते थे लेकिन उनकी गर्दन नीचे थी। फिर घोड़े बहुत कुछ जान गए लेकिन जब Science का जैसे उन्होंने अपनी गर्दन ऊँची की थी। उसके बाद नतीजा निकला तो उन्होंने कहा कि ये क्या, हमने उन्होंने सारा शरीर ही खड़ा कर दिया और दो पैर तो atom bomb बना दिया। अब उस कगार पर पर खड़े हो गए ये मनुष्य का धर्म है कि दो पैर आकर खड़े हो गए Science वाले भी कि हम आगे जनवरी फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 36 कहाँ जा रहे हैं, अब तो गड्ढा ही सामने है। इससे एक कदम आगे गए तो सारा संसार एक क्षण में खत्म हो जाएगा| अब उन्होंने किताबें लिखी हैं कि परमात्मा को खोजना ही सब बात है तो आप समझ सकते हैं कि Science के रास्ते से आपको परमात्मा नहीं मिल सकते। Science के रास्ते से आपने जो आप अगर पढ़े तो एक है कि shock पर, मतलब कुछ पाया है, जो कुछ आपने बड़ा भारी ज्ञान' पाया ये कि कितना बड़ा shock है, और संसार में लोग है, उससे किसी ने भी आनन्द को नहीं पाया है। अज्ञान में बैठे हैं, इसलिए दुखी हैं। जैसे France हॉ, ये जरूर है कि आप आलसी हो गए पहले से के लोग हैं तो हमेशा मुँह लटकाए रहते हैं। तो मैंने ज्यादा। अब आप चल नहीं सकते। England में कहा कि ये क्यों ? तो कहने लगे, माँ इन लोगों आप किसी दुकान में चले जाइए, अगर किसी को को अगर कहिये कि आप सुखी हैं और आनन्द में 2,4,6 तो कहेंगे आप से बढ़कर बुद्धू कोई नहीं । और सकते। तो उनको तो चाहिए-Computor ,उसके आप बिल्कुल ही इस दुनिया की बात नहीं जानते बगैर उनका काम नहीं चलता है, वो अगर खो तो मैंने कहा-अच्छा। क्योंकि ये कहते हैं कि हम गया, तो उनकी खोपड़ी गायब है। पहले तो अति तो पढ़ते लिखते रहते हैं और हमने ऐसी ऐसी सोचने से उनके हाथ बेकार हो गए । कोई भी किताबें पढ़ी हैं जिनसे से ज्ञात होता है कि दुनिया कशीदाकारी का काम, खाना बनाने का काम, कोई पर बड़ी भारी आफत आने वाली है और सारा भी काम वो नहीं कर सकते। अब, जब उनकी संसार खत्म हो जाने वाला है मनुष्य ने पूरी खोपड़ी ज्यादा चलने लग गई, उसके बाद मशीन तैयारी कर ली है कि अपने को एक मिनट में खत्म कर ले। और ये बड़ी भारी आफत की चीज़ है और डाल दिया। अब जब मशीन आ गई तो खोपड़ी भी आप सुख में बैठी हैं, आनन्द में बैठी हैं। तो इन पर बेकार। अब सब कुछ उनके लिए मशीन हो गई विश्वास नहीं होगा तो मैने कहा कि क्या इसीलिए उसके बगैर बो चल नहीं सकते। अगर वहाँ पर लोग शराब पीते हैं ? क्योंकि बड़े दूुखी जीव हैं, बिजली बंद हो जाए, तो लोग आत्महत्या कर लें। बड़े दुखी है न। मुँह लटकाने के वक्त तो दुखी हैं, तो अपने यहाँ, भगवान की कृपा से अच्छा है। अभी फिर शराब क्यों पीते हैं। अच्छा, ये भी कहिये कि भी लोगों को आदत है, कि बिजली चली जाती अपने गम गलत कर रहे हैं । हाँ ये भी एक बात है और वहाँ लोग परेशान रहते हैं, कि गर वहाँ समझ लें, मों, कि गम गलत कर रहे हैं। लेकिन एक ब्रार बिजली चली -गई अमेरिका में बिजली गई हर मोड़ पर एक गन्दी औरत रास्ते में Paris में तो न जाने कितने accident हो गए, कितनी आपको खड़ी मिलेगी। ये किस सिलसिले में ? ये आफतें आ गई, कितनी परेशानियाँ आ गई, कि मैंने कहा कि आदमी ने अपने लिए एक नाटक बना तूफान हो गया, कि कभी जलजला आया हो तो कर रखा है कि भई मैं बड़ा दुखी हूँ, इसलिये मुझे इतनी आफत नहीं थी जितना कि बिजली का। शराब भी चाहिये और पाप भी करना चाहिए। उसका तो बड़ा नाटक हो गया। इस कदर उन्होंने का गुणन करके बताइए तो कर नहीं बन गई और उन्होंने अपनी खोपड़ी को मशीन में 1 अगर मै पाप नहीं करूंगा तो मेरा दुख कैसे अपनी गुलामी कर ली और अब इनको पता हो रहा मिटेगा? इस तरह की बेवकूफी की बातें करते हैं । है कि plastic के इन्होंने इतने बड़े बड़े पहाड़ अब कहने का मतलब ये है, कि गर तत्व में खड़े कर दिये। अब इन plastic का क्या करें ? फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी जनवरी इनको नष्ट कैसे करें ? अब इसके पीछे लगे हुए और हम कहते हैं कि वे affiuent हैं, पैसे वाले। अरे हैं। अब सर पकड़ कर बैठे हुए हैं। एक घर में इनके पास क्या है ? सिवाय plastic के इनके पास अगर आप जाइए तो आपको न जाने कितनी तरह क्या है ? plastic में खाना, plastic में रहना, की चीजें दिखाई देगी हिन्दुस्तानी लोगों का तो plastic में मरना और इनके घरों की हालत ये हो दिमाग खराब हो रहा है । जब भी मुझसे कहते हैं गई है कि रहे होटलों में मरे अस्पतालों में । ये तो कि विलायत से आते हुए nylon की साड़ी लाओ। खानाबदोश हो गए। इनका तो सारा ही कुछ मिट अरे भई, यहाँ इतनी बढ़िया cotton की साड़ी गया तो इनकी इतनी गलतियाँ हो गई हैं Sci- मिलती है, sik की साड़ी मिलती हैं। काहे को वो nylon पहनते हैं पर हम लोगों को तो nylon का करूंगी तो आप हंसते हंसते लोट-पोट हो जाएंगे। शीक हो गया है। हमें plastic का शौक हो गया है। वहाँ किसी को बता दें तो किसी को विश्वास मैडकिल Science में थे हो गया, वो हो गया। ence वालो की, कि किसी भी बात पर मैं बात Medical Science को देख लीजिए, कोई कहेगा नहीं होता कि हम इतने बेवकूफ हैं। वहाँ पर तो क्या हुआ है ? खाक हुआ है जरा देख लीजिए । लोग cotton को भगवान समझते हैं क्योंकि उनको अब बता रहे थे अभी अभी कि साहब आप तो मजन मिलता ही नहीं। पहले उन्होंने खूब cotton के करते हैं यहाँ पर, उसका जो toothpaste होता है कपड़े बनाए। अब समझ लीजिए कि गर उनके तो chloroform उसमें मिला देते हैं उसकी वजह यहाँ शराब होती है घर में तो दस तरह के glass से, तो chloroform मिला देने की वजह से अब होंगे। इसके लिए ये glass, उसके लिए वो कैसर होने लग गया है, तो कोई लोग कहेंगे कि glass, उसके लिए वो glass, उसके लिए वो हिन्दुस्तान से मंगा दीजिए हमको नीम toothpaste glass । खाना खाने के लिए दूसरा चमचा, तीसरे उसमें chloroform नहीं होता है। मैंने कहा बहुत के लिए तीसरा चमचा। उस के लिए दूसरी प्लेट उसके लिए चौथी प्लेट। अरे भाई, एक थाली लेलो भेजें। हम तो लगा नहीं सकते chloroform उसमें । और इस हाथ से खाओ। पच्चीस तरह के glass यहाँ से चीजें जाना शुरू हो गई, हाथ में जो वो और पच्चीस तरह के ये और पच्चीस तरह की लोग साबून लगाते हैं उसमें भी chemicals होते हैं तश्तरियाँ, भगवान बचाए ! अब ये हालत आ गई असल साबुन नहीं होता है। हिन्दुस्तान का साबुन कि जितना भी था निकल गया पृथ्वी माता से थोड़े दिन में देख लीजिएगा, सारी दुनिया में चला सब कुछ तत्व निकाल डाला इन्होंने,खोखले हो जाएगा। आप लोग अब शेयर-वेयर मत लीजिए । गए। अब काहे में खाते हैं। सुबह, शाम हर वक्त क्योंकि हिन्दुस्तान का साबुन शुद्ध होता है, वो तत्व कागज में खाते हैं। हमारे एक रिश्तेदार गए थे पर बना होता है। कोई artificial पर नहीं। हरेक वहाँ अमेरिका , बेचारे पुराने आदमी है कहने चीज बहाँ की, मैं तो कभी विदेशी चीज इस्तेमाल लगे साहब मैं तो तंग आ गया। रोज Picnic नहीं करती। इसीलिए-क्योंकि सब चीज इनकी, करते करते हालत मेरी खराब हो गई। जब देखो आप देखिये वो बड़े बड़े scents होते हैं, तंबाकू तब वो अपनी या तो plastic की प्लेट और या तो होता है, क्या क्या होता है उसमें सारा और कागज की प्लेट । इनके घर में तो ये हालत है । अच्छा। क्योंकि chloroform मंहगा है हम कहाँ से कुछ नहीं; तंबाकू है तंबाकू से बना है इसलिए तंबाकू जनवरी फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 38 शब्द। और क्योंकि वो तंबाकू थोड़ी-थोड़ी चढती पढ़ गए, और अब कगार पर खड़े हुए हैं कि एक जाती है, आदमी को नशा आता रहता है वो कदम आगे गए, और धड़ से सब के सब नीचे तभी इस्तेमाल करेगा और वो समझता है कि मैं बड़ा हूँ, सब लोग shocked है बहुत दुखित रूप से। और मैं तंबाकू इस्तेमाल कर रहा हूँ। तंबाकू है, यानि इस कदर परेशान हैं कि आप को बहुत कम लोग का पानी, उससे बनाया हुआ है। और वहाँ इस कदर मिलेंगे जिनकी कोई न कोई चीज़ अपने यहाँ के इत्र असल हैं। असल में होते हैं और न फड़क रही हो। आँख फडक रही है, नाक इनके सारे chemicals होते हैं, इस्तेमाल करने से फड़क रही हो, सिर ऐसे होता है और कई परेशानी। कोई भी चीज़ इनके यहाँ है ? अब ये कहते हैं कि कोई चीज़ वहाँ नहीं मिलेगी जो शांत हो। औरतें तो अपने यहाँ आदमी को मारती हैं, आदमी औरतों को मारते हैं, तो पहले होता ही था तो मेंहदी वरगैरा लगा लेते बच्चों को मारते हैं, बच्चे माँ-बाप को मार डालते थे। और ये लोग जो चीज़ लगाते हैं, करते हैं, हैं। कहीं सुना। मार डालते हैं। मतलब वहाँ की उससे कैंसर हो जाता है वहां इतनी artificiality statistics है, कम से कम दो तो मरते ही हैं और हो गई कि लोगों के भौहे उड़ गए । किसी के बाल तो भी आप सुनिये माँ बाप मारते हैं। तो ये इस उड़ गए, जवानी में ही किसी के दाढ़ी ही नहीं तरह की जहाँ संस्कृति बन गई है तो जानना आती, किसी के कुछ चाहिए कि उन्होंने तत्व को जाना नहीं, अगर है। पता हुआ कि वो कुछ ऐसी चीज़ इस्तेमाल जानते होते, तत्व को अगर जानते तो आज ये करते गए कि ये सब चीज़ होना उनका बंद हो हालत नहीं होती। 'क्योंकि तत्व जो है आनन्द देने गया। वहाँ सरदार जी लोगों को बुरा हाल होगा वाला है तो इन्होंने तत्व को खो डाला। तो ब्रह्म और वो लोग ज्यादा शराब पियेंगे तो और भी बुरा देव का तत्व भी गया अब अपने देश में हैं हम लोगों ने कहा कि निराकार ब्रह्म है और उसको बहरहाल। कहने की बात ये है artificial पाना चाहिए वेद में, ऐसे लिखा गया है. ये है वो है, चीजों में जाने में-क्योंकि हमने अपने तत्व को जिद करके बैठ गए। लेकिन वेद में भी लिखा है। जाना नहीं। गर इन सब पंचमहाभूतों के तत्व पर वेद माने विद माने जानना, गर सारा वेद पढ़ करके उतरने को कहें, तब भी हम जड़ में फंस गए। भी मनुष्य ने अपने को जाना नहीं तो वेद बेकार उसकी जो जड़ता है, तो उसका तत्व नहीं है। सारे हुआ कि नहीं हुआ और जब ये बात है तो पहली पंच महाभूतों का तत्व है ब्रह्मा। और ब्रह्म तत्व चीज़ ये है कि वेद का पठन करने से आप को क्या उसको पाने के लिए सिर्फ आत्मा को पाने से आत्म ज्ञान नहीं हो सकता। उसके पढन से और तबाकू सर में कई लोग लगाते हैं न - नहीं आती अजीब बुरा हाल हाल होने वाला है। ही वह हमारे अंदर से बहना शुरू हो जाता है। सब हो सकता है, लेकिन आत्म ज्ञान नहीं हो उस तत्व को तो हमने खोजा नहीं और खोजते सकता। गायत्री मंत्र है गायत्री बोले जा रहे हैं, गए, खोजते गए वहाँ पहुँच गए जहाँ वो चीज़ गायत्री बोले जा रहे हैं। अरे भई ऐसे बकवास से बिल्कुल बाहर आ गई और जड़ हो गई इसलिए क्या गायत्री देवी जागृत हो सकती हैं ? किसी की ये हालत है कि उस देश में कोई लोग खुश नहीं हुई, दिखाई दिया आपको ? किसलिए आप गायत्री है। बड़ा Science मिल गया, बहुत विद्वान हो गए, का मंत्र बोलते हैं, ये भी पता नहीं आपको। गायत्री चैतन्य लहरी फरवरी. 2005 जनवरी 39 को जागृत करने के लिए जरूरी हैं कि मनुष्य किसी तरह से खराब हो जाती है, उस वक्त ये चक्र पहले अपनी आत्मा को जाग्रत कर ले, नहीं तो पकड़ा जाता है। अब मैंने अभी तो कुछ दिन पहले गायत्री जो है-परमात्मा की ही एक शक्ति है-जब बताया था कि स्त्री में विशेषकर बड़ी जल्दी तक आपने उस परमात्मा को जान न लिया, तब खत्म हो जाती है। जैसे कि एक स्त्री है. अच्छी है. तक आप गायत्री के सहारे कहाँ चलियेगा ? समझ सद्गुणी है, लेकिन उसके पुरुष ने, मनुष्य ने लीजिये कि आपसे Prime Minister नाराज़ हैं, उसको सुरक्षा नहीं दी। समझ लीजिए एक औरत समझ लीजिए, तो आप तो काम से गये। आपने है, उसको अपने पति पर शक है, शक ही है समझ किसी दूसरे को प्रसन्न कर भी लिया तो आप तो लीजिए कि वह अवारा किस्म का आदमी है, किसी काम से गए ही हुए। कोई आप को बचा नहीं और औरत के साथ। उसका ये चक्र पकड़ जाता सकता। तो जब तक आपने परमात्मा को पाया है, इस वक्त आदभी को बजाए इसके कि उस पर नहीं तथ तक ये सारी शक्तियोँ व्यर्थ है, ये ही नाराज़ हो उसका फिर से सुरक्षा चक्र ठीक करना इसका सारांश है और 'तत्व सिर्फ आत्मा ही है।" चाहिए कि नहीं भई ऐसी बात नहीं, तुम्हारे सिवाय उसी को पाना है ये जो शक्तियाँ हैं इनको पाने मेरे लिए कोई और चीज नहीं। उसके तरीके हैं। सुरक्षा से आप परमात्मा नहीं पा सकते पर परमात्मा को उसको सोचना चाहिए कि किस तरह औरत को पाने से इन शक्तियों के तत्व पर आप उतर सकते सुरक्षा दे, बजाय इसके कि औरत से बिगड़े। वो तो है। आप जो हैं, जो हमको दूसरी ओर ऐसा चित्त खुलेआम औरत के सामने आकर "तुम कौन होती देना चाहिए कि इससे ऊपर जो शक्ति है. जो कि हो बोलने वाली ? तुम हमें टोकने वाली कौन होती दैवी शक्ति' मानी जाती है ये आपके हृदय-चक्र हो ? तुम तो बड़ी ये हो, तुम तो बड़ी शक्की हो में होती है। हृदय चक्र-हृदय से मतलब नहीं है। और जाओ तुम उसका दूसरा तत्व है जिसे हमें कहना चाहिये, हृदय चक्र खत्म । आदमी को हमारे हिन्दुस्तान में खासकर का जो तत्व है, वो दैवी तत्व है। अपने बाप के घर। सुरक्षा लगता है कि वो जो चाहे सोचे ठीक है। वो कभी अब दैवी तत्व क्या है हमारे अंदर । जब ये पाप ही नहीं करता, सारा जो भी chastity है, वो खराब हो जाता है तो क्या उससे नुकसान होते औरतों का ठेका है आदमी को कोई जरूरत नहीं हैं। इसको आप समझ लीजिए। दैवी तत्व से chastity की । ऐसा अपने यहाँ शायद लोगों का हमारे अंदर सुरक्षा स्थापित होती है। इससे हम विचार है उसका इलाज जो है कायदे से हो जाता सुरक्षित होते हैं। जब बच्चा 12 साल का होता है है। जैसे England में आप जाइए तो सब आदमी तब तक इस दैवी तत्व के अनुसार, हमारा जो हमाल हो गए हैं, बिल्कुल हमाल। सुबह से शाम sternum है जो कि सामने की हड्डी है, यहाँ पर, बिल्कुल गघे जैसे काम करते हैं और घर में आए उस हडड़ी में सैनिक तैयार होते हैं जिसे अंग्रेजी तो बीबी ने अगर उनको divorce कर दिया किसी में antibodies कहते हैं, ये देवी के सैनिक हैं, और भी तरह से तो उनका घर बिक जाता है, आधी ये सारे शरीर में चले जाते हैं और वहाँ जा कर सजे रहते हैं कि आप पर कोई भी तरह का दो-तीन बार ऐसे किया, उसके साथ हुआ वो तो attack आए, उसे रोक दें जब आपकी सुरक्षा बिल्कुल रास्ते पर पड़ गया। वो शराब पी पीकर मर property बीवी की आधी आपकी। जिस आदमी ने चैतन्य लहरी जनवरी - फरवरी, 2005 40 जाएगा और उसकी बीबी जो है उसके पास खूब अच्छा नहीं मिलता। मैंने कहा तुम क्यों नहीं पैसा हो जाएगा। उसने दो-तीन शादियाँ कर लीं. बनाते ? बोला हमको तो कुछ आता ही नहीं । हो गए। फिर जब बाह्य से, तत्व से नहीं बाह्य से आदमी हो गए तो निठल्लू, पफिर उनको कोई मतलब उसका इलाज जो होता है तो वहाँ के आदमी जो नहीं। मैं अभी एक हैं आपको विश्वास नहीं होगा कि वहाँ के आदमी साहब हैं education के Sec, हैं जो हैं बिचारे हर समय औरतों के पीछे दौड़ा करते करी। मुझे उनकी बातें सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ हैं। और वो उनके ऊपर हुक्म जमाती हैं। बर्तन उन्होंने कहा कि दस साल के अंदर इस हिन्दुस्तान साफ नहीं किये आपने ? ऐसे बर्तन साफ किये में सिर्फ औरतें नज़र आएंगी। आदमी सब झाडू जाते है? चलो झाडू लगाओ। और तुमको झाडू लगाएंगे। मैंने कहा क्यों? कहने लगे इतने निठल्लू लगाना नहीं आता ? इस तरह से झाडू लगा रहे होते हैं आदमी कि students वहाँ हमने देखा कि हो। कभी तुम्हारी माँ ने सिखाया नहीं झाडू लड़कों के जो Leaders होंगे वो दुनिया के गुण्डे लगाना ? और इस तरह से आदमी हर समय झाडू जो कभी पास नहीं होते, दस-दस साल एक ही लगाता रहता है। मैंने देखा अपनी आँख से आश्चर्य होता है। और सारा बिस्तर उसको साफ तभी अपने देश का ये नजारा दिखाई दे रहा है । करना पड़ता है और सारी सफाई उसे करनी पडती और लड़कियों में जो है, जो लड़की first आती है है जरा भी गंदा हुआ चार आदमी बैठे हैं चलिये उठाइए, उठो सफ़ाई करने। और इसीलिए जिसमें शाइस्तापन है, और जिसमें कुछ वहाँ पर आपने देखा होगा, परदेस में kitchen की ऐसी लड़कियाँ उनकी Leaders हैं। आप लडकियों जो व्यवस्था संस्था बहुत develop हो गई है क्योंकि को कोई बात समझाइये तो वो कायदे से समझ आदमियों को करना पड़ता है। यहाँ अगर चक्की जाएंगी समझ जाएंगी और लड़कों को कहेंगे तो चूल्हे करने बैठे तो पता चले। अपने अआदमी लोगों बो हर समय लट्ठ लेकर खडे हैं। और वो Lead- को काई भी काम करना नहीं आता। कोई भी ers ही ऐसे बुरे होते हैं, इतने शैतान होते हैं, कि काम। आदमी यों ही गये है ? कोई भी घर का काम करना, कोई भी चीज़ हैं कि साहब लड़कियों को तो training ये दो सुबह ठीक से करना, इससे उनको कोई मतलब नहीं। से शाम ससुराल जाने की, तो उनको तो ससुराल जैसे कि हमने देखा है, जैसे वो विलायत जाते हैं जाना है। और लड़कों को training ये, कि ससुराल तो उनके छक्के पंजे छूट जाते हैं, आदमियों के। जाओ तो मोटर जरूर लेकर आना । तो इस तरह से खाना बनाना उनको आता नहीं बर्तन धोना उनको जब हम किसी भी व्यवस्था के ऊपर उसके तत्व आता नहीं, झाडू हाथ में लेना उनको आता नहीं नहीं दूंढते और उसके तत्व से उसका इलाज नहीं कोई काम करना ही नहीं आता। वहाँ तो नौकर कर रहे हैं तब हमारे अंदर बड़े दोष आ जाते हैं । कोई होते नहीं। Students खासकर के उनका इसीलिए विवाह का तत्व समझ लेना चाहिए और वो हाल खराब हो जाता है। कहेंगे माँ की बड़ी याद तत्व है कि इसके अंदर हमारी जो पत्नी है, वो आ रही है। क्यों ? क्योंकि अब यहाँ हमें खाने को हमारी पत्नी है। अपने देश के लोगों से ये कह रहे बड़े भारी Secretary उनसे बात class में बैठे हैं, बो उनके Leaders हैं मैंने कहा। class में, जो briliant है, उसका स्वभाव अच्छा है, विवेक हैं, ता आप उनसे बात नहीं कर सकते, लडकों को तो ये की क्या जरूरत 1 फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी जनवरी 41 हैं, वहाँ ये उल्टा कहना पड़ता है, वहाँ आदमियों को ये लोग बंदूक चला देंगे, ये लोग मार डालेंगे, की सुरक्षा खराब है, उनकी हालत खराब हो जाती है लेकिन यहाँ पर जिन औरतों का यह चक्र फलाना ढिकाना। मैंने कहा कि अगर किसी की हिम्मत हो तो चलाए बंदूक। और नाम तक मैंने खराब हो गया है उनको Breast-cancer की बताए सबकुछ बताया, और सब गए, मार खाया बीमारी हो सकती है। तपेदिक की बीमारी हो और मेरे पास आए या तो Heart attack आ सकती है। Breast- cancer की बीमारी ज्यादातर जाएगा। Heart attack नहीं दिया उन्होंनें, इतनी इसी से होती है। अब इसकी बीमारी को ठीक कृपा करके छोड़ दिया तो पागलपन दे देंगे या अगर करना है, तो उसके मर्द से कहें कि भई epilepsy दे देंगे। उस पर भी अगर उनको चैन अपनी बीवी की सुरक्षा ठीक करो तो मेरी बात नहीं नहीं आया, तो cancer दे देंगे। सीधे-सीधे ले मानेंगे। वो कभी मानेंगे नहीं और Doctor तो लीजिये क्योंकि आपने उनको रुपया चढ़ाया है तो उसको ठीक नहीं कर सकते बस वो कहेंगे कि operation कर डालो, काम खत्म । Cancer हुआ काट डालों। नाक काट डालो, कान काट डालो, यहाँ से इनके ये काट डालो। बस Cancer का कुछ तो आपको देना ही चाहिए। आखिर आपने इतनी सेवा करी गुरु की। उनकी इतनी जेब भरी है तो कुछ न कुछ आप को मिलना ही चाहिए। और गुरु तत्व जब हमारा खराब हो जाता है, तो आदमी चल रहा है, आधी चीज उसकी गायब है। इतने तरह के cancer इंसान को हो सकते हैं। मतलब ये पेशानी है, इसको किसी के सामने "सहजयोग ऐसी चीज़ नहीं है सहजयोग झुकाने की ज़रूरत नहीं है। हर जगह मत्था और थोड़ी चीजें हैं, उसके सहारे चल रहा है। तत्व पर उतरता है, इसका कौन सा तत्व खराब है, उसे देखता है. उसे ठीक करता है।" टिकाने की जरूरत नहीं है। हाँ ठीक है अपने माँ बाप हैं, ठीक है आप टिकाइये लेकिन किसी को गुरु मानकर उसके आगे माथा टिकाने की ज़रूरत तत्व हमारे अन्दर है, जिसे कि धर्म तत्व कहना नहीं है पहले आप को मालूम होना चाहिये, कि अभी नाभि चक्र के चारों तरफ जो महान चाहिए, उस धर्म तत्व को संभालने वाला जो तत्व गुरु वही जो परमात्मा से आप को मिलाता! अब है उसका जो आधार है उसका जो मार्गदर्शन मेरा उल्टा है । मैं लोगों से कहती हूँ मेरे पैर मत छुओं। छ-छः हजार आदमी मेरे पैर पर सर मारते हैं, ऐसे पैर मेरे फुक जाते हैं। vibrations से मैं आसानी से हो जाती है। सबसे आसान तरीका कहती हैँ मत छुओ तो नाराज हो जाते है माँ दर्शन cancer को अगर खोजना है तो आप किसी नहीं देना चाहतीं। और ये बीमारी लोगों में है, कि करता है, तो 'गुरु-तत्व है। ये गुरु-तत्व अगर खराब हो जाए तो cancer की बीमारी बहुत गलत गुरु के पास चले जाइए। 5 साल में अगर किसी ने कहा 'ये आ रहे हैं श्री 108 420, चले आपके अन्दर कैंसर न आ जाए देखिये। और मैं सीधे साष्टांग' नमस्कार। उसके बाद चक्कर खा दस साल पहले से बता रही हूँ इन गुरुओं के नाम, ये कैसे गुरु घंटाल हैं। इनके पास मत जाओ, ये तुमको नुकसान करेंगे, सब मैं समझा रही हूँ तो सब मुझे ही समझाते हैं कि माँ ऐसा मत कहो तुम कर गिर गए। गुरु ने हमें आशीर्वाद दे दिया है और हम चक्कर खा कर गिर गये और देखा कि 5-6 साल में बराबर पागलखाने पहुँच गए। और दूसरे आदमी देखते भी नहीं कि इस आदमी की चैतन्य लहरी जनवरी फरवरी, 2005 42 कम से कम तन्दरुस्ती तो अच्छी रहती भाई जिसके थोड़े दिन उनको उल्टा टांग दिया। टंगे रहिए ! गुरु हैं। कम से कम इसको ये तो आराम होता उससे आपका वजन घट रहा है। फिर उनको और हजारों की तदाद में, लाखों की तादाद में जा foam पर रखा कि इस पर कुदने की कोशिश रहे हैं। "आपके गुरु क्या करते हैं कि सातवीं करिये, जैसे घोड़े पर कूदते हैं उस पर कुदवाना मंज़िल पर बैठे हैं ? वो बोलते नहीं। मौनी बाबा हैं। शुरु कर दिया, उसके फोटो ले लिए। छपवा दिया बोलते नहीं। बोलेंगे क्या ? कुछ इस खोपड़ी में हो कि हम हवा में चल रहे हैं। बिल्कुल झूठ, महा तो बोलें। वो बोलेंगे नहीं मौनी बाबा हैं। जाओगे झूठ, सफेद झूठ, बिल्कुल झूठ।" और कहने लगे तो चिमटा मार देंगे। चिमटा खाने के लिए लोग हम चल रहे हैं । बताइए आपकी क्या मोटरें हैं, सौ-सौ रुपया देंगे कि मौनी बाबा हैं, जितना वो गाड़ियाँ हैं उसमें चलिए। आप ऐसे ऐसे हवा में 1. 1 तमाशा करेंगे उतना अच्छा है। नए-नए तमाशे चलिएगा तो टक्कर खाइएगा। आप सोचिए कि निकालते हैं। नए-नए तमाशे। हरेक 'गुरु' कोई न कोई तमाशा निकालता है। जैसे एक गुरु ने कहा, की ज़रूरत है कि उसको कोई विशेष चीज-वो एक नया तमाशा निकाला कि तुमको हवा में उड़ना 'परम्' होना चाहिए। परम दया आनी चाहिए कि ये सिखाता हूँ। बच्चों को बहुत समझ में आ रहा है जब आप गुरु तत्व में अपनी अक्ल खो देते हैं और लेकिन बड़ों की समझ में नहीं आता। तीन-तीन ऐसे बेवकूफों के पास जाते हैं तो आपका गुरु तत्व हजार पौंड लिए। 'तीन-तीन हज़ार' पाउण्ड। सोचिये। उड़ना सीख रहे हैं। मैंने कहा नसीब के महाशय मुझसे कहने लगे कि माँ मेरी कर्म-गति मारो, तुम्हारे गुरुओं को ही क्यों नहीं उड़ा के का क्या होगा ? तो मैंने कहा कि तुम्हारे गुरु क्या दिखाने देते ? पहले उनको उड़वा लिया होता, कहते हैं ? कहने लगे कि मेरे गुरु ने कहा है कि फिर पैसे देते उनको खाने को बेचारों को, पहले तुमने जो कर्म किए हैं, जितने पाप किए हैं, उनमें से आलू उबाले। ये भी सीधे लोग हैं बिल्कुल गधे। 1 / 68 मैं खा सकता हूँ। अच्छा मैंने कहा कौन सा उबाल करके उनको पानी दिया तीन दिन। कहने हिसाब लगाया है इन्होंने। और बाकी का कौन लगे पहले तुम्हारा वज़न हल्का करना चाहिए खाएगा? इसका मतलब है कि और अढ़सठ गुरु उड़ाने के लिए। वो तीन हज़ार पाउण्ड में । तीन तुमको ढूंढने पड़ेंगे भइया। तब जाकर तुम पार हजार पाउण्ड माने पता है कितना होता है ? मेरे होगे, क्योंकि बाकी का कौन खाएगा? उसकी ख्याल से 60 हज़ार रुपए। एक-एक से 60-60 दुकान कहाँ? क्योंकि इन्होंने तो अपना 'माल' खा हज़ार रुपए, अच्छा उसके बाद में उनको 2 दिन वो लिया। और किसी के पास recommend करने लोगों में है, कि किसी ने कहा 'ये जो उसके जो का तरीका - Doctor लोग होते हैं न । जैसे किसी छिलके होते हैं वो खाने को दिए-आलू के। सबको के पास जाइएगा कि साहब मेरी ऑँख खराब है। कहने लगे वज़न तुम्हारा बढ़ना नहीं चाहिए। फिर तो कहेगा अच्छा, पहले दाँत examine करवा लाओ। जो सड़े हुए आलू थे वो आखिरी दिन दे दिए। तो फिर वहाँ सारे दाँत निकाल दिए आपके. फिर उनको फिर diarrhoea लग गया तो कहा ये बहुत उन्होंने कहा पहले अपनी आँख examine करवाओ, ज़रूरी है। इसी से तुम्हारा वज़न घटेगा फिर आँख में फोड़ा है। सब कर लिया बाद में पता क्या ज़रूरत है ? क्या अब आदमी को पक्षी होने 1. खराब हो जाता है, आप सोचते भी नहीं। एक फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी जनवरी 43 बा हुआ कि आपके कुछ हुआ नहीं। उसी तरह का अपनी तरफ से कह दिया कि मैं शरण में आया इन लोगों का हाल है। ये सब आपस की साझेदारी लेकिन मुझे शरण में आना पड़ेगा न। 'काम तो है, इन्होंने कहा कि बस मैं इतना ही लेता हूँ बाकी मुझको करने का है। मेरे हाथ से काम होना नहीं लेता हूँ। बाकी उस गुरु के पास जाओ। चाहिए। जब तक मेरे हाथ से काम नहीं बनेगा तब अगर गुरु दूसरे घायल बैठे हैं उन्होंने बाकी का इनका जितना पैसा था निकाल लिया। पता हुआ मैं बता देती हूँ कि जो पार नहीं वो पार नहीं और रास्ते में खड़े हैं। घर बिक गया, बीवी बच्चे छूट जो पार हैं वो पार हैं। उसमें कोई झूठा certificate गए। रास्ते में खड़े हुए हैं। बच्चे बेचारे भीख मांग तो कोई दे नहीं सकता। चाहे आप मेरे से लड़ाई रहे हैं जब हम अपनी अक्ल इस्तेमाल नहीं करते वो तो नहीं हुए, हुए तो हुए। सीधा हिसाब इसका तब ऐसे गुरुओं के पास जाते हैं। और इस तरह से होता है कि मेहनत हम लोग कर सकते हैं लेकिन सोच लेना कि जो भी काम भगवान के नाम पर तक तो बेकार ही चीज हो गई न और ये साफ-साफ करो, झगड़ा करो, कुछ करो, मैं क्या करूँ ? नहीं पार नहीं कर सकते "कोशिश हम कर सकते हैं । होता है, भगवान का काम है, बड़ी गलत बात है। प्यार हम दे सकते हैं। सब कर सकते हैं, 'आपको जैसे आज ही हमें एक देवी जी वहाँ पर मिलीं उन्होंने कहा कि हमारे गुरु पहुँचे हुए पुरुष थे। बढ़िया खाना बना सकते हैं, लेकिन आपके अगर उसमें कोई शक नहीं। लेकिन यहाँ बैठकर वो घंटा जीभ ही नहीं हो, तो हम खिलाएँगे क्या और आप बजा रही हैं कि हम तो गुरु के शरण में हैं। हम समझिएगा क्या ? आपकी जीभ जो है जागृत होनी तो गुरु के शरण में हैं। तो मैंने कहा कि फिर ? चाहिए जो समझे कि माँ ने बना के खिलाया है। तो कहने लगी अब तो मैं पार हो गई माँ। मैंने खाना तो आपको है या मैं आपके लिए खाना भी कहा अच्छा। अपना ही सर्टिफिकेट, अपना ही खा लूँ। सबकुछ ? कैसे पार हो गए बेटा तुम ? मैं तो गुरु के शरण में चली गई, मैं तो पार हो गई। मैंने कहा कि जो आप को गुरु सिर्फ परमात्मा से ही मिलता कि ऐसा तो 'मेरी भी शरण' में आने से नहीं हो है। जो परम् में उतारता है वो ही गुरु है और कोई सकता। अब मैं तो ज़िन्दा बैठी हूँ। तुम्हारे तो गुरु भी गुरु नहीं है। सब अन्धे हैं और अन्धा अन्धे को मर गए लेकिन तुम कहो कि माँ हम तुम्हारे शरण कहाँ ले जा रहा है भगवान ही जानता है ! ऐसे में हैं, हमें पार कराओ। 'थोड़ी तुम्हारी भी पूंजी शरण गति से कुछ नहीं। शरण गति तो सिर्फ पार लगती है और कुण्डलिनी का जागरण लगता है होने के बाद ही शुरु होती है। उससे पहले की । होना होगा। जैसा कि हम खाना बना सकते हैं, ये समझ लेना चाहिए जो तत्व एक ही है पार होने का काम है जब तक आप पार नहीं हुए शरण गति कुछ नहीं। आपने देखा होगा कि पार तब तक 'माँ तेरी शरण में हम आए कुछ नहीं किए बगैर मैं पैर पर किसी को लेना नहीं चाहती। काम बनने वाला, बेटी । साफ-साफ बता देँ बेटी, क्योंकि क्या अर्थ है इसमें। आप जब पार ही नहीं पार होना पड़ता है। जब तक आप पार नहीं हैं, तब हुए तो मैं क्या कर ? पार तो होना पहले जरूरी तक सब बातें बकवास हैं, बेकार हैं कि मैं तुम्हारी है। हाँ ये बात जरूर है कि कई लोग पैर पर आने शरण में आया हूँ और ये है। अरे ये तो सब आपने से ही पार हो जाते हैं। तो ठीक है। लेकिन कोई 1. फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 44 मतलब नहीं कि बचकानापन आना चाहिए। इसकी शरण गति की ज़रूरत नहीं है उस वक्त। शरणागत बाद में होना चाहिए। शरणागत जब आप होते हैं गंभीरता तो है लेकिन लीला' है। ये सारी लीला तब कम से कम शरण में आने के लिए वो 'आत्मा है। इसलिए बिल्कुल शांतचित्त होकर के दोनों हाथ को होना चाहिए, प्रकाश तो होना चाहिए। बगैर मेरी ओर करें। और चित्त को एकदम हल्का करें। प्रकाश के आप मेरे भी पैर पर मत आइए। पता नहीं शायद मैं भी 420 108 हूँ। क्या पता ? अगर इसलिए तत्व की बात करते मैंने उसको इतना मैं हूँ तो आप कैसे जानिएगा कि हूँ या नहीं ? सादगी से बताया और इतने हल्के-फूल्के तरीके से बेकार की बकवास भी कर रही हुँगी तो आप कैसे बताया कि वो बड़ी गहनता और गम्भीर बात है जानिएगा? कभी भी आप जब तक पार नहीं होते जिससे आपके ऊपर उसकी गहनता न छा जाए। हुए अप मेरे पैर पर मत आइए। और इसीलिए मना क्योंकि जो गहनता है वो पाने की चीज है। वो पाने किया गया था कि किसी के सामने बंदगी नहीं की चीज़ है उससे दबता नहीं जाता आदमी। उसमें करना चाहिए, बंदगी उसी के सामने करना चाहिए बहकता नहीं है उससे दबता नहीं है ? उसमें जो परमात्मा से आपको मिलाए। जब तक ये पनपता है। घटना आप में घटित नहीं होती तब तक आपको बिना तत्व के कोई भी चीज़ को मानना नहीं 1... अधिकतर लोग पार हो गए हैं मेरे ख्याल चाहिए। इसलिए जो हमारा सुरक्षा का तत्व है से। पार होते वक्त्त आप देखिएगा आपके अन्दर उसके बारे में मैंने आपको बताया। कल बाकी के ठंडी हवा सी आएगी। और निर्विचार हो जाएंगे। तत्वों के बारे में बताउँगी। आज काफी लंबा चौडा अपने को निर्विचार रखने का प्रयत्न करें । विवरण दिया है। और मुझे एक बात की बहुत आँख बंद रखें-बिल्कुल-थोड़ी देर। मज़ा .... सारे पार विषय बहुत गहन था लेकिन तो भी आप खुशी हुई क्योंकि सबने कल कहा था कि कल उठाएंगे अपना।.. सिनेमा है तो कोई नहीं आएगा माँ Programme लोग पार हो गए । मैंने आज तक बात नहीं की में और मेरे पति आज ही बेचारे London जा रहे थे लेकिन उनको ऐसे ही छोड़कर मैं चली आई, आज पहली मर्तबा तत्व पर बात की Airport भी नहीं गई। मैंने कहा नहीं, जाना चाहिए, बस अठखेलियाँ करते हुए तत्व को पा लेना हो सकता है कोई लोग तो आएंगे ही और इसलिए चाहिए। मैं आई और मुझे बड़ी खुशी हुई कि आप लोग अपना सिनेमा' छोड़ कर भी यहाँ आए, अपने तत्व आपके हाथों में ठंडी हवा सी आने लगेगी। यही को ज्यादा महत्व दिया और इसीलिए मैं बहुत पाने का है। सब जीवन का उद्देश्य बस यही है। आज खुश हूँ। परमात्मा की कृपा से आज आप सूक्ष्म है, इसलिए सूक्ष्मता से देखें इस ब्रह्म तत्व को पाएं जो कि आत्मा का तत्व है। पार हो जाइएगा तो कल बड़ा मज़ा रहेगा और आत्मा का तत्व-ब्रह्म-तत्व, जो कि आपके हाथ से कल सब को लेकर यहाँ आइएगा। आपको मैंने लहरों की तरह बह रहा है। वहाँ हल्के फुल्के तरीके से समझाया, कोई चित्त पर seriousness नहीं आना चाहिए। लेकिन इसका परमात्मा आपको धन्य करें (निर्मल योग) तत्व की बात-3 गांधी भवन, दिल्ली विश्वविद्यालय १६ फरवरी१६८१ सहज-योग की तारीफ तो मैंने बहुत पर अगर बरसात आ जाए तो क्या आप कहिएगा खोलकर कर दी। लेकिन असलियत यह है कि कि इस छत्र-छाया ने ही आपको तकलीफ दे नहीं-यह तो जानने की बात है। हमारे यहाँ भी दी ? आपने ही अपनी छत्र-छाया मिटा दी और अहंकार कुछ कम नहीं है विश्व में लेकिन बैकार की चीज का हमें अहंकार हो जाता है और यह ये छत्र-छाया है, ये आपके ऊपर छाई हुई है, तो इस तरह कुछ बेकार की चीजें हैं कि उसके बारे ये वास्तव में ये छत्र-छाया का आपके ऊपर में हम लोग जानते हुए भी कि महाबेवकूफी है, हम उसे करते रहते हैं। सहज-योग जो है आपको है ? यह तो छत्र-छाया का उपकार है, परम सत्य के दर्शन कराता है। सत्य जो है, था और उपकार है। उसने आपको अपनाया और अपने रहेगा। उसके मामले में आप कोई (compro- अन्तरगत् रक्खा और आपकी छोटी-छोटी बातों mise) समझौता नहीं कर सकते कि आप कहें कि का भी ख्याल रक्खा। चलिये, मों ऐसा ही क्यों नहीं कह देते आप, जो काम बन जाए। इस तरह से बोल दीजिये तो उनमें से जैसे कि मैंने आपसे बताया था कि लक्ष्मी अच्छा रहेगा। इस तरह से कह दीजिये तो अच्छा जी का भी प्रसाद आपको मिलता है। और लक्ष्मी रहेगा" ऐसी कोई बात सत्य नहीं है। जो है, सो जी का प्रसाद क्या होता है, यह भी मैंने आपको है, वो उसी तरह से रहना है। और अगर आप सत्य को नहीं मानना उनकी शक्ति विराजती है और लक्ष्मीजी कैसी चाहोगे तो उसका आपको भोग उठाना पड़ेगा। हैं ? इसका भी वर्णन मैंने आपको बताया था कि श्री माने ये नहीं कि सत्य आपको हानि देता है लेकिन लक्ष्मीजी जो हैं उनमें और पैसे वाले में महान अन्तर आप बाहर चले गये। पर सहज-योग में रहने से उपकार है या आपका उस छत्न-छाया पर उपकार सहज-योग में जो बहुत सी बातें होती हैं, बताया कि नाभि चक्र में श्री लक्ष्मीजी विराजती हैं. सत्य को अगर आप छोड़ दें तो असत्य पर उतर होता है लक्ष्मीजी कमल पर खड़ी हैं उनके हाथ आये। और जब असत्य पर उतर आये तो असत्य में कमल है और एक हाथ देने वाला और एक हाथ तो हानिकारक है ही, वो आपको तकलीीफ देगा। ऐसा भी हुआ है कि बहुत से लोग सहज-योग में देखने में तो काफी भारी-भरकम दिखाई देती हैं। आये, बहुत कुछ ऊँचे उठ गए, बड़ा उन्हें लाभ कभी आपने लक्ष्मीजी को एकदम ऐसा न देखा हुआ बहुत कुछ पा लिया, बहुतों को पार किया, होगा जैसे कि आजकल की beauty queens होती उसके बाद उन्होंने सहज-योग छोड़ दिया। उसके है। लेकिन उनकी तन्दरुस्ती काफी अच्छी है क्योंकि बाद आप एक साल बाद आये, "कि मां मुझे तो उनके अपने अन्दर बहुत कुछ ज्यादा पानी का बीमारी हो गई अब मैं क्या करुूं?" ऐसे भी बहुत समावेश है। उनका जन्म ही पानी से हुआ है न। से लोग होते हैं। तो कहने लगे कि "देखो जिसका जन्म पानी से हो, उसके अन्दर तो पानी आश्रय में कमल पर ये खड़ी हैं सो लक्ष्मीजी सहज-योग ने हमें सज़ा दे दी। ऐसे भी बहुत से बहुत होना पड़ता है। उसकी भी वजह होती है। लोग होते हैं। सहज-योग ने आपको सज़ा नहीं उसके अन्दर पानी न हो तो उनके अन्दर जो इतने दी लेकिन अगर आप किसी की छत्र छाया में बैठे चक्र चलाने पड़ते हैं उसके लिए buffer (बफर). हैं और उसे छोड़कर आप बाहर जायें और आप उसके लिये रुकावट, उसके लिये एक बीच में फरवरी 2005 वैतन्य लहरी जनवरी 46 बचाव और कुछ नहीं रह जाता इसलिये पानी पर जितना भी ज्यादा रुपया होगा वो उतना ही शरीर (body) में होना बहुत जरूरी होता है और ज्यादा नखरे कर रहा है जितना आदमी गरीब द।। इस वजह से भारी-भरकम होती हैं। तो भी वो होगा, अपने देश में, उतने ही उसके कम नखरे कमल के ऊपर खड़ी हैं, माने उनकी तबियत से होंगे लेकिन जितना आदमी रईस हो जायेगा इस कदर शब्द नहीं हैं हिन्दी में-पर जिसे कहना उतने ही उसके नखरे ज्यादा हो गये और लक्ष्मीजी चाहिए कि इस कदर वो सधी हुई हैं कि तब्रियत से के कोई नखरे नहीं बेचारी के। बो तो कमल पर वो इस कदर सधी हुई है कि पूरा बैलेन्स अब भी खड़ी हुई हैं और पूरे समय खड़ी ही रहती (balance) करके और उनका कोई वजन ही नहीं हैं डालतीं वो, कमल पर कोई उनका वज़न नही को लेट ही जाऊँ। कोई भी समय वो इस कमल डलता, कि अपना बोझा वो किसी पर नहीं डालती। आप देख लीजिये लोग कितना बोझा दूसरों पर को सम्भाले हुए खड़ी रहती हैं, बिल्कुल हल्की सी। डालते हैं। अब जैसे कोई मेहमान आ गये आते कभी यह भी नहीं कि मैं थक गई हैं, मैं थोड़ी देर पर अपने शरीर को सम्भाले हुए, इतने बड़े शरीर किसी को महसूस ही नहीं होता है। यह असली ही साहब, हमारे खासकर सहजयोगी लोग भी लक्ष्मी तत्व की निशानी है। जिस आदमी में वास्तविक कभी कभी ऐसा काम करते हैं, यह खासियत लक्ष्मी है, उसका काहीं भी बोझा नहीं लगता। ऐसा हिन्दुस्तानी सहजयोगियों की भी होती है। जैसे कि आप कहीं से आये, अब देहली में सौरभ सब तरफ फैलता है लेकिन उसकी कोई भी आ गये कोई सहजयोगी। तो वो पहले कहेंगे कि चीज़ महसूस नहीं होती। कहीं भी वो आपको नहीं साहब यहाँ कुछ आराम हमें नहीं मिल रहा और जताता है कि आप पैसे वाले हैं या आप पैसे वाले यहाँ पर हमें खाने को ठीक नहीं मिल रहा है। यहाँ नहीं हैं, या उसके पास ज्यादा पैसा है या आपके यह इन्तज़ाम ठीक नहीं है, यहाँ कोई इन्तजाम पास इस चीज की कमी है। वे तो इस तरह से ठीक नहीं है जैसे अपने घर में तो ये लोग बिल्कुल रहता है कि किसी को पता ही नहीं चलता कि कैसे आलीशान बगीचों में ही रहते हैं। यहाँ आते ही अब आये और कैसे गये । वो इस तरह से जीवन सब उनको सब पता हो जाता है कि साहब यहाँ बिताता है कि जैसे किसी का पता ही नहीं चलता। की यह चीज ठीक नहीं है, यहाँ फलानी चीज़ लेकिन अधिकतर पैसे वाले तो पहले बीन बजा कर अच्छी नहीं है। कोई अगर बम्बई आये तो उनका घूमेंगे कि साहब मैं बड़ा पैसे वाला हूँ । कुछ नहीं तो आदमी जहाँ भी रहता है उसकी सुगन्ध उसका 1 भी यही हाल है। मतलब आप एक कॉटा बनकर अजीब तरह का hom लेकर रास्ते में बजाते चलेंगे रहते हैं, हर जगह की तरह आप फूल जैसे नहीं जिससे कि लोग मुड़ मुड़ कर देखें कि कौन गधा रहते, आप कॉटे की तरह है। हर आदमी को आप चुभते रहते हैं। हर आदमी को महसूस होना होना चाहिये। हर चीज़ की artificiality होनी चाहिये। चाहिए कि आप आए हुए हैं, आप एक विशेष चीज़ एक एक तमाशा आदमी खड़ा कर देता है अपने हैं। आप कोई न कोई विशेष चीज़ हैं। इस तरह से नाम से क्योंकि वो पैसे वाला है। यह लक्ष्मीजी की हम लोग अपना जीवन जो है वो सोचते हैं कि बात नहीं, लक्ष्मी बहुत ज़्यादा एकदम ऐसे तरीके से हमने बहुत महत्वपूर्ण कर लिया और जिस आदमी रहती हैं सम्भली हुई, सधी हुई कि किसी को पता चला जा रहा है हर चीज़ का दिखावा (show) चैतन्य लहरी जनवरी -फ़रवरी 2005 47 ही न चले। एक हाथ से उनके दान होना चाहिये, नहीं हो सकता। अगर आप left को या right को वह दान भी किसी को पता नहीं होना चाहिये कि किसी भी अतिशयता पर चले जायें तो आपको दान हो रही है। जैसे बह रहा है, जा रहा है. दे कैसर (cancer) हो सकता है इसलिये आपको रहा है, लेने का सवाल नहीं और दूसरे हाथ से बीचों बीच रहना है। आश्रय होना चाहिये जो उनके आश्रित हैं वो सब आशीर्वादित होने चाहियें, बजाय इसके कि बहुत से ने हजारों लोगों ने सिगरेट पीना एकदम छोड मालिक अपने नौकरों को मारते हैं, पीटते हैं, यह दिया| इसी तरह से जिनका गुरुतत्व ठीक हो गया करते हैं-नहीं, आश्रित माने उनको पूरी तरह से उन्होंने शराब वर्गैरह एकदम छोड़ दिया। जो लक्ष्मी जी के आश्रित होते हैं उनको पूरी तरह अब जो विशुद्धि चक्र है उसकी विशेषता यह है कि 1 सहजयोग में आने के बाद हजारों लोगों से वरद हस्त होता है, पूरा वरदान होता है। और उनके दोनों हाथ में कमल होते हैं। मनुष्य बन गये तभी विशुद्धि चक्र पूरी तरह से कमल गुलाबी रंग के होते हैं और गुलाबी रग के प्रादुर्भावित हुआ। इससे पहले इसका जो काम था कमल इस बात के द्योतक हैं कि बो प्रेम की वो पूरा नहीं हुआ था और अब जो है 16 इसकी निशानी हैं। गुलाबी रंग जो है वो उनके प्यार की कलाएं हैं। श्रीकृष्ण को 16 कला कहते हैं। और निशानी, प्रेम की निशानी; वो बिल्कुल ही नाजुकतम उसी तरह से 16 उसके subplexus हैं। जिसका पंखडियों में भंवरे जैसा काँटे वाला प्राणी होता है, विशुद्धि चक्र ठीक होगा उसका मुखडा सुन्दर उसे भी स्थान देती हैं; कहीं से भी चला आये उसे होगा, तेजस्वी होगा उसकी आँखें तेजस्वी होंगी, रहने का इन्तजाम है। हर समय उसके लिये उसके नाक नक्श तेजस्वी होंगे और उसके अन्दर इन्तजाम रहता है। ऐसा आज तक मैने तो कोई एक तरह का बहुत ही ज्यादा detached सा भाव पैसे वाला नहीं देखा कि उसके दरवाजे कोई चला होगा जैसे कि ड्रामा जैसा। उस आदमी के मुख पर आये और अच्छा भाई तुम्हें कोई जगह नहीं, आओ ऐसा लगेगा जैसे किं ड्रामा चल रहा है। एक पल मेरे घर सो जाओ। वो तो चार चार दरबान लगा में वो नाराज होगा और दूसरे ही पल में बो हंसता कर रखेगा कि कोई अच्छा भला भी आदमी हो तो रहेगा। बस उसकी अठखेलियाँ चलती रहेगी उसको पीट के. मार के भगा दें । विशुद्धि चक्र. जब हमने गर्दन उठाई और जब हम जिसका विशुद्धि चक्र खराब हो जाता है इस प्रकार हमारे अन्दर जो लक्ष्मीजी का उसकी शक्ल खराब हो जाती है, पहली बात। तत्त्व है वो हमारे नाभि चक्र में है इसके बारे में मैंने अजीब सी विकृत सी शक्ल हो जाती है, अजीब आपसे बता दिया। जैसा वो है वैसा ही है। उस सी भयानक सी उसकी शक्ल दिखाई देने लगती तत्व को हम बदल नहीं सकते। बाहर का आप सब है, कभी डरावना सा कभी डरा हुआ सा। अब हम कुछ बदल दीजिये लेकिन उसका तत्व जो है वही लोग इतने ड्रामे beauty-क्या क्या करते हैं न हम बना रहेगा। तत्व न बदल सकता है. न ही उसको लोग. उसके लिए धन्धे कोई करने की जरूरत आप बदल सकते हैं। नहीं। आप अपना विशुद्धि चक्र ठीक कर लीजिये सुषुम्ना पथ पर अगर आप रहें तो आपको आपकी शक्ल दुरुस्त हो जायेगी-बहुत शक्ल दुरुस्त विशेषकर कैंसर हो जायेगी और इसके अलावा, जिसको विशुद्धि कोई बीमारी नहीं हो सकती ीक जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 48 चक्र की पकड़ हो जाती है उस आदमी की आदमी अपनी पेशानी अपनी किसी गरज के लिये आवाज बहुत कर्कश या बिल्कुल धीमी या वो दूसरों के सामने झुकाता है या किसी भी नीच मधुरता का खो बैठता है। और दूसरी चीज़ यह है आदमी के सामने इसलिये झुकाता है कि उसे वो कि हमारे अन्दर विशुद्धि - चक्र की जो left-side है, गुरु या और कुछ उसे मानता है तो उसकी right जिसे कि हम कह सकते हैं कि हमारे चक्र के left- विशुूद्धि पकड़ जाती है और right विशुद्धि पकड़ने side में विराजती है वो विष्णु-माया है, माने श्री के नाते बहुत तरह के complications होते हैं कृष्ण की बहन जो विष्णु-माया थी। अब जब विशेषकर कि cancer की बीमारी इसमें हो सकती हमारे भाई बहन के रिश्ते खराब हो जाते हैं किसी है । क्योंकि जो लोग चापलूसी में जाकर इसके पैर भी माने में तो यह चक्र खराब हो जाता है। जब छ रहे हैं उसके पैर छ रहे हैं, उसके ये कर रहे भाई बहनों की कद्र नहीं करता. अपनी बहनों को सताता है, तो भी चक्र खराब हो जाता है लेकिन के सिवाय और किसी के सामने अपना सिर नहीं जब संसार में हम हर औरत की ओर गंदी नज़र झुकाना है। और किसी के सामने सर झुकाने की से देखते हैं और हमारे अन्दर यह विचार नहीं रह हैं, करते हैं, जान लें कि आखिर आपको परमात्मा जरूरत भी क्या है, बह दे भी क्या सकता है ? बहुत जाता है कि यह हमारी बहन है तब यह चक्र बहुत से लोग हमें कहते हैं कि वो सन्त-साधु थे हमने ही बुरी तरह से खराब हो जाता है। और जब left विशुद्धि खराब हो जाती है तब आदमी को यह और भोंदू लोग हैं, नहीं तो 420, या दानव और लगता है कि मैंने बड़ी गलती करी. अन्दर से यह माथा उनके सामने झुकाया। अधिकतर तो ढोंगी राक्षस ही हैं अच्छा अगर यह नहीं हुए तो समझ लगता रहता है और वो एक तरह guilty आदमी हो लीजिए एक साधु-सन्त है, वो पार भी है, समझ जाता है। कभी-कभी यह guit इतना बढ़ जाता है लीजिए, तो भी इन्सान है, भगवान तो नहीं है। कि उसमें से अनेक पाप होने लग जाते हैं। अवतार तो नहीं है। जब तक कोई अवतार नहीं हो complex उसके अन्दर आ जाता है। इसलिये तो अपना सर झुकाने की क्या ज़रूरत है। तुम भी सहज-योग में इसका मन्त्र है, अंग्रेजी में तो कहते कल हो सकते हो पार, और तुम भी कल सन्त हो हैं "I am not guilty" और हिन्दी में कहते हैं "कि माँ हमने कोई गलती नहीं करी जो तुम माफ नहीं झुकाना दूसरी बात है क्योंकि उसके सामने सारे करो। right side की जो चक्र खुलते हैं। सिर्फ अवतार के सामने ही सर विट्ठल-रुकमणी वाले कृष्ण, जब कि कृष्ण राज्य झुकाना चाहिए। यह दूसरी बात है कि अपने मों कर रहे थे तब। जब हम अपने राज्य में विराजते बाप हैं उनके सामने सर झुकाओ, वो तो एक है, माने हमारा राज्य परमात्मा का राज्य हुआ, और रोजमर्रा का एक व्यवहार है उसकी बात दूसरी है । जब परमात्मा के राज्य में हम विराजे हुए हैं और तब भी हम भिखारी जैसे बक बक करते हैं, और लिए, ये बात दूसरी है। एक बार वो कर लिया वो लोगों से रुपया माँगते हैं, पैसे माँगते हैं और उनकी तो सम्मत है । चापलूसी करते हैं और उनके सामने अपनी पेशानी झुकाते है तब right विशुद्धि पकड़ जाती है। जो रहे हैं महाशय जी उधर से, और कहा कि साहब सकते हो। लेकिन जो अवतार है उसके सामने सर विशुद्धि हैं ये शादी में गये, माँ बाप के पैर छू लिए, बड़ों के पैर छु लेकिन हर बार जिसको देखिए वो चले आ 1. जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 49 यह तो minister साहब के यहाँ बिल्कुल उनके आपकी left विशुद्धि पकड़ती है और इस left विशुद्धि चमचे हैं चले चार और चमचे उनके पीछे उनके पैर का इलाज यही है कि उस मन्त्र को जो है जागृत कराना। अगर कोई मन्त्र जागृत नहीं है तो उसे होती है वो इस कदर दुख में पड़ जाते हैं और रटना ही नहीं है। और मन्त्र जागृत तभी होता है इतनी तकलीफें उठाते हैं कि मैं उन लोगों को जब कोई realised soul आपको मन्त्र बताये और ठीक करते करते तंग आ गई क्योंकि मनुष्य को वो भी निदान कर बताये कि आपको कहाँ तकलीफ अपनी इज्जत और अपनी शान का पता नहीं। ये है, कौन सी तकलीफ है, किस जगह कौन सा मन्त्र चक्र जो है इसने आपको शान दी जिसने आपके कहना है। अगर वो बराबर आपको यह बता सके तो आप उस मन्त्र को कहें तो आपको मन्त्र सिद्धि हर जगह झुकाते फिरें और अपने को नीचे गिराते हो सकती है। सहज-योग में आज ऐसे हज़ारों फिरें आप बहुत बड़ी चीज़ हैं। भगवान ने आपको लोग हैं जिन्होंने मन्त्र को सिद्ध कर लिया है। इतने एक अमीबा से इन्सान बनाया और जब आप इस मन्त्र सिद्ध हैं उनके कि वो अगर अपनी जगह में हालत में आ गए तो आपको जरूरी है कि आप भी बैठकर मन्त्र कह दें तो उससे जो काम करना इसकी इज्ज़त करें, अपनी इज्ज़त करें और अपनी है करा सकते हैं। मतलब है बुरा काम तो सहजयोग जो शान है उसको समझे। दूसरी बात यह है कि में कोई कर ही नहीं सकता लेकिन अच्छे कर बहुत से लोगों का यह भी है कि दूसरों से डरते सकते हैं । ऐसे ऐसे लोग पहुँच गये हैं सहजयोग में, रहते हैं। यह भी चक्र है इससे left विशुद्धि पकड़ दिल्ली में नहीं हैं इतने, दिल्ली में कोई लोग बहुत जाती है। जब आप किसी आदमी से डर जाएं; पहुँचे हैं, लेकिन इतने ज़्यादा लोग नहीं हैं। बाकी वास्तव में आप बेकार ही में डर रहे हैं तब आपकी ऐसे बहुत से लोग जिन्होंने मुन्त्रों को एकदम सिद्ध कर लिया है और सिद्धता के लिए मन्त्र पर मेहनत करनी पड़ती है। बैठ कर मेहनत करनी पड़ती है, उस पर बोलना पड़ता है, अपने चक्रों पर ध्यान करना पड़ता है और उसकी सिद्धता हासिल हो जाती है। अगर किसी ने गणेश का मन्त्र सिद्ध कर लिया है तो वो आदमी इतने कमाल कर सकता है कि कोई हद नहीं । लेकिन अभी तक सहजयोग में ऐसे बहुत थोड़े लोग हैं कि जो इस ओर ध्यान देते हैं और जिन्होंने भी ध्यान दिया, ऐसे मैंने से छूने के लिए। इस तरह की जिन लोगों की दशा सर को ऊपर उठाया। यों नहीं दी कि इसको आप left विशुद्धि पकड़ सकती है। विशुद्धि चक्र बहुत महत्वपूर्ण है और विशुद्धि चक्र के पकड़ने से अनेक तरह की बीमारियाँ आती हैं। सबसे खराब बात यह है कि जब आप पार भी हो जाते हैं तो भी आपको vibrations नहीं आते। आपको महसूस नहीं हो पाता। आपकी जितनी nerves हैं हाथ की मर जाती हैं तो हाथ पर आपको महसूस नहीं होता। और लोग कहते हैं कि माँ हमको अन्दर तो महसूस हो रहा है पर हाथ पर बहुत महसूस नहीं होता और इसलिए उनको परेशानी लोग देखे हैं जिन्होंने मन्त्र को इतनी जल्दी सिद्ध हो भी जाती है। सबसे बड़ी खराबी विशुद्धि की कर लिया है कि मुझे आश्चर्य होता है। उनके एक यह है। अगर आपने गलत मन्त्र कहे हैं, आपने ही मन्त्र से कितना बड़ा कार्य हो जाता है। इसलिए किसी ऐसे आदमी से मन्त्र लिया है जो अनाधिकार मैं आपसे कहती हैँ कि अपने विशुद्धि चक्र को आप है, जिसने आपको झूठे मन्त्र दिये हैं, इस सबसे स्वच्छ रखें। विशुद्धि चक्र जो है यह विराट है। फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 50 कृष्ण विराट-स्वरूप हैं। अन्त में कृष्ण विराट हो बीचों-बीच में रहना चाहिये। जाते हैं। सारा जो evolution (उत्क्रान्ति) है ये सिर्फ विष्णु शक्ति से होता हैं तो विष्णु बनते बनते अनेक तरीके हैं क्योंकि सोलह उसकी कुल कलाएं आखिर विराट हो जाते हैं। विराट का स्थान ये है, हैं और सोलह हजार इसकी शक्तियाँ हैं जो कृष्ण ये विराट का स्थान है इसी से विशुद्धि चक्र को के साथ उनकी पत्नियोँ बनकर उनके समय में रही ठीक करने के लिए ये पेशानी आप किसी के सामने थी। यदि कोई कृष्ण के ऊपर कहे, वो इस तरह के मत झुकाइये। ये विराट के सामने ही झुकनी आदमी थे तो बड़ा आश्चर्य होता है क्योंकि वो चाहिये क्योंकि आप विराट के अंग प्रत्यंग हो गये योगेश्वरों के योगेश्वर थे उनको समझने के लिए विशुद्धि चक्र के अनेक दोष हैं । उसके हैं। अब आप पार हो गये। अब खबरदार, अगर जो आपको बहुत कुछ अधिक सीखना पड़ेगा। वो स्वयं आपने अपनी पेशानी किसी के सामने झुकाई। साक्षात् योगेश्वर थे ये उनकी 16000 शक्तियाँ थी अगर आपने किसी के सामने झुकाई है तो आप जिनको उन्होंने जन्म दिया था इस संसार में और विराट को भूल गये मोहम्मद साहब ने बहुत बड़ा फिर उनको ही उन्होंने कैद करवाया और फिर मन्त्र विराट का कहा है "अल्लाह हो अकबर" और उनसे विवाह किया क्योंकि उनके पास सहजयोगी ये मन्त्र जो मोहम्मद साहब ने (वो साक्षातु दत्तात्रेय तो थे नहीं तो उन्होंने सोचा कि ठीक है मैं अपनी थे) और उन्होंने ये मन्त्र कहा हैं कि आप "अल्लाह शक्तियों को ही साकार स्वरूप में संसार में भेजता हो अकबर" कहो। अकबर माने great, माने विराट । हूँ और उन्होंने जो सबसे बड़ा कार्य किया है कि ये जो उंगली विशुद्धि की है, दोनों उंगली कान में उन्होंने इसे पूरी तरह से बीज को फैलाया और ईसा मसीह ने बाद में आज्ञा चक्र में आकर कहा कि | डाल कर ऊपर पीछे की तरफ गरदन कर के अल्लाह हो अकबर " कहें तो आपका विशुद्धि चक्र कुछ बीज़ इधर पड़ गये, कोई बीज उधर पड़ गये, खुल जाता है । इसके अलावा और बहुत से आसन कोई बीज इधर पड गया । जब ईसा मसीह अपने आदि हैं। इसके मामले मे मैं आपको बता नहीं बाप की बात करते हैं तो वे तीसरा कोई नहीं सकती आज, लेकिन अनेक तरीके से यह ठीक हो हैं, वो कृष्ण ही हैं कृष्ण ही उनके पिता हैं जब सकता है और उसको ठीक रखना चाहिये सबसे भी ईसा मसीह की उंगलिया देखिये तो ये दो बड़ी बात है कि आपकी जबान से कोई सी भी उंगलियां हैं । यह उंगली विष्णु की है, यह उंगली कडवी बात किसी से कहनी नहीं चाहिये और कृष्ण की है । हमेशा उन्होंने अपने बाप की बात की किसी की भी चापलूसी करने की जरूरत नहीं है। इसके लिये आप अगर पढ़ते हों तो देवी-भागवत् और अगर कोई सहजयोग को नहीं मानता तो पढ़ें इसमें महा विष्णु का वर्णन है जो राधाजी का साफ कह देना चाहिये कि रहने दीजिये " यह पुत्र बनाया हुआ था और बिल्कुल वही चीज़ ईसा आपके बस का नहीं, छोड़िये।" न ही किसी के मसीह हैं । उनके दो हिस्से थे एक हिस्सा श्री सामने चापलूसी करने को जरूरत है, न ही किसी गणेश और एक ईसा-मसीह, आगे चलकर के एका के सामने घिघियाने की जरूरत है और न ही दश-रुद्र में यही जो बड़ी भारी शक्ति है वो उनकी किसी से कठिन बात करने की जरूरत है । मानते शक्ति है इसीलिये वो मरे नहीं उनका resurrection हैं तो ठीक है वरना छोड़ दीजिये बस काम खत्म । (पुनरुत्थान) हो गया वे साक्षात् प्रणव है जो कि दूसरा फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 51 संसार में आया और इस संसार से उठकर चला हे प्रभु ! हमारे अपराधों को क्षमा करो।" यही मन्त्र गया। यह साक्षात् गणेश था जो इस संसार में आज्ञा चक्र का है, आपको आश्चर्य होगा और आया और इसीलिए उसको कोई चीज़ मार नहीं बहुत बार मैं आपसे कहती हैं कि " माफ कर दो, सकी यह एक ही अवतार ऐसा परमात्मा ने भेजा माफ कर दो, माफ कर दो" क्योंकि आपका आज्ञा था जो साक्षात् प्रणव मात्र था। इनका क्रास पर चढ़ाना, जो है वो इसलिये हुआ था कि आज्ञा चक्र को उनको खोलना था, आज्ञा चक्र को। जब चक्र पकड़ा है। अहंकार और प्रति-अहंकार दोनों के बीच इनका स्थान है जहाँ पर पिट्च्यूटरी (pi- tuitary) और पीनीयल (pineal body) बाडी भी दोनों को सम्भालती है इनके बींचों-बीच एक बहुत सुक्ष्म स्थान आज्ञा का है और यह दोनों इस पर काम करते हैं। शुरुआत तो दोनों की विशुद्धि चक्र से होती है पर इनका चलन-वलन और सम्भालना पुनरोत्थान है। उन्होंने उसमें से पुनरुत्थान और (steering) स्टीयरिंग जो है वो आज्ञा चक्र से करके दिखाया। उन्होंने मर करके जी कर दिखाया होता है जिस पर साक्षत् महागणेश और महाभैरव वही सहज-योग हैं कि जिसमें आपका भी जो बैठे हैं और जो सामने की तरफ यहाँ, ये जो मनुष्य ने अपनी बेवकूफी से उनको क्रास पर चढ़ा दिया तब मानो जैसे कि उन्होंने सबके लिये अपने को उस आज्ञा-चक्र से निकाल दिया और उनका जो सन्देश है वो क्रास नहीं है उनका सन्देश जो है हुए आज्ञा चक्र के, ये जो है यहाँ पर ईसा-मसीह का स्थान है । ईसा-मसीह महा विष्णु हैं और उनके conception है वो immaculate है यानि आप भी माँ के हृदय गर्भ में आप आते हैं और वहाँ से भीँ आपको ब्रह्मारन्ध्र से पैदा करती हैं आप जो लिये पहले है वो मर जाते हैं और एक नये हो जाते हैं। ईसा मसीह ने यह सबसे पहले, उन्होंने करके तुम्हारा रहेगा और तुम सारे संसार का आधार बन ने कहा था कि मुझे जो-जो चीज़ कृष्ण संसार में अर्पण करेंगे उसमें से सोलहवां हिस्सा बेटा माँ का था और कर आओगे और मेरे दिखाया था। वो सबसे बड़ा वो आपका सबसे बड़ा भाई है जिसने यह सबसे पहले इतना बड़ा काम करके दिखाया । और आज उसी बूते पर आप लोग पार हो रहे हैं। जो भी incarnations (अवतार) आते हैं वो अगवाई करते हैं। एक step forward जो होता है , वो अगवाई करते हैं और उन्होंने यह बड़ा भारी महान से भी ऊपर तुम्हारा स्थान रहेगा। हालांकि श्री कृष्ण का स्थान यह है विराट का, लेकिन यहाँ पर बीच में आज्ञा चक्र में दोनों जगह विशुद्धि और विराट के बीचों-बीच में उन्होंने अपने बेटे को बैठाया है और राधाजी उनकी माँ थीं, वही मेरी थीं। राधाजी जो थीं वो ही संसार में मेरी (Mary) के रूप में आई थीं और बो ही इस बेटे को कार्य किया था। और आज्ञा चक्र पर जो आदमी लाई। यह सारा खेल और नाटक इसलिये किया पार हो गया है बो जानता है कि हमारा मन्त्र उस गया कि मनुष्य अपनी मूर्खता को समझ ले कि पर सहज-योग में Lord's prayer है। Lord's अहंकार में अपने ego में उन्होंने ईसा-मसीह जैसे prayer से आज्ञा चक्र एकदम छूट जाता है। आदमी को, जोकि साक्षात् ब्रह्मस्वरूप थे, उनको जोकि उसमें कहा है कि जैसे कि हम अपने अपराधों को क्षमा करते हैं, अपराध जि्होंने हमारे खिलाफ किये हैं उनको क्षमा करते है, उसी प्रकार तक पहचाना नहीं। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता। ईसा-मसीह ने कहा है " कि मेरे खिलाफ़ चैतन्य लहरी जनवरी - फरवरी, 2005 52 चाहे आपने कुछ भी कहा हो उसकी मैं माफी first residence in the litte Surrey Hills, और करता हूँ और मेरे साथ आपने कोई भी ज्यादती की यहाँ तक लिखा है कि उनके जो प्यार के है उसके लिए मैं माफी देता हूँ लेकिन अगर Holy brations (वाईब्रेशन) हैं जो स्नायु हैं वो ईश्वर की Ghost माने आदिशक्ति के खिलाफ अगर किसी ने तरह हर जगह, हर एक समय विद्यमान हैं । और जरा सा भी कंदम उठाया तो उसको मैं देख इतनी बारीक चीज़ सहज-योग की लिखी है और लूगा "साफ साफ शब्दों में कहा हैं। उसका सबसे बड़ी बात जो उन्होंने लिखी है वो यह कि punishment जो है बो बहुत गहरा होगा। सहज-योग में लोग prophets होएगे यानि प्रेषित साफ-साफ उन्होंने इन शब्दों में कह दिया कि यानि पार हो जायेंगे। ये भगवान के लोग है (Men अगर आप बाइबल (Bible) पढ़ें तो आप देख लें। of God) जो पार हो जायेंगे और एक विशेष बात इसका मतलब उन्होंने कह दिया कि Holy Ghost होगी कि ये लोग जो पार होगें बो दूसरों को भी (आदिशक्ति) संसार में आने वाले हैं और prophets बनाएगें इसका सारा वर्णन उन्होंने दे Holy Ghost से ठण्डी हवा आयेगी.Cool breeze दिया है। इसी तरह से Bible में भी John के आयेगी, यह भी बाइबल में लिखा है। इसलिये Revelations में सहज-योग के बारे में सब कुछ ईसाई लोग मुझे जरा ( मतलब हिन्दुस्तान के नहीं लिखा हुआ है जो समझने वाले हैं वो उसे पार लेकिन बाहर के) मुझे बहुत जल्दी मान जाते हैं होने के बाद समझ सकते हैं। इसी तरह की क्योंकि यह पहचान है Holy Ghost की। यह भविष्यवाणियाँ हर एक जगह हुई हैं। जो समझदार आदि-शक्ति की पहचान है। और किसी से भी लोग हैं वो सब कुछ समझते हैं लेकिन जो समझदार ऐसी ठंडी हवा नहीं आती है जैसी Holy Ghost से नहीं हैं उनके लिए काला अक्षर भैंस के सामने क्या आती है, जैसे कि लिखा हुआ है। Vi- होता है वैसी ही बात है। इसी तरह की चीज़ है कि पर सबसे तो आश्चर्य है वहाँ एक विलियम आदमी को समझाने के लिए ही पार कराना पड़ता ब्लेक (William Blake) नाम का आदमी जोकि है। बहुत बड़ा कवि सौ साल पहले हो चुका है, उसने यहाँ तक लिख दिया है कि हमारा आश्रम कहाँ आप भी इस बात को नहीं समझ सकते। इसलिए रहेगा। Lambethvale (लेम्बैथवेल) में आश्रम रहेगा आप पहले पार हो जाइये फिर आप समझेंगे और जहाँ ruins (खंडहरों) में foundations (नींव) जब तक आपके अन्दर प्रकाश नहीं आएगा, पूरी बात को आप जानेंगे। पार हुए बगैर कोई भी पड़ेंगे, जो सही बात है। और जब पहले पहल जब बात करना व्यर्थ जाएगा| अच्छा, अब बहुत समय मैं London गई थी, तो तब जहाँ Surrey hills (time ) हो गया है, अब आप पार हो जाइये। (सरे-हिल) में मैं रहती थी. वह भी लिखा है कि अनन्त आशीर्वाद (निर्मल योग) oं पार करी ल A \b ৮ मह कु्डलिा जा शा राह परद्ानीय] परप पुमाताजी ति । जयग आज को महा र ---------------------- 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-0.txt क रा चैतन्य लहरी जनवरी-फरवरी, 2005 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-1.txt रार सहजयोग में जब तक आप लोगों को देंगे नहीं तब तक आपकी प्रगति नहीं होगी। देना पड़ेगा, जैसे-जैसे आप देते रहेंगे., वैसे-वैसे आप आगे बढ़ेंगे।" (परम पूज्य श्री माता जी) 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-2.txt NERMALA OHARMA NIVERSAL PURE RELIGIO इस अंक में 26.12.1975 विज्ञान के आगे का ज्ञान 3 (1) फरवरी -1981 तत्व की बात 11 (2) फरवरी -1981 तत्व की बात 28 (3) 16 फरवरी- 1981 45 तत्व की बात- MHSIA 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-3.txt चै त नय ल ह री प्रकाशक निर्मल इन्पफोसिस एवं टेकनोलोजीज़ प्रा. लि. कार्यालय : इन्पफोसिस हाऊस, प्लाट न. 8, मुख्य चन्द्रगुप्त हाउसिंग सोसाइटी, पॉड रोड, कोठरुड पुणे - 411 029 मुद्रक अमरनाथ प्रेस प्रा. लि. WH.S 2/47 कीर्ति नगर, औद्योगिक क्षेत्र, नई दिल्ली -110015 मोबाइल : 9810452981, 25268673 सदस्यता के लिए कृपया निम्न पते पर लिखें: द्वारा, श्री जी.एल. अग्रवाल निर्मल इन्पफोसिस एवं टेकनोलोजीज़ प्रा. लि. 222, देशबन्धु अपार्टमैट, कालका जी नई दिल्ली-110 019 फोन : 26216654, 26422054 आप अपने अनुभव, सुझाव, सहज सम्बन्धी लेख आदि निम्नलिखित पते पर भेजें : श्री ओ. पी. चान्दना जी-11-(463), ऋषि नगर, रानी बाग दिल्ली - 110 034 दूरभाष : 011-55356811 प्रातः 08.00 बजे से 09.30 बजे सायंः 08.30 बजे ये 10.30 बजे 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-4.txt परमात्मा के प्रेम के अनुभव विज्ञान के आगे का ज्ञान मुंबई (26.12.75) परम पूज्य माताजी श्री लि्मला देवी का प्रवचन सत्य के खोजने वाले आप सबको मेरा वन्दन है। काम कर रहा है ? ये हम बता सकते हैं कि ये कल आप बड़ी मात्रा में भारतीय विद्या भवन में काम कर रही है लेकिन वो किस तरह से कर रही उपस्थित हुए थे और उसी क्षण के उपरान्त जो है इस मामले में Science कुछ भी नहीं जानता। कुछ भी कहना है, आज आपसे आगे की बात मैं आइंस्टीन जैसे बड़े बड़े Scientist ने बार-बार करने वाली हूँ। विषय था " Experiences of दोहरा कर कहा कि कोई तो भी ऐसा अज्ञात Divine Love"परमात्मा के प्रेम के अनुभव। इस Unknown land है जहाँ से ये सारा ज्ञान हमारे आज के Science के युग में पहले तो परमात्मा की पास आता है । और जो देश विज्ञान की परिसीमा बात करना ही कुछ हँसी सी लगती है और उसके में पहुँच गए हैं वहाँ पर हर तरह की सुविधाएं हो बाद उसके प्रेम की बात तो और भी हँसी की गई, खाने पीने को सबके पास व्यवस्थित हो गया, लगती है विशेष कर हिन्दुस्तान में जैसे मैने कहा समृद्धि आ गईं। लोग कहते हैं ये affuence आ था कि यहाँ के Scientist अभी उस हद तक नहीं गया है Country में affiuence हैं बहुत ज्यादा पैसा है। तो उनके बच्चे घर द्वार छोड़कर के घर से पहुँचे हैं जहाँ जाकर वो परमात्मा की बात सोचें। ये दुख की बात है लेकिन और विदेशों में भागे हुए हैं, सब सन्यासी जैसे घूम रहे हैं । कुछ तो Scientist वहाँ तक पहुँच गए हैं जहाँ पर हार कर हिन्दुस्तान भाग रहे हैं, कुछ नेपाल जा रहे हैं। वो कहते हैं कि इससे आगे न जाने क्या है! और वो कह रहे हैं ये सब छोड़ दो। ये माँ बाप ने हमारे ये भी कहते हैं कि ये सारा जो कुछ हम जान रहे पता नहीं क्या पत्थर ईटें इक्ट्टठी कर ली, हम इनके हैं ये Science के माध्यम में बैठ रहा है ये बात पीछे बैठने वाले नहीं। लेकिन वो छोड़कर भी आज सही है लेकिन ये कुछ भी नहीं है ये जहाँ से आ वो लोग हिप्पी हो गए हैं, चरस पी रहें हैं, गांजा पी रहा है वो एक अजीब सी चीज़ है जिसे हम समझ रहें हैं ! लेकिन इन सब बातों से परमात्मा की ही नहीं पाते। जैसे कि Chemistry के बड़े -बड़े सिद्धता नहीं होती ये तो सब तर्क-वितर्क से, से, इसको कहते हैं ।rationalize Scientist है वो कहते हैं कि ये Periodic Laws Intelligence जो बनाए गए हैं ये समझ ही में नहीं आते कि ये करने से कहीं आदमी जाकर पहुँचता है और कहता किस तरह से बनाए गए हैं। एक विचित्र तरह की है कि इससे परे कोई शक्ति जरूर है नहीं मैं यह रचना करके, इतनी सुन्दरता से, एक-एक अणु रेणू बात नहीं कहने वाली आपसे। मैं आपको तो साक्षात् को जिस तरह से रचा गया है, एक-एक अणु में की बात कहने वाली हूँActualization of the ex- एक ब्रह्माण्ड जिस तरह से समाया गया है, ये कुछ perience । वो अनेक वर्षों से , अपने योग शास्त्र समझ में नहीं आता! वे कहते हैं कि इनकी रचना आदि छोड़ दीजिए, विदेशो के भी बड़े-बड़े का कार्य तो हम कर ही नहीं सकते। रही बात ये मनोवैज्ञानिक और Philosophers, उन लोगों ने कि ये रचना कैसे हुई ये भी हम नहीं बता सकते। जो बात कही है कि इस जड़-स्थिति से उस सूक्ष्म ये पृथ्वी इतनी गति से रही है, ये कैसे स्थिति में कैसे उतारा जाए ? मन भी तो जड़ है, रही है और इस पर ये गुरुत्वाकर्षण किस तरह से विचार भी जड़ है। इस विचार के सहारे किस तरह घूम घूम 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-5.txt नवम्बर - दिसम्बर, 2004 चैतन्य लहरी से उस निर्विचार, इस सीमित के सहारे किस तरह किसलिए हैं संसार में । जैसे कि कोई एक बन्द उस असीम में उतारा जाए ? इस finite से किस कमरे में अपने को पाते हैं और इधर-उधर टक्कर तरह उस infinite में उतारा जाए? ये जो आदिकाल मार रहें हैं। आप लोग भी प्रगति के मार्ग पर जा से मानव के सामने बहुत बड़ा प्रश्न रहा उसका रहें हैं, जिसे आप प्रगति कहते हैं, और आप भी आज मैं आपके सामने उत्तर लाई हूँ। वो उत्तर उसी रास्ते से गुज़र रहें हैं जिस रास्ते से वो गुजरे सिर्फ शब्दों में नहीं है, कृति में है ये आप को भी रहे हैं। अन्तर इतना है कि जिन चीजों का उनको हो सकता है, क्योंकि उसके होने का समय आ महत्व है उनका आपको उतना नहीं। लेकिन क्या गया है, उसका मौका आ गया है, कलियुग में ही आप भी उसी रास्ते से गुजरना चाहेंगे ? या गर ये होना है जब तक पूरी तरह से कलियुग कोई शार्टकट मिल जाए तो उस शार्टकट को परिपक्व नहीं हुआ था, मानव पूरी तरह से उस अपना लेंगे? आपको पता होना चाहिए कि ये भारत संतुलन में नहीं पहुँच गया था जहाँ उसे पहुँचना है भूमि एक योग भूमि है। अधिकतर अवतार इसी भूमि जब तक परमात्मा की कृति मानव मनुष्य, पूरी पर पैदा हुए हैं। एक बड़ी महान भूमि पर आप पैदा तरह से तैयार नहीं हो गया था ये कार्य होने वाला हुए हैं, यही आपका Choice, यही आपका चुनाव भी नहीं था। जिस प्रकार आप देख रहें हैं कि ये 1. बहुत बढ़िया है। हालांकि खाने पीने की थोड़ी माइक जब तक पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ तब बहुत तकलीफ है, थोड़े बहुत इन्सान ज़रा जरूरत तक mains में लगाया नहीं गया। कलियुग में ही से ज्यादा धूर्त हैं, तो भी इस देश के चैतन्य के जो कि दिखने में अत्यन्त घोर और दर्दनाक है, प्रांगण में आप आए हैं, यही एक बड़ा भारी चुनाव अत्यन्त भीषण और भयंकर सा नज़र आ रहा है, आपने किया है और आप नहीं जानते कि कितनी इसी कलियुग की आग में तपकर ही आप वो होने बड़ी आप पर परमात्मा की कृपा है! आज आपके वाले हैं जो आपको होना है। सिर्फ एक ही प्रश्न है, बच्चे आपके साथ बैठे हैं , आपके माँ बाप आपके एक ही आपके सामने विनती है कि आप स्वीकार्य साथ खड़े हैं, इसीलिए सहजयोग भी जो पनपा है किसे करते हैं आप किसका सत्कार करते हैं ? वो हिन्दुस्तान में , भारतवर्ष में ही पनपेगा पहले। आप किसे चाहते हैं ? क्या आप सत्य चाहते हैं या और इसीलिए भारतवर्ष भी सारे संसार का अगुआ असत्य चाहते हैं ? मनुष्य बेकल है आपसे कहीं होगा। अधिक उन देशों में जहाँ लोगों के पास खाने पीने अब परमात्मा का प्रेम है या नहीं , परमात्मा है या के बेतहाशा है, लोग पागल हो रहे हैं आफत मच नहीं, यह तर्क वितर्क की बात है ही नहीं। एक तो रही है। आपको पता नहीं है कि कितने दुखी वो इस देश में ऐसे महान लोग हो गए हैं जैसे आप लोग हैं जिनके पास खाने पीने के लिए आपसे आदिशंकराचार्य को ही ले लीजिए जिन्होंने पहले कहीं अधिक है! कितनी आत्महत्याएं वहाँ हो रही से ही चैतन्य लहरियोाँ आदि कितनी ही बातों पर हैं! आप लोगों को तो अब भी यह है कि पैसा हम लोगों को समझा रखा है। हमारे पास ऐसे कमाना है उनको तो वो कुछ करने का नहीं। तो अनेक ग्रंथ हैं जिसके अन्दर परमात्मा के स्वरूप के अब वो आगे क्या करेंगे? वो तो एकदम पागल हो बारे में ही अनेक चर्चाएं हैं. लेकिन उन पर विश्वास गए हैं, उनकी समझ में नहीं आता है कि हम आए क्यों किया जाए ? आखिर उसे क्यों मान लिया 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-6.txt नवम्बर - दिसम्बर 2004 वैतन्य लहरी जाए क्योंकि आदिशंकराचार्य कह गए ? एक हटाया गया, मानो कि सागर से बूँद को अलग कर साहब बता रहे थे कल मुझे , कि ज्ञानेश्वर जैसे दिया गया । एक विशेष तरीके से किया गया, पण्डित आदमी को क्या बेवकूफी सूझी कि श्री इसके बारे में मैने अनेक बार बताया है कि किस गणेश की स्तुति करते हैं ! ज्ञानेश्वर जी को आप तरह कुण्डलिनी मनुष्य के अन्दर प्रवेश करती है पण्डित मानते है यही बड़ा आश्चर्य है! उनके और किस तरह से उसके अन्दर Ego और Super शब्दचातुर्य के लिए क्या आप उनको पण्डित मानते Ego. अहंकार और प्रतिअहंकार सिर में इकट्ठे हैं ? इन ग्रन्थों में जो चीजें लिखी गई हैं. वो उन होकर के और उसके सिर में एक तरह का पिंजरा लोगो ने लिखी है जो बहुत ऊँचे स्तर पर पैदा हुए. बना देते हैं जिसके कारण वो सर्वव्यापी परमात्मा के उनकी चेतना बड़ी ऊँची थी. उनके चक्षु कुछ और प्रकाश से अलग होकर के अपना व्यक्तित्व बनाता थे समझ लीजिए कि कोई बड़े ऊँचे ,दसवें मंजिल है। हम अलग हैं, आप अलग हैं, आप अलग हैं, पर पैदा हुए व्यक्ति और सर्व साधारण समाज, आप अलग हैं । एक उसकी एक विशेष तरह की बिल्कुल ही निम्न स्तर पर पहले स्तर पर पैदा हुआ, रचना मनुष्य के त्रिकोणाकार सर में है उसके दोनों के बीच में जोड़ने वाली कोई चीज ही नहीं अन्दर तीन शक्तियों का प्रवेश है, इन तीन शक्तियों ी सिवाए इसके कि नीचे का समाज उनको जब को हम शास्त्र के अनुसार महासरस्वती, महाकाली तक वे जीवित रहे उनको सताता रहा पूरी तरह से और महालक्ष्मी के नाम से जानते हैं लेकिन इन और जब मर गए तब उनके मन्दिर और ये और शक्तियों में से एक शक्ति सृजन करती है. जिसे वो बनाकर के और उनके नाम पर पैसा कमाता महासरस्वती कहते हैं, महाकाली हमारी स्थिति रहा। ये सीधा हिसाब है। क्योंकि वे भी प्रयत्न बनाती है जिसमे हम स्थित हैं और महालक्ष्मी की म शील रहे कि बात समझाएं, लेकिन कहीं तक पहुँच शक्ति से हम आज पत्थर से मानव हो गए है। नहीं पाए। जब तक इस स्तर के लोगों को थोड़ा हमारी उत्क्रान्ति हुई, हमारा Evolution हुआ एक सा ऊँचा न उठाया जाए, जब तक इनकी सीमित सोने में भी धर्म है, सोने का धर्म है, आप जानते हैं चेतना जो कि की चेतना है, ऊँची न उठाई कि वो कभी भी खराब नहीं होता, उसका पीलापन जाए, उनका भी कोई दोष नहीं है क्योंकि वो भी उसका धर्म नहीं लेकिन धर्म उसका है कि वो कभी कैसे समझ पाएंगे कि इससे भी ऊपर स्थित कोई भी खराब नहीं होता। ।t does not get tarnished I चीज़ है. कोई चेतना है। गर उनका विश्वास नहीं इसी तरह से मानव का भी धर्म है । ये धर्म बदलने है, उसमें भी उनका कोई दोष देने की बात नहीं , का काम महालक्ष्मी जी का है और श्री विष्णु का है गर उनका परमात्मा पर विश्वास नहीं, उसमे भी जो अन्त में विराट के रूप में प्रगटित होते हैं । अब मनुष्य को दोष देने की कोई बात नहीं। क्योंकि मानव में आपको आश्चर्य होगा, परमात्मा ने कितनी मानव बनाया ही ऐसा गया है, मानव की रचना ही सुन्दर व्यवस्था की है। आप इससे अज्ञात हैं, कुछ ऐसी हो गई है कि थोड़े समय के लिए वो परमात्मा डॉक्टर लोग तो जानते ही है लेकिन वो सिर्फ यही के प्रेम से वंचित किया गया, हटाया गया, जो कहते हैं we can not explain the mode of मनुष्य सर्वव्यापी प्रेम परमात्मा का है, जिजिसे सकता है, जिसमें चो रह सकता है उससे वो अलग वो जान action | मनुष्य के अन्दर परमात्मा ने बड़ी सुन्दर रचना उसके Brain से लेकर नीचे मज्जातन्तु तक पा तर 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-7.txt चैतन्य लहरी दिसम्बर, 2004 नवम्बर एक office सा खोल दिया है। अब आप कहेंगे कि श्री गणेश कौन होते हैं ? श्री गणेश हैं या नहीं हम कैसे माने ? ठीक बात है, आपने श्री गणेश को creation. देखा नहीं, आपने उनको जाना नहीं, आपको नहीं श्री गणेश उनको इसलिए सबसे पहले बनाया मानना चाहिए। लेकिन कुछ ऐसी अजीब सी चीज गया क्योंकि सारा संसार पवित्रता से लिपट जाए। पण्डित हैं, मूल माने Root और आधार माने Support । Support of the root । Root of this उसके support हैं पर दैठे है कि जब तक आप अन्दर आते नहीं आप उसकी पवित्रता में और innocence में और भोलेपन में देख सकते नहीं, जब तक आप बाहर खड़े हैं डुबा रहे। बहुत से लोग ये भी कहते हैं कि माताजी उसको मानते नहीं। जैसे कि समझ लीजिए आप इतना भोला होना ठीक नहीं, आपको कोई Prac- बाहर खड़े हैं और आपने हमें देखा नहीं और आप tical Sense नहीं है। आपमे Practical Sense कहें कि माताजी को कैसे माने कि वे हैं। तो हम होना चाहिए। भगवान से बढ़कर कोई और अधिक कहेंगे कि आप अन्दर आइए तब आप देखिएगा। Practical है ही नहीं । आपमें जितनी भी अक्ल आप कहेंगे कि नहीं आप हमें बाहर ही लाकर आई है उसका स्ोत वही हैं।अन्तर इतना ही हैं कि दिखाइए। जब उनकी सत्ता अन्दर ही है तो वो सुबुद्धि का, wisdom का स्रोत हैं, मूर्खता का आपको ही तो अन्दर आना होगा न। जब तक आप नहीं । जिसको आप बहुत Practical बात कहते हैं अन्दर जाकर के देखिएगा नहीं तथ तक आपको ये चीज दिखाई नहीं देगी। तो सबसे पहले, सारी साबित हो जाते हैं, लेकिन वो उस वक्त आप सृष्टि बनाने से पहले, आदि कुण्डलिनी बनाने से पहले, सारा संसार वनाने से पहले, श्री गणेश जी की स्थापना की गई। आज मंगलवार का कितना शुभ दिन है ! ये स्वयं साक्षात् पवित्रता के पूर्ण हिल जाते ही सारी आपकी चारसौबीसी ऐसी उल्टी अवतार हैं। वे अपने अन्दर स्थित है. उनको देखने घूमती है कि सीधे आप नक में जाकर पहुँचते हैं। के लिए आपके पास चक्षु नहीं हैं। वो अपने अन्दर मूलाधार नाम के centre पर जहाँ कि Prostat बार, आप मुझसे इझूठ बोले, मैं तो माँ हूँ, माफ कर Gland surround करती है जिसे हम Pelvic होशियार Plexus के नाम से जानते हैं उसके अन्दर हरेक आदमी हैं। हैं तो बिल्कुल बच्चों जैसे Eternal इन्सान में प्रतिबिम्बित है जागृत नहीं है, चाहे सुप्त Childhood, Eternal Childhood के वो प्रतीक हैं। ही हों लेकिन वो बहाँ पर हैं। ये देवता ऐसे हैं कभी भी पूर्णतया सुप्त होते ही नहीं। जब तक मानव राक्षस न हो जाए , बिल्कुल ही राक्षस हो जाए तब एक छोटे बच्चे जैसे हो जाएं। विशेषकर Sex के तो वहाँ से लुप्त ही हो जाते हैं. नहीं तो हरेक वो महा-मूर्खता की बात है। अन्त में आप महामूर्ख महामूर्ख साबित होते हैं जबकि आप बापिस नहीं आ सकतें। आप अपने को बहुत अक्लमन्द समझ कर के संसार में चलते हैं एक गणेश जी की सूँड भगवान से चालाकी नहीं, चलती। एक बार, अनेक ही देती हूँ,लेकिन श्री गणेश वो बहुत इसका मतलब ये है कि जिस वक्त आप अपने उत्थान की बात सोंचे, परमात्मा की बात सोचे तब मामले में। गण्श जी का प्रतीक Pelvic Plexus में मानव के अन्दर श्री गणेश विराजते हैं। ये पहला आने का मतलब ही ये होता है कि Sex का और हमारे अन्दर का Centre है जिसे के मूलाधार चक्र परमात्मा का कोई भी सम्बन्ध होता ही नहीं । जो लोग आपको इस तरह की गलत उल्टी सीधी बातें कहा जाता है । मूलाधार । आप तो सब संस्कृत के 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-8.txt दिसम्बर, 2004 चैतन्य लहरी नवम्बर 7. सिखा रहें हैं उनके चक्कर में आने की बिल्कुल हैं और वो कार्य सफलीभूत इसलिए नहीं हो रहा है जरूरत नहीं। ये सब राक्षसों के अवतार हैं सोलह राक्षसों ने संसार में जन्म लिया है और अपने को कि आप लोग भी इसमें अपनी weaknessess को अच्छे से संभाल सकते हैं। भगवान के नाम पर Sex महागुरु बन करके घूम रहे हैं। सब पैसे कमाने के हो तो और क्या चाहिए ? बहुत अच्छी बात है। धन्धे हैं उनके अपने अपने चक्कर हैं। इन चक्करों गांजा पी रहे हैं भगवान के नाम पर, क्या कहने! फॅसेंगे लेकिन अपना आखिरी हाथ, आखिरी confusion, इस तरह का गोल-माल, यही कलियुग दांव लगाना चाहते हैं, कि कितने महामूर्ख उनकी का नाम है। थोडी सी गलती जरूर हो गई बातों में फँसने वाले हैं। Sex का और परमात्मा का थी,आदिकाल में, कुछ लोगों ने मूलाधार चक्र में श्री कहीं भी, कहीं भी सम्बन्ध नहीं हैं। ये जताने के गणेश की सूंड को ही कुण्डलिनी समझा था, हो गई लिए श्री गणेश वहाँ पर बैठे हुए हैं, अपनी माँ की थी गलती उनसे । लेकिन उस गलती को कहाँ रक्षा करने के लिए जो अपने घर में आपके हरेक तक खींचा लोगों ने क्योंकि Pelvic Plexus का इन्सान के त्रिकोणाकार अस्थि ,जो कि रीढ़ की संबंध, Sex से है, उन्होंने का सम्बन्ध कुण्डलिनी से हड्डी के नीचे में है, उस घर के सामने बैठे हुए हैं, लगा दिया।उसी से तांत्रिक बन गए, मांत्रिक बन वो घर आपकी माँ का है। उसका नाम कुण्डलिनी गए। ये सब राक्षस हैं,मानव के अवतार नहीं है, ये है जो गौरी स्वरूप है। जो इन्सान गणेश जी की सारे के सारे राक्षस हैं, इनसे बचकर रहिए, अपने | में खुद वन्दना करता है वो इस बात को समझता है कि माँ बच्चों को बचाइए। दादर में भी ऐसे लोग हैं, मैं का स्थान कितना ऊँचा है और Sex से बिल्कुल जानती हूँ, मैने दादर में बहुत काम किया है। ये सम्बन्धित नहीं है हिन्दुस्तान का आदमी इस बात लोग पैसा लेते हैं दूसरों पर तंत्र विद्या करते हैं और को खूब समझता है और जो आदमी इस तरह की मंत्र विद्या करते हैं। वास्तविकता जब तक मनुष्य हरकत करता है उसे श्री गणेश इस तरह से अत्यन्त पवित्र न हो वो श्री गणेश के चरणों तक ताड़ना देते हैं कि ऐसे लोगों की जब कुण्डलिनी नहीं जा सकता। ये लोग गणेश को सामने रखते हैं उठती है तो सारे के सारे जल जाते हैं। कुण्डलिनी और गणेश की पूजा करते हैं, आपको आश्चर्य तो नहीं उठती उनकी, कुण्डलिनी क्या बेवकूफ है होगा, और भूतों को बुलाते हैं। ये किस तरह से ? उठने के लिए, लेकिन गणेश जी की जो heat चलती है, जो गर्मी चलती है वो सारे के सारे उन्हें इस तरह से छलना करता है और बार बार उसे जब अनाधिकार चेष्टा होती है, जब अपवित्र मनुष्य जला देती है। आदमी मेंढक जैसे कूदने लगता है, याद करता है तो गणेश स्वयं ही वहाँ सुप्त हो जाते चिल्लाने लगता है, कपड़े उतार देता है, चीखने हैं। ये लोग बहुत Sensitive हैं सब देवता जितने | लगता है। ये सब लक्षण अत्यन्त घृणित तरह के हैं, वो सुप्त होत ही साथ वहाँ सब राक्षस गण आ लोगों के होते हैं। ये लोग स्वंय भूत पिशाच हैं। जाते हैं और वो राक्षस-गण आकर के हूँ हूँ करते संसार में आकर के पाप फैला रहे हैं। जो पाप है हैं। कुछ चमत्कार भी दिखाते हैं ऊपर से अंगूठी वो पाप ही है और जो धर्म है वो धर्म है। दोनों का निकाल दी.कुछ पत्थर निकाल दिया, ये निकाल Mixture नहीं हो सकता। धर्म को अधर्म बनाना, दिया, वो दिखा दिया, वहाँ गणेश सो गए। गणेश को पाप बनाना, यही कार्य ये लोग कर रहे को सुला दिया, पहले उनको पूरी तरह अपनी पुण्य 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-9.txt नदम्बर - दिसम्बर 2004 चैतन्य लहरी नास्तिकता से, अपनी गन्दी चीजों से, उनको पहले D.I.G साहब से कहने लगा ऐसे कैसे हो सकता सुप्तावस्था में डाल दिया। पूर्णतया सुप्तावस्था में है कि मेरे सारे माताजी कह रहे हैं कि तुम्हारी सारी डालकर के और वहाँ पर राक्षसों को बुला लिया गई विद्या। मैने तो 25 साल तपस्या की, मशान में और अपना कार्य वो पूरी तरह से कर दिया इस जाकर के। उन्होंने कहा, बोलो तुम्हारे मंत्र देखें तरह के तांत्रिक, मांत्रिको को भी पता होना चाहिए तुम्हारे कोई आते हैं? वो मंत्र बोलता गया आधा कि आप पैसा कमा लेंगे इस देश में , लेकिन आप घण्टा, कुछ नहीं हुआ। आकर पैरों पर लोट गया उसके पाप का नर्क का टिकट भी कटा रहें हैं और कहने लगा माँ वो सब खत्म हो गया! मैने कहा Permanently नर्क में जाकर के आप वहीं रहेंगे, कि जिसके कारण बो शक्ति तुम्हारे अन्दर थी वे ही वहाँ से लौटने वाले नहीं आप। इस पैसे से बचकर चले गए तो अब कहाँ से हो। अब वो जागृत हो गए रहिए। इसको साक्षात आपको चाहिए, मैं आपसे हैँ जो तुम्हारी शक्तियाँ हैं। जब उनके जागृत होते बताती हूँ कि इतना मनुष्य अधम भी हो जाए तो जैसे ही वो मनुष्य में जागृत हो जाते हैं तो ये सब भी परमात्मा कितने कृपालु हैं! मैं पूना में गई थी दुष्ट वृत्तियाँ गिर जाती हैं ये सारे ही दुष्ट जो वहाँ पर एक बहुत बड़े मांत्रिक थे और वो मेरे पास तुम्हारे सर में घूसे हुए थे, जो तुमसे काम ले रहे थे, आए वहाँ मैं D.I.G साहब के यहाँ ठहरी थी,D. I.G ये सारे ही के सारे नष्ट हो जाते हैं। इन देवताओं साहय ने कहा इन मात्रिक साहब मदद की है, बहुत से चोरों को पकड़वा दिया और जाते हैं। इसीलिए कहते हैं कि नर जैसे करनी करे, हमारी बहुत मदद की है आप जरा इसकी थोड़ी नर का नारायण होए। करनी का मतलब ये है कि मदद कीजिए, तो वो आकर के मेरे पैर पर बिलबिला जिस तरह से मनुष्य पार हो जाता है जब उसके कर रोने लगा कि माँ मुझे छुड़ाओ, ये मुझे खाए जा रहें हैं, तुम तो समझ रही हो मेरी बात। मैने कहा अन्दर हमेशा सन्तुलन लाते हैं अब Psycnology तुमने इन भूतो की क्यों मदद ली ? क्यों इन मे मैं इसे बताऊ क्योंकि Science वाले हमेशा राक्षसों की मदद लेकर के तुमने इतनी दुष्टता Psycnology पर जाते हैं। Science में जिसे करी ? कहने लगे मैंने कोई दुष्टता नहीं की, मैने ।V.E कहते हैं । V.E वही श्री गणेश हैं। वे कहते अच्छे काम किए। मैने कहा अच्छा हो या बुरा काम हैं कि अचेतन ऐसा है, Unconscious ऐसा है कि हो तुमने अनाधिकार चेष्टा क्यों की ? कहने लगा उसके अन्दर से स्वप्न में ही कुछ इस तरह के ने हमारी बहुत को जागृत करते ही आप स्वयं देवता स्वरूप हो अन्दर के देवता जागृत हो जाते हैं श्री गणेश हमारे अच्छा मुझे माफ कर दो। मैं एक बार तुमसे इतना प्रतीक Symbols आते हैं, उससे जान पड़ता है कि माँगता हूँ कि मुझे परम दे दो। मैने कहा तीन बार हमारे अन्दर कुछ सन्तुलन लाने की कोशिश की कहो कि मुझे परम दे दो, तब मैने परमात्मा से जा रही है। हमारे अन्दर कुछ Corection लाने प्रार्थना की फौरन वो पार हो गए। है! उनके प्रेम की कोई व्याख्या नहीं। हालांकि रहा। इस तरह के से, प्रायड ने तक, हालांकि जन्म भर उसने जड़ वस्तुओं की प्रार्थना की, अन्त वो भी एक राक्षस ही था, लेकिन फॉयड ने भी में उसने सिर्फ मुझसे कहा, परमात्मा उसके घर इधर इशारा किया लेकिन उनके अनेक शिष्यों ने, आए वो पार हो गए और जब बाहर गया तो आज जहाँ Science Psycnology कितना अजीब की कोशिश की जा रही है। हमें कुछ समझाया जा बहुत पहुँची है, 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-10.txt चैतन्य लहरी दिसम्बर, 2004 नबम्बर पहुँची है उन लोगों ने सबने इस बात का निदान एक और तरह की चीज़ होती है जिसे पेंड कहते लगाया है और कहा है कि Unconscious जो है, हैं, बो दूसरी किसी जगह का था वो सारा वो खा जो अचेतन है वो कोई बड़ी भारी सोच समझ वाली गए। जो चूहे कभी नहीं खाते और गेहूँ उन्होंने छुए चीज़ हैं। वो हमे सही रास्ते पर लाते हैं, वो श्री नहीं गणेश Psyhologist अभी श्री गणेश तक नहीं कैसे हो सकता है ? Scientist इसको मानने को पहुँच पाए क्योंकि वे ये नहीं जानते कि श्री गणेश तैयार नहीं ये तो हो ही नहीं सकता, ऐसे कैसे हो जी तक पहुँचने के लिए पहले अपने जीवन को सकता है ? लेकिन साक्षात सामने है देख लीजिए। । पवित्र बनाना चाहिए। रात-दिन शराब पीने वाले ये बात अब ये एक Scientist आदमी श्री गणेश के पास कैसे पहुँचेंगे ? अपने उन्होंने मुझे बताया। राहुरी के Professor हैं जीवन को जिसने पवित्र नहीं बनाया है , जिसके चौहान, उन्होंने मुझे बताया कि माँ हम लोग दंग हो जीवन में संतुलन नहीं है, जो अपनी पत्नी छोड़कर गए देखकर । अब हम University में इस बात को और अनेक औरतों में रमता है, ऐसे महापापी लोगों कहते हैं तो हमारे Scientist कहते हैं कि नहीं के लिए क्या श्री गणेश जी दर्शन देंगे । जो कि इत्तफाक होगा उन्होंने कही कि भाई इत्तफाक , जैसे के तैसे रखे रहे । अब आप कहेंगे ये ही है वहाँ के स्वंय साक्षात् पवित्रता के अवतार हैं ? लेकिन ऐसे कैसे हो सकता है कि कोई चूहे ने पवित्रता के चमत्कार इतने हैं कि अभी मैं , एक नहीं! जब परमात्मा की बात हुई तो इत्तफाक हुआ University में, कृषि University में गई थी, राहुरी और Science की बात हुई तो में वहाँ के कुछ Professors हमारे शिष्य हैं, हुआ! क्योंकि परमात्मा को मानना मनुष्य के अहंकार उन्होंने मुझसे कहा कि माँ हमें ऐसा कुछ Viberated के लिए बड़ी कठिन बात है अहंकार ने इस तरह पानी दो जिससे हमारी उपज बढ़े। तो मैने कहा से सिर ढक दिया है, थोड़ा सा अहंकार जरा इधर ही छुआ Sure shot मैने ऐसे ही हाथ घुमाकर के उन्हें पानी खींच लीजिए तो बराबर बीचों बीच जगह हो जाती लो, दिया।कल ही वो आए थे बता रहे थे अपने -अपने है मेरे सहजयोग के लिए । इस अहंकार के बारे में किस्से । तो कहते हैं कि उस पानी से जिसे वो ये नहीं सोचना चाहते कि कैसे हो सकता हैं। उन्होंने ने कुएं में डाल दिया और उस कुएं के पानी कैंसर की बीमारी हमारे सहजयोग से आप जानते से जितना भी धान हुआ वो सौ गुना ज्यादा हुआ। हैं बहुत लोगों की ठीक हो गई दिल्ली में भी बहुत कहने लगे ये तो माँ हमे मालूम ही था कि सी कैंसर की बीमारी ठीक हो गई । यहाँ तक कि Viberations से होगा ही क्योंकि वो तो पहले भी वहाँ सरकार ने ये कहा कि हम जानना चाहते हैं हो चुका था, लेकिन सबसे आश्चर्य ये हुआ कि कि कैंसर की बीमारी किस तरह से सहजयोग से बहुत सा अनाज ढाई- ढाई सौ पोथियों का अनाज ठीक हो गई । तो मैने एक डॉक्टर साहब हमारे चूहे खा जाते थे, सड़ जाता था, विशेषकर चूहे शिष्य हैं उनको भेजा कि आप जाकर वहाँ बताइए । खा जाते थे। और जिस गोदाम में ये अनाज रखा वहाँ के Secretary ने हमें चिट्ठी लिखी कि ये गया , हमको आश्चर्य हुआ, कि उनमें छेद भी थे हमारी समझ में नहीं आ रहा है । एक आदमी का इन बोरों में लेकिन चूहों ने उसमें दाँत तक नहीं Colour Blindness है, मै लंदन में थी, उसकी मेरे लगाए! और उसी के पास एक पेंड रखा हुआ था, पास चिट्ठी आई और दूसरे दिन मैं ध्यान में गई 1 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-11.txt नवम्बर - दिसम्बर 2004 वैतन्य लहरी 10 और उसी दिन उसकी Colour Blindness ठीक रखेंगे कि हमने सारा Sympathetic Nervous हों गयी। वो सरकारी नौकर था, director था System को Control कर लिया है।अब उसकी नौकरी चली गई थीं। लेकिन उसकी आपके सामने में कह रही हूँ। यहाँ के जो डॉक्टर Colour Blindness पर किसी को विश्वास ही हैं अगर वो इसको accept नहीं करना चाहते हैं नहीं हो रहा था। अन्त में बड़ी मुश्किल से मैंने वहाँ तो ये आने दीजिए अमेरिका से, फिर क्या कहें। एक सेक्रेट्री साहब को चिट्टी लिखी कि उसका examination तो करवा लो। जब examination तो मैं इसे क्या कर सकती हैं। इस प्रकार अनेक हुआ तो वो लोग आश्चर्य में हो गए कि इसका बीमारियों सहजयोग से ठीक हो गई है। सहजयोग Colour Blindness कैसे ठीक हो गया! यहाँ भी से आपके अन्दर जो सात सेंटर हैं, आपके अन्दर ऐसे लोग बैठे हैं जिनका पुनर्जन्म हुआ है. बहुत से जो सुन्दर व्यवस्था परमात्मा ने की हुई है वो लोग है गवाही देंगे वो आपको सुन लीजिए आप जब हम सभी चीजे अमेरिका की ही लेना चाहते हैं कुण्डलिनी के प्रकाश से जागृत हो जाती है और ये उन लोगों से । तब उन्होंने खबर की कि आप देवता जागृत होकर के उसका पूरा संतुलन करते किसी डॉक्टर को भेजिए। हम चाहते हैं Medical है और शरीर का पूरा संचालन करते हैं और सारे College में इसका पता लगाएं। उन डोंक्टर शरीर में वो शवित्त प्रदान करते हैं जो ऊपर से साहब ने मुझको चिट्ठी लिखी कि पहले तो इन हमारी ओर पूरी बहती है। ऐसे ही समझ लीजिए Scientist से मेरी लड़ते- लड़ते हालत खराब हो कि गर हम मोटर का पेट्रोल खर्च कर रहें हैं और गई, उसमे फिर वो खत्म हो रहा हो तो हमें एक तरह का Ten- sion आ जाता है। पर गर आपके पास ऐसी कोई Emergency हो गई और इस वजह से वो बात स्थगित है। पर वो कहते हैं ये यहाँ पर होने वाला नहीं। मैंने सबसे कहा कि व्यवस्था हो कि पूरी समय आपके अन्दर पेट्रोल सहजयोग एक हिन्दुस्तान की देन हैं । कैँसर का मैने खोज लगा लिया है क्यों नहीं इसे देखते हो होने की कोई बात ही नहीं। इसी तरह की व्यवस्था ? कोई डॉक्टर देखने के लिए तैयार ही नहीं। अब देखिए आप कि अमेरिका में डोंक्टर लाजेवार करके बड़े अच्छे डॉक्टर हैं, वो मेरे शिष्य हैं और Parasym pathetic का पकड़ना बहुत मुश्किल है। भरता रहे तो थकने की कोई बात ही नहीं, खर्च हैं। हो जाती हैं । इसी को Parasympathetic Ner- vOus System कहते है। अब आपको ये भी सुनकर आश्चर्य होगा कि से सब कह रहें हैं डॉक्टर लोग कि उन्होंने एक दिन मुझसे कहा था कि माँ मुझे कोई विशेष ऐसा आशीर्वाद दो कि मैं सहजयोग को ही संसार में फैला सक। अभी London से आने के कुछ दिन पहले ही मेरे पास उनका फोन आया कि मैं सारे न्यूयार्क के जितने भी डॉक्टर हैं उनका उसको हम नहीं Control कर सकते दूसरा ये भी कहते हैं कि गर Psycosynthesis करना है. गर सब शरीर की जितनी भी ग्रंथियां हैं और मन, बुद्धि अहंकार आदि सबको गर एकत्रित करना है तो उसके लिए Parasympa- thetic से ही चढ़ना होगा। ये सब उन्होंने पूरा stage बना दिया है हमारे अन्दर में वो वही बता रहे हैं लेकिन हम गर कहें कि तुम कूद करके stage पर आ हैं जो हम कर रहे एक Association है उसका मैं Chairman हो गया हैं, और कह रहे हैं कि आप वहाँ आइए जाओं तो उसके लिए कोई भी बुद्धिमान तैयार नहीं क्योंकि सबकी हम Conference करा करके उसके बुद्धि. सामने हम कैंसर का और सब चीज का सामने (Recording is incomplete) 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-12.txt तत्व की बात-1 गांधी भवन, दिल्ली विश्वविद्यालय परम पूज्य माता जी श्री निर्मला देवी का प्रवचन फरवरी-1981, दिल्ली विश्वविद्यालय के इस सुन्दर प्रांगण चाहे मन्दिर जायें, चाहे चर्च जायें, चाहे कुछ भी में अनेक बार आना हुआ। कोई न कोई नई बात करें। उनमें इस तरह की श्रेणियां हैं, उनमें से यहाँ कह दी जाती है और अनेक बार लोगों को तो पत्थरों से और चट्टानों से टकरा रहे हैं, जानते यहाँ कुछ जागृति भी दी और जागृति के बाद क्या हुए भी कि बेकार की चीज़ है, उसी से अपना सर करना चाहिए, ये भी अनेक बार मैंने समझाया। रगड़ रहे हैं। आप कितना भी सिर रगडें तो भी क्योंकि अंकुर का प्रादुर्भाव होना, अंकुर का जागृत चट्टान तो चट्टान है, चट्टान से आपका अंकुर कभी होना, ये तो हर एक के लिए मनोनीत है, लिखा प्रस्फुटित नहीं हो सकता। हुआ है और वो अगर उसमें से अंकुर निकलता है, तो वो उसका स्वाभाविक धर्म ही है, सहज है, धर्म को लेकर करता है उनसे धर्मान्धता में स्वैच्छिक (Spontaneous) है, वो तो होना ही घुसता चला जाता है। वो सोचता है कि बहुत ही हुआ। आपके अन्दर यदि यह अंकर है ही .तो ज्यादा Sacrifice (बलिदान) किया है, त्याग किया उसका अंकुरित होना तो कुछ विशेष चीज तो है. है, परमात्मा के लिए। ऐसे लोगों से आप कह भी नहीं। जब मनुष्य जितनी भी दकियानूसी बातें है मनुष्य दीजिये कि ऐसी चीज़ से फायदा नहीं, आप ऊर्वरा भूमि में आईये जहां आप पूरी तरह पनप जायें, पूरी तरह से शीतलता हो और पूरी तरह उसकी हिफाजत हम लोग हर वक्त देखते हैं, हर समय देखते हैं कि हजारों, करोड़ों बीज इस पृथ्वी माता के पेट में पनपते हैं, हर समय । कोई से भी बीज हो आपको देखा जाय और जहाँ आपको संजोया को आप बो दीजिये, वो अंकुरित हो ही जायेगा| वो जाय, ऐसी जगह आप आईये, तब आपका जो अपने प्रेम से, वो अंकुर को किस तरह जागृत प्रसाद है जोकि आप अंकुरित होना कहते हैं, तो वो करती है ? वो किस प्रकार करती है, कैसे करती हो सकता है। है, यह हम लोग नहीं जानते, क्योंकि यह उनका तो इस बात को मानने के लिए भी बहुत स्वभाव है। उस स्वभाव के अनुसार वो अंकुरित कम लोग तैयार हैं। बड़ा आश्चर्य है। मानव तो करना उनके लिए एक बहुत ही साधारण लीला सी मेरी समझ में नहीं आता। मानव जैसा जिद्दी प्राणी चीज़ है, कोई विशेष बात नहीं है । लेकिन जैसा कि संसार में नहीं है। कोई सा भी प्राणी मात्र इतना कहा गया है, ईसा मसीह ने कहा था, 'बहुत से जिद्दी और हठी नहीं है। और जब कि पूरी तरह बीज थे, कुछ बीज तो पत्थर पर पड़ गए और कुछ अज्ञान में हम हैं और जब कि हमारे ऊपर इतने बीज थे, वो पहाड़ी रास्ते पर पड़ गए और कोई आवरण हमने अपने दिमागी जमा-खर्च से लपेट बीज थे जो ऊर्वरा भूमि में पड़ गए लेकिन उनमें से रखे हैं, तो फिर हम सोचते हैं कि हमसे अकलमन्द कोई बीज ऐसे भी थे जो बहुत ही अच्छी ऐसी भूमि और कोई नहीं है तो फिर ऐसे लोगों का इलाज में पड़ गए, जहां वो पनप गए। वो उनके जमाने किया क्या जाये ? मेरी तो समझ में नहीं आता। की बात है जो दो हजार वर्ष पहले उन्होंने कही जैसे कि आप धर्मान्ध लोगों को देखते हैं। मैं अभी थी। उसका अर्थ यह है कि, बहुत से लोग जो एक मन्दिर में गई थी। पहली मर्तबा मन्दिर में गई साधक हैं, संसार में, जो परमात्मा को खोज रहे तो बहुत भीड़ और दूसरी मर्तबा गई, तो बहुत कम हैं, जो परमात्मा के नाम पर कुछ भी करते रहते हैं, लोग आये। मैंने पूछा कि भई क्या हो गया, क्यों 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-13.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 12 नहीं आये ? कहने लगे कि माताजी आप से सब लोग नाराज हो गए । मैंने पूछा किस बात पर ? रहे हैं? मेरी आज तक समझ में नहीं आया कि कहने लगे कि इसलिए नाराज़ हैं कि आपने कहा इन्सान को किसने समझाया ? आप जिस दिन का कि भगवान के नाम पर उपवास नहीं किया करो। उपवास कर रहे हैं जिस दिन Deity (देवता) का किसने बताया कि उपवास करने से भगवान मिलते दिन है, उस चक्र का दिन है उस रोज तो उत्सव हैं ? क्या सारे लोग जो उपवास कर रहे थे उनको होना चाहिए, आनन्द से उनको स्वीकार करना क्या भगवान मिलने वाला है ? उसको भगवान का चाहिए। जिस दिन गणेश जी का जन्म होयेगा, फिर आप किस सिलसिले में उपवास कर उस दिन आप उपवास करेंगे ? और ये भी एक नाम लगा देने से क्या फायदा है ? क्यों आप उपवास करते हैं ? आप जब सहजयोग में आयेंगे, छोटी सी बात लोग सुनने को तैयार नहीं हैं गणेश तो आपको आश्चर्य होगा कि जिस दिन का आप जी जिस दिन पैदा हुए उस दिन उपवास मत उपवास करते हैं उसी दिन के देवता आप से कीजिये। श्रीराम जिस दिन पैदा हुए उस रोज नाराज हो जाते हैं। जैसे कि आप गुरुवार का उपवास मत कीजिये, श्रीकृष्ण पैदा हुए, उस रोज़ उपवास करते हैं, जैसे कि उदाहरण के लिए किसी भी मत कीजिये, मेहरबानी से उस दिन उत्सव आदमी का पेट खराब है उससे पूछ लीजिये कि मनाईये अब इससे समझदारी की बात क्या हो क्या आप गुरुवार का उपवास करते हैं या आप सकती है, ज़रा बताईये ? लेकिन इस कदर दत्ता गुरु को मानते हैं ? आप देखियेगा कि उनका दकियानूसी पना अपने देश में इस कदर अन्धापन पेट खराब पाइयेगा या किसी भी गुरु को मानते है, इस मामले में कि हैं, उनका पेट खराब होगा लेकिन यदि मैं कहूँ स्त्रियाचार " कहते हैं कि इस तरह इससे हम लोग कि भई गुरुवार के दिन उपवास न करो, न सोमवार ढक गए हैं कि छोटी छोटी बात पर नाराज हो जाते के दिन करो, कोई भी दिन न करो क्योंकि ये सब हैं | दिन जो हैं, उनमें एक एक देवता के लिए रक्खे गए हैं और उस दिन वो Specially (विशेष रूप से) देशों) में बात यह है कि वहां के लोगों को बात जागृत होते हैं, तो उनको जागृत रखो बजाय समझायें तो उनको यह बात समझ में नहीं आयेगी इसके कि उनको नाराज़ करो। किसी को नाराज़ क्योंकि वो विवाद से जूझ रहे हैं या आपसे बहस करना हो तब आप उपवास करते हैं न, या कोई करेंगे। उसकी वजह है, वो भयंकर अहंकारी हैं । सूतक हो ? जब कोई आदमी आपसे नाराज़ हो उनमें इतना अहंकार ज़बरदस्त है कि अगर कोई जायेगा तो वो आपके घर में बैठा होगा तो परसे आदमी उनके ऊपर ऐसा जाल चलाये जिससे वो थाल से उठ जायेगा या अगर आप उसको खाने पूरी तरह mesmerise (मेसमेराइज़) हो जायें या पर बुलायेंगे तो कहेगा कि साहब मैं तो खाने के मन्त्रमुग्ध हो जायें या कोई न कोई बेवकूफी की लिए नहीं आऊँगा, मैं आपसे बहुत नाराज हूँ। बात उन्हें सुझा दें, जैसे कहे कि हम आपको उड़ना मतलब, हम लोग नाराजगी जाहिर तब करते हैं, सिखायेंगे हवा में, अपने हाथ ऐसे रखें और हवा में या उपवास कि जब हम किसी तरह उनको दिखा उड़ने लग जायेंगे तो लोग उनको तीन हजार पौंड दें कि हम नहीं खायेंगे यानि रोटी बन्द करना। ब्रह्यणाचार और है। Western Countries (yfa अब | (23,000) देने को तैयार हो जायेंगे। ऐसी कोई 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-14.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 13 बारीक बेवकूफी की बात उनको सिखाई जाये तो बड़े लोग खुश हो जायेंगे मतलब यह है कि उन ही बुरी तरह फैली हुई है वो ये है कि धर्म हमारे लोगों को कोई न कोई बेवकूफी की तरफ बढ़ाने के यहाँ बिकता रहता है, सुबह से शाम तक। आप लिए गति उनके अन्दर है लेकिन जब कभी समझाया गंगाजी पर जाईये जितनी श्रद्धा हो उतने पानी में जाये कि भई यह अक्ल की बात करनी चाहिए, उनको उतारिये आप मन्दिर में जाईये, जितनी बस एक छोटी सी बात पर नाराज़ हो जायेंगे। अंब दूसरी बात अपने देश में है जो बहुत श्रद्धा हो उतना रुपया दीजिये। यहां भगवान के मैं यहाँ लोगों को खुश करने तो आई नाम पर हर एक चीज़ बेची जाती है। मैंने सुना है नहीं हूँ क्योंकि किसी को खुश करने की कोई बात भगवान का तिलक बेचा जाता है। कोई चंबर घुमाने नहीं है न ही नाराज करने की बात है न तो वाले हैं, अगर वह 5 लाख रुपया दें तो वो चैवर दें नाराज करने आई हूँ न खुश करने, मैं तो इसलिएघुमा । इस तरह की इतने पागलपन की बातें हम आई हैं कि आपकी अपनी जो शक्ति है, जो आपके लोग परमात्मा के नाम पर करते चले आ रहे हैं. अन्दर आपका अपना आत्मा बसा हुआ है, उसे मैं उनकी तरफ मद्देनजर करना चाहिए, देखना चाहिए देख पा रही हूँ उससे आपका मिलन करा दूं । कि क्या कर रहे हैं, किस चीज से हम जूुझ रहे उसमें जो कुछ आपने अडचने डाल रखी हैं अपनी हैं| यह तो अहंकार की पुष्टि के लिए मनुष्य करता अक्ल से या आपकी अपनी समझ से। कोई मैं है, कि मैंने इतना रुपया दे दिया और मुझे चँवर आपको बेवकूफ नहीं कह रहीं। लेकिन अगर कोई घुमाने के लिए उस पर खड़ा कर दिया और मैं गलतियाँ हो गई हैं तो उस चीज को आपको ठीक चैवर घुमा रहा हूँ और बड़े अपने को अक्लमन्द समझे चले जा रहे हैं। यह एक अजीब बेवकूफी है कर लेना चाहिए। जैसे कि आप हिन्दुस्तान में पैदा हुए या नहीं आप बताईये ? क्या ये पांच लाख खर्च है ठीक है। हिन्दुस्तान की अपनी कुछ है, चली करने से क्या परमात्मा आपसे संतोष करेंगे ? हुई गलत परम्परायें हैं। सही भी बहुत हैं, गलत भी उनको रुपया-पैसों की जरूरत नहीं है। परमात्मा बहुत हैं और उनमें से जो गलत परम्परायें हैं को रुपयों पैसों की जरूरत नहीं हैं वो कोई गरीब उनको हमने ज्यादा जकड़ लिया है बनिस्बत आदमी नहीं हैं, गरीब इन्सान नहीं है सारी सृष्टि उनके जो कि सही परम्परायें है। अगर कोई साहब उनकी अपनी है। उनको रुपये-पैसों से मतलब कहें कि आप हिन्दुस्तान में पैदा नहीं होते और क्या ? उनको तो मालूम ही नहीं कि रुपया पैसा आप लंदन में पैदा होते तो आपकी परम्परा अलग क्या होता है। उनको तो जन्म लेना पड़ता है हो जाती। आप तो पहली बात इन्सान हैं। इस सीखने के लिए कि रुपया चीज़ क्या होता है। कोई बात को अगर मनुष्य समझ ले कि मैं एक आसान चीज़ थोड़ी है मनुष्यों का पागलपन बीज-स्वरुप हूँ और बीज होने के स्वरूप मुझे सीखना ! बहुत ही मुश्किल काम है इतने पागल अंकुरित होना है यही मेरा परम् कर्तव्य है और होते हैं मनुष्य कि उनकी बातों को सीखने के लिए कोई मेरा कर्तव्य नहीं है, और कोई चीज़ मेरे परमात्मा को बहुत मेहनत करनी पडती है। कोई लिए महत्वपूर्ण नहीं है बनिस्वत इसके कि मैं सीधा-सरल काम नहीं है जैसे कि कोई मनुष्य अंकुरित हो जाऊँ । धर्म में खड़ा है, उसको यह समझ में ही नहीं आता 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-15.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 14 कि यह बातें पाप-पुण्य की लोग क्यों करते हैं । जो भोले होते है, जिनको पता है ही नहीं ये चीज यह नहीं करो चो नहीं करो, ऐसा नहीं करना क्या है, मतलब ये कि बहुत मुश्किल हो जाती है चाहिए, अरे भाई यह करता कौन है? जैसे हमारी Grand Daughter (धेवती) है, वो पार है, पैदाइश से। हमसे कहने लगी, 'हमारे में ही नहीं आता कि इनको समझाये कैसे ? और स्कूल में बहुत stupid subject (बेहूदा विषय) है, कोई आप बात समझाईए तो वो नाराज हो जाते हैं । नानी। मैंने कहा, 'कॉन सा ?" कहने लगी यहाँ पर क्या कोई election (चुनाव) है कि आपके 'Moral Science (नैतिक विज्ञान) बड़ा ही stupid कोई पीछे है या कोई हार-जीत है ? आप अगर subject है तो मैंने कहा, क्यों ?" कहने लगी जहर खाते हो तो भाई खाओं नहीं तो नाराज हो "मालूम है, उसमें क्या सिखाते हैं ? झूठ मत बोलो, जाओगे, ऐसा तो नहीं न कोई बोलने वाला। चोरी मत करो। हम कोई नौकर हैं, जो हमको ऐसा सिखा रहे हैं ? गंदी गंदी बातें सिखाते रहते हैं। के अन्दर कि हम इस संसार में आए.क्यों हैं. पहला ऐसी कोई सिखाने की बात होती है कि झूठ मत सवाल ? क्या हम इसलिए आए हैं कि आकर बोलो। वो कहने लगी कि मुझसे कहा कि दस मन्दिरों में लोगों को पैसा चढ़ाएं ? या इसलिए आए sentence लिखो share करने पर । तो कहने हैं कि धर्मान्धता करके उसके नाम पर लड़ते रहें ? लगी ,क्या share करे ' मैंने कहा कि उनका या इसलिए आए हैं कि परमात्मा को गालियां बकते मतलब है, कि उन्होंने कहा होगा कि तुम ऐसा करो रहें और कहते रहें कि परमात्मा है ही नहीं ? हम कि खाना share करो। तो कहने लगी 'खाना तो आए किसलिए हैं संसार में, पहला प्रश्न अपने आप हम share करके ही खाते हैं या इकट्टा साथ ही से पूछना चाहिए कि क्या हम अमीबा (Amoeba) खाते हैं। उनकी यही समझ में नहीं आता यह से इन्सान बनाये गए तो किस वजह से ? बच्चे जो पार बच्चे हैं कि गलत काम करना ही मनुष्य के बारे में सीखने के लिए | मनुष्य इतना पागलपन करते हैं कुछ समझ एक सूझ - बूझ की बात होनी चाहिए मनुष्य इसका जवाब कोई scientist (वैज्ञानिक) नहीं दे सकता क्योंकि उनसे परे की बात है। कोई काहे को ? गलत रास्ते पर जाते ही क्यों हो ? जब हम जाते ही नहीं तो हमें बताते ही क्यों हो ? scientist नहीं बता सकता कि आपको इन्सान एक किस्सा है कि एक पादरी साहब क्यों बनाया गया ? यह सब मानते हैं कि हम एक गाँव में में गए, जहां बेचारे देहात के लोग बहुत Amoeba (अमीबा) से. एक छोटे से अमीबा से सीधे सादे थे। उन्होंने उनको काफी कुछ सिखाया । मेहनत करके आपको बनाया गया-ये Special यह हुआ तो हुआ, जब जाने लगे तो उनका (विशेष) चीज़ जो इन्सान है, है बड़ा मजेदार। Farewell (विदाई-समारोह) हो गया। उसमें लेकिन कभी कभी सोचती हैं कि इनके सींग नहीं बेचारे देहाती लोगों ने कहा, कि पादरी साहब हम हैं, दुम नहीं है, ऐसे तो ठीक है लेकिन इतने ज्यादा आपके बहुत शुक्रगुजार हैं, बड़ा धन्यावाद है क्योंकि हटी क्यों हैं? यह मेरी समझ में नहीं आया। इतनी हठ तो कभी- कभी बैल या घोड़ा कभी-कभी आपने हमें सिखाया कि पाप चीज़ क्या होती है, क्षणिक करते हैं। यह तो Permanently (स्थाई धन्यवाद। तो जो निष्पाप होते हैं, रूप से) हठी लोग बैठे हुए हैं और इनसे हमको तो मालूम ही नहीं था कि पाप क्या है ? बहुत बहुत 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-16.txt फरवरी 2005 चैतन्य लहरी जनवरी - 1६ जूझते-जूझते मेरी समझ में नहीं आता कि इनको (कनेक्ट) किया तो इसका क्या करियेगा ? अचार पार करा कर भी क्या होगा? अब आप पूछ सकते डालियेगा? अधिकतर इन्सान इसी हालत में है हैं। आपसे पंतजी बतायेंगे कि न जाने कितने लोगों कि उनका अचार डालिये किसी काम के नहीं, को हमने यहां पार किया, उनको Vibrations आने एकदम बेकार लोग हैं। बिल्कुल बेकार हैं परमाल्मा लग गए, पार भी हो गए, कुण्डलिनी के बारे में के लिए। वे अपनी दृष्टि से अपने को तो बड़ा उनको बताया; कैसे कुण्डलिनी जागती है, उन्होंने अफलातून समझते हैं उन्हें सब सैलूट (salute) यहाँ तक देखा कि हमारे सामने जब लोग आते हैं करें, ये करें, वो करें पर वो बिल्कुल बेकार हैं। तो उनकी कुण्डलिनी उठती है, उसका स्पंदन होता है । Triangular Bone (त्रिकोणाकार हड्डी) (यन्त्र) तो बनिये, जिसके लिए आप संसार में आए में कुण्डलिनी है, ऊपर चढ़ती है और ब्रह्मरंध्र को हैं और इसलिए आप विश्व में बने हैं उनके आप छेदती है। यह सब उन्होंने देखा है और हुआ और instrument बने, उन्हें समझें, गहनता ग्रहण करें उसके बाद Vibrations आये और ये सब कुछ और उनके साम्राज्य में आप जायें। लेकिन अगर असल में आप परमात्मा के instruments करने के बाद, बावजूद इसके कि हर तरह का उन्हें अनुभव हो चुका, उसके बाद साहब पफिर वो घर में मेरा फोटो ले गए और आरती-वारती करके और परमात्मा ने अपना साम्राज्य फैला रखा है कि आप आईये आपके लिए सुस्वागत् रखा हुआ है, सब इन्तजामात हैं आपके लिए कि आप कुण्डलिनी के फिर एक साल बाद बता दिया कि माता जी हमारे सहारे आप अन्दर आईए लेकिन आप जो हैं, हढ से Vibrations अब गायब हो गए| और क्या होगा? दरवाजे पर खड़े हैं कि नहीं साहब हम तो उसका पूरा इन्तजाम आपने कर लिया। जब कि आयेंगे ही नहीं । क्यों साहब चौखट से ही हमको आपके अन्दर कोई बीज पनपा है, तो उस को आप प्यार है तो हम क्या करे? इस प्रकार मनुष्य के किस तरह रखेंगे ? उस वक्त आप अगर उसको अन्दर इतना अज्ञान है, इतना ज्यादा अज्ञान है कि उठाकर फैक दीजिएगा तो बो गल जाएगा, खत्म कभी कभी मुझे लगता है कि दी हुई चीज़ का जो हो जाएगा। सीधा हिसाब है। प्रकाश है उसे वह देख नहीं पाएगा और समझ नहीं ना इस बात को लोग समझते नहीं हैं कि कितना बहुमूल्य हमें यह माँ ने दिया हैं । मेरे लिए पाएगा। अब यहां पर न जाने कितने सालों से तो इतना बहुमूल्य नहीं होगा शायद क्योंकि मुझे हम आ रहें हैं । कितने ही लोग पार हो रहे हैं कोई इसमें ऐसी विशेष बात नहीं लगती। लेकिन लेकिन गति जो है यहां सहजयोग की वह बहुत आपके लिए मूल्यवान ज़रूर है। क्योंकि अगर धीमी है, विशेष कर विश्वविद्यालय में क्योंकि विश्व आपको ये न मिले तो आप करियेगा क्या ? है का विद्यालय है न ! मुझे तो हॅँसी इस पर आती कि जहाँ मुझे उम्मीद भी नहीं होती, जहाँ मैं सोचती भी नहीं कि इतना काम पनप जाएगा वहाँ तो बहुत आसानी से हो जाता है और लेकिन जो ज़रूरत से ज्यादा अक्लमन्द होते हैं- जैसे कबीर दास जी ने कहा है कि 'पढ़ि पढ़ि पंडित मूरख भए' और हमारी आप लोगों को क्या होने वाला है ? इसके बगैर आप लोगों का चलेगा कैसे ? पाने का तो यही है समझ लीजिये आपने microphone यह बनाया है और इसको ऐसा ही रखा, इसे mains से नहीं connect 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-17.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 16 कि जो अति अक्लमन्द कि हमारे दो हाथ है, हाँ हमारे दो हाथ हैं और फिर बनते हैं उनके पैर जो हैं रास्ते में घूमा करते हैं वो कह दिया कि इस हाथ के अन्दर पांच उगलियाँ हैं. ठीक हैं. हैं पाँच उंगलियाँ। ये हमने देख लिया और इसलिये पहले यह सोचना है कि हम फिर Science से आप ज्यादा से ज्यादा यह बता क्या है ? । देंगे कि यह किस चीज का बना है इसको और बाकी? बाकी कृुछ भी नहीं, बाकी सब बेकार। खोज-खाज के खोज-खाज के ही इन चीजों का और इस आत्मा का जो प्रकाश है, जो ब्रह्म तत्व है पता लगा सकते हैं। बता सकते हैं कि इसके अन्दर क्या है उसके अन्दर क्या है वगैरा वरगैरा। लेकिन जो शीतल होते हैं ये ही आपका कार्य है और कुछ क्यों है और कैसे है इसका जबाव नहीं है। जैसे नहीं, बाकी सब मिथ्या है। शरीर तो आप जानते हैं हमारे अन्दर श्री गणेश हैं, और श्री गणेश की शक्ति आप रोज ही देखते हमारे अन्दर है। यह जो आपको पहला चक्र हैं। इधर से मैं आ रही थी तो मैंने देखा कितने ही दिखाई दे रहा है, मूलाधार चक्र पर ही श्री गणेश बड़े बड़े लोग जो आये . अब नहीं हैं। फिर आप हैं अच्छा हम यह बात कर रहे हैं कि श्री गणेश यह भी जानते हैं, अहकार मिथ्या है। बड़े बड़े लोग हमारे मूलाधार चक्र पर विराजमान है। अब आप मराठी में कहा जाता है.. कुछ नहीं होती। ऐसा कुछ हाल हो जाता है। आप आत्मा हैं। आप सि्फ आत्मा हैं जिसे कि हम Vibrations के नाम से जानते हैं, मिथ्या है। शरीर मिथ्या है Position (ओहदों) में बैठते हैं जैसे ही उनकी कुर्सी खिसक गई, उनको पताल दिखाई देने लग कोई दे सकता है कि हमारे अन्दर श्री गणेश की गया। मन भी जो है, वो भी मिथ्या है आप किसी शक्ति कहाँ है ? इसका आप कोई भी Proof दे दें, के पीछे बहुत मनःपूर्वक काम करते है मनः पूर्वक कोई भी नहीं दे सकता। क्या वजह है ? इसका ये करते हैं, मनःपूर्वक वो करते हैं और आप को जबाव आप इस अल्प बुद्धि से नहीं दे सकते बुद्धि कुछ हो जाता है, कोई आपको पूछने वाला नहीं रह जाता है। बुद्धि भी मिथ्या है क्योंकि बुद्धि से जो Unlimited (असीम ) की बात कर रही हैं। जानते हैं, आप उसी को contradict (विरोध) करने लग जाते हैं। बुद्धि की पहुँच ही कहाँ तक जायेंगे, जब तक आप असीम में नहीं उतरेंगे, आप है, जो सामने दिखाई देता है। जैसे कि ज्यादा से इस चीज का जबाव नहीं दे सकते हैं कि माँ आप ज्यादा बुद्धि से आपने Science (विज्ञान) खोजा। सच कह रही हो या झूठ कह रही हो। अब मैं आप और Science ने यह बता दिया कि पृथ्वी के से एक-दो सवाल पूछँ कि ये बताइये कि पक्षी आते अन्दर Gravity (गुरुत्व) नाम की शक्ति है। वो तो हैं, साईबेरिया से आते हैं, हमारे यहां मध्य-प्रदेश जाहिर है उसमें कौन सी बताने की बात है। वो तो में जगदलपुर में आप पाइयेगा साईबेरिया के पक्षी, किताबों में हैं. सब कुछ है। और जो कुछ भी आप सीधे । और हर बार वही पक्षी वहाँ चले आते हैं। पता लगा रहे हैं, उसके अन्दर है वो सब कुछ। बो कंसे आते हैं ? इसका जबाव दे सकते हैं। लेकिन वो आई कैसे वहाँ? वो है क्या चीज ? वो उनके अन्दर कौन सी शक्ति है जिसकी वजह से वो शक्ति क्या है, जो पृथ्वी के अन्दर समाई है ? बराबर साईबेरिया से उड़कर वहाँ चले आते हैं ? इसका तो उत्तर आपने दिया नहीं। बस कह दिया वही गणेश शक्ति। और वही गणेश शक्ति पृथ्वी के इसका Proof (प्रमाण) दे सकते हैं science से ? जो है हमेशा ही Limited (सीमित) है। मैं अब Unlimited में जब तक आप नहीं 1 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-18.txt चैतन्य लहरी फरवरी, 2005 जनवरी 17 अन्दर गुरुत्वाकर्षण शक्ति है जिसे कि आप कहते कोई भी बाहर का चीज़ आए तो आपका शरीर हैं Gravity और जो इन्सान के अन्दर gravity है, उसको फैंक देता है पर जब माँ के पेट में बच्चा जब वह खराब हो जाती है, उसका वज़न खराब हो जाता है, उसकी जब gravity खराब हो जाती जाता बल्कि उसको संजोया जाता है, सम्भाला है, जब उसका Self-esteem ( जाता है, तब तक जब तक वह उस दशा में न जब वो Frivolous (कमज़ोर) हो जाता है, जब पहुँच जाये और जब वह उस दशा में पहुँच जाता उस की आँखें इधर-उधर दौड़ने लग जाती हैं, है तो उसको बराबर बाहर निकाला जाता है करीने उसका मन खराब हो जाता है और उसका चित्त से। ये काम कौन करता है ? आप तो नहीं क्या बिखर जाता है तब उसकी gravity खत्म हो जाती आप सम्भालते हैं इसे ? आप ही क्यों पैदा हुए है। जब वह gravity खत्म हो जाती है तो क्या हो हैं ? आपके अन्दर जो कुछ सूरत-शक्ल है वो भी रहता है, foetus होता है तो वह फैंका तो नहीं (आत्म-सम्मान) जाता है ? आपका गणेश चक्र पकड़ जाता है। श्री गणेश शक्ति की देन है। अब जब आप अज्ञान और जब ये गणेश चक्र पकड़ जाता है तो आपका में बैठे हुए हैं तो आप इस गणेश शक्ति को नष्ट कर innocence जो है, वो खत्म हो जाता है। आप रहे हैं। सुबह से शाम तक आप इस शक्ति को नष्ट चालाक हो जाते हैं। अब, चालाकी से बढ़कर कर रहे हैं और इसको आप जितना नष्ट करते महाबेवकूफी संसार में कोई नहीं है। जो महाबेवकूफ जायेंगे-जहाँ जहाँ से गणेश शक्ति नष्ट हो गई, होता है, वही चालाकी करता है और अकलमन्द वहाँ वहाँ बच्चे पैदा नहीं होंगे। अब आप जर्मनी में जो होते हैं कभी नहीं। क्योंकि चालाकी से आप पा जाइये, इंग्लैण्ड में जाइये - सब Minus भी क्या सकते हैं। चालाकी से आप अपने Population ही है अभी तो वह कह रहे हैं कि innocence को तो पा नहीं सकते जो आपकी Emigration (स्थाानान्तरण) नहीं हो गा गणेश शक्ति जो आपके अन्दर Present है, बसी Emigration उन्हें करना पड़ेंगा क्योंकि सब बुड़्ढ़े है। इस गणेश शक्ति से ही आप पैदा हुए हैं। हो जायेंगे 90 साल के, बच्चे कोई होंगे नहीं तो आपके अन्दर समझ लीजिये कि आपके तन की होगा क्या ? जहां ये गणेश शक्ति नष्ट होती जाती शक्ल है। आपकी बीवी की दूसरी तरह की शक्ल है स्त्री में, विशेष कर पुरुष में भी, वहां पर बच्चे पैदा है, और आपका जो बच्चा होगा, वो दोनों की शक्ल नहीं होते क्योंकि गणेश शक्ति से ही संसार में... से किस तरह मिलकर बनता है। ये कैसे बनता और ये गणेश शक्ति हमारे अन्दर इस Centre है ? कोई Scientist बनाकर दिखाये । कोई (चक्र) में बैठी हुई है। और इस Centre के बारे में Scientist अगर जमीन से पत्थर उठाकर के उसमें कहीं science में लिखा नहीं। अब लोग मुझसे भी से बच्चा पैदा करके दिखाये। या छोड़िये फूल कहते हैं कि माँ आप जो कह रही हैं, वो किसी निकाल कर दिखाये । या छोड़िये कुछ चीज किताब में नहीं लिखा । अरे भई जो किताब में बनाकर दिखाये। तो किस चीज़ का इतना अहंकार है मनुष्य लोग पहले से ही लिख देते तो आप किस दिन के को ? ये कहा जाता है कि कोई भी अपने अन्दर लिए आए हैं ? कुछ बात बताने के लिए भी रखनी शरीर के अन्दर कोई सी भी Foreign चीज़ आए, पड़ती है। और पहले बताने से भी फायदा क्या ? लिखा है वो तो उद्धृत है ही और अगर सब बातें 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-19.txt जनवरी फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 18 उससे तो नुकसान ही होगा जो चीज़ पहले बताई और दूसरी हद यह है कि शराब नहीं पीने का है, गई, उससे बड़ा नुकसान हो गया लोगों को। अब तो ये हद हो गई, दूसरी हद हो गई कि शराब जो जैसे पहले बताया गया था कि भई शराब मत पियो पीयेगा उसके हाथ काट डालो, पैर काट दो, सर क्योंकि वह चेतना के विरोध में पड़ती है। अगर काट डालो। ये भी कोई नमूना है ? एक तो आपने शराब पीना शुरु कर दिया तो आपका जो extreme (अति) यह है कि शराब पीना क्या है. है नाभि चक्र खराब हो जायेगा सीधा हिसाब। क्योंकि आपकी चेतना जो है- जिस चेतना मतलब तो बहुत बड़ी चीज़ हो गई। शराब क्या है, से उसके ऊपर गजलें हों फसाना हो गया ,ठिकाना आपको परमात्मा को खोजना है वो आपकी दब हो गया, सब चलता है। और दूसरी हद ये कि जब जाती है। वो आपके नाभि चक्र में जो चेतना है, पहुँचे कि आपने शराब पी तो गर्दन आपकी कट जिससे आप भगवान को खोजते हैं, जिससे आप गई भई एक बार किसी ने शराब पी, ठीक है एक हूँ evolve (उत्कृत) हुए हैं जिससे आप अमीबा से बार पी तो उसका नशा तो उतार सकती हैूँ लेकिन इस stage (स्तर) में आए हैं आपका evolution गर्दन निकाल दी तो उसका क्या करूं ? Out of (उत्क्रांति) रुक जाती है अगर आपने शराब पीना proportion जा रहे हैं अब इसी तरह अनेक चक्र शुरु कर दिया । सीधा हिसाब । आप evolve नहीं अपने अन्दर इस तरह से हैं, जिनके बारे में होते, आप पार नहीं हो सकते। इसीलिए कहा कि बतायेंगे। मेरे ख्याल से हम किसी भी चक्र के बारे शराब मत पियो। अब अगर किसी से कहो कि में खास जानते नहीं। अगर जानते होते तो हम शराब मत पियो तो उसकी हद इतनी कर डाली लोग उसके साथ ऐसे खेल-खिलवाड़ नहीं करते। उन्होंने। एक हद तो ये हो गई कि कहा कि शराब मत पियो तो भगवान के ऊपर में उमर खयूयाम महत्वपूर्ण है जो कि दिल्ली शहर के अन्दर बहुत ही साहब हो गए, अपने बच्चन जी हैं, बड़े भारी कवि ज्यादा पकड़ रहा है, नई दिल्ली में ज्यादा Old घूमते हैं। उन लोगों ने निकाला कि भई क्या रखा खुलकर तीसरा चक्र हमारे अन्दर जो है बहुत Delhi में कम-स्वाधिष्ठान चक्र। स्वाधिष्ठान चक्र (इसमें) बुरा ? What's wrong? What's wrong? वो चक्र है जिससे हम सोचते हैं। जब हम सोचने Nothing is wrong. If you want to become stones- तो क्या है ? There is nothing ज्यादा चलता है और इसके अन्दर एक शक्ति लग जाते हैं बहुत ज्यादा , तो यह चक्र बहुत wrong. (बुरा क्या है ? बुरा क्या ? बुरा कुछ नहीं होती है जिससे हमारे पेट का जो मेद है, जो Fat है । अगर आप पत्थर बनना चाहें- इसमें कुछ बुरा नहीं।) आप जाकर कुछ भी खाइये, brain (मस्तिष्क) के लिए । अब सोचने की लोगों पीजिये,हर्ज क्या है ? wrong कुछ नहीं है। Right को इतनी बीमारी है, कभी कभी मेरी समझ ही नहीं (अच्छा) wrong और (बुरा) की तो बात क्या है, आता कि सोचने की जरूरत क्या है। जैसे समझ आपकी तो evolution की शक्ति खत्म हो गई। सीधा हिसाब। लेकिन एक हद तो यह हो गई कि भई उठाओ झोला, जाओ बाजार। देखो क्या सब्जी भगवान के नाम पर पचासों गालियाँ, और सारे है, लेकर आ जाओ। सबसे पहले घर में discus- जितने साधु-सन्त हैं उनके नाम पर गालियाँ । sion शुरु हो रहा है कि आज भिंडी बनायें या तो क्या है cells हैं उनको हम Convert (बदलते) करते हैं, लीजिए कि अब किसी आदमी को बाजार जाना है । 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-20.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 19 लौकी बनायें। बाजार गए तो दोनों सब्जियां की| क्या Basic Problem है हमारी ? क्या Basic नहीं। पहले एक घन्टा वहाँ discussion (बहस) Problem है ? Basic Problem एक ही है कि हमने हुआ, Planning (योजना) हो गया, बाजार गए तो वहाँ दोनों सब्जियां नहीं। तीसरी लेकर आ गए अपने को जाना नहीं। हम जानते ही नहीं कि हम जिसका कोई इन्तजाम नहीं । हर चीज में इतना संसार में क्यों आये हैं- पहला। और दूसरा यह सोचकर के हम लोगों ने कौन सा तमाशा करके कि उस को हमें जानना चाहिए। उसे किस तरह से रक्खा हुआ है, बोलिये। यही तो लपेटना, मैं कहती जाना ज़ाए- ये ही तो हमारी Basic Problem है । हूँ। आधे तो पहले, तो आधे को ऊपर से लपेट और इसके लिए हमने क्या किया ? सूर्य पर गए, 1. लिया।. वो आये, बड़ा सलाह मशवरा दिया चन्द्रमा पर गए, इधर गए, उधर गए। और पाया उन्होंने जैसे कहते हैं न ऊँट पर बड़े अक्लमन्द क्या ? ये ही जाना कि आप चीज़ क्या हैं ? आप आए बैठकर। तो उन्होंने कहा कि हम आप से हैं क्या? इसी को नहीं जाना बाकी दुनिया भर की सलाह मशवरा करते पर हम ऊँट पर आये हैं। चीज़ आप जानते रहिये। जैसे कि वो जो आदमी उन्होंने कहा कि भई ऊँट से उतरो। कहने लगे, को बुलाया था सलाह मशवरा करने वाला उसने नहीं साहब हम तो ऊँट पर से ही सलाह मशवरा आकर सब तहस-नहस कर दिया। उसी तरह से हमारा सारा विचार हमें तहस-नहस सुबह से शाम करेंगे। तो दूसरा प्रश्न शुरु हो गया, सलाह मशवरा तो गया एक तरफ , अब ये हुआ कि ऊँट के साथ इन्हें अन्दर कैसे ले जायें। दूसरी ही Problem इन्सान आ गया है कि जब जब उसकी ओर मेरी (समस्या) General जो थे वो ऊँट पर ही जा रहे हैं। अब इन इतने ज़्यादा सोच विचार का धंधा नहीं चलता था। ऊँट वालों का क्या किया जाए ? अब दूसरी पहले लोग शान्त थे, हर चीज़ सोचते नहीं थे। तक करवा रहा है और आज अब इस दशा में Advisor नजर उठती है तो मैं देखती हैं, पहले जमाने में शुरु हो गई। याने जो लपेटन शुरु हुई। कहा कि अच्छा अगर ऊँट वाले बहुत सी चीज़े accept (मान लेना) कर लेते थे। आ रहे हैं, तो ठीक है, ऐसा करो- कि प्रश्न तो ये बहुत सी चीज़ों के साथ-जैसे सामने आ जाये, था कि इनको अन्दर कैसे लाया जाये तब ये हुआ चलो भई ठीक है ऐसे ही आजकल ये है. सोचना कि अच्छा यह है कि इतना बड़ा भारी जो दरवाजा विचारना। तो क्या वो ऐसे जुट गए हैं सोचने बना हुआ है उसको गिरा दें। इसके अन्दर से वो विचारने में कि एक मिनट भी अपना विचार नहीं अन्दर आयेंगे। जब तक महाशय अन्दर गए तो जो रोक पाते। उनका विचार एक क्षण भी नहीं रुक प्रश्न थे वो तो एक तरफ रह गए, इतना ही एक पाता। ऐसा लगता है जैसे कि उनके अन्दर से प्रश्न खड़ा हो गया कि इन्होंने ही सब चीज गिरा विचार के दो सींघ निकलते चले आ रहे हैं बाहर फिराकर रख दी। (मुझको दिखाई देते है)... अब एक मिनट भी इस तर हमारा Planning (योजना बनाना) उनसे कहें कि विचार रोकें तो विचार रोक नहीं होता है, इस तरह का हमारा सोच विचार है। तो पाते, ये उनकी दशा है। माने ये कि ये बह गए जो Basic Problem (बुनियादी समस्या) है उस विचारों के अन्दर, विचारों ने इनको हावी कर Problem की ओर तो चित्त नहीं बाकी दुनिया भर दिया। जितने बाहर के लोग हैं जितना पढ़ा-लिखा, 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-21.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 20 समझते हैं, वो भगवान का मतलब ये होता है और कुण्डलिनी का आपके अन्दर हो गए हैं और आप हो गए हैं बाहर मतलब यह होता है और कुण्डलिनी का मतलब यह होता है। बहुत से लोग तो यह कहते हैं कि कुण्डलिनी पेट में होती है मैंने कहा मैंने तो नहीं हो जाता है । अब आपको कोई कहेगा कि मां ये देखी। अगर कोई आकर मेरा माथा खाये कि कैसे हो सकता है, बगैर सोचे कैसे हो सकता है आपका हृदय जो है यहाँ पर होता है तो उसे क्या भई पहले से क्या सोचते हैं ये ही आज तक समझ कहा जाये होता नहीं है, होता जहाँ है वहीं है। कम से कम आप देखिये तो सही वहाँ है या कहाँ है। इस तरह से जिद आदमी बना लेता है और जो कुछ किताबों में लिखी हुई चीजें हैं वो कोई last समझ लीजिए हमें गांधी-भवन जाना है word (आखिरी शब्द) तो है नहीं, कि भई आखिरी तत्व तो है नहीं जिसके आगे कोई तत्व नहीं । दिये। रास्ते में पूछ लिया भई कहां जाना हैं, और अगर ये होता तो आप संशोधन किस चीज़ का सोचा-समझा जिनको आप आपको खोजने से मिलते ही नहीं। अति सोचने से भी स्वाधिष्ठान चक्र खराब में नहीं आया कि आप पहले ही से क्या सोचते हैं। अगर पहले ही सोचकर काम होता तो उस तरफ जाने की जरूरत ही क्या है ? अगर हमें गांधी-भवन आने का है तो हम चल यहाँ (गांधी-भवन) आ गए। अब पहले से हम करोगे। सोचने लग गए कि हो सकता है अगर गांधी -भवन तो मनुष्य की बुद्धि में संशोधन होना चाहिए. जाना है तो इधर से जाएं क्या करें ? फिर ऐसा थोड़ा दिमाग होना चाहिए। Preconceived idea करते हैं इस तरफ से चलेंगे तो कहते कहते किसी नहीं होना चाहिए । वो Open minded ने कहा कि तुम उस तरफ से उतरो, तो अच्छा (खुले-दिमाग वाला) होना चाहिए। और खुले-दिमाग रहेगा। भई आप चल पड़ो, चार आदमियों से पूछ से जब आप देखेंगे तो आप जो सत्य है उसको लो रास्ते में और पहुँच जायेंगे पहले ही आपने फौरन पकड़ लेंगे बजाय इसके कि हाँ, किसी ने एक घन्टा देर लगा दी पता लगाने में कि कहा भई कि हमने किसी से कहा कि आप वहाँ गांधी-भवन कैसे पहुँचना है । अब पता हुआ कि जाइयेगा तो वहाँ आपको घंटाघर दिखेगा। ठीक आप वापस आपनी मंजिल पर आ गए, पहुँचे नहीं। इसी एक चक्कर में आप घूम गए और फिर वापस। और अगर आप जानते भी नहीं जानना हैं अभी पहुँचें। Preconceived idea जो है, उससे आदमी हमें हमें अभी देखना है, इस चीज पर आदमी इतना conditioned हो जाता है कि उसको विचार करता है पर अभी हमने जाना नहीं है वह सोचता क्या है, अभी तो हमें देखना है देखें आगे सत्य है वो सामने प्रकाशित होने वाला है, उसे होता क्या है आगे चलें देखें क्या होता है ? जब आप स्वीकारें। क्योंकि उसकी बुद्धि इतनी high- आदमी अपनी बुद्धि में इस तरह खुला दिमाग class (उच्च श्रेणी) की हो जाती है कि लोग उनसे रखता है वो सही मंजिल पर पहुँच सकता है। और बात करने में भी जब तक आप 5Year plan (पंच जो आदमी पहले से ही Preconditioned mind है वर्षीय योजना) की बात न करे तब तक आप किसी उसका, पहले से ही उसने सब सोच लिया कि चीज़ पर बात नहीं कर सकते। इसलिये मनुष्य को है। हमने घंटाघर देखा था, वही घंटाघर तो उन्होंने कहा हो सकता है कि आप किसी और घंटाघर समझाना मुश्किल हो जाता है कि भई आगे जो 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-22.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 21 उसकी जितनी भी चेतना है, जो भी उसकी awareness (अवेअरनेस) है वो सारी इसमें लगी रहती है कि वो किसी तरह जल्दी-जल्दी brain cells बनाए और brain (मस्तिष्क) को काबू में रखे, brain को तो सप्लाई (Supply) करे तो सारी emergency (आपात स्थिति) brain में आ जाती है और उसके लिवर (iver) जो है बेकार है liver की तरफ चित्त नहीं जाता है और liver खराब हो जाता है। liver खराब होने के बाद जब उस आदमी को अपना विचार जो है ऐसा रखे-कि देखा जाएगा। जो सामने होगा, वही होगा, वही होना है, चलिए जैसा हो, देखेंगे। कम से कम सहजयोग के लिए ऐसा ही विचार रखना चाहिए। आप अगर पहले ही से बहुत पढ़ लिखकर आए हैं तो आप मुझसे ऐसे सवाल पूछियेगा जिसका कि कोई उत्तर नहीं पायेंगे मुझसे लोगों ने ऐसे ऐसे सवाल पूछे हैं कि मुझे कभी बड़ा आश्चर्य लगता है। इसलिए मुझे आपसे यह कहना है कि पहले आप अपने मन से कहें या बुद्धि से कहें, कि इस वक्त आप जरा शान्त हो जाइये और अब जरा आप इस चीज़ को लोगों को पता होता है और वो इतना बता सकते पा लीजिए। क्योंकि चक्रों का खराब करना बहुत है scientifically (वैज्ञानिक रूप से) कि आप इतने आसान है, उनका ठीक करना बहुत मुश्किल। स्वाधिष्ठान चक्र के खराब हो जाने से अनेक हैं जो certificate (प्रमाण-पत्र) लेकर आते हैं कि बीमारियाँ होती हैं। एक बात अच्छी है कि बीमारी माँ हमको तो बता दिया है कि आप एक महीने में हो जाती है। अगर बीमारी न हो तो आदमी अपने को कभी न ठीक करे। क्योंकि बीमारी के सिवा गए हमारे पास आने पर। दरअसल अब यह लोग समझ ही नहीं पाते हैं कि और भी कोई चीज अन्दर खराब है। वो तो सिर्फ बीमारी समझता है। अधिकतर लोग तो सिर्फ बीमारियाँ ठीक करने cirrhosis हो जाये या liver cancer हो तभी डाक्टर दिन में मर जायेंगे। मेरे पास तो ऐसे ही लोग आते चल बसेंगे। बहरहाल यह हो गया कि वो ठीक हो आपका स्वाधिष्ठान चक्र खराब है और वो ठीक होने पर आपकी बीमारी ठीक हो जायेगी। उससे दूसरी जो खराब बीमारी होती है वो है Diabetes ( मधुमेह) क्यॉंकि यह ही एक चक्र है जो सबको Supply करता है। तो आपके Pan- आते थे अब उनको समझ में आया है कि और भी अशुद्धियां, खराबी हो गई हैं जिन्हें ठीक करना है। लेकिन पहले तो सिर्फ बीमारी ठीक कराने आते थे। अब सबसे पहले बीमारी, जो आदमी बहुत Planning करता है, उसे कौन कौन-सी होती uncurable नहीं है क्योंकि आपने ही बीमारी ली है ? उसको सारी पेट की बीमारियां-जैसे liver और आप ही इसे ठीक कर सकते हैं। अब (जिगर) खराब, liver जरूर खराब होता है। क्योंकि diabetes की बीमारी आपको अगर हो जाये तो liver जो है वो सारे poisons (विषो) को अपने लोग कहते हैं कि साहब इसमें Sugar जायेगा, शरीर से बाहर निकालता है। लेकिन जो आदमी ऐसा होता है वैसा होता है। पर क्या आपने कभी जरूरत से ज्यादा सोचता है वो बेचारे स्वाधिष्ठान सोचा है कि ऐसा भी हो सकता है कि हमारे Iliver creas out of gear (खराब) हो गए और आपको diabetes हो गई और लोग कहते हैं कि diabetes uncurable (लाइलाज) है । बिल्कुल ही चक्र को इतना थका देता है कि वो liver को (जिगर) ने देखता ही नहीं और liver पनप सकता ही नहीं। extreme line (पराकाष्ठा) ली है तो balance देने के लिए हमें यह बीमारी शुरु हुई है। 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-23.txt चैतन्य लहरी फरवरी, 2005 जनवरी - 22 यह balancing बीमारी है जिससे आदमी समझ ले और अब बड़ी बड़ी किताबें निकल रही हैं कि अब कि हमने बड़े imbalance से काम किया है। बहुत तो थोड़े दिन में दुनिया खत्म हो जाने वाली है। ज्यादा जब आदमी सोचता है, तो diabetes की पूरा इन्तजाम इन्होंने कर लिया । सब Anti God बीमारी होती है जो लोग सोचते ज्यादा नहीं हैं जैसे villagers (गाँव वाले) वगैरह हैं, उनको कभी समझ कर जो चीज़ की कौन-सा आपने विशेष diabetes नहीं होती। वो हर समय नाम किया मेरी तो आज तक समझ में नहीं carbohydrates खाते रहते हैं। वो तो एक cup में आया। अपना सोच जरा सा कम करिये। और एक मन चीनी भी डालें तो कहेंगे, फीका है। बहुत विचार भी थोड़ा कम करिये लेकिन कहने से भी तो मीठा खाते हैं तो उनको तो हमेशा फीकी ही लगती होगा नही अगर कहूँ कि विचार नहीं करो, विचार हैं खासकर मेरठ में अगर आप जायें तो आप लोगों नहीं करो, तो नहीं होगा। को अगर चाय चाहिए तो ऐसा लगेगा कि उन्होंने चीनी घोलकर पहले, फिर चाय बनाई है। ऐसा कम करो। Speedometer के बारे में मैंने लोगों से नहीं लगेगा कि चाय बनाई है वो तो चीनी ही बताया और मैं आपसे भी बताती हूँ। हमारा Spleen बनाते हैं। तो इस तरह के लोगों को तो कभी (तिल्ली) जो है वो Speedometer है। और जब diabetes नहीं होती। कभी आप देखियेगा, देहात खाना खाते हैं तो कोई न कोई ऐसी बात सोचने के लोगों को diabetes नहीं होती, शहर के लोगों लग जायें, मतलब बड़े विचारक लोग हैं न ! बड़े को ही होती है क्योंकि बहुत सोचते हैं और सोच सोच के क्या बनाया ? एटम बम (Atom bomb) खाना खाते हैं तभी उसी समय नौ बजे आयेगी और क्या बनाया? और यह बनाकर भूत ऊपर रख news (समाचार), जब आप खाना खा रहे हैं। तब दिया और नीचे सब डर रहे हैं। अब एटम बम आपको इत्मीनान से खाना खाना चाहिए। आपकी बनाने से इतना जरूर फायदा हो गया है कि सब बीवी आपको पंखा झल रही है, आराम से बैठकर सहम गए। इतनी बैवकूफी की, उसका यह फल आप खाना खा रहे हैं। उस समय news (समाचार) निकल आया अब इससे ये जो भूत ऊपर बैठ गए आयेगी कि फलानी जगह दुर्घटना हो गई। आपका Activities (भगवान के खिलाफ काम) हैं। सोच मैं कहूँ कि अपना जरा Speedometer काबिल, तो काबलियत अपनी झाड़ने के लिए जब हैं तो कहीं बटन दबा देंगे तो हम सब खत्म हो खाना गया काम से। लगे आप सोचने उसी बात के जायेंगे। तो यह बहुत अक्लमन्दी करके निकाला है जो भी उन्होंने अन्वेषण किया उस अन्वेषण में नौ बजे पहुँचना ही चाहिए । तो एक हाथ में आपका उन्होंने ऐसा इन्तजाम कर दिया है कि एक क्षण में बक्सा, एक हाथ में आपकी छतरी, और आपके मुँह सारी दुनिया साफ की जा सकती है। अब सब में कुछ ढूँसा जा रहा है। आप इस हालत में भागे सहम करके बैठे हैं कि साहब ये क्या हम कर गए। जा रहे हैं बाहर। पीछे दूध लेकर के कोई और दौड़ यह तो पता नहीं था हमें कि खोज खोज के अपने रहे हैं । ये तो आपके खाने की व्यवस्था है । लिए सवेरे जल्दी भागना है क्योंकि Office (दफ्तर) ऊपर बारूद लगा दी हमने। अपने ही सर पर इसमें आपका जो Speedometer बारूद रख करके अब इतना जीना मुश्किल हो (गतिमापक) है, जो आपका spleen है, वो Crazy गया है अब सब Shocked (घबराई) हालत में हैं हो जाता है, पागल हो जाता है और इसी से 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-24.txt चैतन्य लहरी फरवरी, 2005 जनवरी 23 आपको Blood Cancer (रक्त का कैंसर) की बीमारी नहीं पड़ती। मतलब है कि जो लोग धर्म में खड़े हैं हो जाती है । अब हम लोगों ने कितने ही Blood जरूरत ही नहीं उनको धर्म सिखाने की, कि आप Cancer ठीक किए हैं जिनको कि Doctors अधर्म मत (डॉक्टरों) ने certificate (सर्टीफिकेट) दे दिये थे क्या जरूरत है ? करो। जो धर्म में ही खड़े हैं उनको कि आप एक महीने में मर जायेंगे। इसका मतलब नहीं है कि आप दुनिया भर के Blood Cancer के बताता है हमारा धर्म मानव धर्म है। और मानव केस मेरे पास ले आएं। मतलब ये है कि आप लोग धर्म में दस हमारे अन्दर गुण होना जरूरी है। यदि तो यहाँ आए हैं अपने speedometer लेकर लेकिन हम में ये गुण नहीं हैं तो हम मानव नहीं हैं, या तो हम क्यों इससे ही बँध जायें। इसका मतलब ये हम जानवर हैं या शैतान है। ये दस गुण हमारे नहीं कि आप लेट लतीफ हों, ये भी नहीं है। इसका सबसे बड़ा मतलब ये है कि आप बँधे हुए हैं और बीच में जो हमारे नाभि चक्र हैं उतना ही करिये जितना आपके बस का है। आप उसमें ये हमारे दस धर्मों की पंखुड़ियां हैं इन धर्मों इन्सान हैं। मशीन भी जितना नहीं कर सकती की ओर हमारा विशेष ध्यान है । यह चक्र (भवसागर या Void) हमारा धर्म अन्दर जो हैं बो हमारे इस चक्र के चारों तरफ से उससे ज्यादा आप क्यों करना चाहते हैं और करके भी आपने क्या किया-वही Atom bomb हिन्दू या आपस में सर फोड़ना नहीं है। हमको तो अब धर्मों का मतलब ईसाई, मुसलमान, (परमाणु बम या एटम बम)। क्या किया है आपने ? मैं तो इन्सान से निकला, उधर से दूसरा निकला और लड़ाई हो रही यह पूछना चाहती हैँ कि उन्होंने सीखा है : आपस ह में लड़ना कैसे चाहिए, झगड़ा कैसे करना चाहिए, गया। ग्रुप बाजी कैसी करनी चाहिए, किस तरह से भी हमारे जैसे बेअक्ल लोगों की समझ में नहीं आ धर्म का मतलब यह मालूम है के इधर ये एक है । अरे भाई क्या हो गया ? धार्मिक झगड़ा हो धार्मिक झगड़ा भी क्या हो सकता है, ये दूसरे देश के सकता। जो कि धर्म जो है जिसकी धारणा होती है Murder (कत्ल) करना चाहिए । लोगों को War (युद्ध) के नाम पर किस तरह खत्म तो मनुष्य जो है तो ऐसी कोई चीज़ बन जाता है करना चाहिए। ये सब इन्तजाम आपने कर लिया ऐसा उसका व्यक्तित्व कुछ ऐसा हो जाता है है। और क्या किया है? कौन सा अच्छा काम आप जिससे वो अपनी सार्वजनिकता कहिये या जिसको लोगों ने आज तक किया है ? कहने लगे कि कि Collectivity (सामूहिकता) कहते हैं उसको साहब हमने social work (समाज कार्य) किया प्राप्त हो जाता है, वो "वह हो जाता है। वो है यह social work तो आपके लिए इसलिए तैयार हो गया क्योंकि आप बेवकूफ पहले से आपने बेवकूफी नहीं की होती और आपने होता है, क्या ये एक दूसरे को मारती हैं? आप उस लोगों को इतना सताया नहीं होता, ऐसे-ऐसे तरह हो जाते हैं, आप में Collectivity आ जाती है। Customs (रीति-रिवाज़) नहीं बनाते जिनसे सब को तकलीफ हो रही है, तो कभी न होता ऐसा, जानवर में नहीं होती। यह धारणा जब मनुष्य में हो Collective हो जाता है। वो झगड़ा कैसे करेगा? हैं। अगर क्या आपकी अपनी उँगलियों में उँगलियों से झगड़ा जब यह धारणा मनुष्य में हो जाती है-यह धारणा यानि कभी आपको social work की जरूरत ही जाती है, जब धर्म की धारणा होने के बाद यह धर्म 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-25.txt फरवरी 2005 जनवरी घैतन्य लहरी 24 हम में जागृत हो जाते हैं, उस समय कण्डलिनी आप स्वयं डाक्टर हो जाते हैं, आप ही दवा हो जाते होकर के चक्रों को भेदती हुई ऊपर चलीं हैं और आप ही diagnosis (निदान) करते हैं । जागृत जाती है, तब मनुष्य के अन्दर में सामूहिक चेतना मनुष्य ही सब कुछ हो जाता है, मनुष्य में ही सब जागृत होती है, जागरूक हो जाती है। इसलिए में कह रही हूँ-यह lecture देने सभी भीतर है। जैसे आप यहों बैठे हैं और आपको की बात नहीं है, यह अपने आप ही घटना हो पता लगाना है कि आपके किसी सम्बधी की तबीयत जाती है। खुद ही महसूस करने लग जाते हैं कि कैसी है आप टेलीफोन कीजिए, पैसा खर्च करिये, आपके अन्दर क्या दोष हैं और दूसरे के अन्दर ऐसी कोई जरूरत नहीं। आप खुद ही देखिये, कैसी क्या दोष है। दोष बाहय दोष-नहीं कि साहब वो तबीयत है आपको स्वयं पता चल जाएगा कि कौन साहय थे और बो लाल रंग का कपड़ा ही पहनते से चक्र में पकड आ रही है। अगर left (बायीं थे या वे साहब थे उन्होंने ऐसा कर दिया या वो तरफ) में पकड़ आ रही है, तो इसका मतलब है कि उस Political लीडर (राजनीतिक नेता) के साथ थे उनके मन पर pressure (दबाव) है और अगर और उन्होंने दल बदल दिया, यह चक्रों में, सूक्ष्म में Right (दायीं तरफ) में आ रही है तो कुछ शारीरिक आपके तत्व में कौन सा दोष है यह आप समझ है और उसके बाद चक्रों पर पता लगा लीजिये जाते हैं और आपके दोष, तत्व में खराबी का पता कि कौन से चक्र में बाधा है । जो Code है उनका कुछ है। जो कुछ भी बाह्य में आप देखते हैं वो पार होने के बाद, आपको चल जाता है इतना ही Decoding हो गया है और अगर आप समझ लें तो नहीं, सहज़योग में गहरे उतरकर के जब आप आप फीरन बता सकते है कि इस वक्त उनकी क्या इसकी पूरी विद्या को सीख लेते हैं--इस 'निर्मल हालत है। यहां बैठे बैठे आप उनको बंधन दें और विद्या" को सीख लेते हैं, या इसको कहना चाहिए उनको Vibrations दें तो वहां वो ठीक हो जायेंगे। कि अपने Master हो जाते हैं, अतिमानव संत हो यह सब आप कर सकते हैं। कब, जब आप इस जाते हैं आप में धर्म जागृत हो जाता है, आप धर्मातीत हो जाते हैं। आपकी चेतना में नया शास्त्र को सीख लेते हैं खे नहीं कि आप पार हो गए कहने लगे, आयाम (New dimension) आ जाता है, आप माताजी चैतन्य लहरियों (Vibrations) महसूस करने लगते हैं क्योंकि हम पार हो गए।" इसके बाद एक साल हैं, आपकी शारीरिक, मानसिक, समस्याएं आपसे बाद मिले, कहने लगे 'माता जी क्या बताएं हमारे दूर हो जाती हैं। लेना चाहिए कि कम से कम हमारी तन्दरुस्ती जो गुरु न ठीक रख सके, तन्दरुस्ती को जो सम्भाल बात है। लोग यहाँ आते हैं, पार हो जाते हैं फिर न सके ऐसे गुरु के पास जाने की जरूरत नहीं है। खो जाते है। चलती का नाम गाडी। माताजी आये, सहजयोग में इस दृष्टि से आप पारंगत पार हो गये, काम खत्म। फिर आए, जैसे थे फिर हो जाते हैं किस तरह हमारी तन्दरुस्ती ठीक वही शुरु हो गया माता जी हमने पकड़ लिया, रहनी चाहिए। किस तरह से हमारे चक्रों में दोष है, ऐसा हो गया वैसा हो गया।" उसे ठीक करना चाहिए, कम से कम । क्योंकि ने हमें पार कर दिया। फोटो ले जा रहे इसलिए हमें समझ तो Vibrations अच्छे नहीं हैं।" आज जो पंत जी ने कहा, वो बिल्कुल सही यह गहन गम्भीर बात है, यह frivolous: 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-26.txt फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 25 (हंसी-मजाक) बात नहीं है। इसलिए मैं आपसे पास time (समय) नहीं। कहूँगी कि भारतवर्ष में हर चीज़ आसान है, हर कि ध्यान के बाद, आप थोड़ी देर अपने पैर पानी में चीज़ मिल सकती है। यह ऐसी योग-भूमि है यहाँ इतने बड़े बड़े अवतार हो गए, इतनी बड़ी बड़ी है, उनको निकाल दें। सफाई जैसे हो जाये जैसे यहाँ चीजें हो गई हैं। यहाँ का सारा प्रान्त जो है आप नहाते हैं, इस तरह से रोज आप नहाईये। हम vibrated है यह विशेष ही भूमि है, इसलिए यहाँ लोग अगर कोई एक दिन आदमी न नहाये तो पार भी लोग खट से हो जाते हैं। बड़े ही जल्दी सोचते हैं, बड़े ही गन्दे लोग हैं, नहाते नहीं। आप पार हो जाते हैं। जैसे कि जितने भी हिन्दुस्तानियों का तो यह हाल है कि उनको कोई Foreigners (विदेशी) आए हैं यहाँ बैठे हैं, एक एक कह दे कि नहीं नहायेंगे तो जैसे उनको तो जेल हो आदमी पर तीन तीन महीने हाथ तोड़े हैं मैंने और जाये लंदन में अगर आप सवेरे नहायें और इसके आप यहाँ बैठे हैं थोड़ी देर में देखियेगा Vibrations आ जायेंगे, हाथों में। वैसे लेकिन कल की मीटिंग हो सकती है। खास करके कैंसर हो जाता है में आप नहीं आयेंगे, वो भी बड़ा मुश्किल हो Lungs (फेफड़ो) का। और मैंने इतने हिन्दुस्तानियों जाएगा। "क्या बात थी ?" "माताजी वो ऐसा था कि से कहा तो उन्होंने छोड़ दिया सहजयोग और फिर मैंने कहीं जाना था, "वो तो Religious duty कैंसर से मर गए। एक छोटी सी चीज़ है । रखें और अपने vibrations पायें। जो कुछ खराब बाद बाहर निकल जायें तो आप को बहुत बीमारियाँ (धार्मिक कर्तव्य) हो गई न। "कैसे मना करता, मैं लेकिन अगर उनसे कहा जाये कि हमारी आत्मा का भी स्नान होना चाहिए, हमारा जो भी चला गया।" उसकी गहराई, उसकी गम्भीरता, उसकी आत्मजीवन है, उसका भी स्नान होना चाहिए, उधर विशेषता, उसकी महानता, कुछ हमारी समझ में किसी का चित्त नहीं रहता, उसकी महानता, उसकी नहीं आती है। ये लोग जो तीन तीन महीने मेरे गम्भीरता में । हाथ तुड़वाते हैं, ये लोग समझते हैं। तो बजाय इसके कि आप लोग जमें ये लोग जम रहे हैं और होगा। एक इम्तहान में ज्यादातर Mathematics आप उखड़े-उखड़े घूम रहे हैं। हिन्दुस्तानी सहज (गणित) में सवाल आते थे जो मुझे अब समझ में आ योगियों का वाकई ये हाल है कि उखड़े उखड़े रहे हैं। तब तो समझ में नहीं आते थे। जैसे कहते घूमते हैं। उनमें तो गहनता नहीं आती। ज्यादा से थे कि एक A आया, उसने काम किया 1/4 वां दूसरा ज्यादा यह होगा कि चलिए मेरे पेट में दर्द है, वो आया उसने 1/16 वां किया, फिर तीसरा आया ठीक कर दीजिये मेरे लड़के की शादी करा उसने इतना किया, फिर चले गए, काम कब खत्म दीजिये या और कुछ नहीं तो जरा बढ़कर के कान होगा? होगा ही नहीं जब इतने भगोड़ों को आप में यह कह देंगे कि माँ मेरा आज्ञा चक्र पकड़ा हुआ लगाइयेगा। इसलिए, जो कि आपने एक किस्सा सुना ... लेकिन मेरी नसीब में भी है फूल लेकर चले आए और कान में कह दिया, ऐसे बहुत आए हैं। मेरी यह समझ में नहीं आया कि मेरा आज्ञा चक्र पकड़ा हुआ है, उसे ठीक कर सहजयोग का काम पूरा क्यों नहीं हो रहा है। दीजिये । अरे भई क्यों पकड़ा हुआ है, कैसे हुआ ? होगा कैसे, जब भगोड़ों से पाला पड़ा है तो होगा कुछ उस पर study (अध्ययन) नहीं। मैं तो नहीं-मेरे कैसे ? अब जमने वाले ढुँढे जायें, जो जमें। हम देने ... 1 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-27.txt फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 26 को तैयार है, सब शक्ति देने को तैयार हैं, सब आप किसी को बेवकूफ़ बनायेंगे तो लाखों मिल बताने को तैयार हैं, तब हो ठीक मामला लेकिन जाएंगे जमने वाला ही मुश्किल है, ऐसे सवालात जहाँ पूछे नहीं गालिब, बिन ढूँढे हजार मिलते हैं । उधार जाते हैं। यही समझ लीजिये कि हमारे हित में जो मिलते हैं, यह हालत है और अगर आप देखिये जो है, उसे गम्भीरता से पकड़ना है। जिसको पकड़ना गुरु लोग हैं, जो रुपया पैसा ले रहे हैं और जो चाहिए उसको नहीं पकड़ा। पहले तो समझ में आज बढ़े हैं. उन्होंने कैसी-कैसी बेवकूफियों आता नहीं था कि कोई चीज़ ऐसी हैं ही नहीं फैलाई हैं और उन बेवकूफियों में कैसे लोग आ रहे पकड़ने लायक कि जिसको पकड़ा जाये। लेकिन जो चीज़ जीवन के लिए सबसे दिल्ली बन्द हो गई थी। लोग पागल हो गए थे। । गालिब ने कहा था, "बेवकूफों की कमी हुए हैं। एक गुरु सा0 यहां दिल्ली आये थे तो सारी है जो आपको समर्थ बनाती है यानि अब उनके बारे में किताबों में निकल रहा है, महत्वपूर्ण आपके अर्थ के बराबर आपको बना देती है। जिसके अखबारों में निकल रहा है, ये निकल रहा है, वो बगैर आपका जीवन पूरी तरह से व्यर्थ और निरर्थक निकल रहा है, अब धीरे धीरे उनका सब निकल है, उस चीज को भी नहीं पकड़ते हैं तो मैंने कहा रहा है। लेकिन ये जमाना था कि दिल्ली में रात को कमाल हो गया, बिल्कुल बेकार लोग हैं। इतनी ज्यादा समस्या है, इतना उथलापन है और एक तरह से कोई भी चीज़ का महत्व नहीं बताऊँ। करते, हर चीज़ का मजाक मजाक बना लेना। अपना भी तो मजाक बन रहा है। जो आप सौचते इनको कैसे बताया जाय इसका महात्म। इतना कोई चल फिर नहीं सकता था, ऐसे थे ये गुरू महाराज। अजीब अजीब तमाशे हैं, मै आपको क्या मेरे जैसे अजनबी के लिए तो यह हैं कि हैं कि सबका मजाक बना रहे हैं, आपका भी महान् है ये, चीज़ बहुत भारी है। जैसे कि किसी मजाक बन रहा है और अपने को भी ऐसी गड़बड़ इन्सान ने कभी हीरा देखा नहीं, उसकी कीमत आप फँसा रहे हैं कि उससे निकलना बहुत कभी ऑकी नहीं, ऐसे बिल्कुल देहाती लोगों को मुश्किल है बहुत ही मुश्किल। (नहीं देहाती तो बहुत समझदार होते हैं, मैं किस सहजयोग ऐसी चीज है जो आपको पाना को कहूँ) उनके पास आप ले जाकर उसे दिखायें। है यहाँ देने का कुछ नहीं सिर्फ पाने का है। लेकिन लोगों को यह समझ में नहीं आता कि अगर आप हीरा रख दीजिए वो एक चपेड़ मारेगा कि कोई देता है तो उसका महत्व समझाना चाहिए। आप देखते ही रह जाइये । उसी तरह की हालत हाँ, अगर मैं आपसे कहूँ कि साहब कल से आप कभी कभी हो जाती है । यहाँ आयेंगे तो सौ रुपये का टिकट लगायेंगे तो देखिये यह सब भर जाएगा। यहाँ बड़ी पेटी लगाइये "सेवा के लिए"-लम्बी पेटी तो भर जायेगी और कुछ भी नहीं है। यह बात जरूर हैं कि जो मैं और लोग बढ जायेंगे यहाँ आयेंगे तों में कहूँगी बातें कहती हैं, हो सकता है 60 फीसदी बातें कि कुछ नहीं, आपको नाम दूँगी-कहेंगे, 'वाह ! किताबों में नहीं मिलतीं। उसका आपको साक्षात्कार समझ लीजिए कि उरंग-उटान है, उसके सामने यही हीरा ही नहीं, यही पाने का है, यही सब कुछ है, इसी को पाइये, यही कुछ लेने का है हमें तो नाम मिल गया-नाम मिल गया। अगर करना है। आपको आत्म-साक्षात्कार करना है। 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-28.txt जनवरी - फरवरी, 2005 वैतन्य लहरी 27 है? गंगाजी बह रही है आप अपनी गगरी ले जाइये | गंगाजी, जितनी बड़ी गगरी होगी, उतना ही उसमें पानी उसको लेकर के कोई साहब झगड़ा खड़ा कर दिया। कहने लगे कि आपने कहा कि यह बूद्ध का स्थान है, यह महावीर का है, यह हम कैसे भर देंगी। उस वक्त क्या आप जाकर गंगाजी से प्रश्न जानेंगे? मैंने कहा, है या नहीं आप जान जायेंगे, पूछते हैं ? उसी प्रकार यह गंगा बह रही है, समय आ पहले आप पार हो जाईये। अगर आप जान नहीं सकते तो यह आपका दुर्भाग्य है ये तो मुझसे ऐसे हैं कि जैसे मैं पार्लियामेंट की मेम्बर ही हूँ। गया है, वक्त आ गया है इस वक्त आपका साक्षात्कार होने का समय है। और इस देश में यह बहुत जोरों में हैं शहरों में जरा देर से होता है पर गाँवों में बहुत जोरों पूछते मैंने कहा कि जो मैं कह रही हैं उसकी सत्यता मैं में हो रहा है। बहुत जोरों में। आपको तब दूँगी जब आप इसके काबिल हो जायेंगे। पहले आप पा लीजिये जहाँ बुद्ध और महावीर हैं, वो आये थे. 6000 लोग और वहाँ हम खड़े हो गए, तो है या नहीं ये देखने की पहले आँखें तो आपके अन्दर कोई हमारे सामने कोई वहाँ ऐसा बहुत सुन्दर कुछ आ जायें पहले ही क्या मुझसे सवाल पूछ रहे हैं? (हॉल) नहीं था। कुछ मन्दिर पर चढ़े थे, कुछ इधर क्या आप University (विश्व-विद्यालय) में जाकर Vice Chancellor (उप-कुलपति) साहब से पहले ही गुए वो। और वहां Centre (सहजयोग केन्द्र) भी बन पुछते हैं कि क्या कार्बन डाई ऑक्साइड में कार्बन व गया और चलने लगी बात आगे। ऑक्सीजन है साबित कीजिए वह कहेंगे, आप हम अभी एक गाँव में गए थे वहां 6,000 लोग उधर खड़े थे और सारे के सारे पार हो गए और जम कहीं ऐसा न हो जाये कि सारे बाहर जो हैं वो चलिए, आप का Admission (दाखिला) खारिज। দি । भगवान की छलनी में से छन कर नीचे गिर जायें और यह सीखने की जगह है, यह जानने की बाकी लोग रह जायें इसलिए अपने अपने अस्तित्व जगह है, यह पाने की जगह है, यहां नम्रता पूर्वक को, अपने अपने गरिमापन को पाइये। उसको जानिये आया जाता है। सब लोग पाते हैं और गहरे उतरते हैं। और उसमें समाइये। यह समझने की बात है। आज और समझते हैं और तभी वो पनप कर बड़े हो सकते हैं जबकि वह उसको पायें इस चीज को हम रोज-मर्रा के जीवन में किस तरह, किस तरह समझते समझाकर आपको बताऊँगी । थोड़ा सा Introduction (परिचय) आपको बताया है, कल मैं इसको विशेष रूप से और पूरी तरह से परमात्मा आपको धन्य करें (निर्मला योग) ास 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-29.txt तत्व की बात-२ कल मैंने आपसे कहा था कि... है? अगर धरती माता की वजह से ही सारा कार्य आज आपको तत्व की बात बतायेंगे। जब हो रहा है तो घरती माता की वजह से यह जो हम एक पेड़ की ओर देखें और उसका उन्नतिगत पत्थर है वो क्यों नहीं पनपता? इसका मतलब यह होना, उसका बढ़ना देखें, तो यह समझ में आता है कि अनेक तत्वों में एक तत्व है, लेकिन तत्व है कि उसके अन्दर कोई न कोई प्रवाहित है या प्रभावित है जिसके कारण वो पेड़ बढ़ रहा है और अपनी पूरी स्थिति को पहुँच रहा समाये हैं और यह जो अनेक तत्व हैं यह हमारे है। यह शक्ति उसके अन्दर है नहीं तो यह कार्य अन्दर भी स्थित हैं, अलग अलग चक्रों पर इनका नहीं हो सकता। लेकिन यह शक्ति उसने कहां से वास है, लेकिन एक ही शरीर में समाये हैं और पाई ? इसका तत्व मर्म क्या है ? जो चीज बाह्य एक ही ओर इनका कार्य चल रहा है, और एक ही में दिखाई देती है, जैसे कि पेड़ दिखाई देता है, इनका लक्ष्य है और एक ही चीज़ को इनको पाना उसके फल,फूल, पत्ते सब दिखाई देते हैं, ये तो है । जैसे कि मूलाधार चक्र पर गणेश तत्व है, गणेश कोई तत्व नहीं। इस तत्व पर तो यह चीज जी का तत्व है। गणेश जी के तत्व के कारण हम आधारित नहीं। वो चीज कोई न कोई इससे सूक्ष्म । है उस सूक्ष्म को तो हम देख नहीं पाये, उसकी अगर हमारे अन्दर गणेश जी का तत्व नहीं होता तो यदि साकार स्थिति होती तो दिख जाता लेकिन इस पृथ्वी पर टिक नहीं सकते थे। इतने जोर से वो निराकार स्थिति में है, माने कि उसके अन्दर यह पृथ्वी घूम रही है, इस पर हम चिपके नहीं चलता हुआ पानी है, वो भी उसका तत्व नहीं हुआ, रहते। कोई कहेगा कि 'पृथ्वी के अन्दर ही यह हालांकि वहन कर रहा है। पानी ही उस शक्ति गणेश तत्व है माँ यह बात भी सही है। पृथ्वी के को अपने अन्दर से वहन कर रहा है। याने अगर गणेश तत्व की वजह से ही हम पृथ्वी पर जमे हुए पानी ही तत्व है तो पत्थर में पानी डालने से, वहां हैं। लेकिन जो पृथ्वी के अन्दर है उसको उसका कोई पेड़ तो नहीं निकल आते। तब तत्व में जानना ऐसी शक्ति अनेक हैं। ये सब अनेक तत्व जो हैं वो एक में आप पृथ्वी पर बैठे हुए हैं, ऐसे फैके नहीं जा रहे axis कहते हैं, याने इस लाइन में वो तत्व बसा चाहिए कि हर चीज़ का अपना-अपना तत्व है। हुआ है उसको कहते हैं। हालांकि axis कोई है पानी का अपना तत्व है, पेड़ का अपना तत्व है नहीं, कोई ऐसी सलाख axis नहीं है पर मानते हैं और पत्थर का भी अपना तत्व है। उसी तरह कि जो शक्ति है इसके तत्व की वो इस लाइन पर मानव का भी अपना एक तत्व है, principle (सिद्धांत) चलती है, उसी के ऊपर होती है उसके बीचोंबीच सो है, जिसके बूते पर वो चल रहा है, बड़ा हो रहा वो तत्व हमारे अन्दर क्या बनकर रहता है इससे है, उससे उसकी उद्देश्य प्राप्ति होती है। हमें दिशा का भान हो जाता है। ये तत्व एक हो नहीं सकते। जैसे कि जानवरों में यह तत्व ज्यादा होता है पक्षियों मैंने बताया कि पानी के तत्व से ही अगर, पौधा में यह ज्यादा होता है क्योंकि भोले भाले जीव हैं। निकल रहा है तो एक पत्थर से पौधा क्यों नहीं उनमें छल, कपट, वैराग्य कुछ नहीं, वह विचार नहीं कर सकते। उनमें विचार करने की शक्ति नहीं है रहा है तो वो धरती माता की शरण क्यों जाता और न ही वो आगे का सोच सकते हैं ना ही वो 1 निकलता। अगर बीज/पानी के तत्व से बीज पनप 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-30.txt वैतन्य लहरी फरवरी, 2005 जनवरी 29 पीछे का सोचते हैं। जो चीज़ सामने आती है उसी या पूरब जा रहे हैं या पश्चिम में जा रहे हैं। पर से वो काम लेते हैं पीछे का बिल्कुल नहीं सोचते। जैसे-2 गणेश तत्व कम होता जाता है वैसे-2 आपको आश्चर्य होगा जब कोई बन्दर, आप देखिये, दिशा का ज्ञान समाप्त होता जाता है। दूसरी तरफ मर जाये, जब तक वो मरता नहीं तब तक वो हाय मनुष्य प्राणी में जो आदमी बहुत ज्यादा सोच-विचार तोबा मचायेंगे, जैसे ही वो मर जायेगा वो उसको के चलता है, कि मैं ये करू या न करूँ, इसमें छोड़ देंगे, भाग जायेंगे, मतलब यहीं खत्म। अब कितना लाभ होगा, इसमें कितना नुकसान होगा. इससे मर गया न, यह तो ऐसा हो गया जैसे, कोई इसमें रुपया लगाऊँ कि इसमें रुपया लगाऊँ, इस दूसरे पत्थर , अब इससे कोई मतलब नहीं, बिल्कुल तरह की फालतू बातों में जब अपना चित्त बरबाद बेकार चीज है। लेकिन धीरे धीरे उसके अन्दर यह कर देता है. उसको दिशा का भान कम हो जाता जरूर है कि अनुभव, जैसे आपने शेर को पकडने है उसको आप एक दिशा में खड़ा कर दीजिए कि की कोशिश की दो तीन बार उसको जाल में फंसा आपको उत्तर में जाना है । थोड़ी देर में देखियेगा, लिया, तो फिर वो ताड़ जाता है कि इसमें कोई वो दक्षिण की ओर चले जा रहे हैं । सस्ते का गडबड़ है। बहुत कुछ तो भगवान की दी हुई चीज़ उसको ज्ञान नहीं रहता । अगर आप उसको कही है लेकिन कुछ कुछ फिर वो सीख जाता है। खड़ा कर दीजिये आप उससे पूछिये रात में पूरब, आदमियों से भी तो बहुत कुछ सीख लेता है लेकिन पश्चिम, उत्तर, दक्षिण कैसे पता लगायें, सूरज तो है उसमें परमात्मा की दी हुई चीज बहुत ज्यादा है। नहीं। जब आप का चित्त इसी तरह बाहर की ओर जिससे उसमें स्फूर्ति आती है। जैसे जापान में ऐसे ज्यादा हो जाता है, और या तो आप किसी की पक्षी हैं, जब वो उड़ने लगते हैं ज्यादा और भागने चालाकी से पस्त होते हैं या आप किसी की लग जाते हैं, तब लोग समझ जाते हैं कि अब चालाकी से डुबाना चाहते हैं, दोनों ही चीज़ हो जलजला आने वाला है, भूकम्प आने वाला है। सकती हैं। आप या तो भयग्रस्त हैं कि दूसरा क्योंकि इन पक्षियों को गड़गडाहट बहुत पहले आपको चालाकी से खा न डाले और या तो आप सुनाई दे जाने लगती है। जानवरों को भी आवाज किसी के पीछे लगे हैं कि उसे चालाकी से कैसे - दोनों हालात में आपकी जो यहुत सुनने की शक्ति, देखने की शक्तक। अगर कोई अबोधिता है आपकी जो innocence है वो घटती चील ऊँचाई से देखे तो वो समझ जाती है कि यह जाती है। और जब ऐसी गति आ जाती है तो आदमी मरा है या जिन्दा। यह सारी जो आठ आपको दिशा का आभास नहीं रहता। एक छोटी इन्द्रियों की शक्तियों हैं ये जानवरों में इन्सान से सी बात बताएं आप बुरा मत मानिये मैं आजकल ज्यादा हैं और उसमें से सबसे बड़ी शक्ति जो देखती हैं पहले लड़कियों में ये बात थी लेकिन उसके पास होती है, जो गणेश तत्व से पाई जाती उनमें भी यह बात नहीं दिल्ली शहर में ज्यादा है, है वो है दिशा का अनुभव, कौन सी दिशा में जाना कि हर आदमी की ओर नज़र उठाकर देखने लगी चाहिए । मैंने कल आपसे बताया था कि जब पक्षी हैं। पहले तो मर्द ही देखते थे, अब औरतों ने भी साईबेरिया से आते हैं तो वो उसी वजह से जानते शुरु कर दिया है। अब इसको आप सोचते हैं ये हैं कि वी उत्तर जा रहे हैं या दक्षिण जा रहे हैं, बहुत ही सीधी बात है, इसमें कौन सी ऐसी बात है। मनुष्य से बहुत ज्यादा पहले सुनाई दे जाती है। ुबाया जाए. 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-31.txt फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी जनवरी 30 हर आदमी को और जरुरी है ऐसे देखना। लोग भटक नहीं सकते। अगर आप किसी बिल्ली को कहेंगे इसमें शिष्टाचार की बात माँ कह रही हैं। घर से निकालना चाहें तो सात मील की दूरी पर ये बहुत गहरी बात है। जितना आप देखते हैं, उसको ले जाकर छोड़ दें, तो भी शायद वापस उतना ही चित्त आपका बाहर की ओर जाता है, चली आएगी। कुत्ते के तो क्या कहने, कुत्ता तो ऐसे जितनी आपकी दृष्टि बाहर की ओर जाएगी उतना सुँघ कर घूमता है कि उसे फौरन पता चल जाता आपका मूलाधार चक्र खराब होगा। विशेष करके है कि चोर कहाँ गया और कहाँ की चीज कहाँ इस तरह की चीजों की ओर या बहुत से लोगों की गई लेकिन मनुष्य के अन्दर तो सूँघने की शक्ति ये आदत होती है कि हर रास्ते में जो चीज़ पडती भी बड़ी नष्ट हो जाती है। उसे गंदगी की तो बदबू है। है, हर advertisement पढ़ना चाहिए अगर एक आने लगती है लेकिन पाप की गंदगी की नहीं दो चीज़ छूट गई तो पीछे मुड़कर आएगी। वो उसे नहीं सूघ पाता है जो हमारे अन्दर है। या हर चीज बाजार में दिख रही है, हर चीज पाप बन कर जी रहा है और जो आदमी है उनको देखना ही है। ये कौन सी चीज है, कौन महापापी। उसके साथ हम खड़े हैं। उसको उस सी चीज़ है, कौन सी चीज़ है ऑँख का सम्बन्ध की बदबू जरूर आ जाएगी कि यहाँ गन्दा पड़ा है, हमारे मूलाधार चक्र से बहुत नजदीक का है । यहाँ सफाई नहीं है, यह नहीं है, वो नहीं है, पीछे की तरफ में यहाँ पर भी हमारा मूलाघार चक्र महापापी जो उसके मास खड़ा है उसकी बदबू देखेंगे, बो पढ़ना है। इसका सम्बन्ध हमारी ऑँख से बहुत जबरदस्त उसको नहीं आयेगी । और वो महापापी कोई हो, होता है। इसलिए जो लोग अपनी आँखे बहुत मिनिस्टर हो कोई हो तो उसके तलुए चाटने में इधर उधर चलाते हैं उन को मैं आगाह कर देना इनको फरक नहीं पड़ेगा चाहती हैं कि उनका मूलाधार चक्र बहुत खराब हो जाता है और अजीब-2 तरह की परेशानियाँ उनको का सारा, यों कहना चाहिए कि, अस्तित्व खराब हो उठानी पड़ती हैं। सब से पहले तो बात यह हो जाता है और गणेश तत्व जो है उस पर चन्द्रमा का जाती है कि ऐसे आदमी का चित्त स्थिर नहीं रह वर्षाव है। चन्द्रमा जब बिगड़ जाते हैं तो आदमी को पाता। क्योंकि वो अपनी दिशा भूल गया। Lunacy की बीमारी हो जाती है, आदमी पागल हो इधर-उधर धीरे-धीरे देखना भी दिशा भूल का जाता है। और पागल तो क्या हो जाता है असल एक नमूना है। जिस आदमी को अपनी दिशा में बात यह होती है कि जब आदमी इधर उधर मालूम है, वो सीधे चला जाता है। दिशा का भूल अपनी आँखें घुमाने लग जाता है, तो उस का चित्त जाना मनुष्य ही कर सकता है, जानवर नही कर अपने आप अपने काबू में नहीं रहता और कोई सी सकता। क्योंकि उसको कोई बजह ही नहीं, वो भी दुष्ट आत्मा उस पर आधात कर सकती है। जब दिशा क्यों भूले ! समझ लीजिये किसी एक जानवर विदेश के लोगों को मैंने बताया कि तुम लोग क्या गणेश तत्व के खराब हो जाने से मनुष्य को मार कर कहीं डाल कर रहे हो अपनी आँख के साथ। ईसा मसीह ने किसी दूसरे जानवर दिया, उसे मालूम है उसने उसे कहाँ डाला है, साफ शब्दों में कहा यह लिखा गया है कि Thou उसको उसकी सूँघ आएगी उस की समझ में shall not commit adultery' लेकिन ।would आएगा, वो बराबर अपने मौके पर पहुँच जाएगा। yunto' Thou shall not have adultrous eyes. ' say 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-32.txt फरवरी, 2005 घैतन्य लहरी । जनवरी 31 हम इस तरह से अपना गणेश तत्व खराब करते लोग पंजाबी आये हैं। मजाल नहीं सरदार जी लोग किसी औरत को कभी बुरी निगाह से किसी ने उसकी कुण्डलिनी टिक नहीं सकती, फिर खिंचकर देख लिया तो खून-खराबी हो जाती थी और वापस चली आती है कितनी भी मुश्किल से ऊपर आज यह अपनी हालत हो गई है कि किसी को उठ कर कुण्डलिनी जैसे कि कोई चरखी हो इस किसी का पता नहीं। और अगर आप कहें कि यह कैसे हो सकता है हमारा तो चित्त ही नहीं बच सकता। अरे भई, पचास साल पहले यह नहीं था, चालीस साल पहले भी नहीं था तो आज क्या हो रहते है और जिसका गणेश तत्व खराब हुआ, तरह से गणेश जी उसे खींच लेते हैं । कुण्डलिनी उठती नहीं और उठती भी है तो फिर जाकर दब जाती है। इसमें, अगर समझ लीजिये कोई आदमी चोर हो, चकार हो चोरी गया है कि हम लोगों की सभी आँखों की शर्म और हया कहाँ चली गई ? अरे कोई बत्ताता थोड़ी था करता हो तो परमात्मा की नजर में इतना बड़ा कि शर्म, हया करो, वह तो सब अन्दाज हो ही गुनाह नहीं है। Govt. से चोरी करती है तो समझ लो कि Income है अपना ही Income है उसमें जाता था। इन्सान को पता रहता ही था। इसी तरह से पहले लोग रहते थे। आजकल बहुत पता नहीं कौन चोर है। Govt, चोर है या जिसका Income tax खाया जा रहा है वो चोर है। उसका लायक हो गए ना ? तो जैसे-2 चलते हैं अगर हमने इसमें अपना गणेश तत्व खो दिया, बहुत कुछ मतलब यह नहीं कि आप Income tax न दें लेकिन परमात्मा की नज़र में वो आदमी बहुतमें कहती नहीं कि लोग बुरा मान जायेंगे। लेकिन खो दिया। कल आपने पूछा तो मैं बता रही हैँ वरना दृषित है जिसकी नज़र स्त्री के ऊपर शुद्ध नहीं है। सिवाय अपनी पत्नी को छोड़कर बाकी सब औरते शुद्ध स्वरूप में देखनी चाहिए। लेकिन आज के लोग ऐसा मानते नहीं कि ऐसा होता था। जौसे हमारी उम्र में हम तो अधिकतर लोगों को ऐसा ही देखते थे। अब इस उम्र में देखते हैं तो हमारी उम्र की औरतें, जो लोग बुड्ढे लोग हैं वो भी सत्यानाश हो गए। अपनी उम्र में उन्होंने अपने जवानों से ये बातें सीखी है और बुड्ढे ज्यादा ही बरबाद हो गए जवानों से। कुछ समझ में नहीं आता कि इन लोगों को अक्ल कब आयेगी । जब जवान थे. कोई मजाल नहीं जब हम लोग छोटे थे तो कभी भी ऐसा सवाल नहीं उठता था। हम तो अकेले चले जाते थे कहीं भी पंजाब में भी हम पढ़े हुए हैं। पंजाब में मजाल नहीं कोई बदतमीजी कर ले सब लोग फाड़ खायेंगे। और अब वहीं के ये आजकल जो हवा है वो बहुत खराब है, बहुत नुकसानदेय है इसी से हमारे यहाँ सब तरह के indiscipine (अनुशासन हीनता), खराबी और बदतमीजियों और दुष्टता आ रही है। जब आप इस तरह के काम शुरु कर देते हैं। अब तो जब औरतें भी इस ढंग की हो गई, तो आदमियों का क्या हाल होगा? इस तरह आजकल औरतों का हाल है आदमी तो आदमी औरतें भी इस तरह की होने लग गई इस संसार में। परमात्मा का राज्य आना मुश्किल है। आजकल इस तरह के गुरु भी हो गए हैं जो सिखाते है कि ऐसे धन्धे करो तो भगवान मिल जायेगा तो और भी अच्छे ऐसे गुरुओं के इलाकों में लोग आ गए ऐसे गुरुओं के हाथ पड़ते दान े हैं। यहाँ अब इतने बैठे हैं, ऐसे गुरुओं के पास दस गुने बैठ जायेंगे। ये बातें किसी को अच्छी थोडी लगती हैं। अरे भाई आराम से जैसा करना है करो 1 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-33.txt बैतम्य लहरी जनवरी फरवरी, 2005 32 अपने गणेश तत्व को कुचल मारो, गणेश जी को जाता है बो भी मना है देखिये, मंगलमय सहज-योग में आशीर्वादित होता है। यहाँ तक कि सहज-योग के विवाह भी होते हैं जो बहुत ज्यादा हमने देखे हैं, लाभदायक होते हैं । सहज-योग की तरफ से हम लोग विवाह बैवाहिक जीवन सुला दो। कुण्डलिनी तत्व जो है। ये कोई साइन्स-वाइन्स (विज्ञान) की बात नहीं है ये तो पवित्रता की बात है। पवित्र आदमी की-Holiness. लोग मुझे Her Holiness तो कहते हैं पर Holi- ness (पवित्रता) की जब बात करती है तो उनको समझ में नहीं आता कि आजकल तो कोई गुरु ऐसा नहीं करता कि आपको पवित्र होना चाहिए। है। अगर आपमे पवित्रता नहीं है तो आप परमात्मा माताजी तो एक अजीब गुरु हैं जो पहले ही शुरु कर देती हैं कि आपको पवित्रता रखनी चाहिए । बाह, अधिकतर तो गुरु यही कहते हैं कि भाई जो हैं करना है वो करो पर पैसा जमा कर दी, बसे कान की क्योंकि गाँ के लिये ये सब कुछ मुश्किल काम करते हैं, उससे लाभ होता है। बहुत विवाह एक मंगलमय कार्य है और उसमें आप जानते हैं हम हमेशा गणेश की स्तुति करते की बात नहीं कर सकते, सच बात मैं आप से कहूँ। इसलिए बहुत लोग कहते हैं, कि माँ हमारे कर्मों के फलों का क्या होगा ? और हमारे कर्म अच्छे नहीं । बहरहाल मेरे सामने यह बातें नहीं करने खतम। पैसा तुमने जमा किया कि नहीं ? कुण्डलिनी - जागरण जो है, यह असलियत नहीं। उनका नाम ही बनाया है पाप-नाशिनी वगैरह, तो क्या है? लेकिन पार होने के बाद याद लिए रखना कि आप पार नहीं थे अन्धेरे में थे चलो जैसे भी हो लेकिन उसके बाद यह बात जाननी हैं, reality है, actualisation है। इसके मनुष्य का पवित्र होना जरूरी है। अगर आप पवित्र नहीं हैं तो आपको कुण्डलिनी जागरण का अधिकार मिलना नहीं चाहिए। फिर भी माँ का रिश्ता है, मां मानने को तैयार कभी नहीं होती कि मेरा बेटा जो है वो गिर गया है। उसके लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है क्योंकि उसको ही लाछन लोगों ने सीख लिया है कि पवित्रता क्या है तो लगता है। इसी से तो सारी अपनी पुन्याई लगा के कहती हैं कि पूजा-पाठ तो करा दो। पहले यह ऐसा हिन्दुस्तानी अभी तक मुझे नहीं मिला जो बात जानना चाहिए कि चाहे आप बरा माने या भला अपने जीवन में पार होने के बाद आपको जरूर पवित्र बनाना होगा पवित्रता आप में बहुत चाहिये कि अपने गणेश तत्व को आप बहुत आसानी से जगा सकते हैं। जब यह परदेसियों में जम गया तो फिर आप लोगों में क्यों न जमे ? जब इन क्या आप लोग नहीं जमा सकते ह? कम से कम अपवित्रता को अच्छी समझता हो। करता है, पर जानतता है कि गुनाह है, गलती है, यह समझता है। कोई हिन्दुस्तानी चाहे विदेश में रहा हो, करता जरूरी आनी चाहिए। इसका यह मतलब नहीं कि है पर जानता है गलत काम है। लेकिन यह तो आप सन्यासी बनकर घूमें, सन्यासियों को भी बेचारे यह भी नहीं जानते कि यह गलत काम है। सहज-योग नहीं मिल सकता। यह मतलब मेरा अह ती सोचते हैं अच्छा काम है। वो तो कहते हैं बिल्कुल नहीं कि आप किसी unnatural (अप्राकृतिक) तरीके से रहिये, बिल्कुल नहीं। इससे कल्याण नहीं, ऐसा भी ये लोग सोचते हैं। इतने आदमी बड़ा ही शुष्क हो जाता है, ववकूफ है इस मामले में, यानि सरल है बेचारे। तब कि करना ही चाहिए ऐसा। इसके बिना आपका सूखा इन्सान हो 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-34.txt जनवरी - फरपरी, 2005 घैतम्य लहरी भी वो बच गए, आप भी बच सकते हैं। लेकिन bathroom के पास रख दिया था। यह बात सही जिम्मेदारी आप पर है। इस गणेश तत्व को बनाये है, एक दूसरे माने में या एक दूसरे आयाम (di- रक्खें जैसे गणेश हैं देखिये मूलाधार चक्र जो है mension) में । यह बात है कि बो अपनी माँ की वो कहाँ पर है ? जो कुछ भी विसर्जित किया है रक्षा करें, कि उन की प्रतिष्ठा की रक्षा करें, उनके उसको कहना चाहिए कि excretion जितना protocol की, उनकी पवित्रता की रक्षा करें क्यॉंकि होता है उस पर श्री गणेश बैठा दिये गए हैं वो वो virgin (कुमारी) हैं, वो कन्या हैं, इसी प्रकार सारा कार्य श्री गणेश करते हैं। क्योंकि श्री गणेश हमारे अन्दर जो कुण्डलिनी है गौरी स्वरूपा हैं, जैसे कीचड़ में कमल होता है उस प्रकार हैं । अभी है, उनका उनके पति से मेल नहीं हुआ। पति अपनी सुगन्ध से सारा सौरभ इतना लुटाते हैं कि उनके आत्मा-स्वरूप शिवजी हैं और गणेश वहाँ वो कीचड़ भी सुगन्धमय हो जाता है आपको बैठे हुए हैं और उस दरवाजे पर श्री गणेश बैठे हुए आश्चर्य होगा कि जैसे ही आपका गणेश तत्व हैं और उस दरवाजे से शिवजी भी नहीं जा सकते। जमना शुरु हो जायेगा आपने सोचा भी नहीं होगा, इतना पवित्र वो दरवाजा है और यह दुष्ट लोग, आप जानते भी नहीं होंगे कि कितना आनन्द अन्दर इनको तो तान्त्रिक कहना चाहिए, उस तरह से से आने लगता है क्योंकि तत्व निर्मल है इसका। कोशिश करते हैं कुण्डलिनी मों की ओर जाने की तत्व का मतलब ही निर्मलता है। जो चीज़ निर्मल और इसी वजह से उनको हर तरह की तकलीफ है, माने तत्व पर आ गई उसका मल ही सारा हट हो जाती है। जिस आदमी में पवित्रता नहीं है गया और वो ही निर्भल होता है जो किसी मल को उसको कोई अधिकार नहीं है कि वो कुण्डलिनी अपने अन्दर जमने न दे। कोई भी चीज जो निर्मल जागृत करे। अगर ऐसा आदमी कोशिश करेगा तो करती है वो तत्व ही हो सकती है क्योंकि तत्व से जरूरी है कि श्री गणेश उस पर नाराज हो जायेगे कोई चीज़ लिपट नहीं सकती हमेशा तत्व बनी और फलस्वरूप उसके अन्दर अनेक तरह की रहता है। इसलिए सबसे पहले हम लोग गणेश का विकृतियाँ आ जायेंगी। कई लोग तो, मैंने सुना है, आहान करते हैं और उनकी आराधना करते हैं और नाचने लग जाते हैं, कई लोग हैं चिल्लाने लग उनको हम मानते हैं लेकिन आजकल लोग कुछ जाते हैं, कई लोग भ्रमित हो जाते हैं, और कई ऐसे निकल गए हैं कि कुण्डलिनी के नाम पर जानवर जैसी बोलियाँ निकालने लगते हैं। किसी गणेश जी का अपमान कर रहे हैं सुबह से शाम किसी लोगों को मैंने देखा है कि उनके अन्दर तक। इतना अपमान कर रहे हैं कि मैं आपसे बता blisters (फफोरड़े) आ जाते है क्योंकि ऐसे लोगों के पास वो जाते हैं जो अपवित्र हैं, जिनको कुण्डलिनी कुण्डलिनी उनकी माँ है और वो भी के लिए कोई मालूमात नहीं और जब वो कुण्डलिनी कन्या । कन्या स्थिति में वो भी जब पति के विवाह की ओर अग्रसर होते है, गलत रास्तों से और से पहले उनका स्वागत करने से पहले जब नहाने गलत तरीकों से तब उन पर स्वयं साक्षात् गणेश गईं, विवाह उनका हो चुका था, लेकिन अभी पति गरजते हैं साधक के श्री गणेश, और साधक को से मुलाकात नहीं हुई थी। तो जब नहाने गई थी बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है। सारा तान्त्रिक गणेश जी को बनाकर शास्त्र गणेश जी को नाराज करके पाया जाता नहीं सकती। तब उन्होंने श्री 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-35.txt जनवरी - फरवरी, 2005 वैत्न्य लहरी 34 हैं। जिनको लोग तान्त्रिक कहते हैं वो असल में आ जाती है। इसलिये गणेशजी से हम कहते हैं तान्त्रिक नहीं हैं। जो वास्तविक निर्मल तन्त्र है वो कि हमारें अन्दर विवेक, सुबुद्धि हमारे अन्दर Wis- यह है, जो सहज-योग है। क्योंकि तन्त्र माने dom दीजिये मनुष्य के अन्दर यदि दिशा का कुण्डलिनी है, यन्त्र माने कुण्डलिनी हैं तो यह ज्ञान नहीं भी हो तो कुछ फरक नहीं पड़ता लेकिन शास्त्र केवल सहज-योग में ही जाना जा सकता अच्छे बुरे का उसको ज्ञान होना जरूरी है। इसीलिये है। और बाकी जो तान्त्रिक हैं ये परमात्मा विरोध में हैं, ये दुष्ट लोग हैं, ये देवी जी को नाराज इसीलिये वो विवेक देने वाले माने जाते हैं। यह करके, ये गणेश जी को नाराज करके उनके गणेश तत्व है। सामने व्यभिचार करके ऐसी सृष्टि तैयार करते हैं के हम उनसे मॉँगते हैं कि हमें आप विवेक दीजिये। अब हमारे अन्दर जो दूसरा बहुत महत्वपूर्ण जहाँ वो दुष्ट कारनामें कर सकते हैं, जहां वो भूत तत्व है वो है विष्णु तत्त्व। विष्णु तत्व से हमारा धर्म धारण होता है अन्दर, जो कि हमारे नाभि चक्र से सकते हैं। यह बहुत समझने की बात है, कि प्रवाहित होता है, जो हमारे नाभि में है। नाभि में जिसका गणेश तत्व ठीक होगा उस पर कभी हमारे अन्दर धर्मधारण है। जैसे कि आप amoeba विद्या. मशान विद्या आदि करके लोगों को भ्रमा तान्त्रिक हाथ नहीं मार सकते, कभी नहीं, चाहे में थे तो आप अपना खाना पीना खोजते थे। जब कितनी भी कोशिश कर ले। जिस आदमी का गणेश तत्व ठीक है, उस आदमी का कोई बाल बॉका नहीं कर सकता। इसलिये गणेश तत्व जो और उससे आगे जब आप जाते हैं तो आप 'परमात्मा आप amoeba से और ऊँचे हो गए. इंसान की दशा में आ गए तब आप अपनी सत्ता खोजते है को खोजते हैं। आप के अन्दर यह धर्म है कि आप कुछ है वो सुरक्षा का तत्व है। सबसे बड़ी सुरक्षा गणेश तत्व से होती है । इसलिये अपने गणेश तत्व को आपको बहुत ही नहीं खोज सकते। कोई भी प्राणी परमात्मा को नहीं ज्यादा सुचारू रूप से संवारना चाहिये। सबसे खोज सकता, केवल मनुष्य ही परमात्मा को खोज पहले तो अपनी नजर नीचे रखिये। लक्ष्मण जैसे सकता है । ये मनुष्य का धर्म है। और इसके दस आप बनें और अपनी आँख सीताजी के चरणों में धर्म हैं और ये धर्म का तत्व विष्णुू जी से हमें मिलता ही रखिये। क्या उनके अन्दर कोई पाप नहीं था है। अब बहुत से लोग सोचते हैं कि विष्णु जी से लेकिन सीताजी के ही क्या, इसका मतलब यह है हमें पैसा मिलता है, और विष्णु जी से हमें और लाभ कि उन्होंने चरण को ही देखा क्योंकि उन्हें ज्ञात होते हैं लेकिन ये बात नहीं है कि सिर्फ उनसे हमें था कि ऊपर देखना, किसी की ओर दौड़ना अपना पैसा ही मिलता है। ऐसी ऐसी गलत भावनाएं चित्त ही बिगाड़ना है गणेश तत्व हमें पृथ्वी माँ से हमारे मन में बसी हुई हैं कि विष्णु जी से सारा क्षेम मिला मिला है, धरती माँ ने हमें गणेश तत्व दिया जो है हमें मिलता है और बाकी कोई मतलब नहीं। हैं। अब हम इसलिये पृथ्वी माँ का अनेक बार सारे क्षेम से क्या लाभ होता है आप सोचिये ? जब धन्यवाद मानते हैं कि आपने हमें यह तत्व देकर के मनुष्य क्षेम को पाता है, समझ लीजिए, आप एक दिशा का ज्ञान दिया। जब मनुष्य के अन्दर गणेश दशा लीजिए। एक मछली है उसने यह जान लिया तत्व जागृत हो जाता है, उसके अन्दर विवेक-बुद्धि कि अब हम इस समुद्र से पूरी तरह से संतुष्ट हैं, परमात्मा को खोजें, यह मनुष्य का धर्म है। जानवर 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-36.txt चैतन्य लहरी जनवरी फरवरी, 2005 35 तो संतोष को पा लेती है तब उसे विचार आते हैं पर खड़ा है और उसकी गर्दन सीधी है-ये तो बाह्य कि समुद्र को तो सब देख लिया, उसका तो धर्म में हुआ बहुत ही ज़्यादा जड़ तरीके से, आप हमने जान लिया समुद्र का, अब हमें जानना है कि समझे? लेकिन तत्व में क्या मनुष्य के पास जो कि जमीन का धर्म क्या है। तो वो अग्रसर होती है। हर बार जब भी आप कोई-सा भी काम करते हैं तो मछली का अवतरण जो हुआ है तो सिर्फ इसलिए तत्व अपने कार्य में भी उसी तरह से प्रभावित होना हुआ है, कि एक मछली उसमें से बाहर आ गई चाहिए । समझ लीजिए आज हम इसमें से बातचीत अब जब वो मछली बाहर आ गई-एक ही कर रहे हैं और हम समझ रहे हैं। लेकिन इससे भी मछली-वही अवतार हम मानते हैं जो पहले बाहर बढ़िया कोई चीज़ आ जाए तो ये मशीनरी जो काम आई और उसने बहुत सारी मछलियों को अपने करेगी वो भी नई होगी या नहीं । इसी प्रकार मनुष्य साथ खींच लिया क्या सीखने के लिये ? कि धर्म के अंदर का भी जो तत्व है वो एक नया विकसित क्या है। कौन सा धर्म ? जमीन का धर्म क्या है ? तत्व है, और वो तत्व जो कि परमात्मा को खोजे, इसलिये नहीं कि वो मछलियों बाहर आ गई अब उसका जो तत्व है तो परमात्मा को खोजता है। उनमें दूसरा धर्म सीखने की बात आ गई पहले इसलिए मनुष्य का प्रथम तत्व है परमात्मा को पानी का धर्म सीखा फिर अब जमीन का धर्म खोजना। जो मनुष्य परमात्मा को खोजता नहीं वो सीखने लगे जब जमीन का धर्म सीखने लगे तो पशु से भी बदतर है। अब जब वो परमात्मा को रेंगते रेगते उन्होंने देखा कि पेड़ भी है । पेड़ के भी खोजने निकला तब उसका तत्व जो है, नाभि चक्र आप पत्ते खा सकते हैं। क्षुधा पहली चीज़ होती है का पूर्ण हुआ। अब वो अगले तत्व पर आया। कि जिससे कि आदमी खोजता है। खोजने की शक्ति जब परमात्मा को खोजने लगा तो उसने देखा कि नाभि में ही पहले इसलिए होती है कि उसमें क्षुधा संसार की सारी सृष्टि बनी हुई है। हो सकता है होती है आपको इच्छा होती है कि किसी तरह से इन तारों में, ग्रहों में और इन सब में ही परमात्मा अपने..और जानवर हो जाने के बाद उसने सोचा हो। उसके तरफ उसकी दृष्टि गई। तब उसे कि अब गर्दन उठाकर रहें। बहुत झुक-झुक कर हिरण्यगर्भ याद आए। उन्होंने वेद लिखे। उनका रहे अब गर्दन उठाकर रहें । जब उसने गर्दन अग्नि आदि जो पाँच तत्व की ओर चित्त गया । उठाई तब वो मनुष्य बना। धीरे-धीरे फिर वो मनुष्य उसको जानने की उन्होंने कोशिश करी । उनको बना। गर हमारे अन्दर ये जो धर्म है कि हम धर्म जानते हुए उनको जो हवन वरगैरा करते थे, वो को धारण करते हैं. जैसे कि पहले मछली का धर्म किये और ब्रह्मदेव और सरस्वती की अर्चना की था कि वो पानी में तैरती थी, उसके बाद कछुए का और सब कुछ करने के बाद भी उन्होंने देखा कि धर्म था कि वो रेंगता था जमीन पर, उसके बाद जो इस सबको तो हम जान गए, बहुत कुछ जान गए। 1 जानवर थे उनका ये धर्म था कि वो चार पैर से जैसे कि Science में लोग सब कुछ जान गए, चलते थे लेकिन उनकी गर्दन नीचे थी। फिर घोड़े बहुत कुछ जान गए लेकिन जब Science का जैसे उन्होंने अपनी गर्दन ऊँची की थी। उसके बाद नतीजा निकला तो उन्होंने कहा कि ये क्या, हमने उन्होंने सारा शरीर ही खड़ा कर दिया और दो पैर तो atom bomb बना दिया। अब उस कगार पर पर खड़े हो गए ये मनुष्य का धर्म है कि दो पैर आकर खड़े हो गए Science वाले भी कि हम आगे 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-37.txt जनवरी फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 36 कहाँ जा रहे हैं, अब तो गड्ढा ही सामने है। इससे एक कदम आगे गए तो सारा संसार एक क्षण में खत्म हो जाएगा| अब उन्होंने किताबें लिखी हैं कि परमात्मा को खोजना ही सब बात है तो आप समझ सकते हैं कि Science के रास्ते से आपको परमात्मा नहीं मिल सकते। Science के रास्ते से आपने जो आप अगर पढ़े तो एक है कि shock पर, मतलब कुछ पाया है, जो कुछ आपने बड़ा भारी ज्ञान' पाया ये कि कितना बड़ा shock है, और संसार में लोग है, उससे किसी ने भी आनन्द को नहीं पाया है। अज्ञान में बैठे हैं, इसलिए दुखी हैं। जैसे France हॉ, ये जरूर है कि आप आलसी हो गए पहले से के लोग हैं तो हमेशा मुँह लटकाए रहते हैं। तो मैंने ज्यादा। अब आप चल नहीं सकते। England में कहा कि ये क्यों ? तो कहने लगे, माँ इन लोगों आप किसी दुकान में चले जाइए, अगर किसी को को अगर कहिये कि आप सुखी हैं और आनन्द में 2,4,6 तो कहेंगे आप से बढ़कर बुद्धू कोई नहीं । और सकते। तो उनको तो चाहिए-Computor ,उसके आप बिल्कुल ही इस दुनिया की बात नहीं जानते बगैर उनका काम नहीं चलता है, वो अगर खो तो मैंने कहा-अच्छा। क्योंकि ये कहते हैं कि हम गया, तो उनकी खोपड़ी गायब है। पहले तो अति तो पढ़ते लिखते रहते हैं और हमने ऐसी ऐसी सोचने से उनके हाथ बेकार हो गए । कोई भी किताबें पढ़ी हैं जिनसे से ज्ञात होता है कि दुनिया कशीदाकारी का काम, खाना बनाने का काम, कोई पर बड़ी भारी आफत आने वाली है और सारा भी काम वो नहीं कर सकते। अब, जब उनकी संसार खत्म हो जाने वाला है मनुष्य ने पूरी खोपड़ी ज्यादा चलने लग गई, उसके बाद मशीन तैयारी कर ली है कि अपने को एक मिनट में खत्म कर ले। और ये बड़ी भारी आफत की चीज़ है और डाल दिया। अब जब मशीन आ गई तो खोपड़ी भी आप सुख में बैठी हैं, आनन्द में बैठी हैं। तो इन पर बेकार। अब सब कुछ उनके लिए मशीन हो गई विश्वास नहीं होगा तो मैने कहा कि क्या इसीलिए उसके बगैर बो चल नहीं सकते। अगर वहाँ पर लोग शराब पीते हैं ? क्योंकि बड़े दूुखी जीव हैं, बिजली बंद हो जाए, तो लोग आत्महत्या कर लें। बड़े दुखी है न। मुँह लटकाने के वक्त तो दुखी हैं, तो अपने यहाँ, भगवान की कृपा से अच्छा है। अभी फिर शराब क्यों पीते हैं। अच्छा, ये भी कहिये कि भी लोगों को आदत है, कि बिजली चली जाती अपने गम गलत कर रहे हैं । हाँ ये भी एक बात है और वहाँ लोग परेशान रहते हैं, कि गर वहाँ समझ लें, मों, कि गम गलत कर रहे हैं। लेकिन एक ब्रार बिजली चली -गई अमेरिका में बिजली गई हर मोड़ पर एक गन्दी औरत रास्ते में Paris में तो न जाने कितने accident हो गए, कितनी आपको खड़ी मिलेगी। ये किस सिलसिले में ? ये आफतें आ गई, कितनी परेशानियाँ आ गई, कि मैंने कहा कि आदमी ने अपने लिए एक नाटक बना तूफान हो गया, कि कभी जलजला आया हो तो कर रखा है कि भई मैं बड़ा दुखी हूँ, इसलिये मुझे इतनी आफत नहीं थी जितना कि बिजली का। शराब भी चाहिये और पाप भी करना चाहिए। उसका तो बड़ा नाटक हो गया। इस कदर उन्होंने का गुणन करके बताइए तो कर नहीं बन गई और उन्होंने अपनी खोपड़ी को मशीन में 1 अगर मै पाप नहीं करूंगा तो मेरा दुख कैसे अपनी गुलामी कर ली और अब इनको पता हो रहा मिटेगा? इस तरह की बेवकूफी की बातें करते हैं । है कि plastic के इन्होंने इतने बड़े बड़े पहाड़ अब कहने का मतलब ये है, कि गर तत्व में खड़े कर दिये। अब इन plastic का क्या करें ? 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-38.txt फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी जनवरी इनको नष्ट कैसे करें ? अब इसके पीछे लगे हुए और हम कहते हैं कि वे affiuent हैं, पैसे वाले। अरे हैं। अब सर पकड़ कर बैठे हुए हैं। एक घर में इनके पास क्या है ? सिवाय plastic के इनके पास अगर आप जाइए तो आपको न जाने कितनी तरह क्या है ? plastic में खाना, plastic में रहना, की चीजें दिखाई देगी हिन्दुस्तानी लोगों का तो plastic में मरना और इनके घरों की हालत ये हो दिमाग खराब हो रहा है । जब भी मुझसे कहते हैं गई है कि रहे होटलों में मरे अस्पतालों में । ये तो कि विलायत से आते हुए nylon की साड़ी लाओ। खानाबदोश हो गए। इनका तो सारा ही कुछ मिट अरे भई, यहाँ इतनी बढ़िया cotton की साड़ी गया तो इनकी इतनी गलतियाँ हो गई हैं Sci- मिलती है, sik की साड़ी मिलती हैं। काहे को वो nylon पहनते हैं पर हम लोगों को तो nylon का करूंगी तो आप हंसते हंसते लोट-पोट हो जाएंगे। शीक हो गया है। हमें plastic का शौक हो गया है। वहाँ किसी को बता दें तो किसी को विश्वास मैडकिल Science में थे हो गया, वो हो गया। ence वालो की, कि किसी भी बात पर मैं बात Medical Science को देख लीजिए, कोई कहेगा नहीं होता कि हम इतने बेवकूफ हैं। वहाँ पर तो क्या हुआ है ? खाक हुआ है जरा देख लीजिए । लोग cotton को भगवान समझते हैं क्योंकि उनको अब बता रहे थे अभी अभी कि साहब आप तो मजन मिलता ही नहीं। पहले उन्होंने खूब cotton के करते हैं यहाँ पर, उसका जो toothpaste होता है कपड़े बनाए। अब समझ लीजिए कि गर उनके तो chloroform उसमें मिला देते हैं उसकी वजह यहाँ शराब होती है घर में तो दस तरह के glass से, तो chloroform मिला देने की वजह से अब होंगे। इसके लिए ये glass, उसके लिए वो कैसर होने लग गया है, तो कोई लोग कहेंगे कि glass, उसके लिए वो glass, उसके लिए वो हिन्दुस्तान से मंगा दीजिए हमको नीम toothpaste glass । खाना खाने के लिए दूसरा चमचा, तीसरे उसमें chloroform नहीं होता है। मैंने कहा बहुत के लिए तीसरा चमचा। उस के लिए दूसरी प्लेट उसके लिए चौथी प्लेट। अरे भाई, एक थाली लेलो भेजें। हम तो लगा नहीं सकते chloroform उसमें । और इस हाथ से खाओ। पच्चीस तरह के glass यहाँ से चीजें जाना शुरू हो गई, हाथ में जो वो और पच्चीस तरह के ये और पच्चीस तरह की लोग साबून लगाते हैं उसमें भी chemicals होते हैं तश्तरियाँ, भगवान बचाए ! अब ये हालत आ गई असल साबुन नहीं होता है। हिन्दुस्तान का साबुन कि जितना भी था निकल गया पृथ्वी माता से थोड़े दिन में देख लीजिएगा, सारी दुनिया में चला सब कुछ तत्व निकाल डाला इन्होंने,खोखले हो जाएगा। आप लोग अब शेयर-वेयर मत लीजिए । गए। अब काहे में खाते हैं। सुबह, शाम हर वक्त क्योंकि हिन्दुस्तान का साबुन शुद्ध होता है, वो तत्व कागज में खाते हैं। हमारे एक रिश्तेदार गए थे पर बना होता है। कोई artificial पर नहीं। हरेक वहाँ अमेरिका , बेचारे पुराने आदमी है कहने चीज बहाँ की, मैं तो कभी विदेशी चीज इस्तेमाल लगे साहब मैं तो तंग आ गया। रोज Picnic नहीं करती। इसीलिए-क्योंकि सब चीज इनकी, करते करते हालत मेरी खराब हो गई। जब देखो आप देखिये वो बड़े बड़े scents होते हैं, तंबाकू तब वो अपनी या तो plastic की प्लेट और या तो होता है, क्या क्या होता है उसमें सारा और कागज की प्लेट । इनके घर में तो ये हालत है । अच्छा। क्योंकि chloroform मंहगा है हम कहाँ से कुछ नहीं; तंबाकू है तंबाकू से बना है इसलिए तंबाकू 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-39.txt जनवरी फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 38 शब्द। और क्योंकि वो तंबाकू थोड़ी-थोड़ी चढती पढ़ गए, और अब कगार पर खड़े हुए हैं कि एक जाती है, आदमी को नशा आता रहता है वो कदम आगे गए, और धड़ से सब के सब नीचे तभी इस्तेमाल करेगा और वो समझता है कि मैं बड़ा हूँ, सब लोग shocked है बहुत दुखित रूप से। और मैं तंबाकू इस्तेमाल कर रहा हूँ। तंबाकू है, यानि इस कदर परेशान हैं कि आप को बहुत कम लोग का पानी, उससे बनाया हुआ है। और वहाँ इस कदर मिलेंगे जिनकी कोई न कोई चीज़ अपने यहाँ के इत्र असल हैं। असल में होते हैं और न फड़क रही हो। आँख फडक रही है, नाक इनके सारे chemicals होते हैं, इस्तेमाल करने से फड़क रही हो, सिर ऐसे होता है और कई परेशानी। कोई भी चीज़ इनके यहाँ है ? अब ये कहते हैं कि कोई चीज़ वहाँ नहीं मिलेगी जो शांत हो। औरतें तो अपने यहाँ आदमी को मारती हैं, आदमी औरतों को मारते हैं, तो पहले होता ही था तो मेंहदी वरगैरा लगा लेते बच्चों को मारते हैं, बच्चे माँ-बाप को मार डालते थे। और ये लोग जो चीज़ लगाते हैं, करते हैं, हैं। कहीं सुना। मार डालते हैं। मतलब वहाँ की उससे कैंसर हो जाता है वहां इतनी artificiality statistics है, कम से कम दो तो मरते ही हैं और हो गई कि लोगों के भौहे उड़ गए । किसी के बाल तो भी आप सुनिये माँ बाप मारते हैं। तो ये इस उड़ गए, जवानी में ही किसी के दाढ़ी ही नहीं तरह की जहाँ संस्कृति बन गई है तो जानना आती, किसी के कुछ चाहिए कि उन्होंने तत्व को जाना नहीं, अगर है। पता हुआ कि वो कुछ ऐसी चीज़ इस्तेमाल जानते होते, तत्व को अगर जानते तो आज ये करते गए कि ये सब चीज़ होना उनका बंद हो हालत नहीं होती। 'क्योंकि तत्व जो है आनन्द देने गया। वहाँ सरदार जी लोगों को बुरा हाल होगा वाला है तो इन्होंने तत्व को खो डाला। तो ब्रह्म और वो लोग ज्यादा शराब पियेंगे तो और भी बुरा देव का तत्व भी गया अब अपने देश में हैं हम लोगों ने कहा कि निराकार ब्रह्म है और उसको बहरहाल। कहने की बात ये है artificial पाना चाहिए वेद में, ऐसे लिखा गया है. ये है वो है, चीजों में जाने में-क्योंकि हमने अपने तत्व को जिद करके बैठ गए। लेकिन वेद में भी लिखा है। जाना नहीं। गर इन सब पंचमहाभूतों के तत्व पर वेद माने विद माने जानना, गर सारा वेद पढ़ करके उतरने को कहें, तब भी हम जड़ में फंस गए। भी मनुष्य ने अपने को जाना नहीं तो वेद बेकार उसकी जो जड़ता है, तो उसका तत्व नहीं है। सारे हुआ कि नहीं हुआ और जब ये बात है तो पहली पंच महाभूतों का तत्व है ब्रह्मा। और ब्रह्म तत्व चीज़ ये है कि वेद का पठन करने से आप को क्या उसको पाने के लिए सिर्फ आत्मा को पाने से आत्म ज्ञान नहीं हो सकता। उसके पढन से और तबाकू सर में कई लोग लगाते हैं न - नहीं आती अजीब बुरा हाल हाल होने वाला है। ही वह हमारे अंदर से बहना शुरू हो जाता है। सब हो सकता है, लेकिन आत्म ज्ञान नहीं हो उस तत्व को तो हमने खोजा नहीं और खोजते सकता। गायत्री मंत्र है गायत्री बोले जा रहे हैं, गए, खोजते गए वहाँ पहुँच गए जहाँ वो चीज़ गायत्री बोले जा रहे हैं। अरे भई ऐसे बकवास से बिल्कुल बाहर आ गई और जड़ हो गई इसलिए क्या गायत्री देवी जागृत हो सकती हैं ? किसी की ये हालत है कि उस देश में कोई लोग खुश नहीं हुई, दिखाई दिया आपको ? किसलिए आप गायत्री है। बड़ा Science मिल गया, बहुत विद्वान हो गए, का मंत्र बोलते हैं, ये भी पता नहीं आपको। गायत्री 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-40.txt चैतन्य लहरी फरवरी. 2005 जनवरी 39 को जागृत करने के लिए जरूरी हैं कि मनुष्य किसी तरह से खराब हो जाती है, उस वक्त ये चक्र पहले अपनी आत्मा को जाग्रत कर ले, नहीं तो पकड़ा जाता है। अब मैंने अभी तो कुछ दिन पहले गायत्री जो है-परमात्मा की ही एक शक्ति है-जब बताया था कि स्त्री में विशेषकर बड़ी जल्दी तक आपने उस परमात्मा को जान न लिया, तब खत्म हो जाती है। जैसे कि एक स्त्री है. अच्छी है. तक आप गायत्री के सहारे कहाँ चलियेगा ? समझ सद्गुणी है, लेकिन उसके पुरुष ने, मनुष्य ने लीजिये कि आपसे Prime Minister नाराज़ हैं, उसको सुरक्षा नहीं दी। समझ लीजिए एक औरत समझ लीजिए, तो आप तो काम से गये। आपने है, उसको अपने पति पर शक है, शक ही है समझ किसी दूसरे को प्रसन्न कर भी लिया तो आप तो लीजिए कि वह अवारा किस्म का आदमी है, किसी काम से गए ही हुए। कोई आप को बचा नहीं और औरत के साथ। उसका ये चक्र पकड़ जाता सकता। तो जब तक आपने परमात्मा को पाया है, इस वक्त आदभी को बजाए इसके कि उस पर नहीं तथ तक ये सारी शक्तियोँ व्यर्थ है, ये ही नाराज़ हो उसका फिर से सुरक्षा चक्र ठीक करना इसका सारांश है और 'तत्व सिर्फ आत्मा ही है।" चाहिए कि नहीं भई ऐसी बात नहीं, तुम्हारे सिवाय उसी को पाना है ये जो शक्तियाँ हैं इनको पाने मेरे लिए कोई और चीज नहीं। उसके तरीके हैं। सुरक्षा से आप परमात्मा नहीं पा सकते पर परमात्मा को उसको सोचना चाहिए कि किस तरह औरत को पाने से इन शक्तियों के तत्व पर आप उतर सकते सुरक्षा दे, बजाय इसके कि औरत से बिगड़े। वो तो है। आप जो हैं, जो हमको दूसरी ओर ऐसा चित्त खुलेआम औरत के सामने आकर "तुम कौन होती देना चाहिए कि इससे ऊपर जो शक्ति है. जो कि हो बोलने वाली ? तुम हमें टोकने वाली कौन होती दैवी शक्ति' मानी जाती है ये आपके हृदय-चक्र हो ? तुम तो बड़ी ये हो, तुम तो बड़ी शक्की हो में होती है। हृदय चक्र-हृदय से मतलब नहीं है। और जाओ तुम उसका दूसरा तत्व है जिसे हमें कहना चाहिये, हृदय चक्र खत्म । आदमी को हमारे हिन्दुस्तान में खासकर का जो तत्व है, वो दैवी तत्व है। अपने बाप के घर। सुरक्षा लगता है कि वो जो चाहे सोचे ठीक है। वो कभी अब दैवी तत्व क्या है हमारे अंदर । जब ये पाप ही नहीं करता, सारा जो भी chastity है, वो खराब हो जाता है तो क्या उससे नुकसान होते औरतों का ठेका है आदमी को कोई जरूरत नहीं हैं। इसको आप समझ लीजिए। दैवी तत्व से chastity की । ऐसा अपने यहाँ शायद लोगों का हमारे अंदर सुरक्षा स्थापित होती है। इससे हम विचार है उसका इलाज जो है कायदे से हो जाता सुरक्षित होते हैं। जब बच्चा 12 साल का होता है है। जैसे England में आप जाइए तो सब आदमी तब तक इस दैवी तत्व के अनुसार, हमारा जो हमाल हो गए हैं, बिल्कुल हमाल। सुबह से शाम sternum है जो कि सामने की हड्डी है, यहाँ पर, बिल्कुल गघे जैसे काम करते हैं और घर में आए उस हडड़ी में सैनिक तैयार होते हैं जिसे अंग्रेजी तो बीबी ने अगर उनको divorce कर दिया किसी में antibodies कहते हैं, ये देवी के सैनिक हैं, और भी तरह से तो उनका घर बिक जाता है, आधी ये सारे शरीर में चले जाते हैं और वहाँ जा कर सजे रहते हैं कि आप पर कोई भी तरह का दो-तीन बार ऐसे किया, उसके साथ हुआ वो तो attack आए, उसे रोक दें जब आपकी सुरक्षा बिल्कुल रास्ते पर पड़ गया। वो शराब पी पीकर मर property बीवी की आधी आपकी। जिस आदमी ने 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-41.txt चैतन्य लहरी जनवरी - फरवरी, 2005 40 जाएगा और उसकी बीबी जो है उसके पास खूब अच्छा नहीं मिलता। मैंने कहा तुम क्यों नहीं पैसा हो जाएगा। उसने दो-तीन शादियाँ कर लीं. बनाते ? बोला हमको तो कुछ आता ही नहीं । हो गए। फिर जब बाह्य से, तत्व से नहीं बाह्य से आदमी हो गए तो निठल्लू, पफिर उनको कोई मतलब उसका इलाज जो होता है तो वहाँ के आदमी जो नहीं। मैं अभी एक हैं आपको विश्वास नहीं होगा कि वहाँ के आदमी साहब हैं education के Sec, हैं जो हैं बिचारे हर समय औरतों के पीछे दौड़ा करते करी। मुझे उनकी बातें सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ हैं। और वो उनके ऊपर हुक्म जमाती हैं। बर्तन उन्होंने कहा कि दस साल के अंदर इस हिन्दुस्तान साफ नहीं किये आपने ? ऐसे बर्तन साफ किये में सिर्फ औरतें नज़र आएंगी। आदमी सब झाडू जाते है? चलो झाडू लगाओ। और तुमको झाडू लगाएंगे। मैंने कहा क्यों? कहने लगे इतने निठल्लू लगाना नहीं आता ? इस तरह से झाडू लगा रहे होते हैं आदमी कि students वहाँ हमने देखा कि हो। कभी तुम्हारी माँ ने सिखाया नहीं झाडू लड़कों के जो Leaders होंगे वो दुनिया के गुण्डे लगाना ? और इस तरह से आदमी हर समय झाडू जो कभी पास नहीं होते, दस-दस साल एक ही लगाता रहता है। मैंने देखा अपनी आँख से आश्चर्य होता है। और सारा बिस्तर उसको साफ तभी अपने देश का ये नजारा दिखाई दे रहा है । करना पड़ता है और सारी सफाई उसे करनी पडती और लड़कियों में जो है, जो लड़की first आती है है जरा भी गंदा हुआ चार आदमी बैठे हैं चलिये उठाइए, उठो सफ़ाई करने। और इसीलिए जिसमें शाइस्तापन है, और जिसमें कुछ वहाँ पर आपने देखा होगा, परदेस में kitchen की ऐसी लड़कियाँ उनकी Leaders हैं। आप लडकियों जो व्यवस्था संस्था बहुत develop हो गई है क्योंकि को कोई बात समझाइये तो वो कायदे से समझ आदमियों को करना पड़ता है। यहाँ अगर चक्की जाएंगी समझ जाएंगी और लड़कों को कहेंगे तो चूल्हे करने बैठे तो पता चले। अपने अआदमी लोगों बो हर समय लट्ठ लेकर खडे हैं। और वो Lead- को काई भी काम करना नहीं आता। कोई भी ers ही ऐसे बुरे होते हैं, इतने शैतान होते हैं, कि काम। आदमी यों ही गये है ? कोई भी घर का काम करना, कोई भी चीज़ हैं कि साहब लड़कियों को तो training ये दो सुबह ठीक से करना, इससे उनको कोई मतलब नहीं। से शाम ससुराल जाने की, तो उनको तो ससुराल जैसे कि हमने देखा है, जैसे वो विलायत जाते हैं जाना है। और लड़कों को training ये, कि ससुराल तो उनके छक्के पंजे छूट जाते हैं, आदमियों के। जाओ तो मोटर जरूर लेकर आना । तो इस तरह से खाना बनाना उनको आता नहीं बर्तन धोना उनको जब हम किसी भी व्यवस्था के ऊपर उसके तत्व आता नहीं, झाडू हाथ में लेना उनको आता नहीं नहीं दूंढते और उसके तत्व से उसका इलाज नहीं कोई काम करना ही नहीं आता। वहाँ तो नौकर कर रहे हैं तब हमारे अंदर बड़े दोष आ जाते हैं । कोई होते नहीं। Students खासकर के उनका इसीलिए विवाह का तत्व समझ लेना चाहिए और वो हाल खराब हो जाता है। कहेंगे माँ की बड़ी याद तत्व है कि इसके अंदर हमारी जो पत्नी है, वो आ रही है। क्यों ? क्योंकि अब यहाँ हमें खाने को हमारी पत्नी है। अपने देश के लोगों से ये कह रहे बड़े भारी Secretary उनसे बात class में बैठे हैं, बो उनके Leaders हैं मैंने कहा। class में, जो briliant है, उसका स्वभाव अच्छा है, विवेक हैं, ता आप उनसे बात नहीं कर सकते, लडकों को तो ये की क्या जरूरत 1 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-42.txt फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी जनवरी 41 हैं, वहाँ ये उल्टा कहना पड़ता है, वहाँ आदमियों को ये लोग बंदूक चला देंगे, ये लोग मार डालेंगे, की सुरक्षा खराब है, उनकी हालत खराब हो जाती है लेकिन यहाँ पर जिन औरतों का यह चक्र फलाना ढिकाना। मैंने कहा कि अगर किसी की हिम्मत हो तो चलाए बंदूक। और नाम तक मैंने खराब हो गया है उनको Breast-cancer की बताए सबकुछ बताया, और सब गए, मार खाया बीमारी हो सकती है। तपेदिक की बीमारी हो और मेरे पास आए या तो Heart attack आ सकती है। Breast- cancer की बीमारी ज्यादातर जाएगा। Heart attack नहीं दिया उन्होंनें, इतनी इसी से होती है। अब इसकी बीमारी को ठीक कृपा करके छोड़ दिया तो पागलपन दे देंगे या अगर करना है, तो उसके मर्द से कहें कि भई epilepsy दे देंगे। उस पर भी अगर उनको चैन अपनी बीवी की सुरक्षा ठीक करो तो मेरी बात नहीं नहीं आया, तो cancer दे देंगे। सीधे-सीधे ले मानेंगे। वो कभी मानेंगे नहीं और Doctor तो लीजिये क्योंकि आपने उनको रुपया चढ़ाया है तो उसको ठीक नहीं कर सकते बस वो कहेंगे कि operation कर डालो, काम खत्म । Cancer हुआ काट डालों। नाक काट डालो, कान काट डालो, यहाँ से इनके ये काट डालो। बस Cancer का कुछ तो आपको देना ही चाहिए। आखिर आपने इतनी सेवा करी गुरु की। उनकी इतनी जेब भरी है तो कुछ न कुछ आप को मिलना ही चाहिए। और गुरु तत्व जब हमारा खराब हो जाता है, तो आदमी चल रहा है, आधी चीज उसकी गायब है। इतने तरह के cancer इंसान को हो सकते हैं। मतलब ये पेशानी है, इसको किसी के सामने "सहजयोग ऐसी चीज़ नहीं है सहजयोग झुकाने की ज़रूरत नहीं है। हर जगह मत्था और थोड़ी चीजें हैं, उसके सहारे चल रहा है। तत्व पर उतरता है, इसका कौन सा तत्व खराब है, उसे देखता है. उसे ठीक करता है।" टिकाने की जरूरत नहीं है। हाँ ठीक है अपने माँ बाप हैं, ठीक है आप टिकाइये लेकिन किसी को गुरु मानकर उसके आगे माथा टिकाने की ज़रूरत तत्व हमारे अन्दर है, जिसे कि धर्म तत्व कहना नहीं है पहले आप को मालूम होना चाहिये, कि अभी नाभि चक्र के चारों तरफ जो महान चाहिए, उस धर्म तत्व को संभालने वाला जो तत्व गुरु वही जो परमात्मा से आप को मिलाता! अब है उसका जो आधार है उसका जो मार्गदर्शन मेरा उल्टा है । मैं लोगों से कहती हूँ मेरे पैर मत छुओं। छ-छः हजार आदमी मेरे पैर पर सर मारते हैं, ऐसे पैर मेरे फुक जाते हैं। vibrations से मैं आसानी से हो जाती है। सबसे आसान तरीका कहती हैँ मत छुओ तो नाराज हो जाते है माँ दर्शन cancer को अगर खोजना है तो आप किसी नहीं देना चाहतीं। और ये बीमारी लोगों में है, कि करता है, तो 'गुरु-तत्व है। ये गुरु-तत्व अगर खराब हो जाए तो cancer की बीमारी बहुत गलत गुरु के पास चले जाइए। 5 साल में अगर किसी ने कहा 'ये आ रहे हैं श्री 108 420, चले आपके अन्दर कैंसर न आ जाए देखिये। और मैं सीधे साष्टांग' नमस्कार। उसके बाद चक्कर खा दस साल पहले से बता रही हूँ इन गुरुओं के नाम, ये कैसे गुरु घंटाल हैं। इनके पास मत जाओ, ये तुमको नुकसान करेंगे, सब मैं समझा रही हूँ तो सब मुझे ही समझाते हैं कि माँ ऐसा मत कहो तुम कर गिर गए। गुरु ने हमें आशीर्वाद दे दिया है और हम चक्कर खा कर गिर गये और देखा कि 5-6 साल में बराबर पागलखाने पहुँच गए। और दूसरे आदमी देखते भी नहीं कि इस आदमी की 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-43.txt चैतन्य लहरी जनवरी फरवरी, 2005 42 कम से कम तन्दरुस्ती तो अच्छी रहती भाई जिसके थोड़े दिन उनको उल्टा टांग दिया। टंगे रहिए ! गुरु हैं। कम से कम इसको ये तो आराम होता उससे आपका वजन घट रहा है। फिर उनको और हजारों की तदाद में, लाखों की तादाद में जा foam पर रखा कि इस पर कुदने की कोशिश रहे हैं। "आपके गुरु क्या करते हैं कि सातवीं करिये, जैसे घोड़े पर कूदते हैं उस पर कुदवाना मंज़िल पर बैठे हैं ? वो बोलते नहीं। मौनी बाबा हैं। शुरु कर दिया, उसके फोटो ले लिए। छपवा दिया बोलते नहीं। बोलेंगे क्या ? कुछ इस खोपड़ी में हो कि हम हवा में चल रहे हैं। बिल्कुल झूठ, महा तो बोलें। वो बोलेंगे नहीं मौनी बाबा हैं। जाओगे झूठ, सफेद झूठ, बिल्कुल झूठ।" और कहने लगे तो चिमटा मार देंगे। चिमटा खाने के लिए लोग हम चल रहे हैं । बताइए आपकी क्या मोटरें हैं, सौ-सौ रुपया देंगे कि मौनी बाबा हैं, जितना वो गाड़ियाँ हैं उसमें चलिए। आप ऐसे ऐसे हवा में 1. 1 तमाशा करेंगे उतना अच्छा है। नए-नए तमाशे चलिएगा तो टक्कर खाइएगा। आप सोचिए कि निकालते हैं। नए-नए तमाशे। हरेक 'गुरु' कोई न कोई तमाशा निकालता है। जैसे एक गुरु ने कहा, की ज़रूरत है कि उसको कोई विशेष चीज-वो एक नया तमाशा निकाला कि तुमको हवा में उड़ना 'परम्' होना चाहिए। परम दया आनी चाहिए कि ये सिखाता हूँ। बच्चों को बहुत समझ में आ रहा है जब आप गुरु तत्व में अपनी अक्ल खो देते हैं और लेकिन बड़ों की समझ में नहीं आता। तीन-तीन ऐसे बेवकूफों के पास जाते हैं तो आपका गुरु तत्व हजार पौंड लिए। 'तीन-तीन हज़ार' पाउण्ड। सोचिये। उड़ना सीख रहे हैं। मैंने कहा नसीब के महाशय मुझसे कहने लगे कि माँ मेरी कर्म-गति मारो, तुम्हारे गुरुओं को ही क्यों नहीं उड़ा के का क्या होगा ? तो मैंने कहा कि तुम्हारे गुरु क्या दिखाने देते ? पहले उनको उड़वा लिया होता, कहते हैं ? कहने लगे कि मेरे गुरु ने कहा है कि फिर पैसे देते उनको खाने को बेचारों को, पहले तुमने जो कर्म किए हैं, जितने पाप किए हैं, उनमें से आलू उबाले। ये भी सीधे लोग हैं बिल्कुल गधे। 1 / 68 मैं खा सकता हूँ। अच्छा मैंने कहा कौन सा उबाल करके उनको पानी दिया तीन दिन। कहने हिसाब लगाया है इन्होंने। और बाकी का कौन लगे पहले तुम्हारा वज़न हल्का करना चाहिए खाएगा? इसका मतलब है कि और अढ़सठ गुरु उड़ाने के लिए। वो तीन हज़ार पाउण्ड में । तीन तुमको ढूंढने पड़ेंगे भइया। तब जाकर तुम पार हजार पाउण्ड माने पता है कितना होता है ? मेरे होगे, क्योंकि बाकी का कौन खाएगा? उसकी ख्याल से 60 हज़ार रुपए। एक-एक से 60-60 दुकान कहाँ? क्योंकि इन्होंने तो अपना 'माल' खा हज़ार रुपए, अच्छा उसके बाद में उनको 2 दिन वो लिया। और किसी के पास recommend करने लोगों में है, कि किसी ने कहा 'ये जो उसके जो का तरीका - Doctor लोग होते हैं न । जैसे किसी छिलके होते हैं वो खाने को दिए-आलू के। सबको के पास जाइएगा कि साहब मेरी ऑँख खराब है। कहने लगे वज़न तुम्हारा बढ़ना नहीं चाहिए। फिर तो कहेगा अच्छा, पहले दाँत examine करवा लाओ। जो सड़े हुए आलू थे वो आखिरी दिन दे दिए। तो फिर वहाँ सारे दाँत निकाल दिए आपके. फिर उनको फिर diarrhoea लग गया तो कहा ये बहुत उन्होंने कहा पहले अपनी आँख examine करवाओ, ज़रूरी है। इसी से तुम्हारा वज़न घटेगा फिर आँख में फोड़ा है। सब कर लिया बाद में पता क्या ज़रूरत है ? क्या अब आदमी को पक्षी होने 1. खराब हो जाता है, आप सोचते भी नहीं। एक 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-44.txt फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी जनवरी 43 बा हुआ कि आपके कुछ हुआ नहीं। उसी तरह का अपनी तरफ से कह दिया कि मैं शरण में आया इन लोगों का हाल है। ये सब आपस की साझेदारी लेकिन मुझे शरण में आना पड़ेगा न। 'काम तो है, इन्होंने कहा कि बस मैं इतना ही लेता हूँ बाकी मुझको करने का है। मेरे हाथ से काम होना नहीं लेता हूँ। बाकी उस गुरु के पास जाओ। चाहिए। जब तक मेरे हाथ से काम नहीं बनेगा तब अगर गुरु दूसरे घायल बैठे हैं उन्होंने बाकी का इनका जितना पैसा था निकाल लिया। पता हुआ मैं बता देती हूँ कि जो पार नहीं वो पार नहीं और रास्ते में खड़े हैं। घर बिक गया, बीवी बच्चे छूट जो पार हैं वो पार हैं। उसमें कोई झूठा certificate गए। रास्ते में खड़े हुए हैं। बच्चे बेचारे भीख मांग तो कोई दे नहीं सकता। चाहे आप मेरे से लड़ाई रहे हैं जब हम अपनी अक्ल इस्तेमाल नहीं करते वो तो नहीं हुए, हुए तो हुए। सीधा हिसाब इसका तब ऐसे गुरुओं के पास जाते हैं। और इस तरह से होता है कि मेहनत हम लोग कर सकते हैं लेकिन सोच लेना कि जो भी काम भगवान के नाम पर तक तो बेकार ही चीज हो गई न और ये साफ-साफ करो, झगड़ा करो, कुछ करो, मैं क्या करूँ ? नहीं पार नहीं कर सकते "कोशिश हम कर सकते हैं । होता है, भगवान का काम है, बड़ी गलत बात है। प्यार हम दे सकते हैं। सब कर सकते हैं, 'आपको जैसे आज ही हमें एक देवी जी वहाँ पर मिलीं उन्होंने कहा कि हमारे गुरु पहुँचे हुए पुरुष थे। बढ़िया खाना बना सकते हैं, लेकिन आपके अगर उसमें कोई शक नहीं। लेकिन यहाँ बैठकर वो घंटा जीभ ही नहीं हो, तो हम खिलाएँगे क्या और आप बजा रही हैं कि हम तो गुरु के शरण में हैं। हम समझिएगा क्या ? आपकी जीभ जो है जागृत होनी तो गुरु के शरण में हैं। तो मैंने कहा कि फिर ? चाहिए जो समझे कि माँ ने बना के खिलाया है। तो कहने लगी अब तो मैं पार हो गई माँ। मैंने खाना तो आपको है या मैं आपके लिए खाना भी कहा अच्छा। अपना ही सर्टिफिकेट, अपना ही खा लूँ। सबकुछ ? कैसे पार हो गए बेटा तुम ? मैं तो गुरु के शरण में चली गई, मैं तो पार हो गई। मैंने कहा कि जो आप को गुरु सिर्फ परमात्मा से ही मिलता कि ऐसा तो 'मेरी भी शरण' में आने से नहीं हो है। जो परम् में उतारता है वो ही गुरु है और कोई सकता। अब मैं तो ज़िन्दा बैठी हूँ। तुम्हारे तो गुरु भी गुरु नहीं है। सब अन्धे हैं और अन्धा अन्धे को मर गए लेकिन तुम कहो कि माँ हम तुम्हारे शरण कहाँ ले जा रहा है भगवान ही जानता है ! ऐसे में हैं, हमें पार कराओ। 'थोड़ी तुम्हारी भी पूंजी शरण गति से कुछ नहीं। शरण गति तो सिर्फ पार लगती है और कुण्डलिनी का जागरण लगता है होने के बाद ही शुरु होती है। उससे पहले की । होना होगा। जैसा कि हम खाना बना सकते हैं, ये समझ लेना चाहिए जो तत्व एक ही है पार होने का काम है जब तक आप पार नहीं हुए शरण गति कुछ नहीं। आपने देखा होगा कि पार तब तक 'माँ तेरी शरण में हम आए कुछ नहीं किए बगैर मैं पैर पर किसी को लेना नहीं चाहती। काम बनने वाला, बेटी । साफ-साफ बता देँ बेटी, क्योंकि क्या अर्थ है इसमें। आप जब पार ही नहीं पार होना पड़ता है। जब तक आप पार नहीं हैं, तब हुए तो मैं क्या कर ? पार तो होना पहले जरूरी तक सब बातें बकवास हैं, बेकार हैं कि मैं तुम्हारी है। हाँ ये बात जरूर है कि कई लोग पैर पर आने शरण में आया हूँ और ये है। अरे ये तो सब आपने से ही पार हो जाते हैं। तो ठीक है। लेकिन कोई 1. 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-45.txt फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 44 मतलब नहीं कि बचकानापन आना चाहिए। इसकी शरण गति की ज़रूरत नहीं है उस वक्त। शरणागत बाद में होना चाहिए। शरणागत जब आप होते हैं गंभीरता तो है लेकिन लीला' है। ये सारी लीला तब कम से कम शरण में आने के लिए वो 'आत्मा है। इसलिए बिल्कुल शांतचित्त होकर के दोनों हाथ को होना चाहिए, प्रकाश तो होना चाहिए। बगैर मेरी ओर करें। और चित्त को एकदम हल्का करें। प्रकाश के आप मेरे भी पैर पर मत आइए। पता नहीं शायद मैं भी 420 108 हूँ। क्या पता ? अगर इसलिए तत्व की बात करते मैंने उसको इतना मैं हूँ तो आप कैसे जानिएगा कि हूँ या नहीं ? सादगी से बताया और इतने हल्के-फूल्के तरीके से बेकार की बकवास भी कर रही हुँगी तो आप कैसे बताया कि वो बड़ी गहनता और गम्भीर बात है जानिएगा? कभी भी आप जब तक पार नहीं होते जिससे आपके ऊपर उसकी गहनता न छा जाए। हुए अप मेरे पैर पर मत आइए। और इसीलिए मना क्योंकि जो गहनता है वो पाने की चीज है। वो पाने किया गया था कि किसी के सामने बंदगी नहीं की चीज़ है उससे दबता नहीं जाता आदमी। उसमें करना चाहिए, बंदगी उसी के सामने करना चाहिए बहकता नहीं है उससे दबता नहीं है ? उसमें जो परमात्मा से आपको मिलाए। जब तक ये पनपता है। घटना आप में घटित नहीं होती तब तक आपको बिना तत्व के कोई भी चीज़ को मानना नहीं 1... अधिकतर लोग पार हो गए हैं मेरे ख्याल चाहिए। इसलिए जो हमारा सुरक्षा का तत्व है से। पार होते वक्त्त आप देखिएगा आपके अन्दर उसके बारे में मैंने आपको बताया। कल बाकी के ठंडी हवा सी आएगी। और निर्विचार हो जाएंगे। तत्वों के बारे में बताउँगी। आज काफी लंबा चौडा अपने को निर्विचार रखने का प्रयत्न करें । विवरण दिया है। और मुझे एक बात की बहुत आँख बंद रखें-बिल्कुल-थोड़ी देर। मज़ा .... सारे पार विषय बहुत गहन था लेकिन तो भी आप खुशी हुई क्योंकि सबने कल कहा था कि कल उठाएंगे अपना।.. सिनेमा है तो कोई नहीं आएगा माँ Programme लोग पार हो गए । मैंने आज तक बात नहीं की में और मेरे पति आज ही बेचारे London जा रहे थे लेकिन उनको ऐसे ही छोड़कर मैं चली आई, आज पहली मर्तबा तत्व पर बात की Airport भी नहीं गई। मैंने कहा नहीं, जाना चाहिए, बस अठखेलियाँ करते हुए तत्व को पा लेना हो सकता है कोई लोग तो आएंगे ही और इसलिए चाहिए। मैं आई और मुझे बड़ी खुशी हुई कि आप लोग अपना सिनेमा' छोड़ कर भी यहाँ आए, अपने तत्व आपके हाथों में ठंडी हवा सी आने लगेगी। यही को ज्यादा महत्व दिया और इसीलिए मैं बहुत पाने का है। सब जीवन का उद्देश्य बस यही है। आज खुश हूँ। परमात्मा की कृपा से आज आप सूक्ष्म है, इसलिए सूक्ष्मता से देखें इस ब्रह्म तत्व को पाएं जो कि आत्मा का तत्व है। पार हो जाइएगा तो कल बड़ा मज़ा रहेगा और आत्मा का तत्व-ब्रह्म-तत्व, जो कि आपके हाथ से कल सब को लेकर यहाँ आइएगा। आपको मैंने लहरों की तरह बह रहा है। वहाँ हल्के फुल्के तरीके से समझाया, कोई चित्त पर seriousness नहीं आना चाहिए। लेकिन इसका परमात्मा आपको धन्य करें (निर्मल योग) 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-46.txt तत्व की बात-3 गांधी भवन, दिल्ली विश्वविद्यालय १६ फरवरी१६८१ सहज-योग की तारीफ तो मैंने बहुत पर अगर बरसात आ जाए तो क्या आप कहिएगा खोलकर कर दी। लेकिन असलियत यह है कि कि इस छत्र-छाया ने ही आपको तकलीफ दे नहीं-यह तो जानने की बात है। हमारे यहाँ भी दी ? आपने ही अपनी छत्र-छाया मिटा दी और अहंकार कुछ कम नहीं है विश्व में लेकिन बैकार की चीज का हमें अहंकार हो जाता है और यह ये छत्र-छाया है, ये आपके ऊपर छाई हुई है, तो इस तरह कुछ बेकार की चीजें हैं कि उसके बारे ये वास्तव में ये छत्र-छाया का आपके ऊपर में हम लोग जानते हुए भी कि महाबेवकूफी है, हम उसे करते रहते हैं। सहज-योग जो है आपको है ? यह तो छत्र-छाया का उपकार है, परम सत्य के दर्शन कराता है। सत्य जो है, था और उपकार है। उसने आपको अपनाया और अपने रहेगा। उसके मामले में आप कोई (compro- अन्तरगत् रक्खा और आपकी छोटी-छोटी बातों mise) समझौता नहीं कर सकते कि आप कहें कि का भी ख्याल रक्खा। चलिये, मों ऐसा ही क्यों नहीं कह देते आप, जो काम बन जाए। इस तरह से बोल दीजिये तो उनमें से जैसे कि मैंने आपसे बताया था कि लक्ष्मी अच्छा रहेगा। इस तरह से कह दीजिये तो अच्छा जी का भी प्रसाद आपको मिलता है। और लक्ष्मी रहेगा" ऐसी कोई बात सत्य नहीं है। जो है, सो जी का प्रसाद क्या होता है, यह भी मैंने आपको है, वो उसी तरह से रहना है। और अगर आप सत्य को नहीं मानना उनकी शक्ति विराजती है और लक्ष्मीजी कैसी चाहोगे तो उसका आपको भोग उठाना पड़ेगा। हैं ? इसका भी वर्णन मैंने आपको बताया था कि श्री माने ये नहीं कि सत्य आपको हानि देता है लेकिन लक्ष्मीजी जो हैं उनमें और पैसे वाले में महान अन्तर आप बाहर चले गये। पर सहज-योग में रहने से उपकार है या आपका उस छत्न-छाया पर उपकार सहज-योग में जो बहुत सी बातें होती हैं, बताया कि नाभि चक्र में श्री लक्ष्मीजी विराजती हैं. सत्य को अगर आप छोड़ दें तो असत्य पर उतर होता है लक्ष्मीजी कमल पर खड़ी हैं उनके हाथ आये। और जब असत्य पर उतर आये तो असत्य में कमल है और एक हाथ देने वाला और एक हाथ तो हानिकारक है ही, वो आपको तकलीीफ देगा। ऐसा भी हुआ है कि बहुत से लोग सहज-योग में देखने में तो काफी भारी-भरकम दिखाई देती हैं। आये, बहुत कुछ ऊँचे उठ गए, बड़ा उन्हें लाभ कभी आपने लक्ष्मीजी को एकदम ऐसा न देखा हुआ बहुत कुछ पा लिया, बहुतों को पार किया, होगा जैसे कि आजकल की beauty queens होती उसके बाद उन्होंने सहज-योग छोड़ दिया। उसके है। लेकिन उनकी तन्दरुस्ती काफी अच्छी है क्योंकि बाद आप एक साल बाद आये, "कि मां मुझे तो उनके अपने अन्दर बहुत कुछ ज्यादा पानी का बीमारी हो गई अब मैं क्या करुूं?" ऐसे भी बहुत समावेश है। उनका जन्म ही पानी से हुआ है न। से लोग होते हैं। तो कहने लगे कि "देखो जिसका जन्म पानी से हो, उसके अन्दर तो पानी आश्रय में कमल पर ये खड़ी हैं सो लक्ष्मीजी सहज-योग ने हमें सज़ा दे दी। ऐसे भी बहुत से बहुत होना पड़ता है। उसकी भी वजह होती है। लोग होते हैं। सहज-योग ने आपको सज़ा नहीं उसके अन्दर पानी न हो तो उनके अन्दर जो इतने दी लेकिन अगर आप किसी की छत्र छाया में बैठे चक्र चलाने पड़ते हैं उसके लिए buffer (बफर). हैं और उसे छोड़कर आप बाहर जायें और आप उसके लिये रुकावट, उसके लिये एक बीच में 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-47.txt फरवरी 2005 वैतन्य लहरी जनवरी 46 बचाव और कुछ नहीं रह जाता इसलिये पानी पर जितना भी ज्यादा रुपया होगा वो उतना ही शरीर (body) में होना बहुत जरूरी होता है और ज्यादा नखरे कर रहा है जितना आदमी गरीब द।। इस वजह से भारी-भरकम होती हैं। तो भी वो होगा, अपने देश में, उतने ही उसके कम नखरे कमल के ऊपर खड़ी हैं, माने उनकी तबियत से होंगे लेकिन जितना आदमी रईस हो जायेगा इस कदर शब्द नहीं हैं हिन्दी में-पर जिसे कहना उतने ही उसके नखरे ज्यादा हो गये और लक्ष्मीजी चाहिए कि इस कदर वो सधी हुई हैं कि तब्रियत से के कोई नखरे नहीं बेचारी के। बो तो कमल पर वो इस कदर सधी हुई है कि पूरा बैलेन्स अब भी खड़ी हुई हैं और पूरे समय खड़ी ही रहती (balance) करके और उनका कोई वजन ही नहीं हैं डालतीं वो, कमल पर कोई उनका वज़न नही को लेट ही जाऊँ। कोई भी समय वो इस कमल डलता, कि अपना बोझा वो किसी पर नहीं डालती। आप देख लीजिये लोग कितना बोझा दूसरों पर को सम्भाले हुए खड़ी रहती हैं, बिल्कुल हल्की सी। डालते हैं। अब जैसे कोई मेहमान आ गये आते कभी यह भी नहीं कि मैं थक गई हैं, मैं थोड़ी देर पर अपने शरीर को सम्भाले हुए, इतने बड़े शरीर किसी को महसूस ही नहीं होता है। यह असली ही साहब, हमारे खासकर सहजयोगी लोग भी लक्ष्मी तत्व की निशानी है। जिस आदमी में वास्तविक कभी कभी ऐसा काम करते हैं, यह खासियत लक्ष्मी है, उसका काहीं भी बोझा नहीं लगता। ऐसा हिन्दुस्तानी सहजयोगियों की भी होती है। जैसे कि आप कहीं से आये, अब देहली में सौरभ सब तरफ फैलता है लेकिन उसकी कोई भी आ गये कोई सहजयोगी। तो वो पहले कहेंगे कि चीज़ महसूस नहीं होती। कहीं भी वो आपको नहीं साहब यहाँ कुछ आराम हमें नहीं मिल रहा और जताता है कि आप पैसे वाले हैं या आप पैसे वाले यहाँ पर हमें खाने को ठीक नहीं मिल रहा है। यहाँ नहीं हैं, या उसके पास ज्यादा पैसा है या आपके यह इन्तज़ाम ठीक नहीं है, यहाँ कोई इन्तजाम पास इस चीज की कमी है। वे तो इस तरह से ठीक नहीं है जैसे अपने घर में तो ये लोग बिल्कुल रहता है कि किसी को पता ही नहीं चलता कि कैसे आलीशान बगीचों में ही रहते हैं। यहाँ आते ही अब आये और कैसे गये । वो इस तरह से जीवन सब उनको सब पता हो जाता है कि साहब यहाँ बिताता है कि जैसे किसी का पता ही नहीं चलता। की यह चीज ठीक नहीं है, यहाँ फलानी चीज़ लेकिन अधिकतर पैसे वाले तो पहले बीन बजा कर अच्छी नहीं है। कोई अगर बम्बई आये तो उनका घूमेंगे कि साहब मैं बड़ा पैसे वाला हूँ । कुछ नहीं तो आदमी जहाँ भी रहता है उसकी सुगन्ध उसका 1 भी यही हाल है। मतलब आप एक कॉटा बनकर अजीब तरह का hom लेकर रास्ते में बजाते चलेंगे रहते हैं, हर जगह की तरह आप फूल जैसे नहीं जिससे कि लोग मुड़ मुड़ कर देखें कि कौन गधा रहते, आप कॉटे की तरह है। हर आदमी को आप चुभते रहते हैं। हर आदमी को महसूस होना होना चाहिये। हर चीज़ की artificiality होनी चाहिये। चाहिए कि आप आए हुए हैं, आप एक विशेष चीज़ एक एक तमाशा आदमी खड़ा कर देता है अपने हैं। आप कोई न कोई विशेष चीज़ हैं। इस तरह से नाम से क्योंकि वो पैसे वाला है। यह लक्ष्मीजी की हम लोग अपना जीवन जो है वो सोचते हैं कि बात नहीं, लक्ष्मी बहुत ज़्यादा एकदम ऐसे तरीके से हमने बहुत महत्वपूर्ण कर लिया और जिस आदमी रहती हैं सम्भली हुई, सधी हुई कि किसी को पता चला जा रहा है हर चीज़ का दिखावा (show) 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-48.txt चैतन्य लहरी जनवरी -फ़रवरी 2005 47 ही न चले। एक हाथ से उनके दान होना चाहिये, नहीं हो सकता। अगर आप left को या right को वह दान भी किसी को पता नहीं होना चाहिये कि किसी भी अतिशयता पर चले जायें तो आपको दान हो रही है। जैसे बह रहा है, जा रहा है. दे कैसर (cancer) हो सकता है इसलिये आपको रहा है, लेने का सवाल नहीं और दूसरे हाथ से बीचों बीच रहना है। आश्रय होना चाहिये जो उनके आश्रित हैं वो सब आशीर्वादित होने चाहियें, बजाय इसके कि बहुत से ने हजारों लोगों ने सिगरेट पीना एकदम छोड मालिक अपने नौकरों को मारते हैं, पीटते हैं, यह दिया| इसी तरह से जिनका गुरुतत्व ठीक हो गया करते हैं-नहीं, आश्रित माने उनको पूरी तरह से उन्होंने शराब वर्गैरह एकदम छोड़ दिया। जो लक्ष्मी जी के आश्रित होते हैं उनको पूरी तरह अब जो विशुद्धि चक्र है उसकी विशेषता यह है कि 1 सहजयोग में आने के बाद हजारों लोगों से वरद हस्त होता है, पूरा वरदान होता है। और उनके दोनों हाथ में कमल होते हैं। मनुष्य बन गये तभी विशुद्धि चक्र पूरी तरह से कमल गुलाबी रंग के होते हैं और गुलाबी रग के प्रादुर्भावित हुआ। इससे पहले इसका जो काम था कमल इस बात के द्योतक हैं कि बो प्रेम की वो पूरा नहीं हुआ था और अब जो है 16 इसकी निशानी हैं। गुलाबी रंग जो है वो उनके प्यार की कलाएं हैं। श्रीकृष्ण को 16 कला कहते हैं। और निशानी, प्रेम की निशानी; वो बिल्कुल ही नाजुकतम उसी तरह से 16 उसके subplexus हैं। जिसका पंखडियों में भंवरे जैसा काँटे वाला प्राणी होता है, विशुद्धि चक्र ठीक होगा उसका मुखडा सुन्दर उसे भी स्थान देती हैं; कहीं से भी चला आये उसे होगा, तेजस्वी होगा उसकी आँखें तेजस्वी होंगी, रहने का इन्तजाम है। हर समय उसके लिये उसके नाक नक्श तेजस्वी होंगे और उसके अन्दर इन्तजाम रहता है। ऐसा आज तक मैने तो कोई एक तरह का बहुत ही ज्यादा detached सा भाव पैसे वाला नहीं देखा कि उसके दरवाजे कोई चला होगा जैसे कि ड्रामा जैसा। उस आदमी के मुख पर आये और अच्छा भाई तुम्हें कोई जगह नहीं, आओ ऐसा लगेगा जैसे किं ड्रामा चल रहा है। एक पल मेरे घर सो जाओ। वो तो चार चार दरबान लगा में वो नाराज होगा और दूसरे ही पल में बो हंसता कर रखेगा कि कोई अच्छा भला भी आदमी हो तो रहेगा। बस उसकी अठखेलियाँ चलती रहेगी उसको पीट के. मार के भगा दें । विशुद्धि चक्र. जब हमने गर्दन उठाई और जब हम जिसका विशुद्धि चक्र खराब हो जाता है इस प्रकार हमारे अन्दर जो लक्ष्मीजी का उसकी शक्ल खराब हो जाती है, पहली बात। तत्त्व है वो हमारे नाभि चक्र में है इसके बारे में मैंने अजीब सी विकृत सी शक्ल हो जाती है, अजीब आपसे बता दिया। जैसा वो है वैसा ही है। उस सी भयानक सी उसकी शक्ल दिखाई देने लगती तत्व को हम बदल नहीं सकते। बाहर का आप सब है, कभी डरावना सा कभी डरा हुआ सा। अब हम कुछ बदल दीजिये लेकिन उसका तत्व जो है वही लोग इतने ड्रामे beauty-क्या क्या करते हैं न हम बना रहेगा। तत्व न बदल सकता है. न ही उसको लोग. उसके लिए धन्धे कोई करने की जरूरत आप बदल सकते हैं। नहीं। आप अपना विशुद्धि चक्र ठीक कर लीजिये सुषुम्ना पथ पर अगर आप रहें तो आपको आपकी शक्ल दुरुस्त हो जायेगी-बहुत शक्ल दुरुस्त विशेषकर कैंसर हो जायेगी और इसके अलावा, जिसको विशुद्धि कोई बीमारी नहीं हो सकती ीक 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-49.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 48 चक्र की पकड़ हो जाती है उस आदमी की आदमी अपनी पेशानी अपनी किसी गरज के लिये आवाज बहुत कर्कश या बिल्कुल धीमी या वो दूसरों के सामने झुकाता है या किसी भी नीच मधुरता का खो बैठता है। और दूसरी चीज़ यह है आदमी के सामने इसलिये झुकाता है कि उसे वो कि हमारे अन्दर विशुद्धि - चक्र की जो left-side है, गुरु या और कुछ उसे मानता है तो उसकी right जिसे कि हम कह सकते हैं कि हमारे चक्र के left- विशुूद्धि पकड़ जाती है और right विशुद्धि पकड़ने side में विराजती है वो विष्णु-माया है, माने श्री के नाते बहुत तरह के complications होते हैं कृष्ण की बहन जो विष्णु-माया थी। अब जब विशेषकर कि cancer की बीमारी इसमें हो सकती हमारे भाई बहन के रिश्ते खराब हो जाते हैं किसी है । क्योंकि जो लोग चापलूसी में जाकर इसके पैर भी माने में तो यह चक्र खराब हो जाता है। जब छ रहे हैं उसके पैर छ रहे हैं, उसके ये कर रहे भाई बहनों की कद्र नहीं करता. अपनी बहनों को सताता है, तो भी चक्र खराब हो जाता है लेकिन के सिवाय और किसी के सामने अपना सिर नहीं जब संसार में हम हर औरत की ओर गंदी नज़र झुकाना है। और किसी के सामने सर झुकाने की से देखते हैं और हमारे अन्दर यह विचार नहीं रह हैं, करते हैं, जान लें कि आखिर आपको परमात्मा जरूरत भी क्या है, बह दे भी क्या सकता है ? बहुत जाता है कि यह हमारी बहन है तब यह चक्र बहुत से लोग हमें कहते हैं कि वो सन्त-साधु थे हमने ही बुरी तरह से खराब हो जाता है। और जब left विशुद्धि खराब हो जाती है तब आदमी को यह और भोंदू लोग हैं, नहीं तो 420, या दानव और लगता है कि मैंने बड़ी गलती करी. अन्दर से यह माथा उनके सामने झुकाया। अधिकतर तो ढोंगी राक्षस ही हैं अच्छा अगर यह नहीं हुए तो समझ लगता रहता है और वो एक तरह guilty आदमी हो लीजिए एक साधु-सन्त है, वो पार भी है, समझ जाता है। कभी-कभी यह guit इतना बढ़ जाता है लीजिए, तो भी इन्सान है, भगवान तो नहीं है। कि उसमें से अनेक पाप होने लग जाते हैं। अवतार तो नहीं है। जब तक कोई अवतार नहीं हो complex उसके अन्दर आ जाता है। इसलिये तो अपना सर झुकाने की क्या ज़रूरत है। तुम भी सहज-योग में इसका मन्त्र है, अंग्रेजी में तो कहते कल हो सकते हो पार, और तुम भी कल सन्त हो हैं "I am not guilty" और हिन्दी में कहते हैं "कि माँ हमने कोई गलती नहीं करी जो तुम माफ नहीं झुकाना दूसरी बात है क्योंकि उसके सामने सारे करो। right side की जो चक्र खुलते हैं। सिर्फ अवतार के सामने ही सर विट्ठल-रुकमणी वाले कृष्ण, जब कि कृष्ण राज्य झुकाना चाहिए। यह दूसरी बात है कि अपने मों कर रहे थे तब। जब हम अपने राज्य में विराजते बाप हैं उनके सामने सर झुकाओ, वो तो एक है, माने हमारा राज्य परमात्मा का राज्य हुआ, और रोजमर्रा का एक व्यवहार है उसकी बात दूसरी है । जब परमात्मा के राज्य में हम विराजे हुए हैं और तब भी हम भिखारी जैसे बक बक करते हैं, और लिए, ये बात दूसरी है। एक बार वो कर लिया वो लोगों से रुपया माँगते हैं, पैसे माँगते हैं और उनकी तो सम्मत है । चापलूसी करते हैं और उनके सामने अपनी पेशानी झुकाते है तब right विशुद्धि पकड़ जाती है। जो रहे हैं महाशय जी उधर से, और कहा कि साहब सकते हो। लेकिन जो अवतार है उसके सामने सर विशुद्धि हैं ये शादी में गये, माँ बाप के पैर छू लिए, बड़ों के पैर छु लेकिन हर बार जिसको देखिए वो चले आ 1. 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-50.txt जनवरी - फरवरी, 2005 चैतन्य लहरी 49 यह तो minister साहब के यहाँ बिल्कुल उनके आपकी left विशुद्धि पकड़ती है और इस left विशुद्धि चमचे हैं चले चार और चमचे उनके पीछे उनके पैर का इलाज यही है कि उस मन्त्र को जो है जागृत कराना। अगर कोई मन्त्र जागृत नहीं है तो उसे होती है वो इस कदर दुख में पड़ जाते हैं और रटना ही नहीं है। और मन्त्र जागृत तभी होता है इतनी तकलीफें उठाते हैं कि मैं उन लोगों को जब कोई realised soul आपको मन्त्र बताये और ठीक करते करते तंग आ गई क्योंकि मनुष्य को वो भी निदान कर बताये कि आपको कहाँ तकलीफ अपनी इज्जत और अपनी शान का पता नहीं। ये है, कौन सी तकलीफ है, किस जगह कौन सा मन्त्र चक्र जो है इसने आपको शान दी जिसने आपके कहना है। अगर वो बराबर आपको यह बता सके तो आप उस मन्त्र को कहें तो आपको मन्त्र सिद्धि हर जगह झुकाते फिरें और अपने को नीचे गिराते हो सकती है। सहज-योग में आज ऐसे हज़ारों फिरें आप बहुत बड़ी चीज़ हैं। भगवान ने आपको लोग हैं जिन्होंने मन्त्र को सिद्ध कर लिया है। इतने एक अमीबा से इन्सान बनाया और जब आप इस मन्त्र सिद्ध हैं उनके कि वो अगर अपनी जगह में हालत में आ गए तो आपको जरूरी है कि आप भी बैठकर मन्त्र कह दें तो उससे जो काम करना इसकी इज्ज़त करें, अपनी इज्ज़त करें और अपनी है करा सकते हैं। मतलब है बुरा काम तो सहजयोग जो शान है उसको समझे। दूसरी बात यह है कि में कोई कर ही नहीं सकता लेकिन अच्छे कर बहुत से लोगों का यह भी है कि दूसरों से डरते सकते हैं । ऐसे ऐसे लोग पहुँच गये हैं सहजयोग में, रहते हैं। यह भी चक्र है इससे left विशुद्धि पकड़ दिल्ली में नहीं हैं इतने, दिल्ली में कोई लोग बहुत जाती है। जब आप किसी आदमी से डर जाएं; पहुँचे हैं, लेकिन इतने ज़्यादा लोग नहीं हैं। बाकी वास्तव में आप बेकार ही में डर रहे हैं तब आपकी ऐसे बहुत से लोग जिन्होंने मुन्त्रों को एकदम सिद्ध कर लिया है और सिद्धता के लिए मन्त्र पर मेहनत करनी पड़ती है। बैठ कर मेहनत करनी पड़ती है, उस पर बोलना पड़ता है, अपने चक्रों पर ध्यान करना पड़ता है और उसकी सिद्धता हासिल हो जाती है। अगर किसी ने गणेश का मन्त्र सिद्ध कर लिया है तो वो आदमी इतने कमाल कर सकता है कि कोई हद नहीं । लेकिन अभी तक सहजयोग में ऐसे बहुत थोड़े लोग हैं कि जो इस ओर ध्यान देते हैं और जिन्होंने भी ध्यान दिया, ऐसे मैंने से छूने के लिए। इस तरह की जिन लोगों की दशा सर को ऊपर उठाया। यों नहीं दी कि इसको आप left विशुद्धि पकड़ सकती है। विशुद्धि चक्र बहुत महत्वपूर्ण है और विशुद्धि चक्र के पकड़ने से अनेक तरह की बीमारियाँ आती हैं। सबसे खराब बात यह है कि जब आप पार भी हो जाते हैं तो भी आपको vibrations नहीं आते। आपको महसूस नहीं हो पाता। आपकी जितनी nerves हैं हाथ की मर जाती हैं तो हाथ पर आपको महसूस नहीं होता। और लोग कहते हैं कि माँ हमको अन्दर तो महसूस हो रहा है पर हाथ पर बहुत महसूस नहीं होता और इसलिए उनको परेशानी लोग देखे हैं जिन्होंने मन्त्र को इतनी जल्दी सिद्ध हो भी जाती है। सबसे बड़ी खराबी विशुद्धि की कर लिया है कि मुझे आश्चर्य होता है। उनके एक यह है। अगर आपने गलत मन्त्र कहे हैं, आपने ही मन्त्र से कितना बड़ा कार्य हो जाता है। इसलिए किसी ऐसे आदमी से मन्त्र लिया है जो अनाधिकार मैं आपसे कहती हैँ कि अपने विशुद्धि चक्र को आप है, जिसने आपको झूठे मन्त्र दिये हैं, इस सबसे स्वच्छ रखें। विशुद्धि चक्र जो है यह विराट है। 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-51.txt फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 50 कृष्ण विराट-स्वरूप हैं। अन्त में कृष्ण विराट हो बीचों-बीच में रहना चाहिये। जाते हैं। सारा जो evolution (उत्क्रान्ति) है ये सिर्फ विष्णु शक्ति से होता हैं तो विष्णु बनते बनते अनेक तरीके हैं क्योंकि सोलह उसकी कुल कलाएं आखिर विराट हो जाते हैं। विराट का स्थान ये है, हैं और सोलह हजार इसकी शक्तियाँ हैं जो कृष्ण ये विराट का स्थान है इसी से विशुद्धि चक्र को के साथ उनकी पत्नियोँ बनकर उनके समय में रही ठीक करने के लिए ये पेशानी आप किसी के सामने थी। यदि कोई कृष्ण के ऊपर कहे, वो इस तरह के मत झुकाइये। ये विराट के सामने ही झुकनी आदमी थे तो बड़ा आश्चर्य होता है क्योंकि वो चाहिये क्योंकि आप विराट के अंग प्रत्यंग हो गये योगेश्वरों के योगेश्वर थे उनको समझने के लिए विशुद्धि चक्र के अनेक दोष हैं । उसके हैं। अब आप पार हो गये। अब खबरदार, अगर जो आपको बहुत कुछ अधिक सीखना पड़ेगा। वो स्वयं आपने अपनी पेशानी किसी के सामने झुकाई। साक्षात् योगेश्वर थे ये उनकी 16000 शक्तियाँ थी अगर आपने किसी के सामने झुकाई है तो आप जिनको उन्होंने जन्म दिया था इस संसार में और विराट को भूल गये मोहम्मद साहब ने बहुत बड़ा फिर उनको ही उन्होंने कैद करवाया और फिर मन्त्र विराट का कहा है "अल्लाह हो अकबर" और उनसे विवाह किया क्योंकि उनके पास सहजयोगी ये मन्त्र जो मोहम्मद साहब ने (वो साक्षातु दत्तात्रेय तो थे नहीं तो उन्होंने सोचा कि ठीक है मैं अपनी थे) और उन्होंने ये मन्त्र कहा हैं कि आप "अल्लाह शक्तियों को ही साकार स्वरूप में संसार में भेजता हो अकबर" कहो। अकबर माने great, माने विराट । हूँ और उन्होंने जो सबसे बड़ा कार्य किया है कि ये जो उंगली विशुद्धि की है, दोनों उंगली कान में उन्होंने इसे पूरी तरह से बीज को फैलाया और ईसा मसीह ने बाद में आज्ञा चक्र में आकर कहा कि | डाल कर ऊपर पीछे की तरफ गरदन कर के अल्लाह हो अकबर " कहें तो आपका विशुद्धि चक्र कुछ बीज़ इधर पड़ गये, कोई बीज उधर पड़ गये, खुल जाता है । इसके अलावा और बहुत से आसन कोई बीज इधर पड गया । जब ईसा मसीह अपने आदि हैं। इसके मामले मे मैं आपको बता नहीं बाप की बात करते हैं तो वे तीसरा कोई नहीं सकती आज, लेकिन अनेक तरीके से यह ठीक हो हैं, वो कृष्ण ही हैं कृष्ण ही उनके पिता हैं जब सकता है और उसको ठीक रखना चाहिये सबसे भी ईसा मसीह की उंगलिया देखिये तो ये दो बड़ी बात है कि आपकी जबान से कोई सी भी उंगलियां हैं । यह उंगली विष्णु की है, यह उंगली कडवी बात किसी से कहनी नहीं चाहिये और कृष्ण की है । हमेशा उन्होंने अपने बाप की बात की किसी की भी चापलूसी करने की जरूरत नहीं है। इसके लिये आप अगर पढ़ते हों तो देवी-भागवत् और अगर कोई सहजयोग को नहीं मानता तो पढ़ें इसमें महा विष्णु का वर्णन है जो राधाजी का साफ कह देना चाहिये कि रहने दीजिये " यह पुत्र बनाया हुआ था और बिल्कुल वही चीज़ ईसा आपके बस का नहीं, छोड़िये।" न ही किसी के मसीह हैं । उनके दो हिस्से थे एक हिस्सा श्री सामने चापलूसी करने को जरूरत है, न ही किसी गणेश और एक ईसा-मसीह, आगे चलकर के एका के सामने घिघियाने की जरूरत है और न ही दश-रुद्र में यही जो बड़ी भारी शक्ति है वो उनकी किसी से कठिन बात करने की जरूरत है । मानते शक्ति है इसीलिये वो मरे नहीं उनका resurrection हैं तो ठीक है वरना छोड़ दीजिये बस काम खत्म । (पुनरुत्थान) हो गया वे साक्षात् प्रणव है जो कि दूसरा 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-52.txt फरवरी, 2005 जनवरी चैतन्य लहरी 51 संसार में आया और इस संसार से उठकर चला हे प्रभु ! हमारे अपराधों को क्षमा करो।" यही मन्त्र गया। यह साक्षात् गणेश था जो इस संसार में आज्ञा चक्र का है, आपको आश्चर्य होगा और आया और इसीलिए उसको कोई चीज़ मार नहीं बहुत बार मैं आपसे कहती हैं कि " माफ कर दो, सकी यह एक ही अवतार ऐसा परमात्मा ने भेजा माफ कर दो, माफ कर दो" क्योंकि आपका आज्ञा था जो साक्षात् प्रणव मात्र था। इनका क्रास पर चढ़ाना, जो है वो इसलिये हुआ था कि आज्ञा चक्र को उनको खोलना था, आज्ञा चक्र को। जब चक्र पकड़ा है। अहंकार और प्रति-अहंकार दोनों के बीच इनका स्थान है जहाँ पर पिट्च्यूटरी (pi- tuitary) और पीनीयल (pineal body) बाडी भी दोनों को सम्भालती है इनके बींचों-बीच एक बहुत सुक्ष्म स्थान आज्ञा का है और यह दोनों इस पर काम करते हैं। शुरुआत तो दोनों की विशुद्धि चक्र से होती है पर इनका चलन-वलन और सम्भालना पुनरोत्थान है। उन्होंने उसमें से पुनरुत्थान और (steering) स्टीयरिंग जो है वो आज्ञा चक्र से करके दिखाया। उन्होंने मर करके जी कर दिखाया होता है जिस पर साक्षत् महागणेश और महाभैरव वही सहज-योग हैं कि जिसमें आपका भी जो बैठे हैं और जो सामने की तरफ यहाँ, ये जो मनुष्य ने अपनी बेवकूफी से उनको क्रास पर चढ़ा दिया तब मानो जैसे कि उन्होंने सबके लिये अपने को उस आज्ञा-चक्र से निकाल दिया और उनका जो सन्देश है वो क्रास नहीं है उनका सन्देश जो है हुए आज्ञा चक्र के, ये जो है यहाँ पर ईसा-मसीह का स्थान है । ईसा-मसीह महा विष्णु हैं और उनके conception है वो immaculate है यानि आप भी माँ के हृदय गर्भ में आप आते हैं और वहाँ से भीँ आपको ब्रह्मारन्ध्र से पैदा करती हैं आप जो लिये पहले है वो मर जाते हैं और एक नये हो जाते हैं। ईसा मसीह ने यह सबसे पहले, उन्होंने करके तुम्हारा रहेगा और तुम सारे संसार का आधार बन ने कहा था कि मुझे जो-जो चीज़ कृष्ण संसार में अर्पण करेंगे उसमें से सोलहवां हिस्सा बेटा माँ का था और कर आओगे और मेरे दिखाया था। वो सबसे बड़ा वो आपका सबसे बड़ा भाई है जिसने यह सबसे पहले इतना बड़ा काम करके दिखाया । और आज उसी बूते पर आप लोग पार हो रहे हैं। जो भी incarnations (अवतार) आते हैं वो अगवाई करते हैं। एक step forward जो होता है , वो अगवाई करते हैं और उन्होंने यह बड़ा भारी महान से भी ऊपर तुम्हारा स्थान रहेगा। हालांकि श्री कृष्ण का स्थान यह है विराट का, लेकिन यहाँ पर बीच में आज्ञा चक्र में दोनों जगह विशुद्धि और विराट के बीचों-बीच में उन्होंने अपने बेटे को बैठाया है और राधाजी उनकी माँ थीं, वही मेरी थीं। राधाजी जो थीं वो ही संसार में मेरी (Mary) के रूप में आई थीं और बो ही इस बेटे को कार्य किया था। और आज्ञा चक्र पर जो आदमी लाई। यह सारा खेल और नाटक इसलिये किया पार हो गया है बो जानता है कि हमारा मन्त्र उस गया कि मनुष्य अपनी मूर्खता को समझ ले कि पर सहज-योग में Lord's prayer है। Lord's अहंकार में अपने ego में उन्होंने ईसा-मसीह जैसे prayer से आज्ञा चक्र एकदम छूट जाता है। आदमी को, जोकि साक्षात् ब्रह्मस्वरूप थे, उनको जोकि उसमें कहा है कि जैसे कि हम अपने अपराधों को क्षमा करते हैं, अपराध जि्होंने हमारे खिलाफ किये हैं उनको क्षमा करते है, उसी प्रकार तक पहचाना नहीं। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता। ईसा-मसीह ने कहा है " कि मेरे खिलाफ़ 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-53.txt चैतन्य लहरी जनवरी - फरवरी, 2005 52 चाहे आपने कुछ भी कहा हो उसकी मैं माफी first residence in the litte Surrey Hills, और करता हूँ और मेरे साथ आपने कोई भी ज्यादती की यहाँ तक लिखा है कि उनके जो प्यार के है उसके लिए मैं माफी देता हूँ लेकिन अगर Holy brations (वाईब्रेशन) हैं जो स्नायु हैं वो ईश्वर की Ghost माने आदिशक्ति के खिलाफ अगर किसी ने तरह हर जगह, हर एक समय विद्यमान हैं । और जरा सा भी कंदम उठाया तो उसको मैं देख इतनी बारीक चीज़ सहज-योग की लिखी है और लूगा "साफ साफ शब्दों में कहा हैं। उसका सबसे बड़ी बात जो उन्होंने लिखी है वो यह कि punishment जो है बो बहुत गहरा होगा। सहज-योग में लोग prophets होएगे यानि प्रेषित साफ-साफ उन्होंने इन शब्दों में कह दिया कि यानि पार हो जायेंगे। ये भगवान के लोग है (Men अगर आप बाइबल (Bible) पढ़ें तो आप देख लें। of God) जो पार हो जायेंगे और एक विशेष बात इसका मतलब उन्होंने कह दिया कि Holy Ghost होगी कि ये लोग जो पार होगें बो दूसरों को भी (आदिशक्ति) संसार में आने वाले हैं और prophets बनाएगें इसका सारा वर्णन उन्होंने दे Holy Ghost से ठण्डी हवा आयेगी.Cool breeze दिया है। इसी तरह से Bible में भी John के आयेगी, यह भी बाइबल में लिखा है। इसलिये Revelations में सहज-योग के बारे में सब कुछ ईसाई लोग मुझे जरा ( मतलब हिन्दुस्तान के नहीं लिखा हुआ है जो समझने वाले हैं वो उसे पार लेकिन बाहर के) मुझे बहुत जल्दी मान जाते हैं होने के बाद समझ सकते हैं। इसी तरह की क्योंकि यह पहचान है Holy Ghost की। यह भविष्यवाणियाँ हर एक जगह हुई हैं। जो समझदार आदि-शक्ति की पहचान है। और किसी से भी लोग हैं वो सब कुछ समझते हैं लेकिन जो समझदार ऐसी ठंडी हवा नहीं आती है जैसी Holy Ghost से नहीं हैं उनके लिए काला अक्षर भैंस के सामने क्या आती है, जैसे कि लिखा हुआ है। Vi- होता है वैसी ही बात है। इसी तरह की चीज़ है कि पर सबसे तो आश्चर्य है वहाँ एक विलियम आदमी को समझाने के लिए ही पार कराना पड़ता ब्लेक (William Blake) नाम का आदमी जोकि है। बहुत बड़ा कवि सौ साल पहले हो चुका है, उसने यहाँ तक लिख दिया है कि हमारा आश्रम कहाँ आप भी इस बात को नहीं समझ सकते। इसलिए रहेगा। Lambethvale (लेम्बैथवेल) में आश्रम रहेगा आप पहले पार हो जाइये फिर आप समझेंगे और जहाँ ruins (खंडहरों) में foundations (नींव) जब तक आपके अन्दर प्रकाश नहीं आएगा, पूरी बात को आप जानेंगे। पार हुए बगैर कोई भी पड़ेंगे, जो सही बात है। और जब पहले पहल जब बात करना व्यर्थ जाएगा| अच्छा, अब बहुत समय मैं London गई थी, तो तब जहाँ Surrey hills (time ) हो गया है, अब आप पार हो जाइये। (सरे-हिल) में मैं रहती थी. वह भी लिखा है कि अनन्त आशीर्वाद (निर्मल योग) 2005_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_I.pdf-page-55.txt oं पार करी ल A \b ৮ मह कु्डलिा जा शा राह परद्ानीय] परप पुमाताजी ति । जयग आज को महा र