२० चैतन्य लहरी मार्च= अप्रल 2006 9COKL चै त न्य री लह सहज संघ सूचना एवं ( विशेषांक) AMAL समाचार इस अंक में सर सी पी. श्रीवास्तव सम्मानित सर सी पी. श्रीवास्तव का अभिनन्दन समारोह सहज समाचार एवं सूचनाएं 2. ३ सहज-संसार घोषणाएं एवं समाचार स्वान विश्व परिषद के वर्तमान सदस्य परमपूज्य श्रीमाताजी का सन्देश, 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' सहजयोग विश्व परिषद द्वारा प्रस्तावों की स्वीकृति सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद (WSCASY) जिम्मेदारी की विनम्र स्वीकृति का प्रस्ताव सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद सामूहिक नेतृत्व के प्रति श्रद्धा संकल्प सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद लक्ष्य वक्तव्य 5. 6. 6. 7. 10 10 ৪ 11 9. 12 10. इंटली में नए सामूहिक नेतृत्व की घोषणा रूस में नए सामूहिक नेतृत्व की घोषणा यू.के. सहजयोग प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय समिति स्विटज़रलैण्ड में नए नेतृत्व की संरचना राष्ट्रीय ट्रस्ट परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी एवं सहजयोग ट्रस्ट की मीटिंग के अवसर पर दिया गया सन्देश कबैला की सम्पत्तियाँ विश्व सहज सामूहिकता को भेंट न्यू जर्सी में गुरु पुजा के अवसर पर WCASY का दूसरा रचनात्मक सत्र सहजयोग इतिहास की महत्वपूर्ण घटना कुछ महत्वपूर्ण संस्थानों तथा परियोजनाओं की उनके सम्पर्क पतों/कम्प्यूटर सूचना/ समाचार पत्रिकाओं/समाचार पत्रों और विश्व भर में नियमित रूप से छपने वाली सहज पत्रिकाओं के सदस्यता शुल्क की सूची सहज परियोजनाओं की सूची 1. निर्मल इन्फोस्टिमज़ एवं टैक्नोलोजीज प्रा.लि. 2. छिन्दवाड़ा, श्रीमाताजी के जन्मस्थल (घर) का अभिग्रहण 3. विश्व निर्मल प्रेम आश्रम 13 11. 14 12. 13. 14 14 14. 15. 15 भारत 15 16. 16 17. 16 18. 17 19. 20- 19 20 21. 21 23 24 4. अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल, तालनू, धर्मशाला 5. अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग शोध एवं स्वास्थ्य केन्द्र, सीबीडी बेलापुर 6. श्री पी.के. साल्वे कला प्रतिष्ठान, वैतरणा, महाराष्ट्र ऑन लाइन सहजयोग सम्पर्क पते सहजयोग परियोजनाएं एवं प्रकाशित पुस्तकें 29 32 37 41 22. 42 22. {१১१ ব ी चै त नय ल हर प्रकाशक निर्मल इन्फोसिस्टम्ज़ एवं टैक्नोलोजीज़ प्रा. लि. 8 चन्द्रगुप्त हाउसिंग सोसाइटी, पॉड रोड, कोठरुड पुणे 411 029 नि मुद्रक कृष्णा प्रिन्टर्ज एण्ड डिजाइनर्ज त्रीनगर, दिल्ली 110035 मोबाइल 9868545679 एवं सदस्यता के लिए निम्न पते पर लिखें : श्री जी.एल. अग्रवाल आप अपने सुझाव निर्मल इन्फोसिस्टम्ज़ एवं टैक्नोलोजीज़ प्रा. लि. 222, देशबन्धु अपार्टमैंट, कालकाजी, नई दिल्ली-110 019 फोन : 26216654, 26422054 म काम अपने अनुभव, सहज सम्बन्धी लेख आदि निम्नलिखित पते पर भेजें : श्री ओ.पी. चान्दना र जी-11-(463), ऋषि नगर, रानी बाग दिल्ली-110 034 सर सी.पी. श्रीवास्तव, भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित ३० श्री शास्त्री, जो इस संस्थान के अध्यक्ष भी हैं, अन्ततः शनिवार प्रथम अक्तूवर (2005) भारतीय समयानुसार 4.30 सायं राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में वह चिरप्रतिक्षित क्षण साकार हो उठा जब ने कहा, "ये पुरस्कार उन लोगों को सम्मानित करता है जिनसे युवा पीढ़ियाँ प्रेरणा ले सकें। " माननीय राष्ट्रपति सर्वश्री ए. पी.जे. अब्दुल कलाम ने सर सी.पी. श्रीवास्तव विश्व जहाजरानी विश्व- सेवानिवृत्त आई.ए.एस. (I.A.S.) अधिकारी सर सी. पी. श्रीवास्तव (हमारे माननीय पापाजी) के जहाजरानी विद्यालय, माल्मो, स्वीडन के संस्थापक कुलाधिपति (सेवा-मुक्त) हैं। वे 'अन्तर्राष्ट्रीय जहाजरानी विधि समन्वे षण ( Maritime Exploration) तथा संस्था माल्टा' के अध्यक्ष और जहाजरानी शिक्षा एवं जन-प्रशासन, बिद्वता और प्रबन्धन क्षेत्र में श्रेष्ठ योगदान को स्वीकार करते हुए उन्हें प्रतिष्ठा पुरस्कार से प्रशिक्षण समिति (Committee on Maritime Education and Training), भारत सरकार, के अध सम्मानित किया। इस पुरस्कार में प्रशंसा पत्र (Citation), कीर्ति-पट्टिका (Plaque) के साथ-साथ एक लाख यक्ष भी रहे हैं। गौरवशाली क्षण पर उपस्थित सहजयोगी इस रुपये का नकद इनाम भी सम्मिलित था । प्रेमपूर्वक परम-पावनी माँ की उपस्थिति का स्मरण करते हैं और कहते हैं कि श्रीमाताजी की उपस्थिति ने सर सी.पी. श्रीवास्तव को 'लाल बहादुर शास्त्री बन्धु' पद-नाम दिया गया है और उनका नाम 'लाल इस अवसर को विशेष गुणवत्ता और मंगलमयता बहादुर शास्त्री प्रबन्धन संस्थान' की सम्मान-तालिका में अंकित किया गया है राष्ट्रपति भवन पुरस्कार समारोह में सम्मिलित होने वाले लोगों में अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठावान व्यक्तियों में प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह प्रदान की। वे अत्यन्त प्रसन्न थीं। सम्मानित किए जाने के पश्चात् सर सी.पी. को भाषण देने के लिए निर्मान्त्रित किया गया सर सी पी. श्रीवास्तव, हमारे पापाजी, ने उपस्थित लोगों को अपनी शक्तिशाली यू.पी.ए. अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी, केन्द्रीय गृहमन्त्री श्री शिवराज पाटिल तथा पूर्व केन्द्रीय मन्त्री और श्री अंग्रेजी भाषा में सम्बोधित करते हुए उन सेवाओं की प्रशंसा की जो उन्होंने स्वर्गीय श्री लाल वहादुर शास्त्री, लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र श्री अनिल शास्त्री भी थे। भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री, के सिद्धान्तों एवं पथ प्रदर्शन चैतन्य लहरी अक : 3.& 4 - 2006 में नाश्ते की पार्टी में सभी लोग एकत्रित हुए। यहाँ पर में की थी। उनका भाषण अपने आप में एतिहासिक सभी बरिष्ठ अधिकारियों ने बारी-बारी आकर श्रीमाताजी वन गया। को बधाई दी। श्रीमाताजी बहुत प्रसन्न थीं वें सम्भवतः. उपस्थित व्यक्तियों के अनुसार अपने भाषण क्यों, सम्भवतः क्यों! निश्चित रूप से भारत सरकार का समापन करते हुए सर सी.पी. ने स्पष्ट रूप से के अधिकारियों पर कार्य कर रहीं थीं। विश्वासपूर्वक कहा कि 85वें वर्ष में आज जो पद उन्हें प्राप्त है या अपनी जिन उपलब्धियों के लिए आज भी समारोह के पश्चात् पूर्व-प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री के सपुत्र श्री अनिल शास्त्री ने पापाजी द्वारा लिखित पुस्तक "लाल वहादुर शास्त्री की प्रतियाँ राष्ट्रपति को भेंट कीं ऐसा प्रतीत हो रहा था उनका सम्मान हो रहा है, उसका श्रेय श्रीमाताजी के साथ उनके 58 वर्ष के विवाहित जीवन तथा उन मूल्यों और प्रेम को जाता है जो उन्हें श्रीमाताजी से प्राप्त हुए न और उस प्रेम को जो उन्हें उनकी दोनों पुत्रियों-कल्पना मानो सभी कुछ सूक्ष्म रूप से घटित हो रहा हो! तथा साधना से प्राप्त हुआ। इस अवसर पर उपस्थित योगियों ने इस क्षण को 'ऐतिहासिक क्षण' बताया। अत्यन्त उल्लासपूर्वक उन्होंने ये भी कहा कि उनकी पत्नी निर्मला के रूप में श्रीमाताजी प्रेरणा का ग्रोत बनकर हमेशा उनके उन्होंने घोषणा की कि श्रीमाताजी अत्यन्त-अत्यन्त प्रसन्न थीं और पापाजी के शक्तिशाली भाषण ने सभी उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था चैतन्य का साथ रहीं और एक वार लाल बहादुर शास्त्री ने भविष्यवाणी की थी कि श्रीमाताजी के सिदधान्त जीवन-मूल्य बनकर मानव-हित के लिए कार्य करेंगे। केवल इसी पथ पर रहते हुए, सारी सामाजिक गतिविधियों को सुधारकर, जीवन को बेहतर बनाने में फेव्वारा चल रहा था। हर क्षण श्रीमाताजी से चैतन्य बह रहा था। ऐसा लगता था कि राष्ट्रपति भवन में उपस्थित भारत-सरकार के अधिकारियों को बेहतर मानव की सहायता करने में वे जुटीं रहीं। उन्होंने ये भी कहा कि आपकी प्रिय माताजी ने जिस पावन कार्य को कार्य करने के योग्य वनाने के लिए वहाँ पर्याप्त चैतन्य-लहरियाँ थीं। वहाँ उपस्थित एक योगी ने ये भी मेरे पूरे जीवन में इससे पूर्व मैंने कभी सहजयोग की ऐसी ऐतिहासिक घटना नहीं देखी है। पूर्ण करने का बीड़ा उठाया है, वे अब उसके प्रति पूर्णतः समर्पित हैं- मानवता को उन्नत करने और मनुष्य का अन्तर्परिवर्तन करके उसे मूल्यवान बनाने के कहा, इस क्षण के लिए मैं श्रीमाताजी का आभारी भारत के टी.वी. चैनल 'दूरदर्शन ने तथा 'दूरदर्शन कार्य के प्रति। तत्पश्चात् उन्हें प्रदान किए गए सम्मान के लिए राष्ट्रपति और सभी उपस्थित माननीय सदस्यों समाचार' ने उसी शाम इस घटना को प्रसारित किया। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे श्री विष्णुमाया भी इस महान का उन्होंने धन्यवाद किया। घटना की घोषणा करने के लिए बेचैन थीं। ये समारोह केवल आधे घण्टे का था। इसके जय श्री माताजी, पश्चात् भारत के राष्ट्रपति द्वारा दी गई चाय और गुड़गाँव सामूहिकता, भारत। सर सी.पी. श्रीवास्तव का अभिनन्दन समारोह कमानी सभागार दिल्ली, भारत म प्रिय भाइयो और वहनों, प्रतीत होंगे परन्तु उन्होंने, आकर्षक व्यक्तित्व की शक्ति, उनके प्रेम, करुणा, विनम्रता, विवेक और सिद्धान्तों के कारे में बताया। अत्यन्त प्रेम पूर्वक उन्होंने जिस घटना का पुनः स्मरण किया वह धी, प्रधानमंत्री और उनके बीच शास्त्री जी की विनम्रता पर हुई बातचीत। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय शास्त्री जी तब गृहमन्त्री थे और सर सी.पी. उनके केन्द्रीय सचिव। व्यक्तिगत रूप से, नमस्कार करते हुए शास्त्री जी हमेशा दोनों हाथ जोड़कर श्रीवास्तव साहब को, इससे पूर्व की वो उन्हें नमस्कार कर सर्के, नमस्कार किया करते थे। उनकी सहजता इस प्रकार की थी। अपनी पदवी का उन्हें कभी अहंकार नहीं हुआ। उच्च पद-चेतना कभी उन पर हावी नहीं हुई। जब शास्त्री जी भारत के प्रधानमन्त्री थये और श्री अयूब खान पाकिस्तान के, उस समय दोनों प्रधानमन्त्रियों के बीच हुई बातचीत तथा उसके एक दूसरे पर पड़े प्रभाव की घटना का भी वर्णन उन्होंने किया। लाल बहादुर शास्त्री प्रबन्धन संस्थान, दिल्ली', शास्त्री सदन सेक्टर-3, आर के. पुरम, नई दिल्ली ने 3 अक्टूबर 2005 को कमानी सभागार मण्डी हाऊस, नई दिल्ली में सर सी.पी. श्रीवास्तव का अभिनन्दन करने के लिए एक अन्य समारोह का आयोजन किया। सोमवार प्रातः ठीक 11.00 बजे कार्यक्रम आरम्भ हुआ। यहाँ लगभग सात सौ लोगों ने भाग लिया जिनमें से तीन सौ से भी अधिक सहजयोगी थे यद्यपि सर सी. पी. श्रीवास्तव आकर्षण का मुख्य म्रोत थे फिर भी सभी आँखें हमारी प्रेममयी माँ की प्रेम एवं करुणामयी भाव-भंगिमाओं की उत्सुकता-पूर्वक प्रतीक्षा कर रहीं थी अपनी निरन्तर मुस्कान द्वारा श्रीमाताजी ने पूरे स्थल को गौरवान्वित किया। सभागार के प्रवेश द्वार 1 पर स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की एक प्रतिमा रखी हुई थी। श्रीमाताजी ने उस प्रतिमा को देखा और निजी वार्तालाप में कहा, कि "ये प्रतिमा सफेद रंग की होनी चाहिए थी काले रंग की नहीं।" परमेश्वरी का ये संदेश शक्तिशाली सत्य के रूप में उभरा कि ऐसी प्रतिमाओं की ये संहिता होनी चाहिए, और तुरन्त स्वर्गीय श्री एक औपचारिक बातचीत में श्री शास्त्री ने श्री अयुब खान को स्पष्ट एवं साफ शब्दों में बता दिया कि कभी भी वे भारत पर हावी होने का या भारत के किसी हिस्से को पाकिस्तान में मिलाने का न तो प्रयत्न करें और न ही सोचें क्योंकि अपनी जनता के गुणों के कारण भारत उनके देश से कहीं उच्च है। उनके अपने मूल्य हैं और उन मूल्यों का भारत अत्यन्त सम्मान करता है। इस प्रकार से सर सी.पी. ने व्याख्या की किस प्रकार श्री शास्त्री के शब्द शक्तिशाली माध्यम बने और दोनों देशों के बीच होने वाले संभावित युद्ध को होने से रोका और तत्पश्चात् दोनों प्रधानमन्त्रियों ने एक दूसरे के लिए शुभकामनाएं प्रकट कीं। युद्ध पर में लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र एवं संस्थान के अध्यक्ष श्री अनिल शास्त्री को ये संदेश दिया गया कि श्रीमाताजी की ये इच्छा एवं सन्देश है तथा इस पर आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए । सर सी.पी. श्रीवास्तव को "प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री का स्वप्न तथा आज के भारत में उसकी प्रासंगिकता" विषय पर भाषण देने के लिए निरमंत्रित किया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि धारा-प्रवाह अंग्रेजी भाषा में दिया गया उनका भाषण न केवल हृदय स्पर्शी था बल्कि इस तथ्य को भी स्पष्ट करता था कि लाल बहादुर शास्त्री एवं उनके उदार व्यक्तित्व के बारे में विश्व कुछ भी नहीं जानता। उनका हर कार्य, सिद्धान्त और जीवन अत्यन्त निर्मल था-समझने में टिप्पणी करते हुए शास्त्री जी कहा करते थे कि युद्ध हमेशा दोनों पक्षों की हानि होती है। इस महान व्यक्तित्व के साथ अपने सहचर्य की छोटी-छोटी घटनाओं, कथाओं का स्मरण करते हुए पापाजी एक वहुत सहज तथा विवेक से परिपूर्ण। सम्भवतः हम सहजयोगियों को ये सभी गुण देवता रूप श्रीगणेश के घण्टे तक धाराप्रवाह बोलते रहे। उनका भाषण ता चैतन्य लहरी अंक : 3 & 4 -2006 6. ु था दोनों महान परिवारों की और अधिक कथाओं को वे सुनते रहना चाहते थे। मन्त्रमुग्ध कर देने वाला था। मानो एक वार फिर वे अकधित इतिहास को प्रकट कर रहे हों! परन्तु उन्होंने ये कार्य अत्यन्त ज्योतित दृष्टि से किया, उस दृष्टि से जो इतिहास के पाठ पढ़ते हुए हम लोगों में न थी। अपनी स्पष्ट और सहज अंग्रेजी में जब वे बोल रहे थे तो सारी घटनाएँ साकार हो उठीं। उन्होंने जीवन के संवेदनशील क्षणों का भी वर्णन किया। एक वार पापा जी ने पुरस्कार की एक लाख रुपये की बा पूरी राशि संस्थान को भेंट कर दी और बिनम्रता पूर्वक संस्थान में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति ल देने के लिए अपनी ओर से एक लाख रुपये का चैक भी भेंट किया। स्वलिखित पुस्तक 'लाल बहादुर शास्त्री की अंग्रेजी तथा हिन्दी भाषा में 450 प्रतियाँ भी संस्थान के विद्यार्थियों को भेंट करके उन्हें अत्यन्त कुछ जब उन्होंने शास्त्री जी के पुत्र अनित्व शास्त्री, जब वे वच्चे थे, को भेंट करने के लिए एक खिलौना खरीदा तो शास्त्री जी ने इसे स्वीकार करने से 'इन्कार कर दिया! निश्चित रूप से उन्होंने ऐसा पैसे के लिए नहीं किया, ये तो सिद्धान्त का मामला था। इस प्रकार से शास्त्री जी के सभी कार्यों से मानव रूप में अपनाए गए उनके सिद्धान्त और ईमानदारी का पूर्ण गहन जीवनदर्शन (Philosophy of Life) प्रकट होता है। प्रसन्नता हुई। वास्तव में व्यक्ति की उपलब्धियों की संख्या ही उसे जीवन से भी अधिक विशाल नहीं बनाती, परन्तु प्रेम, करुणा और मानवता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धड़कने बाला बिशाल हृदय उसे यह पद प्रदान करता है। सर सी.पी. श्रीवास्तव जैसे विनम्र व्यक्ति की पत्नी के रूप में श्रीमाताजी की साक्षात् तत्पश्चात् श्री अनिल शास्त्री ने सर सी.पी. के परिवार की महानता के बिषय में काफी कुछ कहा। व्यक्तिगत स्तर पर जीवन में उनकी प्रगति में सहायता पावन उपस्थिति के कारण सभागार में प्रवाहित होने वाली अथाह चैतन्य-लहरियों तथा अगाध प्रेम के आदान-प्रदान का वर्णन करने के लिए ये कुछ क्षण सम्भवतः पर्याप्त नहीं है। पूर्ण ब्रह्माण्ड की प्रेममयी माँ के प्रेम एंव करुणा की अभिव्यक्ति का पूरा विश्व साक्षी था उन्होंने अपने बच्चों को आशीर्वादित किया और बच्चे उनके पुनः पावन आगमन की उत्सुकता पूर्वक इच्छा करते रहे, परन्तु वे तो श्री महामाया के रूप में मौजूद हैं और सभी चीज़ों से लिप्त होकर भी साक्षी रूप से हर चीज़ का आनन्द लेती हैं! करने के लिए भी उन्होंने सर सी.पी. के परिवार के योगदान को स्वीकार करते हुए आभार प्रकट किया। प्रेमपूर्वक उन्होंने स्मरण किया कि जब वे और उनके भाई सुनील तीसरी और चौथी कक्षा में पढ़ते थे तो उन्होंने हमारी प्रेममयी माँ, श्रीमाताजी से किसी अन्य से नहीं, टयूशन पढ़ी। सर सी.पी. और श्रीमाताजी के उन मूल्यों, प्रेम, करुणा और जीवन की उच्च गुणवत्ता का वर्णन भी उन्होंने किया जिनका वचन ्यक्ति विश्व को देता है। श्रीमाताजी के प्रति पूर्ण सम्मान के साथ उन्होंने कहा कि उनके शैशवकाल में उनके लिए वे न केवल प्रेरणा का म्रोत थीं बल्कि वे उनकी आदर्श भी थी श्रीमाताजी की करुणा एवं प्रेम अतुलनीय हैं और इनका वर्णन कठिन है। एक अन्य व्यक्तिगत घटना के बारे में बताते हुए श्री अनिल शास्त्री ने कहा कि एक बार उनके जीजा के पेट में घोर समस्या थी। करुणामरयी उसी सन्ध्या सांय 6.00 बजे संस्थान ने सर सी. पी. और श्रीमाताजी के सम्मान में इण्डिया इंटरनेशनल सेन्टर लोदी रोड, नई दिल्ली में रात्रि भोज का आयोजन किया भारत के बहुत से टी.वी. चैनलों ने इस घटना को रिकार्ड किया है और शीघ्र ही वे इसका ा प्रसारण करेंगे। इस घटना पर परम पावनी प्रेममयी माँ और पापाजी की उपस्थिति और उनके शक्तिशाली प्रेम विस्फोट को दूरदर्शन पर देखने की घोषणा की हम प्रतीक्षा करें माताजी ने अपना हाय उनके पेट पर रख दिया, क्षण भर में दर्द भाग गया और आज तक कभी नहीं लौटा। ऐसा था उनका प्रेम और रोग निवारक स्पर्श! दर्शकों का श्री अनिल शास्त्री को सुनना निःसन्देह हृदयस्पर्शी जय श्रीमाताजी गुड़गाँव सामूहिकता, भारत सहज समाचार एवं सूचनाएं शनिवार 15 अक्तूबर 2005 गुड़गाँव - भारत सहजयोगियों और सहजयोगिनियों की विश्व सामूहिकता को सर सी.पी. श्रीवास्तव (पापाजी) का सन्देश। एक वर्ष पूर्व उन्होंने (श्रीमाताजी) निर्णय किया कि 30-35 वर्षों तक उन्होंने सहजयोग अगुआ हैं, श्रीमाताजी निर्मला देवी मेरा आपसे अनुरोध है कि आप लोग मेरे इस का सृजन और प्रचार-प्रसार करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी है। जैसा आप जानते हैं उन्होंने विश्व भर में हवाई जहाज, हैलिकॉप्टर, रेलगाड़ी, बस, पैदल, बैल-गाड़ी से यात्रा की और विश्व भर के नगरों तथा कथन का समर्थन करेंगे कि, "आज वे सहजयोग की एकमात्र अगुआ हैं और वे सदैव........सदैव साकार या निराकार रूप में एक मात्र अगुआ रहेंगी।" क्या मैं ये बात मान लूँ कि आप सब मुझसे सहमत हैं और चाहते हैं कि यहाँ से पूरे विश्व को यह संदेश भेजा जाए? बनी गाँवों में जाकर सहजयोगियों और सहजयोगिनियों के विश्व-बन्धुत्व का सृजन किया। 80 वर्ष की आयु पार है करने के बाद उन्हें लगा कि अव समय आ गया जब प्रिय सहजयोगी एवं सहजयोगिनियों अब हमारे वे पीछे बैठे और अपने बच्चों से सहजयोग प्रचार सम्मुख एक कार्य है और यह कार्य उनके सहजयोग सन्देश को सम्भाले रखने का है। ये सन्देश उनके है। प्रसार की जिम्मेदारी स्वयं संभालने के लिए कहें। आपको सहजयोग का सृजन नहीं करना है ये कार्य उन्होंने कर दिया है। परन्तु उनका सन्देश फैलाया जाना है। अतः वे इस निष्कर्ष पर पहुँचीं कि पीछे वैठकर वे प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी तथा सहजयोगी और असंख्य ऑडियो, बीडियो आदि में भरा हुआ विश्व-भर के सभी भागों में हमारी पहली जिम्मेदारी ये विश्वस्त करने की है कि जो भी कुछ उन्होंने कुछ कहा है, जहाँ भी उन्होंने कुछ कहा है, उसे इस प्रकार से सहजयोगिनियाँ सहजयोग प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सुरक्षित रखा जाए कि वह सहजयोग की कभी न खत्म होने वाली सम्पदा बन जाए। विश्व के सभी भागों में सम्भालेंगे। अतः उन्होंने निर्णय किया कि यह कार्य सामूहिक रूप से किया जाना चाहिए, व्यक्तिगत अगुआओं द्वारा नहीं बल्कि सर्वत्र, पुरे विश्व के देशों एवं नगरों में एक सामूहिक संगठन द्वारा। अतः वे सामूहिक नेतृत्व चाहती हैं, यही उनकी इच्छा है। परिणाम स्वरूप यही प्रयत्न किया जा रहा है। सामूहिक नेतृत्व की अपनी इच्छा को पूर्ण करने के लिए उन्होंने विश्व परिषद की रचना की है और बहुत से देशों में सामूहिक नेतृत्व बनाया है तथा ये आन्दोलन चल रहा है। अब सामूहिक नेतृत्व व्यक्तिगत अगुआओं का स्थान ले लेगा। ये सामूहिक नेतृत्व सामूहिक नेतृत्व का अर्थ ये होगा कि यहाँ बैठे आप सभी लोग इस प्रक्रिया में शामिल हैं पूरी सहज सामूहिकता को उनके सहजयोग के प्रचार-प्रसार का कार्य सौंपा गया है मिल-जुलकर अत्यन्त आनन्दपूर्वक इस कार्य को कर रहे हैं। भारत में भी सामूहिक नेतृत्व के इस कार्य को करने के लिए नए ट्रस्ट की स्थापना की गई है और मुझे ये बताते हुए हर्ष हो रहा है कि इस ट्रस्ट ने कार्य मैं आपके सम्मुख एक प्रस्ताव रखना चाहता हूँ, अनुरोध करना चाहता हूँ। आशा है आप मुझसे सहमत होंगे। भुझे कोई सन्देह नहीं हैं कि आप मुझसे सहमत होंगे कि जहाँ तक सहजयोग का सम्बन्ध है केवल एक ही सृजनकर्ता हैं..... श्रीमाताजी निर्मला देवी...... और केवल एक ही करना आरम्भ कर दिया है।" (नवरात्रि पूजा संध्या, गुड़गाँव, भारत 15.10.2005 ) से प पबा चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 संकट की घड़ी में सहजयोगियों की अत्यन्त महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। अपने लेखों या प्रवचनों के माध्यम से उन्हें विश्व के हर हिस्से में सहजयोंग फैलाना है. स्वान-सहज-संसार घोषणाएं एवं समाचार सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद (WCASY) ....। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भली-भांति सोचा विचारा दुष्टिकोण आवश्यक है। मंगलवार, दिसंबर 02, 2003 विश्वभर के सभी प्रिय सहजयोगी एवं सहजयोगिनियों, हमें यह समाचार देते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी ने सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद' का गठन किया है। सहजयोग के इतिहास की ये एक अत्यन्त महत्वपूर्ण घटना है। विश्व परिषद के वर्तमान सदस्य श्रीमाताजी निर्मला देवी अध्यक्षा (विश्व अगुआओं के रूप में मनोनीत) सदस्य 1. राजेश शाह (Rajesh Shah) 2 ग्रेगौर डी कलबरमैटन दिसम्बर 2003 में अमेरिका से प्रस्थान करने से पूर्व श्रीमाताजी ने 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' का गठन किया। इस संस्था का कार्य सहजयोग के विकास को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय सामूहिकताओं की सहायता करना है। (Gregoire De Kalbermatten) 3. डेविड स्पाइरो (David Spiro) 4. विजय नालगिरकर (Vijay Nalgirkar) 5. मनोज कुमार (Mangj Kumar) 6. एडुआरडों मेरिनों (Eduardo Marino) 7. वोल्फगेंग हैक (Wolfgang Hackl) 8. माजिद गोलपोर (Majid Golpour) 9. फिलिप जेइस (Philip Zeiss) 10. डेरेक ली (Derek Lee) 11. अरनौ डी कलबरमैटन सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद के 34 सदस्य हैं जिन्हें 'विश्व अगुआ' (World Leaders) नाम दिया गया है। परिषद के आर्थिक, कानूनी एवं सम्पर्क मामलों के सलाहकार भी नियुक्त किए गए हैं। इस परिषद की हर वर्ष गोष्ठियाँ होने की संभावना है। (Arneau De Kalbermatten) श्रीमाताजी की घोषणा इस प्रकार से है :- 12. नेस अलगन (Nese Algan) आज विश्व-भर में खलवली मची हुई है। विश्व के सभी लोग भविष्य के विषय में चिंतित हैं। उन्हें सहजयोग के सुखदायी, परस्पर जोड़ने वाले एवं उन्नत करने वाले आध्यात्मिक संदेश की आवश्यकता 13. इवान तान (Ivan Tan) 14. करन खुराना (Karan Khurana) 15. अलेक्स हेनशॉ (Alex Henshaw) 16. आल्डो गन्डोल्फ़ी (Aldo Gandolfi) 17. राजीव कुमार (Rajiv Kumar) है। उन्हें आत्म-साक्षात्कार का अनुभव प्राप्त करने के योग्य बनाना होगा ताकि उनका अन्तर परिवर्तन 18. ब्रायन वैल्स (Brian Wells) 19. डेविड डनफी (David Dunphy) हो सके। केवल तभी वे सभी मनुष्यों को विश्व-परिवार का सदस्य मानेंगे, चाहे वे किसी भी संस्कृति या प्रजाति से हों केवल तभी वे घृणा एवं हिंसा का त्याग करेंगे. 20. ज़फर रशीद (Zafar Rashid) 21. बोडन शेओविच (Bohdan Swehovich) मानव इतिहास के इस चैतन्य लहरी अंक 3 & 4 -2006 22. गगन अहलुवालिया (Gagan Ahluwalia) 23. पॉल इलिस (Paul Ellis) 24. अलन बेहरी (Alan Wherry) 30. अलेक्जेंडर सोलोडियानकिन (Alexander Soldyankin) 31. क्रिस क्रिआकौ (Chris Kyriacou) परिषद के सलाहकार 25. अलन पेरेरिया (Alan Pereira) 1. गगन अहलूवालिया (Gagan Alhwalia) (वित्त, लेखा-जोखा तथा संपत्ति सम्बन्धी मामले) 2. पॉल एलिस (Paul Ellis) (कानूनी मामले) 3. एलेन व्हेरी (Alan Wherry) (प्रकाशन) 26. संदीप गडकरी (Sandeep Gadkari) 27 . मिहेला बालासिसकु (Mihaela Balasescu) 28. विक्टर बोन्डर (Viktor Bondar) 29. डिमिट्री कोरोटिएव (Dmitry Korotaev) परमपूज्य श्रीमाताजी का सन्देश, 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' वृहस्पतिवार 4 नवंबर 2004 मेरी आशाओं के पूर्णतः अनुरूप अरनौ डी.कलबरमैटन (Arneau De Kalbermatten) ने समर्पण के साथ परस्पर मिलकर कार्य कर रहे हैं। वे जानते हैं कि उन्हें अत्यन्त बँटे हुए और घोर कष्टों में फँसे विश्व में सहज के प्रेम एवं एकता के सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के समन्वयक (Co-Ordinator) के रूप में अपनी महत्वपूर्ण सन्देश को फैलाना है। जिम्मेदारियों को शानदार ढंग से निभाना शुरु कर दिया है। उसकी सूचनाएं (Reports) दशाती हैं शुभकामनाएं हैं और इसकी निरन्तरता को बनाए विश्व परिषद की सफलता के लिए मेरी कि वर्तमान अध्ययन और भविष्य-योजनाओं के रखने के लिए 'सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद' मूल विषयों की सावधानी पूर्वक पहचान की जा चुकी है और इन्हें 'विश्व परिषद' की सोच समझकर गई समितियों को सौंप दिया गया है। के समन्वयक ( Co - Ordinator ) के रूप में मैं अरनौ डी कलबरमैं टन (Arneau De बनाई Kalbermatten) के कार्यकाल को 31 दिसम्बर 2006 तक बढ़ाती हूँ। इस परामर्श से भी मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि विश्व-परिषद के सभी सदस्य सहज-दुष्टि एवं पूर्ण (माताजी श्री निर्मला देवी, 3 नवंबर 20००4) ं अंक 3 & 4 -2006 चैतन्य लहरी 10 गगन अहलुवालिया और पॉल एलिस सहित बहुत से सहजयोगी बहाँ पर उपस्थित थे। सहजयोग विश्व-परिषद द्वारा प्रस्तावों की स्वीकृति श्रीमाताजी ने स्पष्ट रूप से समर्थन किया कि जिस दस्तावेज पर वे हस्ताक्षर कर रही हैं यह उनकी अपनी इच्छा के अनुरूप है और उनकी इच्छा की अभिव्यक्ति है। सक्रियतापूर्वक वे बातचीत में व्यस्त वृहस्पतिवार 24 नवंबर 2005 विश्व सामूहिकता के प्रिय भाइयो एवं बहनों, हमारी परम पावनी माँ द्वारा विश्व परिषद की स्थापना, उनके द्वारा सौंपे गए पदभारों की स्वीकृति, श्रीमाताजी द्वारा वर्ष 2001 में स्थापित सामूहिक नेतृत्व के सिद्धान्त के प्रति हमारी श्रद्धा और अन्ततः विश्व परिषद के लक्ष्य बक्तव्य (Mission Statement) जिसमें इसके आदेश को श्रीमाताजी के प्रति श्रद्धांजलि तथा विश्व सामूहिकता की सेवा कहा गया है, को सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद आप सबके साथ बॉटना चाहेगी। थीं, और उपस्थित लोगों से उन्होंने विस्तार- पूर्वक वात की। अपनी अननुकरणीय शैली में उन्होंने इस प्रकार बात की कि हम सब अच्छी तरह से समझ सके। श्रीमाताजी ने स्वयं विश्व परिषद के सदस्यों की सूची का पुनर्वलोकन किया और उसमें, जैसे उचित समझा, परिवर्तन किए ऊपर लिखित सभी सहजयोगी, जो इस अवसर पर उपस्थित थे, उन्होंने श्रीमाताजी द्वारा विश्व परिषद के गठन की अपनी इच्छा की अभिव्यक्ति आशा की जाती है कि ये प्रस्ताव तथा लक्ष्य वक्तव्य (Mission Statement) आने वाली पीढ़ियों के अवसर के क्षण का साक्षी होने पर स्वयं को के लिए श्रीमाताजी की धरोहर को पूरी तरह से संभालने और बढ़ाने का आधार स्थापित करेंगे तथा परिषद के सहज सिद्धान्तों के अनुकूल अपनी जिम्मेदारियाँ निभाने के लिए कार्यविधियां तथा नैतिक संहिता का सृजन करेंगे। आपकी सूचना तथा आपके समझने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ संलग्न किए जा रहे हैं:- उत्तरदायित्व की विनम्र स्वीकृति प्रस्ताव एवं सामूहिक नेतृत्व का प्रतिज्ञा प्रस्ताव। सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद सौभाग्यशाली माना। प्रस्तावना (Preamble) सहजयोग एक आध्यात्मिक आन्दोलन है जो महावतार आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी के साक्षात् और उनकी धरोहर के प्रति इसके सदस्यों (सहजयोगियों) की श्रद्धा एवं सत्य निष्ठा से प्रेरित है । श्रीमाताजी ने हम सबको एक उद्देश्य एवं भूमिका के लिए परिषद में रखा है और दिव्य ज्ञान के अपने शाश्वत सिद्धान्त द्वारा केवल वे ही पूरी तरह से जानती हैं और इसी चेतना द्वारा ही अपने अनुयायियों के रूप में वे हमारा पथ प्रदर्शन करती हैं। कौन और क्यों, ये प्रश्न करना हमारा कार्य नहीं है, हमें तो 1. 2. (WCASY) का लक्ष्य वक्तव्य ये हमारी सच्ची आशा है कि यह संदेश विश्व सहज संघ में होने वाली सभी गतिविधियों के वारे में आपको सूचित करने के लिए 'सहज़योग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के नियमित संदेशों में से एक होगा। प्रेम एवं सम्मानसहित 'विश्व परिषद' के आपके भाई एवं बहनें सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद ( WCASY) जिम्मेदारी की विनम्र स्वीकृति का प्रस्ताव विश्व परिषद के गठन की पृष्ठभूमि 20 नवंबर 2003 को लॉस एंजलिस अमेरिका स्थित श्रीमाताजी के निवास पर सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद का गठन किया गया। जिस समय श्रीमाताजी ने विश्व परिषद बनाने का निर्णय लिया तो ग्रेगौर डी. कलबरमैटन करण खुराना, मनोज कुमार, केवल ये याद रखना है कि श्रीमाताजी सदा-सर्वदा हमारी गुरु हैं और उनकी इच्छा ही सर्वोपरि है। परिषद का कोई भी सदस्य क्योंकि गलतियों से ऊपर नहीं है, अतः श्रीमाताजी से निरन्तर जुड़े रहते हुए सहज सामूहिकता के अभिन्न अंग के रूप में हम अत्यन्त विनम्रता पूर्वक विवेक एवं पथ-प्रदर्शन की खोज करेंगे, ताकि उस दिव्य दिशा को खोज सकें जो वे निरन्तर हमें प्रदान करती हैं, और मानव मात्र को सामूहिक आत्म-साक्षात्कार का अनुभव प्रदान करने के उनके स्वप्न को साकार करने में, उनके आदेशों को विनम्रता एवं निस्वार्थतापूर्वक पालन करके मानव की सहायता करेंगे। अंक 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 11 ये हमारी जिम्मेदारी है कि श्रीमाताजी की धरोहर को भविष्य में पूर्णतः सुरक्षित रखें और इसे आगे बढ़ाएं। ऐसा करने के लिए हमें एकजुट होकर श्रीमाताजी के प्रति पूर्ण श्रद्धापूर्वक तथा अपनी चैतन्य-लहरियों और सामूहिक चेतना के प्रति पूर्णतः संवेदनशील होकर कार्य करना होगा। सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद सामूहिक नेतृत्व के प्रति श्रद्धा संकल्प सामूहिक नेतृत्व के सिदधान्त की पृष्ठ-मूमि सामूहिकता सहज-योग को एक सूत्र में पिरोए रखने वाली ऐसी शक्ति है जो हमारी चेतना एवं हमारे अस्तित्व को पूर्ण करती है। सामू हिक ध्यान-धारणा में चैतन्य-लहरियाँ अत्यन्त शक्तिशाली होती हैं और सच्चे एवं समर्पित सहजयोगी जब सामूहिक रूप से सहज निर्णय लेते हैं तो उनसे श्रीमाताजी की इच्छा प्रतिबिम्बित होती है। संकल्प हमारी परमेश्वरी माँ एवं गुरु 'श्री आदिशक्ति माताजी श्री निर्मला देवी' साक्षात के आदेशानुसार : विश्व परिषद के हम सभी सदस्य स्वीकार दिसम्बर 2001 के एक एतिहासिक दिन करते हैं कि जब तक श्रीमाताजी सहजयोग के रोजमर्रा श्रीमाताजी ने अपने पथ प्रदर्शन एवं निर्देशनों की व्याख्या की तथा इन्हें स्थापित किया। सहज संचालन सम्बन्धी पक्ष, विश्व सामूहिकता को प्रभावित करने (Governance) के मामले पर उन्होंने अपना पहला पथ-प्रदर्शन दिया और विश्व निर्मला- धर्म अमेरिका श्रीमाताजी साक्षातू अपने पावन, सर्वशक्तिमान एवं (V.N.D.) के सामूहिक नेतृत्व के सृजन को हस्ताक्षर करके लागू किया श्रीमाताजी ने स्वयं विश्व निर्मल धर्म (V.N.D.) के सात निर्देशक चुने जो राष्ट्रीय अगुआ के साथ काम करेंगे और राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने ( श्रीमाताजी) सामूहिक निर्णयों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने तथा विश्व निम्मलाधर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए अगुआओं की दूसरी पंक्ति भी प्रथम पंक्ति में जोड़ी। इस अवसर पर अपनी इच्छाओं की गहनता के विषय में उन्होंने हमें बताया कि विश्व-स्तर पर सहज प्रशासन सम्बन्धी निर्णय सामूहिक समिति के नियमों के अन्तर्गत ही लिए जाने चाहिएं। उन्होंने ये भी कहा कि जिस आदर्श (Model) का सृजन उन्होंने किया है उसका सभी देशों को के कार्यों से दूर रहना चाहेंगी, संस्था तथा शासन वाले मामले तथा ब्रह्माण्डीय मामले, जिनका अन्यथा सर्वव्याप्त चित्त से पथ प्रदर्शन करती रहेंगी, हमारी जिम्मेदारी होगी। परमेश्वरी प्रेम की चैतन्य-लहरियों, परम चैतन्य के अनुरूप सहज ढंग से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए परिषद नियमाचरणों का प्रतिपादन करेगी तथा उन्हें अपनाएगी। श्रीमाताजी के उपहार, सहजयोग को पूरे विश्व के साथ बाँटने, विश्वभर के सहजयोगियों में प्रेम बन्धन तथा सामूहिकता को दृढ़ करने के लिए आवश्यक सहज-बातावरण को बढ़ावा देने के कार्य के प्रति हम स्वयं को पूर्णतः समर्पित करते हैं । हम श्रीमाताजी से प्रार्थना करते हैं कि हमें विवेकाशीश प्रदान करें ताकि हम विनम्रता एवं साहस-पूर्वक उनके कार्य को चालू रखें। किसी भी प्रकार की गलती के लिए हम उनसे क्षमा याचना करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वे हमें अपने चरण कमलों में और अपने हृदय में स्थान प्रदान करें । अनुसरण करना चाहिए। प्रस्तावना (Preamble) सामूहिक चेतना सहज अस्तित्व का मूल-भूत सिद्धान्त है जिसके द्वारा परम चैतन्य उनका (श्रीमाताजी) संदेश प्रसारित करता है और हमारा परस्पर सम्पर्क बना रहता है। हमारे सामूहिक अस्तित्व में ही वे हमें प्रेरित करती हैं और हमारा पथ प्रदर्शन करती हैं क्योंकि उनका स्वभाव हमारे चरित्र को एक सामूहिक अस्तित्व के रूप में ढालता है और उनके लिए जो भूमिका हमें निभानी है उसके लिए सम्मितलित होने की अंक : 3 & 4 -2006 12 चैतन्य लहरी प्रदान करने के लिए बचनबदध हे। आज्ञा देता है। अतः हम सबको चाहिए कि एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प करें। सहज सामूहिकताओं तथा समितियों की कार्यशैली में उच्चतम आध्यात्मिक एवं नैतिक स्तर बनाए रखना इस परिषद का लक्ष्य है, ताकि श्रीमाताजी निर्मला देवी की शिक्षाओं के अनुरूप विश्वभर में सहज-सन्देश एवं आदर्शों की पहुँच निश्चित की जा सके। हम परम पूज्य श्रीमाताजी से विनम्र प्रार्थना करते हैं कि परमचैतन्य को हमारा पथ-प्रदर्शन करने की आज्ञा दें और सहजयोग के जीवन्त कार्य को वैसे ही चलने दें जैसे उन्होंने हम सब को व्यक्तिगत रूप से सिखाया हैं हमारी करुणामयी और प्रेममयी माँ, हितैषी गुरु एवं देवी, जिसकी हम पुजा करते हैं, से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि वे सदा हमारे हृदय में विद्यमान रहें। ये सभी सत्य हम स्वतः स्पष्ट मानते हैं :- कि योगिनियाँ और योगी स्वयं के गुरु हैं तथा उन्हें अपने सहम्रार चक्र और परमात्मा के बीच मध्यस्थ के रूप में किसी पुरोहिती-संस्था की आवश्यकता नहीं है। परिषद इस तथ्य से भली-भांति परिचित है कि विधान की आवश्यकता बहुत ही कम है क्योंकि सहज योग श्रीमाताजी निर्मला देवी की शिक्षाओं पर आधारित है और ये शिक्षाएं उनके प्रकाशित, ऑडियो, वीडियो प्रवचनों में मौजूद हैं। इसलिए सहजयोग में नेतृत्व संस्था, विश्व परिषद की सदस्यता सहित, को आध्यात्मिक धर्म तन्त्र नहीं माना जाता इसे समर्थ एवं शक्तिप्रदायी ताकत माना जाता है। श्रीमाताजी हमारा आदर्श हैं एवं हमारे सम्मुख उदाहरण है। वे साक्षात् आदिशक्ति हैं जो परमात्मा की सृष्टि को सहजयोग के माध्यम से, इसका सच्चा अर्थ प्रदान करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई हैं और जिन्होंने विश्व भर में निःस्वार्थ कार्य करके सहजयोग फैलाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। विश्व परिषद, राष्ट्रीय अगुआगण एवं सम्बन्धित समितियों ने अपनी सामूहिकताओं की सुचारु एवं प्रगतिशील उन्नति को हितकर रूप से सम्भालना है, संचालित करना है, एवं सुसाध्य बनाना है। संकल्प (Resolution) सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद लक्ष्य वक्तव्य (Mission Statement) प्रस्तावना समाज के सदस्यों के अन्तःपरिवर्तन एवं सुधार के बिना किसी भी समाज का सुधार नहीं हो सकता। आध्यात्मिक उत्क्रान्ति एवं आत्मोत्यान, साधकों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने के लक्ष्य-प्राप्ति के लिए सहजयोग-संस्थापिका, श्रीमाताजी निर्मला देवी ने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। विश्व परिषद के हम सभी सदस्य सामूहिक निर्णय लेने के सहज-सिद्धान्त के प्रति स्वयं को पूर्णतः (यह 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के नाम से समर्पित करते हैं पूर्ण सत्यनिष्ठा पूवर्क हम पुष्टि भी जाना जाता है) का कार्य श्रीमाताजी के महान कार्य करते हैं कि विश्व-परिषद की कार्य-शैली सामूहिक को चालू रखना तथा सहजयोग प्रचार-प्रसार करना निर्णय लेने के नियमाचरणों के अनुरूप होगी। कम से है। कम 75 प्रतिशत सदस्यों की सहमति से निर्णय लिए जाएंगे, या तो सीधे सलाह मश्वरे द्वारा या समितियों श्रीमाताजी निर्मला देवी के ब्रह्माण्डीय आध्यात्मिक कार्य के माध्यम से, और इन समितियों में सामूहिक प्रणाली के अनुरूप कम से कम तीन सदस्य होंगे। आगे हम पुष्टि करते हैं कि सामूहिकताओं तथा सहज सामूहिकताओं के सभी स्तरों के स्थान पर उपयुक्त सामूहिक निर्णय प्रणाली लाने के लिए विश्व परिषद पथ-प्रदर्शन, निर्देशन एवं आधार श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग विश्व संस्थान यह अन्तर्राष्ट्रीय लाभ-निरपेक्ष संस्था है जो के सन्देश तथा उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाने, उनका प्रचार-प्रसार करने तथा उन्हें बनाए रखने के कार्य के प्रति समर्पित है । राष्ट्रीय अन्तविज्ञान और सहजयोग अभ्यास को विश्व भर में विशेष कार्यक्रमों (जैसे सभाओं और गोष्ठियों), संस्थानिक (Institutional) विकास कार्यों (जैसे शिक्षा, चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 13 स्वास्थ्य और पर्यावरण अनुकूल गतिबिधियों), ध्यान केन्द्र तथा पूजा एवं ध्यान धारणा के स्थानों की सभ्यताओं, धर्मों और संस्कृतियों में सूझ-बूझ तथा स्थापना (जैसे आश्रम, मन्दिर और जन-केन्द्र) तथा निश्चित रूप से यही मुल-संदेश है। अतः भिन्न सहिष्णुता पैदा करने के लिए संचालन एवं संयोजन सहजयोग सामूहिकता की आर्थिक, कानूनी एवं शोध शक्ति बनने की अपनी जिम्मेदारी को विश्व-परिषद समझती है। आवश्यकताओं की सहायता के कायोँ के माध्यम से श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग विश्व संस्थान" अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाता है। संचालन (Govermance) श्रीमाताजी निर्मला देवी की अध्यक्षता में विश्व-परिषद अपने इन कर्तव्यों का अपने विशव-परिषद सभी संस्थानिक एवं पूर्ण सहजयोग गुरु तथा विश्व सामूहिकता की सेवा के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में पालन करता है। परस्पर प्रेम एवं सूझ-बूझ के वातावरण में अपने सदस्यों की सामूहिक चेतना को बढ़ाने के लिए विश्व परिषद दो प्रस्तावों के सार का पालन करती है। इन प्रस्तावों में मूल सिद्धान्त निहित हैं जिनकी विश्व परिषद के सभी भावी सदस्यों से सहमत होने की आशा की जाती है: मं सामूहिकता सम्बन्धी मामलों में नेतृत्व, निर्णय एवं सलाह देने के लिए जिम्मेदार है। राष्ट्रीय सामूहिकता के अपनी राष्ट्रीय नेतृत्व समितियों नियुक्त करने की प्रक्रिया में विश्व-परिषद सहयोग करेगी कहीं यदि राष्ट्रीय-स्तर पर महत्वपूर्ण मामले निपटाने में सदस्यों में परस्पर मतभेद होंगे तो विश्व-परिषद का निर्णय अन्तिम होगा अपनी समितियों, कार्य-दलों और कार्यक्रमों द्वारा विश्व परिषद, विश्व जिम्मेदारी की विनम्र स्वीकृति का प्रस्ताव। सामूहिक नेतृत्व के प्रति पूर्ण श्रदधा सामहिकता को प्रभावित करने वाले विश्व-स्तरीय (Commitment) का प्रस्ताव। मामलों की ओर ध्यान देगी और सम्बन्धित परियोजनाओं एवं नेतृत्व को बढ़ावा देगी। ज्ञान की अभिव्यक्ति : विश्व परिषद इस बात को मान्यता देती है कि सहजयोग का ज्ञान जीवन्त ज्ञान है जिसे श्रीमाताजी निर्मला देवी द्वारा दिखलाए गए मार्ग पर सत्य-निष्ठा पूर्वक चलकर अपनी आन्तरिक ज्योति के माध्यम से हर योगिनी और योगी विकसित, अभिव्यक्त और प्रसारित करता है। इस आध्यात्मिक अनुभव के लाभ एवं प्रचार-प्रसार के कार्य को चालू रखने एवं आसान बनाने के लिए प्रवचनों, भाषणों, प्रकाशित पुस्तकों, ऑडियो और वीडियो ग्रन्थों की श्रद्धा-पूर्वक देख-रेख करने तथा गतिशीलता पूर्वक बढ़ावा देने के लिए विश्व परिषद कटिबद्ध है। इटली में नए सामूहिक नेतृत्व की घोषणा मंगलवार, 26 जुलाई 2005 हम हर्ष पूर्वक घोषणा करते हैं कि श्रीमाताजी ने इटली में नए सामूहिक नेतृत्व को स्वीकृति देकर आशीर्वादित किया है। आल्डो गन्डोल्फ़ी (Aldo Gandolfi) 'इटली राष्ट्रीय सहजयोग समिति' के समन्वयक (Co-ordinator ) होंगे समिति के अन्य सदस्य निम्नलिखित हैं सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद इटली में सहजयोग की प्रगति के लिए सामूहिक आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक समन्वय- परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी की नेतृत्व प्रदान करने हेतु में तत्काल प्रभावित सामूहिक विधियों तथा शिक्षाओं से पहली बार अब सामहिक नतृत्व की नियुक्ति करती हूँ, जो हमेशा 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के निर्णयों के पूर्ण अनुरूप कार्य करेगीः आत्म-साक्षात्कार सम्भव हुआ है और विश्व आध यात्मिक के विकास में अथाह महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण 1. Aldo Gandoifi (Coordinator) Andrea Antoniani Marco Arciglio Duillio Cartoci Massimo Cesetti Sandra Castelli कर रहा है। विश्व परिषद स्वीकार करती है कि 2. 3. सहजयोग के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार का अनुभव 4. ऐसी सच्चाई बन चुका है जिसे प्राप्त किया जा सकता 5. है तथा मानव के सभी महान धरमों के सन्देश का 6. चैतन्य लहरी अंक : 3 & 4 -2006 14 Giampiero De Michelis Giancarlo Fuente Michela Cavalletti Sandeep Gadkery Allessandro Giannotti Ernesto Kuhn Sanjay Mane Tommaso Merella Felicia Micolucci Luigi Piccinini Ezio Prandini Alessandro Scarno Antonio Scialo Maurizio Taddei Rubens Tommasi Antony Visconti माता जी निर्मला देवी। Anatoly Kozuhov Bohdan Shehovych Alan Wherry 7. ৪. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 11. 12. 13. माताजी श्री निर्मला देवी कमे काी यू.के. सहजयोग प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय समिति सोमवार 10 अक्टूबर 2005 सहजयोग प्रचार-प्रसार कार्य को गति प्रदान करने के लिए अब आवश्यक हो गया है कि सामूहिक नेतृत्व बना दिए जाएं। बहुत से देशों में ऐसे प्रबन्ध किए जा चुके हैं। अब मैंने यू.के. सहजयोग प्रचार-प्रसार समिति की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। 1. Dr. David Spiro - Co-Ordinator 2. Derek Lee 4. Dr. Brian Wells 6. John Glover 8. Guy Beaven 10. Vinayaka Francis 11.Ray Harris 12. Alan Henderson 14. Patty Prole 16. Martin Watt 18. Geoffery Godfrey 19.Robbert Ruigrok 20. Bhanu Prakash Reddy 21. Anthony Headlam 22.Daniel Wagner 3. Dr. Zafar Rashid 5. Alan Pereira 7. Hesta Spiro 9.Dr. Sarah Setchell रूस में नए सामूहिक नेतृत्व की घोषणा : रविवार 7 अगस्त 2005 हर्षपूर्वक हम घोषणा करते हैं कि श्रीमाताजी ने रूस के लिए एक नए सामूहिक नेतृत्व को स्वीकृति तथा अशीर्वाद दिया है। Dmitry Korotaev रूस की सहजयोग प्रगति के लिए बनी राष्ट्रीय परिषद के समन्वयक (Coordinator) होंगे अन्य सदस्यों के नाम नीचे दिए गए 13.Nigel Powell 15.Pasquale Scialo 17.Peter Yeboah हैं। Sergey Perezhogin के सहजयोग के सभी पर्दो से त्यागपत्र को श्रीमाताजी द्वारा स्वीकार करने के पश्चात् नई सामूहिक नेतृत्व समिति की नियुक्ति की गई है। तत्काल प्रभाव से मैं सहजयोग प्रचार-प्रसार रूसी राष्ट्रीय परिषद के लिए निम्न लोगों की नियुक्ति करती हैं। ये लोग रूस में सहजयोग के सभी कार्यों के लिए सामूहिक नेतृत्व प्रदान करेंगे और सदैव सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद के निर्णयों के अनुरूप कार्य करेंगे। माताजी श्री निर्मला देवी, 10 अक्टुबर 2005 स्विटज़रलैण्ड में नए नेतृत्व की संरचना हमारी प्रिय परमेश्वरी माँ श्रीमाताजी के चरणों में समर्पित प्रिय श्रीमाताजी, पिछले वर्षों में स्विटज़रलैण्ड सहज- सामूहिकता को फैला पाया है। फिर भी आपका दिव्य कार्य आगे बढ़ाने के लिए और आध्यात्मिक गतिशीलता को हर कस्बे हर गाँव में पहुँचाने के लिए हमारे देश को नए प्रोत्साहन की आवश्यकता है। इस परिदुश्य में हमें लगा कि एक नए नेतृत्व की संरचना की जाए जो मानव के आन्तरिक उद्धार के आपके स्वप्न को सफलता पूर्वक Dmitry Korotaev (National Coordinator) Alexander (Sasha) Solodiankin Valentina Kushnarenko Slava Ivanov Viktor Chaschin Tamara Sostamoynen Viktor Fedorov Anatoly Gromov Kontstantin Nazrachov Viktor Yevstaviev 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. ৪. 9. 10. साकार कर सके। चस ं चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 15 कल्प ना श्रीवास्तव 8. विजय क. गौतम 10. वाई.पी. सिंह 5. अशोक अग्रवाल आध्यात्मिक आवश्यकताओं को उचित ढंग 6. 7. साधना वर्मा 9. र.क. पुगलिया निम्नलिखित को राष्ट्रीय ट्ूरस्ट में विशिष्ट अतिथि (आमंत्रित न्यासी) नियुक्त किया गया है: 1. भगवती सिंह 3. स. राम मोहन राओ 4. चन्द्र प्रभा से पूर्ण करने के लिए सामूहिक नेतृत्व संरचना की आवश्यकता को हमने पहचाना। अतः, श्रीमाताजी, मेरी विनम्र विनती है कि इस नए स्विस नेतृत्व संगठन को आशीर्वादित करें, तथा मेरा ये भी विनम्र निवेदन है कि कृपा करके उनका पथ-प्रदर्शन करें और भविष्य की जिम्मेदारियाँ निभाने के लिए उन्हें परामर्श दें इस सामूहिक नेतृत्व के लिए मैं निम्नलिखित सहजयोगी और सहजयोगिनियों के नाम सुझाता हूँ, ये इस कार्य के लिए अत्यन्त उपयुक्त हॉंगे 1. Arneau de Kalbermatten (National coordinator) 2. Bernd Treichel 4. Eric Deladoey 6. Gilbert Jeanneret 7. Gilles Rode 8. Harsha Mohan 10. Jose Di Munno 12. Thibaut Denblyden 2. किरण बालिया 5. करुण साँघी 7. पराग राजे मेरे आशीर्वाद एवं शुभकामनाओं सहित (हस्ताक्षर) माताजी निर्मला देवी प्रतिष्ठान पूणे. 16 अप्रैल 2005 6. गि.ल. अग्रवाल 3. Christian Mathys 5. Franca Clendon 9. Jean-Pierre Koller 11. Richard Mathys परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी एवं सहजयोग ट्रस्ट के न्यासियों की मीटिंग के अवसर पर दिया गया सन्देश मुम्बई, 25 अप्रैल 2005 आठ अप्रैल 2005 को मैंने 'परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी सहजयोग ट्रस्ट' (राष्ट्रीय ट्रस्ट) की स्थापना की है। इस राष्ट्रीय ट्रस्ट का उद्देश्य मेरे सहजयोग, प्रेम, सामंजस्य और कुण्डलिनी जागृति के सन्देश को, हमारी प्राचीन भूमि के कोने-कोच्े तक और हर सत्य साधक तक पहुँचाना है। ये एक एतिहासिक जिम्मेदारी है जिसे मैं आप सवको सौंप रही हूँ। मुझे विश्वास है कि आप निःस्वार्थय भाव से, और अधिक वचन-बद्धता के साथ, इस सन्देश को फैलाने तथा सहजयोगियों में प्रेम एवं आनन्द बाँटकर सहज-सामूहिकता को दृढ़ करने के लिए अथक कार्य करेंगे। इसके साथ-साथ मैं ये भी जानती हूँ कि ध्यान धारणा की गहनता में और अधिक उतरने तथा आध्यात्मिक रूप से विकसित होने के लिए आप उपरोक्त सूची को श्रीमाताजी ने स्वयं प्रतिष्ठान में 12 नवम्बर 2005 के दिन आशीर्वादित किया। अनन्त प्रेम एवं सम्मान सहित Arneau, November 20, 2005 राष्ट्रीय ट्रस्ट भारत 8 अप्रैल 2005 प्रिय भाईयों एवं वहनों; हर्षपूर्वक हम सूचना देते हैं कि परम पूज्य श्रीमाताजी ने, भारत के लिए 'परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी सहज योग ट्रस्ट' का गठन किया है इसका विवरण निम्नलिखित है : अध्यक्षा परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी उपाध्यक्ष निरन्तर संघर्ष करेंगे। सर सी.पी. श्रीवास्तव इस सन्दर्भ में मैं चाहूँगी कि सभी न्यासी (Trustees) निम्नलिखित नियमाचरणों को अपनाएं। ये नियमाचरण राष्ट्रीय ट्रस्ट की कार्यशैली के लिए पथ प्रदर्शक रूप-रेखा बनेंगे। मेरे आशीर्वाद एवं शुभकामनाओं सहित, सह-उपाध्यक्ष राजेश शाह न्यासी (Trustees) 1. वी.जे. नालगिरकर 2. राजीव कुमार 3. दिनेश रॉय 4. सुरेश कपूर (हस्ताक्षर) माताजी निर्मला देवी कुम चैतन्य लहरी अंक : 3 & 4 - 2006 16 कबैला की सम्पत्तियाँ विश्व सहज न्यू ज्सी में गुरु पूजा के अवसर पर WCASY का दूसरा रचनात्मक सत्र सोमवार 1 अगस्त 2005 सामूहिकता को भेंट वृहस्पतिवार 15 सितम्बर 2005 अपने जन्म के एक वर्ष बाद जब सहजवोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद की श्रीकृष्ण की भूमि में सभा हुई, तो पाया गया कि इसमें अद्वितीय एकता एवं गतिशीलता की भावना दुढ़ हो रही है। कुछ दिन पूर्व पिछले वर्ष की घोषणा की पुष्टि करते हुए श्रीमाताजी ने ये आश्चर्यजनक समाचार दिया कि कबैला की चार सम्पतियाँ Palazzo Doria, The Hanger, Centrassi and Daglio HE e a को भेंट कर दी गई हैं। श्रीमाताजी की ये भेंट न्यू जर्सी के अपने घर के उदार उपहार के अतिरिक्त है । सर सी.पी. ने इस भेंट के सम्वन्ध में बताया, जिसे श्रीमाताजी भी सुन रहीं थीं, कि कबैला में हर वर्ष एक पूजा होनी चाहिए-गुरु पूजा - जिसमें विश्व भर से आए योगियों को इक्टूठा होना चाहिए, और सहजयोग के प्रचार-प्रसार, इसे दृढ़ करने के लिए और सहज सामूहिकता को फैलाने के लिए तथा अन्य सहज गतिविधियों के लिए इन सम्पत्तियों का उपयोग किया जाना चाहिए। विशेष रूप से एक गतिविधि जिसका वर्णन किया गया था कि यह चलती रहनी चाहिए वह थी हर गर्मियों में Daglio में बच्चों का कैम्प । उनकी (श्रीमाताजी) की घोषणा के पश्चात् यह निश्चय किया गया कि इटली में सम्पत्तियाँ ग्रहण करने के उद्देश्य से एक नई संस्था का सृजन किया जाएगा। ये कार्य आगामी सप्ताहों में होगा ताकि आगामी दो माह के अन्दर ये संस्था अधिकारिक रूप से श्रीमाताजी के दान को स्वीकार कर सके। न्यू जर्सी में हाल की गुरु पूजा के अवसर पर WCASY की कई सभाएं हुईं। पहली अनौपचारिक सभा में सर्वसम्मति से निर्णय किया गयाँ कि कबैला में आदिशक्ति पूजा के अवसर पर हुई घटनाओं से ऊपर उठना होगा। यद्यपि संघ के.सभी सदस्यों को हृदय की गहनता से श्रीमाताजी की चिरायु एवं सुन्दर स्वास्थ्य की प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया जाता है फिर भी जिन लोगों के हाथों में अपनी देख-रेख का भार श्रीमाताजी ने सौंपा है उन पर विश्वास करना हमारे लिए आवश्यक है संघ की सेवा में WCASY की पाँच समितियाँ हाल में हुए सत्र में विश्व-परिषद ने नियमाचरण तथा नई कार्यविधियाँ अपनाते हुए वर्तमान कार्यबलों को स्थाई समितियों में परिवर्तित कर दिया कानूनी मामलों की समिति की अभिपुष्टि की गई और बिश्व परिषद के सदस्यों ने इसे स्वीकार किया। 2006 के अन्त तक के लिए पॉल एलिस को इसका अध्यक्ष चुना गया इसी प्रकार से एलेन व्हेरी को सम्पर्क एवं प्रकाशन समिति के अध्यक्ष तथा गगन अहलुवालिया को बजट एवं आर्थिक मामलों की समिति का अध्यक्ष चुना गया। गुरु पूजा की इस सभा में दो नई समितियाँ बनाई गईं:- एक नई 'स्वास्थ्य समिति' बनाई गई जिसके अध्यक्ष डा. डेविड स्पाइरो होंगे। आने वाले कुछ महीनों में ये समिति अपने सदस्य नियुक्त करेगी जो निर्णय करेंगे कि इस समिति ने क्या कार्य करने हैं। राष्ट्रीय अगुआओं से अनुरोध है कि इस कार्य में सहायता करें। आशा है कि ये समिति किए जा रहे शानदार कार्य को मान्यता देगी, उदाहरण के रूप में वाशी अस्पताल तथा आस्ट्रेलिया में किए जा रहे शोध परियोजनाओं को, तथा परिषद के तीसरे सत्र में अपने कार्यक्रम और रिपोर्ट पेश करेगी। पूरी सहज सामूहिकता की ओर से हमने श्रीमाताजी के प्रति अपनी कृतज्ञता एवं अनुग्रह की अभिव्यक्ति कर दी है कि उन्होंने, सर सी पी. तथा पूरे परिवार ने सहजयोग की भावी पीढ़ियों को ये सम्पत्तियाँ प्रदान की हैं। श्रीमाताजी के महान कार्य के इतिहास में तथा विश्व भर के सहजयोगियों के हृदयों में इन सम्पत्तियों का अद्वितीय सम्भान है। हमने शपथ ली कि विश्व सामूहिकता के रूप में हम इन सम्पत्तियों का उपयोग उनके द्वारा बताए गए आदर्शों को पूर्ण करने के लिए करेंगे - उनके दिव्य प्रेम, आन्तरिक काया परिवर्तन और पावन आत्माओं की आध्यात्मिक सर्वोच्चता के स्वप्न को साकार करने के लिए । जय श्रीमाताजी! सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद) 1. चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 -2006 17 द्वारा सहजयोग को दिए गए आश्रय को मान्यता देते हुए उन्हें संस्थान के निदेशक वोर्ड के अवैतनिक सदस्य पद स्वीकार करने का प्रस्ताव किया गया, जिसे उन्होंने अत्यन्त कृपापूवर्क स्वीकार किया। शिक्षा समिति : डा. बोल्फ गेंग हैक (Dr. 2. Wolfgang Hackl) जिसके अध्यक्ष हैं, भिन्न सहजयोग शिक्षण संस्थाओं, भारत, युरोप और अमेरिका के विद्यालयों के ट्ूस्ट बोर्डों में विश्व परिषद का प्रतिनिधित्व करेगी राष्ट्रीय अगुआओं से अनुरोध है राष्ट्रीय अगुआओं से समन्वयन कि वे वोल्फ गेंग से सम्पर्क स्थापित करके उन्हें सम्भावी अ्रोत व्यक्तियों तथा विवेकशील विकास के बारे में सूचित करें। इस समिति के अध्यक्ष भी परिषद के तीसरे सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे । सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व-परिषद (WCASY) अपनी माँ एवं गुरु श्रीमाताजी के शक्तितप्रदायी नेतृत्व एवं प्रेरणा की याचना करती है। परिषद के सदस्यों ने स्पष्ट रूप से महसूस किया कि WOCASY को चाहिए कि राष्ट्रीय नेतृत्वों को आश्रय दे, प्रोत्साहित करे और सम्भाले, परन्तु इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर, समय-समय पर, जब भी विश्व-स्तरीय या संस्थान के स्तर पर स्थिति उत्पन्न होती है या जब भी मध्यस्थता की आवश्यकता पड़ती है, तो परिषद को किसी भी देश के मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। शनिवार सन्ध्या, को अपने निवास पर, भजनों के अद्वितीय सत्र में श्रीमाताजी ने परिषद की इस भूमिका को अपनी व्यक्तिगत स्वीकृति प्रदान की। समिति के अध्यक्षों को हाथ में लिए गए कार्यों को पूर्ण करने के लिए सलाह हेतु वांछित योग्यता वाले व्यक्तियों को नियुक्त करने के लक्ष्य से उपसमितियाँ बनाने का अधिकार दिया गया । विश्व परिषद से बाहर भी सहजयोगी व्यक्तियों को अधिकार दिए गए। दूसरे शब्दों में राष्ट्रीय अगुआ, संघ के ऐसे योग्य सदस्यों को जो वर्तमान कार्यों को करने के लिए स्वयं-सेवक के रूप में सम्मिलित हो सकते हैं, पहचानने में सहायता कर सकते हैं। ते राष्ट्रीय नेताओं से समीप-सम्पर्क बनाए रखना ये बात स्वीकार की गई कि सम्बन्धित समितियों के अध्यक्ष एक कार्य योजना तैयार करेंगे और परिषद के सम्मुख पेश करके अपनी समितियों के निर्णयों की परिषद से स्वीकृति लेंगे। परिषद के सत्रों के बीच के समय में वे समन्वयक (Co-oridinator) एवं सचिव (Secretary) से उचित परामर्श लेंगे । श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग संस्थान' का परिचय और अनुभवों तथा परामरशों के आदान-प्रदान की इच्छा सामूहिक है। इस सम्बन्ध में उसी क्षण नई जर्सी में बिद्यमान सभी राष्ट्रीय नेताओं का एक समन्वित दल बनाने की भावना पर बल दिया गया। सूचनाओं का आदान प्रदान हुआ और परस्पर सम्मान, स्नेह एवं सहायता की भावनाओं की अभिव्यक्ति की गई। इस बात पर भी सहमति प्रकट की गई कि जब भी सम्भव हो सभी पूजाओं के अवसरों पर इसी प्रकार की समन्वयन सभाएं की जाएं। लिए गए अन्य निर्णय नए श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग संस्थान' का पॉल एलिस ने परिचय दिया और सोमवार 25 जुलाई को मुलभूत औपचारिक बोर्ड मीटिंग हुई। हमें याद दिलाया गया कि परिषद इटली में संस्थान स्थापित करने के कार्य में आगे नहीं बढ़ रही | अमेरिका में स्थापित की गई नई लाभ-निरपेक्ष निगम संस्थान श्रीमाताजी द्वारा दिया गया न्यू जर्सी का उदार उपहार स्वीकार करेगी। 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के कानूनी माध्यम के रूप में भी यही संस्थान कार्य करेगा। उपरोक्त महत्वपूर्ण निर्णयों के अतिरिक्त परिषद ने अपने कुछ सदस्यों को साधन और बौद्धिक सम्पदा जुटाने तथा कुछ विशेष देशों एवं क्षेत्रों में विकास कार्यों में सहयोग प्रदान करने का कार्य सौंपा| इस सम्बन्ध में माजिद गोलपुर से अनुरोध किया गया कि 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' की ओर से अफ्रीका की सहायता का कार्य करें। हम में से जिन लोगों को परिषद की सेवा में कुछ परिश्रम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, उनकी सभी सदस्यों ने सराहना की। न्यू जर्सी में एकत्र हो कर यह असंचयी एवं लाभ निरपेक्ष निगम गु5ु पुर्णिमा के अवसर पर 21 जुलाई 2005 को डैलावेयर राज्य में पंजीकृत कराई गई थी। सर सी.पी. श्रीवास्तव चैतन्य लहरी 18 अक : 3 & 4 -2006 एकता की अद्वितीय भावना से आगे बढ़ने के लिए हम नयी जर्सी स्थित अपने निवास संस्थान को हस्तान्तरित कृतज्ञ थे और WCASY के दूसरे सत्र पर अपने गुरु करते े हुए कागज़ात पर हस्ताक्षर किए। श्रीमाताजी और सर सी. पी. जब केक का आनन्द ले रहे थे तब हम इस महान धटना के महत्व के विषय में सोच रहे थे। (श्रीमाताजी) की सुरक्षा के बरदान का भी हमें गहन अहसास था। समन्वयकर्ता (Co-ordinator) की ओर से विश्व संघ के प्रति प्रेम एवं सम्मानपूर्वक हमने महसूस किया कि आज तक किसी भी अवतरण ने स्वयं अपने मुँह से बोले शब्दों का रिकार्ड नहीं छोड़ा, श्रीमाताजी के हज़ारों टेपों का वैभव आशीर्वाद के रूप में, हमारे पास उपलब्ध है। इन टेपों में उन्होंने सहजयोग के सूक्ष्म ज्ञान को लिपिबद्ध करके यह विपुल सम्पदा हमें प्रदान की है। हस्ताक्षर एलन परेरा (Alan Pereira) सचिव सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद हम श्रीमाताजी तथा सर सी.पी. के प्रति आभारी हैं कि उन्होंने श्रीमाताजी की शिक्षाओं के 35 वर्षों के प्रवचन-टेप विश्व-संस्थान को प्रदान कर दिए हैं जिस प्रकार उन्होंने ये टेप दिए हैं वह न केवल श्रीमाताजी, बल्कि सर सी.पी. तथा पूर्ण परिवार की महान उदारता को दश्शाता है। इस कार्य द्वारा पूरे परिवार ने अत्यन्त सुन्दर एवं गरिमामय ढंग से दर्शाया है कि विश्व को प्रदान किए गए श्रीमाताजी के महान स्वप्न के प्रति वे कितने वचनबद्ध हैं। सहजयोग इतिहास की महत्वपूर्ण घटना वृहस्पतिवार, सितम्बर 29, 2005 नयी जर्सी, अमरीका शुक्रवार, 16 सितम्बर 2005 एक छोटे से साधारण समारोह में, शुदक्रबार 16 सितम्बर के दिन, विश्व परिषद के सदस्यों के एक छोटे से समूह के सम्मुख तथा अमरीका के अगुआओं की उपस्थिति में, श्रीमाताजी ने अपने सभी कार्यो अपने जीवन की सभी शिक्षाओं को 'श्रीमाताजी निर्मला देवी विश्व संस्थान' के न्यायासियों को कानूनी तौर पर सौंपते हुए, कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। सहजयोग के इतिहास में यह महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि श्रीमाताजी की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार और उनके विकीर्णन की पूरी जिम्मेदारी यह सहजयोगियों को सौंपती है। विश्व परिषदः एवं सहजयोग विश्व संघ की ओर से बोलते हुए पॉल एलिस ने इस एतिहासिक घटना की पुष्टि की और इस अमूल्य उपहार के लिए शाम को समापन के समय सर सी.पी. ने हमें वताया, "पूरा परिवार इस मामले में एकमत है और दृढ़ता पूर्वक इसके पीछे है", इसके विषय में विल्कुल भी मतभेद नहीं है। कुछ और भी यदि हम लोग कर सके तो हम इसे अपना परम कर्तच्य मानेगे। अब हम एक नई विशाल परियोजना में लगते हैं सहजयोग विश्व परिषद के पथ प्रदर्शन में एक औपचारिक समिति की स्थापना की गई है। यह परम पूज्य श्रीमाताजी के ज्ञान को विस्तृत एवं सहजरूप से उपलब्ध करवाने के लिए राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय साधनों को दूढ़ करेगी। कृतज्ञता प्रकट की। दस्तावेज़ हस्ताक्षर कार्य पूर्ण होने पर हमने श्रीमाताजी को वचन दिया कि हम उनके प्रवचनों को युग युगान्तरों तक सम्भालने तथा विश्व के हर कोने में इन्हें उपलब्ध कराने के महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी जय श्रीमाता जी मनोज कुमार, पाल एलिस और ऐलन वैहरी ('सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' की ओर से) लेते हैं। इसके साथ साथ सर सी पी. श्रीवास्तव ने भी कुछ महत्वपूर्ण संस्थानों तथा परियोजनाओं की उनके सम्पर्क पतों/ कम्प्यूटर सूचना/समाचार पत्रिकाओं/समाचार पत्रों और विश्वभर में नियमित रूप से छपने वाली सहज पत्रिकाओं का सदस्यता शुल्क की सूची: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Plot No.8, Chandragupt Hsg. Society, Kothrud, Paud Road, Pune - 411029. Maharashtra,(India) Sahaja Yoga Mandir (Ashram at Delhi, India) C-17, Qutab Institutional Area New Delhi I10016 (India) Tel. 91-11-26966652 Ph No. 020-25286537 Fax. 91-11-26866801 Fax: 020-25285232, e-mail-delhiashram@rediffmail.com email: marketing@nirmalinfosys.com Pratisthan Sahaja Yoga Health & Research Center, NDA Road Near Chandni Chowk. Pune-411023, Maharashtra, India Plot # 1, Sector # 8, Shri Mataji Nirmala Devi Marg, CBD, Konkan Bhavan, Belapur, Navi Mumbai - 400 703, Maharashtra, (India) Phone : (91) + (022) 27576795. 27571341, 6795. Director: Dr. (Mrs.) Madhu Rai {Contact From 10.00 Hrs IST- 14.00 Hrs IST} sahaja center@vsnl.net Nirmal Dham Sahaja Yoga Ashram Behind BSF Camp Chhawala Gaon Delhi - 110041, India Ph. 91-11-25023190 Vishwa Nirmala Prem Ashram (NGO) Home for the destitute women Plot No, 9, Institutional Area, Greater Noida, U.P. (India) Tel. 0091-120-2230681 Shri P K Salve Kala Pratishthan Near Vaitarna Dam, Village Belvad, Taluka Sahapur, District Thane. Maharashtra, India Phone: +91 2527 248528/248 530 URL: www.pksacademy.com International Sahaja Public School Talnoo, Dharamshala Cantt. Distt. Kangra H.P. 176216 India site: www.sahajapublicschool.org Publications: Subscription rates are subject to revision. The quoted rates are updated as on Jan. 2005. Sahaja School at Jejuri, India Vishwa Nirmala Vidya Mandir Clo Old Sadashiv Medicals, Chaitanya Lahari (Marathi) Rs. 225/-annually 6 issues per year Correspondence: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Plot No.8. Chandragupt Hsg. Society, Kothrud, Paud Road, Pune 411029. Maharashtra, (India) For Subscription: Demand Draft in favour of "Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd." payable in Pune. Jejuri-412303 Distt. Pune, Maharashtra, India Principal : Mr. Patrick Redican International Sahaja School Canajoharie Canajoharie.school@sahajayoga.org Sahaja Kindergarden and Ashram Borotin, Czech Republic http://www.nirmala.cz/borotin, borotin@nirmala.czb. arh : 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 20 US ($ 30)* $28 Per Annum for six issues 2042 Capstone Circle, US ($ 5.50)* $5.0 for each back issues Herndon, Virginia 20172 USA US ($11.00)* for the special issues. (703 471-8484) (*for Credit Card System) http://www.sahajayoga.org/store/subscription.asp Cheques or money orders payable to "The Divine Cool Breeze" dcb108@yahoo.com Stories, photos and artwork can be sent to The Divine Cool Breeze, Yuvadrishti (magazine managed by Yuva Shakti in India) Correspondence: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Plot No.8, Chandragupt Hsg. Society, Kothrud, Paud Road, Pune - 411029. Phone: +91-20- 5286105 yuvadrishti@yahoo.com For Subscription: Demand Draft in favour of "Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd." payable in Pune. Rs. 120/- (National) ,INR 500/- (International) 4 issues per year 881 Frederick Road, North Vancouver British Columbia, Canada V7K 2Y5 or to coolbreeze@shaw.ca Chaitanya Lahari (Hindi) Correspondence: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Clo G. L. Agrawal, 222, Deshbandhu Apartments, Kalkaji, New Delhi- 110019.India Ph.: 011-26216654 Fax: 011-26422054 For Subscription: Demand Draft in favour of "Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd." payable in Delhi. Rs. 350/- annually 6 issues per Akashwani (Yuva Shakti Magazine) C/O. Shreya Payment, 8272.141 A Street, Surrey, BC. Canada V3W 0V6 editors@akashwani.org year वर्तमान सहज परियोजनाओं की सूची Divine Cool Breeze (Indian Edition) 350/- annually 6 issues per year Correspondence: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Clo G. L. Agrawal, 222, Deshbandhu Apartments. Kalkaji, New Delhi - 110019.India Ph.: 011-26216654 Fax: 011-26422054 सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व-परिषद के तत्वाधान में www.sahajyoga.org एक नई उप वैबसाइट बनाई गई है ताकि विश्व भर के सहजयोगी सहज सामूहिकता द्वारा की जाने वाली गतिविधियों तथा चालू भिन्न परियोजनाओं का विवरण देख सर्े। For Subscription: Demand Draft in favour of "Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd." payable in Deihi. For more information like books & others visit www.nirmalinfosys.com इस साइट के बहुत से लाभ हैं:- सहजयोग को बढ़ावा देने के लिए हमारी गतिविधियों का प्रसार। Bharat Vidhata जहाँ भी उचित पाया जाए, सहजयोगियों को इन गतिविधियों में भाग लेने की (Hindi-Marathi Weekly Newspaper) Publisher: RT Manuja, Mumbai, India Phone:3793578/32956124 आज्ञा । Divine Cool Breeze Annual ताकि हम एक दूसरे से सीख सकें और बार-बार एक ही कार्य को करने के Subscription (International Edition) C/o. Sarvesh Singh., available अनावश्यक परिश्रम से बच सकें। चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 -2006 21 अंग्रेजी भाषा में लिखा गया परियोजना का हाल ही में पापा जी (सर, सी.पी.) ने भी सहजयोगियों और सहजयोगिनियों की विश्व विवरण ऐलन वैहूरी को भेजें: email : info#@daisyamerica.com और Dave Dunphy सामूहिकता के सम्मुख सहजयोग की आवश्यकता के लिए श्रीमाताजी के सन्देश को सुरक्षित रखने email : dunphitect@aol.com की आवश्यकता की घोषणा की। पापा जी का सन्देश प्रबल एवं स्पष्ट था। उन्होंने कहा..."प्रिय सहजयोगियो और सहजयोगिनियों, अब हमारे डाक केवल राष्ट्र अगुआओं को ही भेजी जानी चाहिए। स्पष्ट पता लगना चाहिए कि ये कौन से देश से आई है, विषय के साथ साथ इस सम्मुख उनके सहजयोग संदेश को सुरक्षित रखने का कार्य है यह सन्देश बहुत से ऑडियो कैसेटों, वीडियो कैसेटों आदि में निहित है। चाहे हम पर सम्पर्क पता अवश्य होना चाहिए ताकि अनुरोध एवं जानकारी के लिए उचित व्यक्ति को विश्व के किसी भी कोने में रहते हों, ये विश्वस्त लिखा जा सके। करना हमारी पहली जिम्मेदारी है कि जो भी कुछ वांछित शैली के लेख का उदाहरण देखने के उन्होंने (श्रीमाताजी) कहा है, जहाँ भी उन्होंने F - http//www.sahajayoga.org/current projects.asp अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग पुस्तक परियोजना के लिए । कहा है, उसे इस प्रकार से सुरक्षित करना है कि यह सहजयोग का अनश्वर वैभव बने । विश्व भर में यही प्रयत्न किया जा रहा है" (15 अक्तूबर, गुड़गाँव, भारत)। इस विशा में निर्मल इन्फोसिस्टम समर्पित है, ऐसा झरोखा बनने की दिशा में, जिसके माध्यम से पुरा विश्व श्रीमाताजी के सन्देश तक इच्छानुसार पहुँच सकेगा। इससे केवल श्रीमाताजी के बहुमूल्य सन्देश के प्रसार में सहजयोग परियोजनायें निर्मल इन्फोसिस्टम्ज़ एवं टैकनोलोजीज़ प्रा. लि. पृष्ठमूमि ही सहायता नहीं मिलेगी, अप्रल्यक्ष रूप से सहजयोग के आरम्भिक दिनों से लिखे गए अभिलेखों को परमपूज्य श्री माताजी ने इच्छा जतायी कि सभी सहज प्रकाशन तथा अन्य पदार्थ विश्वभर के सहजयोगियों को उपलब्ध कराये जाने चाहिए और सुरक्षित रखने में भी यह कम्पनी सहायक होगी। इससे सहज प्रकाशनों तथा पदार्थयों को अन्ततः पूरा विश्व एक ही मंच पर आ जाएगा। इस दिव्य उद्देश्य के लिए पहले से पुणे में स्थापित देश के कोने-कोने तक पहुँचा पाना सम्भव हो कम्पनी 'निर्मल इन्फोसिस' जिसे परम पूज्य श्रीमाताजी सकेगा। इस प्रकार वो लोग भी सहज सामग्रियों, ने वर्ष 2000 में आशीर्वादित किया था, पुनः उचित मूल्यों पर एक केन्द्रीय-म्रोत के माध्यम से पुस्तकों, ऑडियो-वीडियो कैसेटों को अपने स्थानीय ध्यान केन्द्रों से ले सकेंगे जिन्हें न तो कभी सहजयोग संगोष्ठियों में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ नामकरण करके 'निर्मल इन्फोसिस्टम्जू एवं टैक्नोलोजीज़ प्रा.लि. नाम दिया गया। अंक : 3& 4 -2006 22 चैतन्य लहरी सम्बन्धी साहित्य आदि (साहित्य के रूप में किसी है और न पूजा-सेमिनार में भाग लेने का सौभाग्य प्रकार के दस्तावेज/आडियो/वीडियो) के प्रकाशन से पूर्व निर्मल इन्फोसिस्टमज़ से लिखित आज्ञा लेना अनिवार्य है। बिना आज्ञा प्राप्त किए, भी लक्ष्य एवं उद्देश्य परम पूज्य श्रीमाताजी ने इस परियोजना को वर्ष 2004 में आशीर्वादित किया था .और तभी प्रकाशित साहित्य को गैर कानूनी माना जाएगा। निदेशक मंडल को भारतवर्ष में सहजयोगार्थ छपे से सहज-संदेश फैलाने के लिए यह सहज पुस्तकों एवं पत्रिकाओं के प्रकाशन, सहज- सामग्रियों के सभी दस्तावेजों/सामग्रियों पर अधिकार होगा। सृजन और विश्वभर के सहजयोगियों-विशेषकर भारतीय सहजयोगियों को उचित मूल्यों में इन्हें उपलब्ध करवाने के कार्य के प्रति समर्पित है। सभी प्रकाशित तथा अप्रकाशित आडियो-वीडियो कैसेट, सी.डी., डी.वी.डी.., पूजा की वस्तुओं, संगीत और भजन कैसेटों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ निदेशक मण्डल (Board of Directors) परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी - अध्यक्ष सर सी.पी. श्रीवास्तव सभी प्रकार की सहज पुस्तकों/साहित्य, पत्र पत्रिकाओं तथा संकलन आदि को सुरक्षित रखना भी कम्पनी की गतिविधियों में सम्मिलित है । उपाध्यक्ष निदेशक श्रीमति साधना वर्मा निदेशक श्रीमति कल्पना श्रीवास्तव भारत के स्थानीय नगर तथा राज्य ध्यान निदेशक श्री ए.क. पुगलिया केन्द्रों की निरन्तर बढ़ती हुई माँग को पूरा करने के लिए, नियुक्त किए गए अधिकृत सहजयोगी एजेंटों श्री अनिल सूद एवं निदेशक निदेशक के माध्यम से, केन्द्रीय वितरण-प्रणाली द्वारा निर्मल श्री राजेश गुप्ता इन्फोसिस्टम कार्यरत है। इसका केन्द्रीय भण्डार श्री मुनीश पाण्डे महाप्रबन्धक (G.M.) पुणे में है। नगर ध्यान केन्द्रों को छपी हुई सूची पुस्तिका के माध्यम से सहज-प्रकाशनों तथा सामग्रियों की पूर्ति की जाती है और वहाँ से सहजयोगी सम्पर्क निर्मल इन्फोसिस्टम्जू एवं टैक्नोलोजीज़ प्रा.लि. :- सुविधानुसार इन सामग्रियों को खरीद सकते हैं। 8 चन्द्रगुप्ता हाउसिंग सोसाइटी, कोथरुड, पॉड रोड अत्यन्त सावधानीपूर्वक उच्च गुणवत्ता वाली सहज सम्बन्धी सामग्रियाँ बनाने के लिए पथ-प्रदर्शन, पुणे-4110029 सम्पादन, प्रकाशन, छपाई तथा पुनर्उत्पादन के लिए आधुनिकतम कला-तकनीकों को अपनाने का प्रयत्न फोन : +91-20-25286537 फैक्स : +91-20-25-286722 किया जा रहा है। अतः अब भारत में सहज : marketing@nirmalinfosys.com वैबसाइट : www.nirmalinfosys.com ईमेल माताजी श्री निर्मला देवी का जन्म स्थल छिन्दवाड़ा भारत मंगलवार, जुलाई 26. 2005 भारत में सहजयोग के सभी मामलों के स्थानान्तरित कर दी गई है। जन्म-स्थल अभिग्रहण के लिए श्रीमाताजी के परिवार के सदस्यों (सर सी. पी. दो प्रबन्धन के लिए 7 अप्रैल 2005 को श्रीमाताजी ने "परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी ट्रस्ट" (न्यास) पुत्रियां - कल्पना और साधना) ने भी उदारतापूर्वक की स्थापना की। वे राष्ट्रीय न्यास की अध्यक्षा (Chairperson) हैं । सर सी. पी. इसके उपाध्यक्ष हैं और राजेश शाह सह उपाध्यक्ष (Joint Vice सहयोग दिया है। विश्वभर के सहजयोगी युग युगान्तरों तक श्रीमाताजी के परिवार के इस गौरवमय सहयोग और हमारी परम पावनी श्रीमाताजी की धरोहर को शाश्वत बनाए रखने की उनकी वचनवदधता के लिए उनके प्रति आभारी रहेंगे। Chairman)। इस न्यास, जो अब भारत में सहजयोग को सामूहिक नेतृत्व प्रदान करेगा, में 12 न्यासी हैं तथा सात विशिष्ट आरमन्त्रित सदस्य । 17-सी, कुतुब इन्सटीच्यूशनल एरिया स्थित सहज मन्दिर में इसके राष्ट्रीय न्यास के प्रतिनिधित्व में, भारतीय सामूहिक नेतृत्व, अब अपनी परम पावनी माँ के चरण कमलों में, उनके जन्म स्थल पर विश्व सहजयोग आश्रम तथा सुन्दर स्मारक बनाने के पावन एवं महत्वपूर्ण कार्य को सम्पन्न करने की जिम्मेदारी, सम्भालेगा। इस कार्य के लिए शीघ्र ही एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा। इस पावन कार्य में, विचारों, संसाधनों तथा स्वैच्छिक कार्य द्वारा योगदान करने के लिए सभी आमन्त्रित हैं इस कार्य में सहयोग करने के इच्छुक व्यक्ति सम्पर्क करें: दफ्तर होंगे। अन्तर्राष्ट्रीय सामूहिकता के लिए तथा यहाँ स्मारक (Memorial ) बनाने के लिए अस्तित्व में आते ही राष्ट्रीय न्यास ने श्रीमाताजी के पावन जन्म स्थल छिन्दबाड़ा के घर) के अधिग्रहण कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। राष्ट्रीय न्यास की 'परिसम्पत्ति पर वन्धन समिति' (Asset Management Committee) को यह कार्य सौंपा गवा। सभी न्यासियों एवं नागपुर, भोपाल, पुणे राजीव कुमार, कार्यकारी सचिव और मुम्बई के सहजयोगियों के सामूहिक प्रयासों से तथा श्री दिनेशराय, अध्यक्ष, 'परिसम्पत्ति प्रवन्धन समिति,' राष्ट्रीय न्यास' के अथक प्रयत्नों से 14 जुलाई, 2005 को यह पावन कार्य सम्पन्न हुआ। अधिकारिक (कानूनी) रूप से यह सम्पत्ति 'परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग टूरस्ट' को हस्तान्तरित कर दी गई है तथा इसकी सभी कानूनी भारतीय सामूहिकता की ओर से औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई हैं। 14 जुलाई के दिन इस पावन स्थल पर सामूहिक हबन एवं पूजा सम्पन्न की गई। श्रीमाताजी के आदेशानुसार इस स्थान पर श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग विश्व- आश्रम' और 'श्रीमाताजी का पावन जन्म स्थान' के नाम-पट्ट भारतीय राष्ट्रीय न्यास aarkey1951@yahoo.co.in या 91-9818098072 इस ऐतिहासिक कार्य के गहन महत्व को समझते हुए भारतीय सामूहिक नेतृत्व श्रीमाताजी से प्रार्थना करता है कि इस कार्य को सम्पन्न करने हेतु हमें विवेक, साहस एवं विनम्रता प्रदान करें। राजीव कुमार विश्व के सभी सहजयोगियों के लिए पावनतम तीर्थ छिन्दवाड़ा में श्रीमाताजी का जन्मस्थल, उस घर को न्यास ने अभिग्रहण कर लिया है और यह विश्व भर के सहजयोगियों का स्थायी तीर्थ-स्थल वनेगा दूढ़ करने के लिए पुराने घर का पुनरुद्धार किया जाएगा। देश-विदेश से जन्मस्थल पर श्रद्धा सुमन चढ़ाने के लिए आए सहजयोगियों को ठहराने के भारत के नए स्थापित राष्ट्रीय न्यास के खाते में लिए भी न्यास एक नए भवन का निर्माण करना (Sign Boards) भी लगा दिए गए हैं। यहाँ यह वता देना आवश्यक होगा कि छिन्दबाड़ं निवास के अभिग्रहण करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय अपील द्वारा एकत्र की गई पूरी धन-राशि, अक : 3 & 4 - 2006 24 चैतन्य लहरी देवी ने अनाश्रित महिलाओं तथा अनाथ बच्चों, विशेष रूप से लड़कियों के हितार्थ समर्पित, इस संस्थान का 'गैर सरकारी हितार्थ संस्थान' के रूप में 27 मार्च, 2003 को उद्घाटन किया। चाहता है। भवन निर्माण के लिए शीघ्र ही भूमि का अभिग्रहण किया जाएगा ताकि भारत या विश्व के किसी भी कोने से आप लोग वहाँ जा सकें। विश्व के सहजयोगियों के लिए अब यह वास्तव में पावनतम ये आश्रम समाज की असहाय, अनाश्रित महिलाओं को आरज़ी तौर पर निःशुल्क भोजन, वस्त्र, स्थानों में से एक या सम्भवतः 'पावनतम तीर्थ' बनेगा। रहने का स्थान, व्यवसायिक प्रशिक्षण तथा चिकित्सा सुविधायें मुहैया करवाता है। 6 से 24 माह के प्रशिक्षण के बाद उनसे आशा की जाती है कि अब वे स्वतन्त्र हैम सब एक साथ चलेंगे, और व्यक्तिगत छोटी या बड़ी सामूहिकता के रूप में, अपनी माँ द्वारा आपको दिए गए सहजयोग संदेश के प्रचार-प्रसार के प्रयत्न में हाथ बटाने के लिए, में आप सब को आमन्त्रित करता हूँ। (नवरात्रि पूजा संध्या, गुड़गाँव, भारत, 15.10.2005 को सर सी.पी. (पापा जी) के विश्व सहज सामुहिकता को यहाँ प्रवेश मिल सकेगा 2 वर्ष से 8 बर्ष तक के के सम्मुख दिए गए भाषण से उद्धृत) रूप से जीविकार्जन करें और सम्मानमय जीवन बिताएं। उपयुक्त नौकरियां खोजने में भी उनकी सहायता की जाएगी। 40 वर्ष तक की आयु की अनाश्रित महिलाओं अनाथ बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। इन्हें 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क भोजन, वस्त्र, रहने का स्थान, शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इसके बाद इन्हें जीवन में पुनः स्थापित किया जाएगा। ग्रे टर नोएडा के प्रतिष्ठित ज्ञान पार्क/ इन्स्टीच्यूशनल एरिया में लगभग 10००० वर्ग मीटर भूमि पर वने, विशाल वाटिका एवं दो मंजिले विशाल भवन में रहने वाले आश्रम के निवासी, स्वच्छ, सुन्दर जीवन, पोषक भोजन, खेलकुद तथा प्रेममय पारिवारिक वातावरण का आनन्द उठाते हैं। उनका आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शन भी किया जाता है ताकि आन्तरिक शान्ति एवं सन्तुलन की अवस्था प्राप्त करके वे जीवन का अधिक बेहतर ढंग से सामना कर सकें। ऐसे अनाथ बच्चों तथा अनाश्रित महिलाओं के हितार्थ आप निम्नविधि से सहजयोग कर सकते हैं :- विश्वनिर्मल प्रेम आश्रम अनाश्रित महिलाओं एवं अनाथ बच्चों की शरणस्थली (परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी संस्थान" की परियोजना ) (गैर-कानूनी हितार्थ संस्थान) रजि. संख्या - एस-31374 पंजीकृत कार्यालय- सी 17, कुतुब इन्स्टीच्यूशनल एरिया, नई दिल्ली 110016 ( भारत) फोन : +91-11-26966652, फैक्स +91-11-26866801 : delhiashram@rediffmail.com ई मेल आश्रम का पता आश्रम के पते और फोन संख्या पर आश्रय विश्व निर्मल प्रेम आश्रम प्राप्त करने के लिए हमारे पास आने की प्लाट नं. 9, इन्स्टीच्यूशनल एरिया, ग्रेटर नोयडा, उ.प्र. ( भारत) फोन : 91-120-2230681 सलाह आप उन्हें दें। आश्रम के पते पर अपने चन्दे "H.H. Shri Mataji Nirmala Devi Foundation" a नाम चैक/ड्राफ्ट द्वारा भेजें। आश्रम द्वारा बच्चे पर खर्च की गई धनराशि आश्रम को लौटाकर एक बच्चा कानूनी रूप से गोद लें। मो. : 91-9810774865 E-mail : Gisela_oma_7@yahoo.com भारत और विदेशों में आरम्भ होने वाली परियोजनाओं की शृंखला में विश्व निर्मल प्रेम आश्रम पहली परियोजना है। परम पूज्य माताजी श्री निर्मला *ं अंक : 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 25 माध्यम से आना होगा। ये दर्शाने के लिए, कि उनके न तो पारिवारिक बन्धन है और न ही वे समाज द्वारा "H.H. Shri Mataji Nirmala Devi ें Foundation" के नाम स्टैन्डर्ड चार्टर्ड बैँंक, ई10, कनाट प्लेस, नई दिल्ली 110001 भारत को सीधे अपने चन्दे भेजें। त्यागी गई हैं, उनके पास आवश्यक प्रमाण पत्रोंदस्तावेजों का होना आवश्यक है। आश्रम को अधिकार है कि बिना कोई कारण बताए किसी भी महिला का आवेदन रद्द कर सके। आश्रम अधिकारी यदि उचित समझेंगे तो किसी भी महिला को लम्बे समय तक आश्रम में वनें रहने की आज्ञा दे सकते हैं। इस कार्य के लिए उस ाहिला को उचित पारितोषिक दिया जाएगा। शासी- परिषद को किसी भी शर्त की उपेक्षा करने का अधिकार है। 5. शासी निकाय (Governing Body) सोसाइटी-विधान के अनुरूप सोसाइटी की 6. शासी परिषद के वर्तमान सदस्यों के नाम और पद इस प्रकार हैं :- परम पूज्य माता जी श्री निर्मला देवी संस्थापक एवं अध्यक्षा 7. श्रीमति साधना वर्मा श्रीमति किरण वालिया श्री विनय अनन्त देओपूजारी श्रीमति Gisela Matzea श्रीमति विनीता कुमार श्रीमति नीता राय श्रीमति मालिनी खन्ना श्रीमति मालती प्रसाद श्री आर. डी. भारद्वाज सदस्य सचिव कोषाध्यक्ष अनाथ लड़की को आश्रम में प्रवेश देने के लिए दिशा-निर्देश सदस्य सदस्य सामान्य रूप से 2 से 8 वर्ष की आयु की अनाथ बालिका को प्रवेश दिया जाएगा। परन्तु विशेष परिस्थितियों में न्यासियों की आज्ञा से ৪ साल से बड़ी 1. सदस्य सदस्य सदस्य आयु की अनाथ बालिका को भी आश्रम में प्रवेश दिया सदस्य जा सकता है। लेखा-परीक्षक श्री जी.एल. अप्रवाल (विशेष निरमन्त्रित) प्रवेश से पूर्व बच्चे को स्वास्थ्य जाँच के लिए भेजा जाएगा ताकि संक्रामक रोगों से बचा जा सके। सहजयोग केन्द्र, पुलिस, गैर सरकारी हितार्थ संस्थान, धार्मिक संस्थाएं या कोई विश्वसनीय संस्था/व्यक्ति/दूर का सम्बन्धी बच्चे का प्रवेश करवा 2. आश्रम में आश्रय खोजने वाली असहाय 3. अनाश्रित महिलाओं के लिए दिशा निर्देश: 60 वर्ष तक की आयु की महिलाएँ सीमित समय के लिए अपनी योग्यतानुसार 6 से 24 महीनों का व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आश्रम में आश्रय के लिए निवेदन कर सकती हैं। इन महिलाओं के लिए आश्रम तथा सहजयोग ध्यान-धारणा के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। 1. सकता है। वालिका को प्रवेश के लिए लाने वाले व्यक्ति को बच्चे के माता-पिता की मृत्यु प्रमाण पत्र या कोई 4, अन्य प्रमाण पेश करना होगा जिससे सावित हो कि बालिका वास्तव में अनाथ तथा गरीब है। 2. पुलिस या स्थानीय दण्डाधिकारी खोई हुई बालिका का प्रवेश करवा सकते हैं। बाद में यदि अभिभावक मिल जाता है तो उसे बालिका पर खर्च की गयी राशि आश्रम को लौटानी होगी। 5. उन्हें अपनी स्वास्थ्य जाँच करवा कर आश्वस्त 3. करना होगा कि वे ऐसे रोगों से पूर्णतः मुक्त हैं जिनका कुप्रभाव आश्रम में पहले से विद्यमान लोगों पर हो सभी प्रविष्ट बच्चों के लिए आश्रम के कायदे सकता है। 6. आश्रम में आश्रय पाने की इच्छुक महिलाओं को सहजयोग केन्द्रों, पुलिस, जेल, गैर सरकारी हितार्थ संस्थाओं, समाज सेवियों या अन्य अधिकृत लोगों के कानून मानना तथा सहजयोग ध्यान-धारणा करनी अनिवार्य होगी। 4. चैतन्य लहरी अंक : 3 & 4 -2006 26 निकाल दिया। ऐसे बहुत सारे हमने जीवन में अनुभव लिए और जिसकी बजह से अत्यन्त व्य्ित हो गए। सरकार के नियमों के अनुसार प्रवेश किए गए बच्चों पर आश्रम के सभी पितृसुलभ अधिकार होंगे। प्रवेश की गई अनाथ बालिका के पालन- पोषण, शिक्षा, विवाह, गोद-द्ेने आदि का न्यासियों को पूरणाधिकार होगा। कोई बच्चा यदि अपने आप आश्रम छोड़ देता है, खो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके लिए किसी भी प्रकार का मुआवजा देने के लिए आश्रम बाध्य नहीं होगा। 7. समझ में नहीं आता था कि इस तरह से क्यों औरतों को सताया जा रहा है और इनके रहने की भी व्यवस्था नहीं। जब घर से निकल गई तो उनको देखने वाला भी कोई नहीं है। वाल बच्चे ले करके निकल आई थी बेचारी। वो लोग तो हैं निराश्रित पर बच्चों को भी बिल्कुल बुरी तरह से निकाल देते हैं यह अपने यहाँ की व्यवस्था किस तरह से बदल सकती है? इसका कोई इलाज है या नहीं? मैंने बहुत वार सोचा कि इसके बारे में लिखना चाहिए, पर लिखने से इसके लिए कोई व्यवस्थित रूप से कोई इन्तजाम करना होगा, कोई व्यवस्था करनी होगी, और एक तरह से वड़ा दिल कचोटता था। ऐसी अनेक-अनेक औरतें देखी हमने जो आज रास्ते पर भीख माँग रही हैं। लोगों ने बताया कि अच्छा तरीका है भीख माँगने का। ৪. १. आश्रम के न्यासियों को किसी भी बच्चे के प्रवेश पर रोक लगाने या आश्रम से निष्कासित करके उसे किसी सुरक्षित स्थान पर भेजने का पूर्ण अधिकार होगा इसके लिए वे कारण बताने पर भी बाध्य नहीं होंगे। शासी निकाय (Governing Council) को अधिकार है कि वे उपरोक्त किसी भी शर्त की उपेक्षा 10. कुछ नहीं होगा 11. मैंने कहा कि भाई तुमको माँगना पड़े तो पता चले। औरतों के प्रति एक अत्यन्त उदासीन प्रवृत्ति जो अपने देश में आ गई है मुझे उससे तो रोना ही आता था। और इसीलिए मैंने यह ठान लिया था कि इनके रहन-सहन का इनके खानपान का, इन बेचारी औरतों का कुछ न कुछ इलाज तो करना चाहिए। कर सकें। 27 मार्च 2003 को विश्व निर्मल प्रेम आश्रम, ग्रेटर नोएडा (भारत) के उद्घाटन समारोह के अवसर पर परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी के प्रवचन से उद्धरण : वो लोग रास्तों में भीख मांगती हैं, इर तरह ...अपने देश में जो अनेक प्रश्न हैं, उसमें सबसे बड़ा प्रश्न है कि यहाँ पर औरतों को और आदमियों को अलग-अलग तरीके से देखा जाता है। पता नहीं ये कैसे आया, क्योंकि अपने शास्त्रों में तो लिखा नहीं है। कहते हैं शास्त्रों में कि: का काम करती हैं, उनको मैंने घर में बुलाया, उनसे बातचीत करी तो कोई कारण नज़र नहीं आता। आदमियों को कोई औरत अच्छी लग गई, उसकी (पत्नी) छुट्टी करो। दूसरा कुछ बहाना करके औरत को घर से निकाल दो। पता नहीं क्यों ? औरत एक महान जीवन है, उसी से सारा संसार खड़ा होता है । उसी से अपने देश में हजारों बाल-बच्चे इस संसार में आते हैं। पर उनके प्रति इस तरह बेकट्टी से लोग पेश आते हैं कि सहते-सहते औरत भी पागल हो जाए। पर नहीं, वो अपने बच्चों की बजह से बड़े हिम्मत से जीती हैं । लेकिन करे क्या उसके पास और खाने का तत्र रमन्ते देवता 'तो पता नहीं केसे हमारे देश में इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है, इसमें औरतों के प्रति कोई भी आदर नहीं है। मेरा विवाह यू.पी. में हुआ और मैं देखकर हैरान हुईं कि यू.पी. में घरेलू औरतों का कोई स्थान ही नहीं है। उनमें और नौकरानियों में कोई फर्क ही नहीं है। यह इस प्रकार क्यों हुआ और क्यों हो रहा है ? क्योंकि लोग उस ओर जागृत नहीं है। कभी-कभी देख कर रोना आता है, जिस तरह से औरतों को छला है, से यत्र पूज्यन्ते नार्या जरिया नहीं, कोई तरीका नहीं, तो वो क्या करे, कहाँ जाए, किससे भीख मांगे ? कोई उनको दरवाजे में भी खड़ा नहीं करता। इसका कोई इलाज मुझे दिखाई नहीं घर से निकाल दिया! कोई बजह नहीं, यूं ही घर चैतन्य लहरी अक : 3 4 - 2006 27 दिया। इसीलिए मैंने बहुत सोचा कि सवसे बड़ा काम, अगर कुछ है, तो इन औरतों के लिए कोई स्थान बना देना है मैंने यही सोचा कि यहाँ आ करके वो सीख लेंगी, कुछ न कुछ काम सीख लेंगी। इसके अलावा यह लोग मालिश करना सीख सकती हैं, इसके अलावा यह लोग छोटे-छोटे अपने होटल जैसे बना सकती हैं। पर उनकी सहायता करने के लिए कोई चाहिए, कोई स्थान चाहिए, और उनको समंझाने के लिए कोई चाहिए । आपकी जो दुष्टि है उसमें करुणा होनी चाहिए। आत्मा को प्राप्त करके आपके अन्दर करुणा नहीं हुई लो क्या फायदा ? करुणा होनी चाहिए और उस करुणा में आप देखिए, चारों तरफ आप देखकर परेशान हो जाएंगे कि यह मॉएं और बहनें किस दुष्वक्र में फंस गई हैं इसके लिए आपसे विनती है मेरी कि आप आस-पास आँख घुमा कर देखिए, घर-बाहर देखिए और औरतों की जो स्थिति बनाई हुई है उसे व्यवस्थित करने का प्रयत्न करें। हमने तो छोटा सा एक प्रयास किया है पर आप इसी ख्याल से मैंने यह आश्रम बनाया है ओर इसमें सभी के प्यार को ललकारा है, सारे विश्व के प्यार को ललकारा है कि सब लोगे प्यार से इसे देखें। इन बिचारी औरतों का कोई दोष नहीं हैं, वो जो दर-दर में भीख मांग रही हैं इसका उत्तरदायित्व हमारे समाज का है। बहुत दुख होता है, एक ओरत के नाते मुझे बहुत रोना आता था देख-देख के और यह जब बनने लगा तो मैंने कहा कि किसी तरह से यह पूरा हो जाए। और इसमें मेहनत करी काफी, इसका डिजाइन भी हमने बनाया। इसकी विशेषता यह है कि इसमें जो आपको सफेद रंग दिख रहा है यह खराब होने वाला नहीं। एक अजीबो गरीब तरीके से बनाया है, यह इटली में मैंने सीखा था। इटली में मैंने सीखा था कि ऐसा रंग बनाना चाहिए कि जो छूटे न और मुझे इसका मालूम है (तकनीक) और उसको इस्तेमाल करने से देखिए कितना सुन्दर सफेद रंग बन गया! यह कभी खराब नहीं होगा, कितना भी इस पर पानी आ जाए, लोग बहुत कुछ कर सकते हैं। इसलिए में आप सबसे विनती करती हैं कि जैसा आप मुझे प्यार करते हैं ऐसा ही आप अपनी माँ को और अपनी बहनों को प्यार करें। अनन्त आशीर्वाद। विश्व निर्मल प्रेम आश्रम, ग्रेटर नोएडा (भारत) के 'भूमि पूजन के अवसर पर 7 अप्रैल, 2000 को परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी के प्रवचन से उद्धरण :- अब इस संस्था को चाहिए कि सब लोग पूरी तरह से मदद करें। ये नहीं कि सिर्फ पैसा दे दें, पर इसको पनपाने में अब सबसे बड़ा प्रश्न तो ये है कि हमें ऐसी औरतों को खोजना है, उनको खोज कर निकालना है अब हमें क्या पता कि कहाँ कि औरतें हैं, क्या ? अब हम तो यहाँ रहते भी नहीं। तो इस तरह हैं, जो पीड़ित हैं, दुःखी हैं और जिनका कोई सहारा नहीं, और जो विधवा बन कर बहुत कुछ सह रही हैं, ऐसी सब औरतों को आपको इस संस्था में लाना चाहिए। अभी तो ये कह रहे हैं कि 100 औरतों का इंतजाम है। 100 से क्या होगा, पर उसके बाद उनसे बातचीत करके, उनको समझा बुझा के, जो लोग अंदर आएंगी बो तो आएंगी ही लेकिन जो बाहर रहेंगी, उनको भी समझाया जा सकता है, उनके घर वालों को भी समझाया जा सकता है। अपना ही देश ऐसा है जहाँ अब भी कुटुम्ब व्यवस्था चल रही है। बाकी कहीं नहीं है उसका कुछ हो जाए, कभी खराव नहीं होगा। यह मॅंने एक experiment की तरह से, लेकिन यह चीज़ है बड़ी अच्छी। क्योंकि अपने देश में पता नहीं क्यों इस तरह के लोग चीज़ नहीं बनाते और इस तरह की चीज बनाना कोई मुश्किल नहीं। मैंने कितनों से कहा कि आप इसको इस्तेमाल करें, सो यही वात हुई कि कौन करे तवालत, कौन करे यह आफत। इसमें कोई तवालत नहीं है, कोई आफत नहीं है। पर भारत देश में एक और प्रथा चल पड़ी है कि जैसे चले वैसे चलने दो। की औरतें अगर आपको मालूम .....सहजयोग से आप आत्मा को प्राप्त होते हैं, आप आत्मा को जानते हैं, पर सबके तरफ अंक : 3 & 4 -2006 28 चतन्य लहरी ही को आप नहीं जोड़ सकते तो आप किसको जोड़ेंगे? सबको चाहिए कि प्रेम से आपस में रहें। अब आप सहजयोगी हो गए और ये बड़ी भारी बात आपने प्राप्त उत्तरदायित्व औरतों को है, आदमियों को नहीं। ये भारतीय नारी की विशेषता है जिसने इस देश को रोक रखा है, नहीं तो कब के चले जाते। इसलिए अब आप समझ लीजिए कि गर आपने अतिशयता करी तो यही करीं। ये ज्ञान मार्ग है और इसमें आपको पता है प्रेम औरतें जो हैं क्रान्ति कर देंगी आपके लिए। वो ठीक नहीं है, वो प्रेम का हनन है, अच्छी बात नहीं है अच्छी बात ये है कि समझदारी रख कर अपनी स्त्रियों की, चीज़ से आप हैरान होइयेगा कि सारा समाज एकदम अपनी बेटियों की हिफाज़त करें। उनको देखें, सम्भालें. उनको प्यार दें। और उनको ये पता होना चाहिए कि आप उन्हें प्यार करते हैं। पूरी समझ, इसमें कोई ऐसी बात नहीं कि वो आपकी खोपड़ी पर बैठ जाएंगी। एकाध होती है। लेकिन आदमी गर कमजोर नहीं है तो औरत कभी भी उसकी खोपड़ी पर नहीं बैठ सकती। ". पर वो इतनी दबी हुई भी नहीं रहना वाहिए कि जिससे बच्चे भी नहीं पनप रहे हैं, जिसमें कुछ फुल ही नहीं खिल सकते। बच्चे तो माँ को मानते ही नहीं । माँ के पेर भी इस तरह से छुएँगे जैसे कोई इंट या पत्थर बीच कोई जरूरत नहीं गर ये सबके अच्छे के लिए है तो में पड़ा हो। और बाप को फुरसत नहीं । तो बच्चे तो बिगड़ ही जाएंगे। और उससे जो जो आज दशाएं हुई चाहिए। समझदारी में बढ़ना चाहिए। हैं, जो-जो आप पढ़ते हैं, पेपर में देखते हैं, उसका कारण ही ये है कि हमारी कुटुम्ब व्यवस्था ठीक नहीं है। वो बहुत जरूरी है कि उसको आप ठीक रखिए । यही हमारे समाज का ताना बाना है। इसके सहारे आज आप भी यहाँ बैठे हुए हैं और आगे भी अगर चलना है तो कृपया याद रखिए कि औरत का मान रखना उसका उत्यान करना और लोगों को परिवर्तित करना भी आपको परम लक्ष्य की तरह से समझना चाहिए हैं जो बात मैंने कही है उसको आप हृदय में बाँध लें । और उधर ध्यान देना चाहिए। ये मेरी आंतरिक इच्छा है। ऐसा आपको सबको मैं हमेशा कहती हैं, कि अनन्त आशीर्वाद। किन्तु उस आशीर्वाद में सबको अपने साथ समेटिए। हमें तो लोगों को जोड़ना है। जब एक कुटुम्ब क्या चीज़ है और किस तरह से आदान प्रदान करना चाहिए। आपस में किस तरह से समझना चाहिए। इस वदल जाएगा। अपने को परदेसियों जैसे नहीं होना है। बिल्कुल भी नहीं। वहाँ तो कचहरी करेंगी औरतें, अमेरिका में तो औरतें सात-सात, आठ-आठ शादी करती हैं। औरतें और रईस हो जाती हैं तो पति सब गरीब हो जाते हैं । ये हम लोग नहीं चाहते चाहते क्या है? आपसी प्रेम हो, बच्चे अच्छे से हों और आप देखिए, इससे बड़ा लाभ होगा यहुत लाभ होगा। इतना लाभ होगा कि ऐसे समाज का और ऐसे देश का। इसमें ये आपसी झगड़े करना को्ट कचहरी करना, 1 1 ये ही क्यों नहीं करते। इस तरह से समझदारी आनी 1 यहाँ तो मैं देख रही हैं बहुत से सहजयोगी बैठे हुए हैं, तो उनके लिए एक नई बात अब वता रही हूं। आप सहजयोगी हैं तो सब लोगों को समझ लेना चाहिए कि ये सहजयोगी हैं। उसी प्रकार सहजयोगी को समझ लेना चाहिए कि जो सहजयोगी हैं बो हैं जो नहीं हैं तो नहीं है। सबको समेटना आना चाहिए। इसी सहजयोग के स्वभाव से ही आप दुनिया को जीत सकते यह दर्द है मेरे अन्दर। इस दर्द को आप लोग खत्म कर सकते हैं ।" आप सबको अनन्त आशीर्वाद । अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल तालनू, धर्मशाला अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल हिमालय की गोद में धौलगिरि पर्वत शृंखलाओं पर एक अत्यन्त रमणीक स्थल पर स्थित है। 'धौल' अर्थात 'विशुद्ध' निर्मल। और 'धार' अर्थात शृंखलाएं। यह पर्वतमाला धौलाधार लहरियों का प्राचुर्य विद्यार्थियों को आध्यात्मिकता का कहलाती है। 2000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, यह स्थल, भारत में हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटक केन्द्र 'धर्मशाला' से लगभग 16 किलोमीटर दूरी पर है। स्कूल के लक्ष्य एवं उद्देश्य आधुनिक मानव को नैतिकता एवं विवेक से मैंने उनसे पूछा, "आप क्या करते हो ?" उन्होंने उत्तर आशीर्वादित करने के लिए परम पूज्य श्रीमाताजी ने दिया, "श्रीमाताजी, हम ध्यान धारणा करते हैं। स्कूल शिक्षा की एक अद्वितीय प्रणाली विकसित की है यहाँ पर दी जाने वाली शिक्षा बच्चे को अबोधिता की साथ इस शांत गरिमामय वातावरण में यह उसकी स्वाभाविक उत्सुकता, सृजनात्मकता तथा कल्पना शक्ति को उभारता है, बढ़ावा देता है। बातावरण में चैतन्य सार और आत्मसाक्षात्कारी जीवन शैली को समझने में सहायता देता है श्रीमाताजी कहती हैं," कि मॅने देखा है कि धर्मशाला स्कुल से आने वाले हमारे बच्चे अत्यन्त आत्मविश्वस्त और अत्यन्त विनम्र होते हैं। में हम शाम को ध्यान-धारणा करते हैं और ध्यान- धारणा हमारी बहुत सहायता करती है।" छोटे-छोटे बच्चों का ये कहना, इसकी आप कल्पना करें! आध्यात्मिकता-विकास के सार के अतिरिक्त पावनता का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करने के साथ साथ जीवन के सार का ज्ञान पाकर विश्व का वहुमूल्य नागरिक भी बनाती है श्रीमाताजी कहती हैं. "अवोधिता ऐसा शाश्वत गुण है जो न तो कभी खो करने कार्य करने, परस्पर बाँटने, बिना स्पर्धा (ईर्ष्या) स्कूल बच्चों को व्यक्तित्व विकसित करते हुए अभिव्यक्त की भावना को बढ़ावा दिए, प्रेम-पूर्वक खेलने तथा सामूहिकता की वास्तविकता का आनन्द लेने की भी आज्ञा देता है। अपने माता-पिता, बुजुगों, अध्यापकों, सकता है और न ही नष्ट हो सकता है।" बौद्धिक तथा आध्यात्मिक रूप में विकसित होने के लिए विश्व भर से आए विद्यार्थियों में दिव्यत्व प्रतिबिम्बित करना स्कूल का मूल उद्देश्य है। एक अन्य रहस्योद्घाटन में श्रीमाताजी साधियों, सरकारी सम्पत्ति, देश और विस्तृत रूप से कहती हैं,"पश्चिमी देशों की चौंका देने वाली स्थिति विश्व के प्रति अपनी व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी जिस प्रकार साबित करती है, हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली मानव में अन्तर्निहित गुणों को उभारने में असफल हो रही है। हमारे जन्मजात आत्मसाक्षात्कारी ने इस प्रकार से टिप्पणी की..."लोग प्रायः कहते हैं कि तथा सहजयोगी बच्चों को एक ऐसी ज्योतिर्मय शिक्षा हिमालय ब्रह्माण्ड की पीठ की तरह से है। परन्तु हम प्रणाली की आवश्यकता है जिसमें उन्नत होकर वे इस सत्य की अभिव्यक्ति कर सकें कि पृथ्वी पर महान-आत्मार्ये अवतरित हुई हैं। 'अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल' के नाम से है।" ये उनका स्कूल है और वे (श्रीमाताजी) हमेशा प्रसिद्ध यह स्कूल प्रकृति प्रेम, पर्यावरण के प्रति सावध गनी, सौम्यता, कुलीनता, ईमानदारी विवेक के साथ साथ साहसिकता का गुण भी बच्चों के मस्तिष्क में भर देने के लिए सदैव प्रयत्नशील है। इस देवभूमि में उन सभी चीजों का प्राचुर्य है जो मानव की आत्मा को अलंकृत करती हैं। व्यक्ति के अन्तर्परिवर्तन के साथ निभाने के लिए बच्चों को सचेत किया जाता है इसीलिए स्कूल के स्नातक, एक पूर्व विद्यार्थी जानते हैं कि ये भारत का और विश्व का सहस्रार है। 1 ये बो स्थान है जहाँ आकाश हमेशा चैतन्य लहरियों की चमक और श्रीमाताजी के दिव्य प्रेम से ज्योतिर्मय होता अपने बच्चों पर कृपा-दूष्टि बनाए रखती हैं। शिक्षा, मानक विद्वता और दिनचर्या (Education, Standards, Academics and Routine) स्कूल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की भारतीय परिषद से सम्बद्ध (Affiliated) है और प्रथम से दसवें चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 -2006 30 दोपहर पश्चात का सत्र सम्पन्न होता है। 6.15 सांय दर्जे तक के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। पर शाम की ध्यान- धारणा के साथ शाम का सत्र शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा है। ये आवासी आरम्भ होता है और फिर गृह कार्य तथा सभा के लिए तैयारी कक्षाओं का समय होता है। रात्रि भोजन के स्कूल है जिसमें निवास और भोजन की सुविधाएं. उपलब्ध हैं। इसमें पन्द्रह शयनागार (Dormitories) हैं, हर आठ बच्चों के समूह के लिए एक प्रभारी अधिकारी कार्यरत है। शयनागार आन्टी (Dorm Anties) और प्रभारीगण माता-पिता की तरह से बच्चों की देखभाल करते हैं । वाद रात को प्रायः 10 बजे विद्यार्थी सो जाते हैं मौसम के परिवर्तन के साथ-साथ दिनचर्या में भी परिवर्तन होता रहता है। पढ़ाए जाने वाले विषयों में अंग्रेजी प्रथम भाषा है, हिन्दी और जर्मन दूसरी। इसके अतिरिक्त गणित, विज्ञान (जिसमें शरीर विज्ञान, रसायनशास्त्र, जीव-विज्ञान है) सामाजिक विज्ञान (जिसमें इतिहास स्कूल का सत्र 23 मार्च से आरम्भ और 21 दिसम्बर को समाप्त होता है। हर सत्र में पांच जाँच (Test) होती हैं, तीन इकाई जाँच, एक अर्छवार्षिक परीक्षा तथा एक वार्षिक पीरक्षा ली जाती है। सभी भूगोल, नागरिक शास्त्र सम्मिलित हैं), तथा कम्प्यूटर जाँचों (परीक्षाओं) के परिणाम के आधार पर वार्षिक रिपोर्ट बनाई जाती है। पाठशाला में 6-7 हजार पुस्तकों के शानदार संग्रह वाला एक पुस्तकालय है। इसके अतिरिक्त सहज साहित्य, ऑडियो और वीडियो कैसेटस से परिपूर्ण एक विशेष सहज पुस्तकालय भी है। विज्ञान तीसरी कक्षा से पढ़ाये जाते हैं। पाठयक्रम में सम्मिलित अन्य विषयों में संगीत (गायन, बाद्य), नृत्य (शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य और स्वॉग नृत्य), काष्ट शिल्प (Wood work), आरेखण (Drawing) और चित्रकला, मृत्तिका ( Clay work), कागज शिल्प हैं। सभी बच्चों को विद्यार्थी वीजा के लिए आवेदन स्कूल में भारतीय एवं यूरोपीय भोजन की सुविधा उपलब्ध है। भोजन में पोषक तत्वों पर विशेष करना अनिवार्य होगा। किसी अन्य प्रकार का वीजा 1. स्थानीय विदेशी पंजयन दफ्तर (F.R.०.) द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। पर्यटक बीज़ा पर आने वाले विद्यार्थियों को छः महीने के बाद भारत छोड़ना पड़ेगा। जिन माता-पिता को अपने बच्चों के लिए विद्यार्थी वीज़ा आवेदन करना हो वे निम्नलिखित सूचनाओं के ध्यान दिया जाता है। स्कूल की अपनी बेकरी है जहाँ विद्यार्थियों के लिए ताजे भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं। मनोरंजन के तौर पर बच्चे नियमित रूप से सहज पत कैसेट्स के अलावा वीडियो कैसेटस का आनन्द भी लेते हैं। स्कूल स्थल पर भिन्न क्रीड़ाओं तथा खेलों के अतिरिक्त बच्चे समय-समय पर होने वाली लम्बी पैदल-यात्राओं, पर्यटन तथा शैक्षिक यात्राओं का भी साथ स्कूल को लिखें: बच्चे का नाम, कुल नाम और उसकी कक्षा बच्चे की जन्मतिथि और स्थान आनन्द लेते हैं। पासपोर्ट नम्बर, इसकी समाप्ति की तिथि और बच्चे की राष्ट्रीयता, और सम्पर्क के लिए फैक्स दिनच्या प्रातः ध्यान-धारणा से आरम्भ होती है, फिर नाश्ता और फिर 8.45 से 10.45 तक नम्बर तथा पूरा पता स्कूल के लेखाकार को ई-मेल t: ispsjm@yahoo.com सम्पर्क के लिए ई-मेल पता अवर प्रभाग प्रभारी (Junior wing -Incharge) ispsoffice@yahoo.co.uk, ispsoffice@rediffmail.com और वरिष्ठ प्रभाग प्रभारी अध्ययन जिसमें 15 मिनट का संक्षिप्त विश्राम भी होता है। छोटी कक्षाओं के बच्चों को दोपहर का भोजन 12 वजकर 20 मिनट पर दिया जाता है और वरिष्ठ बच्चों को 1 बजे। दोपहर के भोजन के बाद वरिष्ठ विद्यार्थियों की कक्षाएं पुनः आरम्भ हो जाती हैं जबकि छोटे स्तर के बच्चों को एक घण्टे का आराम (Siesta) दिया जाता है। सन्ध्या के समय खेलों के लिए छुट्टी देकर isossenior@rediffmail.com चैतन्य लहरी 31 अक : 3 & 4 - 2006 सम्पर्क पताः देखी है। आक्रामकता, घृणा, असुरक्षा की भावना है। उनके दिशा-निर्देश (Guidelines) बन चुके हैं। पाश्चात्य विश्व के परिवारों के पारस्परिक झगड़े उच्छूंखलताएँ अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल, तालनू, धर्मशाला (हि.प्र.) Website : www.sahajpublicschoo.org इसका मुख्य कारण है। मुझे अपने माता-पिता का सम्मान करना सिखाया गया। मुझे सिखाया गया कि अपने प्रश्नों के उत्तर में अपने परिवार में खोजू और मैंने वो उत्तर खोजे यद्यपि प्रायः हम कई-कई महीनों तक अपने माता-पिता से दूर रहते थे फिर भी मुझे हिमालय की गोद में स्थित श्रीमाताजी के स्कूल के स्नातकों की स्मृतियाँ इस कार्य को करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल के अतिरिक्त किसी अन्य स्कूल बारे में मैं सोच भी नहीं सकता। स्कूल न केवल आदर्श मानव विकसित करने के लिए श्रेष्ठतम आधार प्रदान करता है बल्कि समाज के अच्छे सदस्य बनने के लिए के ऐसा नहीं लगा कि उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया है। वास्तव में माता-पिता के प्रति मेरा प्रेमभाव दूढ़ हुआ और उनके लिए सम्मान-भाव भी। बास्तव में मुझे गतिशील समाज में विकसित होने का अवसर प्रदान करने के लिए उन्हें अपने बन्धनों पर नियंत्रण करना पड़ा, कि किस प्रकार बच्चों की परवरिश की जाए। स्कूल के मेरे अनुभवों ने भिन्न प्रकार से मेरे व्यक्तित्व को सम्पन्न किया। सर्वप्रथम इसने मुझे अन्य संस्कृतियों के प्रति सहिष्णु दृष्टिकोण प्रदान किया। जिनका यूरोप के पब्लिक स्कूलों में (जहाँ मैं बाद में गया) मैंने पूर्ण हमें आवश्यक आध्यात्मिक पथ प्रदर्शन भी प्रदान करता है। स्कूल के अद्वितीय स्वभाव का यदि हम विश्लेषण करें तो पता चलता है कि अन्तर्रा्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल विद्यार्थियों के लिए केवल आदर्श स्कूल ही नहीं है, यह वह स्थल है जहाँ श्रेष्ठ मानव बनाए जाते हैं और सृजनात्मकता का सम्मान होता है। जो भी माता-पिता अपने बच्चों के हित की चिन्ता करते हैं उन्हें अच्छा मानव बनाना चाहते हैं, उन्हें इस स्कूल की सिफारिश करते हुए मुझे बिल्कुल संकोच न होगा। श्रेष्ठ मानव समाज ही अन्ततः श्रेष्ठ विश्व का अभाव पाया। घर से दूर आवासीय स्कूल में रहने से मुझमें स्वतन्त्र रूप से स्थितियों का सामना करने की क्षमता विकसित हुई। मैंने सहयोग करना संचालन करना तथा अपनी आयु के अपनी-अपनी पसन्द वाले, अपनी-अपनी आदतों वाले बच्चों के साथ रहना सीखा। इस भिन्न प्रकार की शिक्षा शैली के कारण जब मैं यूरोप लौटा तो गणित और विज्ञान में मेरा स्तर अपने सहपाठियों से कही ऊँचा था। स्कूल में विताए गए मेरे वर्ष अत्यन्त शिक्षा प्रदायक थे जिन्होंने मेरे जीवन को सम्पन्नता प्रदान की, संक्षिप्त में क्योंकि इस समय में मुझे सामान्य शैक्षिक पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी बहुत कुछ दिया। कारण बनेगा। ऋषि निकोलोई आस्ट्रेलिया धर्मशाला के पावन और स्वस्थ वातावरण में हमें व्यस्क बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वहाँ आज प्रचलित नशे, शराब आदि को कोई प्रकोप न था, केवल पूर्ण सुरक्षा एवं प्रेम की दृढ़ भावनाएं थीं। स्कूल ने हमें ऐसे वातावरण में पलने का अवसर प्रदान किया जिसकी तुलना किसी सुदृढ़ परिवार से की जा सकती है। इतनी छोटी आयु में पूर्ण सुरक्षा की भावना बच्चे की सबसे बड़ी आवश्यकता होती है। बाद में यूरोप में जो स्थिति मैंने देखी उसके विल्कुल विपरीत इस स्कूल ने हमारी यह आवश्यकता पूरी की। मैं ऐसे बहुत से लोगों से मिला हूँ, जिन्हें अपने परिवारों का बिल्कुल निरंजना डी.कलबरमैटन स्विटजरलैण्ड भारत में धर्मशाला के सहजयोग स्कूल में रहने का सौभाग्य प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। मैं यह डींग मारने की कल्पना भी नहीं कर सकता कि यदि मैं वहाँ न गया भी अवलम्बन प्राप्त नहीं है। मैंने उनकी अवस्था भी अक : 3& 4 - 2006 चैतन्य लहरी 32. सो जाता हूँ और प्रातः अत्यन्त तरोताजा उठता हूँ। होता तो मैं या मेरा व्यक्तित्व कुछ अन्य होता, क्योंकि मुझे पता चला है कि मेरे आस-पास के लोगों को यह स्थिति प्राप्त नहीं है। आज अपने जीवन में जो कुछ भी में हं, बचपन के उन दिनों में प्राप्त शिक्षा के कारण है। स्पृष्टतः जो शिक्षा गौतम पेमैन्ट मैंने वहाँ प्राप्त की उसका स्तर कनाडा में दी जाने वाली शिक्षा के स्तर से कही ऊँचा है। पाश्चात्य शिक्षा में जिसे "श्रेष्ठ" कहा जाता है वहीं भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड, जहाँ मैंने शिक्षा ग्रहण की, उसे कनाडा अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग शोध एवं स्वास्थ्य केन्द्र सीबीडी - बेलापुर हरे भरे वातावरण में स्थित सहज़योग अन्तर्राष्ट्रीय शोध एवं स्वास्थ्य केन्द्र, विश्व का अपने आप में अद्वितीय केन्द्र है। विकसित चैतन्य-चेतना के "सन्तोषजनक" मानता है। दूसरी भाषा की शिक्षा के साथ साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य एवं कला के अनुभव और भिन्न दुनिया के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण लेकर मैं लोटा पब्लिक स्कूल में मैंने केवल उच्च स्तर की सैद्धान्तिक शिक्षा मात्र ही प्राप्त नहीं की, इसके साथ साथ स्कूल की शिक्षा प्रणाली में अन्तर्निहित आध्यात्मिक पक्षा के । परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय सहज माध्यम से रोगियों का इलाज किया जाता है। 19 फरवरी 1996 को परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी ने सी बी डी बेलापुर, नवी मुम्बई में इस विशाल अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की और इसे आशीर्वादित किया। स्वर्गीय डा. यू.सी. राय, माध्यम से मैंने जीवन के गहन मूल्य भी सीखे। इन गुल्यों ने मेरे व्यक्तित्व के गुणों को विकसित किया और कनाडा में रहने वाले मेरे पूर्वजों से कहीं अधिक पूर्व विभागांध्यक्ष शरीर विज्ञान, Jawahar Lal इन्हें परिपक्व किया। सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि मुझे अपने विषय में तथा अपने चहूँ ओर के विश्व के विषय में सीखने का मौका मिला और ऐसा करते हुए मैं अपने विषय में अधिक आत्म-विश्वस्त हुआ और स्वयं को और अधिक सुरक्षित महसूस किया। ऐसा गुण है जिसका पश्चिम में अभाव है। वहाँ असुरक्षा की भावना, व्यक्तिगत महत्व, परिवार और सामाजिक अराजकता का प्राचुर्य है। सहज ध्यान- धारणा की विधियों से मैंने विश्व-विद्यालयों के पाठ्यक्रम, गौकरी के कार्य और रोज़मर्रा के जीवन की समस्याओं Institute of Post Graduate Medical Education पाण्डिचिरी और दिल्ली के भिन्न चिकित्सा महा-विद्यालयों में प्रोफेसर के पद पर आरूढ़ रहे, को श्रीमाताजी ने इस स्वास्थ्य केन्द्र का प्रथम निदेशक (Director ) नियुक्त किया उनके देहावसान के बाद श्रीमाताजी ने डा. मधुर राय को स्वास्थ्य केन्द्र का अगला निदेशक नियुक्त किया। ये एक श्रीमाताजी की कृपा से विश्व से आए बहुत से लाइलाज रोगी यहाँ स्वस्थ हुए हैं लगभग पतीस देशों के लोगों ने - जिनमें यू.एस.ए., आस्ट्रेलिया इंग्लैण्ड, अफ्रीका, मलेशिया, सिंगापुर, रूस, कनाडा भी सम्मिलित हैं, इस स्वास्थ्य केन्द्र में सहजयोग उपचार से से उत्पन्न होने वाले तनाव को कम करना सीखा। मेरे लाभ उठाया है। मित्र मुझसे ईष्ष्या करते हैं कि तनाव से परिपूर्ण जीवन भिन्न कारणों से बिगड़े हुए रोग जैसे तनाव, दमा शक्कर रोग, आधा सीसी (Migraine), मिर्गीरोग, निराशावाद (Depression) और कैंसर रोग, के रोगी इस स्वास्थ्य केन्द्र में रोग मुक्त हुए हैं केवल शारीरिक बीमारियों से पीड़ित रोगी ही इस स्वास्थ्य अत्यन्त निर्मल है। रात को बिना किसी प्रयत्न के में केन्द्र में नहीं जाते परन्तु असन्तुलित सूक्ष्म प्रणाली में भी मैं अत्यन्त शान्त एवं सन्तुलित रहता हूँ और साथ ही साथ सभी पाठ्यक्रमों में कक्षा में शिखर पर रहकर अपने प्राध्यापकों से उच्च प्रशंसा प्राप्त करता हैं। मेरा चित्त अधिक केन्द्रित है और मेरा मस्तिष्क 33 चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 2006 होना है। मानवीय चेतना, स्वयं के बारे में हमारी पूर्ण सूझ-बूझ इस नई चेतना के विषय में जैन-प्रणाली में भी बताया गया है, और जापान में इसका अनुसरण किया जाता है। चीन में लाओत्से ने इसके बारे में बरताया। बहुत सारे सन्तों ने बताया कि व्यक्ति को मस्तिष्क की सीमा से ऊपर उठना होगा।" वाले योगी भी वहाँ पहुँच जाते है। केन्द्र में प्रविष्ट और बाह्य रोगियों की संख्या वर्ष 1996 में 954 थी. परन्तु तेजी से बढ़कर बर्ष 2004 में यह 5025 तक पहुँच गई। स्वास्थ्य केन्द्र में प्रवेश के लिए व्यक्ति को फेक्स/डाक या ई-मेल द्वारा रोगी का संक्षिप्त चिकित्सा इतिहास या शरीर के सूक्ष्म असन्तुलन का विवरण प्रभारी डॉक्टर को भेजना पड़ता है। तत्पश्चात् केन्द्र के स्वागत कार्यालय में कमरे आदि का आरक्षण किया सत्य-साधक। आज ये विल्कुल अलग-बात है कि मुझे उन लोगों से बात-चीत करनी है जो पेशे से डॉक्टर हैं और ऐसी चिकित्सा प्रणाली के अनुरूप कार्य कर रहे हैं जिसे पुर्णतः वैज्ञानिक माना जाता है। मैं यहाँ पर किसी भी प्रकार से इसकी निन्दा करने के लिए या विश्वभर के चिकित्सकों द्वारा प्रयोग किए जा रहे प्रचलित सिद्धान्तों को नीचा दिखाने के लिए नहीं जाता है। सम्पर्क पता : अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग शोध एवं स्वास्थ्य केन्र प्लाट-1, सै.8, परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी मार्ग, सीबीडी, बेलापुर, नवी, मुम्बई-400614 आई हूँ। उपलब्ध ज्ञान का किसी भी प्रकार से अपमान नहीं किया जाना चाहिए। परन्तु समस्या ये है कि जब आप जान जाएं कि ज्ञान का कोई सिद्धान्त पूर्णतः विकसित पहीं है या सक्षम नहीं है तो उपयोग की जा का टेलिफोन स्वागत कक्षः (022) 27571341 (022) 27576922 टेलिफेक्स : (022) 27576795 रही विधि से बेहतर किसी अन्य चीज के लिए हमें अपने मस्तिष्क खोलने चाहिएं। क्योंकि हमने चिकित्सा विज्ञान पढ़ा है, क्योंकि हम चिकित्सा पर्धतियों को जानते हैं, केवल इसलिए ये आवश्यक नहीं कि हम इनके बन्धन में बंध जाएं कि किसी भी उपलब्ध नई चीज़ को हमने नहीं अपनाना। चिकित्सा विज्ञान की आचार संहिता में, जहाँ तक मैं जानती हूँ, हम लोगों के हित के लिए कार्य कर रहे हैं न तो अपनी जेवें धन से भरने के लिए और न ही केवल उस सिद्धान्त का प्रचार करने के लिए जिसके विषय में हम जानते हैं। समय : प्रातः 10.00 से सांय 4.00 बजे तक -a : sahaja_center@vsnl.net अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य केन्द्र में 19 फरवरी 1996 को चिकित्सकों से बात-चीत करते हुए परमपूज्य श्रीमाताजी की वात्ता से कुछ गहत्वपूरर्ण उद्धरण .."विकास प्रक्रिया में हम मानव् अवस्था तक पहुंचे हैं हम मानव वन पाए हैं और हमारे अन्दर बो सभी कुछ विद्यमान है जिसका हमें ज्ञान नहीं है। हमें केवल उन चीजों का ज्ञान है जो हम बाहर देखते हैं। परन्तु हमारे अन्दर जो कुछ है उसका हमें ज्ञान नहीं है क्योंकि अभी तक न तो हमने प्राचीन ग्रन्थों का जैसे कि आप जानते हैं, विज्ञान में समय-समय पर सिद्धान्तों को चुनौती दी जाती है। प्रारम्भ से ही आप देखिए कि पहले परिकल्पनाएँ (Hypothesis) आती हैं जो बाद में नियम बनते हैं और फिर नियमों को चुनौती दी जाती है। दूसरी वात ये है कि ये विज्ञान निर्नैतिक (Amoral) है। मानव के नैतिक पक्ष का विज्ञान में कोई महत्व नहीं है। तीसरी बात ये है कि यह सीमित है, क्योंकि हमारे मस्तिष्क के माध्यम से यह अध्ययन किया है न ही खोजने का प्रयत्न किया है कि हमारे अन्दर क्या निहित है। तो यह समझने की बात है कि हमारे देश में बहुत से सन्तों और अवतरणों ने प्राचीन काल से इसके विषय में जो कुछ भी लिखा था उसका अवश्य कोई कारण तो रहा होगा आज यह शक्ति (कुण्डलिनी) रहस्य नहीं है। हमारे विकास के शिखर को प्राप्त करने के लिए इस शक्ति को अंकुरित 34 अक : 3 & 4 - 2006 तन्य लहरी सकता है। परन्तु विज्ञान पूर्ण को अपने अन्दर नहीं समेट सकता। विज्ञान अभी तक एक छोटा सा प्याला है जो अपने अन्दर पूर्ण सागर को नहीं समेट सकता। अतः बिज्ञान को महान मानने वाले सभी बैज्ञानिक लोगों को यह समझने का प्रयत्न करना चाहिए कि हमारे देश की सम्पदा क्या है।" हमारे प्रयत्नों को देखती है, इसलिए ये सीमित है । मस्तिष्क के माध्यम से जो भी कुछ हम जानने का प्रयत्न करते हैं, आवश्यक नहीं है कि यह "पूर्ण सत्य" हो। हमेशा बने रहने वाले मतभेदों का भी यही कारण है। । यदि यह "पूर्ण-सत्य" होता तो मतभेद न होते। अतः हमें करना ये है कि एक ऐसे बिन्दु तक पहुँचे जहाँ पूर्ण सत्य को जान सकें, पूर्ण अर्थ को जिससे सभी डाक्टर एक ही प्रकार सोचें, और रोग निदान भी एक ही हो। इन सभी दृष्टिकोणों से हमें थोड़ा सा विनम्र होकर हमें स्वयं देखना होगा कि इस महान देश भारत में हमारे लिए कौन सा ज्ञान उपलब्ध है। हम बिल्कुल नहीं जानते कि सहजयोग का ये ज्ञान हजारों वर्षों से यहाँ पर विद्यमान है।' है। परमात्मा आपको धन्य करें।" स्वास्थ्य केन्द्र में गए सहजयोगियों के कुछ मनोरंजक अनुभव बैल्जियम की 62 वर्षीय बास्तुकार एटिने लोयसन (Etienne Loyson) आश्चर्यचकित हैं, "पहले मुझे उच्च-रक्तचाप था, बिदेशों के डॉक्टरों ने नियमित ्ूप से कुछ गोलियाँ ही इसका इलाज बताई थीं। परन्तु आज सहजयोग उपचार और श्रीमाताजी निर्मला देवी के आशीर्वाद से मैं पूर्णतः सशक्त हूँ। मैंने सारी दवाईयाँ छोड़ दी हैं और मुझे लगता है कि मैं तीस वर्ष की युवा हूँ। इंग्लैण्ड की कैथरीन रीड (Katherine Reid) जो आँत की तकलीफ (Irritable Bowels Syndrome) से पीड़ित थी सी बी डी, बेलापुर केन्द्र आने से पूर्व उन्हें बहुत सी दवाईयां लेनी पड़ती थीं, अपने पूर्व जीवन के मुकाबले वे आज अत्यन्त प्रसन्नचित्त महिला हैं। "सारी दवाइयाँ छोड़ कर मुझे बहुत अच्छा सहजयोग में आपको धन-आदि कुछ भी नहीं लेना होता, ये तो आपकी शक्तियों के माध्यम से ही कार्यान्वित होता है। आप गरीब लोगों की भली-भाति ".. सहायता कर सकते हैं परन्तु यदि बहुत धनवान लोग हैं वो लोग आपको उपलब्ध हैं, हम उन्हें अधिक परेशान नहीं करना चाहते और न ही वो हमारी अधिक चिन्ता करते हैं, वो केवल डॉक्टरों पर ही निर्भर करते हैं, फिर भी आप उन्हें ले सकते हैं परन्तु हमारे लिए मध्यम वर्ग, और निम्न वर्ग विशेष रूप से वो लोग जिनमें डॉक्टरों के पास या अस्पतालों में जाने की क्षमता नहीं है, अधिक महत्पूर्ण हैं।" लगता है। मेरा स्वास्थ्य लगभग ৪০ प्रतिशत सुधर गया है " "निराशा मनोविकृति (depressive psychosis) से पीड़ित कनाडा की अन्ना कार्गेटी (Anna Kargaity) आज प्रफुल्लित हैं। वे कहती हैं, "अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करने तथा अपना व्यक्तित्व विकसित करने की क्षमता पाकर, अब जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण सकारात्मक है।" आस्ट्रेलिया की बेलिंडा (Belinda), कनाडा के कुमार तथा अमरीका के ब्रियन (Bryan ) तथा कुछ अन्य लोगों ने भी ऐसे ही लाभ प्राप्त करने के विषय में यह विज्ञान आपके लिए बिल्कुल निःशुल्क है, इसे आप एक महीने में सीख सकते हैं चिकित्सा विज्ञान सीखने के लिए आपको सात वर्ष परिश्रम करना पड़ता है। चिकित्सकों के लिए इसका ज्ञान अत्यन्त लाभदायक है क्योंकि इसके माध्यम से वे रोग के स्थान का भली-भांति पता लगा सकते हैं, अधिक बेहतर समझ सकते हैं। वे समझ सकते हैं कि यह इतना वैज्ञानिक है। इतने सुन्दर ढंग से यह कार्य कर रह है। वे आश्चर्य चकित हैं। मैं कहुँगी कि ये इतना महान विज्ञान है कि हम उसे पराविज्ञान कह सकते है. जैसा डॉक्टर साहिब (स्वर्गीय डा. यू.सी. राय) ने कहा । ये विज्ञान तर्क संगत रूप से इसकी व्याख्या कर 1. बताया। स्वर्गीय डा. यू.सी. राय से एक बार जब पूछा चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 35 गया कि विश्वभर के आधुनिकभेषज के डॉक्टरों के निश्चित करे। सहजयोगियों में डॉक्टरों की सलाह पर चलने की प्रधा है। पास जब इतनी उन्नत दवाईयाँ उपलब्ध हैं फिर भी क्यों इतनी अधिक संख्या में विदेशी यहाँ आते हैं, तो उन्होंने टिप्पणी की "विदेशी डॉक्टरों के पास मानव इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि केन्द्र ने उन रोगों का भी निराकरण तथा सुधार किया हैं जहाँ चिकित्सा विज्ञान कुछ भी आराम न पहुँचा मन के लिए प्रशान्तक गोलियों तथा निराशा विरोधी दबाओं के अतिरिक्त कोई अन्य दवा नहीं है। ये दवाईयां केवल हानिकारक ही नहीं हैं, इनकी आदत भी पाया। डाक्टर द्वारा बताया गया इलाज पूरा करने के बावजूद भी आप में चिकित्सालय जाने की इच्छा हो सकती है। शारीरिक समस्याओं को दूर करने का सहजयोग अभ्यास ही एकमात्र उपाय है। इस बात पर बल दिया जाना चाहिए। हो जाती है। ध्यान धारणा के माध्यम से सहजयोग मानव मन को नियन्त्रित करता है। इस कारण से सहजयोग अस्थमा, आधा सीसी (Migraine), ऑंत रोग, बौझपन, वहु-सूजन (Multiple Sclerosis) और स्पोंडीलाइटिस आदि रोगों के रोकने तथा इनके इलाज बीमारी की अवस्था में, चिकित्सक रोग-लक्ष्णों को ही दबा देते हैं। चिकित्सा प्रणाली रोगमुक्त नहीं करती। रोग मुक्ति तो केवल तभी मिलती है जब के रूप में बहुत प्रसिद्ध हुआ है। यह सब माताजी श्री निर्मला देवी के आशीर्वाद से है, जिन्होंने सहजयोग केन्द्र की स्थापना की और विश्व के लाखों लोगों को सूक्ष्म तन्त्र की बाधा (जिसके कारण रोग होता है) दूर हो जाती है। अन्यथा रोग का कारण तो सूक्ष्म-तन्त्र में अभी तक बना हुआ है और रोगी पहले से भी बद्तर स्थिति की ओर बढ़ रहा है। प्राचीन यूनानी दार्शनिक हेराक्लेटस (5०० बी.सी.) की रचनाओं के केवल कुछ ही अंश बचे हैं। इन में से एक में वे कहते हैं, "काटकर और जला कर डाक्टर लोग भी वही करते हैं जो बीमारी करती है और इस कार्य के लिए उन्हें धन मिलता है जिसके वे अधिकारी नहीं हैं।" चिकित्सा विज्ञान में इतनी उन्नति आत्मसाक्षात्कार प्रदान किया।" यूनान से थियोडोर ऐफस्टाथियो (Theodore Efstathiou) अपने सुक्ष्म तन्त्र पर नकारात्मकता की जमी हुई कुछ और धूल को स्वच्छ करने के लिए फरवरी 2002 में मैं सहज स्वास्थ्य केन्द्र बेलापुर में था। 19 फरवरी को केन्द्र का कार्य आरम्भ होने की छठी वर्षगाँठ थी। इस शुभावसर पर परमेश्वरी माँ के चरण कमलों में पूजा की गई। चैतन्य प्रवाह अत्यन्त शक्तिशाली था और इस पूजा में सम्मिलित होना होने के बावजूद आज भी यह बात उतनी ही सत्य है जितनी उस समय थी। सुकरात ने उससे भी और अच्छी तरह इसकी व्याख्या की जब उन्होंने कहा, "किसी डॉक्टर को स्वयं का भी ज्ञान नहीं है। यही कारण है कि वह डाक्टर अत्यन्त शुभ था। ये पूजा मील का पत्थर थी और इस अवसर पर केन्द्र, इसकी कार्यशैली तथा आवश्यकता के विषय में कुछ शब्द कहने का यह बहुत अच्छा मौका है। रोग पीड़ित लोगों के लिए है।" सहजभाषा में कहा जाता है कि "कोई भी डाक्टर आत्म साक्षात्कारी नहीं है और इसी कारण बह डाक्टर है।" पहले भी यह प्रश्न उठाया गया था कि शारीरिक समस्याओं बाले रोगियों को चाहिए सहजयोगियों को इलाज के लिए इस केन्द्र में आने की आवश्यकता क्यों है ? परन्तु चिकित्सकीय या तीव्र कि सहजयोग चिकित्सकों के केन्द्रित चित्त और अनुभवों से लाभान्वित होने के लिए इस स्वास्थ्य केन्द्र पर जाने के विषय में सोचें भावनात्मक समस्याओं की स्थिति में यह प्रश्न अनावश्यक हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को चाहिए कि किसी चिकित्सक से मिल कर रोग एवं उसका कारण अंक : 3 & 4 -2006 36 चैतन्य लहरी चेतना वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है। बेलापुर स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक इस स्तर की चैतन्य-चेतना से सम्पन्न हैं। ये वो लोग हैं जो सूक्ष्म तन्त्र को सन्तुलित करके व्यक्ति को आध्यात्मिक उत्थान के मार्ग पर ले आते हैं। शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों के प्रति शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों के मन में ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि बिना कारण क्यों स्वास्थ्य केन्द्र जाने का कष्ट उठाया जाए ? एक बार प्रोफैसर राय ने परम पूज्य श्रीमाताजी का उद्वरण देते हुए कहा था कि सहयोगियों में बाधाएं इतनी मजबूत हैं कि उन्हें अपने चक्रों की पकड़ महसूस ही नहीं होती। इससे पता चलता है कि सामान्य जीवनयापन करने वाले लोगों, जिन्हें अद्भुत अनुभव प्राप्त नहीं हुए, के लिए स्वीकरणों (affirmations), मन्त्रों तथा उपचार विधियों की आन्तरिक कार्य-शैली को समझना परम पूज्य श्रीमाताजी का यह कथन अत्यन्त गम्भीर है। यह इस ओर संकेत करता है कि विना चक्र-बाधाओं को महसूस किए आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करना अत्यन्त कठिन हो सकता है। समस्या को और महसूस करना आसान नहीं होता केन्द्र पर दिनचर्या समझने के बाद ही आप इसका समाधान कर सकते हैं इसी तथ्य की व्याख्या करते हुए श्रीमाताजी ने बताया है कि जो रोग अस्तित्व में है उनकी कुल संख्या चक्रों के संयोजन और क्रम परिवर्तन स्वास्थ्य केन्द्र पर रहते हुए आपका चित्त आध्यात्मिक उत्यान के अतिरिक्त किसी अन्य चीज़ पर नहीं होता। प्रातः आठ बजे सुबह का ध्यान होता है और सायं सात वजे शाम की ध्यान-धारणा जिसमें श्रीमाताजी का एक बीडियो देखना या प्रवचन सुनना भी सम्मिलित होता है। प्रातः चार बजे उठ कर उद्यान (combinations and peamutations) R है। तीनों वाहिकाओं (नाड़ियों) पर इक्कीस चक्र हैं, अतः संयो जन और क्रम परिवर्तन का 21x20x19x18...... 3x2x1 के परिणाम के रूप में गणना की जा सकती है। में जा कर ध्यान और प्रार्थना करने का अवसर भी आपको मिलेगा। इस प्रकार से बहुत सुबह के ध्यान का अन्तर भी आप महसूस कर सकेंगे। हमारी परम-पावनी माँ भी प्रातः के ध्यान पर बल देती हैं। सुबह सुबह उनके मन्त्र वोलते हुए और बाधाएं दुर करने के लिए उनसे प्रार्थना करते हुए जब आप सैर करेंगे तो पृथ्वी माँ के देवी रूप का अनुभव आपको प्राप्त होगा क्योंकि पैरों के माध्यम से आपकी बाधाएं अपने अन्दर खींच लेने में वे आपकी सहायता करती है। 1. इस अभिव्यक्ति की गणना Integer format में मैंने अपने कम्प्यूटर पर करने का प्रयत्न किया तो कम्प्यूटर में संख्याएं कम पड़ गई। तब मैंने स्टर्लिंग की लगभग विधि से इसका अनुमानित मूल्य जानने का प्रयत्न किया तो इसका परिणाम 10 की घात 18 (ten raised to eighteenth power) 3TTT I 15 विस्मयकारी बड़ी संख्या है जो दस लाख की पाँच घातों के बराबर है ये दशाता है कि रोगों का इलाज खोजने के लिए चिकित्सा शास्त्री और जैव-तकन्नीशियन बीमारियों की मूल-उत्पत्ति पर्दति खोजने के कितने निराशाजनक कार्य में लगे हुए हैं! साथ ही साथ, यह इस तथ्य का विचार भी देता है कि हम सबमें सुक्ष्म तन्त्र की दशा इतनी सीधी नहीं है जितनी चक्रों की हमारी संवेदना हमें बताती है। निःसन्देह मनुष्य चक्रों की पकड़ की इस विस्मयकारी संख्या को नहीं जान सकता। दिन में दो बार डाक्टर आपको मिलेंगे और बताएंगे कि अगली बार मिलने तक आपने कौन सा उपचार करना है। उपचार का लक्ष्य ईडा और पिंगला नाड़ी में सन्तुलन बना कर सदा सुषुम्ना नाड़ी पर बने रहना है। ऐसा करते हुए वे बता सकते हैं कि अब कौन से चक्र ठीक होने हैं। इस प्रकार वे सुक्ष्म तन्त्र में निहित बाधाओं के मक्कड़जाल तक पहुँचने का मार्ग खोजते हैं। स्वास्थ्य केन्द्र पर उपयोग की जाने वाली विधियाँ 'सहजयोग प्रार्थना पुस्तिका" या अन्य उपचार सूक्ष्म तन्त्र की सही-स्थिति जानने तथा भिन्न बाधाओं को ठीक करने के लिए विकसित चैतन्य अक : 3 & 4 - 2006 37 चैतन्य लहरी 16 सितम्बर से 16 दिसंबर व्यक्तिगत पाठ्यक्रमों की अवधि उस पाठ्यक्रम के में दी गई है । तीसरा सत्र पुस्तकों में छपी विधियों से भिन्न नहीं हैं। महत्वपूर्ण बात तो ये है कि वहाँ की भूमि चैतन्य से परिपूर्ण है । हमारी परम-पावनी माँ का चित्त स्वास्थ्य केन्द्र पर होता है और वही सारे रोग दूर करती हैं ये बात समझ लेना आवश्यक है कि केवल श्रद्धा से ही देवी का Syllabus लक्ष्य वक्तव्य आत्मा बनने के लिए संगीत दिव्य-प्रेरणा है। संगीत अकादमी का यही मुख्य उद्देश्य है। साक्षात्कार किया जा सकता है। यहाँ आ कर आप समर्पित हो जाते हैं क्योंकि चित्त-विक्षेप के लिए यहाँ और कुछ भी नहीं होता। श्रीमाताजी कहती हैं कि प्रार्थना सहजयोगी का सबसे बड़ा हथियार है। परम पावनी श्रीमाताजी के प्रति श्रद्धा और समर्पण तथा प्रभावशाली ढंग से प्रार्थना की विधि सीखने के लिए अन्तर्वोलकन, चिन्तन और अपने आप पर बेलापूर स्वास्थ्य केन्द्र अत्यन्त उपयुक्त स्थान है अकादमी ये वो संस्थान है जहाँ कला सीखी जा सकती है और शोध किए जा सकते हैं और जहाँ पर विद्यार्थियों को आध्यात्मिक शोध करने का पर्याप्त समय प्राप्त होता है। सूक्ष्म एवं स्थूल स्तर पर कला, अन्त्आत्मा को पहचानने, उसे अनुभव करने और दिव्यता के स्तर तक ऊँचा उठाने का माध्यम है। श्री पी.के. साल्वे कला प्रतिष्ठान प्रस्तावना - वैतरणा, महाराष्ट्र परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी द्वारा प्रतिपादित की गई शिक्षाओं, जिनका मूल तत्व सहजयोग में निहित है, को आधार बनाकर अकादमी के नियम भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं ललितकला अकादमी बैतरणा, महाराष्ट्र, को परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी ने एक अत्यन्त गौरवशाली परियोजना के रूप में स्थापित एवं आशीर्वादित किया है झीलों और वन्धों के हरे भरे क्षेत्र में स्थित के लिए इन विवेकशील नियमाचरणों का सम्मान करना वैतरणा मुम्बई से लगभग 100 किलोमीटर तथा नासिक से परे राष्ट्रीय मार्ग सं.3 (मुम्बई आगरा मारग्ग) पर स्थित है तथा मध्य रेलवे के खारदी स्टेशन से (25 किलोमीटर) यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। सरिताओं, तरंगों और प्राकृतिक परिदृश्य से परिपूर्ण चालीस एकड़ भूमि पर यह अकादमी बनाई गई है। घने जंगलों से घिरे हुए मोदक सागर और सिखाया जाता है। यहाँ रहते हुए उन्हें हमेशा ध्यान ताँसा बान्ध इसके समीप स्थित हैं। हमारी परमेश्वरी माँ के आदेशानुसार अकादमी के भवन की वास्तुयोजना बनाई गई थी। इसमें बीचों-बीच एक सहन हैं और एक मंच है जिसपर छत है। बनाए गए हैं। अकादमी के अन्दर और वाहर विद्यार्थियों अनिवार्य है क्योंकि अध्ययन काल में ये विद्यार्थी अकादमी का प्रतिनिधित्व करते हैं । उपयुक्त दृष्टिकोण अपनाया जाना आवश्यक है। अकादमी के विद्यार्थी ग्राहक नहीं हैं वे तो भारतीय आध्यात्मिक संगीत के विद्यार्थी हैं, उस संगीत के जिसे श्रीमाताजी की अकादमी की पावन शिक्षाओं के अनुरूप रखना है कि यहाँ रहना उनका अधिकार नहीं है, ये तो एक आशीर्वाद है जिसकी वर्षा श्रीमाताजी उन पर करती है। विद्यार्थी ने यदि इसके स्वभाव को समझना है तो उसे इस सत्य की समझ होनी आवश्यक है। शिक्षा की अवधि अकादमी सत्र की अवधि अकादमी में प्रवेश पाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए सूचना पहला सत्र - 1 जनवरी से 15 अप्रैल (15 से 30 मार्च छुट्टियां) आन्तरिक ढांचा : अकादमी में आपके प्रवास को सुखद बनाने और आपकी शिक्षा को स्मरणीय बनाने के दूसरा सत्र 15 जून से 15 सितम्वर अंक : 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 38 (मोदक सागर के नाम से प्रसिद्ध ) ग्राम-वेलबाड, डाकखाना - वैतरणा, तालुका - सहापुर, जिला-धाणे-4213 04 लिए निम्नलिखित मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं: दो व्यक्तियों के लिए आरामदेह भारतीय शैली के कमरे और परिवार के लिए स्वतन्त्र 1. (महाराष्ट्र) भारत। रूप से कमरा। फोन : +912527 248528 / 248530 स्वच्छता पूर्वक बनाया गया स्वास्थ्यप्रद पोषक 2. (भारतीय समय के भारतीय शाकाहारी और माँसाहारी भोजन। अनुसार 10.00बजे प्रातः से 6.00 पुस्तकालय, अध्ययन एवं अभ्यास के लिए बजे सन्ध्या की बीच फोन करें) कमरे जिनमें पुस्तकों, सी.डी. कैसेटस और प्रिंसिपल - डा. अरुण आप्टे अध्ययन की वस्तुएं सन्दर्भ के लिए उपलब्ध कराई जाती है। टी.वी., वी.सी.डी / डी.वी.डी. तथा ऑडियो आदि विद्युत उपकरण। सम्पर्क सुविधाएं :- (क) ई-मेल के लिए इंटरनेट सुविधा, वैब कान्फ्रेसिंग एवं स्फिंग (Web conferencing and surfing) I (ख) टेलिफोन और फेक्स (अन्तर्राष्ट्रीय टेलिफोनों फैक्स- +9122 2683 1314 के लिए फोन कारईड खरीदे जा सकते हैं।) (ग) स्कैनिंग और फोटोकापिंग रिकार्डिंग के लिए संगीत स्टूडियो बजे सन्ध्या के बीच फोन करें) (निर्माणाधीन) बिद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए संगीत अकादमी के उद्घाटन के अवसर पर 3. मोबाइल नं. - +919325316580 अकादमी homepage: www.pksacademy.com मुम्बई दफ्तर श्री पी.के. साल्वे कला प्रतिष्ठान 5. 612-बी, उर्मिला कोपरेटिव हाऊसिंग सोसायटी, शिवाजी चौक सहर रोड़, अन्धेरी ईस्ट, मुम्बई-400069 फोन : +91 22 2684 3169 E-mail : draruapte@yahoo.co.in (भारतीय समय के अनुसार 10.00 बजे प्रातः से 6.00 6. उपयोगी । 31 दिसम्बर 2002 और 1 जनवरी 2003 वीज़ा एवं अप्रवासन (Visa and Immigration ) अकादमी में छः महीनों से अधिक रहने के को वैतरणा, भारत में परम पूज्य माताजी श्री 1. निर्मला देवी द्वारा दिए गए प्रवचन से उद्धरणः इच्छुक विद्यार्थियों को अपने सम्बन्धित देशों से भारतीय वीजे का प्रबन्ध करना होगा। अपने देशों में भारतीय दूतावासों के स्थान जानने के लिए सम्यर्क :- (a) http://passport.nic.in (b) http://www.india-visa.com 'मुझे ये कहना है कि जीवन संगीतमय होना चाहिए। 'संगीतमय' अर्थात मानव मस्तिष्क की स्थिति को सुधारकर इसे लयबद्ध और व्यवस्थित बनाना। बे उपलब्धि पाए बिना कोई लाभ नहीं। आपमें और अन्य लोगों में क्या अन्तर होगा? आप भी अन्य लोगों की वाद्य यन्त्र : सीखने के लिए वाद्ययन्त्र या तो खरीदे जा सकते हैं या अकादमी में उपलब्ध वाद्य यन्त्रों का उपयोग किया जा सकता है। व्यक्तिगित वाद्य यन्त्रों रखने का परामर्श 2. तरह से लड़ते रहते हैं। आवश्यक बात तो ये है कि हमारे हुदयों में कहीं अधिक प्रेम एवं श्रद्धा होनी चाहिए। इससे आपको दिया जाता है। सम्पर्क सूचना : अकादमी का पता :- भी शान्ति मिलेगी और अन्य लोगों को भी। शान्ति के बिना संगीत अर्थहीन है। इस भवन का निर्माण हमने बाबा-मामा के आदर्शों के अनुरूप किया है। लोगों के वैतरणा बन्ध के समीप अक : 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 39 धन की चिन्ता करनी चाहिए? जितना भी धन आप उन्हें देते चले जाएं वो कभी सन्तुष्ट नहीं होंगे। मैंने बहुत से महान संगीतकारों को देखा है जो कभी भी धन लोलुप न थे, और न कभी जिन्होंने सत्ता की चिन्ता की। आज भी हमारे यहाँ बहुत से संगीतज्ञ हैं जो , मैं कहुँगी, संगीत की पराकाष्ठा (Last words) हैं। जो लोग ऐसे हैं वे अत्यन्त विनम्र हैं। वो हमेशा आपसे कहेंगे कि "हमें बहुत कुछ लीखना है। हमें अभी जीवन में संगीत स्थापित करना और पूरे बातावरण को शान्त बनाना इसका उद्देश्य है आज विश्व को शान्ति की आवश्यकता है, बाकी सब कुछ अर्थहीन हैं ..!" मेरा आशीर्वाद है कि यह संस्था फले-फुले और जो लोग इसमें शिक्षा प्राप्त करें वे संगीत सीखकर अपने जीवन को संगीतमय बनाएं। मुझे आशा है कि आप मेरी इच्छा को पूर्ण करेंगे। जब भी आपको क्रोध आए, क्रोध का दौरा जब भी आपको पड़े, जब भी आपकी शिकायत करने की इच्छा करे तो स्वयं से कहें कि मैं सहजयोगी हैँं, मैं भिन्न व्यक्ति हूँ। किस प्रकार श्रीमाताजी ने मेरा अन्तः परिवर्तन किया है! बहुत कुछ समझना है अतः बाबा मामा तथा अपने पिता की मुर्ति को देखकर मैं अत्यन्त द्रवीभूत एवं प्रभावित हुई। इसलिए नहीं कि वे मेरे भाई या पिता थे परन्तु इसलिए कि वे अत्यन्त-अत्यन्त महान मानव धे और उनकी महानता ने मेरे हृदय को छू लिया। बाबा में यह गुण था कि वह अत्यन्त प्रेममय एवं क्षमाशील व्यक्ति थे। अत्यन्त विनम्र एवं प्रेममय। शोहरत की उसने कभी चिन्ता नहीं की और न ही कभी उसने सोचा कि आप यदि इस बात को समझ जाएंगे तो आत्म-सम्मान हो का विवेक आपके अन्दर जागृत जाएगा। ये भावना जागृत हुए विना कोई लाभ नहीं, भौतिक परियोजनाओं का कोई लाभ नहीं है। छोटी-छोटी बातों पर झगड़ना आपको शोभा नहीं देता। अब आप सन्त और पैगम्बर बन गए हैं। अत्यंत उच्च श्रेणी के व्यक्ति। परन्तु इस तथ्य के प्रति आप संवेदनशील नहीं है आप ये नहीं वह कौन से पद पर है। उसका विनम्र स्वभाव अत्यन्त स्वाभाविक और अत्यन्त मधुर था। और वचपन से ही वे मेरे साथ थे।" समझते कि आप सन्त हैं, पैगम्बर हैं। आप स्वयं को गली के भिखारी सम मानते हैं, जो आप नहीं हैं। आज मैं विशेष रूप से आपको आशीर्वाद देती हूँ कि आप सब संगीतमय हो जाएं.... आज मैं इसलिए आपको आशीर्वाद देना चाहती थी कि आप स्वभाव से पूर्णतः संगीतमय, लयबद्ध और अन्य लोगों का मनोरंजन करने वाले बन जाएं, झगड़ालू नहीं...। .. तो अब उनके प्रेम एवं स्नेह के परिणाम स्वरूप हमारे पास बहुत से संगीतज्ञ हैं, यहाँ वहुत से लोग हैं। जो कार्य उन्होंने सहजयोग के लिए किया उसके लिए मैं वाबा मामा तथा अपने पिता की आभारी हूँ। परमात्मा आप सबको धन्य करें " I" हाल ही में अकादमी आए एक सहजयोगी का अनुभव आस्ट्रिया के Anand Schreuer : हमारी परम पूज्य श्रीमाताजी की कृपा से मुझे उस आशीर्वादित संस्था में कुछ महीने अध्ययन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसे मैं "हमारी अकादमी" कहता हूँ । मैं सभी देशों की अपनी समस्याएँ हैं परन्तु हमारे पास हमारे संगीत के रूप में एक अत्यन्त महान सम्पदा है। संगीतकार नहीं, संगीत। अतः संगीतकारों को चाहिए कि सहजयोग अपनाएं। ध्यान धारणा करें। कोई संगीतज्ञ यदि धन-लोलुप है तो उसके लिए आप कुछ नहीं कर सकते। उसे या तो संगीत लोलुप होना चाहिए या धन लोलुप । वो जब धन लोलुप होते हैं तो, मैं यह सोचती हूँ वो कभी हूँ कि अहं तथा आत्मा के अन्य शत्रुओं का वज़न अपना सम्मान नहीं कर सकते। क्योंकि यदि आपके पास संगीत है, संगीत की प्रतिभा है तो क्यों आपको पीछे की ओर दृष्टि डालता हुए देख सकता कितना कम हो गया है। इस दिव्य स्थल पर रहने का अनुभव अत्यन्त अंक : 3 & 4 -2006 चैतन्य लहरी 40 भारतीय शास्त्रीय संगीत जिसका अध्ययन में आनन्ददायक था। वहुत सारे पक्ष ऐसे हैं जिन पर विश्वास नहीं होता और जिन्हें वर्णन करना भी कठिन है। बिश्व भर से आए सहज विद्यार्यियों के साथ विशाल आश्रम में रहने की बहु-सांस्कृतिक सुगन्ध है। वहाँ एक मंच है जिस पर हाल ही में अकादमी के कर रहा हूँ वह इतना सुन्दर है कि संगीत में ही अथाह चैतन्य है और यह मानव को परिवर्तित करने में सक्षम है। गायक और श्रोता, दोनों के हृदयों को यह छू लेता हैं। संगीत, नृत्य और चित्रकारी के साथ सहज का सम्मिश्रण, कम से कम मेरे लिए तो चैतन्य लहरियों के विस्फोट सम हैं शुभारम्भ के अवसर पर साक्षात श्री आदिशक्ति के पावन चरण कमलों में पूजा अर्पित की गई थी। इसी मंच पर हम सहजियों को ध्यान धारणा करने की हाल ही में अकादमी के विद्यार्थियों को परम अनुमति है। अकादमी का भवन अविश्वसनीय ढंग से सुन्दर और व्यवहारिकता से परिपूर्ण है और इस बात पर आश्चर्य नहीं होता क्योंकि भवन की रूपरेखा पूज्य श्रीमाताजी के श्री चरणों में संगीत अर्पण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कुचिपुड़ी नृत्त्य का अध्ययन करने वाली सात वर्षीय बालिका अकादमी की सबसे छोटी विद्यार्थी थी। 24 दिसम्बर को अपनी अन्य बड़ी सहज बहनों के साथ मिलकर उसने श्रीमाताजी के सम्मुख नृत्य का हृदय स्पर्शी प्रदर्शन किया। उसके नृत्य से द्रवीभूत होकर बाद में बहुत से भारतीयों ने अकादमी में प्रवेश लिया । साक्षात् परम पावनी श्रीमाताजी द्वारा बनाई गई है। पूरा आश्रम चैतन्य से परिपूर्ण है और हम निरन्तर इस चैतन्य सागर में गोते लगाते हैं। अकादमी के चहूँ ओर जंगल है और वैतरणा नाम के ग्राम समेत ग्रामीण क्षेत्र। परम पूज्य श्रीमाताजी का अपनी इस नई परियोजना पर पूरा चित्त है और यह बात हमारे लिए स्पष्ट है। श्रीमाताजी साक्षात स्वयं अकादमी में होने वाली गतिविधियों में पूछ-ताछ करती हैं कि वहाँ क्या चल रहा है और कौन-कौन लोग वहाँ पर हैं। अपनी परमेश्वरी गुरु के प्रेम एवं स्नेह को उस दिव्य स्थल पर अकादमी आवासीय छात्रों को बहुत सुन्दर कमरे की सुविधा प्रदान करती है जिसमें प्रायः दो भाई, दो बहनें रहते हैं। स्नानागार हर कमरे के साथ जुड़ा हुआ है। सारा कार्य सहजयोगी करते हैं वे ही सफाई करते हैं और वे ही खाना बनाते हैं। हम अपने पाठ ग्रहण करने, अध्ययन करने और मौज मनाने के लिए पूरी तरह स्वतन्त्र हैं। हर कदम के साथ हम महसूस कर सकते हैं। पीछे की ओर देखते हुए सहज शब्दावली में यदि मैं कहूँ तो मैं पाता हूँ कि श्रीमाताजी ने मुझे सावधानी पूर्वक चैतन्य लहरियों में ऊपर उठा लिया और यहाँ आने से पूर्व के मुकाबले में बहुत हल्का मुङग्कर इस समय जन्म लेकर हमारी परम पावनी माँ द्वारा प्रदान की गई दिव्य सुविधाओं का आनन्द उठाने का अवसर प्राप्त करना कितना बड़ा बरदान है! महसूस करता हूँ। पनध्ण ऑन लाइन सहजयोग सम्पर्क पते A few selected URLS (online site address) to view International Sahaja Yoga Sites and related Sahaja Information like Newsletter http://www.geocities.com/seattleyoga/ Sahaja Yoga in Seattle http://sahajabhakta.org/nysahajayoga/ Sahaja Yoga New York and New Jersey http://www.shrimataji.net rare photographs of Puja and other http://www.geocities.com/vndsybenin/nigeria/ Sahaja Yoga in Nigeria and Lagos http://www.poetry-enlightened.org/ecrire/ enlightened poetry section http://www.sahajayoga.es/uma/ Promised land of Spain http://sahasrara.nirmala.info/ Sahaja Yoga contacts and other related information http://www.sahajayoga.org/ Sahaja Yoga Inernational Site http://www.sahajayoga.org/swa/ Sahaja world wide Announcement and News http://www.sahajayoga.org/sahajnews/ North American News Letter http://www.sahajayoga.org.in/ India News Letter/ SITA India http://www.theaterofeternalvalues.com/ dcoHTML/newsletter.htm TEV (Theatre of Eternal Values) Newsletter contact@sahajayoga.ca Sahaja Path (Sahaja Yoga Canada Newsletter) sa hajne ws @yahoo.com johndobbie@innocent.com Australian Newsletter dalysean@hotmail.com Australian National Yuva Shakti Newsletter (Until publish) http://www.sol.com.au/kor/home/htm Knowledge of Reality: Australia Magazine ramoodley@worldonline.co.2a African Newsletter A few more URLS: That may interest Sahaja Yogis to view on the net http://homepages.ihug.co.nz/-sahaj_nz Seeking Sahaja Self Realization http://www.sahajayogamumbai.org Seeking Sahaja Knowledge. www.nirmala.cz Czech Sahaja WebPages. www.sahajayoga-arabia.com Arabic Site for Self Realization http://sitemaker.umich.edu/sahajayoga Sahaja Yoga of Michigan/USA Sahaja Related Information (evidence based outreach) http://bayyoga.intelligentfilms.com/ San Francisco/Oakland Sahaja Yoga website (A video testimonial from a Sahaja Yogi) http://ww w.yogacolorado.org/ login.php?page%=leela Sahaja Yoga Colorado/Leela Game. Also video film 'vision' http://www.valaya.co.uk/IN-DEEP.htm Mother's talk Excerpts http://www.daisymaerica.com/ Sahaja Book Publication http://www.sakshi.org Sakshi Pokhari - The Pond of the Witness http://www.sahajvidya.freeuk.com/jsmsy Excerpts of Mother's talk http://www.sahajayogasardegna.it/musica.htm Music related site, Nirmal Tarang in MP3 http://www.yuvashakti.com/ Yuva Shakti. International http://www.chicagoyoga.org/seeker_cd Sahaja Yoga Chicago http://www.bhajan.nirmalvihar.info Sahaja Bhajan http://www.nirmalbhakti.com Devotional Indian Music, http://www.yuvadrishti.com/Indian Yuva Shakti Magazine सहजयोग परियोजनाएं एवं प्रकाशित पुस्तकें 1970 से सहजयोग विकास प्रक्रिया में एकत्र की गई अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग पुस्तक परियोजना (SWAN सम्पदा की यह पुर्ण सूची नहीं हैं परन्तु यह विश्व के कोने-कोने में प्रकाशित होने वाली पुस्तकों, पत्रिकाओं पृष्ठभूमि : इस परियोजना को श्रीमाताजी ने वर्ष तथा अन्य प्रकाशनों (जिनकी सूचना विशाल सामूहिकताओं से मिल पाई है) का संकलन करने का प्रयत्नमात्र है सम्भवतः इनमें से कुछ पुरानी पुस्तकें उद्देश्य अभी भी उपलब्ध हों, और हो सकता है कि कुछ अब उपलब्ध न हों। इस सूची का लक्ष्य साहित्य अध्ययन की सिफारिश भी नहीं है। इसका उदूदेश्य तो सहजयोग में किए गए कार्यों का स्मरण करवाना है इसमें और बाद में प्रकाशन तन्त्र का विस्तार किया जाएगा। श्रीमाताजी द्वारा आशीर्वादित कविताएं लेख और पुस्तकें सम्मिलित हैं । सहज साहित्य से सम्बन्धित परियोजनाएं विश्व भर में भिन्न धर्मों के ग्रन्थों तथा पुरोलेखों के संकलन को ध्यान में रखते हुए, विश्व सामूहिकता के हम सभी सहजयोगियों के लिए आवश्यक हैं कि परम पूज्य श्रीमाताजी के चरणकमलों में नतमस्तक हो कर सामूहिक रूप से प्रार्थना करें कि परमेश्वरी माँ के शब्दों को अपने अन्तस में समेटे हुए सभी पुस्तकें और बीडियो टेपों में सुरक्षित प्रवचनों का सत्यापित प्रतिलेखन पुरालेख भविष्य में इस सुन्दर विश्व में अवतरित होने बाली पीढ़ियों के लिए धरोहर के रूप में उपलब्ध हों। उनके प्रवचन विश्व के लिए मन्त्र सम हैं, यही हमारे बेद, पुराण और महा धर्म-ग्रन्थ वनेंगे। इनके माध्यम से पूरा विश्व श्री आदिशक्ति माता जी श्री निर्मला देवी के पृथ्वी पर अवतरण का साक्षी हो सकेगा। के अनुसार) 2003 में स्वीकृति प्रदान की थी और उसी वर्ष सितम्बर माह से इस पर कार्य आरम्भ हो गया था। । मुख्य धारा प्रकाशकों द्वारा परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी लिखित 10-11 पुस्तकों को प्रकाशित करवाना। आरम्भ में ये पुस्तकें daisyamerica LLC द्वारा प्रकाशित की जाएंगी इस प्रकार सामान्य पाठक (जिनमें से बहुत से शायद कभी भी सहज गोष्ठी में भाग ने ले पाए हों) भी श्रीमाताजी की शिक्षाओं तथा अन्तर्दृष्टि तक पहुँच सकेंगे बाद में यदि उनकी इच्छा होगी तो, यह पाठकों के आत्म साक्षात्कार का अनुभव पाने तथा सहज सामूहिकता से जुड़ने की योग्यता प्रदान करेगी। विधि : भिन्न देशों के सहजयोगियों की एक टीम ने श्रीमाताजी के अंग्रेजी भाषा में दिए गए आडियो और आरम्भ कर दिया है। इन प्रतिलेखों से सम्पादकगण दिए गए परामर्शों के अनुसार निम्नशीर्षकों की पुस्तकों का संकलन करेंगेः- 1. सहजयोग परिचय 2. द्वार प्रहरी - (अबोधिता एवं विवेक, श्री गणेश तथा भगवान ईसा मसीह) 3. स्वयं के गुरु किस प्रकार बने (आदिगुरु दत्तात्रेय) 4. शीतल अग्नि (कुण्डलिनी तथा आत्म साक्षात्कार) 5. आन्तरिक संसार ( सुक्ष्म तन्त्र एवं चक्र) 6. अन्तरपरिवर्तन का अभ्यास (शुद्धिकरण तकनीक, सन्तुलन, ध्यान धारण विधि, अन्तर्अवलोकन) 7. ज्योतित मस्तिष्क (बुद्ध, बौद्धमत और हँसा) ৪. प्रकाश पुंज (देवी-देवता) 9. ध्मों का सौभाग्य तथा दुर्भाग्य (इस्लाम, ईसाईमत, हिन्दुधर्म यहुदी धर्म) 10. दैन नन्दिनी ( न्यूयार्क के अलेन वहैरी (Alan Wheery) इस परियोजना के निदेशक (Director) हैं, लन्दन, यू. के. के कैन विलियम्ज़ (Ken Williams) मुख्य प्रबन्ध इस दिशा में आरम्भ की गई परियोजनाओं के पीछे इच्छा एवं उद्देश्य ये था कि परमपूज्य श्री माताजी द्वारा अंग्रेजी में दिए गए अधिकाधिक प्रवचनों को शुद्धता पूर्वक प्रतिलिखित किया जा सके ताकि उपफल के रूप में शोध कर्ताओं, विद्या विशारदों तथा उन देशों को उपलब्ध हो सके जो इन प्रतिलेखों का रूपान्तरण अन्य भाषाओं में करना चाहते हों। एक महत्वपूर्ण म्रोत का सृजन हो जो परन्तु इस विस्तृत सूची में शोध-पत्रों तथा उन अन्य दस्तावेजों की सूची सम्मिलित नहीं है जो पहले ही पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में छप चुके हैं। साथ ही साथ समय समय पर प्रकाशित सहजयोग लेखों तथा शोधपत्रों की सूची भी बनाई जा रही है, इसे नकारा नहीं गया है। श्रीमाताजी के प्रवचनों से उद्धरण) चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 -2006 43 सम्पादक (Managing Editor)। म्रुति गुप्ता और एन. केपाजोली (Ann Capazzoli), न्यूयार्क और आस्ट्रिया के अन्टोन ग्रेवमेयर (Anton Grabmayer) भी प्रवन्ध सम्पादक हैं और आरम्भिक प्रतिलेखन (Transcription ) परियोजना में मिल कर जोड़ों (Paris) में कार्यरत योगियों का नेतृत्व कर रहे हैं। टीम के सदस्यों का ऐसा स्थापित सहजयोगी होना अनिवार्य है जिनमें सन्तुलन तथा हॅँसाचक्र के पर्याप्त गुण हों तथा जिन्हें सहज शब्दावली का भी आवश्यक ज्ञान हो। अंग्रेजी भाषा में, बिना किसी त्रुटि के, कार्य करने की योग्यता भी उनमें होनी आवश्यक है। अन्तिम स्वीकृति तथा प्रकाशन से पूर्व इस पुस्तक की विषय-वस्तु की जांच संस्कृत भाषा के विद्वान करेंगे तथा समिति के सदस्य तथा WCASY के इच्छुक सदस्य इसका पुनरवलोकन करेंगे। इस प्रकार सभी सहजयोगी तथा सहजयोगिनियाँ समझ पाएंगे कि इस महत्वपूर्ण पुस्तक के उत्पादन पर कितना ध्यान दिया गया है। वर्तमान में भी बहुत सी मन्त्र पुस्तकें प्रचलन में हैं और हम जानते हैं कि सहजयोग मन्त्र पुस्तक के नाम से बैंबसाइट पर एक पुस्तक प्रसारित की गई थी जिसकी कुछ प्रतियाँ भारत में छपीं। इसके शीर्षक पृष्ठ पर सर्वाधिकार श्रीमाताजी एवं लाइफ इंटरनल ट्रस्ट लिखा हुआ था। ये बात स्पष्ट होनी चाहिए कि यह पुस्तक व्यक्तिगत प्रयत्न मात्र है जिसे इसके वर्तमान रूप में समिति 1 पुर्ण प्रतिलेखों से ये सम्पादक उपरोक्त विषयों को पूर्णतः समन्वित करके ऐसी पुस्तकें संकलित करेंगे जिन्हें वे पाठक भी पढ़ सकें, समझ सकें और आनन्द उठा सकें जिन्हें सहजयोग का बिल्कुल पूर्व-ज्ञान न हो। प्रकाशित होने से पूर्व सभी पुस्तकों का डेविड स्पायरो (David Spiro) और ग्रेगोर डी कलबरमैटन (Gregoire de kalbermatten) को भेजना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य परम पूज्य माता जी श्री निर्मला देवी द्वारा अंग्रेजी में दिए गए अधिकाधिक प्रवचनों को शुद्धता पूर्वक प्रतिलिखित किया जा सके ताकि उपक्रम के रूप में एक महत्वपूर्ण स्रोत का सृजन हो जो शोधकर्ताओं, विद्याविशारदों तथा उन देशों को उपलब्ध हो सके जो इन प्रतिलेखों का रूपान्तरण अन्य भाषाओं में करना चाहते हैं। ने स्वीकृति नहीं प्रदान की है व्यक्तिगत योगियों द्वारा किए गए प्रयत्न चाहे जितने अच्छे हों, परन्तु उनसे अनावश्यक भ्रम अवश्य उत्पन्न होगा। लेखक की उत्सुकता यद्यपि स्पष्ट है फिर भी पुरानी पुस्तक की विषय-वस्तु में किए गए परिवर्तन अनावश्यक हैं। इस संस्करण में परिवर्तित की गई बहुत सी विषय-वस्तु पढ़ी गई और H.H.S.M. द्वारा स्वीकार भी की गई और ये मन्त्र हमारी पूजाओं के अंग भी बन गए हैं। आवश्यकता वस इनके संस्कृत रूपान्तरण को सुधारने की है ताकि उद्देश्य-पूर्ति निश्चित की जा सके। इसलिए इस स्थिति में प्रकाशन समिति, विकसित हो रही मन्त्र पुस्तक जो WCASY द्वारा स्वीकृत है, के अतिरिक्त किसी भी अन्य पुस्तक को न तो प्रोत्साहित कर सकती है और न ही इसके प्रकाशन एवं प्रसारण का अधिकार दे सकती है। इस दौरान पुरानी (हरे रंग की) मन्त्र पुस्तक को संघ के उपयोग के लिए सुझाया जाता है। इस मामले में सभी की सूझ-बूझ के लिए हम **** सहजयोग मन्त्र पुस्तिका सोमवार 4 अप्रैल 2005 हर्षपूर्वक हम संघ को सुचित करते है कि सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद (WCASY) की प्रकाशन समिति ने आधुनिकृत, त्रुटिहीन सहजयोग मन्त्र पुस्तिका के उत्पादन की जिम्मेदारी ली है। कुछ समय पश्चात एक अन्य प्रकाशन-सहजयोग है, आभारी हैं। मन्त्र क्योंकि सहज पूजाओं के आधार हम इस बात के प्रति चेतन हैं कि संघ को एक पूजा पुस्तक- द्वारा इसे सम्पन्न किया जाएगा। पुरानी अधिकृत पुस्तक की आवश्यकता है। हमें पूर्ण विश्वास मन्त्र पूस्तिका में छपी प्रार्थनाओं के साथ सहजयोग से है कि उपरोक्त प्रक्रिया सदा सर्वदा चलने वाली मन्त्र पुस्तक के सृजन की आवश्यकता को पूर्ण करने के सम्बन्धित विश्व धर्मों के ग्रन्थों से उद्धृत चुने हुए अंशो को जोड़कर इस पुस्तक को पूर्ण किया जाएगा।" मन्त्र पुस्तक सहजशास्त्र पर आधारित होनी चाहिए, विद्यमान वर्तमान मन्त्र पुस्तक पर, जिसको वर्षों तक भिन्न साक्षात पुजाओं में तैयार किया गया लिए पर्याप्त होगी। सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद की प्रकाशन समिति की ओर से Alan Wherry - Gregoire de Kalbermatten - चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 अंक 44 Name of Book *Corruption-India's Enemy Within (2001) Bhrashtachar-Bharat ki Bhiteri Shatru (Hindi Version of Corruption) (2002) - Nimalanjali * Sahaja Yoga Songbook - Pushparpan - Sahaja Pushpanjali (1995) Language English Author Sir CP Srivastava Marathi/ Hindi Sir CP Srivastava Prayer/ Song Book Compilation Compilation compiled by Sushil Kejriwal(Songs) Armaity H. Bhabha compiled by Sushil Kejriwal( Songs) Compiled book of songs (English,Hindi, Marathi) Compilation H.H. Shri Mataji Nimala Devi Hindi/ Marathi English Hindi Hindi English Hindi Sahajamala(Book of Poems) (2000) Sahaja Geetarpan (1995) English * Sahaja Yoga Geetanjali > Sahaja Yoga Parichay Pustika * Sahaja Yoga The Unique Discovery Hindi English English Sahaja Yoga - A Guide for Parents, Teachers and Students Helga Fein Compilation Excerpt from Speeches of Shri Mataji Nimala Devi Geoferey Godfrey & RK Pal English English Mantra Folder The Joy of spreading Sahaja Yoga (2005) - Divine Light- Miracle Photographs of Shri Mataji (1998) The Divine Mother- 1008 Photographs of Shri Mataji- The Great Guru (2000) English English Geoffrey Godfrey. English English Javed Khan Islam Enlightened (1998) The Light of the Koran- Knowledge through Sahaja Yoga (1998) Geeta Enlightened (1986) Bible Enlightened-Religions and Yoga (Vol. First, Second and Third) (2003) Music & Sahaja Yoga (1997) Flore Descieux, Transl: Caroline Me Carthy English English Yogi Mahajan Dr. Dan Costian English Dr.Arun Apte and D.V. Athavale H.H Shri Mataji Nirmala Devi Sahaja Yoga 1991(EngV1998(Hindi). Sahaja Yoga Research and Health Centre English/Hindi English H.H Shri Mataji Nirmala Devi H.H Shri Mataji Nirmala Devi English Education Enlightened- A Guide for Schools Meta Modern Era (1996) H.H Shri Nirmala Devi H.H Shri Mataji Nirmala Devi English Hindi Para Aadhunic Yug (Hindi Version of Meta Morderm Era) (2000) My Memoirs (2000) Babamamat HP Salve) English अक : 3 & 4 - 2006 45 चैतन्य लहरी Babamama(HP Salve) Translation. O.P Chandna Hindi Mere Sansmaran (Hindi Version of My Memoirs) (2002) Sahaja Yoga Prakritik Jadi Bution Dwara Rog Niwaran The Advent (1979) Hindi Compilation- Booklet Gregoire De Kalbermatten Trans:Lotus hcart English French L'Avenement (French edition of The Advent) (1985) El Advenimiento (1994) (Spanish Version of The Advent) The Third Advent (2003) Jail Break Spanish Gregoire De Kalbermatten Gregoire De Kalbermatten Yogi Mahajan English English English English Miracles of Giod Gwenael Verez The Search for the Divine Mother (1997) Cooking With Love- Divine (2003) Lal Bahadur Shastri- A Life of Truth in Politics (1995) Lal Bahadur Shastri- Rajneti Mein Satyanishth Jivan (2000) (Hindi version) Navaratri Talks-Pune 1988 (2002) Recipes of H.H Shri Mataji Nirmala Devi Sir C.P Shrivastava English English Hindi Sir C.P. Shrivastava (Trans: Shankar Nene) English Talks of H.H Shri Mataji on Navaratri 1988, Pune Talks of H.H Shri Mataji on Navaratri 1988, Pune Hindi Navaratri Pravachan- Pune 1988(Hindi Vesrion) 2003 English Professor Dr. Umesh C Rai, M.D. Medical Science Enlightened- New Insight into Vibratory Awareness for Holistic Health Care (1993) New Delhi Medicos Vol. 13 April& May 1997 Nos. 4&5 (1997) English Ed. Dr. J1 Sood, Dr. MN Sood & Dr. R Garg Yogi Mahajan Yogi Mahajan transiation by CL Patel Yogi Mahajan Yogi Mahajan Yogi Mahajan Yogi Mahajan Yogi Mahajan English Hindi The Ascent Utthan (Hindi Version of The Ascent) (1994) Realized Saints Sufi Odes to Divine Mother Great Women of India The Face of God New Millenuim Fulfills Ancient Prophecies Nav Sahasrabdi (Hindi Version of New Millenuim Fulfills Ancient Prophecies) (2000) Unique Discovery Divine Knowledge through Vibrations (1992) A Collection of Prayer & Praise-Sahaja Yoga (1990) English English English English English Hindi Yogi Mahajan translation by O.P. Chandna English English Booklet PT Rajasekharan & R Venkatesan Compilation English चैतन्य लहरी अंक : 3.& 4- 2006 46 • Sahaja Yoga Puja Book (1990) - Sahaja Yoga Mantra Book 1989 French Compilation- From Le Puja English H.H. Shri Mataji Nirmala Devi Collection English Prayers, Praises & Protocol to Her Holiness Shri Mataji Nirmala Devi Come the Mother Calls- A Tribute of Love to Shri Mataji Nirmala Devi Children in Sahaja Yoga (1991) Cabella 94 (photographs by Michael Markl, Vienna) (1995) English English Compilation English English Compilation Compilation-printed by Adolf Holzhausens Nfg., Vienna Compilation Souveneir Nirmal Dham- A Project of H.H. Shri Mataji Nirmala Devi Foundation Grace English Compilation English Hindi Sant Kabir Aur Sahaja Yog (1999) (Ek Vaigyanik Drishti) > Shree Ganesha Puja-1999 The age of Ascent - Vibrations (2000) - Shiva Tattwa (2000) Birthday Messages - Health, Peace, Morality Culture "East-West" (9th, All Russian Scientific and Practical Conference) (9-10 June, 1998) Compilation- Souveneir Compilation- Souvencir Compilation- Souveneir Compilation Hindi/English English English English/ Hindi Compilation Moscow, Russia English Russian English/French Russian German, Chinese - A Seeker's Journey-Searching for clues to life's meaning (1995) Greg Turek, Australia Chinese Edwin Hou Actualise Your Self-Realisation * Sahaja Yoga Meditation Beginners Guide + Nirmal Fragrance Chinese Kwong. Ming Wai Compilation English Periodicals and Magazines Akashwani Volume I Akashwani Volume II Anant Jeevan (1979-1980) The Divine Cool Breeze USA (1987-2005) + Chaitanya Lahiri The Divine Col Breeze, India. Yuva Shakti, bound Yuva Shakti, bound English English English/Hindi English Hindi English English/Hindi Germany English English Hindi English/ Hindi English/Hindi English English Yuvadrishti Hermes - The Knowledge of Reality The Life Eternal Maha Avatar (1980) * Nimala Yoga (1981-1985) Sahaj Amrit - Open Heart 319 ा ॐ व श्र ब र ПА प्रतिष्ठान, गुड़गांव, भारत ---------------------- 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-0.txt २० चैतन्य लहरी मार्च= अप्रल 2006 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-1.txt 9COKL 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-2.txt चै त न्य री लह सहज संघ सूचना एवं ( विशेषांक) AMAL समाचार इस अंक में सर सी पी. श्रीवास्तव सम्मानित सर सी पी. श्रीवास्तव का अभिनन्दन समारोह सहज समाचार एवं सूचनाएं 2. ३ सहज-संसार घोषणाएं एवं समाचार स्वान विश्व परिषद के वर्तमान सदस्य परमपूज्य श्रीमाताजी का सन्देश, 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' सहजयोग विश्व परिषद द्वारा प्रस्तावों की स्वीकृति सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद (WSCASY) जिम्मेदारी की विनम्र स्वीकृति का प्रस्ताव सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद सामूहिक नेतृत्व के प्रति श्रद्धा संकल्प सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद लक्ष्य वक्तव्य 5. 6. 6. 7. 10 10 ৪ 11 9. 12 10. इंटली में नए सामूहिक नेतृत्व की घोषणा रूस में नए सामूहिक नेतृत्व की घोषणा यू.के. सहजयोग प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय समिति स्विटज़रलैण्ड में नए नेतृत्व की संरचना राष्ट्रीय ट्रस्ट परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी एवं सहजयोग ट्रस्ट की मीटिंग के अवसर पर दिया गया सन्देश कबैला की सम्पत्तियाँ विश्व सहज सामूहिकता को भेंट न्यू जर्सी में गुरु पुजा के अवसर पर WCASY का दूसरा रचनात्मक सत्र सहजयोग इतिहास की महत्वपूर्ण घटना कुछ महत्वपूर्ण संस्थानों तथा परियोजनाओं की उनके सम्पर्क पतों/कम्प्यूटर सूचना/ समाचार पत्रिकाओं/समाचार पत्रों और विश्व भर में नियमित रूप से छपने वाली सहज पत्रिकाओं के सदस्यता शुल्क की सूची सहज परियोजनाओं की सूची 1. निर्मल इन्फोस्टिमज़ एवं टैक्नोलोजीज प्रा.लि. 2. छिन्दवाड़ा, श्रीमाताजी के जन्मस्थल (घर) का अभिग्रहण 3. विश्व निर्मल प्रेम आश्रम 13 11. 14 12. 13. 14 14 14. 15. 15 भारत 15 16. 16 17. 16 18. 17 19. 20- 19 20 21. 21 23 24 4. अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल, तालनू, धर्मशाला 5. अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग शोध एवं स्वास्थ्य केन्द्र, सीबीडी बेलापुर 6. श्री पी.के. साल्वे कला प्रतिष्ठान, वैतरणा, महाराष्ट्र ऑन लाइन सहजयोग सम्पर्क पते सहजयोग परियोजनाएं एवं प्रकाशित पुस्तकें 29 32 37 41 22. 42 22. {१১१ ব 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-3.txt ी चै त नय ल हर प्रकाशक निर्मल इन्फोसिस्टम्ज़ एवं टैक्नोलोजीज़ प्रा. लि. 8 चन्द्रगुप्त हाउसिंग सोसाइटी, पॉड रोड, कोठरुड पुणे 411 029 नि मुद्रक कृष्णा प्रिन्टर्ज एण्ड डिजाइनर्ज त्रीनगर, दिल्ली 110035 मोबाइल 9868545679 एवं सदस्यता के लिए निम्न पते पर लिखें : श्री जी.एल. अग्रवाल आप अपने सुझाव निर्मल इन्फोसिस्टम्ज़ एवं टैक्नोलोजीज़ प्रा. लि. 222, देशबन्धु अपार्टमैंट, कालकाजी, नई दिल्ली-110 019 फोन : 26216654, 26422054 म काम अपने अनुभव, सहज सम्बन्धी लेख आदि निम्नलिखित पते पर भेजें : श्री ओ.पी. चान्दना र जी-11-(463), ऋषि नगर, रानी बाग दिल्ली-110 034 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-5.txt सर सी.पी. श्रीवास्तव, भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित ३० श्री शास्त्री, जो इस संस्थान के अध्यक्ष भी हैं, अन्ततः शनिवार प्रथम अक्तूवर (2005) भारतीय समयानुसार 4.30 सायं राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में वह चिरप्रतिक्षित क्षण साकार हो उठा जब ने कहा, "ये पुरस्कार उन लोगों को सम्मानित करता है जिनसे युवा पीढ़ियाँ प्रेरणा ले सकें। " माननीय राष्ट्रपति सर्वश्री ए. पी.जे. अब्दुल कलाम ने सर सी.पी. श्रीवास्तव विश्व जहाजरानी विश्व- सेवानिवृत्त आई.ए.एस. (I.A.S.) अधिकारी सर सी. पी. श्रीवास्तव (हमारे माननीय पापाजी) के जहाजरानी विद्यालय, माल्मो, स्वीडन के संस्थापक कुलाधिपति (सेवा-मुक्त) हैं। वे 'अन्तर्राष्ट्रीय जहाजरानी विधि समन्वे षण ( Maritime Exploration) तथा संस्था माल्टा' के अध्यक्ष और जहाजरानी शिक्षा एवं जन-प्रशासन, बिद्वता और प्रबन्धन क्षेत्र में श्रेष्ठ योगदान को स्वीकार करते हुए उन्हें प्रतिष्ठा पुरस्कार से प्रशिक्षण समिति (Committee on Maritime Education and Training), भारत सरकार, के अध सम्मानित किया। इस पुरस्कार में प्रशंसा पत्र (Citation), कीर्ति-पट्टिका (Plaque) के साथ-साथ एक लाख यक्ष भी रहे हैं। गौरवशाली क्षण पर उपस्थित सहजयोगी इस रुपये का नकद इनाम भी सम्मिलित था । प्रेमपूर्वक परम-पावनी माँ की उपस्थिति का स्मरण करते हैं और कहते हैं कि श्रीमाताजी की उपस्थिति ने सर सी.पी. श्रीवास्तव को 'लाल बहादुर शास्त्री बन्धु' पद-नाम दिया गया है और उनका नाम 'लाल इस अवसर को विशेष गुणवत्ता और मंगलमयता बहादुर शास्त्री प्रबन्धन संस्थान' की सम्मान-तालिका में अंकित किया गया है राष्ट्रपति भवन पुरस्कार समारोह में सम्मिलित होने वाले लोगों में अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठावान व्यक्तियों में प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह प्रदान की। वे अत्यन्त प्रसन्न थीं। सम्मानित किए जाने के पश्चात् सर सी.पी. को भाषण देने के लिए निर्मान्त्रित किया गया सर सी पी. श्रीवास्तव, हमारे पापाजी, ने उपस्थित लोगों को अपनी शक्तिशाली यू.पी.ए. अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी, केन्द्रीय गृहमन्त्री श्री शिवराज पाटिल तथा पूर्व केन्द्रीय मन्त्री और श्री अंग्रेजी भाषा में सम्बोधित करते हुए उन सेवाओं की प्रशंसा की जो उन्होंने स्वर्गीय श्री लाल वहादुर शास्त्री, लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र श्री अनिल शास्त्री भी थे। भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री, के सिद्धान्तों एवं पथ प्रदर्शन 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-6.txt चैतन्य लहरी अक : 3.& 4 - 2006 में नाश्ते की पार्टी में सभी लोग एकत्रित हुए। यहाँ पर में की थी। उनका भाषण अपने आप में एतिहासिक सभी बरिष्ठ अधिकारियों ने बारी-बारी आकर श्रीमाताजी वन गया। को बधाई दी। श्रीमाताजी बहुत प्रसन्न थीं वें सम्भवतः. उपस्थित व्यक्तियों के अनुसार अपने भाषण क्यों, सम्भवतः क्यों! निश्चित रूप से भारत सरकार का समापन करते हुए सर सी.पी. ने स्पष्ट रूप से के अधिकारियों पर कार्य कर रहीं थीं। विश्वासपूर्वक कहा कि 85वें वर्ष में आज जो पद उन्हें प्राप्त है या अपनी जिन उपलब्धियों के लिए आज भी समारोह के पश्चात् पूर्व-प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री के सपुत्र श्री अनिल शास्त्री ने पापाजी द्वारा लिखित पुस्तक "लाल वहादुर शास्त्री की प्रतियाँ राष्ट्रपति को भेंट कीं ऐसा प्रतीत हो रहा था उनका सम्मान हो रहा है, उसका श्रेय श्रीमाताजी के साथ उनके 58 वर्ष के विवाहित जीवन तथा उन मूल्यों और प्रेम को जाता है जो उन्हें श्रीमाताजी से प्राप्त हुए न और उस प्रेम को जो उन्हें उनकी दोनों पुत्रियों-कल्पना मानो सभी कुछ सूक्ष्म रूप से घटित हो रहा हो! तथा साधना से प्राप्त हुआ। इस अवसर पर उपस्थित योगियों ने इस क्षण को 'ऐतिहासिक क्षण' बताया। अत्यन्त उल्लासपूर्वक उन्होंने ये भी कहा कि उनकी पत्नी निर्मला के रूप में श्रीमाताजी प्रेरणा का ग्रोत बनकर हमेशा उनके उन्होंने घोषणा की कि श्रीमाताजी अत्यन्त-अत्यन्त प्रसन्न थीं और पापाजी के शक्तिशाली भाषण ने सभी उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था चैतन्य का साथ रहीं और एक वार लाल बहादुर शास्त्री ने भविष्यवाणी की थी कि श्रीमाताजी के सिदधान्त जीवन-मूल्य बनकर मानव-हित के लिए कार्य करेंगे। केवल इसी पथ पर रहते हुए, सारी सामाजिक गतिविधियों को सुधारकर, जीवन को बेहतर बनाने में फेव्वारा चल रहा था। हर क्षण श्रीमाताजी से चैतन्य बह रहा था। ऐसा लगता था कि राष्ट्रपति भवन में उपस्थित भारत-सरकार के अधिकारियों को बेहतर मानव की सहायता करने में वे जुटीं रहीं। उन्होंने ये भी कहा कि आपकी प्रिय माताजी ने जिस पावन कार्य को कार्य करने के योग्य वनाने के लिए वहाँ पर्याप्त चैतन्य-लहरियाँ थीं। वहाँ उपस्थित एक योगी ने ये भी मेरे पूरे जीवन में इससे पूर्व मैंने कभी सहजयोग की ऐसी ऐतिहासिक घटना नहीं देखी है। पूर्ण करने का बीड़ा उठाया है, वे अब उसके प्रति पूर्णतः समर्पित हैं- मानवता को उन्नत करने और मनुष्य का अन्तर्परिवर्तन करके उसे मूल्यवान बनाने के कहा, इस क्षण के लिए मैं श्रीमाताजी का आभारी भारत के टी.वी. चैनल 'दूरदर्शन ने तथा 'दूरदर्शन कार्य के प्रति। तत्पश्चात् उन्हें प्रदान किए गए सम्मान के लिए राष्ट्रपति और सभी उपस्थित माननीय सदस्यों समाचार' ने उसी शाम इस घटना को प्रसारित किया। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे श्री विष्णुमाया भी इस महान का उन्होंने धन्यवाद किया। घटना की घोषणा करने के लिए बेचैन थीं। ये समारोह केवल आधे घण्टे का था। इसके जय श्री माताजी, पश्चात् भारत के राष्ट्रपति द्वारा दी गई चाय और गुड़गाँव सामूहिकता, भारत। 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-7.txt सर सी.पी. श्रीवास्तव का अभिनन्दन समारोह कमानी सभागार दिल्ली, भारत म प्रिय भाइयो और वहनों, प्रतीत होंगे परन्तु उन्होंने, आकर्षक व्यक्तित्व की शक्ति, उनके प्रेम, करुणा, विनम्रता, विवेक और सिद्धान्तों के कारे में बताया। अत्यन्त प्रेम पूर्वक उन्होंने जिस घटना का पुनः स्मरण किया वह धी, प्रधानमंत्री और उनके बीच शास्त्री जी की विनम्रता पर हुई बातचीत। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय शास्त्री जी तब गृहमन्त्री थे और सर सी.पी. उनके केन्द्रीय सचिव। व्यक्तिगत रूप से, नमस्कार करते हुए शास्त्री जी हमेशा दोनों हाथ जोड़कर श्रीवास्तव साहब को, इससे पूर्व की वो उन्हें नमस्कार कर सर्के, नमस्कार किया करते थे। उनकी सहजता इस प्रकार की थी। अपनी पदवी का उन्हें कभी अहंकार नहीं हुआ। उच्च पद-चेतना कभी उन पर हावी नहीं हुई। जब शास्त्री जी भारत के प्रधानमन्त्री थये और श्री अयूब खान पाकिस्तान के, उस समय दोनों प्रधानमन्त्रियों के बीच हुई बातचीत तथा उसके एक दूसरे पर पड़े प्रभाव की घटना का भी वर्णन उन्होंने किया। लाल बहादुर शास्त्री प्रबन्धन संस्थान, दिल्ली', शास्त्री सदन सेक्टर-3, आर के. पुरम, नई दिल्ली ने 3 अक्टूबर 2005 को कमानी सभागार मण्डी हाऊस, नई दिल्ली में सर सी.पी. श्रीवास्तव का अभिनन्दन करने के लिए एक अन्य समारोह का आयोजन किया। सोमवार प्रातः ठीक 11.00 बजे कार्यक्रम आरम्भ हुआ। यहाँ लगभग सात सौ लोगों ने भाग लिया जिनमें से तीन सौ से भी अधिक सहजयोगी थे यद्यपि सर सी. पी. श्रीवास्तव आकर्षण का मुख्य म्रोत थे फिर भी सभी आँखें हमारी प्रेममयी माँ की प्रेम एवं करुणामयी भाव-भंगिमाओं की उत्सुकता-पूर्वक प्रतीक्षा कर रहीं थी अपनी निरन्तर मुस्कान द्वारा श्रीमाताजी ने पूरे स्थल को गौरवान्वित किया। सभागार के प्रवेश द्वार 1 पर स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की एक प्रतिमा रखी हुई थी। श्रीमाताजी ने उस प्रतिमा को देखा और निजी वार्तालाप में कहा, कि "ये प्रतिमा सफेद रंग की होनी चाहिए थी काले रंग की नहीं।" परमेश्वरी का ये संदेश शक्तिशाली सत्य के रूप में उभरा कि ऐसी प्रतिमाओं की ये संहिता होनी चाहिए, और तुरन्त स्वर्गीय श्री एक औपचारिक बातचीत में श्री शास्त्री ने श्री अयुब खान को स्पष्ट एवं साफ शब्दों में बता दिया कि कभी भी वे भारत पर हावी होने का या भारत के किसी हिस्से को पाकिस्तान में मिलाने का न तो प्रयत्न करें और न ही सोचें क्योंकि अपनी जनता के गुणों के कारण भारत उनके देश से कहीं उच्च है। उनके अपने मूल्य हैं और उन मूल्यों का भारत अत्यन्त सम्मान करता है। इस प्रकार से सर सी.पी. ने व्याख्या की किस प्रकार श्री शास्त्री के शब्द शक्तिशाली माध्यम बने और दोनों देशों के बीच होने वाले संभावित युद्ध को होने से रोका और तत्पश्चात् दोनों प्रधानमन्त्रियों ने एक दूसरे के लिए शुभकामनाएं प्रकट कीं। युद्ध पर में लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र एवं संस्थान के अध्यक्ष श्री अनिल शास्त्री को ये संदेश दिया गया कि श्रीमाताजी की ये इच्छा एवं सन्देश है तथा इस पर आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए । सर सी.पी. श्रीवास्तव को "प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री का स्वप्न तथा आज के भारत में उसकी प्रासंगिकता" विषय पर भाषण देने के लिए निरमंत्रित किया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि धारा-प्रवाह अंग्रेजी भाषा में दिया गया उनका भाषण न केवल हृदय स्पर्शी था बल्कि इस तथ्य को भी स्पष्ट करता था कि लाल बहादुर शास्त्री एवं उनके उदार व्यक्तित्व के बारे में विश्व कुछ भी नहीं जानता। उनका हर कार्य, सिद्धान्त और जीवन अत्यन्त निर्मल था-समझने में टिप्पणी करते हुए शास्त्री जी कहा करते थे कि युद्ध हमेशा दोनों पक्षों की हानि होती है। इस महान व्यक्तित्व के साथ अपने सहचर्य की छोटी-छोटी घटनाओं, कथाओं का स्मरण करते हुए पापाजी एक वहुत सहज तथा विवेक से परिपूर्ण। सम्भवतः हम सहजयोगियों को ये सभी गुण देवता रूप श्रीगणेश के घण्टे तक धाराप्रवाह बोलते रहे। उनका भाषण 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-8.txt ता चैतन्य लहरी अंक : 3 & 4 -2006 6. ु था दोनों महान परिवारों की और अधिक कथाओं को वे सुनते रहना चाहते थे। मन्त्रमुग्ध कर देने वाला था। मानो एक वार फिर वे अकधित इतिहास को प्रकट कर रहे हों! परन्तु उन्होंने ये कार्य अत्यन्त ज्योतित दृष्टि से किया, उस दृष्टि से जो इतिहास के पाठ पढ़ते हुए हम लोगों में न थी। अपनी स्पष्ट और सहज अंग्रेजी में जब वे बोल रहे थे तो सारी घटनाएँ साकार हो उठीं। उन्होंने जीवन के संवेदनशील क्षणों का भी वर्णन किया। एक वार पापा जी ने पुरस्कार की एक लाख रुपये की बा पूरी राशि संस्थान को भेंट कर दी और बिनम्रता पूर्वक संस्थान में शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति ल देने के लिए अपनी ओर से एक लाख रुपये का चैक भी भेंट किया। स्वलिखित पुस्तक 'लाल बहादुर शास्त्री की अंग्रेजी तथा हिन्दी भाषा में 450 प्रतियाँ भी संस्थान के विद्यार्थियों को भेंट करके उन्हें अत्यन्त कुछ जब उन्होंने शास्त्री जी के पुत्र अनित्व शास्त्री, जब वे वच्चे थे, को भेंट करने के लिए एक खिलौना खरीदा तो शास्त्री जी ने इसे स्वीकार करने से 'इन्कार कर दिया! निश्चित रूप से उन्होंने ऐसा पैसे के लिए नहीं किया, ये तो सिद्धान्त का मामला था। इस प्रकार से शास्त्री जी के सभी कार्यों से मानव रूप में अपनाए गए उनके सिद्धान्त और ईमानदारी का पूर्ण गहन जीवनदर्शन (Philosophy of Life) प्रकट होता है। प्रसन्नता हुई। वास्तव में व्यक्ति की उपलब्धियों की संख्या ही उसे जीवन से भी अधिक विशाल नहीं बनाती, परन्तु प्रेम, करुणा और मानवता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धड़कने बाला बिशाल हृदय उसे यह पद प्रदान करता है। सर सी.पी. श्रीवास्तव जैसे विनम्र व्यक्ति की पत्नी के रूप में श्रीमाताजी की साक्षात् तत्पश्चात् श्री अनिल शास्त्री ने सर सी.पी. के परिवार की महानता के बिषय में काफी कुछ कहा। व्यक्तिगत स्तर पर जीवन में उनकी प्रगति में सहायता पावन उपस्थिति के कारण सभागार में प्रवाहित होने वाली अथाह चैतन्य-लहरियों तथा अगाध प्रेम के आदान-प्रदान का वर्णन करने के लिए ये कुछ क्षण सम्भवतः पर्याप्त नहीं है। पूर्ण ब्रह्माण्ड की प्रेममयी माँ के प्रेम एंव करुणा की अभिव्यक्ति का पूरा विश्व साक्षी था उन्होंने अपने बच्चों को आशीर्वादित किया और बच्चे उनके पुनः पावन आगमन की उत्सुकता पूर्वक इच्छा करते रहे, परन्तु वे तो श्री महामाया के रूप में मौजूद हैं और सभी चीज़ों से लिप्त होकर भी साक्षी रूप से हर चीज़ का आनन्द लेती हैं! करने के लिए भी उन्होंने सर सी.पी. के परिवार के योगदान को स्वीकार करते हुए आभार प्रकट किया। प्रेमपूर्वक उन्होंने स्मरण किया कि जब वे और उनके भाई सुनील तीसरी और चौथी कक्षा में पढ़ते थे तो उन्होंने हमारी प्रेममयी माँ, श्रीमाताजी से किसी अन्य से नहीं, टयूशन पढ़ी। सर सी.पी. और श्रीमाताजी के उन मूल्यों, प्रेम, करुणा और जीवन की उच्च गुणवत्ता का वर्णन भी उन्होंने किया जिनका वचन ्यक्ति विश्व को देता है। श्रीमाताजी के प्रति पूर्ण सम्मान के साथ उन्होंने कहा कि उनके शैशवकाल में उनके लिए वे न केवल प्रेरणा का म्रोत थीं बल्कि वे उनकी आदर्श भी थी श्रीमाताजी की करुणा एवं प्रेम अतुलनीय हैं और इनका वर्णन कठिन है। एक अन्य व्यक्तिगत घटना के बारे में बताते हुए श्री अनिल शास्त्री ने कहा कि एक बार उनके जीजा के पेट में घोर समस्या थी। करुणामरयी उसी सन्ध्या सांय 6.00 बजे संस्थान ने सर सी. पी. और श्रीमाताजी के सम्मान में इण्डिया इंटरनेशनल सेन्टर लोदी रोड, नई दिल्ली में रात्रि भोज का आयोजन किया भारत के बहुत से टी.वी. चैनलों ने इस घटना को रिकार्ड किया है और शीघ्र ही वे इसका ा प्रसारण करेंगे। इस घटना पर परम पावनी प्रेममयी माँ और पापाजी की उपस्थिति और उनके शक्तिशाली प्रेम विस्फोट को दूरदर्शन पर देखने की घोषणा की हम प्रतीक्षा करें माताजी ने अपना हाय उनके पेट पर रख दिया, क्षण भर में दर्द भाग गया और आज तक कभी नहीं लौटा। ऐसा था उनका प्रेम और रोग निवारक स्पर्श! दर्शकों का श्री अनिल शास्त्री को सुनना निःसन्देह हृदयस्पर्शी जय श्रीमाताजी गुड़गाँव सामूहिकता, भारत 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-9.txt सहज समाचार एवं सूचनाएं शनिवार 15 अक्तूबर 2005 गुड़गाँव - भारत सहजयोगियों और सहजयोगिनियों की विश्व सामूहिकता को सर सी.पी. श्रीवास्तव (पापाजी) का सन्देश। एक वर्ष पूर्व उन्होंने (श्रीमाताजी) निर्णय किया कि 30-35 वर्षों तक उन्होंने सहजयोग अगुआ हैं, श्रीमाताजी निर्मला देवी मेरा आपसे अनुरोध है कि आप लोग मेरे इस का सृजन और प्रचार-प्रसार करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी है। जैसा आप जानते हैं उन्होंने विश्व भर में हवाई जहाज, हैलिकॉप्टर, रेलगाड़ी, बस, पैदल, बैल-गाड़ी से यात्रा की और विश्व भर के नगरों तथा कथन का समर्थन करेंगे कि, "आज वे सहजयोग की एकमात्र अगुआ हैं और वे सदैव........सदैव साकार या निराकार रूप में एक मात्र अगुआ रहेंगी।" क्या मैं ये बात मान लूँ कि आप सब मुझसे सहमत हैं और चाहते हैं कि यहाँ से पूरे विश्व को यह संदेश भेजा जाए? बनी गाँवों में जाकर सहजयोगियों और सहजयोगिनियों के विश्व-बन्धुत्व का सृजन किया। 80 वर्ष की आयु पार है करने के बाद उन्हें लगा कि अव समय आ गया जब प्रिय सहजयोगी एवं सहजयोगिनियों अब हमारे वे पीछे बैठे और अपने बच्चों से सहजयोग प्रचार सम्मुख एक कार्य है और यह कार्य उनके सहजयोग सन्देश को सम्भाले रखने का है। ये सन्देश उनके है। प्रसार की जिम्मेदारी स्वयं संभालने के लिए कहें। आपको सहजयोग का सृजन नहीं करना है ये कार्य उन्होंने कर दिया है। परन्तु उनका सन्देश फैलाया जाना है। अतः वे इस निष्कर्ष पर पहुँचीं कि पीछे वैठकर वे प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी तथा सहजयोगी और असंख्य ऑडियो, बीडियो आदि में भरा हुआ विश्व-भर के सभी भागों में हमारी पहली जिम्मेदारी ये विश्वस्त करने की है कि जो भी कुछ उन्होंने कुछ कहा है, जहाँ भी उन्होंने कुछ कहा है, उसे इस प्रकार से सहजयोगिनियाँ सहजयोग प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी सुरक्षित रखा जाए कि वह सहजयोग की कभी न खत्म होने वाली सम्पदा बन जाए। विश्व के सभी भागों में सम्भालेंगे। अतः उन्होंने निर्णय किया कि यह कार्य सामूहिक रूप से किया जाना चाहिए, व्यक्तिगत अगुआओं द्वारा नहीं बल्कि सर्वत्र, पुरे विश्व के देशों एवं नगरों में एक सामूहिक संगठन द्वारा। अतः वे सामूहिक नेतृत्व चाहती हैं, यही उनकी इच्छा है। परिणाम स्वरूप यही प्रयत्न किया जा रहा है। सामूहिक नेतृत्व की अपनी इच्छा को पूर्ण करने के लिए उन्होंने विश्व परिषद की रचना की है और बहुत से देशों में सामूहिक नेतृत्व बनाया है तथा ये आन्दोलन चल रहा है। अब सामूहिक नेतृत्व व्यक्तिगत अगुआओं का स्थान ले लेगा। ये सामूहिक नेतृत्व सामूहिक नेतृत्व का अर्थ ये होगा कि यहाँ बैठे आप सभी लोग इस प्रक्रिया में शामिल हैं पूरी सहज सामूहिकता को उनके सहजयोग के प्रचार-प्रसार का कार्य सौंपा गया है मिल-जुलकर अत्यन्त आनन्दपूर्वक इस कार्य को कर रहे हैं। भारत में भी सामूहिक नेतृत्व के इस कार्य को करने के लिए नए ट्रस्ट की स्थापना की गई है और मुझे ये बताते हुए हर्ष हो रहा है कि इस ट्रस्ट ने कार्य मैं आपके सम्मुख एक प्रस्ताव रखना चाहता हूँ, अनुरोध करना चाहता हूँ। आशा है आप मुझसे सहमत होंगे। भुझे कोई सन्देह नहीं हैं कि आप मुझसे सहमत होंगे कि जहाँ तक सहजयोग का सम्बन्ध है केवल एक ही सृजनकर्ता हैं..... श्रीमाताजी निर्मला देवी...... और केवल एक ही करना आरम्भ कर दिया है।" (नवरात्रि पूजा संध्या, गुड़गाँव, भारत 15.10.2005 ) से 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-10.txt प पबा चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 संकट की घड़ी में सहजयोगियों की अत्यन्त महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। अपने लेखों या प्रवचनों के माध्यम से उन्हें विश्व के हर हिस्से में सहजयोंग फैलाना है. स्वान-सहज-संसार घोषणाएं एवं समाचार सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद (WCASY) ....। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए भली-भांति सोचा विचारा दुष्टिकोण आवश्यक है। मंगलवार, दिसंबर 02, 2003 विश्वभर के सभी प्रिय सहजयोगी एवं सहजयोगिनियों, हमें यह समाचार देते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है कि परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी ने सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद' का गठन किया है। सहजयोग के इतिहास की ये एक अत्यन्त महत्वपूर्ण घटना है। विश्व परिषद के वर्तमान सदस्य श्रीमाताजी निर्मला देवी अध्यक्षा (विश्व अगुआओं के रूप में मनोनीत) सदस्य 1. राजेश शाह (Rajesh Shah) 2 ग्रेगौर डी कलबरमैटन दिसम्बर 2003 में अमेरिका से प्रस्थान करने से पूर्व श्रीमाताजी ने 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' का गठन किया। इस संस्था का कार्य सहजयोग के विकास को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय सामूहिकताओं की सहायता करना है। (Gregoire De Kalbermatten) 3. डेविड स्पाइरो (David Spiro) 4. विजय नालगिरकर (Vijay Nalgirkar) 5. मनोज कुमार (Mangj Kumar) 6. एडुआरडों मेरिनों (Eduardo Marino) 7. वोल्फगेंग हैक (Wolfgang Hackl) 8. माजिद गोलपोर (Majid Golpour) 9. फिलिप जेइस (Philip Zeiss) 10. डेरेक ली (Derek Lee) 11. अरनौ डी कलबरमैटन सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद के 34 सदस्य हैं जिन्हें 'विश्व अगुआ' (World Leaders) नाम दिया गया है। परिषद के आर्थिक, कानूनी एवं सम्पर्क मामलों के सलाहकार भी नियुक्त किए गए हैं। इस परिषद की हर वर्ष गोष्ठियाँ होने की संभावना है। (Arneau De Kalbermatten) श्रीमाताजी की घोषणा इस प्रकार से है :- 12. नेस अलगन (Nese Algan) आज विश्व-भर में खलवली मची हुई है। विश्व के सभी लोग भविष्य के विषय में चिंतित हैं। उन्हें सहजयोग के सुखदायी, परस्पर जोड़ने वाले एवं उन्नत करने वाले आध्यात्मिक संदेश की आवश्यकता 13. इवान तान (Ivan Tan) 14. करन खुराना (Karan Khurana) 15. अलेक्स हेनशॉ (Alex Henshaw) 16. आल्डो गन्डोल्फ़ी (Aldo Gandolfi) 17. राजीव कुमार (Rajiv Kumar) है। उन्हें आत्म-साक्षात्कार का अनुभव प्राप्त करने के योग्य बनाना होगा ताकि उनका अन्तर परिवर्तन 18. ब्रायन वैल्स (Brian Wells) 19. डेविड डनफी (David Dunphy) हो सके। केवल तभी वे सभी मनुष्यों को विश्व-परिवार का सदस्य मानेंगे, चाहे वे किसी भी संस्कृति या प्रजाति से हों केवल तभी वे घृणा एवं हिंसा का त्याग करेंगे. 20. ज़फर रशीद (Zafar Rashid) 21. बोडन शेओविच (Bohdan Swehovich) मानव इतिहास के इस 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-11.txt चैतन्य लहरी अंक 3 & 4 -2006 22. गगन अहलुवालिया (Gagan Ahluwalia) 23. पॉल इलिस (Paul Ellis) 24. अलन बेहरी (Alan Wherry) 30. अलेक्जेंडर सोलोडियानकिन (Alexander Soldyankin) 31. क्रिस क्रिआकौ (Chris Kyriacou) परिषद के सलाहकार 25. अलन पेरेरिया (Alan Pereira) 1. गगन अहलूवालिया (Gagan Alhwalia) (वित्त, लेखा-जोखा तथा संपत्ति सम्बन्धी मामले) 2. पॉल एलिस (Paul Ellis) (कानूनी मामले) 3. एलेन व्हेरी (Alan Wherry) (प्रकाशन) 26. संदीप गडकरी (Sandeep Gadkari) 27 . मिहेला बालासिसकु (Mihaela Balasescu) 28. विक्टर बोन्डर (Viktor Bondar) 29. डिमिट्री कोरोटिएव (Dmitry Korotaev) परमपूज्य श्रीमाताजी का सन्देश, 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' वृहस्पतिवार 4 नवंबर 2004 मेरी आशाओं के पूर्णतः अनुरूप अरनौ डी.कलबरमैटन (Arneau De Kalbermatten) ने समर्पण के साथ परस्पर मिलकर कार्य कर रहे हैं। वे जानते हैं कि उन्हें अत्यन्त बँटे हुए और घोर कष्टों में फँसे विश्व में सहज के प्रेम एवं एकता के सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के समन्वयक (Co-Ordinator) के रूप में अपनी महत्वपूर्ण सन्देश को फैलाना है। जिम्मेदारियों को शानदार ढंग से निभाना शुरु कर दिया है। उसकी सूचनाएं (Reports) दशाती हैं शुभकामनाएं हैं और इसकी निरन्तरता को बनाए विश्व परिषद की सफलता के लिए मेरी कि वर्तमान अध्ययन और भविष्य-योजनाओं के रखने के लिए 'सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद' मूल विषयों की सावधानी पूर्वक पहचान की जा चुकी है और इन्हें 'विश्व परिषद' की सोच समझकर गई समितियों को सौंप दिया गया है। के समन्वयक ( Co - Ordinator ) के रूप में मैं अरनौ डी कलबरमैं टन (Arneau De बनाई Kalbermatten) के कार्यकाल को 31 दिसम्बर 2006 तक बढ़ाती हूँ। इस परामर्श से भी मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि विश्व-परिषद के सभी सदस्य सहज-दुष्टि एवं पूर्ण (माताजी श्री निर्मला देवी, 3 नवंबर 20००4) ं 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-12.txt अंक 3 & 4 -2006 चैतन्य लहरी 10 गगन अहलुवालिया और पॉल एलिस सहित बहुत से सहजयोगी बहाँ पर उपस्थित थे। सहजयोग विश्व-परिषद द्वारा प्रस्तावों की स्वीकृति श्रीमाताजी ने स्पष्ट रूप से समर्थन किया कि जिस दस्तावेज पर वे हस्ताक्षर कर रही हैं यह उनकी अपनी इच्छा के अनुरूप है और उनकी इच्छा की अभिव्यक्ति है। सक्रियतापूर्वक वे बातचीत में व्यस्त वृहस्पतिवार 24 नवंबर 2005 विश्व सामूहिकता के प्रिय भाइयो एवं बहनों, हमारी परम पावनी माँ द्वारा विश्व परिषद की स्थापना, उनके द्वारा सौंपे गए पदभारों की स्वीकृति, श्रीमाताजी द्वारा वर्ष 2001 में स्थापित सामूहिक नेतृत्व के सिद्धान्त के प्रति हमारी श्रद्धा और अन्ततः विश्व परिषद के लक्ष्य बक्तव्य (Mission Statement) जिसमें इसके आदेश को श्रीमाताजी के प्रति श्रद्धांजलि तथा विश्व सामूहिकता की सेवा कहा गया है, को सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद आप सबके साथ बॉटना चाहेगी। थीं, और उपस्थित लोगों से उन्होंने विस्तार- पूर्वक वात की। अपनी अननुकरणीय शैली में उन्होंने इस प्रकार बात की कि हम सब अच्छी तरह से समझ सके। श्रीमाताजी ने स्वयं विश्व परिषद के सदस्यों की सूची का पुनर्वलोकन किया और उसमें, जैसे उचित समझा, परिवर्तन किए ऊपर लिखित सभी सहजयोगी, जो इस अवसर पर उपस्थित थे, उन्होंने श्रीमाताजी द्वारा विश्व परिषद के गठन की अपनी इच्छा की अभिव्यक्ति आशा की जाती है कि ये प्रस्ताव तथा लक्ष्य वक्तव्य (Mission Statement) आने वाली पीढ़ियों के अवसर के क्षण का साक्षी होने पर स्वयं को के लिए श्रीमाताजी की धरोहर को पूरी तरह से संभालने और बढ़ाने का आधार स्थापित करेंगे तथा परिषद के सहज सिद्धान्तों के अनुकूल अपनी जिम्मेदारियाँ निभाने के लिए कार्यविधियां तथा नैतिक संहिता का सृजन करेंगे। आपकी सूचना तथा आपके समझने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ संलग्न किए जा रहे हैं:- उत्तरदायित्व की विनम्र स्वीकृति प्रस्ताव एवं सामूहिक नेतृत्व का प्रतिज्ञा प्रस्ताव। सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद सौभाग्यशाली माना। प्रस्तावना (Preamble) सहजयोग एक आध्यात्मिक आन्दोलन है जो महावतार आदिशक्ति श्रीमाताजी निर्मला देवी के साक्षात् और उनकी धरोहर के प्रति इसके सदस्यों (सहजयोगियों) की श्रद्धा एवं सत्य निष्ठा से प्रेरित है । श्रीमाताजी ने हम सबको एक उद्देश्य एवं भूमिका के लिए परिषद में रखा है और दिव्य ज्ञान के अपने शाश्वत सिद्धान्त द्वारा केवल वे ही पूरी तरह से जानती हैं और इसी चेतना द्वारा ही अपने अनुयायियों के रूप में वे हमारा पथ प्रदर्शन करती हैं। कौन और क्यों, ये प्रश्न करना हमारा कार्य नहीं है, हमें तो 1. 2. (WCASY) का लक्ष्य वक्तव्य ये हमारी सच्ची आशा है कि यह संदेश विश्व सहज संघ में होने वाली सभी गतिविधियों के वारे में आपको सूचित करने के लिए 'सहज़योग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के नियमित संदेशों में से एक होगा। प्रेम एवं सम्मानसहित 'विश्व परिषद' के आपके भाई एवं बहनें सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद ( WCASY) जिम्मेदारी की विनम्र स्वीकृति का प्रस्ताव विश्व परिषद के गठन की पृष्ठभूमि 20 नवंबर 2003 को लॉस एंजलिस अमेरिका स्थित श्रीमाताजी के निवास पर सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद का गठन किया गया। जिस समय श्रीमाताजी ने विश्व परिषद बनाने का निर्णय लिया तो ग्रेगौर डी. कलबरमैटन करण खुराना, मनोज कुमार, केवल ये याद रखना है कि श्रीमाताजी सदा-सर्वदा हमारी गुरु हैं और उनकी इच्छा ही सर्वोपरि है। परिषद का कोई भी सदस्य क्योंकि गलतियों से ऊपर नहीं है, अतः श्रीमाताजी से निरन्तर जुड़े रहते हुए सहज सामूहिकता के अभिन्न अंग के रूप में हम अत्यन्त विनम्रता पूर्वक विवेक एवं पथ-प्रदर्शन की खोज करेंगे, ताकि उस दिव्य दिशा को खोज सकें जो वे निरन्तर हमें प्रदान करती हैं, और मानव मात्र को सामूहिक आत्म-साक्षात्कार का अनुभव प्रदान करने के उनके स्वप्न को साकार करने में, उनके आदेशों को विनम्रता एवं निस्वार्थतापूर्वक पालन करके मानव की सहायता करेंगे। 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-13.txt अंक 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 11 ये हमारी जिम्मेदारी है कि श्रीमाताजी की धरोहर को भविष्य में पूर्णतः सुरक्षित रखें और इसे आगे बढ़ाएं। ऐसा करने के लिए हमें एकजुट होकर श्रीमाताजी के प्रति पूर्ण श्रद्धापूर्वक तथा अपनी चैतन्य-लहरियों और सामूहिक चेतना के प्रति पूर्णतः संवेदनशील होकर कार्य करना होगा। सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद सामूहिक नेतृत्व के प्रति श्रद्धा संकल्प सामूहिक नेतृत्व के सिदधान्त की पृष्ठ-मूमि सामूहिकता सहज-योग को एक सूत्र में पिरोए रखने वाली ऐसी शक्ति है जो हमारी चेतना एवं हमारे अस्तित्व को पूर्ण करती है। सामू हिक ध्यान-धारणा में चैतन्य-लहरियाँ अत्यन्त शक्तिशाली होती हैं और सच्चे एवं समर्पित सहजयोगी जब सामूहिक रूप से सहज निर्णय लेते हैं तो उनसे श्रीमाताजी की इच्छा प्रतिबिम्बित होती है। संकल्प हमारी परमेश्वरी माँ एवं गुरु 'श्री आदिशक्ति माताजी श्री निर्मला देवी' साक्षात के आदेशानुसार : विश्व परिषद के हम सभी सदस्य स्वीकार दिसम्बर 2001 के एक एतिहासिक दिन करते हैं कि जब तक श्रीमाताजी सहजयोग के रोजमर्रा श्रीमाताजी ने अपने पथ प्रदर्शन एवं निर्देशनों की व्याख्या की तथा इन्हें स्थापित किया। सहज संचालन सम्बन्धी पक्ष, विश्व सामूहिकता को प्रभावित करने (Governance) के मामले पर उन्होंने अपना पहला पथ-प्रदर्शन दिया और विश्व निर्मला- धर्म अमेरिका श्रीमाताजी साक्षातू अपने पावन, सर्वशक्तिमान एवं (V.N.D.) के सामूहिक नेतृत्व के सृजन को हस्ताक्षर करके लागू किया श्रीमाताजी ने स्वयं विश्व निर्मल धर्म (V.N.D.) के सात निर्देशक चुने जो राष्ट्रीय अगुआ के साथ काम करेंगे और राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने ( श्रीमाताजी) सामूहिक निर्णयों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने तथा विश्व निम्मलाधर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए अगुआओं की दूसरी पंक्ति भी प्रथम पंक्ति में जोड़ी। इस अवसर पर अपनी इच्छाओं की गहनता के विषय में उन्होंने हमें बताया कि विश्व-स्तर पर सहज प्रशासन सम्बन्धी निर्णय सामूहिक समिति के नियमों के अन्तर्गत ही लिए जाने चाहिएं। उन्होंने ये भी कहा कि जिस आदर्श (Model) का सृजन उन्होंने किया है उसका सभी देशों को के कार्यों से दूर रहना चाहेंगी, संस्था तथा शासन वाले मामले तथा ब्रह्माण्डीय मामले, जिनका अन्यथा सर्वव्याप्त चित्त से पथ प्रदर्शन करती रहेंगी, हमारी जिम्मेदारी होगी। परमेश्वरी प्रेम की चैतन्य-लहरियों, परम चैतन्य के अनुरूप सहज ढंग से अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए परिषद नियमाचरणों का प्रतिपादन करेगी तथा उन्हें अपनाएगी। श्रीमाताजी के उपहार, सहजयोग को पूरे विश्व के साथ बाँटने, विश्वभर के सहजयोगियों में प्रेम बन्धन तथा सामूहिकता को दृढ़ करने के लिए आवश्यक सहज-बातावरण को बढ़ावा देने के कार्य के प्रति हम स्वयं को पूर्णतः समर्पित करते हैं । हम श्रीमाताजी से प्रार्थना करते हैं कि हमें विवेकाशीश प्रदान करें ताकि हम विनम्रता एवं साहस-पूर्वक उनके कार्य को चालू रखें। किसी भी प्रकार की गलती के लिए हम उनसे क्षमा याचना करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि वे हमें अपने चरण कमलों में और अपने हृदय में स्थान प्रदान करें । अनुसरण करना चाहिए। प्रस्तावना (Preamble) सामूहिक चेतना सहज अस्तित्व का मूल-भूत सिद्धान्त है जिसके द्वारा परम चैतन्य उनका (श्रीमाताजी) संदेश प्रसारित करता है और हमारा परस्पर सम्पर्क बना रहता है। हमारे सामूहिक अस्तित्व में ही वे हमें प्रेरित करती हैं और हमारा पथ प्रदर्शन करती हैं क्योंकि उनका स्वभाव हमारे चरित्र को एक सामूहिक अस्तित्व के रूप में ढालता है और उनके लिए जो भूमिका हमें निभानी है उसके लिए सम्मितलित होने की 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-14.txt अंक : 3 & 4 -2006 12 चैतन्य लहरी प्रदान करने के लिए बचनबदध हे। आज्ञा देता है। अतः हम सबको चाहिए कि एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प करें। सहज सामूहिकताओं तथा समितियों की कार्यशैली में उच्चतम आध्यात्मिक एवं नैतिक स्तर बनाए रखना इस परिषद का लक्ष्य है, ताकि श्रीमाताजी निर्मला देवी की शिक्षाओं के अनुरूप विश्वभर में सहज-सन्देश एवं आदर्शों की पहुँच निश्चित की जा सके। हम परम पूज्य श्रीमाताजी से विनम्र प्रार्थना करते हैं कि परमचैतन्य को हमारा पथ-प्रदर्शन करने की आज्ञा दें और सहजयोग के जीवन्त कार्य को वैसे ही चलने दें जैसे उन्होंने हम सब को व्यक्तिगत रूप से सिखाया हैं हमारी करुणामयी और प्रेममयी माँ, हितैषी गुरु एवं देवी, जिसकी हम पुजा करते हैं, से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि वे सदा हमारे हृदय में विद्यमान रहें। ये सभी सत्य हम स्वतः स्पष्ट मानते हैं :- कि योगिनियाँ और योगी स्वयं के गुरु हैं तथा उन्हें अपने सहम्रार चक्र और परमात्मा के बीच मध्यस्थ के रूप में किसी पुरोहिती-संस्था की आवश्यकता नहीं है। परिषद इस तथ्य से भली-भांति परिचित है कि विधान की आवश्यकता बहुत ही कम है क्योंकि सहज योग श्रीमाताजी निर्मला देवी की शिक्षाओं पर आधारित है और ये शिक्षाएं उनके प्रकाशित, ऑडियो, वीडियो प्रवचनों में मौजूद हैं। इसलिए सहजयोग में नेतृत्व संस्था, विश्व परिषद की सदस्यता सहित, को आध्यात्मिक धर्म तन्त्र नहीं माना जाता इसे समर्थ एवं शक्तिप्रदायी ताकत माना जाता है। श्रीमाताजी हमारा आदर्श हैं एवं हमारे सम्मुख उदाहरण है। वे साक्षात् आदिशक्ति हैं जो परमात्मा की सृष्टि को सहजयोग के माध्यम से, इसका सच्चा अर्थ प्रदान करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुई हैं और जिन्होंने विश्व भर में निःस्वार्थ कार्य करके सहजयोग फैलाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। विश्व परिषद, राष्ट्रीय अगुआगण एवं सम्बन्धित समितियों ने अपनी सामूहिकताओं की सुचारु एवं प्रगतिशील उन्नति को हितकर रूप से सम्भालना है, संचालित करना है, एवं सुसाध्य बनाना है। संकल्प (Resolution) सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद लक्ष्य वक्तव्य (Mission Statement) प्रस्तावना समाज के सदस्यों के अन्तःपरिवर्तन एवं सुधार के बिना किसी भी समाज का सुधार नहीं हो सकता। आध्यात्मिक उत्क्रान्ति एवं आत्मोत्यान, साधकों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने के लक्ष्य-प्राप्ति के लिए सहजयोग-संस्थापिका, श्रीमाताजी निर्मला देवी ने अपना जीवन समर्पित कर दिया है। विश्व परिषद के हम सभी सदस्य सामूहिक निर्णय लेने के सहज-सिद्धान्त के प्रति स्वयं को पूर्णतः (यह 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के नाम से समर्पित करते हैं पूर्ण सत्यनिष्ठा पूवर्क हम पुष्टि भी जाना जाता है) का कार्य श्रीमाताजी के महान कार्य करते हैं कि विश्व-परिषद की कार्य-शैली सामूहिक को चालू रखना तथा सहजयोग प्रचार-प्रसार करना निर्णय लेने के नियमाचरणों के अनुरूप होगी। कम से है। कम 75 प्रतिशत सदस्यों की सहमति से निर्णय लिए जाएंगे, या तो सीधे सलाह मश्वरे द्वारा या समितियों श्रीमाताजी निर्मला देवी के ब्रह्माण्डीय आध्यात्मिक कार्य के माध्यम से, और इन समितियों में सामूहिक प्रणाली के अनुरूप कम से कम तीन सदस्य होंगे। आगे हम पुष्टि करते हैं कि सामूहिकताओं तथा सहज सामूहिकताओं के सभी स्तरों के स्थान पर उपयुक्त सामूहिक निर्णय प्रणाली लाने के लिए विश्व परिषद पथ-प्रदर्शन, निर्देशन एवं आधार श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग विश्व संस्थान यह अन्तर्राष्ट्रीय लाभ-निरपेक्ष संस्था है जो के सन्देश तथा उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाने, उनका प्रचार-प्रसार करने तथा उन्हें बनाए रखने के कार्य के प्रति समर्पित है । राष्ट्रीय अन्तविज्ञान और सहजयोग अभ्यास को विश्व भर में विशेष कार्यक्रमों (जैसे सभाओं और गोष्ठियों), संस्थानिक (Institutional) विकास कार्यों (जैसे शिक्षा, 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-15.txt चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 13 स्वास्थ्य और पर्यावरण अनुकूल गतिबिधियों), ध्यान केन्द्र तथा पूजा एवं ध्यान धारणा के स्थानों की सभ्यताओं, धर्मों और संस्कृतियों में सूझ-बूझ तथा स्थापना (जैसे आश्रम, मन्दिर और जन-केन्द्र) तथा निश्चित रूप से यही मुल-संदेश है। अतः भिन्न सहिष्णुता पैदा करने के लिए संचालन एवं संयोजन सहजयोग सामूहिकता की आर्थिक, कानूनी एवं शोध शक्ति बनने की अपनी जिम्मेदारी को विश्व-परिषद समझती है। आवश्यकताओं की सहायता के कायोँ के माध्यम से श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग विश्व संस्थान" अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाता है। संचालन (Govermance) श्रीमाताजी निर्मला देवी की अध्यक्षता में विश्व-परिषद अपने इन कर्तव्यों का अपने विशव-परिषद सभी संस्थानिक एवं पूर्ण सहजयोग गुरु तथा विश्व सामूहिकता की सेवा के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में पालन करता है। परस्पर प्रेम एवं सूझ-बूझ के वातावरण में अपने सदस्यों की सामूहिक चेतना को बढ़ाने के लिए विश्व परिषद दो प्रस्तावों के सार का पालन करती है। इन प्रस्तावों में मूल सिद्धान्त निहित हैं जिनकी विश्व परिषद के सभी भावी सदस्यों से सहमत होने की आशा की जाती है: मं सामूहिकता सम्बन्धी मामलों में नेतृत्व, निर्णय एवं सलाह देने के लिए जिम्मेदार है। राष्ट्रीय सामूहिकता के अपनी राष्ट्रीय नेतृत्व समितियों नियुक्त करने की प्रक्रिया में विश्व-परिषद सहयोग करेगी कहीं यदि राष्ट्रीय-स्तर पर महत्वपूर्ण मामले निपटाने में सदस्यों में परस्पर मतभेद होंगे तो विश्व-परिषद का निर्णय अन्तिम होगा अपनी समितियों, कार्य-दलों और कार्यक्रमों द्वारा विश्व परिषद, विश्व जिम्मेदारी की विनम्र स्वीकृति का प्रस्ताव। सामूहिक नेतृत्व के प्रति पूर्ण श्रदधा सामहिकता को प्रभावित करने वाले विश्व-स्तरीय (Commitment) का प्रस्ताव। मामलों की ओर ध्यान देगी और सम्बन्धित परियोजनाओं एवं नेतृत्व को बढ़ावा देगी। ज्ञान की अभिव्यक्ति : विश्व परिषद इस बात को मान्यता देती है कि सहजयोग का ज्ञान जीवन्त ज्ञान है जिसे श्रीमाताजी निर्मला देवी द्वारा दिखलाए गए मार्ग पर सत्य-निष्ठा पूर्वक चलकर अपनी आन्तरिक ज्योति के माध्यम से हर योगिनी और योगी विकसित, अभिव्यक्त और प्रसारित करता है। इस आध्यात्मिक अनुभव के लाभ एवं प्रचार-प्रसार के कार्य को चालू रखने एवं आसान बनाने के लिए प्रवचनों, भाषणों, प्रकाशित पुस्तकों, ऑडियो और वीडियो ग्रन्थों की श्रद्धा-पूर्वक देख-रेख करने तथा गतिशीलता पूर्वक बढ़ावा देने के लिए विश्व परिषद कटिबद्ध है। इटली में नए सामूहिक नेतृत्व की घोषणा मंगलवार, 26 जुलाई 2005 हम हर्ष पूर्वक घोषणा करते हैं कि श्रीमाताजी ने इटली में नए सामूहिक नेतृत्व को स्वीकृति देकर आशीर्वादित किया है। आल्डो गन्डोल्फ़ी (Aldo Gandolfi) 'इटली राष्ट्रीय सहजयोग समिति' के समन्वयक (Co-ordinator ) होंगे समिति के अन्य सदस्य निम्नलिखित हैं सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद इटली में सहजयोग की प्रगति के लिए सामूहिक आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक समन्वय- परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी की नेतृत्व प्रदान करने हेतु में तत्काल प्रभावित सामूहिक विधियों तथा शिक्षाओं से पहली बार अब सामहिक नतृत्व की नियुक्ति करती हूँ, जो हमेशा 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के निर्णयों के पूर्ण अनुरूप कार्य करेगीः आत्म-साक्षात्कार सम्भव हुआ है और विश्व आध यात्मिक के विकास में अथाह महत्वपूर्ण स्थान ग्रहण 1. Aldo Gandoifi (Coordinator) Andrea Antoniani Marco Arciglio Duillio Cartoci Massimo Cesetti Sandra Castelli कर रहा है। विश्व परिषद स्वीकार करती है कि 2. 3. सहजयोग के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार का अनुभव 4. ऐसी सच्चाई बन चुका है जिसे प्राप्त किया जा सकता 5. है तथा मानव के सभी महान धरमों के सन्देश का 6. 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-16.txt चैतन्य लहरी अंक : 3 & 4 -2006 14 Giampiero De Michelis Giancarlo Fuente Michela Cavalletti Sandeep Gadkery Allessandro Giannotti Ernesto Kuhn Sanjay Mane Tommaso Merella Felicia Micolucci Luigi Piccinini Ezio Prandini Alessandro Scarno Antonio Scialo Maurizio Taddei Rubens Tommasi Antony Visconti माता जी निर्मला देवी। Anatoly Kozuhov Bohdan Shehovych Alan Wherry 7. ৪. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 11. 12. 13. माताजी श्री निर्मला देवी कमे काी यू.के. सहजयोग प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय समिति सोमवार 10 अक्टूबर 2005 सहजयोग प्रचार-प्रसार कार्य को गति प्रदान करने के लिए अब आवश्यक हो गया है कि सामूहिक नेतृत्व बना दिए जाएं। बहुत से देशों में ऐसे प्रबन्ध किए जा चुके हैं। अब मैंने यू.के. सहजयोग प्रचार-प्रसार समिति की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। 1. Dr. David Spiro - Co-Ordinator 2. Derek Lee 4. Dr. Brian Wells 6. John Glover 8. Guy Beaven 10. Vinayaka Francis 11.Ray Harris 12. Alan Henderson 14. Patty Prole 16. Martin Watt 18. Geoffery Godfrey 19.Robbert Ruigrok 20. Bhanu Prakash Reddy 21. Anthony Headlam 22.Daniel Wagner 3. Dr. Zafar Rashid 5. Alan Pereira 7. Hesta Spiro 9.Dr. Sarah Setchell रूस में नए सामूहिक नेतृत्व की घोषणा : रविवार 7 अगस्त 2005 हर्षपूर्वक हम घोषणा करते हैं कि श्रीमाताजी ने रूस के लिए एक नए सामूहिक नेतृत्व को स्वीकृति तथा अशीर्वाद दिया है। Dmitry Korotaev रूस की सहजयोग प्रगति के लिए बनी राष्ट्रीय परिषद के समन्वयक (Coordinator) होंगे अन्य सदस्यों के नाम नीचे दिए गए 13.Nigel Powell 15.Pasquale Scialo 17.Peter Yeboah हैं। Sergey Perezhogin के सहजयोग के सभी पर्दो से त्यागपत्र को श्रीमाताजी द्वारा स्वीकार करने के पश्चात् नई सामूहिक नेतृत्व समिति की नियुक्ति की गई है। तत्काल प्रभाव से मैं सहजयोग प्रचार-प्रसार रूसी राष्ट्रीय परिषद के लिए निम्न लोगों की नियुक्ति करती हैं। ये लोग रूस में सहजयोग के सभी कार्यों के लिए सामूहिक नेतृत्व प्रदान करेंगे और सदैव सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद के निर्णयों के अनुरूप कार्य करेंगे। माताजी श्री निर्मला देवी, 10 अक्टुबर 2005 स्विटज़रलैण्ड में नए नेतृत्व की संरचना हमारी प्रिय परमेश्वरी माँ श्रीमाताजी के चरणों में समर्पित प्रिय श्रीमाताजी, पिछले वर्षों में स्विटज़रलैण्ड सहज- सामूहिकता को फैला पाया है। फिर भी आपका दिव्य कार्य आगे बढ़ाने के लिए और आध्यात्मिक गतिशीलता को हर कस्बे हर गाँव में पहुँचाने के लिए हमारे देश को नए प्रोत्साहन की आवश्यकता है। इस परिदुश्य में हमें लगा कि एक नए नेतृत्व की संरचना की जाए जो मानव के आन्तरिक उद्धार के आपके स्वप्न को सफलता पूर्वक Dmitry Korotaev (National Coordinator) Alexander (Sasha) Solodiankin Valentina Kushnarenko Slava Ivanov Viktor Chaschin Tamara Sostamoynen Viktor Fedorov Anatoly Gromov Kontstantin Nazrachov Viktor Yevstaviev 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. ৪. 9. 10. साकार कर सके। चस ं 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-17.txt चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 15 कल्प ना श्रीवास्तव 8. विजय क. गौतम 10. वाई.पी. सिंह 5. अशोक अग्रवाल आध्यात्मिक आवश्यकताओं को उचित ढंग 6. 7. साधना वर्मा 9. र.क. पुगलिया निम्नलिखित को राष्ट्रीय ट्ूरस्ट में विशिष्ट अतिथि (आमंत्रित न्यासी) नियुक्त किया गया है: 1. भगवती सिंह 3. स. राम मोहन राओ 4. चन्द्र प्रभा से पूर्ण करने के लिए सामूहिक नेतृत्व संरचना की आवश्यकता को हमने पहचाना। अतः, श्रीमाताजी, मेरी विनम्र विनती है कि इस नए स्विस नेतृत्व संगठन को आशीर्वादित करें, तथा मेरा ये भी विनम्र निवेदन है कि कृपा करके उनका पथ-प्रदर्शन करें और भविष्य की जिम्मेदारियाँ निभाने के लिए उन्हें परामर्श दें इस सामूहिक नेतृत्व के लिए मैं निम्नलिखित सहजयोगी और सहजयोगिनियों के नाम सुझाता हूँ, ये इस कार्य के लिए अत्यन्त उपयुक्त हॉंगे 1. Arneau de Kalbermatten (National coordinator) 2. Bernd Treichel 4. Eric Deladoey 6. Gilbert Jeanneret 7. Gilles Rode 8. Harsha Mohan 10. Jose Di Munno 12. Thibaut Denblyden 2. किरण बालिया 5. करुण साँघी 7. पराग राजे मेरे आशीर्वाद एवं शुभकामनाओं सहित (हस्ताक्षर) माताजी निर्मला देवी प्रतिष्ठान पूणे. 16 अप्रैल 2005 6. गि.ल. अग्रवाल 3. Christian Mathys 5. Franca Clendon 9. Jean-Pierre Koller 11. Richard Mathys परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी एवं सहजयोग ट्रस्ट के न्यासियों की मीटिंग के अवसर पर दिया गया सन्देश मुम्बई, 25 अप्रैल 2005 आठ अप्रैल 2005 को मैंने 'परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी सहजयोग ट्रस्ट' (राष्ट्रीय ट्रस्ट) की स्थापना की है। इस राष्ट्रीय ट्रस्ट का उद्देश्य मेरे सहजयोग, प्रेम, सामंजस्य और कुण्डलिनी जागृति के सन्देश को, हमारी प्राचीन भूमि के कोने-कोच्े तक और हर सत्य साधक तक पहुँचाना है। ये एक एतिहासिक जिम्मेदारी है जिसे मैं आप सवको सौंप रही हूँ। मुझे विश्वास है कि आप निःस्वार्थय भाव से, और अधिक वचन-बद्धता के साथ, इस सन्देश को फैलाने तथा सहजयोगियों में प्रेम एवं आनन्द बाँटकर सहज-सामूहिकता को दृढ़ करने के लिए अथक कार्य करेंगे। इसके साथ-साथ मैं ये भी जानती हूँ कि ध्यान धारणा की गहनता में और अधिक उतरने तथा आध्यात्मिक रूप से विकसित होने के लिए आप उपरोक्त सूची को श्रीमाताजी ने स्वयं प्रतिष्ठान में 12 नवम्बर 2005 के दिन आशीर्वादित किया। अनन्त प्रेम एवं सम्मान सहित Arneau, November 20, 2005 राष्ट्रीय ट्रस्ट भारत 8 अप्रैल 2005 प्रिय भाईयों एवं वहनों; हर्षपूर्वक हम सूचना देते हैं कि परम पूज्य श्रीमाताजी ने, भारत के लिए 'परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी सहज योग ट्रस्ट' का गठन किया है इसका विवरण निम्नलिखित है : अध्यक्षा परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी उपाध्यक्ष निरन्तर संघर्ष करेंगे। सर सी.पी. श्रीवास्तव इस सन्दर्भ में मैं चाहूँगी कि सभी न्यासी (Trustees) निम्नलिखित नियमाचरणों को अपनाएं। ये नियमाचरण राष्ट्रीय ट्रस्ट की कार्यशैली के लिए पथ प्रदर्शक रूप-रेखा बनेंगे। मेरे आशीर्वाद एवं शुभकामनाओं सहित, सह-उपाध्यक्ष राजेश शाह न्यासी (Trustees) 1. वी.जे. नालगिरकर 2. राजीव कुमार 3. दिनेश रॉय 4. सुरेश कपूर (हस्ताक्षर) माताजी निर्मला देवी कुम 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-18.txt चैतन्य लहरी अंक : 3 & 4 - 2006 16 कबैला की सम्पत्तियाँ विश्व सहज न्यू ज्सी में गुरु पूजा के अवसर पर WCASY का दूसरा रचनात्मक सत्र सोमवार 1 अगस्त 2005 सामूहिकता को भेंट वृहस्पतिवार 15 सितम्बर 2005 अपने जन्म के एक वर्ष बाद जब सहजवोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद की श्रीकृष्ण की भूमि में सभा हुई, तो पाया गया कि इसमें अद्वितीय एकता एवं गतिशीलता की भावना दुढ़ हो रही है। कुछ दिन पूर्व पिछले वर्ष की घोषणा की पुष्टि करते हुए श्रीमाताजी ने ये आश्चर्यजनक समाचार दिया कि कबैला की चार सम्पतियाँ Palazzo Doria, The Hanger, Centrassi and Daglio HE e a को भेंट कर दी गई हैं। श्रीमाताजी की ये भेंट न्यू जर्सी के अपने घर के उदार उपहार के अतिरिक्त है । सर सी.पी. ने इस भेंट के सम्वन्ध में बताया, जिसे श्रीमाताजी भी सुन रहीं थीं, कि कबैला में हर वर्ष एक पूजा होनी चाहिए-गुरु पूजा - जिसमें विश्व भर से आए योगियों को इक्टूठा होना चाहिए, और सहजयोग के प्रचार-प्रसार, इसे दृढ़ करने के लिए और सहज सामूहिकता को फैलाने के लिए तथा अन्य सहज गतिविधियों के लिए इन सम्पत्तियों का उपयोग किया जाना चाहिए। विशेष रूप से एक गतिविधि जिसका वर्णन किया गया था कि यह चलती रहनी चाहिए वह थी हर गर्मियों में Daglio में बच्चों का कैम्प । उनकी (श्रीमाताजी) की घोषणा के पश्चात् यह निश्चय किया गया कि इटली में सम्पत्तियाँ ग्रहण करने के उद्देश्य से एक नई संस्था का सृजन किया जाएगा। ये कार्य आगामी सप्ताहों में होगा ताकि आगामी दो माह के अन्दर ये संस्था अधिकारिक रूप से श्रीमाताजी के दान को स्वीकार कर सके। न्यू जर्सी में हाल की गुरु पूजा के अवसर पर WCASY की कई सभाएं हुईं। पहली अनौपचारिक सभा में सर्वसम्मति से निर्णय किया गयाँ कि कबैला में आदिशक्ति पूजा के अवसर पर हुई घटनाओं से ऊपर उठना होगा। यद्यपि संघ के.सभी सदस्यों को हृदय की गहनता से श्रीमाताजी की चिरायु एवं सुन्दर स्वास्थ्य की प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया जाता है फिर भी जिन लोगों के हाथों में अपनी देख-रेख का भार श्रीमाताजी ने सौंपा है उन पर विश्वास करना हमारे लिए आवश्यक है संघ की सेवा में WCASY की पाँच समितियाँ हाल में हुए सत्र में विश्व-परिषद ने नियमाचरण तथा नई कार्यविधियाँ अपनाते हुए वर्तमान कार्यबलों को स्थाई समितियों में परिवर्तित कर दिया कानूनी मामलों की समिति की अभिपुष्टि की गई और बिश्व परिषद के सदस्यों ने इसे स्वीकार किया। 2006 के अन्त तक के लिए पॉल एलिस को इसका अध्यक्ष चुना गया इसी प्रकार से एलेन व्हेरी को सम्पर्क एवं प्रकाशन समिति के अध्यक्ष तथा गगन अहलुवालिया को बजट एवं आर्थिक मामलों की समिति का अध्यक्ष चुना गया। गुरु पूजा की इस सभा में दो नई समितियाँ बनाई गईं:- एक नई 'स्वास्थ्य समिति' बनाई गई जिसके अध्यक्ष डा. डेविड स्पाइरो होंगे। आने वाले कुछ महीनों में ये समिति अपने सदस्य नियुक्त करेगी जो निर्णय करेंगे कि इस समिति ने क्या कार्य करने हैं। राष्ट्रीय अगुआओं से अनुरोध है कि इस कार्य में सहायता करें। आशा है कि ये समिति किए जा रहे शानदार कार्य को मान्यता देगी, उदाहरण के रूप में वाशी अस्पताल तथा आस्ट्रेलिया में किए जा रहे शोध परियोजनाओं को, तथा परिषद के तीसरे सत्र में अपने कार्यक्रम और रिपोर्ट पेश करेगी। पूरी सहज सामूहिकता की ओर से हमने श्रीमाताजी के प्रति अपनी कृतज्ञता एवं अनुग्रह की अभिव्यक्ति कर दी है कि उन्होंने, सर सी पी. तथा पूरे परिवार ने सहजयोग की भावी पीढ़ियों को ये सम्पत्तियाँ प्रदान की हैं। श्रीमाताजी के महान कार्य के इतिहास में तथा विश्व भर के सहजयोगियों के हृदयों में इन सम्पत्तियों का अद्वितीय सम्भान है। हमने शपथ ली कि विश्व सामूहिकता के रूप में हम इन सम्पत्तियों का उपयोग उनके द्वारा बताए गए आदर्शों को पूर्ण करने के लिए करेंगे - उनके दिव्य प्रेम, आन्तरिक काया परिवर्तन और पावन आत्माओं की आध्यात्मिक सर्वोच्चता के स्वप्न को साकार करने के लिए । जय श्रीमाताजी! सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद) 1. 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-19.txt चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 -2006 17 द्वारा सहजयोग को दिए गए आश्रय को मान्यता देते हुए उन्हें संस्थान के निदेशक वोर्ड के अवैतनिक सदस्य पद स्वीकार करने का प्रस्ताव किया गया, जिसे उन्होंने अत्यन्त कृपापूवर्क स्वीकार किया। शिक्षा समिति : डा. बोल्फ गेंग हैक (Dr. 2. Wolfgang Hackl) जिसके अध्यक्ष हैं, भिन्न सहजयोग शिक्षण संस्थाओं, भारत, युरोप और अमेरिका के विद्यालयों के ट्ूस्ट बोर्डों में विश्व परिषद का प्रतिनिधित्व करेगी राष्ट्रीय अगुआओं से अनुरोध है राष्ट्रीय अगुआओं से समन्वयन कि वे वोल्फ गेंग से सम्पर्क स्थापित करके उन्हें सम्भावी अ्रोत व्यक्तियों तथा विवेकशील विकास के बारे में सूचित करें। इस समिति के अध्यक्ष भी परिषद के तीसरे सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे । सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व-परिषद (WCASY) अपनी माँ एवं गुरु श्रीमाताजी के शक्तितप्रदायी नेतृत्व एवं प्रेरणा की याचना करती है। परिषद के सदस्यों ने स्पष्ट रूप से महसूस किया कि WOCASY को चाहिए कि राष्ट्रीय नेतृत्वों को आश्रय दे, प्रोत्साहित करे और सम्भाले, परन्तु इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर, समय-समय पर, जब भी विश्व-स्तरीय या संस्थान के स्तर पर स्थिति उत्पन्न होती है या जब भी मध्यस्थता की आवश्यकता पड़ती है, तो परिषद को किसी भी देश के मामलों में हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। शनिवार सन्ध्या, को अपने निवास पर, भजनों के अद्वितीय सत्र में श्रीमाताजी ने परिषद की इस भूमिका को अपनी व्यक्तिगत स्वीकृति प्रदान की। समिति के अध्यक्षों को हाथ में लिए गए कार्यों को पूर्ण करने के लिए सलाह हेतु वांछित योग्यता वाले व्यक्तियों को नियुक्त करने के लक्ष्य से उपसमितियाँ बनाने का अधिकार दिया गया । विश्व परिषद से बाहर भी सहजयोगी व्यक्तियों को अधिकार दिए गए। दूसरे शब्दों में राष्ट्रीय अगुआ, संघ के ऐसे योग्य सदस्यों को जो वर्तमान कार्यों को करने के लिए स्वयं-सेवक के रूप में सम्मिलित हो सकते हैं, पहचानने में सहायता कर सकते हैं। ते राष्ट्रीय नेताओं से समीप-सम्पर्क बनाए रखना ये बात स्वीकार की गई कि सम्बन्धित समितियों के अध्यक्ष एक कार्य योजना तैयार करेंगे और परिषद के सम्मुख पेश करके अपनी समितियों के निर्णयों की परिषद से स्वीकृति लेंगे। परिषद के सत्रों के बीच के समय में वे समन्वयक (Co-oridinator) एवं सचिव (Secretary) से उचित परामर्श लेंगे । श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग संस्थान' का परिचय और अनुभवों तथा परामरशों के आदान-प्रदान की इच्छा सामूहिक है। इस सम्बन्ध में उसी क्षण नई जर्सी में बिद्यमान सभी राष्ट्रीय नेताओं का एक समन्वित दल बनाने की भावना पर बल दिया गया। सूचनाओं का आदान प्रदान हुआ और परस्पर सम्मान, स्नेह एवं सहायता की भावनाओं की अभिव्यक्ति की गई। इस बात पर भी सहमति प्रकट की गई कि जब भी सम्भव हो सभी पूजाओं के अवसरों पर इसी प्रकार की समन्वयन सभाएं की जाएं। लिए गए अन्य निर्णय नए श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग संस्थान' का पॉल एलिस ने परिचय दिया और सोमवार 25 जुलाई को मुलभूत औपचारिक बोर्ड मीटिंग हुई। हमें याद दिलाया गया कि परिषद इटली में संस्थान स्थापित करने के कार्य में आगे नहीं बढ़ रही | अमेरिका में स्थापित की गई नई लाभ-निरपेक्ष निगम संस्थान श्रीमाताजी द्वारा दिया गया न्यू जर्सी का उदार उपहार स्वीकार करेगी। 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' के कानूनी माध्यम के रूप में भी यही संस्थान कार्य करेगा। उपरोक्त महत्वपूर्ण निर्णयों के अतिरिक्त परिषद ने अपने कुछ सदस्यों को साधन और बौद्धिक सम्पदा जुटाने तथा कुछ विशेष देशों एवं क्षेत्रों में विकास कार्यों में सहयोग प्रदान करने का कार्य सौंपा| इस सम्बन्ध में माजिद गोलपुर से अनुरोध किया गया कि 'सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' की ओर से अफ्रीका की सहायता का कार्य करें। हम में से जिन लोगों को परिषद की सेवा में कुछ परिश्रम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, उनकी सभी सदस्यों ने सराहना की। न्यू जर्सी में एकत्र हो कर यह असंचयी एवं लाभ निरपेक्ष निगम गु5ु पुर्णिमा के अवसर पर 21 जुलाई 2005 को डैलावेयर राज्य में पंजीकृत कराई गई थी। सर सी.पी. श्रीवास्तव 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-20.txt चैतन्य लहरी 18 अक : 3 & 4 -2006 एकता की अद्वितीय भावना से आगे बढ़ने के लिए हम नयी जर्सी स्थित अपने निवास संस्थान को हस्तान्तरित कृतज्ञ थे और WCASY के दूसरे सत्र पर अपने गुरु करते े हुए कागज़ात पर हस्ताक्षर किए। श्रीमाताजी और सर सी. पी. जब केक का आनन्द ले रहे थे तब हम इस महान धटना के महत्व के विषय में सोच रहे थे। (श्रीमाताजी) की सुरक्षा के बरदान का भी हमें गहन अहसास था। समन्वयकर्ता (Co-ordinator) की ओर से विश्व संघ के प्रति प्रेम एवं सम्मानपूर्वक हमने महसूस किया कि आज तक किसी भी अवतरण ने स्वयं अपने मुँह से बोले शब्दों का रिकार्ड नहीं छोड़ा, श्रीमाताजी के हज़ारों टेपों का वैभव आशीर्वाद के रूप में, हमारे पास उपलब्ध है। इन टेपों में उन्होंने सहजयोग के सूक्ष्म ज्ञान को लिपिबद्ध करके यह विपुल सम्पदा हमें प्रदान की है। हस्ताक्षर एलन परेरा (Alan Pereira) सचिव सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद हम श्रीमाताजी तथा सर सी.पी. के प्रति आभारी हैं कि उन्होंने श्रीमाताजी की शिक्षाओं के 35 वर्षों के प्रवचन-टेप विश्व-संस्थान को प्रदान कर दिए हैं जिस प्रकार उन्होंने ये टेप दिए हैं वह न केवल श्रीमाताजी, बल्कि सर सी.पी. तथा पूर्ण परिवार की महान उदारता को दश्शाता है। इस कार्य द्वारा पूरे परिवार ने अत्यन्त सुन्दर एवं गरिमामय ढंग से दर्शाया है कि विश्व को प्रदान किए गए श्रीमाताजी के महान स्वप्न के प्रति वे कितने वचनबद्ध हैं। सहजयोग इतिहास की महत्वपूर्ण घटना वृहस्पतिवार, सितम्बर 29, 2005 नयी जर्सी, अमरीका शुक्रवार, 16 सितम्बर 2005 एक छोटे से साधारण समारोह में, शुदक्रबार 16 सितम्बर के दिन, विश्व परिषद के सदस्यों के एक छोटे से समूह के सम्मुख तथा अमरीका के अगुआओं की उपस्थिति में, श्रीमाताजी ने अपने सभी कार्यो अपने जीवन की सभी शिक्षाओं को 'श्रीमाताजी निर्मला देवी विश्व संस्थान' के न्यायासियों को कानूनी तौर पर सौंपते हुए, कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। सहजयोग के इतिहास में यह महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि श्रीमाताजी की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार और उनके विकीर्णन की पूरी जिम्मेदारी यह सहजयोगियों को सौंपती है। विश्व परिषदः एवं सहजयोग विश्व संघ की ओर से बोलते हुए पॉल एलिस ने इस एतिहासिक घटना की पुष्टि की और इस अमूल्य उपहार के लिए शाम को समापन के समय सर सी.पी. ने हमें वताया, "पूरा परिवार इस मामले में एकमत है और दृढ़ता पूर्वक इसके पीछे है", इसके विषय में विल्कुल भी मतभेद नहीं है। कुछ और भी यदि हम लोग कर सके तो हम इसे अपना परम कर्तच्य मानेगे। अब हम एक नई विशाल परियोजना में लगते हैं सहजयोग विश्व परिषद के पथ प्रदर्शन में एक औपचारिक समिति की स्थापना की गई है। यह परम पूज्य श्रीमाताजी के ज्ञान को विस्तृत एवं सहजरूप से उपलब्ध करवाने के लिए राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय साधनों को दूढ़ करेगी। कृतज्ञता प्रकट की। दस्तावेज़ हस्ताक्षर कार्य पूर्ण होने पर हमने श्रीमाताजी को वचन दिया कि हम उनके प्रवचनों को युग युगान्तरों तक सम्भालने तथा विश्व के हर कोने में इन्हें उपलब्ध कराने के महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी जय श्रीमाता जी मनोज कुमार, पाल एलिस और ऐलन वैहरी ('सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद' की ओर से) लेते हैं। इसके साथ साथ सर सी पी. श्रीवास्तव ने भी 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-21.txt कुछ महत्वपूर्ण संस्थानों तथा परियोजनाओं की उनके सम्पर्क पतों/ कम्प्यूटर सूचना/समाचार पत्रिकाओं/समाचार पत्रों और विश्वभर में नियमित रूप से छपने वाली सहज पत्रिकाओं का सदस्यता शुल्क की सूची: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Plot No.8, Chandragupt Hsg. Society, Kothrud, Paud Road, Pune - 411029. Maharashtra,(India) Sahaja Yoga Mandir (Ashram at Delhi, India) C-17, Qutab Institutional Area New Delhi I10016 (India) Tel. 91-11-26966652 Ph No. 020-25286537 Fax. 91-11-26866801 Fax: 020-25285232, e-mail-delhiashram@rediffmail.com email: marketing@nirmalinfosys.com Pratisthan Sahaja Yoga Health & Research Center, NDA Road Near Chandni Chowk. Pune-411023, Maharashtra, India Plot # 1, Sector # 8, Shri Mataji Nirmala Devi Marg, CBD, Konkan Bhavan, Belapur, Navi Mumbai - 400 703, Maharashtra, (India) Phone : (91) + (022) 27576795. 27571341, 6795. Director: Dr. (Mrs.) Madhu Rai {Contact From 10.00 Hrs IST- 14.00 Hrs IST} sahaja center@vsnl.net Nirmal Dham Sahaja Yoga Ashram Behind BSF Camp Chhawala Gaon Delhi - 110041, India Ph. 91-11-25023190 Vishwa Nirmala Prem Ashram (NGO) Home for the destitute women Plot No, 9, Institutional Area, Greater Noida, U.P. (India) Tel. 0091-120-2230681 Shri P K Salve Kala Pratishthan Near Vaitarna Dam, Village Belvad, Taluka Sahapur, District Thane. Maharashtra, India Phone: +91 2527 248528/248 530 URL: www.pksacademy.com International Sahaja Public School Talnoo, Dharamshala Cantt. Distt. Kangra H.P. 176216 India site: www.sahajapublicschool.org Publications: Subscription rates are subject to revision. The quoted rates are updated as on Jan. 2005. Sahaja School at Jejuri, India Vishwa Nirmala Vidya Mandir Clo Old Sadashiv Medicals, Chaitanya Lahari (Marathi) Rs. 225/-annually 6 issues per year Correspondence: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Plot No.8. Chandragupt Hsg. Society, Kothrud, Paud Road, Pune 411029. Maharashtra, (India) For Subscription: Demand Draft in favour of "Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd." payable in Pune. Jejuri-412303 Distt. Pune, Maharashtra, India Principal : Mr. Patrick Redican International Sahaja School Canajoharie Canajoharie.school@sahajayoga.org Sahaja Kindergarden and Ashram Borotin, Czech Republic http://www.nirmala.cz/borotin, borotin@nirmala.czb. 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-22.txt arh : 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 20 US ($ 30)* $28 Per Annum for six issues 2042 Capstone Circle, US ($ 5.50)* $5.0 for each back issues Herndon, Virginia 20172 USA US ($11.00)* for the special issues. (703 471-8484) (*for Credit Card System) http://www.sahajayoga.org/store/subscription.asp Cheques or money orders payable to "The Divine Cool Breeze" dcb108@yahoo.com Stories, photos and artwork can be sent to The Divine Cool Breeze, Yuvadrishti (magazine managed by Yuva Shakti in India) Correspondence: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Plot No.8, Chandragupt Hsg. Society, Kothrud, Paud Road, Pune - 411029. Phone: +91-20- 5286105 yuvadrishti@yahoo.com For Subscription: Demand Draft in favour of "Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd." payable in Pune. Rs. 120/- (National) ,INR 500/- (International) 4 issues per year 881 Frederick Road, North Vancouver British Columbia, Canada V7K 2Y5 or to coolbreeze@shaw.ca Chaitanya Lahari (Hindi) Correspondence: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Clo G. L. Agrawal, 222, Deshbandhu Apartments, Kalkaji, New Delhi- 110019.India Ph.: 011-26216654 Fax: 011-26422054 For Subscription: Demand Draft in favour of "Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd." payable in Delhi. Rs. 350/- annually 6 issues per Akashwani (Yuva Shakti Magazine) C/O. Shreya Payment, 8272.141 A Street, Surrey, BC. Canada V3W 0V6 editors@akashwani.org year वर्तमान सहज परियोजनाओं की सूची Divine Cool Breeze (Indian Edition) 350/- annually 6 issues per year Correspondence: Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd. Clo G. L. Agrawal, 222, Deshbandhu Apartments. Kalkaji, New Delhi - 110019.India Ph.: 011-26216654 Fax: 011-26422054 सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व-परिषद के तत्वाधान में www.sahajyoga.org एक नई उप वैबसाइट बनाई गई है ताकि विश्व भर के सहजयोगी सहज सामूहिकता द्वारा की जाने वाली गतिविधियों तथा चालू भिन्न परियोजनाओं का विवरण देख सर्े। For Subscription: Demand Draft in favour of "Nirmal Infosystems & Technologies Pvt. Ltd." payable in Deihi. For more information like books & others visit www.nirmalinfosys.com इस साइट के बहुत से लाभ हैं:- सहजयोग को बढ़ावा देने के लिए हमारी गतिविधियों का प्रसार। Bharat Vidhata जहाँ भी उचित पाया जाए, सहजयोगियों को इन गतिविधियों में भाग लेने की (Hindi-Marathi Weekly Newspaper) Publisher: RT Manuja, Mumbai, India Phone:3793578/32956124 आज्ञा । Divine Cool Breeze Annual ताकि हम एक दूसरे से सीख सकें और बार-बार एक ही कार्य को करने के Subscription (International Edition) C/o. Sarvesh Singh., available अनावश्यक परिश्रम से बच सकें। 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-23.txt चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 -2006 21 अंग्रेजी भाषा में लिखा गया परियोजना का हाल ही में पापा जी (सर, सी.पी.) ने भी सहजयोगियों और सहजयोगिनियों की विश्व विवरण ऐलन वैहूरी को भेजें: email : info#@daisyamerica.com और Dave Dunphy सामूहिकता के सम्मुख सहजयोग की आवश्यकता के लिए श्रीमाताजी के सन्देश को सुरक्षित रखने email : dunphitect@aol.com की आवश्यकता की घोषणा की। पापा जी का सन्देश प्रबल एवं स्पष्ट था। उन्होंने कहा..."प्रिय सहजयोगियो और सहजयोगिनियों, अब हमारे डाक केवल राष्ट्र अगुआओं को ही भेजी जानी चाहिए। स्पष्ट पता लगना चाहिए कि ये कौन से देश से आई है, विषय के साथ साथ इस सम्मुख उनके सहजयोग संदेश को सुरक्षित रखने का कार्य है यह सन्देश बहुत से ऑडियो कैसेटों, वीडियो कैसेटों आदि में निहित है। चाहे हम पर सम्पर्क पता अवश्य होना चाहिए ताकि अनुरोध एवं जानकारी के लिए उचित व्यक्ति को विश्व के किसी भी कोने में रहते हों, ये विश्वस्त लिखा जा सके। करना हमारी पहली जिम्मेदारी है कि जो भी कुछ वांछित शैली के लेख का उदाहरण देखने के उन्होंने (श्रीमाताजी) कहा है, जहाँ भी उन्होंने F - http//www.sahajayoga.org/current projects.asp अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग पुस्तक परियोजना के लिए । कहा है, उसे इस प्रकार से सुरक्षित करना है कि यह सहजयोग का अनश्वर वैभव बने । विश्व भर में यही प्रयत्न किया जा रहा है" (15 अक्तूबर, गुड़गाँव, भारत)। इस विशा में निर्मल इन्फोसिस्टम समर्पित है, ऐसा झरोखा बनने की दिशा में, जिसके माध्यम से पुरा विश्व श्रीमाताजी के सन्देश तक इच्छानुसार पहुँच सकेगा। इससे केवल श्रीमाताजी के बहुमूल्य सन्देश के प्रसार में सहजयोग परियोजनायें निर्मल इन्फोसिस्टम्ज़ एवं टैकनोलोजीज़ प्रा. लि. पृष्ठमूमि ही सहायता नहीं मिलेगी, अप्रल्यक्ष रूप से सहजयोग के आरम्भिक दिनों से लिखे गए अभिलेखों को परमपूज्य श्री माताजी ने इच्छा जतायी कि सभी सहज प्रकाशन तथा अन्य पदार्थ विश्वभर के सहजयोगियों को उपलब्ध कराये जाने चाहिए और सुरक्षित रखने में भी यह कम्पनी सहायक होगी। इससे सहज प्रकाशनों तथा पदार्थयों को अन्ततः पूरा विश्व एक ही मंच पर आ जाएगा। इस दिव्य उद्देश्य के लिए पहले से पुणे में स्थापित देश के कोने-कोने तक पहुँचा पाना सम्भव हो कम्पनी 'निर्मल इन्फोसिस' जिसे परम पूज्य श्रीमाताजी सकेगा। इस प्रकार वो लोग भी सहज सामग्रियों, ने वर्ष 2000 में आशीर्वादित किया था, पुनः उचित मूल्यों पर एक केन्द्रीय-म्रोत के माध्यम से पुस्तकों, ऑडियो-वीडियो कैसेटों को अपने स्थानीय ध्यान केन्द्रों से ले सकेंगे जिन्हें न तो कभी सहजयोग संगोष्ठियों में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ नामकरण करके 'निर्मल इन्फोसिस्टम्जू एवं टैक्नोलोजीज़ प्रा.लि. नाम दिया गया। 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-24.txt अंक : 3& 4 -2006 22 चैतन्य लहरी सम्बन्धी साहित्य आदि (साहित्य के रूप में किसी है और न पूजा-सेमिनार में भाग लेने का सौभाग्य प्रकार के दस्तावेज/आडियो/वीडियो) के प्रकाशन से पूर्व निर्मल इन्फोसिस्टमज़ से लिखित आज्ञा लेना अनिवार्य है। बिना आज्ञा प्राप्त किए, भी लक्ष्य एवं उद्देश्य परम पूज्य श्रीमाताजी ने इस परियोजना को वर्ष 2004 में आशीर्वादित किया था .और तभी प्रकाशित साहित्य को गैर कानूनी माना जाएगा। निदेशक मंडल को भारतवर्ष में सहजयोगार्थ छपे से सहज-संदेश फैलाने के लिए यह सहज पुस्तकों एवं पत्रिकाओं के प्रकाशन, सहज- सामग्रियों के सभी दस्तावेजों/सामग्रियों पर अधिकार होगा। सृजन और विश्वभर के सहजयोगियों-विशेषकर भारतीय सहजयोगियों को उचित मूल्यों में इन्हें उपलब्ध करवाने के कार्य के प्रति समर्पित है। सभी प्रकाशित तथा अप्रकाशित आडियो-वीडियो कैसेट, सी.डी., डी.वी.डी.., पूजा की वस्तुओं, संगीत और भजन कैसेटों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ निदेशक मण्डल (Board of Directors) परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी - अध्यक्ष सर सी.पी. श्रीवास्तव सभी प्रकार की सहज पुस्तकों/साहित्य, पत्र पत्रिकाओं तथा संकलन आदि को सुरक्षित रखना भी कम्पनी की गतिविधियों में सम्मिलित है । उपाध्यक्ष निदेशक श्रीमति साधना वर्मा निदेशक श्रीमति कल्पना श्रीवास्तव भारत के स्थानीय नगर तथा राज्य ध्यान निदेशक श्री ए.क. पुगलिया केन्द्रों की निरन्तर बढ़ती हुई माँग को पूरा करने के लिए, नियुक्त किए गए अधिकृत सहजयोगी एजेंटों श्री अनिल सूद एवं निदेशक निदेशक के माध्यम से, केन्द्रीय वितरण-प्रणाली द्वारा निर्मल श्री राजेश गुप्ता इन्फोसिस्टम कार्यरत है। इसका केन्द्रीय भण्डार श्री मुनीश पाण्डे महाप्रबन्धक (G.M.) पुणे में है। नगर ध्यान केन्द्रों को छपी हुई सूची पुस्तिका के माध्यम से सहज-प्रकाशनों तथा सामग्रियों की पूर्ति की जाती है और वहाँ से सहजयोगी सम्पर्क निर्मल इन्फोसिस्टम्जू एवं टैक्नोलोजीज़ प्रा.लि. :- सुविधानुसार इन सामग्रियों को खरीद सकते हैं। 8 चन्द्रगुप्ता हाउसिंग सोसाइटी, कोथरुड, पॉड रोड अत्यन्त सावधानीपूर्वक उच्च गुणवत्ता वाली सहज सम्बन्धी सामग्रियाँ बनाने के लिए पथ-प्रदर्शन, पुणे-4110029 सम्पादन, प्रकाशन, छपाई तथा पुनर्उत्पादन के लिए आधुनिकतम कला-तकनीकों को अपनाने का प्रयत्न फोन : +91-20-25286537 फैक्स : +91-20-25-286722 किया जा रहा है। अतः अब भारत में सहज : marketing@nirmalinfosys.com वैबसाइट : www.nirmalinfosys.com ईमेल 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-25.txt माताजी श्री निर्मला देवी का जन्म स्थल छिन्दवाड़ा भारत मंगलवार, जुलाई 26. 2005 भारत में सहजयोग के सभी मामलों के स्थानान्तरित कर दी गई है। जन्म-स्थल अभिग्रहण के लिए श्रीमाताजी के परिवार के सदस्यों (सर सी. पी. दो प्रबन्धन के लिए 7 अप्रैल 2005 को श्रीमाताजी ने "परमपूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी ट्रस्ट" (न्यास) पुत्रियां - कल्पना और साधना) ने भी उदारतापूर्वक की स्थापना की। वे राष्ट्रीय न्यास की अध्यक्षा (Chairperson) हैं । सर सी. पी. इसके उपाध्यक्ष हैं और राजेश शाह सह उपाध्यक्ष (Joint Vice सहयोग दिया है। विश्वभर के सहजयोगी युग युगान्तरों तक श्रीमाताजी के परिवार के इस गौरवमय सहयोग और हमारी परम पावनी श्रीमाताजी की धरोहर को शाश्वत बनाए रखने की उनकी वचनवदधता के लिए उनके प्रति आभारी रहेंगे। Chairman)। इस न्यास, जो अब भारत में सहजयोग को सामूहिक नेतृत्व प्रदान करेगा, में 12 न्यासी हैं तथा सात विशिष्ट आरमन्त्रित सदस्य । 17-सी, कुतुब इन्सटीच्यूशनल एरिया स्थित सहज मन्दिर में इसके राष्ट्रीय न्यास के प्रतिनिधित्व में, भारतीय सामूहिक नेतृत्व, अब अपनी परम पावनी माँ के चरण कमलों में, उनके जन्म स्थल पर विश्व सहजयोग आश्रम तथा सुन्दर स्मारक बनाने के पावन एवं महत्वपूर्ण कार्य को सम्पन्न करने की जिम्मेदारी, सम्भालेगा। इस कार्य के लिए शीघ्र ही एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा। इस पावन कार्य में, विचारों, संसाधनों तथा स्वैच्छिक कार्य द्वारा योगदान करने के लिए सभी आमन्त्रित हैं इस कार्य में सहयोग करने के इच्छुक व्यक्ति सम्पर्क करें: दफ्तर होंगे। अन्तर्राष्ट्रीय सामूहिकता के लिए तथा यहाँ स्मारक (Memorial ) बनाने के लिए अस्तित्व में आते ही राष्ट्रीय न्यास ने श्रीमाताजी के पावन जन्म स्थल छिन्दबाड़ा के घर) के अधिग्रहण कार्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। राष्ट्रीय न्यास की 'परिसम्पत्ति पर वन्धन समिति' (Asset Management Committee) को यह कार्य सौंपा गवा। सभी न्यासियों एवं नागपुर, भोपाल, पुणे राजीव कुमार, कार्यकारी सचिव और मुम्बई के सहजयोगियों के सामूहिक प्रयासों से तथा श्री दिनेशराय, अध्यक्ष, 'परिसम्पत्ति प्रवन्धन समिति,' राष्ट्रीय न्यास' के अथक प्रयत्नों से 14 जुलाई, 2005 को यह पावन कार्य सम्पन्न हुआ। अधिकारिक (कानूनी) रूप से यह सम्पत्ति 'परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग टूरस्ट' को हस्तान्तरित कर दी गई है तथा इसकी सभी कानूनी भारतीय सामूहिकता की ओर से औपचारिकताएं पूर्ण कर ली गई हैं। 14 जुलाई के दिन इस पावन स्थल पर सामूहिक हबन एवं पूजा सम्पन्न की गई। श्रीमाताजी के आदेशानुसार इस स्थान पर श्रीमाताजी निर्मला देवी सहजयोग विश्व- आश्रम' और 'श्रीमाताजी का पावन जन्म स्थान' के नाम-पट्ट भारतीय राष्ट्रीय न्यास aarkey1951@yahoo.co.in या 91-9818098072 इस ऐतिहासिक कार्य के गहन महत्व को समझते हुए भारतीय सामूहिक नेतृत्व श्रीमाताजी से प्रार्थना करता है कि इस कार्य को सम्पन्न करने हेतु हमें विवेक, साहस एवं विनम्रता प्रदान करें। राजीव कुमार विश्व के सभी सहजयोगियों के लिए पावनतम तीर्थ छिन्दवाड़ा में श्रीमाताजी का जन्मस्थल, उस घर को न्यास ने अभिग्रहण कर लिया है और यह विश्व भर के सहजयोगियों का स्थायी तीर्थ-स्थल वनेगा दूढ़ करने के लिए पुराने घर का पुनरुद्धार किया जाएगा। देश-विदेश से जन्मस्थल पर श्रद्धा सुमन चढ़ाने के लिए आए सहजयोगियों को ठहराने के भारत के नए स्थापित राष्ट्रीय न्यास के खाते में लिए भी न्यास एक नए भवन का निर्माण करना (Sign Boards) भी लगा दिए गए हैं। यहाँ यह वता देना आवश्यक होगा कि छिन्दबाड़ं निवास के अभिग्रहण करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय अपील द्वारा एकत्र की गई पूरी धन-राशि, 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-26.txt अक : 3 & 4 - 2006 24 चैतन्य लहरी देवी ने अनाश्रित महिलाओं तथा अनाथ बच्चों, विशेष रूप से लड़कियों के हितार्थ समर्पित, इस संस्थान का 'गैर सरकारी हितार्थ संस्थान' के रूप में 27 मार्च, 2003 को उद्घाटन किया। चाहता है। भवन निर्माण के लिए शीघ्र ही भूमि का अभिग्रहण किया जाएगा ताकि भारत या विश्व के किसी भी कोने से आप लोग वहाँ जा सकें। विश्व के सहजयोगियों के लिए अब यह वास्तव में पावनतम ये आश्रम समाज की असहाय, अनाश्रित महिलाओं को आरज़ी तौर पर निःशुल्क भोजन, वस्त्र, स्थानों में से एक या सम्भवतः 'पावनतम तीर्थ' बनेगा। रहने का स्थान, व्यवसायिक प्रशिक्षण तथा चिकित्सा सुविधायें मुहैया करवाता है। 6 से 24 माह के प्रशिक्षण के बाद उनसे आशा की जाती है कि अब वे स्वतन्त्र हैम सब एक साथ चलेंगे, और व्यक्तिगत छोटी या बड़ी सामूहिकता के रूप में, अपनी माँ द्वारा आपको दिए गए सहजयोग संदेश के प्रचार-प्रसार के प्रयत्न में हाथ बटाने के लिए, में आप सब को आमन्त्रित करता हूँ। (नवरात्रि पूजा संध्या, गुड़गाँव, भारत, 15.10.2005 को सर सी.पी. (पापा जी) के विश्व सहज सामुहिकता को यहाँ प्रवेश मिल सकेगा 2 वर्ष से 8 बर्ष तक के के सम्मुख दिए गए भाषण से उद्धृत) रूप से जीविकार्जन करें और सम्मानमय जीवन बिताएं। उपयुक्त नौकरियां खोजने में भी उनकी सहायता की जाएगी। 40 वर्ष तक की आयु की अनाश्रित महिलाओं अनाथ बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। इन्हें 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क भोजन, वस्त्र, रहने का स्थान, शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इसके बाद इन्हें जीवन में पुनः स्थापित किया जाएगा। ग्रे टर नोएडा के प्रतिष्ठित ज्ञान पार्क/ इन्स्टीच्यूशनल एरिया में लगभग 10००० वर्ग मीटर भूमि पर वने, विशाल वाटिका एवं दो मंजिले विशाल भवन में रहने वाले आश्रम के निवासी, स्वच्छ, सुन्दर जीवन, पोषक भोजन, खेलकुद तथा प्रेममय पारिवारिक वातावरण का आनन्द उठाते हैं। उनका आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शन भी किया जाता है ताकि आन्तरिक शान्ति एवं सन्तुलन की अवस्था प्राप्त करके वे जीवन का अधिक बेहतर ढंग से सामना कर सकें। ऐसे अनाथ बच्चों तथा अनाश्रित महिलाओं के हितार्थ आप निम्नविधि से सहजयोग कर सकते हैं :- विश्वनिर्मल प्रेम आश्रम अनाश्रित महिलाओं एवं अनाथ बच्चों की शरणस्थली (परम पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी संस्थान" की परियोजना ) (गैर-कानूनी हितार्थ संस्थान) रजि. संख्या - एस-31374 पंजीकृत कार्यालय- सी 17, कुतुब इन्स्टीच्यूशनल एरिया, नई दिल्ली 110016 ( भारत) फोन : +91-11-26966652, फैक्स +91-11-26866801 : delhiashram@rediffmail.com ई मेल आश्रम का पता आश्रम के पते और फोन संख्या पर आश्रय विश्व निर्मल प्रेम आश्रम प्राप्त करने के लिए हमारे पास आने की प्लाट नं. 9, इन्स्टीच्यूशनल एरिया, ग्रेटर नोयडा, उ.प्र. ( भारत) फोन : 91-120-2230681 सलाह आप उन्हें दें। आश्रम के पते पर अपने चन्दे "H.H. Shri Mataji Nirmala Devi Foundation" a नाम चैक/ड्राफ्ट द्वारा भेजें। आश्रम द्वारा बच्चे पर खर्च की गई धनराशि आश्रम को लौटाकर एक बच्चा कानूनी रूप से गोद लें। मो. : 91-9810774865 E-mail : Gisela_oma_7@yahoo.com भारत और विदेशों में आरम्भ होने वाली परियोजनाओं की शृंखला में विश्व निर्मल प्रेम आश्रम पहली परियोजना है। परम पूज्य माताजी श्री निर्मला *ं 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-27.txt अंक : 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 25 माध्यम से आना होगा। ये दर्शाने के लिए, कि उनके न तो पारिवारिक बन्धन है और न ही वे समाज द्वारा "H.H. Shri Mataji Nirmala Devi ें Foundation" के नाम स्टैन्डर्ड चार्टर्ड बैँंक, ई10, कनाट प्लेस, नई दिल्ली 110001 भारत को सीधे अपने चन्दे भेजें। त्यागी गई हैं, उनके पास आवश्यक प्रमाण पत्रोंदस्तावेजों का होना आवश्यक है। आश्रम को अधिकार है कि बिना कोई कारण बताए किसी भी महिला का आवेदन रद्द कर सके। आश्रम अधिकारी यदि उचित समझेंगे तो किसी भी महिला को लम्बे समय तक आश्रम में वनें रहने की आज्ञा दे सकते हैं। इस कार्य के लिए उस ाहिला को उचित पारितोषिक दिया जाएगा। शासी- परिषद को किसी भी शर्त की उपेक्षा करने का अधिकार है। 5. शासी निकाय (Governing Body) सोसाइटी-विधान के अनुरूप सोसाइटी की 6. शासी परिषद के वर्तमान सदस्यों के नाम और पद इस प्रकार हैं :- परम पूज्य माता जी श्री निर्मला देवी संस्थापक एवं अध्यक्षा 7. श्रीमति साधना वर्मा श्रीमति किरण वालिया श्री विनय अनन्त देओपूजारी श्रीमति Gisela Matzea श्रीमति विनीता कुमार श्रीमति नीता राय श्रीमति मालिनी खन्ना श्रीमति मालती प्रसाद श्री आर. डी. भारद्वाज सदस्य सचिव कोषाध्यक्ष अनाथ लड़की को आश्रम में प्रवेश देने के लिए दिशा-निर्देश सदस्य सदस्य सामान्य रूप से 2 से 8 वर्ष की आयु की अनाथ बालिका को प्रवेश दिया जाएगा। परन्तु विशेष परिस्थितियों में न्यासियों की आज्ञा से ৪ साल से बड़ी 1. सदस्य सदस्य सदस्य आयु की अनाथ बालिका को भी आश्रम में प्रवेश दिया सदस्य जा सकता है। लेखा-परीक्षक श्री जी.एल. अप्रवाल (विशेष निरमन्त्रित) प्रवेश से पूर्व बच्चे को स्वास्थ्य जाँच के लिए भेजा जाएगा ताकि संक्रामक रोगों से बचा जा सके। सहजयोग केन्द्र, पुलिस, गैर सरकारी हितार्थ संस्थान, धार्मिक संस्थाएं या कोई विश्वसनीय संस्था/व्यक्ति/दूर का सम्बन्धी बच्चे का प्रवेश करवा 2. आश्रम में आश्रय खोजने वाली असहाय 3. अनाश्रित महिलाओं के लिए दिशा निर्देश: 60 वर्ष तक की आयु की महिलाएँ सीमित समय के लिए अपनी योग्यतानुसार 6 से 24 महीनों का व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आश्रम में आश्रय के लिए निवेदन कर सकती हैं। इन महिलाओं के लिए आश्रम तथा सहजयोग ध्यान-धारणा के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। 1. सकता है। वालिका को प्रवेश के लिए लाने वाले व्यक्ति को बच्चे के माता-पिता की मृत्यु प्रमाण पत्र या कोई 4, अन्य प्रमाण पेश करना होगा जिससे सावित हो कि बालिका वास्तव में अनाथ तथा गरीब है। 2. पुलिस या स्थानीय दण्डाधिकारी खोई हुई बालिका का प्रवेश करवा सकते हैं। बाद में यदि अभिभावक मिल जाता है तो उसे बालिका पर खर्च की गयी राशि आश्रम को लौटानी होगी। 5. उन्हें अपनी स्वास्थ्य जाँच करवा कर आश्वस्त 3. करना होगा कि वे ऐसे रोगों से पूर्णतः मुक्त हैं जिनका कुप्रभाव आश्रम में पहले से विद्यमान लोगों पर हो सभी प्रविष्ट बच्चों के लिए आश्रम के कायदे सकता है। 6. आश्रम में आश्रय पाने की इच्छुक महिलाओं को सहजयोग केन्द्रों, पुलिस, जेल, गैर सरकारी हितार्थ संस्थाओं, समाज सेवियों या अन्य अधिकृत लोगों के कानून मानना तथा सहजयोग ध्यान-धारणा करनी अनिवार्य होगी। 4. 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-28.txt चैतन्य लहरी अंक : 3 & 4 -2006 26 निकाल दिया। ऐसे बहुत सारे हमने जीवन में अनुभव लिए और जिसकी बजह से अत्यन्त व्य्ित हो गए। सरकार के नियमों के अनुसार प्रवेश किए गए बच्चों पर आश्रम के सभी पितृसुलभ अधिकार होंगे। प्रवेश की गई अनाथ बालिका के पालन- पोषण, शिक्षा, विवाह, गोद-द्ेने आदि का न्यासियों को पूरणाधिकार होगा। कोई बच्चा यदि अपने आप आश्रम छोड़ देता है, खो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके लिए किसी भी प्रकार का मुआवजा देने के लिए आश्रम बाध्य नहीं होगा। 7. समझ में नहीं आता था कि इस तरह से क्यों औरतों को सताया जा रहा है और इनके रहने की भी व्यवस्था नहीं। जब घर से निकल गई तो उनको देखने वाला भी कोई नहीं है। वाल बच्चे ले करके निकल आई थी बेचारी। वो लोग तो हैं निराश्रित पर बच्चों को भी बिल्कुल बुरी तरह से निकाल देते हैं यह अपने यहाँ की व्यवस्था किस तरह से बदल सकती है? इसका कोई इलाज है या नहीं? मैंने बहुत वार सोचा कि इसके बारे में लिखना चाहिए, पर लिखने से इसके लिए कोई व्यवस्थित रूप से कोई इन्तजाम करना होगा, कोई व्यवस्था करनी होगी, और एक तरह से वड़ा दिल कचोटता था। ऐसी अनेक-अनेक औरतें देखी हमने जो आज रास्ते पर भीख माँग रही हैं। लोगों ने बताया कि अच्छा तरीका है भीख माँगने का। ৪. १. आश्रम के न्यासियों को किसी भी बच्चे के प्रवेश पर रोक लगाने या आश्रम से निष्कासित करके उसे किसी सुरक्षित स्थान पर भेजने का पूर्ण अधिकार होगा इसके लिए वे कारण बताने पर भी बाध्य नहीं होंगे। शासी निकाय (Governing Council) को अधिकार है कि वे उपरोक्त किसी भी शर्त की उपेक्षा 10. कुछ नहीं होगा 11. मैंने कहा कि भाई तुमको माँगना पड़े तो पता चले। औरतों के प्रति एक अत्यन्त उदासीन प्रवृत्ति जो अपने देश में आ गई है मुझे उससे तो रोना ही आता था। और इसीलिए मैंने यह ठान लिया था कि इनके रहन-सहन का इनके खानपान का, इन बेचारी औरतों का कुछ न कुछ इलाज तो करना चाहिए। कर सकें। 27 मार्च 2003 को विश्व निर्मल प्रेम आश्रम, ग्रेटर नोएडा (भारत) के उद्घाटन समारोह के अवसर पर परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी के प्रवचन से उद्धरण : वो लोग रास्तों में भीख मांगती हैं, इर तरह ...अपने देश में जो अनेक प्रश्न हैं, उसमें सबसे बड़ा प्रश्न है कि यहाँ पर औरतों को और आदमियों को अलग-अलग तरीके से देखा जाता है। पता नहीं ये कैसे आया, क्योंकि अपने शास्त्रों में तो लिखा नहीं है। कहते हैं शास्त्रों में कि: का काम करती हैं, उनको मैंने घर में बुलाया, उनसे बातचीत करी तो कोई कारण नज़र नहीं आता। आदमियों को कोई औरत अच्छी लग गई, उसकी (पत्नी) छुट्टी करो। दूसरा कुछ बहाना करके औरत को घर से निकाल दो। पता नहीं क्यों ? औरत एक महान जीवन है, उसी से सारा संसार खड़ा होता है । उसी से अपने देश में हजारों बाल-बच्चे इस संसार में आते हैं। पर उनके प्रति इस तरह बेकट्टी से लोग पेश आते हैं कि सहते-सहते औरत भी पागल हो जाए। पर नहीं, वो अपने बच्चों की बजह से बड़े हिम्मत से जीती हैं । लेकिन करे क्या उसके पास और खाने का तत्र रमन्ते देवता 'तो पता नहीं केसे हमारे देश में इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है, इसमें औरतों के प्रति कोई भी आदर नहीं है। मेरा विवाह यू.पी. में हुआ और मैं देखकर हैरान हुईं कि यू.पी. में घरेलू औरतों का कोई स्थान ही नहीं है। उनमें और नौकरानियों में कोई फर्क ही नहीं है। यह इस प्रकार क्यों हुआ और क्यों हो रहा है ? क्योंकि लोग उस ओर जागृत नहीं है। कभी-कभी देख कर रोना आता है, जिस तरह से औरतों को छला है, से यत्र पूज्यन्ते नार्या जरिया नहीं, कोई तरीका नहीं, तो वो क्या करे, कहाँ जाए, किससे भीख मांगे ? कोई उनको दरवाजे में भी खड़ा नहीं करता। इसका कोई इलाज मुझे दिखाई नहीं घर से निकाल दिया! कोई बजह नहीं, यूं ही घर 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-29.txt चैतन्य लहरी अक : 3 4 - 2006 27 दिया। इसीलिए मैंने बहुत सोचा कि सवसे बड़ा काम, अगर कुछ है, तो इन औरतों के लिए कोई स्थान बना देना है मैंने यही सोचा कि यहाँ आ करके वो सीख लेंगी, कुछ न कुछ काम सीख लेंगी। इसके अलावा यह लोग मालिश करना सीख सकती हैं, इसके अलावा यह लोग छोटे-छोटे अपने होटल जैसे बना सकती हैं। पर उनकी सहायता करने के लिए कोई चाहिए, कोई स्थान चाहिए, और उनको समंझाने के लिए कोई चाहिए । आपकी जो दुष्टि है उसमें करुणा होनी चाहिए। आत्मा को प्राप्त करके आपके अन्दर करुणा नहीं हुई लो क्या फायदा ? करुणा होनी चाहिए और उस करुणा में आप देखिए, चारों तरफ आप देखकर परेशान हो जाएंगे कि यह मॉएं और बहनें किस दुष्वक्र में फंस गई हैं इसके लिए आपसे विनती है मेरी कि आप आस-पास आँख घुमा कर देखिए, घर-बाहर देखिए और औरतों की जो स्थिति बनाई हुई है उसे व्यवस्थित करने का प्रयत्न करें। हमने तो छोटा सा एक प्रयास किया है पर आप इसी ख्याल से मैंने यह आश्रम बनाया है ओर इसमें सभी के प्यार को ललकारा है, सारे विश्व के प्यार को ललकारा है कि सब लोगे प्यार से इसे देखें। इन बिचारी औरतों का कोई दोष नहीं हैं, वो जो दर-दर में भीख मांग रही हैं इसका उत्तरदायित्व हमारे समाज का है। बहुत दुख होता है, एक ओरत के नाते मुझे बहुत रोना आता था देख-देख के और यह जब बनने लगा तो मैंने कहा कि किसी तरह से यह पूरा हो जाए। और इसमें मेहनत करी काफी, इसका डिजाइन भी हमने बनाया। इसकी विशेषता यह है कि इसमें जो आपको सफेद रंग दिख रहा है यह खराब होने वाला नहीं। एक अजीबो गरीब तरीके से बनाया है, यह इटली में मैंने सीखा था। इटली में मैंने सीखा था कि ऐसा रंग बनाना चाहिए कि जो छूटे न और मुझे इसका मालूम है (तकनीक) और उसको इस्तेमाल करने से देखिए कितना सुन्दर सफेद रंग बन गया! यह कभी खराब नहीं होगा, कितना भी इस पर पानी आ जाए, लोग बहुत कुछ कर सकते हैं। इसलिए में आप सबसे विनती करती हैं कि जैसा आप मुझे प्यार करते हैं ऐसा ही आप अपनी माँ को और अपनी बहनों को प्यार करें। अनन्त आशीर्वाद। विश्व निर्मल प्रेम आश्रम, ग्रेटर नोएडा (भारत) के 'भूमि पूजन के अवसर पर 7 अप्रैल, 2000 को परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी के प्रवचन से उद्धरण :- अब इस संस्था को चाहिए कि सब लोग पूरी तरह से मदद करें। ये नहीं कि सिर्फ पैसा दे दें, पर इसको पनपाने में अब सबसे बड़ा प्रश्न तो ये है कि हमें ऐसी औरतों को खोजना है, उनको खोज कर निकालना है अब हमें क्या पता कि कहाँ कि औरतें हैं, क्या ? अब हम तो यहाँ रहते भी नहीं। तो इस तरह हैं, जो पीड़ित हैं, दुःखी हैं और जिनका कोई सहारा नहीं, और जो विधवा बन कर बहुत कुछ सह रही हैं, ऐसी सब औरतों को आपको इस संस्था में लाना चाहिए। अभी तो ये कह रहे हैं कि 100 औरतों का इंतजाम है। 100 से क्या होगा, पर उसके बाद उनसे बातचीत करके, उनको समझा बुझा के, जो लोग अंदर आएंगी बो तो आएंगी ही लेकिन जो बाहर रहेंगी, उनको भी समझाया जा सकता है, उनके घर वालों को भी समझाया जा सकता है। अपना ही देश ऐसा है जहाँ अब भी कुटुम्ब व्यवस्था चल रही है। बाकी कहीं नहीं है उसका कुछ हो जाए, कभी खराव नहीं होगा। यह मॅंने एक experiment की तरह से, लेकिन यह चीज़ है बड़ी अच्छी। क्योंकि अपने देश में पता नहीं क्यों इस तरह के लोग चीज़ नहीं बनाते और इस तरह की चीज बनाना कोई मुश्किल नहीं। मैंने कितनों से कहा कि आप इसको इस्तेमाल करें, सो यही वात हुई कि कौन करे तवालत, कौन करे यह आफत। इसमें कोई तवालत नहीं है, कोई आफत नहीं है। पर भारत देश में एक और प्रथा चल पड़ी है कि जैसे चले वैसे चलने दो। की औरतें अगर आपको मालूम .....सहजयोग से आप आत्मा को प्राप्त होते हैं, आप आत्मा को जानते हैं, पर सबके तरफ 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-30.txt अंक : 3 & 4 -2006 28 चतन्य लहरी ही को आप नहीं जोड़ सकते तो आप किसको जोड़ेंगे? सबको चाहिए कि प्रेम से आपस में रहें। अब आप सहजयोगी हो गए और ये बड़ी भारी बात आपने प्राप्त उत्तरदायित्व औरतों को है, आदमियों को नहीं। ये भारतीय नारी की विशेषता है जिसने इस देश को रोक रखा है, नहीं तो कब के चले जाते। इसलिए अब आप समझ लीजिए कि गर आपने अतिशयता करी तो यही करीं। ये ज्ञान मार्ग है और इसमें आपको पता है प्रेम औरतें जो हैं क्रान्ति कर देंगी आपके लिए। वो ठीक नहीं है, वो प्रेम का हनन है, अच्छी बात नहीं है अच्छी बात ये है कि समझदारी रख कर अपनी स्त्रियों की, चीज़ से आप हैरान होइयेगा कि सारा समाज एकदम अपनी बेटियों की हिफाज़त करें। उनको देखें, सम्भालें. उनको प्यार दें। और उनको ये पता होना चाहिए कि आप उन्हें प्यार करते हैं। पूरी समझ, इसमें कोई ऐसी बात नहीं कि वो आपकी खोपड़ी पर बैठ जाएंगी। एकाध होती है। लेकिन आदमी गर कमजोर नहीं है तो औरत कभी भी उसकी खोपड़ी पर नहीं बैठ सकती। ". पर वो इतनी दबी हुई भी नहीं रहना वाहिए कि जिससे बच्चे भी नहीं पनप रहे हैं, जिसमें कुछ फुल ही नहीं खिल सकते। बच्चे तो माँ को मानते ही नहीं । माँ के पेर भी इस तरह से छुएँगे जैसे कोई इंट या पत्थर बीच कोई जरूरत नहीं गर ये सबके अच्छे के लिए है तो में पड़ा हो। और बाप को फुरसत नहीं । तो बच्चे तो बिगड़ ही जाएंगे। और उससे जो जो आज दशाएं हुई चाहिए। समझदारी में बढ़ना चाहिए। हैं, जो-जो आप पढ़ते हैं, पेपर में देखते हैं, उसका कारण ही ये है कि हमारी कुटुम्ब व्यवस्था ठीक नहीं है। वो बहुत जरूरी है कि उसको आप ठीक रखिए । यही हमारे समाज का ताना बाना है। इसके सहारे आज आप भी यहाँ बैठे हुए हैं और आगे भी अगर चलना है तो कृपया याद रखिए कि औरत का मान रखना उसका उत्यान करना और लोगों को परिवर्तित करना भी आपको परम लक्ष्य की तरह से समझना चाहिए हैं जो बात मैंने कही है उसको आप हृदय में बाँध लें । और उधर ध्यान देना चाहिए। ये मेरी आंतरिक इच्छा है। ऐसा आपको सबको मैं हमेशा कहती हैं, कि अनन्त आशीर्वाद। किन्तु उस आशीर्वाद में सबको अपने साथ समेटिए। हमें तो लोगों को जोड़ना है। जब एक कुटुम्ब क्या चीज़ है और किस तरह से आदान प्रदान करना चाहिए। आपस में किस तरह से समझना चाहिए। इस वदल जाएगा। अपने को परदेसियों जैसे नहीं होना है। बिल्कुल भी नहीं। वहाँ तो कचहरी करेंगी औरतें, अमेरिका में तो औरतें सात-सात, आठ-आठ शादी करती हैं। औरतें और रईस हो जाती हैं तो पति सब गरीब हो जाते हैं । ये हम लोग नहीं चाहते चाहते क्या है? आपसी प्रेम हो, बच्चे अच्छे से हों और आप देखिए, इससे बड़ा लाभ होगा यहुत लाभ होगा। इतना लाभ होगा कि ऐसे समाज का और ऐसे देश का। इसमें ये आपसी झगड़े करना को्ट कचहरी करना, 1 1 ये ही क्यों नहीं करते। इस तरह से समझदारी आनी 1 यहाँ तो मैं देख रही हैं बहुत से सहजयोगी बैठे हुए हैं, तो उनके लिए एक नई बात अब वता रही हूं। आप सहजयोगी हैं तो सब लोगों को समझ लेना चाहिए कि ये सहजयोगी हैं। उसी प्रकार सहजयोगी को समझ लेना चाहिए कि जो सहजयोगी हैं बो हैं जो नहीं हैं तो नहीं है। सबको समेटना आना चाहिए। इसी सहजयोग के स्वभाव से ही आप दुनिया को जीत सकते यह दर्द है मेरे अन्दर। इस दर्द को आप लोग खत्म कर सकते हैं ।" आप सबको अनन्त आशीर्वाद । 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-31.txt अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल तालनू, धर्मशाला अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल हिमालय की गोद में धौलगिरि पर्वत शृंखलाओं पर एक अत्यन्त रमणीक स्थल पर स्थित है। 'धौल' अर्थात 'विशुद्ध' निर्मल। और 'धार' अर्थात शृंखलाएं। यह पर्वतमाला धौलाधार लहरियों का प्राचुर्य विद्यार्थियों को आध्यात्मिकता का कहलाती है। 2000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, यह स्थल, भारत में हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटक केन्द्र 'धर्मशाला' से लगभग 16 किलोमीटर दूरी पर है। स्कूल के लक्ष्य एवं उद्देश्य आधुनिक मानव को नैतिकता एवं विवेक से मैंने उनसे पूछा, "आप क्या करते हो ?" उन्होंने उत्तर आशीर्वादित करने के लिए परम पूज्य श्रीमाताजी ने दिया, "श्रीमाताजी, हम ध्यान धारणा करते हैं। स्कूल शिक्षा की एक अद्वितीय प्रणाली विकसित की है यहाँ पर दी जाने वाली शिक्षा बच्चे को अबोधिता की साथ इस शांत गरिमामय वातावरण में यह उसकी स्वाभाविक उत्सुकता, सृजनात्मकता तथा कल्पना शक्ति को उभारता है, बढ़ावा देता है। बातावरण में चैतन्य सार और आत्मसाक्षात्कारी जीवन शैली को समझने में सहायता देता है श्रीमाताजी कहती हैं," कि मॅने देखा है कि धर्मशाला स्कुल से आने वाले हमारे बच्चे अत्यन्त आत्मविश्वस्त और अत्यन्त विनम्र होते हैं। में हम शाम को ध्यान-धारणा करते हैं और ध्यान- धारणा हमारी बहुत सहायता करती है।" छोटे-छोटे बच्चों का ये कहना, इसकी आप कल्पना करें! आध्यात्मिकता-विकास के सार के अतिरिक्त पावनता का आनन्द लेने का अवसर प्रदान करने के साथ साथ जीवन के सार का ज्ञान पाकर विश्व का वहुमूल्य नागरिक भी बनाती है श्रीमाताजी कहती हैं. "अवोधिता ऐसा शाश्वत गुण है जो न तो कभी खो करने कार्य करने, परस्पर बाँटने, बिना स्पर्धा (ईर्ष्या) स्कूल बच्चों को व्यक्तित्व विकसित करते हुए अभिव्यक्त की भावना को बढ़ावा दिए, प्रेम-पूर्वक खेलने तथा सामूहिकता की वास्तविकता का आनन्द लेने की भी आज्ञा देता है। अपने माता-पिता, बुजुगों, अध्यापकों, सकता है और न ही नष्ट हो सकता है।" बौद्धिक तथा आध्यात्मिक रूप में विकसित होने के लिए विश्व भर से आए विद्यार्थियों में दिव्यत्व प्रतिबिम्बित करना स्कूल का मूल उद्देश्य है। एक अन्य रहस्योद्घाटन में श्रीमाताजी साधियों, सरकारी सम्पत्ति, देश और विस्तृत रूप से कहती हैं,"पश्चिमी देशों की चौंका देने वाली स्थिति विश्व के प्रति अपनी व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी जिस प्रकार साबित करती है, हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली मानव में अन्तर्निहित गुणों को उभारने में असफल हो रही है। हमारे जन्मजात आत्मसाक्षात्कारी ने इस प्रकार से टिप्पणी की..."लोग प्रायः कहते हैं कि तथा सहजयोगी बच्चों को एक ऐसी ज्योतिर्मय शिक्षा हिमालय ब्रह्माण्ड की पीठ की तरह से है। परन्तु हम प्रणाली की आवश्यकता है जिसमें उन्नत होकर वे इस सत्य की अभिव्यक्ति कर सकें कि पृथ्वी पर महान-आत्मार्ये अवतरित हुई हैं। 'अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल' के नाम से है।" ये उनका स्कूल है और वे (श्रीमाताजी) हमेशा प्रसिद्ध यह स्कूल प्रकृति प्रेम, पर्यावरण के प्रति सावध गनी, सौम्यता, कुलीनता, ईमानदारी विवेक के साथ साथ साहसिकता का गुण भी बच्चों के मस्तिष्क में भर देने के लिए सदैव प्रयत्नशील है। इस देवभूमि में उन सभी चीजों का प्राचुर्य है जो मानव की आत्मा को अलंकृत करती हैं। व्यक्ति के अन्तर्परिवर्तन के साथ निभाने के लिए बच्चों को सचेत किया जाता है इसीलिए स्कूल के स्नातक, एक पूर्व विद्यार्थी जानते हैं कि ये भारत का और विश्व का सहस्रार है। 1 ये बो स्थान है जहाँ आकाश हमेशा चैतन्य लहरियों की चमक और श्रीमाताजी के दिव्य प्रेम से ज्योतिर्मय होता अपने बच्चों पर कृपा-दूष्टि बनाए रखती हैं। शिक्षा, मानक विद्वता और दिनचर्या (Education, Standards, Academics and Routine) स्कूल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की भारतीय परिषद से सम्बद्ध (Affiliated) है और प्रथम से दसवें 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-32.txt चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 -2006 30 दोपहर पश्चात का सत्र सम्पन्न होता है। 6.15 सांय दर्जे तक के बच्चों को प्रवेश दिया जाता है। पर शाम की ध्यान- धारणा के साथ शाम का सत्र शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा है। ये आवासी आरम्भ होता है और फिर गृह कार्य तथा सभा के लिए तैयारी कक्षाओं का समय होता है। रात्रि भोजन के स्कूल है जिसमें निवास और भोजन की सुविधाएं. उपलब्ध हैं। इसमें पन्द्रह शयनागार (Dormitories) हैं, हर आठ बच्चों के समूह के लिए एक प्रभारी अधिकारी कार्यरत है। शयनागार आन्टी (Dorm Anties) और प्रभारीगण माता-पिता की तरह से बच्चों की देखभाल करते हैं । वाद रात को प्रायः 10 बजे विद्यार्थी सो जाते हैं मौसम के परिवर्तन के साथ-साथ दिनचर्या में भी परिवर्तन होता रहता है। पढ़ाए जाने वाले विषयों में अंग्रेजी प्रथम भाषा है, हिन्दी और जर्मन दूसरी। इसके अतिरिक्त गणित, विज्ञान (जिसमें शरीर विज्ञान, रसायनशास्त्र, जीव-विज्ञान है) सामाजिक विज्ञान (जिसमें इतिहास स्कूल का सत्र 23 मार्च से आरम्भ और 21 दिसम्बर को समाप्त होता है। हर सत्र में पांच जाँच (Test) होती हैं, तीन इकाई जाँच, एक अर्छवार्षिक परीक्षा तथा एक वार्षिक पीरक्षा ली जाती है। सभी भूगोल, नागरिक शास्त्र सम्मिलित हैं), तथा कम्प्यूटर जाँचों (परीक्षाओं) के परिणाम के आधार पर वार्षिक रिपोर्ट बनाई जाती है। पाठशाला में 6-7 हजार पुस्तकों के शानदार संग्रह वाला एक पुस्तकालय है। इसके अतिरिक्त सहज साहित्य, ऑडियो और वीडियो कैसेटस से परिपूर्ण एक विशेष सहज पुस्तकालय भी है। विज्ञान तीसरी कक्षा से पढ़ाये जाते हैं। पाठयक्रम में सम्मिलित अन्य विषयों में संगीत (गायन, बाद्य), नृत्य (शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य और स्वॉग नृत्य), काष्ट शिल्प (Wood work), आरेखण (Drawing) और चित्रकला, मृत्तिका ( Clay work), कागज शिल्प हैं। सभी बच्चों को विद्यार्थी वीजा के लिए आवेदन स्कूल में भारतीय एवं यूरोपीय भोजन की सुविधा उपलब्ध है। भोजन में पोषक तत्वों पर विशेष करना अनिवार्य होगा। किसी अन्य प्रकार का वीजा 1. स्थानीय विदेशी पंजयन दफ्तर (F.R.०.) द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। पर्यटक बीज़ा पर आने वाले विद्यार्थियों को छः महीने के बाद भारत छोड़ना पड़ेगा। जिन माता-पिता को अपने बच्चों के लिए विद्यार्थी वीज़ा आवेदन करना हो वे निम्नलिखित सूचनाओं के ध्यान दिया जाता है। स्कूल की अपनी बेकरी है जहाँ विद्यार्थियों के लिए ताजे भोज्य पदार्थ बनाए जाते हैं। मनोरंजन के तौर पर बच्चे नियमित रूप से सहज पत कैसेट्स के अलावा वीडियो कैसेटस का आनन्द भी लेते हैं। स्कूल स्थल पर भिन्न क्रीड़ाओं तथा खेलों के अतिरिक्त बच्चे समय-समय पर होने वाली लम्बी पैदल-यात्राओं, पर्यटन तथा शैक्षिक यात्राओं का भी साथ स्कूल को लिखें: बच्चे का नाम, कुल नाम और उसकी कक्षा बच्चे की जन्मतिथि और स्थान आनन्द लेते हैं। पासपोर्ट नम्बर, इसकी समाप्ति की तिथि और बच्चे की राष्ट्रीयता, और सम्पर्क के लिए फैक्स दिनच्या प्रातः ध्यान-धारणा से आरम्भ होती है, फिर नाश्ता और फिर 8.45 से 10.45 तक नम्बर तथा पूरा पता स्कूल के लेखाकार को ई-मेल t: ispsjm@yahoo.com सम्पर्क के लिए ई-मेल पता अवर प्रभाग प्रभारी (Junior wing -Incharge) ispsoffice@yahoo.co.uk, ispsoffice@rediffmail.com और वरिष्ठ प्रभाग प्रभारी अध्ययन जिसमें 15 मिनट का संक्षिप्त विश्राम भी होता है। छोटी कक्षाओं के बच्चों को दोपहर का भोजन 12 वजकर 20 मिनट पर दिया जाता है और वरिष्ठ बच्चों को 1 बजे। दोपहर के भोजन के बाद वरिष्ठ विद्यार्थियों की कक्षाएं पुनः आरम्भ हो जाती हैं जबकि छोटे स्तर के बच्चों को एक घण्टे का आराम (Siesta) दिया जाता है। सन्ध्या के समय खेलों के लिए छुट्टी देकर isossenior@rediffmail.com 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-33.txt चैतन्य लहरी 31 अक : 3 & 4 - 2006 सम्पर्क पताः देखी है। आक्रामकता, घृणा, असुरक्षा की भावना है। उनके दिशा-निर्देश (Guidelines) बन चुके हैं। पाश्चात्य विश्व के परिवारों के पारस्परिक झगड़े उच्छूंखलताएँ अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल, तालनू, धर्मशाला (हि.प्र.) Website : www.sahajpublicschoo.org इसका मुख्य कारण है। मुझे अपने माता-पिता का सम्मान करना सिखाया गया। मुझे सिखाया गया कि अपने प्रश्नों के उत्तर में अपने परिवार में खोजू और मैंने वो उत्तर खोजे यद्यपि प्रायः हम कई-कई महीनों तक अपने माता-पिता से दूर रहते थे फिर भी मुझे हिमालय की गोद में स्थित श्रीमाताजी के स्कूल के स्नातकों की स्मृतियाँ इस कार्य को करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल के अतिरिक्त किसी अन्य स्कूल बारे में मैं सोच भी नहीं सकता। स्कूल न केवल आदर्श मानव विकसित करने के लिए श्रेष्ठतम आधार प्रदान करता है बल्कि समाज के अच्छे सदस्य बनने के लिए के ऐसा नहीं लगा कि उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया है। वास्तव में माता-पिता के प्रति मेरा प्रेमभाव दूढ़ हुआ और उनके लिए सम्मान-भाव भी। बास्तव में मुझे गतिशील समाज में विकसित होने का अवसर प्रदान करने के लिए उन्हें अपने बन्धनों पर नियंत्रण करना पड़ा, कि किस प्रकार बच्चों की परवरिश की जाए। स्कूल के मेरे अनुभवों ने भिन्न प्रकार से मेरे व्यक्तित्व को सम्पन्न किया। सर्वप्रथम इसने मुझे अन्य संस्कृतियों के प्रति सहिष्णु दृष्टिकोण प्रदान किया। जिनका यूरोप के पब्लिक स्कूलों में (जहाँ मैं बाद में गया) मैंने पूर्ण हमें आवश्यक आध्यात्मिक पथ प्रदर्शन भी प्रदान करता है। स्कूल के अद्वितीय स्वभाव का यदि हम विश्लेषण करें तो पता चलता है कि अन्तर्रा्ट्रीय सहज पब्लिक स्कूल विद्यार्थियों के लिए केवल आदर्श स्कूल ही नहीं है, यह वह स्थल है जहाँ श्रेष्ठ मानव बनाए जाते हैं और सृजनात्मकता का सम्मान होता है। जो भी माता-पिता अपने बच्चों के हित की चिन्ता करते हैं उन्हें अच्छा मानव बनाना चाहते हैं, उन्हें इस स्कूल की सिफारिश करते हुए मुझे बिल्कुल संकोच न होगा। श्रेष्ठ मानव समाज ही अन्ततः श्रेष्ठ विश्व का अभाव पाया। घर से दूर आवासीय स्कूल में रहने से मुझमें स्वतन्त्र रूप से स्थितियों का सामना करने की क्षमता विकसित हुई। मैंने सहयोग करना संचालन करना तथा अपनी आयु के अपनी-अपनी पसन्द वाले, अपनी-अपनी आदतों वाले बच्चों के साथ रहना सीखा। इस भिन्न प्रकार की शिक्षा शैली के कारण जब मैं यूरोप लौटा तो गणित और विज्ञान में मेरा स्तर अपने सहपाठियों से कही ऊँचा था। स्कूल में विताए गए मेरे वर्ष अत्यन्त शिक्षा प्रदायक थे जिन्होंने मेरे जीवन को सम्पन्नता प्रदान की, संक्षिप्त में क्योंकि इस समय में मुझे सामान्य शैक्षिक पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी बहुत कुछ दिया। कारण बनेगा। ऋषि निकोलोई आस्ट्रेलिया धर्मशाला के पावन और स्वस्थ वातावरण में हमें व्यस्क बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वहाँ आज प्रचलित नशे, शराब आदि को कोई प्रकोप न था, केवल पूर्ण सुरक्षा एवं प्रेम की दृढ़ भावनाएं थीं। स्कूल ने हमें ऐसे वातावरण में पलने का अवसर प्रदान किया जिसकी तुलना किसी सुदृढ़ परिवार से की जा सकती है। इतनी छोटी आयु में पूर्ण सुरक्षा की भावना बच्चे की सबसे बड़ी आवश्यकता होती है। बाद में यूरोप में जो स्थिति मैंने देखी उसके विल्कुल विपरीत इस स्कूल ने हमारी यह आवश्यकता पूरी की। मैं ऐसे बहुत से लोगों से मिला हूँ, जिन्हें अपने परिवारों का बिल्कुल निरंजना डी.कलबरमैटन स्विटजरलैण्ड भारत में धर्मशाला के सहजयोग स्कूल में रहने का सौभाग्य प्राप्त करने की भावना को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। मैं यह डींग मारने की कल्पना भी नहीं कर सकता कि यदि मैं वहाँ न गया भी अवलम्बन प्राप्त नहीं है। मैंने उनकी अवस्था भी 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-34.txt अक : 3& 4 - 2006 चैतन्य लहरी 32. सो जाता हूँ और प्रातः अत्यन्त तरोताजा उठता हूँ। होता तो मैं या मेरा व्यक्तित्व कुछ अन्य होता, क्योंकि मुझे पता चला है कि मेरे आस-पास के लोगों को यह स्थिति प्राप्त नहीं है। आज अपने जीवन में जो कुछ भी में हं, बचपन के उन दिनों में प्राप्त शिक्षा के कारण है। स्पृष्टतः जो शिक्षा गौतम पेमैन्ट मैंने वहाँ प्राप्त की उसका स्तर कनाडा में दी जाने वाली शिक्षा के स्तर से कही ऊँचा है। पाश्चात्य शिक्षा में जिसे "श्रेष्ठ" कहा जाता है वहीं भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड, जहाँ मैंने शिक्षा ग्रहण की, उसे कनाडा अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग शोध एवं स्वास्थ्य केन्द्र सीबीडी - बेलापुर हरे भरे वातावरण में स्थित सहज़योग अन्तर्राष्ट्रीय शोध एवं स्वास्थ्य केन्द्र, विश्व का अपने आप में अद्वितीय केन्द्र है। विकसित चैतन्य-चेतना के "सन्तोषजनक" मानता है। दूसरी भाषा की शिक्षा के साथ साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य एवं कला के अनुभव और भिन्न दुनिया के प्रति अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण लेकर मैं लोटा पब्लिक स्कूल में मैंने केवल उच्च स्तर की सैद्धान्तिक शिक्षा मात्र ही प्राप्त नहीं की, इसके साथ साथ स्कूल की शिक्षा प्रणाली में अन्तर्निहित आध्यात्मिक पक्षा के । परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय सहज माध्यम से रोगियों का इलाज किया जाता है। 19 फरवरी 1996 को परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी ने सी बी डी बेलापुर, नवी मुम्बई में इस विशाल अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की और इसे आशीर्वादित किया। स्वर्गीय डा. यू.सी. राय, माध्यम से मैंने जीवन के गहन मूल्य भी सीखे। इन गुल्यों ने मेरे व्यक्तित्व के गुणों को विकसित किया और कनाडा में रहने वाले मेरे पूर्वजों से कहीं अधिक पूर्व विभागांध्यक्ष शरीर विज्ञान, Jawahar Lal इन्हें परिपक्व किया। सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि मुझे अपने विषय में तथा अपने चहूँ ओर के विश्व के विषय में सीखने का मौका मिला और ऐसा करते हुए मैं अपने विषय में अधिक आत्म-विश्वस्त हुआ और स्वयं को और अधिक सुरक्षित महसूस किया। ऐसा गुण है जिसका पश्चिम में अभाव है। वहाँ असुरक्षा की भावना, व्यक्तिगत महत्व, परिवार और सामाजिक अराजकता का प्राचुर्य है। सहज ध्यान- धारणा की विधियों से मैंने विश्व-विद्यालयों के पाठ्यक्रम, गौकरी के कार्य और रोज़मर्रा के जीवन की समस्याओं Institute of Post Graduate Medical Education पाण्डिचिरी और दिल्ली के भिन्न चिकित्सा महा-विद्यालयों में प्रोफेसर के पद पर आरूढ़ रहे, को श्रीमाताजी ने इस स्वास्थ्य केन्द्र का प्रथम निदेशक (Director ) नियुक्त किया उनके देहावसान के बाद श्रीमाताजी ने डा. मधुर राय को स्वास्थ्य केन्द्र का अगला निदेशक नियुक्त किया। ये एक श्रीमाताजी की कृपा से विश्व से आए बहुत से लाइलाज रोगी यहाँ स्वस्थ हुए हैं लगभग पतीस देशों के लोगों ने - जिनमें यू.एस.ए., आस्ट्रेलिया इंग्लैण्ड, अफ्रीका, मलेशिया, सिंगापुर, रूस, कनाडा भी सम्मिलित हैं, इस स्वास्थ्य केन्द्र में सहजयोग उपचार से से उत्पन्न होने वाले तनाव को कम करना सीखा। मेरे लाभ उठाया है। मित्र मुझसे ईष्ष्या करते हैं कि तनाव से परिपूर्ण जीवन भिन्न कारणों से बिगड़े हुए रोग जैसे तनाव, दमा शक्कर रोग, आधा सीसी (Migraine), मिर्गीरोग, निराशावाद (Depression) और कैंसर रोग, के रोगी इस स्वास्थ्य केन्द्र में रोग मुक्त हुए हैं केवल शारीरिक बीमारियों से पीड़ित रोगी ही इस स्वास्थ्य अत्यन्त निर्मल है। रात को बिना किसी प्रयत्न के में केन्द्र में नहीं जाते परन्तु असन्तुलित सूक्ष्म प्रणाली में भी मैं अत्यन्त शान्त एवं सन्तुलित रहता हूँ और साथ ही साथ सभी पाठ्यक्रमों में कक्षा में शिखर पर रहकर अपने प्राध्यापकों से उच्च प्रशंसा प्राप्त करता हैं। मेरा चित्त अधिक केन्द्रित है और मेरा मस्तिष्क 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-35.txt 33 चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 2006 होना है। मानवीय चेतना, स्वयं के बारे में हमारी पूर्ण सूझ-बूझ इस नई चेतना के विषय में जैन-प्रणाली में भी बताया गया है, और जापान में इसका अनुसरण किया जाता है। चीन में लाओत्से ने इसके बारे में बरताया। बहुत सारे सन्तों ने बताया कि व्यक्ति को मस्तिष्क की सीमा से ऊपर उठना होगा।" वाले योगी भी वहाँ पहुँच जाते है। केन्द्र में प्रविष्ट और बाह्य रोगियों की संख्या वर्ष 1996 में 954 थी. परन्तु तेजी से बढ़कर बर्ष 2004 में यह 5025 तक पहुँच गई। स्वास्थ्य केन्द्र में प्रवेश के लिए व्यक्ति को फेक्स/डाक या ई-मेल द्वारा रोगी का संक्षिप्त चिकित्सा इतिहास या शरीर के सूक्ष्म असन्तुलन का विवरण प्रभारी डॉक्टर को भेजना पड़ता है। तत्पश्चात् केन्द्र के स्वागत कार्यालय में कमरे आदि का आरक्षण किया सत्य-साधक। आज ये विल्कुल अलग-बात है कि मुझे उन लोगों से बात-चीत करनी है जो पेशे से डॉक्टर हैं और ऐसी चिकित्सा प्रणाली के अनुरूप कार्य कर रहे हैं जिसे पुर्णतः वैज्ञानिक माना जाता है। मैं यहाँ पर किसी भी प्रकार से इसकी निन्दा करने के लिए या विश्वभर के चिकित्सकों द्वारा प्रयोग किए जा रहे प्रचलित सिद्धान्तों को नीचा दिखाने के लिए नहीं जाता है। सम्पर्क पता : अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग शोध एवं स्वास्थ्य केन्र प्लाट-1, सै.8, परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी मार्ग, सीबीडी, बेलापुर, नवी, मुम्बई-400614 आई हूँ। उपलब्ध ज्ञान का किसी भी प्रकार से अपमान नहीं किया जाना चाहिए। परन्तु समस्या ये है कि जब आप जान जाएं कि ज्ञान का कोई सिद्धान्त पूर्णतः विकसित पहीं है या सक्षम नहीं है तो उपयोग की जा का टेलिफोन स्वागत कक्षः (022) 27571341 (022) 27576922 टेलिफेक्स : (022) 27576795 रही विधि से बेहतर किसी अन्य चीज के लिए हमें अपने मस्तिष्क खोलने चाहिएं। क्योंकि हमने चिकित्सा विज्ञान पढ़ा है, क्योंकि हम चिकित्सा पर्धतियों को जानते हैं, केवल इसलिए ये आवश्यक नहीं कि हम इनके बन्धन में बंध जाएं कि किसी भी उपलब्ध नई चीज़ को हमने नहीं अपनाना। चिकित्सा विज्ञान की आचार संहिता में, जहाँ तक मैं जानती हूँ, हम लोगों के हित के लिए कार्य कर रहे हैं न तो अपनी जेवें धन से भरने के लिए और न ही केवल उस सिद्धान्त का प्रचार करने के लिए जिसके विषय में हम जानते हैं। समय : प्रातः 10.00 से सांय 4.00 बजे तक -a : sahaja_center@vsnl.net अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य केन्द्र में 19 फरवरी 1996 को चिकित्सकों से बात-चीत करते हुए परमपूज्य श्रीमाताजी की वात्ता से कुछ गहत्वपूरर्ण उद्धरण .."विकास प्रक्रिया में हम मानव् अवस्था तक पहुंचे हैं हम मानव वन पाए हैं और हमारे अन्दर बो सभी कुछ विद्यमान है जिसका हमें ज्ञान नहीं है। हमें केवल उन चीजों का ज्ञान है जो हम बाहर देखते हैं। परन्तु हमारे अन्दर जो कुछ है उसका हमें ज्ञान नहीं है क्योंकि अभी तक न तो हमने प्राचीन ग्रन्थों का जैसे कि आप जानते हैं, विज्ञान में समय-समय पर सिद्धान्तों को चुनौती दी जाती है। प्रारम्भ से ही आप देखिए कि पहले परिकल्पनाएँ (Hypothesis) आती हैं जो बाद में नियम बनते हैं और फिर नियमों को चुनौती दी जाती है। दूसरी वात ये है कि ये विज्ञान निर्नैतिक (Amoral) है। मानव के नैतिक पक्ष का विज्ञान में कोई महत्व नहीं है। तीसरी बात ये है कि यह सीमित है, क्योंकि हमारे मस्तिष्क के माध्यम से यह अध्ययन किया है न ही खोजने का प्रयत्न किया है कि हमारे अन्दर क्या निहित है। तो यह समझने की बात है कि हमारे देश में बहुत से सन्तों और अवतरणों ने प्राचीन काल से इसके विषय में जो कुछ भी लिखा था उसका अवश्य कोई कारण तो रहा होगा आज यह शक्ति (कुण्डलिनी) रहस्य नहीं है। हमारे विकास के शिखर को प्राप्त करने के लिए इस शक्ति को अंकुरित 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-36.txt 34 अक : 3 & 4 - 2006 तन्य लहरी सकता है। परन्तु विज्ञान पूर्ण को अपने अन्दर नहीं समेट सकता। विज्ञान अभी तक एक छोटा सा प्याला है जो अपने अन्दर पूर्ण सागर को नहीं समेट सकता। अतः बिज्ञान को महान मानने वाले सभी बैज्ञानिक लोगों को यह समझने का प्रयत्न करना चाहिए कि हमारे देश की सम्पदा क्या है।" हमारे प्रयत्नों को देखती है, इसलिए ये सीमित है । मस्तिष्क के माध्यम से जो भी कुछ हम जानने का प्रयत्न करते हैं, आवश्यक नहीं है कि यह "पूर्ण सत्य" हो। हमेशा बने रहने वाले मतभेदों का भी यही कारण है। । यदि यह "पूर्ण-सत्य" होता तो मतभेद न होते। अतः हमें करना ये है कि एक ऐसे बिन्दु तक पहुँचे जहाँ पूर्ण सत्य को जान सकें, पूर्ण अर्थ को जिससे सभी डाक्टर एक ही प्रकार सोचें, और रोग निदान भी एक ही हो। इन सभी दृष्टिकोणों से हमें थोड़ा सा विनम्र होकर हमें स्वयं देखना होगा कि इस महान देश भारत में हमारे लिए कौन सा ज्ञान उपलब्ध है। हम बिल्कुल नहीं जानते कि सहजयोग का ये ज्ञान हजारों वर्षों से यहाँ पर विद्यमान है।' है। परमात्मा आपको धन्य करें।" स्वास्थ्य केन्द्र में गए सहजयोगियों के कुछ मनोरंजक अनुभव बैल्जियम की 62 वर्षीय बास्तुकार एटिने लोयसन (Etienne Loyson) आश्चर्यचकित हैं, "पहले मुझे उच्च-रक्तचाप था, बिदेशों के डॉक्टरों ने नियमित ्ूप से कुछ गोलियाँ ही इसका इलाज बताई थीं। परन्तु आज सहजयोग उपचार और श्रीमाताजी निर्मला देवी के आशीर्वाद से मैं पूर्णतः सशक्त हूँ। मैंने सारी दवाईयाँ छोड़ दी हैं और मुझे लगता है कि मैं तीस वर्ष की युवा हूँ। इंग्लैण्ड की कैथरीन रीड (Katherine Reid) जो आँत की तकलीफ (Irritable Bowels Syndrome) से पीड़ित थी सी बी डी, बेलापुर केन्द्र आने से पूर्व उन्हें बहुत सी दवाईयां लेनी पड़ती थीं, अपने पूर्व जीवन के मुकाबले वे आज अत्यन्त प्रसन्नचित्त महिला हैं। "सारी दवाइयाँ छोड़ कर मुझे बहुत अच्छा सहजयोग में आपको धन-आदि कुछ भी नहीं लेना होता, ये तो आपकी शक्तियों के माध्यम से ही कार्यान्वित होता है। आप गरीब लोगों की भली-भाति ".. सहायता कर सकते हैं परन्तु यदि बहुत धनवान लोग हैं वो लोग आपको उपलब्ध हैं, हम उन्हें अधिक परेशान नहीं करना चाहते और न ही वो हमारी अधिक चिन्ता करते हैं, वो केवल डॉक्टरों पर ही निर्भर करते हैं, फिर भी आप उन्हें ले सकते हैं परन्तु हमारे लिए मध्यम वर्ग, और निम्न वर्ग विशेष रूप से वो लोग जिनमें डॉक्टरों के पास या अस्पतालों में जाने की क्षमता नहीं है, अधिक महत्पूर्ण हैं।" लगता है। मेरा स्वास्थ्य लगभग ৪০ प्रतिशत सुधर गया है " "निराशा मनोविकृति (depressive psychosis) से पीड़ित कनाडा की अन्ना कार्गेटी (Anna Kargaity) आज प्रफुल्लित हैं। वे कहती हैं, "अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करने तथा अपना व्यक्तित्व विकसित करने की क्षमता पाकर, अब जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण सकारात्मक है।" आस्ट्रेलिया की बेलिंडा (Belinda), कनाडा के कुमार तथा अमरीका के ब्रियन (Bryan ) तथा कुछ अन्य लोगों ने भी ऐसे ही लाभ प्राप्त करने के विषय में यह विज्ञान आपके लिए बिल्कुल निःशुल्क है, इसे आप एक महीने में सीख सकते हैं चिकित्सा विज्ञान सीखने के लिए आपको सात वर्ष परिश्रम करना पड़ता है। चिकित्सकों के लिए इसका ज्ञान अत्यन्त लाभदायक है क्योंकि इसके माध्यम से वे रोग के स्थान का भली-भांति पता लगा सकते हैं, अधिक बेहतर समझ सकते हैं। वे समझ सकते हैं कि यह इतना वैज्ञानिक है। इतने सुन्दर ढंग से यह कार्य कर रह है। वे आश्चर्य चकित हैं। मैं कहुँगी कि ये इतना महान विज्ञान है कि हम उसे पराविज्ञान कह सकते है. जैसा डॉक्टर साहिब (स्वर्गीय डा. यू.सी. राय) ने कहा । ये विज्ञान तर्क संगत रूप से इसकी व्याख्या कर 1. बताया। स्वर्गीय डा. यू.सी. राय से एक बार जब पूछा 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-37.txt चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 35 गया कि विश्वभर के आधुनिकभेषज के डॉक्टरों के निश्चित करे। सहजयोगियों में डॉक्टरों की सलाह पर चलने की प्रधा है। पास जब इतनी उन्नत दवाईयाँ उपलब्ध हैं फिर भी क्यों इतनी अधिक संख्या में विदेशी यहाँ आते हैं, तो उन्होंने टिप्पणी की "विदेशी डॉक्टरों के पास मानव इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि केन्द्र ने उन रोगों का भी निराकरण तथा सुधार किया हैं जहाँ चिकित्सा विज्ञान कुछ भी आराम न पहुँचा मन के लिए प्रशान्तक गोलियों तथा निराशा विरोधी दबाओं के अतिरिक्त कोई अन्य दवा नहीं है। ये दवाईयां केवल हानिकारक ही नहीं हैं, इनकी आदत भी पाया। डाक्टर द्वारा बताया गया इलाज पूरा करने के बावजूद भी आप में चिकित्सालय जाने की इच्छा हो सकती है। शारीरिक समस्याओं को दूर करने का सहजयोग अभ्यास ही एकमात्र उपाय है। इस बात पर बल दिया जाना चाहिए। हो जाती है। ध्यान धारणा के माध्यम से सहजयोग मानव मन को नियन्त्रित करता है। इस कारण से सहजयोग अस्थमा, आधा सीसी (Migraine), ऑंत रोग, बौझपन, वहु-सूजन (Multiple Sclerosis) और स्पोंडीलाइटिस आदि रोगों के रोकने तथा इनके इलाज बीमारी की अवस्था में, चिकित्सक रोग-लक्ष्णों को ही दबा देते हैं। चिकित्सा प्रणाली रोगमुक्त नहीं करती। रोग मुक्ति तो केवल तभी मिलती है जब के रूप में बहुत प्रसिद्ध हुआ है। यह सब माताजी श्री निर्मला देवी के आशीर्वाद से है, जिन्होंने सहजयोग केन्द्र की स्थापना की और विश्व के लाखों लोगों को सूक्ष्म तन्त्र की बाधा (जिसके कारण रोग होता है) दूर हो जाती है। अन्यथा रोग का कारण तो सूक्ष्म-तन्त्र में अभी तक बना हुआ है और रोगी पहले से भी बद्तर स्थिति की ओर बढ़ रहा है। प्राचीन यूनानी दार्शनिक हेराक्लेटस (5०० बी.सी.) की रचनाओं के केवल कुछ ही अंश बचे हैं। इन में से एक में वे कहते हैं, "काटकर और जला कर डाक्टर लोग भी वही करते हैं जो बीमारी करती है और इस कार्य के लिए उन्हें धन मिलता है जिसके वे अधिकारी नहीं हैं।" चिकित्सा विज्ञान में इतनी उन्नति आत्मसाक्षात्कार प्रदान किया।" यूनान से थियोडोर ऐफस्टाथियो (Theodore Efstathiou) अपने सुक्ष्म तन्त्र पर नकारात्मकता की जमी हुई कुछ और धूल को स्वच्छ करने के लिए फरवरी 2002 में मैं सहज स्वास्थ्य केन्द्र बेलापुर में था। 19 फरवरी को केन्द्र का कार्य आरम्भ होने की छठी वर्षगाँठ थी। इस शुभावसर पर परमेश्वरी माँ के चरण कमलों में पूजा की गई। चैतन्य प्रवाह अत्यन्त शक्तिशाली था और इस पूजा में सम्मिलित होना होने के बावजूद आज भी यह बात उतनी ही सत्य है जितनी उस समय थी। सुकरात ने उससे भी और अच्छी तरह इसकी व्याख्या की जब उन्होंने कहा, "किसी डॉक्टर को स्वयं का भी ज्ञान नहीं है। यही कारण है कि वह डाक्टर अत्यन्त शुभ था। ये पूजा मील का पत्थर थी और इस अवसर पर केन्द्र, इसकी कार्यशैली तथा आवश्यकता के विषय में कुछ शब्द कहने का यह बहुत अच्छा मौका है। रोग पीड़ित लोगों के लिए है।" सहजभाषा में कहा जाता है कि "कोई भी डाक्टर आत्म साक्षात्कारी नहीं है और इसी कारण बह डाक्टर है।" पहले भी यह प्रश्न उठाया गया था कि शारीरिक समस्याओं बाले रोगियों को चाहिए सहजयोगियों को इलाज के लिए इस केन्द्र में आने की आवश्यकता क्यों है ? परन्तु चिकित्सकीय या तीव्र कि सहजयोग चिकित्सकों के केन्द्रित चित्त और अनुभवों से लाभान्वित होने के लिए इस स्वास्थ्य केन्द्र पर जाने के विषय में सोचें भावनात्मक समस्याओं की स्थिति में यह प्रश्न अनावश्यक हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को चाहिए कि किसी चिकित्सक से मिल कर रोग एवं उसका कारण 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-38.txt अंक : 3 & 4 -2006 36 चैतन्य लहरी चेतना वाले व्यक्ति की आवश्यकता होती है। बेलापुर स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सक इस स्तर की चैतन्य-चेतना से सम्पन्न हैं। ये वो लोग हैं जो सूक्ष्म तन्त्र को सन्तुलित करके व्यक्ति को आध्यात्मिक उत्थान के मार्ग पर ले आते हैं। शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों के प्रति शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों के मन में ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि बिना कारण क्यों स्वास्थ्य केन्द्र जाने का कष्ट उठाया जाए ? एक बार प्रोफैसर राय ने परम पूज्य श्रीमाताजी का उद्वरण देते हुए कहा था कि सहयोगियों में बाधाएं इतनी मजबूत हैं कि उन्हें अपने चक्रों की पकड़ महसूस ही नहीं होती। इससे पता चलता है कि सामान्य जीवनयापन करने वाले लोगों, जिन्हें अद्भुत अनुभव प्राप्त नहीं हुए, के लिए स्वीकरणों (affirmations), मन्त्रों तथा उपचार विधियों की आन्तरिक कार्य-शैली को समझना परम पूज्य श्रीमाताजी का यह कथन अत्यन्त गम्भीर है। यह इस ओर संकेत करता है कि विना चक्र-बाधाओं को महसूस किए आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करना अत्यन्त कठिन हो सकता है। समस्या को और महसूस करना आसान नहीं होता केन्द्र पर दिनचर्या समझने के बाद ही आप इसका समाधान कर सकते हैं इसी तथ्य की व्याख्या करते हुए श्रीमाताजी ने बताया है कि जो रोग अस्तित्व में है उनकी कुल संख्या चक्रों के संयोजन और क्रम परिवर्तन स्वास्थ्य केन्द्र पर रहते हुए आपका चित्त आध्यात्मिक उत्यान के अतिरिक्त किसी अन्य चीज़ पर नहीं होता। प्रातः आठ बजे सुबह का ध्यान होता है और सायं सात वजे शाम की ध्यान-धारणा जिसमें श्रीमाताजी का एक बीडियो देखना या प्रवचन सुनना भी सम्मिलित होता है। प्रातः चार बजे उठ कर उद्यान (combinations and peamutations) R है। तीनों वाहिकाओं (नाड़ियों) पर इक्कीस चक्र हैं, अतः संयो जन और क्रम परिवर्तन का 21x20x19x18...... 3x2x1 के परिणाम के रूप में गणना की जा सकती है। में जा कर ध्यान और प्रार्थना करने का अवसर भी आपको मिलेगा। इस प्रकार से बहुत सुबह के ध्यान का अन्तर भी आप महसूस कर सकेंगे। हमारी परम-पावनी माँ भी प्रातः के ध्यान पर बल देती हैं। सुबह सुबह उनके मन्त्र वोलते हुए और बाधाएं दुर करने के लिए उनसे प्रार्थना करते हुए जब आप सैर करेंगे तो पृथ्वी माँ के देवी रूप का अनुभव आपको प्राप्त होगा क्योंकि पैरों के माध्यम से आपकी बाधाएं अपने अन्दर खींच लेने में वे आपकी सहायता करती है। 1. इस अभिव्यक्ति की गणना Integer format में मैंने अपने कम्प्यूटर पर करने का प्रयत्न किया तो कम्प्यूटर में संख्याएं कम पड़ गई। तब मैंने स्टर्लिंग की लगभग विधि से इसका अनुमानित मूल्य जानने का प्रयत्न किया तो इसका परिणाम 10 की घात 18 (ten raised to eighteenth power) 3TTT I 15 विस्मयकारी बड़ी संख्या है जो दस लाख की पाँच घातों के बराबर है ये दशाता है कि रोगों का इलाज खोजने के लिए चिकित्सा शास्त्री और जैव-तकन्नीशियन बीमारियों की मूल-उत्पत्ति पर्दति खोजने के कितने निराशाजनक कार्य में लगे हुए हैं! साथ ही साथ, यह इस तथ्य का विचार भी देता है कि हम सबमें सुक्ष्म तन्त्र की दशा इतनी सीधी नहीं है जितनी चक्रों की हमारी संवेदना हमें बताती है। निःसन्देह मनुष्य चक्रों की पकड़ की इस विस्मयकारी संख्या को नहीं जान सकता। दिन में दो बार डाक्टर आपको मिलेंगे और बताएंगे कि अगली बार मिलने तक आपने कौन सा उपचार करना है। उपचार का लक्ष्य ईडा और पिंगला नाड़ी में सन्तुलन बना कर सदा सुषुम्ना नाड़ी पर बने रहना है। ऐसा करते हुए वे बता सकते हैं कि अब कौन से चक्र ठीक होने हैं। इस प्रकार वे सुक्ष्म तन्त्र में निहित बाधाओं के मक्कड़जाल तक पहुँचने का मार्ग खोजते हैं। स्वास्थ्य केन्द्र पर उपयोग की जाने वाली विधियाँ 'सहजयोग प्रार्थना पुस्तिका" या अन्य उपचार सूक्ष्म तन्त्र की सही-स्थिति जानने तथा भिन्न बाधाओं को ठीक करने के लिए विकसित चैतन्य 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-39.txt अक : 3 & 4 - 2006 37 चैतन्य लहरी 16 सितम्बर से 16 दिसंबर व्यक्तिगत पाठ्यक्रमों की अवधि उस पाठ्यक्रम के में दी गई है । तीसरा सत्र पुस्तकों में छपी विधियों से भिन्न नहीं हैं। महत्वपूर्ण बात तो ये है कि वहाँ की भूमि चैतन्य से परिपूर्ण है । हमारी परम-पावनी माँ का चित्त स्वास्थ्य केन्द्र पर होता है और वही सारे रोग दूर करती हैं ये बात समझ लेना आवश्यक है कि केवल श्रद्धा से ही देवी का Syllabus लक्ष्य वक्तव्य आत्मा बनने के लिए संगीत दिव्य-प्रेरणा है। संगीत अकादमी का यही मुख्य उद्देश्य है। साक्षात्कार किया जा सकता है। यहाँ आ कर आप समर्पित हो जाते हैं क्योंकि चित्त-विक्षेप के लिए यहाँ और कुछ भी नहीं होता। श्रीमाताजी कहती हैं कि प्रार्थना सहजयोगी का सबसे बड़ा हथियार है। परम पावनी श्रीमाताजी के प्रति श्रद्धा और समर्पण तथा प्रभावशाली ढंग से प्रार्थना की विधि सीखने के लिए अन्तर्वोलकन, चिन्तन और अपने आप पर बेलापूर स्वास्थ्य केन्द्र अत्यन्त उपयुक्त स्थान है अकादमी ये वो संस्थान है जहाँ कला सीखी जा सकती है और शोध किए जा सकते हैं और जहाँ पर विद्यार्थियों को आध्यात्मिक शोध करने का पर्याप्त समय प्राप्त होता है। सूक्ष्म एवं स्थूल स्तर पर कला, अन्त्आत्मा को पहचानने, उसे अनुभव करने और दिव्यता के स्तर तक ऊँचा उठाने का माध्यम है। श्री पी.के. साल्वे कला प्रतिष्ठान प्रस्तावना - वैतरणा, महाराष्ट्र परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी द्वारा प्रतिपादित की गई शिक्षाओं, जिनका मूल तत्व सहजयोग में निहित है, को आधार बनाकर अकादमी के नियम भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं ललितकला अकादमी बैतरणा, महाराष्ट्र, को परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी ने एक अत्यन्त गौरवशाली परियोजना के रूप में स्थापित एवं आशीर्वादित किया है झीलों और वन्धों के हरे भरे क्षेत्र में स्थित के लिए इन विवेकशील नियमाचरणों का सम्मान करना वैतरणा मुम्बई से लगभग 100 किलोमीटर तथा नासिक से परे राष्ट्रीय मार्ग सं.3 (मुम्बई आगरा मारग्ग) पर स्थित है तथा मध्य रेलवे के खारदी स्टेशन से (25 किलोमीटर) यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। सरिताओं, तरंगों और प्राकृतिक परिदृश्य से परिपूर्ण चालीस एकड़ भूमि पर यह अकादमी बनाई गई है। घने जंगलों से घिरे हुए मोदक सागर और सिखाया जाता है। यहाँ रहते हुए उन्हें हमेशा ध्यान ताँसा बान्ध इसके समीप स्थित हैं। हमारी परमेश्वरी माँ के आदेशानुसार अकादमी के भवन की वास्तुयोजना बनाई गई थी। इसमें बीचों-बीच एक सहन हैं और एक मंच है जिसपर छत है। बनाए गए हैं। अकादमी के अन्दर और वाहर विद्यार्थियों अनिवार्य है क्योंकि अध्ययन काल में ये विद्यार्थी अकादमी का प्रतिनिधित्व करते हैं । उपयुक्त दृष्टिकोण अपनाया जाना आवश्यक है। अकादमी के विद्यार्थी ग्राहक नहीं हैं वे तो भारतीय आध्यात्मिक संगीत के विद्यार्थी हैं, उस संगीत के जिसे श्रीमाताजी की अकादमी की पावन शिक्षाओं के अनुरूप रखना है कि यहाँ रहना उनका अधिकार नहीं है, ये तो एक आशीर्वाद है जिसकी वर्षा श्रीमाताजी उन पर करती है। विद्यार्थी ने यदि इसके स्वभाव को समझना है तो उसे इस सत्य की समझ होनी आवश्यक है। शिक्षा की अवधि अकादमी सत्र की अवधि अकादमी में प्रवेश पाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए सूचना पहला सत्र - 1 जनवरी से 15 अप्रैल (15 से 30 मार्च छुट्टियां) आन्तरिक ढांचा : अकादमी में आपके प्रवास को सुखद बनाने और आपकी शिक्षा को स्मरणीय बनाने के दूसरा सत्र 15 जून से 15 सितम्वर 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-40.txt अंक : 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 38 (मोदक सागर के नाम से प्रसिद्ध ) ग्राम-वेलबाड, डाकखाना - वैतरणा, तालुका - सहापुर, जिला-धाणे-4213 04 लिए निम्नलिखित मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं: दो व्यक्तियों के लिए आरामदेह भारतीय शैली के कमरे और परिवार के लिए स्वतन्त्र 1. (महाराष्ट्र) भारत। रूप से कमरा। फोन : +912527 248528 / 248530 स्वच्छता पूर्वक बनाया गया स्वास्थ्यप्रद पोषक 2. (भारतीय समय के भारतीय शाकाहारी और माँसाहारी भोजन। अनुसार 10.00बजे प्रातः से 6.00 पुस्तकालय, अध्ययन एवं अभ्यास के लिए बजे सन्ध्या की बीच फोन करें) कमरे जिनमें पुस्तकों, सी.डी. कैसेटस और प्रिंसिपल - डा. अरुण आप्टे अध्ययन की वस्तुएं सन्दर्भ के लिए उपलब्ध कराई जाती है। टी.वी., वी.सी.डी / डी.वी.डी. तथा ऑडियो आदि विद्युत उपकरण। सम्पर्क सुविधाएं :- (क) ई-मेल के लिए इंटरनेट सुविधा, वैब कान्फ्रेसिंग एवं स्फिंग (Web conferencing and surfing) I (ख) टेलिफोन और फेक्स (अन्तर्राष्ट्रीय टेलिफोनों फैक्स- +9122 2683 1314 के लिए फोन कारईड खरीदे जा सकते हैं।) (ग) स्कैनिंग और फोटोकापिंग रिकार्डिंग के लिए संगीत स्टूडियो बजे सन्ध्या के बीच फोन करें) (निर्माणाधीन) बिद्यार्थियों एवं अध्यापकों के लिए संगीत अकादमी के उद्घाटन के अवसर पर 3. मोबाइल नं. - +919325316580 अकादमी homepage: www.pksacademy.com मुम्बई दफ्तर श्री पी.के. साल्वे कला प्रतिष्ठान 5. 612-बी, उर्मिला कोपरेटिव हाऊसिंग सोसायटी, शिवाजी चौक सहर रोड़, अन्धेरी ईस्ट, मुम्बई-400069 फोन : +91 22 2684 3169 E-mail : draruapte@yahoo.co.in (भारतीय समय के अनुसार 10.00 बजे प्रातः से 6.00 6. उपयोगी । 31 दिसम्बर 2002 और 1 जनवरी 2003 वीज़ा एवं अप्रवासन (Visa and Immigration ) अकादमी में छः महीनों से अधिक रहने के को वैतरणा, भारत में परम पूज्य माताजी श्री 1. निर्मला देवी द्वारा दिए गए प्रवचन से उद्धरणः इच्छुक विद्यार्थियों को अपने सम्बन्धित देशों से भारतीय वीजे का प्रबन्ध करना होगा। अपने देशों में भारतीय दूतावासों के स्थान जानने के लिए सम्यर्क :- (a) http://passport.nic.in (b) http://www.india-visa.com 'मुझे ये कहना है कि जीवन संगीतमय होना चाहिए। 'संगीतमय' अर्थात मानव मस्तिष्क की स्थिति को सुधारकर इसे लयबद्ध और व्यवस्थित बनाना। बे उपलब्धि पाए बिना कोई लाभ नहीं। आपमें और अन्य लोगों में क्या अन्तर होगा? आप भी अन्य लोगों की वाद्य यन्त्र : सीखने के लिए वाद्ययन्त्र या तो खरीदे जा सकते हैं या अकादमी में उपलब्ध वाद्य यन्त्रों का उपयोग किया जा सकता है। व्यक्तिगित वाद्य यन्त्रों रखने का परामर्श 2. तरह से लड़ते रहते हैं। आवश्यक बात तो ये है कि हमारे हुदयों में कहीं अधिक प्रेम एवं श्रद्धा होनी चाहिए। इससे आपको दिया जाता है। सम्पर्क सूचना : अकादमी का पता :- भी शान्ति मिलेगी और अन्य लोगों को भी। शान्ति के बिना संगीत अर्थहीन है। इस भवन का निर्माण हमने बाबा-मामा के आदर्शों के अनुरूप किया है। लोगों के वैतरणा बन्ध के समीप 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-41.txt अक : 3 & 4 - 2006 चैतन्य लहरी 39 धन की चिन्ता करनी चाहिए? जितना भी धन आप उन्हें देते चले जाएं वो कभी सन्तुष्ट नहीं होंगे। मैंने बहुत से महान संगीतकारों को देखा है जो कभी भी धन लोलुप न थे, और न कभी जिन्होंने सत्ता की चिन्ता की। आज भी हमारे यहाँ बहुत से संगीतज्ञ हैं जो , मैं कहुँगी, संगीत की पराकाष्ठा (Last words) हैं। जो लोग ऐसे हैं वे अत्यन्त विनम्र हैं। वो हमेशा आपसे कहेंगे कि "हमें बहुत कुछ लीखना है। हमें अभी जीवन में संगीत स्थापित करना और पूरे बातावरण को शान्त बनाना इसका उद्देश्य है आज विश्व को शान्ति की आवश्यकता है, बाकी सब कुछ अर्थहीन हैं ..!" मेरा आशीर्वाद है कि यह संस्था फले-फुले और जो लोग इसमें शिक्षा प्राप्त करें वे संगीत सीखकर अपने जीवन को संगीतमय बनाएं। मुझे आशा है कि आप मेरी इच्छा को पूर्ण करेंगे। जब भी आपको क्रोध आए, क्रोध का दौरा जब भी आपको पड़े, जब भी आपकी शिकायत करने की इच्छा करे तो स्वयं से कहें कि मैं सहजयोगी हैँं, मैं भिन्न व्यक्ति हूँ। किस प्रकार श्रीमाताजी ने मेरा अन्तः परिवर्तन किया है! बहुत कुछ समझना है अतः बाबा मामा तथा अपने पिता की मुर्ति को देखकर मैं अत्यन्त द्रवीभूत एवं प्रभावित हुई। इसलिए नहीं कि वे मेरे भाई या पिता थे परन्तु इसलिए कि वे अत्यन्त-अत्यन्त महान मानव धे और उनकी महानता ने मेरे हृदय को छू लिया। बाबा में यह गुण था कि वह अत्यन्त प्रेममय एवं क्षमाशील व्यक्ति थे। अत्यन्त विनम्र एवं प्रेममय। शोहरत की उसने कभी चिन्ता नहीं की और न ही कभी उसने सोचा कि आप यदि इस बात को समझ जाएंगे तो आत्म-सम्मान हो का विवेक आपके अन्दर जागृत जाएगा। ये भावना जागृत हुए विना कोई लाभ नहीं, भौतिक परियोजनाओं का कोई लाभ नहीं है। छोटी-छोटी बातों पर झगड़ना आपको शोभा नहीं देता। अब आप सन्त और पैगम्बर बन गए हैं। अत्यंत उच्च श्रेणी के व्यक्ति। परन्तु इस तथ्य के प्रति आप संवेदनशील नहीं है आप ये नहीं वह कौन से पद पर है। उसका विनम्र स्वभाव अत्यन्त स्वाभाविक और अत्यन्त मधुर था। और वचपन से ही वे मेरे साथ थे।" समझते कि आप सन्त हैं, पैगम्बर हैं। आप स्वयं को गली के भिखारी सम मानते हैं, जो आप नहीं हैं। आज मैं विशेष रूप से आपको आशीर्वाद देती हूँ कि आप सब संगीतमय हो जाएं.... आज मैं इसलिए आपको आशीर्वाद देना चाहती थी कि आप स्वभाव से पूर्णतः संगीतमय, लयबद्ध और अन्य लोगों का मनोरंजन करने वाले बन जाएं, झगड़ालू नहीं...। .. तो अब उनके प्रेम एवं स्नेह के परिणाम स्वरूप हमारे पास बहुत से संगीतज्ञ हैं, यहाँ वहुत से लोग हैं। जो कार्य उन्होंने सहजयोग के लिए किया उसके लिए मैं वाबा मामा तथा अपने पिता की आभारी हूँ। परमात्मा आप सबको धन्य करें " I" हाल ही में अकादमी आए एक सहजयोगी का अनुभव आस्ट्रिया के Anand Schreuer : हमारी परम पूज्य श्रीमाताजी की कृपा से मुझे उस आशीर्वादित संस्था में कुछ महीने अध्ययन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसे मैं "हमारी अकादमी" कहता हूँ । मैं सभी देशों की अपनी समस्याएँ हैं परन्तु हमारे पास हमारे संगीत के रूप में एक अत्यन्त महान सम्पदा है। संगीतकार नहीं, संगीत। अतः संगीतकारों को चाहिए कि सहजयोग अपनाएं। ध्यान धारणा करें। कोई संगीतज्ञ यदि धन-लोलुप है तो उसके लिए आप कुछ नहीं कर सकते। उसे या तो संगीत लोलुप होना चाहिए या धन लोलुप । वो जब धन लोलुप होते हैं तो, मैं यह सोचती हूँ वो कभी हूँ कि अहं तथा आत्मा के अन्य शत्रुओं का वज़न अपना सम्मान नहीं कर सकते। क्योंकि यदि आपके पास संगीत है, संगीत की प्रतिभा है तो क्यों आपको पीछे की ओर दृष्टि डालता हुए देख सकता कितना कम हो गया है। इस दिव्य स्थल पर रहने का अनुभव अत्यन्त 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-42.txt अंक : 3 & 4 -2006 चैतन्य लहरी 40 भारतीय शास्त्रीय संगीत जिसका अध्ययन में आनन्ददायक था। वहुत सारे पक्ष ऐसे हैं जिन पर विश्वास नहीं होता और जिन्हें वर्णन करना भी कठिन है। बिश्व भर से आए सहज विद्यार्यियों के साथ विशाल आश्रम में रहने की बहु-सांस्कृतिक सुगन्ध है। वहाँ एक मंच है जिस पर हाल ही में अकादमी के कर रहा हूँ वह इतना सुन्दर है कि संगीत में ही अथाह चैतन्य है और यह मानव को परिवर्तित करने में सक्षम है। गायक और श्रोता, दोनों के हृदयों को यह छू लेता हैं। संगीत, नृत्य और चित्रकारी के साथ सहज का सम्मिश्रण, कम से कम मेरे लिए तो चैतन्य लहरियों के विस्फोट सम हैं शुभारम्भ के अवसर पर साक्षात श्री आदिशक्ति के पावन चरण कमलों में पूजा अर्पित की गई थी। इसी मंच पर हम सहजियों को ध्यान धारणा करने की हाल ही में अकादमी के विद्यार्थियों को परम अनुमति है। अकादमी का भवन अविश्वसनीय ढंग से सुन्दर और व्यवहारिकता से परिपूर्ण है और इस बात पर आश्चर्य नहीं होता क्योंकि भवन की रूपरेखा पूज्य श्रीमाताजी के श्री चरणों में संगीत अर्पण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कुचिपुड़ी नृत्त्य का अध्ययन करने वाली सात वर्षीय बालिका अकादमी की सबसे छोटी विद्यार्थी थी। 24 दिसम्बर को अपनी अन्य बड़ी सहज बहनों के साथ मिलकर उसने श्रीमाताजी के सम्मुख नृत्य का हृदय स्पर्शी प्रदर्शन किया। उसके नृत्य से द्रवीभूत होकर बाद में बहुत से भारतीयों ने अकादमी में प्रवेश लिया । साक्षात् परम पावनी श्रीमाताजी द्वारा बनाई गई है। पूरा आश्रम चैतन्य से परिपूर्ण है और हम निरन्तर इस चैतन्य सागर में गोते लगाते हैं। अकादमी के चहूँ ओर जंगल है और वैतरणा नाम के ग्राम समेत ग्रामीण क्षेत्र। परम पूज्य श्रीमाताजी का अपनी इस नई परियोजना पर पूरा चित्त है और यह बात हमारे लिए स्पष्ट है। श्रीमाताजी साक्षात स्वयं अकादमी में होने वाली गतिविधियों में पूछ-ताछ करती हैं कि वहाँ क्या चल रहा है और कौन-कौन लोग वहाँ पर हैं। अपनी परमेश्वरी गुरु के प्रेम एवं स्नेह को उस दिव्य स्थल पर अकादमी आवासीय छात्रों को बहुत सुन्दर कमरे की सुविधा प्रदान करती है जिसमें प्रायः दो भाई, दो बहनें रहते हैं। स्नानागार हर कमरे के साथ जुड़ा हुआ है। सारा कार्य सहजयोगी करते हैं वे ही सफाई करते हैं और वे ही खाना बनाते हैं। हम अपने पाठ ग्रहण करने, अध्ययन करने और मौज मनाने के लिए पूरी तरह स्वतन्त्र हैं। हर कदम के साथ हम महसूस कर सकते हैं। पीछे की ओर देखते हुए सहज शब्दावली में यदि मैं कहूँ तो मैं पाता हूँ कि श्रीमाताजी ने मुझे सावधानी पूर्वक चैतन्य लहरियों में ऊपर उठा लिया और यहाँ आने से पूर्व के मुकाबले में बहुत हल्का मुङग्कर इस समय जन्म लेकर हमारी परम पावनी माँ द्वारा प्रदान की गई दिव्य सुविधाओं का आनन्द उठाने का अवसर प्राप्त करना कितना बड़ा बरदान है! महसूस करता हूँ। पनध्ण 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-43.txt ऑन लाइन सहजयोग सम्पर्क पते A few selected URLS (online site address) to view International Sahaja Yoga Sites and related Sahaja Information like Newsletter http://www.geocities.com/seattleyoga/ Sahaja Yoga in Seattle http://sahajabhakta.org/nysahajayoga/ Sahaja Yoga New York and New Jersey http://www.shrimataji.net rare photographs of Puja and other http://www.geocities.com/vndsybenin/nigeria/ Sahaja Yoga in Nigeria and Lagos http://www.poetry-enlightened.org/ecrire/ enlightened poetry section http://www.sahajayoga.es/uma/ Promised land of Spain http://sahasrara.nirmala.info/ Sahaja Yoga contacts and other related information http://www.sahajayoga.org/ Sahaja Yoga Inernational Site http://www.sahajayoga.org/swa/ Sahaja world wide Announcement and News http://www.sahajayoga.org/sahajnews/ North American News Letter http://www.sahajayoga.org.in/ India News Letter/ SITA India http://www.theaterofeternalvalues.com/ dcoHTML/newsletter.htm TEV (Theatre of Eternal Values) Newsletter contact@sahajayoga.ca Sahaja Path (Sahaja Yoga Canada Newsletter) sa hajne ws @yahoo.com johndobbie@innocent.com Australian Newsletter dalysean@hotmail.com Australian National Yuva Shakti Newsletter (Until publish) http://www.sol.com.au/kor/home/htm Knowledge of Reality: Australia Magazine ramoodley@worldonline.co.2a African Newsletter A few more URLS: That may interest Sahaja Yogis to view on the net http://homepages.ihug.co.nz/-sahaj_nz Seeking Sahaja Self Realization http://www.sahajayogamumbai.org Seeking Sahaja Knowledge. www.nirmala.cz Czech Sahaja WebPages. www.sahajayoga-arabia.com Arabic Site for Self Realization http://sitemaker.umich.edu/sahajayoga Sahaja Yoga of Michigan/USA Sahaja Related Information (evidence based outreach) http://bayyoga.intelligentfilms.com/ San Francisco/Oakland Sahaja Yoga website (A video testimonial from a Sahaja Yogi) http://ww w.yogacolorado.org/ login.php?page%=leela Sahaja Yoga Colorado/Leela Game. Also video film 'vision' http://www.valaya.co.uk/IN-DEEP.htm Mother's talk Excerpts http://www.daisymaerica.com/ Sahaja Book Publication http://www.sakshi.org Sakshi Pokhari - The Pond of the Witness http://www.sahajvidya.freeuk.com/jsmsy Excerpts of Mother's talk http://www.sahajayogasardegna.it/musica.htm Music related site, Nirmal Tarang in MP3 http://www.yuvashakti.com/ Yuva Shakti. International http://www.chicagoyoga.org/seeker_cd Sahaja Yoga Chicago http://www.bhajan.nirmalvihar.info Sahaja Bhajan http://www.nirmalbhakti.com Devotional Indian Music, http://www.yuvadrishti.com/Indian Yuva Shakti Magazine 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-44.txt सहजयोग परियोजनाएं एवं प्रकाशित पुस्तकें 1970 से सहजयोग विकास प्रक्रिया में एकत्र की गई अन्तर्राष्ट्रीय सहजयोग पुस्तक परियोजना (SWAN सम्पदा की यह पुर्ण सूची नहीं हैं परन्तु यह विश्व के कोने-कोने में प्रकाशित होने वाली पुस्तकों, पत्रिकाओं पृष्ठभूमि : इस परियोजना को श्रीमाताजी ने वर्ष तथा अन्य प्रकाशनों (जिनकी सूचना विशाल सामूहिकताओं से मिल पाई है) का संकलन करने का प्रयत्नमात्र है सम्भवतः इनमें से कुछ पुरानी पुस्तकें उद्देश्य अभी भी उपलब्ध हों, और हो सकता है कि कुछ अब उपलब्ध न हों। इस सूची का लक्ष्य साहित्य अध्ययन की सिफारिश भी नहीं है। इसका उदूदेश्य तो सहजयोग में किए गए कार्यों का स्मरण करवाना है इसमें और बाद में प्रकाशन तन्त्र का विस्तार किया जाएगा। श्रीमाताजी द्वारा आशीर्वादित कविताएं लेख और पुस्तकें सम्मिलित हैं । सहज साहित्य से सम्बन्धित परियोजनाएं विश्व भर में भिन्न धर्मों के ग्रन्थों तथा पुरोलेखों के संकलन को ध्यान में रखते हुए, विश्व सामूहिकता के हम सभी सहजयोगियों के लिए आवश्यक हैं कि परम पूज्य श्रीमाताजी के चरणकमलों में नतमस्तक हो कर सामूहिक रूप से प्रार्थना करें कि परमेश्वरी माँ के शब्दों को अपने अन्तस में समेटे हुए सभी पुस्तकें और बीडियो टेपों में सुरक्षित प्रवचनों का सत्यापित प्रतिलेखन पुरालेख भविष्य में इस सुन्दर विश्व में अवतरित होने बाली पीढ़ियों के लिए धरोहर के रूप में उपलब्ध हों। उनके प्रवचन विश्व के लिए मन्त्र सम हैं, यही हमारे बेद, पुराण और महा धर्म-ग्रन्थ वनेंगे। इनके माध्यम से पूरा विश्व श्री आदिशक्ति माता जी श्री निर्मला देवी के पृथ्वी पर अवतरण का साक्षी हो सकेगा। के अनुसार) 2003 में स्वीकृति प्रदान की थी और उसी वर्ष सितम्बर माह से इस पर कार्य आरम्भ हो गया था। । मुख्य धारा प्रकाशकों द्वारा परम पूज्य माताजी श्री निर्मला देवी लिखित 10-11 पुस्तकों को प्रकाशित करवाना। आरम्भ में ये पुस्तकें daisyamerica LLC द्वारा प्रकाशित की जाएंगी इस प्रकार सामान्य पाठक (जिनमें से बहुत से शायद कभी भी सहज गोष्ठी में भाग ने ले पाए हों) भी श्रीमाताजी की शिक्षाओं तथा अन्तर्दृष्टि तक पहुँच सकेंगे बाद में यदि उनकी इच्छा होगी तो, यह पाठकों के आत्म साक्षात्कार का अनुभव पाने तथा सहज सामूहिकता से जुड़ने की योग्यता प्रदान करेगी। विधि : भिन्न देशों के सहजयोगियों की एक टीम ने श्रीमाताजी के अंग्रेजी भाषा में दिए गए आडियो और आरम्भ कर दिया है। इन प्रतिलेखों से सम्पादकगण दिए गए परामर्शों के अनुसार निम्नशीर्षकों की पुस्तकों का संकलन करेंगेः- 1. सहजयोग परिचय 2. द्वार प्रहरी - (अबोधिता एवं विवेक, श्री गणेश तथा भगवान ईसा मसीह) 3. स्वयं के गुरु किस प्रकार बने (आदिगुरु दत्तात्रेय) 4. शीतल अग्नि (कुण्डलिनी तथा आत्म साक्षात्कार) 5. आन्तरिक संसार ( सुक्ष्म तन्त्र एवं चक्र) 6. अन्तरपरिवर्तन का अभ्यास (शुद्धिकरण तकनीक, सन्तुलन, ध्यान धारण विधि, अन्तर्अवलोकन) 7. ज्योतित मस्तिष्क (बुद्ध, बौद्धमत और हँसा) ৪. प्रकाश पुंज (देवी-देवता) 9. ध्मों का सौभाग्य तथा दुर्भाग्य (इस्लाम, ईसाईमत, हिन्दुधर्म यहुदी धर्म) 10. दैन नन्दिनी ( न्यूयार्क के अलेन वहैरी (Alan Wheery) इस परियोजना के निदेशक (Director) हैं, लन्दन, यू. के. के कैन विलियम्ज़ (Ken Williams) मुख्य प्रबन्ध इस दिशा में आरम्भ की गई परियोजनाओं के पीछे इच्छा एवं उद्देश्य ये था कि परमपूज्य श्री माताजी द्वारा अंग्रेजी में दिए गए अधिकाधिक प्रवचनों को शुद्धता पूर्वक प्रतिलिखित किया जा सके ताकि उपफल के रूप में शोध कर्ताओं, विद्या विशारदों तथा उन देशों को उपलब्ध हो सके जो इन प्रतिलेखों का रूपान्तरण अन्य भाषाओं में करना चाहते हों। एक महत्वपूर्ण म्रोत का सृजन हो जो परन्तु इस विस्तृत सूची में शोध-पत्रों तथा उन अन्य दस्तावेजों की सूची सम्मिलित नहीं है जो पहले ही पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में छप चुके हैं। साथ ही साथ समय समय पर प्रकाशित सहजयोग लेखों तथा शोधपत्रों की सूची भी बनाई जा रही है, इसे नकारा नहीं गया है। श्रीमाताजी के प्रवचनों से उद्धरण) 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-45.txt चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 -2006 43 सम्पादक (Managing Editor)। म्रुति गुप्ता और एन. केपाजोली (Ann Capazzoli), न्यूयार्क और आस्ट्रिया के अन्टोन ग्रेवमेयर (Anton Grabmayer) भी प्रवन्ध सम्पादक हैं और आरम्भिक प्रतिलेखन (Transcription ) परियोजना में मिल कर जोड़ों (Paris) में कार्यरत योगियों का नेतृत्व कर रहे हैं। टीम के सदस्यों का ऐसा स्थापित सहजयोगी होना अनिवार्य है जिनमें सन्तुलन तथा हॅँसाचक्र के पर्याप्त गुण हों तथा जिन्हें सहज शब्दावली का भी आवश्यक ज्ञान हो। अंग्रेजी भाषा में, बिना किसी त्रुटि के, कार्य करने की योग्यता भी उनमें होनी आवश्यक है। अन्तिम स्वीकृति तथा प्रकाशन से पूर्व इस पुस्तक की विषय-वस्तु की जांच संस्कृत भाषा के विद्वान करेंगे तथा समिति के सदस्य तथा WCASY के इच्छुक सदस्य इसका पुनरवलोकन करेंगे। इस प्रकार सभी सहजयोगी तथा सहजयोगिनियाँ समझ पाएंगे कि इस महत्वपूर्ण पुस्तक के उत्पादन पर कितना ध्यान दिया गया है। वर्तमान में भी बहुत सी मन्त्र पुस्तकें प्रचलन में हैं और हम जानते हैं कि सहजयोग मन्त्र पुस्तक के नाम से बैंबसाइट पर एक पुस्तक प्रसारित की गई थी जिसकी कुछ प्रतियाँ भारत में छपीं। इसके शीर्षक पृष्ठ पर सर्वाधिकार श्रीमाताजी एवं लाइफ इंटरनल ट्रस्ट लिखा हुआ था। ये बात स्पष्ट होनी चाहिए कि यह पुस्तक व्यक्तिगत प्रयत्न मात्र है जिसे इसके वर्तमान रूप में समिति 1 पुर्ण प्रतिलेखों से ये सम्पादक उपरोक्त विषयों को पूर्णतः समन्वित करके ऐसी पुस्तकें संकलित करेंगे जिन्हें वे पाठक भी पढ़ सकें, समझ सकें और आनन्द उठा सकें जिन्हें सहजयोग का बिल्कुल पूर्व-ज्ञान न हो। प्रकाशित होने से पूर्व सभी पुस्तकों का डेविड स्पायरो (David Spiro) और ग्रेगोर डी कलबरमैटन (Gregoire de kalbermatten) को भेजना अनिवार्य होगा। इसका उद्देश्य परम पूज्य माता जी श्री निर्मला देवी द्वारा अंग्रेजी में दिए गए अधिकाधिक प्रवचनों को शुद्धता पूर्वक प्रतिलिखित किया जा सके ताकि उपक्रम के रूप में एक महत्वपूर्ण स्रोत का सृजन हो जो शोधकर्ताओं, विद्याविशारदों तथा उन देशों को उपलब्ध हो सके जो इन प्रतिलेखों का रूपान्तरण अन्य भाषाओं में करना चाहते हैं। ने स्वीकृति नहीं प्रदान की है व्यक्तिगत योगियों द्वारा किए गए प्रयत्न चाहे जितने अच्छे हों, परन्तु उनसे अनावश्यक भ्रम अवश्य उत्पन्न होगा। लेखक की उत्सुकता यद्यपि स्पष्ट है फिर भी पुरानी पुस्तक की विषय-वस्तु में किए गए परिवर्तन अनावश्यक हैं। इस संस्करण में परिवर्तित की गई बहुत सी विषय-वस्तु पढ़ी गई और H.H.S.M. द्वारा स्वीकार भी की गई और ये मन्त्र हमारी पूजाओं के अंग भी बन गए हैं। आवश्यकता वस इनके संस्कृत रूपान्तरण को सुधारने की है ताकि उद्देश्य-पूर्ति निश्चित की जा सके। इसलिए इस स्थिति में प्रकाशन समिति, विकसित हो रही मन्त्र पुस्तक जो WCASY द्वारा स्वीकृत है, के अतिरिक्त किसी भी अन्य पुस्तक को न तो प्रोत्साहित कर सकती है और न ही इसके प्रकाशन एवं प्रसारण का अधिकार दे सकती है। इस दौरान पुरानी (हरे रंग की) मन्त्र पुस्तक को संघ के उपयोग के लिए सुझाया जाता है। इस मामले में सभी की सूझ-बूझ के लिए हम **** सहजयोग मन्त्र पुस्तिका सोमवार 4 अप्रैल 2005 हर्षपूर्वक हम संघ को सुचित करते है कि सहजयोग प्रचार-प्रसार विश्व परिषद (WCASY) की प्रकाशन समिति ने आधुनिकृत, त्रुटिहीन सहजयोग मन्त्र पुस्तिका के उत्पादन की जिम्मेदारी ली है। कुछ समय पश्चात एक अन्य प्रकाशन-सहजयोग है, आभारी हैं। मन्त्र क्योंकि सहज पूजाओं के आधार हम इस बात के प्रति चेतन हैं कि संघ को एक पूजा पुस्तक- द्वारा इसे सम्पन्न किया जाएगा। पुरानी अधिकृत पुस्तक की आवश्यकता है। हमें पूर्ण विश्वास मन्त्र पूस्तिका में छपी प्रार्थनाओं के साथ सहजयोग से है कि उपरोक्त प्रक्रिया सदा सर्वदा चलने वाली मन्त्र पुस्तक के सृजन की आवश्यकता को पूर्ण करने के सम्बन्धित विश्व धर्मों के ग्रन्थों से उद्धृत चुने हुए अंशो को जोड़कर इस पुस्तक को पूर्ण किया जाएगा।" मन्त्र पुस्तक सहजशास्त्र पर आधारित होनी चाहिए, विद्यमान वर्तमान मन्त्र पुस्तक पर, जिसको वर्षों तक भिन्न साक्षात पुजाओं में तैयार किया गया लिए पर्याप्त होगी। सहजयोग प्रचार प्रसार विश्व परिषद की प्रकाशन समिति की ओर से Alan Wherry - Gregoire de Kalbermatten - 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-46.txt चैतन्य लहरी अक : 3 & 4 - 2006 अंक 44 Name of Book *Corruption-India's Enemy Within (2001) Bhrashtachar-Bharat ki Bhiteri Shatru (Hindi Version of Corruption) (2002) - Nimalanjali * Sahaja Yoga Songbook - Pushparpan - Sahaja Pushpanjali (1995) Language English Author Sir CP Srivastava Marathi/ Hindi Sir CP Srivastava Prayer/ Song Book Compilation Compilation compiled by Sushil Kejriwal(Songs) Armaity H. Bhabha compiled by Sushil Kejriwal( Songs) Compiled book of songs (English,Hindi, Marathi) Compilation H.H. Shri Mataji Nimala Devi Hindi/ Marathi English Hindi Hindi English Hindi Sahajamala(Book of Poems) (2000) Sahaja Geetarpan (1995) English * Sahaja Yoga Geetanjali > Sahaja Yoga Parichay Pustika * Sahaja Yoga The Unique Discovery Hindi English English Sahaja Yoga - A Guide for Parents, Teachers and Students Helga Fein Compilation Excerpt from Speeches of Shri Mataji Nimala Devi Geoferey Godfrey & RK Pal English English Mantra Folder The Joy of spreading Sahaja Yoga (2005) - Divine Light- Miracle Photographs of Shri Mataji (1998) The Divine Mother- 1008 Photographs of Shri Mataji- The Great Guru (2000) English English Geoffrey Godfrey. 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O.P Chandna Hindi Mere Sansmaran (Hindi Version of My Memoirs) (2002) Sahaja Yoga Prakritik Jadi Bution Dwara Rog Niwaran The Advent (1979) Hindi Compilation- Booklet Gregoire De Kalbermatten Trans:Lotus hcart English French L'Avenement (French edition of The Advent) (1985) El Advenimiento (1994) (Spanish Version of The Advent) The Third Advent (2003) Jail Break Spanish Gregoire De Kalbermatten Gregoire De Kalbermatten Yogi Mahajan English English English English Miracles of Giod Gwenael Verez The Search for the Divine Mother (1997) Cooking With Love- Divine (2003) Lal Bahadur Shastri- A Life of Truth in Politics (1995) Lal Bahadur Shastri- Rajneti Mein Satyanishth Jivan (2000) (Hindi version) Navaratri Talks-Pune 1988 (2002) Recipes of H.H Shri Mataji Nirmala Devi Sir C.P Shrivastava English English Hindi Sir C.P. 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Yuva Shakti, bound Yuva Shakti, bound English English English/Hindi English Hindi English English/Hindi Germany English English Hindi English/ Hindi English/Hindi English English Yuvadrishti Hermes - The Knowledge of Reality The Life Eternal Maha Avatar (1980) * Nimala Yoga (1981-1985) Sahaj Amrit - Open Heart 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-49.txt 319 2006_Chaitanya_Lehari_H_(Scan)_II.pdf-page-50.txt ा ॐ व श्र ब र ПА प्रतिष्ठान, गुड़गांव, भारत